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Sermoni

विषय ९ : रोमियों (रोमियों की पत्री किताब पर टिप्पणी)

[अध्याय 1-4] विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा (रोमियों १:१७-१८)

(रोमियों १:१७-१८ )
“क्योंकि उसमें परमेश्‍वर की धार्मिकता विश्‍वास से और विश्‍वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, “विश्‍वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।” परमेश्‍वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्‍ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।” 
 

हमें विश्वास से जीना चाहिए

ऐसा लिखा है, "धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा।" क्या हम विश्वास से जीते हैं या नहीं? विश्वास ही केवल एकमात्र तरीका है जिसके द्वारा धर्मी जीवनजो सकता है। विश्वास न्यायी को जीने देता है। जब हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं तो हम सब चीजों के साथ जी सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। केवल धर्मी जन विश्वास से जीते हैं। `केवल` शब्द का अर्थ है कि धर्मी को छोड़कर कोई भी विश्वास से नहीं जी सकता। फिर पापियों के बारे में क्या? पापी विश्वास से नहीं जी सकते। क्या अब आप विश्वास से जीते हैं? हमें विश्वास से ही जीना चाहिए। 
सच्चा विश्वास सीखने में बहुत समय लगता है। हमें यह समझना चाहिए की जब हम परमेश्वर पर विश्वास करते है तब हम जीते है और जब हम परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते तब हम मर जाते है। हमें यह समझना करना चाहिए कि विश्वास से जीना न्यायियों का भाग्य है।
पक्षियों के पंख होते हैं, लेकिन अगर वे उनका उपयोग नहीं करते हैं, तो वे पृथ्वी पर घूमने वाले जानवरों द्वारा पकड़े जाएंगे और मारे जाएंगे। इसलिए, धर्मी लोग विश्वास से जीने के लिए नियत है। परमेश्वर ने धर्मी को विश्वास से जीने के लिए नियत किया है। यदि वे विश्वास से जीने में असफल रहते हैं, तो उनकी आत्मा मर जाएगी।
एक मसीही व्यक्ति का जीवन और सच्चा मार्ग विश्वास से शुरू होता है। न्यायी व्यक्ति पानी और आत्मा से नया जन्म प्राप्त करने के बाद किस तरह समाज में  लेने के बाद समाज में समायोजन करने में सक्षम हैं? हमें पता होना चाहिए कि हमारे लिए जीवन जीने का एकमात्र तरीका विश्वास से जीना है।
क्या आप समझ रहे है? यह धर्मियों का जीवन है। विश्वास के बिना, हम मर जाते हैं और हमारे पास कठिनाइयों का सामना करने की कोई सामर्थ होती। जो व्यक्ति न तो विश्वास से जीता है और न ही विश्वास का उपयोग करता है वह यदि कठिनाइयों से गुजरता है, तो वह अंत में मर जाएगा। जब कोई परमेश्वर पर विश्वास करता है और अंगीकार करता है, "प्रभु, मुझे आप पर विश्वास है," तो वह जीवित रह सकता है, फिर भले ही वह अपूर्ण और कमजोर हो। वह परमेश्वर पर विश्वास के कारण जीवित रह सकता है। परमेश्वर व्यक्ति की उतनी ही मदद करता है और उतना ही काम करता है जितना वह उस पर विश्वास करता है।
 

