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विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 12-2] साहसपूर्ण विश्वास के साथ अपनी शहादत को गले लगाए

साहसपूर्ण विश्वास के साथ अपनी शहादत को गले लगाए
( प्रकाशितवाक्य १२:१-१७ )
 
अध्याय १२ हमें दिखाता है कि कैसे परमेश्वर की कलीसिया अंत समय के अपने क्लेशों का सामना करेगी। वचन १ कहता है, “फिर स्वर्ग में एक बड़ा चिह्न दिखाई दिया, अर्थात् एक स्त्री जो सूर्य ओढ़े हुए थी, और चाँद उसके पाँवों तले था, और उसके सिर पर बारह तारों का मुकुट था।” यहाँ "एक स्त्री जो सूर्य ओढ़े हुई थी" पृथ्वी पर परमेश्वर की कलीसिया को संदर्भित करती है, और वाक्यांश "चाँद उसके पाँवों तले था" का अर्थ है कि परमेश्वर की कलीसिया अभी भी दुनिया के शासन के अधीन है। यह हमें बताता है कि इस दुनिया में परमेश्वर की कलीसिया और इससे संबंधित संत शहीद होकर परमेश्वर की महिमा करेंगे। 
वाक्यांश, “उसके सिर पर बारह तारों का मुकुट था,” दर्शाता है कि कलीसिया अंत के समय में शैतान के खिलाफ लड़ेगी और विश्वास से शहीद हो जाएगी। जैसा कि परमेश्वर का वचन हमें बताता है, परमेश्वर की कलीसिया वास्तव में विजयी होगी। यद्यपि शैतान, हमारे विश्वास को नष्ट करने के लिए, हमें हर तरह से धमकाएगा, हमें पीड़ित करेगा, हमें नुकसान पहुँचाएगा, और अंततः हमारे जीवन की माँग भी करेगा, फिर भी हम अपने विश्वास की रक्षा करेंगे और धार्मिक रूप से शहीद होंगे। यह विश्वास की जीत है।
प्रारंभिक कलीसिया के युग में, हमसे पहले के कई संत भी शहीद हुए थे। यह शहादत हमारी अपनी सामर्थ से नहीं, बल्कि पवित्र आत्मा से आती है जो हमारे दिलों में वास करता है।
वाक्यांश, "एक स्त्री जो सूर्य ओढ़े हुए थी," यहां "महिला" परमेश्वर के कलीसिया को संदर्भित करती है, और वह "सूर्य ओढ़े हुए थी" का अर्थ है कि कलीसिया को बहुत ही सताया जाएगा। अंत समय के भयानक क्लेशों और विपत्तियों के बीच भी, संत अपने विश्वास की दृढ़ता से रक्षा करेंगे और कभी भी शैतान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेंगे। क्यों? क्योंकि उनके दिलों में जो पवित्र आत्मा है वह उन्हें खड़ा करेगा और शैतान के खिलाफ लड़ेगा, और उन्हें ऐसा विश्वास देगा जो कभी भी उनके जीवन के जोखिम पर भी किसी भी खतरे या उत्पीड़न के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा। 
इसके अलावा, क्योंकि जिन्होंने स्वर्ग के राज्य में अपनी आशा रखी है, वे परमेश्वर के वचन में विश्वास करते हैं जो उन्हें बताता है कि सात तुरहियों की विपत्तियाँ जल्द ही समाप्त हो जाएँगी और इसके बाद उन सात कटोरे की विपत्तियाँ आएंगी जो पृथ्वी को मिटा देंगी, वे शैतान के सामने कभी आत्मसमर्पण नहीं करते। 
