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विषय ९ : रोमियों (रोमियों की पत्री किताब पर टिप्पणी)

[अध्याय 13] परमेश्वर की धार्मिकता के लिए जिए

रोमियों १३:१ कहता है, “हर एक व्यक्‍ति शासकीय अधिकारियों के अधीन रहे, क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं जो परमेश्‍वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्‍वर के ठहराए हुए हैं।”
हमें सामाजिक मानदंडों की सीमाओं के भीतर रहना चाहिए। परमेश्वर ने हमें उन लोगों से डरने और उनका सम्मान करने की आज्ञा दी है जिनके पास हमारे आत्मिक और शारीरिक जीवन दोनों में अधिकार है। परमेश्वर सरकारी अधिकारियों को एक कारण से अधिकार देता है, और इसलिए, हमें उनकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। हमें पौलुस के इस कथन को याद रखना चाहिए, “आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो” (रोमियों १३:८)।
यही कारण है कि हम मुफ्त किताबें प्रकाशित कर रहे हैं और इस खूबसूरत सुसमाचार को दुनिया भर के लोगों तक पहुंचा रहे हैं।
प्रभु ने कहा, "प्रेम व्यवस्था की पूर्ति है।" लोग इस भ्रम से ग्रस्त हैं कि वे ईमानदारी से अपने धार्मिक जीवन में व्यवस्था का पालन कर रहे हैं। 
परमेश्वर ने हमें पानी और आत्मा का सुसमाचार दिया है जो हमें पाप से बचाने के लिए अपनी धार्मिकता को प्रकट करता है। हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार में दिखाए गए परमेश्वर की धार्मिकता पर विश्वास करने की आवश्यकता है।
इस सुंदर सुसमाचार को फैलाना जो हमारे प्रभु ने हमें दिया है, वास्तव में दूसरों को जीवन देना है, क्योंकि यह लोगों को उनके सभी पापों से बचाता है। हमें यीशु मसीह के द्वारा प्राप्त प्रेम के अलावा किसी ओर चीज का कर्जदार नहीं होना चाहिए।
 
 

यह समय हमारे लिए जागने का समय है


वचन ११ कहता है, “समय को पहिचान कर ऐसा ही करो, इसलिये कि अब तुम्हारे लिये नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुँची है; क्योंकि जिस समय हम ने विश्‍वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है।” जब हमारे दुर्बल शरीर बदल जाएंगे तब हम मसीह के साथ एक हजार वर्ष तक राज्य करेंगे—अर्थात, जब हमारे शरीर भी छुटकारे को प्राप्त करेंगे। 
हम अपनी पीढ़ी और नूह की पीढ़ी के बीच समानता देख सकते हैं। विश्वविद्यालयों में समलैंगिकता की एक नई लहर दौड़ गई है। यह दुनिया कितनी दुष्ट है की एक आदमी सिर्फ बहुत देर तक पेफोन का इस्तेमाल करता है उसकी वजह से दूसरा आदमी उसे छुरा घोंपता है और मार देता है? इस पीढ़ी में कई ऐसे क्रूर और बुरे काम हो रहे हैं।
हमें यह समझना चाहिए कि अब समय आ गया है कि हम जागें। हमारे प्रभु के दूसरे आगमन का समय बहुत निकट है। हमें उत्सुक होना चाहिए और यह समझने में सक्षम होना चाहिए कि यह युग कैसा है और यह महसूस करना चाहिए कि प्रभु का दूसरा आगमन बहुत निकट है। लेकिन साथ ही, याद रखें कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो वास्तव में इस युग के बारे में नहीं जानते हैं।
"जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा" (मत्ती २४:३७)। नूह के समय में भी, लोगों ने घर बनाए, शादी की, सभी प्रकार के पाप किए, और अपने दैनिक कार्यों में लगे रहे जब तक कि एक दिन अचानक उन पर परमेश्वर का न्याय नहीं आ गया। नूह के अलावा किसी ने भी भारी बारिश और बाढ़ की उम्मीद नहीं की थी, जिसने उसके जहाज में शरण पाने वालों को छोड़ कर सभी का सफाया कर दिया था। जो मर गए उन्होंने बिना किसी प्रत्याशा के, स्वतंत्र रूप से खाते-पीते हुए परमेश्वर के विनाशकारी न्याय को प्राप्त किया। 
यह दुनिया न केवल युद्ध के खतरों से, बल्कि जलवायु परिवर्तन के साथ दुनिया भर में हो रही जबरदस्त प्राकृतिक आपदाओं से भी अवगत है। हम जो खाते हैं उसमें भी एक गंभीर खतरा छिपा है, और हम अब उनके बारे में चिंता किए बिना अपने भोजन का भी आनंद नहीं ले सकते हैं। यही कारण है कि हमें इस युग में बुद्धिमानी से जीना चाहिए, और याद रखना चाहिए कि हमारे शरीर का उद्धार उस समय की तुलना में कहीं अधिक निकट है जब हमने पहली बार विश्वास करना शुरू किया था।
 
