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विषय ५ : पापों का योग्य अंगीकार

[5-1] पाप का सच्चा और सही अंगीकार कैसे करें? (यूहन्ना १:९)

पाप का सच्चा और सही अंगीकार कैसे करें?
(१ यूहन्ना १:९)
‘यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।ʼ
 
 

लहू का सुसमाचार आधा सुसमाचार है 

 
क्या हम केवल लहू के सुसमाचार से स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं ?
कभी नहीं, हमें पूर्ण सुसमाचार में विश्वास करना होगा। (पानी और आत्मा का सुसमाचार)

१ यूहन्ना १:९ केवल धर्मी व्यक्ति के लिए लागू होता है। यदि एक पापी है जिसका अभी तक छुटकारा नहीं हुआ है, जो अपने प्रतिदिन के पापों और गलतियों की क्षमा के लिए इस वचन के अनुसार अंगीकार करता है, तो उसके पाप क्षमा नहीं होंगे। यहाँ मैं क्या कर रहा हूँ आपने देखा? यह परिच्छेद उस व्यक्ति के लिए लागू नहीं होता, जिसका नया जन्म नहीं हुआ है। 
इस संसार में बहुत से लोग हैं, जिनका अब तक नया जन्म नहीं हुआ है। परन्तु वे १ यूहन्ना अध्याय १ के परिच्छेद को लेकर पाप क्षमा की आशा से प्रार्थना और पश्चात्ताप करते हैं। 
परन्तु क्या जिस व्यक्ति का नया जन्म नहीं हुआ है, उसका पाप अंगीकार की प्रार्थना से उसके पापों का पूर्ण रूप से प्रायश्चित हो सकता है? यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है, जिस पर हमें आगे बढ़ने से पहले स्पष्ट विचार करना है। 
१ यूहन्ना को पढ़ने से पहले, आप सोचिए क्या प्रेरित यूहन्ना धर्मी मनुष्य था या एक पापी? मैं आपसे निम्न प्रश्न पूछता हूँ। क्या यूहन्ना एक धर्मी मनुष्य था जिसका नया जन्म पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने से हुआ था, या क्या वह एक पापी था? 
यदि आप कहें, यूहन्ना प्रेरित पापी था, तो आपका विश्वास बाइबल के अनुसार गलत है। और यदि यूहन्ना एक धर्मी जन था जिसका यीशु पर विश्वास करने से नया जन्म हुआ, तो यह स्पष्ट होता है कि उसका विश्वास आपके विश्वास से अलग था। आपके पास भी वही विश्वास होगा जैसा यूहन्ना का था। 
मैं आपसे एक और प्रश्न पूछता हूँ कि क्या यूहन्ना ने उन पत्रियों को धर्मियों को लिखा था या पापियों को? प्रेरित यूहन्ना ने उन पत्रियों को धर्मियों को लिखी थी। 
इसलिये, यदि पापी जिसका नया जन्म १ यूहन्ना १:८-९ के इस वचनों से नहीं हुआ है और अपने स्वयं के लिए लागू करता है, तो यह गलत होगा। यदि आप धर्मी बनना चाहते हैं, तो परमेश्वर के सामने अपने पापों को मान लें और पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करें। तब प्रभु आपके सारे पापों को इस सुसमाचार के साथ धो देगा जिससे संसार के सारे पाप पहले ही धो दिए गये हैं। 
यूहन्ना का विश्वास इसी तरह का है। १ यूहन्ना अध्याय-५ में वह कहता है, उसका विश्वास ‘पानी, लहू और आत्मा‘ में था। क्या आप विश्वास करते है कि यीशु पानी, लहू और आत्मा के द्वारा आया था? क्या आप केवल यह विश्वास करते हैकी यीशु क्रूस के द्वारा आया, या उसके बपतिस्मा, उसके लहू, और आत्मा के द्वारा? 
क्या आप केवल यीशु के लहू के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं? यदि आपका विश्वास केवल यीशु के क्रूस पर बहाए गए लहू में है, तो आप केवल आधा सुसमाचार जानते हैं। यदि आपका विश्वास केवल क्रूस पर बहाए गए लहू में है, तो निश्चित रूप से आप पाप के लिए प्रतिदिन स्वयं को प्रार्थना करता हुआ पायेंगे। हो सकता है कि आप विश्वास करते हैं कि आपके पश्चात्ताप की प्रार्थना करने से आपके पाप धो दिए गये हैं। 