जो लोग जानते हैं और विश्वास करते हैं कि यदि वे शैतान के सामने आत्मसमर्पण करते है तो वे एक बेहतर दुनिया कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे, वे उसके सामने कभी नहीं झुक सकते। सात कटोरों की विपत्तियाँ जो मसीह विरोधी और उसके अनुयायियों पर उँडेली जाएँगी, उन्हें बेचैन और निर्दयता से नाश कर देगी। संत जो ऐसी विपत्तियों के बारे में सब कुछ जानते हैं, उनमें से १०० प्रतिशत, खतरों के कारण अपने विश्वास को कभी नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि पवित्र आत्मा उनके दिलों में काम करेगा। पवित्र आत्मा जो हम में वास करता है, हमें शैतान के खिलाफ खड़े होने, उस पर जय पाने और शहीद होने की सामर्थ देगा।
जब चौथी तुरही की विपत्ति बीत जाएगी और पांचवीं और छठी तुरही की विपत्तियां आएंगी, तो "शहादत" हमारे पास आएगी। जो लोग अपने विश्वास की रक्षा करते हैं और शहीद हो जाते हैं, वे ही पानी और आत्मा के द्वारा नया जन्म लेते हैं। जब सात तुरहियों की विपत्तियाँ उंडेली जाएगी, तो मसीह विरोधी के पास अस्थायी रूप से परमेश्वर द्वारा अनुमत संसार पर अधिकार होगा। 
यह जानते हुए कि उसका अधिकार केवल थोड़े समय के लिए ही रहेगा, शैतान का सेवक, मसीह विरोधी, उन लोगों को सताएगा जो यीशु मसीह की सेवा अपने प्रभु के रूप में करते हैं, ताकि वह अधिक से अधिक लोगों को अपने साथ नरक में ले जा सके। लेकिन जिन्होंने अपने सभी पापों को यीशु के बपतिस्मा के माध्यम से पारित कर दिया है, वे मसीह विरोधी के उत्पीड़न के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, बल्कि यीशु मसीह द्वारा दिए गए सुसमाचार की दृढ़ता से रक्षा करेंगे और शहीद हो जाएंगे। 
इस प्रकार, शहादत विश्वास का प्रमाण है। जिनके पास यह प्रमाण होगा, उनके पास हजार साल का राज्य और प्रभु द्वारा तैयार किया गया नया स्वर्ग और पृथ्वी होगा। यह पूरी दुनिया में फैले उन सभी पर लागू होता है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं। बाइबल हमें बताती है कि इन अंतिम समय के दौरान लगभग सभी नया जन्म पाए हुए संत शहीद हो जाएंगे। 
लेकिन जो लोग शहादत से बचने के लिए, पानी और आत्मा के अपने विश्वास को त्याग देते हैं, मसीह विरोधी के पक्ष में खड़े होते हैं, और परमेश्वर के रूप में उसकी सेवा करते हैं और उसकी आराधना करते हैं वे परमेश्वर के सात कटोरे की विपत्तियाँ और मसीह विरोधी के हाथों मारे जाएंगे। उनकी मृत्यु कभी भी उनकी शहादत नहीं होगी, बल्कि व्यर्थ में केवल एक निराशाजनक मृत्यु होगी। जब शैतान और मसीह विरोधी को नरक में फेंक दिया जाएगा, तो ये लोग उनके साथ में फेंक दिए जाएंगे। 
शहादत से बचने और क्लेशों के कष्टों को थोड़ा भी कम करने के लिए यीशु मसीह को धोखा देना मूर्खता होगी। जब सात तुरहियों की विपत्तियाँ समाप्त हो जाएँगी और जिन्होंने अपने विश्वास की रक्षा की है, वे शहीद हो जाएँगी, तो सात कटोरों की विपत्तियाँ शीघ्र ही इस पूरी पृथ्वी पर तबाही मचाएँगी, और कुछ ही लोग बचे रहेंगे। जो स्पष्ट है वह यह है कि जिन लोगों ने पाप की माफ़ी प्राप्त कर ली है, वे निश्चित रूप से शहीद होंगे, और यह कि हम अपने प्रभु को इस शहादत के समय धोखा न दें, हमें अंत समय के उचित ज्ञान के साथ विश्वास करके और वचन की सही समझ प्राप्त करके अपना विश्वास तैयार करना चाहिए।
