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विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-30] यहोवा के लिए पवित्र (निर्गमन २८:३६-४३)

यहोवा के लिए पवित्र
(निर्गमन २८:३६-४३)
“फिर चोखे सोने की एक पट्टी बनवाना, और जैसे छापे में वैसे ही उसमें ये अक्षर खोदे जाएँ, अर्थात् ‘यहोवा के लिये पवित्र।’ और उसे नीले फीते से बाँधना; और वह पगड़ी के सामने के हिस्से पर रहे। वह हारून के माथे पर रहे, इसलिये कि इस्राएली जो कुछ पवित्र ठहराएँ, अर्थात् जितनी पवित्र वस्तुएँ भेंट में चढ़ावें उन पवित्र वस्तुओं का दोष हारून उठाए रहे, और वह नित्य उसके माथे पर रहे, जिससे यहोवा उनसे प्रसन्न रहे। “अंगरखे को सूक्ष्म सनी के कपड़े का चारखाने वाला बनवाना, और एक पगड़ी भी सूक्ष्म सनी के कपड़े की बनवाना, और बेलबूटे की कढ़ाई का काम किया हुआ एक कमरबन्द भी बनवाना। “फिर हारून के पुत्रों के लिये भी अंगरखे और कमरबन्द और टोपियाँ बनवाना; ये वस्त्र भी वैभव और शोभा के लिये बनें। अपने भाई हारून और उसके पुत्रों को ये ही सब वस्त्र पहिनाकर उनका अभिषेक और संस्कार करना, और उन्हें पवित्र करना कि वे मेरे लिये याजक का काम करें। और उनके लिये सनी के कपड़े की जाँघिया बनवाना जिनसे उनका तन ढपा रहे, वे कमर से जाँघ तक की हों; और जब जब हारून या उसके पुत्र मिलापवाले तम्बू में प्रवेश करें, या पवित्रस्थान में सेवा टहल करने को वेदी के पास जाएँ, तब तब वे उन जाँघियों को पहिने रहें, न हो कि वे पापी ठहरें और मर जाएँ। यह हारून के लिये और उसके बाद उसके वंश के लिये भी सदा की विधि ठहरे।”
 

निर्गमन २८:३६ कहता है, “फिर चोखे सोने की एक पट्टी बनवाना, और जैसे छापे में वैसे ही उसमें ये अक्षर खोदे जाएँ, अर्थात् ‘यहोवा के लिये पवित्र।’ इस पट्टी को नीले फीते से बाँधा गया था ताकि वह पगड़ी से गिरे नहीं।
परमेश्वर हमें महायाजक की पगड़ी से क्या दिखाना चाहते है? पगड़ी और उसके आभूषण दर्शाते है की यीशु मसीह ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठा लिए और इस प्रकार हमारे सारे पापों को साफ़ किया। 
परमेश्वर के सामने हमारे विश्वास को दिखने के लिए सबसे पहले हमें उस पर सच्चा विश्वास करना चाहिए। हमारे प्रभु ने हम सब से कहा है की, “तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना ८:३२)। परमेश्वर पर विश्वास करना हमारी भावनाओं से प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसी लिए हमारे विश्वास में सत्य का विश्वास होना चाहिए, और फिर भावनाए होनी चाहिए, और फिर हमारी इच्छा शक्ति। ऐसा करने के लिए, हमारे पास ऐसा विश्वास होना चाहिए जो महायाजक के वस्त्र के लिए इस्तेमाल हुई सामग्री में प्रगट हुए सत्य को स्पष्ट रूप से जानता हो और विश्वास करता हो।
महायाजक के द्वारा पहनी गई पगड़ी के ऊपर, एक सोने की पट्टी लटकाई गई थी और उसे नीले फीते से बाँधा गया था। यह हमें स्पष्ट रूप से यह सत्य दिखाता है की प्रभु ने इस पृथ्वी पर आकार और बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाए। इसी लिए आजका मुख्य भाग ऊपर कहता है, “वह हारून के माथे पर रहे, इसलिये कि इस्राएली जो कुछ पवित्र ठहराएँ, अर्थात् जितनी पवित्र वस्तुएँ भेंट में चढ़ावें उन पवित्र वस्तुओं का दोष हारून उठाए रहे, और वह नित्य उसके माथे पर रहे, जिससे यहोवा उनसे प्रसन्न रहे” (निर्गमन २८:३८)। इस्राएल के लोगों की पाप की समस्या को सुलझाने वाला विश्वास महायाजक की पगड़ी पर आगे की ओर लगाई हुई सोने की पट्टी और पट्टी को बाँधने वाले नीले फीते में प्रगट हुआ। 
 


सारे मनुष्यों के उद्धार के लिए यीशु का बपतिस्मा बहुत ही महत्वपूर्ण है।


जिस प्रकार महायाजक नीले फीते से बंधी हुई सोने की पट्टी वाली पगड़ी अपने सिर पर पहनते थे, यदि आप वास्तव में आज के आत्मिक याजक है, तो आप यह जानना और विश्वास करना चाहिए की प्रभु इस पृथ्वी पर आए, पुराने नियम की बलिदान की पध्धति के अनुसार हाथ रखवाने के रूप में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया, और इस प्रकार आपके सारे पापों को साफ़ किया। पुराने नियम के युग में, महायाजक को यह जानना पड़ता था की बलिदान की पध्धति के अनुसार बलिदान अर्पण करने के द्वारा प्रत्येक पाप दूर हुए है। दूसरी ओर, आपको और मुझे जो इस नए नियम के युग में जी रहे है उन्हें यह जानना चाहिए की जब प्रभु इस पृथ्वी पर आए तब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उसने एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों को उठाया। क्योंकि यीशु मसीह ने बपतिस्मा लिया, इसलिए हमारे सारे पाप उस पर पारित किए गए और उसने जगत के सारे पाप एक ही बार में हमेशा के लिए उठाए।
इस बपतिस्मा के द्वारा, इस ग्रह के प्रत्येक व्यक्ति के पाप बिना किसी अपवाद के यीशु पर डाले गए। यहाँ तक की यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, आख़री महायाजक और मनुष्यजाति के प्रतिनिधि के पाप भी यीशु पर डाले गए, जिस प्रकार समग्र संसार के लोगों के पाप डाले गए थे। 