 

क्या आपने मसीह के उद्धार को धारण किया है?


आप सोच सकते हैं कि इस दुनिया के विनाश का विश्वास के दायरे से कोई लेना-देना नहीं है और इसका लेना-देना धर्मनिरपेक्ष राजनीति और अर्थव्यवस्था से है। लेकिन वैश्विक आपदाएं दुनिया के विनाश के लिए चेतावनी संकेत हैं। यह दुनिया जल्द ही अत्यधिक आर्थिक और पर्यावरणीय कठिनाइयों का सामना करेगी। बाइबल हमें बताती है कि जैसे-जैसे प्रभु का दूसरा आगमन निकट आता है, तब हमें “आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो” - प्रेम में एक-दूसरे की मदद करना, रक्षा करना, नेतृत्व करना और सहयोग करना चाहिए। और हमें यह समझना चाहिए कि जब हमने पहली बार विश्वास करना शुरू किया था तब की तुलना में आज हमारी आशाएं करीब हैं।
हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जिसमें हमें यीशु मसीह की वापसी की प्रतीक्षा की आशा में जीने की जरूरत है। 
हमारी आशा कहाँ है? हमारी आशा मसीह की वापसी की प्रतीक्षा करने में पाई जाती है जो हमें पुनरुत्थित करेगा और हमें उसके साथ हजार साल के राज्य में राज्य करने के लिए प्रतिफल देगा, जो कि बड़े क्लेश के सात वर्षों से पहले होगा। जैसे-जैसे समय निकट आता है, हमें मसीह की धार्मिकता के साथ आशा के साथ जीना चाहिए। हमें जल और आत्मा के सुसमाचार में दृढ़ और दृढ़ रहना चाहिए, और अपने पूरे मन से उसकी सेवा करनी चाहिए। हमें पूरी दुनिया में हर आत्मा के साथ सुसमाचार साझा करने के लिए अपनी सेवा का विस्तार करना चाहिए।
 

आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में एकदूसरे के कर्जदार न हो