हमने अपने पापों की क्षमा प्राप्त कर ली है, और जब हम शहीद हो जाते हैं, तो हम पहले से अज्ञात आनंद का अनुभव करेंगे, क्योंकि परमेश्वर हमें मजबूत करेगा। हमारा विश्वास हमारे दिलों में स्पष्ट रूप से स्थापित हो जाए कि आप और मैं प्रभु के लिए शहीद होने के लिए नियत हैं। जब शहादत का यह क्षण बीत जाएगा, तो परमेश्वर निश्चित रूप से हमें हमारा पुनरुत्थान और रेप्चर देगा, हमें हजार साल के राज्य में महिमामय होने की अनुमति देगा, हमें अपना शाश्वत नया स्वर्ग और पृथ्वी देगा और हमें शासन करने देगा, और हमें हमेशा के लिए समृध्धि में रहने की अनुमति देगा। —यदि हम इन सब पर दृढ़ विश्वास रखते हैं, तो हमारा दुख स्वयं हमारे आनंद में बदल जाएगा।
प्रेरित पौलुस ने कहा, “क्योंकि मैं समझता हूँ कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं” (रोमियों ८:१८)। सुसमाचार की सेवा करते समय, पौलुस ने बहुत कष्ट सहे थे, कई बार तो उसे बहुत ही ज्यादा मारा गया था। परन्तु यह विश्वास करने के द्वारा कि यह दुख परमेश्वर की महिमा के लिए था, पौलुस का दर्द उसका अत्यधिक आनंद बन गया। और ऐतिहासिक अभिलेखों और लोककथाओं के अनुसार, पौलुस सहित लगभग सभी प्रेरित शहीद हो गए। कहा जाता है कि पतरस को वेटिकन हिल पर उल्टा सूली पर चढ़ाया गया था। और प्रारंभिक कलीसिया के अगुवे, पॉलीकार्प सहित, और कई अन्य संतों को जब जलाकर मार दिया जा रहा था तब भी वे परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे। ऐसी चीजें संभव नहीं होतीं यदि परमेश्वर ने अपने संतों को मजबूत नहीं किया होता।
इस समय में भी जितने विश्वासयोग्य संत है, वैसे ही उनके विश्वास के साथ विश्वासघात करने वाले भी थे। ओरिजन, एक धर्मशास्त्री, जिसे आज के धर्मशास्त्रियों द्वारा अत्यधिक सम्मान दिया जाता है, वह ऐसा व्यक्ति था जिसने सीधे प्रेरितों से सुसमाचार सुना। फिर भी जब उनकी शहादत का समय आया, तो वे इससे बच गए, उनकी जान बच गई थी लेकिन उनके साथी संत शहीद हो गए थे। यह संभव नहीं होता यदि यीशु ने उसके लिए जो कुछ भी किया था, उसे उसने अस्वीकार नहीं किया होता। इस प्रकार ओरिजन उन लोगों का प्रतिनिधि था जिन्होंने यीशु की दिव्यता को नकार दिया था। लेकिन उसके विश्वासघात के बावजूद, आज के धर्मशास्त्री उसे सबसे प्रसिद्ध धर्मशास्त्रियों में सबसे ऊपर रखते हैं।
ओरिजन शहादत से क्यों बच गए जबकि अन्य संतों ने इसे गले लगा लिया? ऐसा इसलिए नहीं था क्योंकि ओरिजन की इच्छाशक्ति कमजोर थी जबकि अन्य शहीद संतों की इच्छाशक्ति मजबूत थी। जो संत परमेश्वर की स्तुति करते हुए शहीद हुए थे, उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे उस पर विश्वास करते थे जिसके बारे में पौलुस ने कहा था—अर्थात, “इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं।” दूसरे शब्दों में, वे अपनी वर्तमान पीड़ा को सहन कर सकते थे, क्योंकि वे परमेश्वर के वायदे के वचन में विश्वास करते थे कि वह उन्हें पुनरुत्थित करेगा और उन्हें रेप्चर करेगा, और उन्हें अपना हजार साल का राज्य देगा। 
