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होमबलि की वेदी का नाप लम्बाई और चौड़ाई में २.२५ मीटर (७.५ फीट) था और उंचाई में १.३ मीटर (४.५ फीट) था, वह बबूल की लकड़ी से बनाई गई थी और पीतल से मढ़ा गया था। जब भी इस्राएल के लोग इस होमबलि को देखते थे, तब उन्हें एहसाह होता था की वे वो लोग थे जो न्याय से बंधे हुए थे और अपने दोष को दूर करने में असमर्थ थे। और जैसे बलिदान के प्राणी को मारा जाता था, वैसे उन्हें भी एहसाह हुआ था की उन्हें भी अपने पापों की वजह से मरना होगा। लेकिन उन्होंने यह भी विश्वास किया की मसीहा इस पृथ्वी पर आएगा और उनके पापों की वजह से दोषित होकर और बलिदान के अर्पण की तरह मर कर उनके पापों को दूर करेगा। होमबलि की वेदी यीशु मसीह हमारे उद्धारकर्ता का प्रतिबिम्ब थी। जैसे निर्दोष पशु पर हाथ रखकर उसका बलिदान चढ़ाया जाता था और उसका लहू बहाया जता था, वैसे ही यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र बनकर हमारे पास आया और हमारे पापों का सारा दोष उसने उठाया। जैसे पुराने नियम के बलिदान को हाथ रखवाकर सारे पापों का स्वीकार करना पड़ता था और अपना लहू बहाना पड़ता था, वैसे ही उसने भी यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को अपने ऊपर स्वीकार किया, और क्रूस पर अपना लहू बहाने के द्वारा इन पापों के दोष को सहा। इस तरह, होमबलि की वेदी हमें बताती है की यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, क्रूस पर मरा, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इसतरह हमें बचाया।