लेकिन क्या आपके पाप यीशु के क्रूस पर बहाए गए लहू में विश्वास करने, पश्चात्ताप और प्रतिदिन के पापों के लिए क्षमा की प्रार्थना करने से धुल सकते हैं? यदि आप ऐसे व्यक्तियों में से हैं, तो आपके हृदय में अभी भी पाप है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति क्रूस पर बहाए गए यीशु के लहू में विश्वास करने से या प्रतिदिन क्षमा की प्रार्थना करने से अपने पापों को नहीं धो सकता। तब यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसे पानी, आत्मा और लहू का सुसमाचार अब तक नहीं मालूम, तो आपका विश्वास अधूरा है। 
यूहन्ना प्रेरित ने पानी, लहू और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास कर नया जन्म पाया था। परंतु आप केवल क्रूस और लहू में विश्वास करते हैं। जब इस सुसमाचार के प्रति आपका दृष्टिकोण अस्पष्ट है, तो आप दूसरों के उद्धार की अगुवाई कैसे कर सकते हैं? आप स्वयं नया जन्म पाए हुए नहीं है, लेकिन पश्चात्ताप की प्रार्थना से अपने पापों का प्रायश्चित करने की कोशिश कर रहे है। यह राह आपको कहीं भी नहीं ले जाएगी।
भले ही चाहे मनुष्य कैसी भी कठिन प्रार्थना करे या पश्चात्ताप करे, लेकिन उनके हृदय से उसके पाप धुल नहीं सकते। आप थोड़े समय के लिए महसूस कर सकते हैं कि आपके पाप धो दिए गए हैं, यह केवल आपके मन की कल्पना और आपकी भावना मात्र है। यदि आप पश्चात्ताप और प्रार्थना करते हैं, तो आप एक दिन या इससे अधिक समय के लिए अच्छा महसूस कर सकते हैं, परन्तु इस तरह आप अपने पापों से कभी मुक्त नहीं होते। 
पापी व्यक्ति की प्रार्थना और पश्चात्ताप शायद ही उसे उसके पापों से बचाए, क्योंकि वे बहुत समय से यीशु पर विश्वास करने पर भी पापी ही रहेंगे। वे लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार को ठीक से नहीं जानते। यदि आप यीशु पर विश्वास करते हैं, परन्तु नया जन्म नहीं पाया है, तो आप उन लोगों में से एक हैं। यदि आप प्रार्थना और प्रतिदिन पश्चात्ताप करने के द्वारा अपने पापों का प्रायश्चित करने की कोशिश करें, तो यह स्पष्ट है कि अभी आपका नया जन्म नहीं हुआ है। आपको निर्णय लेना होगा कि पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करें जैसा कि यूहन्ना प्रेरित ने किया, या आप स्वयं के विचारों और भावनाओं पर विश्वास करें। इनमें से एक स्पष्ट सच्चाई है, और दूसरा असत्य है। 
बाइबल के अनुसार सच्चा सुसमाचार यह है की यीशु ने बपतिस्मा लिया और जगत के सारे पापियों के पापों को एक ही बार में अपने ऊपर लेकर क्रूस पर दण्ड पाया। यदि मनुष्य यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु पर विश्वास करे, तो वह एक ही बार में अपने सारे पापों से बच जायेगा। और दूसरी तरफ, यदि मनुष्य अपने पश्चात्ताप की प्रार्थना से अपने अपराधों को धोने की कोशिश करे, तो वह अपने पापों से कभी मुक्त नहीं हो सकता। क्या आप सोचते हैं, आप अपने प्रतिदिन के सारे पापों को याद कर सकते हैं? क्या परमेश्वर आपके पापों पर ध्यान देगा, जिसके लिए आपने पश्चात्ताप नहीं किया? क्या पश्चात्ताप की प्रार्थना प्रतिदिन के पापों की समस्या का एक स्पष्ट समाधान है? इस प्रश्न का केवल एक ही उत्तर है नहीं। 
 