हमें स्पष्ट रूप से समझना चाहिए कि शहादत हमारे पास आएगी। जो लोग इस तथ्य के स्पष्ट ज्ञान के साथ विश्वास का जीवन जीते हैं, वे बाकी लोगों से अलग हैं। जो लोग मानते हैं कि प्रारंभिक कलीसिया युग के शहीद संतों की तस्वीर उनकी अपनी तस्वीर है, उनके पास विश्वास का जीवन हो सकता है जो मजबूत, सम्मानजनक और साहसी हो, क्योंकि बाइबल के सभी वचन उनकी अपनी कहानी होंगे। वे हमेशा उस विश्वास के साथ जीते हैं जो शहादत को गले लगा सकता है—अर्थात, वे हमेशा इस विश्वास के साथ जीते हैं कि उनकी शहादत के बाद, परमेश्वर उन्हें उनका पुनरुत्थान और रेप्चर, और नया स्वर्ग और पृथ्वी देगा जिसकी उन्होंने पहले से योजना बनाई और उनके लिए तैयार किया है। 
जो लोग इस पर विश्वास करते हैं वे हमेशा विश्वास का एक साहसिक जीवन जी सकते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उनका विश्वास उन्हें उनके अंत के लिए तैयार करता है, जब वे परमेश्वर की स्तुति करते हुए मरने में सक्षम होंगे। और क्योंकि यह केवल सिद्धांत का एक साधारण मामला नहीं है, बल्कि वास्तविक विश्वास का है, जो लोग इस वचन और सुसमाचार में पूरी तरह से विश्वास नहीं करते हैं, वे हमें पहले मसीह विरोधी को बेच देंगे। यही कारण है कि, एक बार जब आप और मैं यह समझते हैं कि हमें शहीद होना है, तो परमेश्वर की कलीसिया में हमारे भाई और बहनें, जो हमारे समान विश्वास रखते हैं और हमेशा हमारे साथ रहेंगे यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। परमेश्वर के सेवक, उसके लोग और उसकी कलीसिया—ये सभी हमारे लिए भी अनमोल हैं।
प्रारंभिक युग की कलीसिया के संतों का विश्वास हम में से जो अब अंत समय में रहते हैं उनसे भी अधिक दृढ और निश्चित था। वे अपनी शहादत में, अपने पुनरुत्थान और रेप्चर में, और हजार साल के राज्य और नए स्वर्ग और पृथ्वी में विश्वास करते थे। यही कारण है कि उन्होंने अपने विश्वास के जीवन को ऐसे जिया जैसे कि वे वास्तव में महान क्लेश के समय में जी रहे थे, जैसे कि प्रभु की वापसी निकट थी। इसलिए जब हम जो क्लेश के युग के निश्चित आगमन के युग में रहते हैं, उनके बारे में पढ़ते हैं, तो उनकी कहानियाँ हमें यथार्थवादी और जीवंत रूप में आकर्षित करती हैं, क्योंकि वे भी, महान क्लेश, उनकी शहादत, पुनरुत्थान और रेप्चर के परमेश्वर के सभी वचनों को जानते और विश्वास करते थे।