तो फिर परमेश्वर के सामने हमारे पास कैसा विश्वास होना चाहिए? हमारे पास असल विश्वास होना चाहिए जो यह विश्वास करता हो की यीशु मसीह को बपतिस्मा दिया गया और इस प्रकार वास्तव में उसने सारे लोगों के पापों को उठाया। सत्य के ज्ञान के साथ साथ, हमारे पास यह विश्वास भी होना चाहिए जो पूरे हृदय से इस अटी पर विश्वास करता हो। जब हम इस सत्य पर पूरे हृदय से विश्वास करनेवाले विश्वास के साथ कार्य करते है और पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार करते है तब लोग इसे सुनते है और अपने हृदय से इस पर विश्वास करते है, और वे भी अपने पापों से शुध्ध होकर बर्फ़ के नाई श्वेत बनते है। यीशु मसीह ने उन सब को पाप की सच्ची माफ़ी दी है जो इस सत्य पर पूरे हृदय से विश्वास करते है।
सबसे परे, आजके याजको के पास स्पष्ट विश्वास होना चाहिए जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता है। इस सत्य के ज्ञान और उस पर विश्वास के बिना, हम हमारे याजकीय पद के कार्य को परिपूर्ण नहीं कर सकते। दुसरे शब्दों में, केवल वे लोग जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के सत्य पर विश्वास करते है – अर्थात, पाप की सच्ची माफ़ी के सत्य पर – वे अपने आत्मिक याजकीय पद के कार्य को आगे बढ़ा सकते है। दुसरे शब्दों में, केवल वे लोग ही सुसमाचार प्रसार के कार्य को परिपूर्ण कर सकते है जो यीशु मसीह के बपतिस्मा और क्रूस पर के उसके लहू दोनों पर विश्वास करते हो। इसी प्रकार से, प्रत्येक आत्मिक याजक के लिए सत्य का सही ज्ञान होना महत्वपूर्ण है। इसी लिए बैबल स्पष्ट रूप से कहती है, “मेरे ज्ञान के न होने से मेरी प्रजा नष्‍ट हो गई; तू ने मेरे ज्ञान को तुच्छ जाना है, इसलिये मैं तुझे अपना याजक रहने के अयोग्य ठहराऊँगा। इसलिये कि तू ने अपने परमेश्‍वर की व्यवस्था को तज दिया है, मैं भी तेरे बाल-बच्‍चों को छोड़ दूँगा” (होशे ४:६)।
जब प्रायश्चित के दिन महायाजक परमेश्वर के सामने आता था, तब वह पगड़ी पहने बिना कभी भी परमपवित्र स्थान में नहीं आता था। महायाजक को बटी हुई सनी के कपड़े की पगड़ी पहननी पड़ती थी और उसके आगे ठीक परमेश्वर के निर्देश अनुसार सोने की पट्टी को नीले फीते से बांधना पड़ता था। जिस प्रकार आपने पहले ही पता है की नीला फीता यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया था उसकी गवाही देता है (मत्ती ३:१५; १ पतरस ३:२१)।
प्रत्येक व्यक्ति हरदिन पाप करता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने पापों की वजह से दण्ड पाने के, मृत्यु के, और अनंतकाल तक नाश होने के योग्य है। लेकिन प्रभु इस पृथ्वी पर आए, और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा लेने के द्वारा उसने मनुष्यजाति के सारे पापों को अपने ऊपर उठाया। जैसे यीशु ने मत्ती ३:१५ में कहा है, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है,” इस बपतिस्मा के द्वारा परमेश्वर पिता समग्र मनुष्यजाति के पापों को अपने पुत्र यीशु मसीह के ऊपर डालना चाहते थे, इसलिए ऐसा होने की अनुमति दी। यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया उसका मतलब है की यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा उसने पूरे संसार के पापों को एक ही बार में हमेशा के लिए अपने ऊपर स्वीकार किया। इसलिए, आपके और मेरे पाप उसी समय यीशु पर पारित हो गए थे। 
क्योंकि सबने पाप किया है, इसलिए सब परमेश्वर की महिमा से रहित है (रोमियों ३:२३)। बाइबल कहती है, “क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे” (रोमियों ५:१९)। क्या कोई ऐसा है जिसने पाप न किया हो? नहीं, ऐसा कोई नहीं है! तो फिर हमारा गंतव्य क्या है? परमेश्वर ने कहा है की यदि हमारे अन्दर कोई भी पाप है, चाहे वो कार्य के द्वारा, मन या विचार के द्वारा हो, तो हम सब नाश होंगे। क्योंकि परमेश्वर ने कहा है की, “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है” (रोमियों ६:२३), यदि हमारे अन्दर राई के दाने जितना भी छोटा पाप है, तो हमें इस पाप को साफ़ करना चाहिए। समग्र मनुष्यजाति ने परमेश्वर के सामने पाप किया है, और इस कारण सारे लोग अपने पापों की वजह से दण्ड पाएंगे। हालाँकि, जैसे परमेश्वर ने कहा है, “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है,” उसने अपने पुत्र को बपतिस्मा लेने की और क्रूस पर चढ़ने की अनुमति दी। पाप की कीमत मृत्यु है। यहाँ मृत्यु का मतलब क्या है? मृत्यु का मतलब है नरक।
इब्रानियों ९:२७ कहता है, “और जैसे मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है।” परमेश्वर हमसे कहता है की हमारे मरने के बाद न्याय हमारा इंतज़ार करता है। सारे लोग, चाहे वे धर्मी हो या पापी, जिन्होंने पापों की माफ़ी पाई है या नहीं पाई, वे अपने शारीरिक मृत्यु के बाद हमेशा के लिए जिएंगे। मनुष्य को परमेश्वर के स्वरुप में बनाया गया है यह हमसे कहता है की क्योंकि परमेश्वर हमेशा जीवित है, इसलिए चाहे कोई व्यक्ति चाहे या न चाहे वह अनंतकाल तक जीवित रहेगा। लेकिन आपको यह याद रखना चाहिए की दो प्रकार के अनन्त जीवन है: पहला है स्वर्ग के राज्य में आशीषित अनन्त जीवन, और दूसरा है शापित नरक का अनन्त जीवन।
यीशु मसीह स्वर्ग के अनन्त महायाजक है। वह स्वर्ग के महायाजक के रूप में इस पृथ्वी पर आए, और उन्होंने सांसारिक बलिदान देकर नहीं लेकिन खुद की देह देने के द्वारा मनुष्यजाति के सारे पापों को मिटाया (इब्रानियों ७:२१, ८:११-१२, १०:१०)। परमेश्वर ही है जिसने इस पृथ्वी पर आकार बपतिस्मा लेने के द्वारा हमें जगत के पापों से बचाने के लिए हमारे सारे पापों को उठा लिया। स्वर्ग का महायाजक यीशु मसीह मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आया और अपने बपतिस्मा के द्वारा मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठा लिए। इसके द्वारा, आपके सारे पाप एक ही बार में हमेशा के लिए यीशु मसीह पर पारित हो गए। और क्योंकि यीशु मसीह ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को खुद पर उठाया, वह क्रूस तक जा सका, क्रूस पर चढ़ सका, मृत्यु तक अपना लहू बहा सका।