 

सच्चे पश्चात्ताप और अंगीकार का उद्देश्य

 
पश्चाताप और अच्छे कार्यों की सीमाएं क्या है?
यदि हम जीवन भर अपने सारे पापों को अंगीकार करते हैं, फिर भी हम अपने अपराधो को अंगीकार करके और अच्छा कर्म करके उद्धार नहीं पा सकते।

बाइबल में पश्चात्ताप का मतलब गलत विश्वास से सच्चे विश्वास की ओर वापस लौटना है, और धर्मी के लिए इसका अर्थ, बुराइयों को छोड़ देना और सुसमाचार की ज्योति में वापस आना है। 
यदि आप अभी भी पापी हैं, तो आपको इस तरह अंगीकार करना होगा: ‘हे परमेश्वर मैं एक पापी हूँ और नरक में जाने योग्य हूँ। परंतु मैं अपने सब पापों से छुटकारा पाना चाहता हूँ। कृपया मेरे पापों से मुझे बचा लें। मैंने अब तक नया जन्म नहीं पाया है और नरक का भागी हूँ।ʼ - यही सच्चा अंगीकार है। 
एक नया जन्म पाया हुआ मनुष्य क्या अंगीकार करता है? ‘हे परमेश्वर, मैंने शरीर के वश में होकर पाप किये हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया और मुझे मेरे सारे पापों से बचा लिया, वो पाप जो मैंने अभी किये हैं उसे भी, मुझे मेरे पापों के लिए मरना था। मैं प्रभु का धन्यवाद करता हूँ कि उसने पानी और लहू के सुसमाचार से मुझे बचा लिया।ʼ नया जन्म पाये हुए व्यक्ति और जिसका नया जन्म नहीं हुआ है उन दोनों के अंगीकार में अन्तर है। 
हम सब के पास वैसा ही विश्वास है जैसा यूहन्ना प्रेरित का है। यदि आप धर्मी होने के लिए पाप अंगीकार से पापों को छिपाने की कोशिश करें, तो आप पाप की मृत्यु से कभी बच नहीं सकते, क्योंकि पाप की मजदूरी मृत्यु है। 
सभी पापी जिनका नया जन्म नहीं हुआ है, वे अपने पाप अंगीकार की प्रार्थना से अपने पापों को ढाँपने का बहाना करना बंद करें और पानी, लहू और आत्मा के सच्चे सुसमाचार पर विश्वास करना आरंभ करें। वे प्रेरित यूहन्ना के विश्वास का अनुसरण करें और इस प्रकार उद्धार प्राप्त करें। 
पापी व्यक्ति अपने पापों के भयंकर दण्ड के न्याय को स्वीकार नहीं करते। परमेश्वर के सामने सबसे भयंकर पाप पानी और आत्मा से नये जन्म के सुसमाचार में विश्वास नहीं करना है। 
वे सब जो यीशु में विश्वास करते हैं, परंतु अभी उनका नया जन्म नहीं हुआ वे परमेश्वर के सामने अंगीकार करें, ‘हे प्रभु मैं एक पापी हूँ, इसलिए नरक की पानीती अग्नि में डाला जाऊंगा।ʼ फिर दोहराते हुए कहें, ‘प्रभु कृपया मेरे पापों को धोएं।ʼ जब पापी मनुष्य इस सुसमाचार को अपने हृदय में ग्रहण करता है कि यीशु ने यरदन नदी में अपने बपतिस्मे के द्वारा और क्रूस पर अपना लहू बहाने से मुझे बचा लिया है, तो वह अपने सारे पापों से मुक्त हो जाता है। यह पाप अंगीकार करने का एक तरीका है, जिससे एक पापी परमेश्वर के सामने अपने पापों से मुक्त हो जाता है। 