चूँकि हम वास्तव में अपनी आँखों के ठीक सामने आने वाले अंत समय के साथ अपना जीवन जीते हैं, हमें अपने दिलों में शहादत के अपने विश्वास को मजबूती से तैयार करना चाहिए। जो कोई भी मसीह के पानी और लहू में विश्वास करता है शैतान उसे चुनौती देगा, उनके विश्वास को झुकाने की कोशिश करेगा। शैतान की इस चुनौती के सामने आत्मसमर्पण नहीं करने के लिए, हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार को अपने दिलों से बांधना चाहिए, नए स्वर्ग और पृथ्वी के लिए अपनी आशा के साथ एक बार फिर इसकी जांच करनी चाहिए, और हमारी शहादत के क्षण तक यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारा यह विश्वास ढीला न हो। 
प्रारंभिक युग की कलीसिया के संतों ने अपने विश्वास का बचाव किया उसका कारण यह है कि वे क्लेश, अपनी शहादत, पुनरुत्थान और रेप्चर के बारें में पवित्रशास्त्र के सभी वचन को जानते और विश्वास करते थे। आप और मैं भी शहीद होंगे। मैं मर जाऊंगा, और आप भी —हम सब अपने विश्वास की रक्षा के लिए मरेंगे। शायद मैं पहला व्यक्ति होगा जिसे घसीटा और मारा जाएगा। यह अपने आप में एक भयानक संभावना के रूप में प्रकट हो सकता है, लेकिन अंत में डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि शहादत से बचने का तार्किक निष्कर्ष हमारे विश्वास को नकारना होगा, कुछ ऐसा जो हम बिल्कुल नहीं कर सकते।
आखिरकार, हमारी शहादत के माध्यम से परमेश्वर की महिमा होनी है, और उन्होंने इसे हमारे भाग्य के रूप में निर्धारित किया है। तो यह एक ऐसी चीज है जिससे हमें कम से कम एक बार अवश्य गुजरना चाहिए। चूँकि हम इससे गुजरने से न तो बच सकते हैं और न ही दूर रह सकते हैं, आइए हम इसके बजाय पूरी ताकत से दौड़ें और साहसपूर्वक उस का सामना करे। हमारे पास राजा का अधिकार है जो किसी और के पास नहीं है, और हमारे पास अनन्त आशीषों की हमारी आशा भी है। इस प्रकार, हम हमेशा परमेश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं कि वह हमें मजबूत करे, और उसे और भी अधिक महिमा दे। अपनी शहादत से डरे बिना विश्वास करने से हमें और भी बड़ा आनंद मिलेगा। यह परमेश्वर के लिए एक महान महिमा है, और हमारे लिए एक महान आशीर्वाद है।
परमेश्वर ने प्रकाशितवाक्य की पुस्तक को संतों की शहादत, पुनरुत्थान और रेप्चर, हजार साल के राज्य और नए स्वर्ग और पृथ्वी के बारे में हमसे बात करने के लिए लिखा था। इसलिए, यदि आपके पास प्रकाशितवाक्य का सही ज्ञान है, तो आप इस नाश होते संसार में अपना विश्वास का जीवन जी सकते हैं। प्रकाशितवाक्य में लिखे गए नए स्वर्ग और पृथ्वी के मार्ग पर जल और आत्मा के सुसमाचार के बिना यात्रा नहीं की जा सकती है। और शहादत से गुजरे बिना इस विश्वास की पुष्टि नहीं की जा सकती। इसलिए, मैं आशा और प्रार्थना करता हूं, कि आप अपने विश्वास को अपने दिल से मजबूती से बांधेंगे, यह विश्वास करते हुए कि आप सुसमाचार को धोखा नहीं देंगे बल्कि समय आने पर शहीद हो जाएंगे, और अपने विश्वास के साथ आगे बढ़ेंगे। तब आपके विश्वास का जीवन उसी क्षण से काफी बदल जाएगा।