इसी लिए परमेश्वर ने यह विधान बनाया की महायाजक को अपनी पगड़ी के आगे की ओर “यहोवा के लिए पवित्र” लिखी हुई सोने की पट्टी लगवानी होगी और उसे नीले फीते से बाँधनी होगी ताकि वह गिर न जाए। यह हमें बताता है की क्योंकि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा समग्र मनुष्यजाति के पापों को मिटाया है, इसलिए जो लोग विश्वास करते है वे अपने हृदय में पवित्रता को प्राप्त करेंगे और परमेश्वर के सामने आएँगे।
 

सोने की पट्टी को पगड़ी के आगे की ओर लगाया जाए

निर्गमन २८:३७ कहता है, “और उसे नीले फीते से बांधना; और वह पगड़ी के सामने के हिस्से की ओर रहे।” इस भाग का मतलब है की हमें उसके बपतिस्मा पर विश्वास होना चाहिए। जगत का पाप यीशु मसीह पर पारित किया गया है यह जानने और विश्वास करने के द्वारा, हमें पापों की माफ़ी प्राप्त करनी चाहिए। क्या यह कहना गलत है की जब यीशु ने बपतिस्मा लिया तब हमारे सारे पापों को ले लिया? क्या ऐसा नहीं है की आपने और मैंने पाप किया है इसलिए हमारा नाश हुआ और परमेश्वर के द्वारा त्यजे गए। उनका नाश हुआ क्योंकि उन्होंने इस स्पष्ट सत्य पर विश्वास नहीं किया और इसी लिए आजभी पाप करते है। क्योंकि यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा लेने के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों को ले लिया, और क्योंकि इस प्रकार हमारे पाप उसके ऊपर पारित किए गए, इसलिए हमारे प्रभु को हमारी जगह दण्ड सहना पडा। हमें यह जानना चाहिए और हमारे पूरे हृदय से इस पर विश्वास करना चाहिए। केवल तभी यीशु का बपतिस्मा हमारे विश्वास के रूप में हमारे हृदय में बोया जाएगा। बाइबल में सोना विश्वास को दर्शाता है। सच्चे सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा हम स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है।
इस संसार के सारे धर्म अपने अनुयायियों को प्रबोधन प्राप्त करने के बारे में सिखाते है। उदाहरण के तौर पर, बौध्द धर्म अपने विश्वासियो को निर्वाण में प्रवेश करने के लिए सन्यासी जीबन का पालन करने के लिए सिखाता है। दुसरे शब्दों में, बौध्द धर्म का उद्देश्य खुद को ध्यान और खुद परमेश्वर बनने के द्वारा भ्रामक, सांसारिक विचारों से दूर रखने का है। लेकिन ऐसा कोई नहीं है जो इसे प्राप्त कर सके। कुछ धर्मनिष्ठ लोग खुद को पहाड़ पर अलग करने के द्वारा खुद से भगवान बनने की कोशिश करते है। उदाहरण के तौर पर, यहाँ तक की मसीहियत में भी प्रारम्भिक कलीसिया के युग के बाद बहुत सारे मैथ थे जो खुद के पवित्रीकरण के बारे में सिखाते थे। लेकिन खुद को पहाड़ पर अकेला करने ये मतलब नहीं है की इस व्यक्ति को पतित विचार नहीं आएँगे। ऐसा सोचना बहुत बड़ी गलती है की यदि हम खुद को संसार से अलग कर देंगे और दुसरे मनुष्यों से कोई संपर्क नहीं रखेंगे, तो हम सारी लम्पट इच्छाए और भावनाओं से दूर हो जाएंगे। उसके विपरीत, हमारी देह ऐसी है की जितना ज्यादा हम खुद को अलग करेंगे, उतना ही ज्यादा हम लम्पट इच्छा और सांसारिक आनन्द के शिकार बनेंगे। क्योंकि हमारे हृदय मैं ऐसे पाप है, इसलिए चाहे हम कितनी भी इच्छा रखे लेकिन हमारे पापों से दूर जाना हमारे लिए असंभव है। इसी लिए यीशु ने कहा है, “मैं मार्ग, सत्य, और जीवन हूँ।” हमारा प्रभु ही स्वर्ग राज्य का एकमात्र रास्ता है। वो सत्य है। और वाही जीवन है। यीशु जीवन का प्रभु है।
लोग स्वर्ग जाने का रास्ता ढूँढना चाहते है। यही रास्ता उन्हें परमेश्वर के राज्य में लेकर जाएगा यह जानने के बाद, उन्हें इस सत्य को जानना और विश्वास करना चाहिए। सत्य यह है की परमेश्वर खुद मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आए और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया; उसने समग्र मनुष्यजाति के पापों को खुद पर उठाया। हम इस सत्य को जानने और यह विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते है की हमारे सारे पाप भी यीशु पर पारित किए गए है। 
दूसरी ओर, हमारी खुद की कोशिशो से स्वर्ग में प्रवेश करना हमारे लिए असंभव है, दुसरे शब्दों में, अच्छे कर्म करने के द्वारा। क्यों? क्योंकि कोई फर्क नहीं पड़ता की हम कितने अच्छे कर्म करते है, यदि हम परमेश्वर का केवल एक विधान भी तोड़ते है, तो इसका मतलब यह है की हम परमेश्वर के सारे वचन का पालन करने में असफल हो गए। क्योंकि परमेश्वर का एक भी विधान तोड़ने का मतलब है की मनुष्य परमेश्वर के सामने पापी है, इस कार्य के द्वारा ऐसे व्यक्ति का स्वर्ग में जाना असंभव है। हमें इस सत्य पर विश्वास करना चाहिए, और इस प्रकार हमें यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से लिए हुए बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पाप यीशु पर डालने चाहिए। यीशु ने मनुष्यजाति के सारे पाप खुद पर ले लिए जिसमे आपके पाप भी सम्मिलित है। इसलिए आपके सारे पाप यीशु पर पारित करने की वजह से सारे पाप धुल गए है।