एक पापी मनुष्य केवल यह अंगीकार करे कि उसका नया जन्म नहीं हुआ है और पानी, आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करे, तब वह उसी समय बच जायेगा। पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा सारे पापियों के उद्धार का कार्य पूरा कर दिया गया है। ‘किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें’ (प्रेरितों के काम ४:१२)। परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु को भेजा और यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर और क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा सब पापियों को उनके पापों से बचा लिया। 
जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य ने अपनी देह में और हृदय में जितने भी पाप किये हैं, प्रभु ने उन सब को धो दिया है। हम सच्चे सुसमाचार में विश्वास करके बच सकते हैं। यह हमारे पापों से बचने का एकमात्र उपाय है। जिससे हम अपने सारे पापों से मुक्त हो जाते है और पवित्र बन जाते हैं। जब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं, तब हम एक ही बार में हमेशा के लिए धर्मी बन जाते हैं। 
संसार के पापों को अपने ऊपर लेने के लिए यीशु ने बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपने प्राण देकर पापों का मूल्य चुकाया और तीसरे दिन मुर्दों में से जी उठा और अब वह परमेश्वर पिता के दाहिने हाथ विराजमान है, यही अनन्त सत्य है। 
हम सब यह अंगीकार करें, ‘प्रभु, मैं असहाय हूँ लेकिन पाप में एक दिन मुझे मरना है। मैं अपनी माता के गर्भ से ही पापी जन्मा था, और इसके कारण मैंने पाप किये हैं। मैं नरक की पानीती अग्नि में डाला जाऊंगा। इस कारण से, मैं यीशु में विश्वास करना चाहता हूँ, जो पानी, आत्मा और लहू से आया और मेरा उद्धारकर्ता है।’
जैसा कि मत्ती ३ अध्याय में लिखा गया है, यीशु ने यरदन में बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया, उन सारे पापों को भी जिसे हम मृत्यु के दिन तक करेंगे। ‘तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगाʼ (यूहन्ना ८:३२)। 
यदि यीशु ने केवल हमारे मूल पापों से हमें बचाया होता, तो शेष पापों का समाधान हमें खुद ही करना होता। ऐसा होता तो हमारे पाप हम में बने रहते। परन्तु यीशु ने अपने बपतिस्मा और लहू के द्वारा हमारे सारे पापों से हमें मुक्त कर दिया है। इसलिये हम क्यों दुःखी हों? जब हम यीशु के बपतिस्मे और क्रूस पर उसके द्वारा बहाए गए लहू में विश्वास करते हैं, और प्रभु का धन्यवाद करते हैं, तब पवित्र आत्मा हमारे हृदय में निवास करता है।
क्या आप यीशु में विश्वास करते हैं? क्या आप विश्वास करते हैं कि पवित्र आत्मा आप में वास करता है? जब यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को अपने ऊपर लिया, तब आपके सारे पाप उसके ऊपर चले गए। उसने हमारे अधर्मों के लिए क्रूस पर दण्ड पाया और उसने हमें अनंतकाल के लिये मुक्त कर दिया है, यही सच्चा सुसमाचार है। 
 