हम शैतान के जाल में फंस कर व्यर्थ में नहीं मरेंगे। हमारे दिलों में पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण करते हुए, हम अपने विश्वास की रक्षा के लिए मरेंगे। यही शहादत है। हमारी शहादत का दिन जरूर आएगा। लेकिन हम इससे डरते नहीं हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि भले ही हमारे शरीर शैतान द्वारा मारे जाएंगे, लेकिन परमेश्वर जल्द ही हमें हमारे नए, महिमामय शरीर में फिर से जीवित कर देगा। हम यह भी जानते हैं कि हमारी शहादत के बाद शीघ्र ही हमारा पुनरुत्थान और रेप्चर होगा, और उस समय से जो कुछ भी हमारी प्रतीक्षा कर रहा है वह है हजार साल के राज्य में शासन करना और स्वर्ग में हमारे अनंत राज्य की आशीष।
बहुत पहले, रोमन सम्राट नीरो ने शहर के पुनर्निर्माण के लिए रोम में आग लगा दी थी। जब रोमन नागरिक इस पर उग्र हो गए, तो उन्होंने मसीहीयों पर आग लगाने का आरोप लगाया और उनका अंधाधुंध नरसंहार किया। इसी तरह, जब महान क्लेश के दौरान दुनिया पर प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं, तो मसीह विरोधी उन सभी विपत्तियों के लिए संतों को दोषी ठहराएगा, हम पर झूठा आरोप लगाएगा और हमें मार डालेगा। 
इसलिए, हमें अब से परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें शहादत का विश्वास दे, वह विश्वास जिसके साथ हम मर सकते हैं। यदि हम अपने विश्वास को नहीं छोड़ते हैं और शहीद हो जाते हैं, तो परमेश्वर की महिमा प्रकट होगी। लेकिन यदि हम अपने विश्वास को छोड़ देते हैं, मसीह विरोधी के सामने आत्मसमर्पण करते हैं, और उसे परमेश्वर के रूप में स्वीकार करते हैं, तो हमें अनन्त आग में डाल दिया जाएगा। दुसरे शब्दों में, यदि हम उस विश्वास के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं जिसके साथ हम मसीह विरोधी पर जय प्राप्त कर सकते हैं तो हमारा परमेश्वर हमें शक्ति और सामर्थ देगा, लेकिन यदि हमने हमारे दिलों को स्थिर नहीं किया और हमारे विश्वास को धोखा दिया, तो परमेश्वर के पास हमें देने के लिए केवल नरक होगा .
मैं आपको कोरियाई युद्ध की एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ। उत्तर कोरियाई सैनिक दक्षिणी ग्रामीण इलाकों के एक कलीसिया में आए, जहां चुडल बे नाम का एक डिकन इसकी देखभाल कर रहा था। यह देखकर कि कलीसिया गन्दी थी, एक हमलावर सिपाही ने डिकन को इसे साफ करने के लिए कहा। लेकिन इस डीकन ने ऐसा करने से इनकार करते हुए कहा कि उसे प्रभु के दिन को पवित्र रखना है। सिपाहियों ने अधीर होकर उसे पूरी मण्डली के ठीक सामने यार्ड की सफाई नहीं करने पर जान से मारने की धमकी दी। लेकिन डीकन ने यह कहते हुए मना करना जारी रखा कि उसे अपने विश्वास की रक्षा करनी है, और अंततः उसे मार दिया गया। बाद में कुछ मसीहीयों ने उनकी मृत्यु को शहादत कहा है, लेकिन यह शहादत नहीं है। क्यों? क्योंकि शहादत भले काम के लिए मरना है—अर्थात परमेश्वर की महिमा को प्रकट करने के लिए। परमेश्वर के बहाने अपनी जिद के लिए मरना शहादत से कोसों दूर है।