यह प्राप्त करने के लिए, सबसे पहले आपको खुद की जाँच करनी चाहिए की आपके हृदय में पाप है की नहीं, और जब आपको पता चले की पाप है, तो फिर आपको नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए पाप की माफ़ी पर विश्वास करना चाहिए, और फिर अपने विश्वास को परमेश्वर के द्वारा स्वीकृत करवाना चाहिए। यह मसीह की देह के बलिदान पर विश्वास करने के द्वारा है की हम एक बार में हमेशा के लिए पाप सेव बचने के बाद स्वर्ग में जा सकते है। ऐसा नहीं है की लोगों ने पाप किया है इसलिए वे स्वर्ग में जाने में असमर्थ है, लेकिन क्योंकि वे वास्तविक सत्य यानी की नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सुसमाचार पर विश्वास नहीं करते इसलिए वे स्वर्ग में प्रवेश करने में असमर्थ है। हमें ऐसा नहीं कहना चाहिए की परमेश्वर के वचन से हम अलग थे और हमें जानकारी नहीं थी, लेकिन हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार को सुनने और विश्वास करने के द्वारा उद्धार प्राप्त करना चाहिए।
जिस प्रकार महायाजक अपने लोगों को पवित्र करने के लिए विश्वास से परमेश्वर को अर्पण चढ़ाने की सेवकाई करता था, उसी प्रकार हम जो आजके याजक है उन्हें भी अपने मन में स्पष्ट सत्य को जानना चाहिए और अपने हृदय में परमेश्वर की पवित्रता को लिपट कर रहना चाहिए। कोई फर्क नहीं पड़ता की कब, कहाँ और कौनसी आत्मा हमें अपने लिए विश्वास का बलिदान चढ़ाने के लिए कहे, हमें सबसे पहले परमेश्वर की पवित्रता को पहन लेना चाहिए। ‘यहोवा के लिए पवित्र’ लिखी हुई सोने की पट्टी हम आज के महायाजको के सिर पर हमेशा रहनी चाहिए।
पापो की वास्तविक और स्पष्ट माफ़ी का सत्य सुसमाचार है जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुआ है। इस सुसमाचार ने हमारे सारे पापों को साफ़ किया है और हमें पापरहित, पवित्र, और प्रतिष्ठित किया है। यह बहुत ही स्पष्ट है की जब यीशु ने बपतिस्मा लिया तब हमारे पाप उसके ऊपर पारित किए गए। क्योंकि यीशु मसीह ने बपतिस्मा लेने के द्वारा एक बार में ही हमेशा के लिए हमारे पापों को साफ किया इसलिए जो लोग उस पर विश्वास करते है वे पापों की माफ़ी को प्राप्त कर सकते है और अपने विश्वास को जी सकते है। उससे अतिरिक्त, जब हम पापों की माफ़ी पाने के बाद अपने विश्वास के जीवन को जीते है, तब हमें इस बात पर मनन और विश्वास करना चाहिए की यह सुसमाचार कितना महत्वपूर्ण और जरुरी है, और यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया था उसका सुसमाचार हमारे आत्मिक जीवन से कितनी अपेक्षा रखता है।
सुसमाचार के वचन हमेशा के लिए हमारे हृदय से जुड़े हुए होने चाहिए। क्यों? हमें ऐसा करना चाहिए क्योंकि हम हरसमय हरदिन पाप करते है। मेरी किताब पढ़नेवालों में से शायद ही ऐसा कोई होगा जो यह नहीं जानता होगा की यीशु ने बपतिस्मा लेने और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा हमारे पापों को ले लिया। हालाँकि, यदि हम इस सत्य को केवल एक ज्ञान के रूप में मानते है तो उसका कोई मतलब नहीं है। हमें जितना हो सके उतना ज्यादा उसके बपतिस्मा पर सोचना चाहिए, क्योंकि हम हरदिन पाप करनेवाले लोग है। ऐसा विश्वास होने का मतलब है की अनाज को खलिहान में लाना और फिर उसे खाना। दुसरे शब्दों में, पानी और लहू के सच्चे सुसमाचार के बारे में सोचना हमारी आत्मा के लिए आत्मिक भोजन है। इसी लिए यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। 54जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊँगा” (यूहन्ना ६:५३-५४)। 
हमें हरदिन यीशु के बपतिस्मा पर हमारे विश्वास को सुनिश्चित करना चाहिए। सारे याजकों के लिए यह विश्वास मजबूती से स्थापित होना चाहिए। जब उनके पास ऐसा स्पष्ट और निर्धारित विश्वास होगा केवल तभी वे अपने उद्धार को बना पाएंगे, साथ ही साथ दुसरे पापियों को भी सिखा पाएंगे ताकि वे भी उद्धार पाए। क्या ऐसा नहीं है? बेशक ऐसा है! हमें हर दिन ऐसे विश्वास की जरुरत है जो यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करता हो, और ऐसा विश्वास जो यीशु पर विश्वास करता हो जिसने हमारे पापों का दण्ड सहा। 
महायाजक के द्वारा पहनी गई पगड़ी इस संसार में नहीं पाई जा सकती। क्या इस संसार में ऐसी कोई भी पगड़ी है जिस पर नीले फीते से बंधी सोने की पट्टी बाँधी गई हो? ऐसी केवल एक ही पगड़ी है, और वह है महायाजक की पगड़ी। यह अज हमसे गहन सत्य के बारे में बात करता है: शाही याजको को यीशु के बपतिस्मा के विश्वास पर मजबूती से खड़ा रहना चाहिए। और यह हमें ये भी दिखाता है की आप और मैं हमारी याजकीय सेवा तभी परिपूर्ण कर सकते है जब हम इस सत्य पर मजबूत विश्वास करते है।
यीशु के बपतिस्मा पर हमारा विश्वास हरदिन स्पष्ट और तेज़ होना चाहिए। यीशु को मरते दम तक क्रूस पर चढ़ाया गया क्योंकि उसने हमारे पापों को खुद पर ले लिया था। क्योंकि जब उसने बपतिस्मा लिया तब हमारे पाप खुद पर उठाए, इसलिए वह क्रूस पर मरने से पहले कह सका, “पूरा हुआ” (यूहन्ना १९:३०)। और फिर वह मृत्यु से उठकर फिर जीवित हुआ। ऐसा धर्मी कार्य करने के द्वारा, यीशु ने सम्पूर्ण तरीके से हमारे पापों को मिटाया और उस पर विश्वास करनेवाले सारे लोगों का अनन्त उद्धारकर्ता बन गया।
हमें हरदिन यीशु के बपतिस्मा को याद रखना चाहिए। क्यों? इसलिए क्योंकि हमारे जीवन गलतियाँ और दोषों से भरे हुए है। आप में कमी है या नहीं? जितना ज्यादा समय बीतेगा उतना ज्यादा हम हमारी अपर्याप्तता और खुद को कमज़ोर पाएंगे। क्या आप अभी भी यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू पर विश्वास नहीं करते?