 
धर्मी का अंगीकार
 
धर्मी का सच्चा अंगीकार क्या है?
वे प्रतिदिन पाप करते है यह अंगीकार करना नहीं लेकिन उस सच्चाई में विश्वास करना कि २००० साल पहले यीशु ने हमारे प्रतिदिन के पापों को धो दिया।

१ यूहन्ना १:९ ‘यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।ʼ इसका अर्थ है जब एक मनुष्य पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने का निर्णय करता है और अपने पाप का अंगीकार करके कहता है, ‘प्रभु मैं बच नहीं सकता क्योंकि मैंने पूरा जीवन पाप किया है। परंतु मैं जानता हूँ कि पश्चात्ताप की प्रार्थना से मैं अपने सारे पापों से बच नहीं सकता। पाप की मजदूरी मृत्यु है, पर मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु का बपतिस्मा और उसके क्रूस की मृत्यु के सिवाय मेरे पाप कहीं और नहीं धुल सकते। आज मैंने पाप किया है, परन्तु मुझे विश्वास है कि यीशु ने २००० साल पहले यरदन नदी में बपतिस्मा लेने के द्वारा मेरे पाप को धो दिया है। यदि वह इस तरह प्रार्थना करे तो उसके अंतःकरण से पापों की समस्या का समाधान एक ही बार में हो जायेगा। 
जो लोग नया जन्म पाए हुए हैं, उन्हें केवल अपने पापों का अंगीकार करना है। उन्हें केवल यह निश्चित करना है कि यीशु ने उनके सारे पापों को धो दिया है। क्योंकि यीशु ने पापियों के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से २००० साल पहले यरदन नदी में बपतिस्मा लिया और क्रूस पर मारा गया। इसमें कोई शक नहीं कि उनके सारे पाप पूरी रीति से धो दिये गये हैं। 
यूहन्ना की पत्री में जो अंश पढ़ा गया है, वह धर्मी लोगों के लिए बहुत अच्छा है, परंतु जो पापी हैं वह इसका गलत प्रयोग करते हैं, ऐसा व्यक्ति अंत में नरक जाता है। फिर भी यह अंश बाइबल से सबसे अधिक अनुचित रूप से प्रयोग में लिया जाता है। यह मसीहियों के बीच में बहुत समय से बड़ा भ्रम का कारण है।
ऐसी कहावत है कि अयोग्य डॉक्टर अपने मरीजों को मार डालता है। उसे यह भ्रम रहता है कि वह सब कुछ जानता है। इस प्रयास में वह अपने मरीज को गलत इलाज के द्वारा मार डालता है। 
यह जीवन का नियम है की, प्रशिक्षित और अनुभवी व्यक्ति ही अपने कर्त्तव्य का सही निर्वाह कर सकता है। ठीक यही बात विश्वास के लिए भी कही जा सकती है। जो कोई भी परमेश्वर के वचन की शिक्षा देता है, वह सच्चाई को जैसा लिखा है वैसा ही स्पष्ट और सही दोनों तरह से लोगों को बताए। और जो कोई सीखता हैं, उन्हें इस विश्वास का निश्चय होना चाहिए कि यीशु ने हमारे सारे पापों को अपने बपतिस्मा के पानी और लहू के द्वारा धो दिया है।
यदि सुसमाचार प्रचारक अपने अनुयायियों को गलत सिद्धान्त की शिक्षा दे और विश्वासी बाइबल को अनुचित रूप से सीखे, तो न्याय के दिन दोनों नरक में होंगे। केवल नया जन्म पाया हुआ व्यक्ति ही बाइबल की स्पष्ट और सही शिक्षा दे सकता है। यदि डॉक्टर द्वारा गलत दवाईयों का निर्देश किया जाए तो अच्छी दवाईया भी मरीज को मार सकती है। ठीक ऐसा ही परमेश्वर के वचन की शिक्षा देने और सीखने के साथ भी है। आग जीवन के लिए जरूरी है। परन्तु इसे बच्चों के हाथों में देने से अनर्थ होता है। परमेश्वर के वचन को गलत हाथों में देना विपत्ति को लाना है। 
हमने धर्मी और पापी दोनों के अंगीकार के बारे में विचार-विमर्श किया है। १ यूहन्ना १:९ धर्मी के लिए है। जब एक धर्मी व्यक्ति परमेश्वर के समक्ष विश्वास के साथ अपने पापों का अंगीकार करता है, तो अपने पापों से मुक्त हो जाता है, क्योंकि यीशु ने आज से २००० साल पहले ही सारे पापों को धो दिया है।
हर समय पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना करनेवाले पापियों के लिए यह विश्वास करना गलत होगा कि उसके पापों को धो दिया गया है। एक व्यक्ति जिसका नया जन्म नहीं हुआ, क्या वह केवल अंगीकार करने के द्वारा अपने पाप धो सकता है? 
परमेश्वर न्यायी परमेश्वर है, उसने अपने इकलौते पुत्र को इस संसार में भेज दिया और उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया है और उनको जो उसके बपतिस्मा के पानी और क्रूस पर बहाए गए उसके लहू में विश्वास करते हैं उनको बचा लिया हैं। इसलिए जब एक धर्मी व्यक्ति अपने पापों का अंगीकार करता है, तब परमेश्वर उससे कहता है कि यीशु ने २००० साल पहले उसके सारे पाप अपने ऊपर ले लिए हैं। यह विश्वास उसे इस बात का निश्चय कराता है कि उसका शरीर भले ही अभी पाप करता हो लेकिन वह पापरहित है।