क्या हम उस उद्धार के प्रेम को त्याग सकते हैं जो परमेश्वर ने हमें दिया है? हमारे दोषों और पापों के कारण, यीशु मसीह ने अपने बपतिस्मा के साथ हमारे सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया और उन्हें क्रूस पर मार दिया गया। यदि हम मृत्यु तक अपने प्रभु के इस प्रेम के प्रति पूर्ण समर्पण करते हैं, तो हम मृत्यु के साथ नाश होने वाले देह के बजाए हमें नया स्वर्ग और पृथ्वी देनेवाले सुसमाचार को थाम कर रखेंगे। हम इस दुनिया में पैदा हुए थे ताकि बचाए जा सकें, इस पृथ्वी पर सभी को उद्धार के सुसमाचार का प्रचार कर सकें, और प्रचार करते हुए मर सकें। यह मत भूलो कि पाप की क्षमा प्राप्त करने वाले संतों का भाग्य, अर्थात्, हमारा अपना भाग्य विश्वास से जीना है और उस महिमा के लिए शैतान के विश्वास की चुनौती को दूर करने के लिए शहीद होना है जो परमेश्वर हमें प्रदान करेगा।
हममें इतनी कमियाँ हैं और हम इतने दोषों से भरे हुए हैं कि हम किसी भी चीज़ से परमेश्वर की महिमा नहीं कर सकते। हम जैसे लोगों के लिए, परमेश्वर ने हमें प्रभु की महिमा करने का अवसर दिया है, और यह कुछ ओर नहीं बल्कि शहादत है। इसे टालें नहीं। आइए हम उस परमेश्वर में विश्वास करें जो क्लेश के समय को कम करेगा यदि हम उसे पुकारे, और नए स्वर्ग और पृथ्वी की विरासत के लिए अपनी आशा को धारण करके, आइए हम अपने क्षणिक दुख को दूर करें जो जल्दी समाप्त हो जाएगा। आइए हम यह विश्वास करके अपना जीवन जिए कि प्रभु उन लोगों को बहुत अधिक दुख नहीं देगा जो विश्वासयोग्यता से उसके लिए जीते हैं, और न ही उन्हें ऐसा कुछ भी करने की अनुमति देते हैं जो उनके विश्वास को धोखा दे, लेकिन वह उनकी रक्षा करेगा और उन्हें और भी अधिक अनुग्रह प्रदान करेगा। .
यह समझते हुए कि हमें शहीद होना है, हमें कठिनाई का सामना करने, कष्ट सहने और प्रभु के लिए परिश्रम करने के अनुभव की आवश्यकता है। ऐसी बातों के माध्यम से, हम प्रभु के साथ चलने के अनुभव के माध्यम से अपना विश्वास बढ़ाएंगे, और जब अंत समय आएगा, तो हम प्रभु द्वारा दी गई सामर्थ से अपनी शहादत का सामना करने में सक्षम होंगे। यदि हम प्रभु के लिए पीड़ा, उनकी भक्ति, या उनके लिए श्रम और बलिदान का कोई अनुभव किए बिना जीवन जाते हैं, तो जब हमारी शहादत का समय महान क्लेश के आगमन के साथ आएगा, तो भय हम पर हावी हो जाएगा। केवल वही जो पहले पीड़ा सह चुके हैं और उस पर जय प्राप्त कर चुके हैं, वे ही एक बार फिर अपनी पीड़ा को हरा सकते हैं। 
मैं परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आपका विश्वास का जीवन प्रभु के लिए कष्ट और उस पर विजय का हो, और जब शहादत का पल आए, तो आप भी उन विश्वासियों में से होंगे जो अपने दिलों को याद दिला सके और अपने होंठो से कबूल कर सके कि ये सब चीजें उनकी अपनी महिमा हैं जो उन्हें परमेश्वर के आशीष और अनुग्रह के माध्यम से दी गई हैं। 
यदि आप अपने विश्वास के साथ स्वर्ग के राज्य को लेना चाहते हैं, तो नया स्वर्ग और पृथ्वी निश्चित रूप से आपका होगा। परमेश्वर चाहता है कि सभी मनुष्य उद्धार पाएं और सत्य को जानें (१ तीमुथियुस २:४)।