 


सोने की पट्टी पर “यहोवा के लिए पवित्र” लिखा जाए


ऐसा कौनसा विश्वास है जो हमें पापरहित और पवित्र बनाता है? यह नीले कपड़े का विश्वास है जो यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से लिए हुए बपतिस्मा पर विश्वास करता है। क्योंकि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा मनुष्यजाति के पापों का स्वीकार किया था इसलिए वह सारे पाप उसके ऊपर पारित किए गए। जब यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करते है की उसने हमारे सारे पापों को खुद पर लेने के लिए बपतिस्मा लिया था, तब ऐसा विश्वास हमारे सारे पापों को मिटाने का सुन्दर अनुधाव प्रस्तुत करता है। जब यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया, तब मनुष्यजाति के पाप उसके ऊपर पारित किए गए। इसलिए क्योंकि सारे लोगों के पाप यीशु पर डाले गए थे, इसलिए जो लोग इस सत्य पर विश्वास करते है उनके पाप एक ही बार में हमेशा के लिए साफ़ किए गए है। उनके पाप विश्वास के द्वारा साफ़ किए गए है। यह पाप का साफ़ होना तम्बू की पध्धति के नीले कपड़े में निहित है। दुसरे शब्दों में, जब आप उसके बपतिस्मा पर विश्वास करते है और अंगीकार करते है की, “अरे, मेरे पाप, आपके पा, और जगत के सारे लोगों के पाप यीशु मसीह पर पारित किए गए” तब आपके हृदय के पाप मिटाए जाएंगे। यदि आपके पास भी ऐसा विश्वास है तो आपके पाप भी सम्पूर्ण रीति से मिटाए गए है।
यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से जो बपतिस्मा लिया उसे जानने से पहले, आपके हृदय में स्पष्ट रूप से पाप था। इस पृथ्वी पर ऐसा कोई भी नहीं है जो इस सत्य को मानने से पहले ही पापरहित बना हो। प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर पाप है, और इसलिए वे नरक के लिए निर्धारित है। लेकिन हमारे सारे पापों को मिटाने के लिए, यीशु इस पृथ्वी पर आया और बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे सारे पापों को खुद पर ले लिया। यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था वह पुराने नियम के हाथ रखने की विधि के जैसा ही था; इस्राएल के लोगों के पाप बलिदान के अर्पण के सिर पर हाथ रखने के द्वारा उस पर पारित किए जाते थे। इस प्रकार, हम पुराने नियम में बहुत सारे ‘अपने हाथ रखे’ ऐसे वाक्य को पाते है, ख़ास तौर पर लैव्यव्यवस्था में।
जब यीशु ने बपतिस्मा लिया तब क्या आपके पाप उस पर पारित किए गए थे? जब यीशु ने बपतिस्मा लिया, तब उसने कहा, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है” (मत्ती ३:१५)। यहाँ “क्योंकि” शब्द ग्रीक में “ह्युतोस” है, जिसका मतलब है ‘इस रीति से’, ‘उचित’, या ‘इसके अलावा ओर कोई दूसरा रास्ता नहीं है’। यह शब्द दिखाता है की यीशु ने अपरिवर्तनीय ढंग से यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा मनुष्यजाति के सारे पापों को खुद पर ले लिया। क्योंकि जिस पल यीशु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा सारे पापों को ले लिया वह निर्णायक पल था, मैं कभी भी इस पल को भूल नहीं सकता। आपको अपने मन में इस वचन को याद रखना चाहिए जो असल भाग में भी स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है। और हरदिन पानी और आत्मा के सुसमाचार पर मनन करने के द्वारा, आपको अपने हृदय में विश्वास करना चाहिए।
हम हमारे हृदय में यह विश्वास करने के द्वारा पापरहित बन सकते है और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकाते है की यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों का स्वीकार किया और उन्हें साफ़ किया। क्या हम किसी ओर तरीके से स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है? आप शायद सोचते होंगे की जब आप की उम्र बढाती है तो आप विनम्र और विनयशील बनते है, लेकिन आप देखते है की जब उम्र बढाती है तब आप दुष्ट बनते है। यदि आप सोचते है की समय बीतते आप ओर भी नम्र और विनयशील बन सकते है, तो आपको बहुत जल्द ही यह स्वीकार कर लेना चाहिए की आप ऐसा बनने में असक्षम है। वास्तविकता यह है की जब हमारी उम्र बढाती है, तब हम ओर भी ज्यादा आतुर और हमारे गुस्से को काबू में न रखनेवाले बन जाते है। क्या हमारे पास ऐसा करने की क्षमता है, तो शायद हम हमारे कार्य के द्वारा नियमों का पालन करने से स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते है। लेकिन हमारे पास ऐसी काबिलियत नहीं है, इसलिए हमारे अन्दरसे केवल पाप, दुष्टता, और क्रोध निकलता है।
मैं आपसे यहाँ ये कहना चाहता हूँ की उद्धार कार्य से प्राप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन केवल विश्वास से प्राप्त होता है। इब्रानियों ११:१ में लिखा है, “अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है।” भले ही हमने उसे नहीं देखा है, लेकिन फिर भी परमेश्वर का अस्तित्व है, और क्योंकि यह परमेश्वर ज़िंदा है, इसलिए वह हमारे जीवनों में कार्य करता है। परमेश्वर ने इस ब्रह्मांड का निर्माण हमारे देखते हुए नहीं किया था, और अपने वचन के द्वारा उसने हमें अपने उद्धार के सत्य को दिखाया है। हमारे हृदय में उद्धार के इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा हम पाप से बच सकते है और हमारे हृदय के सारे पापों को साफ़ कर सकते है। और यह आज भी कारगर है। इसलिए, अब पापियों को अपने हृदय में इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा उद्धार प्राप्त करना चाहिए, अपने खुद के धार्मिक कार्यो के द्वारा पाप से उद्धार प्राप्त करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