मुझे पता है कि भूकंप और ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बहुत नुकसान होगा। वैश्विक विनाश के विषय पर आजकल कई फिल्में बन रही हैं। मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हॉलीवुड के लेखकों ने कल्पना की है कि दुनिया संभवतः बदल जाएगी, और यह इस बात का सबूत है कि लोग अनजाने में दुनिया पर आनेवाले विनाश को महसूस करते हैं। 
इसलिए, हमें शरीर के कामों की परवाह नहीं करनी चाहिए, बल्कि आत्मा के कामों की चिंता करनी चाहिए। 
हमें विश्वास करना चाहिए कि पानी और आत्मा के सुसमाचार को फैलाने का जीवन सबसे सुंदर जीवन है। पूरी दुनिया में लोग हमारी सेवकाई से चकित हैं। अनगिनत लोगों ने हमें बताया है कि हमारी सेवकाई ने उन्हें कितनी चुनौती दी है। वे विश्वास नहीं कर सकते कि कैसे हम, कोरिया के एक छोटे से देश के परमेश्वर के सेवकों का एक समूह, परमेश्वर की धार्मिकता को इतनी शक्तिशाली रूप से फैला सकते हैं। हाँ, हम वास्तव में छोटे और कमजोर हैं, लेकिन हम अभी भी दुनिया भर में सुसमाचार फैलाते हैं क्योंकि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं, अर्थात परमेश्वर की धार्मिकता में। 
रोमियों अध्याय १४:८ कहता है, “यदि हम जीवित हैं, तो प्रभु के लिये जीवित हैं; और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिये मरते हैं; अत: हम जीएँ या मरें, हम प्रभु ही के हैं।” पौलुस इसके पहले के वचन में भी कहता है की, “क्योंकि हम में से न तो कोई अपने लिए जीता है, और न कोई अपने लिए मरता है।” हम केवल हमारे प्रभु के कारण ही अस्तित्व में है।
चूँकि हम इस संसार में अपने प्रभु के द्वारा पैदा हुए और उसकी धार्मिकता से धर्मी बने, हम मसीह के हैं चाहे हम जीवित रहें या मरें। हम परमेश्वर की धार्मिकता के लिए अपना जीवन व्यतीत करते हुए, इस संसार को मसीह के जन के रूप में जीएंगे और छोड़ेंगे। परमेश्वर हमसे प्रसन्न हैं और उन्होंने हमें दुनिया भर में आनंदमय समाचार फैलाने के लिए अपने उपकरणों के रूप में उपयोग करने के लिए चुना है। इस प्रकार उसने हमारे लिए सुसमाचार प्रचार का महान द्वार खोल दिया है। उसने हमें हर देश में पैदल गए बिना, किताबों के माध्यम से सुसमाचार फैलाने की अनुमति दी है। 
परमेश्वर की धार्मिकता के सुसमाचार वाली पुस्तकों की एक श्रृंखला का अनुवाद किया गया है और अंग्रेजी-भाषी दुनिया, स्पेनिश-भाषी देशों के साथ-साथ एशिया, अफ्रीका और यूरोप के हर देश में भेजा गया है। मुझे विश्वास है कि “हमारा प्रभु जो परमेश्वर की धार्मिकता बना” शीर्षक वाली पुस्तकों की यह नई श्रृंखला दुनिया की प्रत्येक आत्मा को महान आत्मिक आशीर्वाद देगी। यह आश्चर्यजनक है कि कैसे परमेश्वर अपनी धार्मिकता में विश्वासियों के माध्यम से अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए कार्य करता है।
दुनिया अंततः इस खूबसूरत सुसमाचार से ढँक जाएगी, और एक बार जब परमेश्वर की धार्मिकता वाला सुसमाचार पूरी दुनिया में फैल जाता है, तो परमेश्वर हर उस योजना को पूरा करेगा जो उसने हमारे लिए रखी है।
यह युग आंधी तूफान की पूर्व संध्या पर है। तेल संकट और वैश्विक वित्तीय दहशत दुनिया पर एक बार फिर प्रहार कर सकती है। हमें जो करने के लिए नियुक्‍त किया गया है उसमें हमें और अधिक विश्‍वासयोग्य होना चाहिए। हमें इस दुनिया के अंत तक पानी और आत्मा के सुसमाचार को फैलाना चाहिए। आइए हम पानी और आत्मा के सुसमाचार को लगन से फैलाएं ताकि इस दुनिया में कोई भी इस सुसमाचार को सुने बिना न रहे। हमें सहयोग करना चाहिए और उसी उद्देश्य के लिए कार्य करना चाहिए। हमें गिदोन के तीन सौ योद्धाओं की तरह काम करना चाहिए। यद्यपि हम संख्या में कम हैं, हम स्वर्ग के वीर सैनिक हैं, और परमेश्वर हमारे साथ है। 
जो कोई भी पापों की क्षमा प्राप्त करता है और परमेश्वर का आभारी है, वह परमेश्वर की धार्मिकता फैलाने के योग्य बन सकता है। हम विश्वास से विजयी होंगे क्योंकि हमारे पास परमेश्वर की धार्मिकता है। जो लोग परमेश्वर की इस धार्मिकता में विश्वास करते हैं वे हमेशा आत्मा के कार्यों का अनुसरण करते हैं और आत्मिक कार्यों पर अपना लक्ष्य निर्धारित करते हैं। 
मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर की धार्मिकता आप पर बनी रहे।