जब हम अपनी सीमाओं का अनुभव करते है तब हम विश्वास को सिखते है

मैं चाहता हूं कि आप इस बारे में सोचें कि आप विश्वास से जीते हैं या नहीं। एक व्यक्ति नया जन्म प्राप्त करने के ठीक बाद विश्वास से नहीं जीता है। वह पहले स्थिति के अनुसार जीता है, इसलिए वह विश्वास से जीना नहीं सीखता। क्यों? क्योंकि व्यक्ति इस पृथ्वी पर अपने हाथों और पैरों से पैसा कमाकर जी सकता है, इसलिए परमेश्वर पर विश्वास का उपयोग करना अनावश्यक है। लेकिन हमें अपनी सीमाएं तब महसूस होती हैं जब हम सोचते हैं कि क्या हम केवल अपनी शारीरिक ताकत और प्रयासों के साथ जी सकते हैं। हमें लगता है कि हम जी नहीं सकते। तो फिर हमें कैसे जीना है? हमें विश्वास का उपयोग करना चाहिए। हम वास्तव में तब तक नहीं जी सकते जब तक हम विश्वास का उपयोग नहीं करते और परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते।
हमें छोटी छोटी बातों में भी यह कहते हुए विश्वास से जीना चाहिए की, "प्रभु! मुझे आप पर विश्वास है, कृपया मेरी मदद करें।" जब हम यह कहते हुए छोटी-छोटी बातों के द्वारा परमेश्वर पर विश्वास करते हैं की, "प्रभु! मुझे आप पर विश्वास है, मुझे विश्वास है कि आप मेरी मदद करते हैं, मैं आप पर विश्वास करता हूं”, तब हम साबित करते हैं कि हम विश्वास से जी सकते हैं, भले ही फिर यह एक छोटी सी बात के लिए क्यों न हो।
हम मजबूत होने का अनुभव और चीजों के पूरा होने की उम्मीद तभी कर सकते हैं जब हम विश्वास करते हैं। हालाँकि, जब हम परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं, तब हम यह समझ नहीं सकते हैं कि परमेश्वर ने इसे करने की अनुमति दी है, इसलिए हम हार जाते हैं क्योंकि हम विश्वास से अनुभव नहीं करते हैं। हम समस्या का समाधान नहीं कर सकते, हालाँकि इसे आसानी से विश्वास से हल किया जा सकता है। विश्वास से जीना हर तरह से अच्छा है, इसलिए हमें विश्वास से जीना सीखना चाहिए। 
पुराने नियम में लोग विश्वास के द्वारा जीते थे और नए नियम के लोगों के लिए विश्वास के द्वारा बचाया जाना भी उचित है। हमें अपने उद्धार पर भरोसा कैसे है? यीशु मसीह ने जो किया उस पर विश्वास करने से क्या हम धर्मी हो गए हैं? हाँ, हम हो गए है। जब हम उस पर विश्वास करके जीते हैं तो परमेश्वर हमारी सहायता करता है। सबसे पहले केवल परमेश्वर पर विश्वास करो और फिर जो कुछ भी चाहिए उसे आप मांगिए, और फिर परमेश्वर हमारी मदद करते हैं। जिस तरह परमेश्वर ने हमें उद्धार दिया है वैसे ही वह हमें अन्य चीजें भी देता है। विश्वास हमारे जीवन के सभी हिस्सों में उपलब्ध है। यह जीवन है। धर्मी जन के लिए विश्वास ही जीवन है। विश्वास ही जीवन है। यह देह के लहू के समान है। जब नया जन्म प्राप्त करने वाले व्यक्ति में विश्वास नहीं होता है, तो उसकी आत्मा मर जाती है ठीक वैसे जिस प्रकार मनुष्य की देह में लहू न होने की वजह से वह मर जाता है। हमें परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए और अंगीकार करना चाहिए की, "परमेश्वर, मैं आप पर विश्वास करता हूं। मुझे विश्वास है कि आप मेरी मदद करते हैं और समस्या का समाधान करते हैं।"
यह विश्वास ही है जो हमारी जरूरतों की चीजो को खोजने से पहले परमेश्वर के राज्य की खोज करता है और विश्वास करता है की निश्चित ही परमेश्वर मेरी प्रार्थनाओं का उत्तर देंगे। हमें विश्वास से जीना चाहिए। धर्मी जन विश्वास से जीते है। हमारे पास देह में जो कुछ है वह एक दिन पृथ्वी पर रहते हुए समाप्त हो जाएगा। और हम किसी दिन खतरे या असामान्य स्थिति का सामना करेंगे। उस समय, सबसे महत्वपूर्ण चीज जो हमें चाहिए वह है परमेश्वर पर विश्वास; ऐसा विश्वास कि परमेश्वर ने हमें बचाया, हमारी मदद करता है, और वह अच्छा है।
इसके अलावा, हमें इस विश्वास की भी आवश्यकता है कि परमेश्वर वही देता है जो हम प्रार्थना करते हैं। हमारे पास देह में जो कुछ भी है जब वह समाप्त हो जाता है तब विश्वास हमें परमेश्वर अनुग्रह में जीने की ओर ले जाता है। परमेश्वर पर विश्वास हमारे लिए एक प्रेरक शक्ति बन जाता है जिससे हम परमेश्वर के सामने जो आशा करते हैं उसे पूरा कर सकें।
 