इसका मतलब क्या है की सोने की पट्टी को महायाजक की पगड़ी के आगे की ओर नीले फीते से बाँधा गया था? इसका मतलब है की हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानना और विश्वास करना चाहिए। बपतिस्मा लेने के द्वारा, यीशु ने आपके और मेसे समेत सारे लोगों के पापों को खुद पर ले लिया था। यीशु जो सर्वशक्तिमान है उसने इस प्रकार हमारे सारे पापों को ले लिया था। हमें यह जानना चाहिए और इस पर विश्वास करना चाहिए। जब हम हमारे कानों से परमेश्वर के वचन को सुनते है, अपने दिमाग से सोचते है, और हमारे हृदय से इस पर विश्वास करते है तब हमारा हृदय शुध्ध होता है। क्योंकि हमने पहले पाप किया और अभी भी ज्यादा पाप कर रहे है और भविष्य में भी करेंगे, इसलिए हमें हमें हमारे सारे पापों से बचाने के लिए, प्रभु इस पृथ्वी पर आए और बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को ले लिया। 
जब यीशु ने मनुष्यजाति के पापों का स्वीकार किया और उन्हें साफ़ किया, तब आपके भी पाप उसके ऊपर डाले गए। इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा, आप भी अपने पापों से छूटकारा पा सकते है। जब हम बपतिस्मा पर विश्वास करते है जो पानी और आत्मा के द्वारा आए हुए यीशु मसीह ने प्राप्त किया, तब आप और मैं हमारे हृदय के सारे पापिन से शुध्ध हो सकते है, और यीशु मसीह ने हमारे सारे पापों के दण्ड को भी सहा यह विश्वास करने के द्वारा हम परमेश्वर की निज संतान बन सकते है। इसलिए, पानी और आत्मा के सुसमाचार को मानने वाले विश्वास के द्वारा हम नया जन्म पा सकते है और परमेश्वर की संतान बन सकते है। हमारे प्रभु ने हमें इस प्रकार का विश्वास दिया है।
 

महायाजक का सनी का जाँघिया

परमेश्वर ने मूसा को महायाजक के लिए सनी के कपड़े का जाँघिया बनाने के लिए कहा और उन्हें पहनाने के लिए कहा। वह कमर से जाँघ तक का ही था और वह याजक के टन को ढ़कता था। और परमेश्वर ने कहा था की मौत से बचने के लिए, हारून और उसकी संतान जब भी तम्बू के अन्दर वेदी की सेवा टहल करने के लिए आए तब उसे अवश्य पहन कर आए, और उसने कहा की यह हारून और उसके संतानों के लिए हमेशा का विधान होगा। 
वे याजकों के टन को ढकने के लिए अंदरूनी वस्त्र थे। परमेश्वर के सामने देह को खुला रखना उसके सामने अपवित्र होने के बराबर है, और जीनेक पाप परमेश्वर के आगे प्रगट होते थे वह मार दिया जाता था। इसी लिए परमेश्वर ने अपने याजको को अपना थान ढकने के लिए कहा था। दुसरे शब्दों में, परमेश्वर ने हमें अपने धार्मिकता के सम्पूर्ण सुसमाचार पर विश्वास रखने के द्वारा हमारे पापों को ढापने के लिए कहा है।
फिर, महायाजक का सफ़ेद सनी का जाँघिया क्या था? वह परमेश्वर की धार्मिकता को मानने वाला विश्वास है। वह सम्पूर्ण उद्धार का सत्य है की परमेश्वर ने हमें पापरहित बनाया है। यीशु मसीह जो खुद परमेश्वर है (बैंजनी कपड़ा) वह इस पृथ्वी पर आया, बपतिस्मा लिया (नीला कपड़ा), अपना लहू बहाया और क्रूस पर मरा (लाल कपड़ा), मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इस प्रकार हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया। परमेश्वर ने अपने बपतिस्मा से हमारे सारे पापों को मिटाया और हमारी जगह खुद पापों के दण्ड को सहा इस बात पर विश्वास करना हमारे हृदय में उद्धार का जाँघिया पहनना है। यह हमारे हृदय में विश्वास करने के द्वारा है की हम सम्पूर्ण रीति से पापों से बच गए है और परमेश्वर की संतान बन सकते है और उसके राज्य में प्रवेश कर सकते है।
हमारे हृदय की सारी गंदकी दूर करने का केवल एकमात्र रास्ता बपतिस्मा पर विश्वास करना है जो यीशु ने प्राप्त किया और क्रूस पर लहू बहाया। विशेष रूप से, नीले कपड़े का विश्वास, की यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा सारे पापों का स्वीकार किया, यह हमारे उद्धार का मुख्य सत्य है जो हमारे सारे पापों को साफ़ करता है, और इस पर विश्वास करने के द्वारा हम हमारी सारी गंदकी को ढाप सकते है। हम हमारी अपर्याप्तता और अपराधो के बावजूद भी बिना किसी हिचकिचाहट के परमेश्वर के सामने कैसे आ सकते है? यह केवल तभी सम्भव है जब हम परमेश्वर की धार्मिकता पर विश्वास करते है जो हमारे गंदेपन को पूरी तरह ढाँप देता है। परमेश्वर ने हमें पानी और लहू से बचाया है इस बात पर विश्वास करने के द्वारा, अर्थात, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के द्वारा, हम हमारे सारे गंदेपन को ढाँप सकते है। यीशु इस पृथ्वी पर आया, अपने धर्मी कार्य के द्वारा हमें सम्पूर्ण धर्मी बनाया, और इस प्रकार वह हमारे अनन्त उद्धार का प्रभु बना। इस पर विश्वास करने के द्वारा हम पापरहित बन सकते है। परमेश्वर के इस धर्मी कार्य पर विश्वास करने के द्वारा, जिससे वह हमें प्रेम करता है और हमें पापरहित बनाया, हम पाप के परिणाम से बच सकते है। हमारे हृदय में परमेश्वर के इस धर्मी उद्धार पर विश्वास करने के द्वार, हम अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते है।
हम हरदिन पाप करते है। इसलिए हमें यह समझना चाहिए की जो कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के उद्धार का सफ़ेद सनी का जाँघिया पहने बिना परमेश्वर के सामने आता है जिसने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से हमारे सारे पापों को मिटाया है, वह व्यक्ति को मार दिया जाएगा। जब हम परमेश्वर के सामने आए और जो विश्वास हमें मरने से बचाता है वह ओर कुछ नहीं लेकिन उसकी धार्मिकता पर का विश्वास है। परमेश्वर की धार्मिकता को मानाने वाला विश्वास वाही विश्वास है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता है। क्योंकि परमेश्वर ने हमें सफ़ेद सनी के जाँघिये को पहनने के लिए कहा है, इसलिए हमें हमारे हृदय में विश्वास से पापों की सच्ची माफ़ी के जाँघिये को पहनना चाहिए।
जब हम इस विश्वास के द्वारा परमेश्वर के सामने आते है, तब हमारी मृत्यु नहीं होती। उसी रूप से, महायाजक के वस्त्रों में जो प्रगट होता है वह पानी और आत्मा के सुसमाचार के बारे में है। महायाजक का कोई भी वस्त्र बिना किसी आत्मिक मतलब के नहीं है। हम, आजके महायाजक, परमेश्वर ने हमें जो वस्त्र पहनने के लिए कहा है उसमे से किसी को भी नज़र अंदाज नहीं कर सकते। यदि महायाजक सारे वस्त्र पहने लेकिन सनी के कपड़े का जाँघिया न पहने तो क्या होता? निश्चित रूप से उसे मार दिया जाता। साधारण व्यक्ति यह जाँघिया पहने या न पहने यह आपका चुनाव है, लेकिन यदि महायाजक इसे नहीं पहनता है, तो उसे उसके शर्मनाक नंगेपन की वजह से मार दिया जाएगा – अर्थात्, उसके पाप और गंदकी – पूरी रीति से ढाँपी नहीं गई थी।
क्या होगा यदि परमेश्वर के सामने हमारे हृदय में परमेश्वर के सम्पूर्ण उद्धार पर विश्वास नहीं है? क्या होगा यदि हम इस बात पर विश्वास किए बिना परमेश्वर के सामने आए की उसने हमें पापरहित बनाया है, और हमारे हृदय में हमने उद्धार का वस्त्र नहीं पहना है? हम पापी ही बने रहेंगे। क्योंकि ‘पाप की मजदूरी तो मृत्यु है’ इसलिए जिन पापियों को उनके पापों से शुध्ध नहीं किया है वह दण्ड पाएंगे, मर जाएंगे, और नरक की अनन्त आग में फेंक दिए जाएंगे। इसी लिए आपके हृदय में उद्धार के वस्त्र पहनने चाहिए जो परमेश्वर ने आपके लिए बनाए है। नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करने के द्वारा हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते है।
इसी लिए बाइबल कहती है की सोना, जो सबसे कीमती धातु है, वह ‘विश्वास’ को दर्शाता है। बाइबल में, सोना विश्वास को दर्शाता है, जब की पीतल दोष को दर्शाता है। हम वास्तविकता को देख सकते है की महायाजक के वस्त्र को बनाने के लिए बार बार सोने के कपड़े का इस्तेमाल हुआ था। यह दर्शाता है की हमें सम्पूर्ण उद्धार के सुसमाचार पर हमेशा मजबूत विश्वास रखना चाहिए। नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करे। परमेश्वर ने कहा है की यह वो विधान है जो हमेशा के लिए पालन करना है। 
हमारे मन और हृदय में, आपको और मुझे इस सत्य पर विश्वास करना चाहिए। सच्चा विश्वास सच्चे ज्ञान, भावना, और कार्य से आता है। क्या आपके पास ऐसा विश्वास और सत्य है? क्या आप पूरे हृदय से नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करते है? क्या आप विश्वास करते है की परमेश्वर आपसे प्रेम करता है, उसने बपतिस्मा लेने के द्वारा आपके सारे पापों को मिटाया, अपना लहू बहाया, और मृत्यु से फिर जीवित हुआ? यदि आप इस सत्य पर विश्वास करते है, तो इसका मतलब है की आपने अपने हृदय और आत्मा को उद्धार के कपड़े पहनाए है।
परमेश्वर ने प्रेरित पौलुस के द्वारा यह कहकर इस्राएल के लोगों को फटकार लगाईं, “क्योंकि वे परमेश्‍वर की धार्मिकता से अनजान होकर, और अपनी धार्मिकता स्थापित करने का यत्न करके, परमेश्‍वर की धार्मिकता के अधीन न हुए” (रोमियों १०:३)। परमेश्वर उन लोगों को नापसंद करता है जो अपने खुद के अच्छे कर्मो के द्वार अपनी धार्मिकता को स्थापित करते है और घमंड करते है। जो लोग परमेश्वर के प्रेम के कारण परमेश्वर ने हमारे लिए किए हुए अच्छे कामों पर विश्वास नहीं करते वे सब लोग नाश होंगे। आप किस पर विश्वास करते है? क्या आप परमेश्वर की धार्मिकता पर विश्वास करते है या खुद की धार्मिकता पर? क्या आप अपने पूरे मन से विश्वास करते है की परमेश्वर आपसे प्रेम करता है, और उसने यीशु के बपतिस्मा और क्रोस के लहू दोनों से आपके सारे पापों को मिटाया है? क्या आप इस सत्य पर विश्वास करते है, और क्या आप खुद को इसके लिए सौपते है? क्या आप वास्तव में अपने हृदय में इस सत्य को थामे हुए है और विश्वास करते है? या फिर आप खुद की मरजी से अपने जीवन को जीने के द्वारा आपके पाप की माफ़ी की इच्छा रखते है?