हमें छोटी छोटी बातों से विश्वास का उपयोग करना चाहिए


हमें कैसे जीना है? हमें इस प्रकार प्रार्थना करनी है। "परमेश्वर, मै आप पर विश्वास करता हूँ। मेरे पास कुछ चीजो की कमी है, इसलिए मेरी मदद करो, प्रभु।” मैं अपनी मूल कमजोरी के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ। आइए हम इस प्रकार कहते हुए विश्वास से जीवन जिए की, "मुझे अपने दैनिक जीवन में इन चीजो की आवश्यकता है। कृपया मेरी मदद करें, प्रभु। मुझे विश्वास है कि आप मेरे लिए यह करेंगे।" एक व्यक्ति जो विश्वास से जीता है, उसे छोटी छोटी बातों से परमेश्वर की तलाश करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, "प्रभु, मेरे पास टूथपेस्ट नहीं है। कृपया मुझे टूथपेस्ट दें। मुझे आप पर विश्वास है।" इसलिए, हम अनुभव करते हैं कि जब हम उस पर विश्वास करते हैं और उसे खोजते हैं तब परमेश्वर उत्तर देता है।
पापी किसके द्वारा जीते हैं? पापी अपनी ताकत से जीते हैं, लेकिन धर्मी विश्वास से जीते हैं। हम अपने जीवन में विश्वास का उपयोग तब कर सकते हैं जब हम जानते हैं कि धर्मी विश्वास से जीते हैं। हम हमारे पास जो कुछ भी है उससे नहीं, लेकिन विश्वास से जीते हैं। क्या आपने यह देखा? "धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा।" धर्मी जन को जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है वह है विश्वास, लेकिन हम विश्वास का उपयोग तभी कर पाते हैं जब हमारे सारे संसाधन समाप्त हो जाते है।
हम विश्वास का उपयोग तभी कर पाते हैं जब हमारी सारी शक्ति और संसाधन समाप्त हो जाते हैं। हालाँकि, हमें यह जानना चाहिए कि विश्वास से जीना सत्य है और यह परमेश्वर की आज्ञा है, जो उसके वादे पर आधारित है, जिसकी हमें निश्चित रूप से अपने जीवन में आवश्यकता है। विश्वास से जिए। परमेश्वर पर विश्वास करो और खोजो। तब हम वह प्राप्त कर सकते हैं जिसकी हमें आवश्यकता है। हमें अपनी छोटी छोटी बातों से विश्वास से जीना सीखना चाहिए, और फिर हम धीरे-धीरे मजबूत विश्वास प्राप्त कर सकते हैं।
दाऊद ने विश्वास के द्वारा गोलियत को गोफन और पत्थर से मार डाला। उसने गोलियत को इस विश्वास के साथ मार गिराया कि परमेश्वर उसके साथ है, यह सोचकर की, `परमेश्वर, मुझे आप पर विश्वास है। उसे मार डालना आपकी इच्छा है।’ और वह गोलियत पर चिल्लाया, “तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूँ, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है” (१ शमूएल १७:४५)। विश्वास ही से इब्राहीम ने बुलाए जाने पर आज्ञा मानी, और उस स्थान को जो उसे निज भाग होने पर मिलने वाला था, निकल गया; और वह कहा जा रहा है यह न जानते हुए भी, वह निकल गया।
धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा। चार सुसमाचारों में `विश्वास से जीना` जैसे कई समान भाव हैं। हालाँकि, कितने लोग जानते हैं कि विश्वास से जीना धर्मी का जीवन है, मसीहियों का जीवन? मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें अपनी सभी भौतिक सामर्थ और गुणों को छोड़ देना चाहिए जिन पर हम निर्भर हैं। मैं आपको केवल यही सलाह देता हूं कि विश्वास से जीने के लिए इस पृथ्वी पर किसी चीज पर अपने आश्रित मन छोड़ दें। फिर, क्या विश्वास करें? परमेश्वर। परमेश्वर तब काम करता है जब हम उस पर विश्वास करते हैं और जो हमें चाहिए उसकी खोज करते हैं। विश्वास करें कि वह हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देता है और कलीसिया के अगुवों पर विश्वास करे। कलीसिया के साथ जुड़ें और प्रभु की सेवा करें। क्या आप विश्वास करते हैं? हमें विश्वास से जीना है क्योंकि हम व्यक्तिगत रूप से न्यायी हैं।
जिस चीज पर हम अपने दिल से निर्भर हैं, उसे हमें छोड़ देना चाहिए। हमें परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए, विश्वास के माध्यम से खोजना और प्राप्त करना चाहिए, फिर चाहे कार्य कितना भी छोटा क्यों न हो। हमें विश्वास से जीना चाहिए और इसका अनुभव करना चाहिए। तब, हम प्रभु के साथ राज्य कर सकते हैं और जगत के लोगों के द्वारा उपहास का कारण नहीं बनते। परमेश्वर कहता है कि वह “मेरे सतानेवालों के सामने मेरे लिए मेज बिछाता है” (भजन संहिता २३:५)। परमेश्वर के सामने आशीषित होना मतलब सबसे बड़ा प्रतिफल पाना। यह परिस्थिति विकास के अनुसार नहीं, लेकिन विश्वास से जीना है।
क्या आप कभी भी विश्वास से जिए हैं? अनगिनत लोग कभी भी विश्वास से नहीं जिए, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने प्रार्थना करते समय परमेश्वर के कार्यों का अनुभव किया है। हमें इसका लगातार अनुभव करना चाहिए, सिर्फ एक बार नहीं। बार बार। यह वो तरीका है जो न्यायी को जीना चाहिए। हमें सांसारिक चीजों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, लेकिन परमेश्वर विश्वास करना चाहिए। यह न्यायी का जीवन है। हमें ऐसे ही जीना चाहिए। केवल विश्वास से ही हम जीवित रह सकते हैं और परमेश्वर से सारे आशीष प्राप्त कर सकते हैं।
 