निसन्देह, आपको कृपापूर्वक जीवन जीना चाहिए। नया जन्म पाने के बाद, आपको ओर भी ज्यादा कृपापूर्ण जीवन जीना चाहिए। हालाँकि, पवित्र आत्मा में, आपको सबसे पहले यह जानना चाहिए की धार्मिक जीवन है क्या। बाइबल कहती है, “पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्‍वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिसने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो” (१ पतरस २:९)। परमेश्वर के आज के याजकों के लिए, कृपापूर्वक जीवन जीने का मतलब है असल सुसमाचार की सेवा करना। 
वे लोग कितने दयनीय है जो सुसमाचार और हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम पर विश्वास नहीं करते, जो विश्वास नहीं करते की परमेश्वर ने यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर के उसके लहू दोनों के द्वारा उनके सारे पापों को सम्पूर्ण रीति से मिटा दिया है! 
एकबार बरबाद हुए मछुआरों का एक समूह जो हालही में १० दिन बाद समुद्री तूफ़ान और लहरों का सामना करके अमेजन नदी के मुख पर पहुंचे थे। वे १० दिनों तक पानी न पिने की वजह से पूरी तरह थक चुके थे। अन्त में, वे उस जगह पहुंचे जहा ताज़ा पानी था। हालाँकि, नदी का मुख इतना बड़ा था की उनमे से किसी को भी यह पता नहीं चला की वे पीनेवाले पानी की सतह पर तैर रहे है। परिणाम स्वरुप, अन्त में वे मर गए, ताज़े पानी की भरपूरी के बिच में वे थक गए। वे कितने दयनीय थे! इसे आत्मिक दृष्टिकोण से देखे तो, आज की पीढ़ी के लोग अपने पापों से जूज रहे है, आत्मिक रूप से थके हुए है, जब की यह नहीं जानते की उनके पाप पहले से ही यीशु के बपतिस्मा और लहू पर उसके लहू बहाने के द्वारा उनके पाप मिटाए गए है।
क्योंकि परमेश्वर आपको और मुझे प्रेम करता है, इसलिए उसने हमारे पापों को मिटने का धर्मी कार्य परिपूर्ण किया। इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते है। यह विश्वास हमें नया जन्म प्राप्त करने के लिए योग्य बनाता है। नया जन्म पाने का मतलब है की परमेश्वर की संतान के रूप में नया जन्म पाना; भले ही हम एक बार पापी के रूप में जन्म ले चुके है, फिर भी हम यदि पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते का दावा करते है तो हम पवित्र आत्मा के कार्य के द्वारा धर्मी बन सकते है। इस प्रकार नया जन्म पाकर पापरहित बनके के द्वारा हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते है।
क्या आपने परमेश्वर के उद्धार के अच्छे और धर्मी वस्त्र को पहना है? क्या आप की आत्मा वास्तव में इस सुसमाचार पर विश्वास करती है? इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है की क्या आप इस असल सिसमाचार पर विश्वास करते है या नहीं। सत्य को खुद से जानने की कोशिश किए बिना और सांसारिक शिक्षा को पकड़ने के बजाए, आपको परमेश्वर के वचन पर विश्वास करना चाहिए जो आपको उन लोगों के द्वारा शिखाया गया है जिन्होंने आपसे पहले पाप की माफ़ी पाई है। सच्चा सुसमाचार ऐसा नहिओ है जो केवल आपको अपने दिमाग में जानना चाहिए, लेकिन यह कुछ ऐसा है जिस पर आपको अपने हृदय से विश्वास करना है। इस पर वास्तविक रूप से विश्वास करने के द्वार आपको स्वर्ग में प्रवेश करना चाहिए। भाइयों और बहनों परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु मसीह के द्वारा हमें क्या आशीषे दी है? अपने एकलौते पुत्र के बलिदान के द्वारा हमारे सारे पापों को मिटाने के द्वारा परमेश्वर ने हमें अपनी संतान बनाया है।
इस जगत के लोग जो सही है वो करना चाहते है और वे सही चीजे करनेवाले लोगों का सम्मान भी करते है। क्या समग्र मनुष्यजाति के बलिदान होनेवाले यीशु का कार्य धर्मी नहीं था? पानी और आत्मा के सुसमाचार को मनुष्य के द्वारा नहीं बनाया गया था। यह परमेश्वर के द्वारा खासतौर हमारे लिए परिपूर्ण किया गया सबसे पवित्र और धर्मी कार्य है। क्योंकि यीशु ने जगत के सारे लोगों के लिए बपतिस्मा लिया और क्रूस पर खुद को बलिदान किया, इसलिए हम उसे हमारे सच्चे उद्धारकर्ता के रूप में पहचानते है। कोई मायने नहीं रखता की कब और कहाँ, केवल एक ही धर्मी व्यक्ति है और वह है यीशु मसीह। यीशु मसीह को छोड़ इस पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति खुद में धर्मी नहीं है।
क्या आप धर्मी बनना चाहते है? परमेश्वर ने आपके लिए किए हुए धर्मी कार्य पर विश्वास करने के द्वारा आप सब धर्मी व्यक्ति बन सकते है। परमेश्वर का धर्मी कार्य ओर कुछ नहीं लेकिन पानी और आत्मा का सुसमाचार है। उस यीशु पर विश्वास करे जिसने यह धर्मी कार्य किया। परमेश्वर ने हमारे सारे पापों को मिटा दिया क्योंकि उसने हमें प्रेम किया। जव हम विश्वास से इस सत्य का स्वीकार करते है, तब हम भी पवित्र बन सकते है हैसे परमेश्वर पवित्र है। परमेश्वर ने कहा, “इसलिए तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ” (लैव्यव्यवस्था ११:४५)। वास्तव में परमेश्वर ने हमें अपने विश्वास केजीवन को विश्वास से जीने के लिए कहा है। क्या आप यीशु के इस धर्मी कार्य पर पूरे हृदय से विश्वास करते है जिसने आपको अपने पापों से सम्पूर्ण तरीके से बचाया है? मैं विश्वास करता हूँ की इस संसार में सबसे धर्मी कार्य यीशु के लिए हुए बपतिस्मा, क्रूस पर के उसके लहू, और मृत्यु से उसके पुनरुत्थान के द्वारा परिपूर्ण हो चुका है। 
मैं अपने उस विश्वास से परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ जो उसने मुझे अपने सत्य के वचन के द्वारा दिया है।