परमेश्वर के सामने हमें सबसे ज्यादा विश्वास की जरुरत है


विश्वास करना बहुत कठिन लगता है, लेकिन वास्तव में यह आसान है। परमेश्वर पर विश्वास के अलावा किसी ओर चीज की जरूरत नहीं है। हमें केवल परमेश्वर पर विश्वास करना है। लोग सोचते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करना कठिन है, लेकिन वास्तव में यह उतना कठिन नहीं है। मैं अपने पिता को "पिता" कहता हूँ और विश्वास करता हूँ कि वह मेरे पिता हैं क्योंकि वह मेरे लिए एक वास्तविक पिता हैं। उनका मेरा पिता होना मेरे अपने विश्वास पर निर्भर नहीं करता है। परमेश्वर पर विश्वास यहीं से शुरू होता है। मुझे परमेश्वर पर विश्वास है। क्यों? क्योंकि परमेश्वर हमेशा न्यायियों के साथ खड़ा रहता है, उनसे प्रेम करता है और उनका पिता और उद्धारकर्ता बन जाता है। दूसरा, यदि हम उस पर विश्वास करते हैं, तो हम हमें जो चाहिए वो उनसे माँगते, जैसे एक बच्चा अपने पिता से मांगता है कि उसे क्या चाहिए। अंत में, परमेश्वर पिता सुनता है और जो हम खोजते हैं उसका उत्तर देते हैं। परमेश्वर पर विश्वास इस तरह के एक साधारण आत्मविश्वास पर आधारित है और यहीं से शुरू होता है।
हमें विश्वास से जीना है क्योंकि परमेश्वर अल्फा और ओमेगा, आदि और अंत है। हमारा पूरा जीवन विश्वास से जुड़ा है। हम विश्वास के द्वारा बचाए गए हैं और विश्वास के द्वारा ही परमेश्वर संभालता है। यह विश्वास ही है जो हमें यह कहने की अनुमति देता है, "प्रभु, मैं आप पर विश्वास करता हूं। मुझे संभालिए और कृपया मेरी देखभाल कीजिए।” जब हम शैतान की धमकियों के कारण कमजोर और डरे हुए हों तो हमें क्या करना चाहिए? हमें यह कहते हुए परमेश्वर पर विश्वास करना है, "प्रभु, मुझे आप पर विश्वास है।" हम गलत सोच सकते हैं और परिणामस्वरूप, शैतान द्वारा पकडे का सकते है और पराजित हो सकते है। उस स्थिति में, क्योंकि हम प्रार्थना करते हैं और परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, इसलिए यह कहते है, "हे प्रभु, कृपया मुझे संभाले रखें। मुझे विश्वास है कि आप मुझे अवश्य संभालेंगे,” और क्योंकि परमेश्वर हमारा पिता है, वह हमें संभालता है। परमेश्वर किसी भी तरह हमारी देखभाल करता है, भले ही हम अनुचित प्रार्थना करें, क्योंकि वह हमें अच्छी तरह से जानता है। सबसे महत्वपूर्ण बात विश्वास करना है। यह बहुत सरल है। बस अपने परमेश्वर द्वारा दिए गए विश्वास का उपयोग करें, और फिर वह आपको विश्वास से विश्वास की ओर ले जाएगा। परमेश्वर के होने पर भी यदि हम विश्वास न करें तो यह व्यर्थ है। यदि हम परमेश्वर पर  विश्वास करते हैं तो हम विश्वास से जीते हैं।
 

विश्वास से विश्वास की ओर

रोमियों १:१७ कहता है, “क्योंकि उस में परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिए प्रगट होती है।"  जब हम अपने विश्वास का बार-बार उपयोग करते हैं, तब हम विश्वास के व्यक्ति बन जाते हैं। मैं चाहता हूं कि आप इसे समझें। यदि हम परमेश्वर पर विश्वास न करे तो परमेश्वर हमारे लिए अस्तित्व में नहीं है, भले ही फिर वास्तव में उसका अस्तित्व हो। जब आप निरंतर विश्वास करते है की परमेश्वर जिन्दा है और उसने हमें बचाया है तब आप विश्वास के द्वारा विश्वास तक पहुंचते है।
जब आप विश्वास के व्यक्ति बन जाते हैं, तो विश्वास के द्वारा परमेश्वर की सारी चीजें आपकी हो जाती हैं। रोमियों १:१७ में बाइबल जो कहती है वह यह है कि विश्वास की शुरुआत और अंत विश्वास है। “क्योंकि उस में परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिए प्रगट होती है।" इसलिए, यदि हम विश्वास करे की परमेश्बर ने हमें बचाया है तो हम उद्धार पा सकते है और विश्वास के जन बन सकते है। यदि हम विश्वास नहीं करते हैं तो हम विश्वास की संतान नहीं बन सकते। परमेश्वर तब उत्तर देता है जब हम उस पर विश्वास करते हुए विश्वासयोग्यता से अपने जीवन में जो चाहते हैं उसकी खोज।
प्रेरित पौलुस रोमियों १:१७ में जो बात करता है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है, भले ही वह भाग बहुत हो छोटा है। क्या अब आप समझते है की धर्मी जन कैसे जीते है? “धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा।” विश्वास धर्मी जन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, पापियों के लिए नहीं।
पापियों के लिए सबसे पहली आवश्यकता यह विश्वास है कि यीशु ही उनका उद्धारकर्ता है। हालाँकि, हम, नया जन्म पाए हुए मसीही, अपने जीवन में विश्वास कर सकते हैं। जब हम जीवन जीते हैं तो क्या हमें सिर्फ एक या दो चीजों की जरूरत होती है? नहीं। बहुत सारी चीजे करनी पड़ती है, फिर चाहे वे गंभीर हों या तुच्छ। धर्मी जन सब बातों में विश्वास से जीवित रहेगा। क्या आप इस बात को समझ रहे है? हमें विश्वास से जीना चाहिए। हम विश्वास के द्वारा बचाए गए है और विश्वास द्वारा जोखिम से बचाए जाते हैं। जब हम विश्वास से प्रार्थना करते हैं, तो परमेश्वर उत्तर देता है। हमें विश्वास से जीना है और कमजोर होने के बावजूद भी प्रार्थना करनी है। शादी से लेकर सुसमाचार का प्रचार करने तक, सभी बातों में हमें विश्वास की आवश्यकता है। जब हम किसी को सुसमाचार का प्रचार करते हैं, तो विश्वास हमें इस तरह से प्रार्थना करने के लिए प्रेरित करता है। "परमेश्वर, मुझे विश्वास है कि आपने उस आत्मा को बचाया है।" हम सब कुछ विश्वास से करते हैं।
हम विश्वास के बिना सुसमाचार का प्रचार नहीं कर सकते। हम केवल विश्वास के द्वारा ही सुसमाचार का प्रचार कर सकते हैं। जब हम विश्वास के द्वारा सुसमाचार का प्रचार करते हैं तो लोग बच जाते हैं। क्या आप कभी विश्वास से जीवन जिए हैं? लोग विश्वास के बिना जीवन जीते हैं, यह नहीं जानते कि उन्हें विश्वास से जीना चाहिए, इसलिए जब वे कठिनाइयों का सामना करते हैं तो वे चट्टान से टकराते हैं। वे केवल तभी खोजते हैं जब उनकी सामर्थ्य समाप्त होने पर होती हैं, इसलिए अंत में, उनके पास हमेशा कुछ न कुछ कमी होती है। उन्हें विश्वास में भरोसा नहीं है और वे अनिच्छा से जीते हैं, जैसा कि वे कहते हैं, "मैं अनिच्छा से जीवित हूं क्योंकि मैं मर नहीं सकता।"
लेकिन धर्मी अपने विश्वास के जीवन को सहज और सकारात्मक रूप से जीते हैं; वे विश्वास करते हैं, खोजते हैं और उत्तर प्राप्त करते हैं। विश्वास न हो तो व्यर्थ विचार और अविश्वास उपस्थित हो जाते हैं। फिर हम कलीसिया के साथ चल नहीं सकते। हम बिना विश्वास के प्रभु के साथ कैसे चल सकते हैं? क्या देह पर विश्वास करने के लिए कुछ है? कुछ भी नहीं है। हम कैसे विश्वास कर सकते हैं? यदि हम परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं तो हमें विश्वास नहीं हो सकता है। हम कलीसिया का अनुसरण तब कर सकते हैं जब हम विश्वास से जीते हैं और विश्वास से जीना विश्वास के कारण होता है। क्या आप देख सकते है? क्या आप परमेश्वर पर विश्वास करते हैं? फिर जो चाहिए उसे खोजिए। परमेश्वर पर विश्वास रखें, फिर  सब ठीक हो जाएगा। एकमात्र समस्या यह है की हम समझते नहीं है की हमें विश्वास से जीवन जीना चाहिए। 
मैं परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ जिसने हमें अपने शेष जीवन को विश्वास से जीने के लिए प्रेरित किया है।