( प्रकाशितवाक्य १४:१-२० )
फिर मैं ने दृष्टि की, और देखो, वह मेम्ना सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है, और उसके साथ एक लाख चौवालीस हज़ार जन हैं, जिनके माथे पर उसका और उसके पिता का नाम लिखा हुआ है। और स्वर्ग से मुझे एक ऐसा शब्द सुनाई दिया जो जल की बहुत धाराओं और बड़े गर्जन का सा शब्द था, और जो शब्द मैं ने सुना वह ऐसा था मानो वीणा बजानेवाले वीणा बजा रहे हों। वे सिंहासन के सामने और चारों प्राणियों और प्राचीनों के सामने एक नया गीत गा रहे थे। उन एक लाख चौवालीस हज़ार जनों को छोड़, जो पृथ्वी पर से मोल लिये गए थे, कोई वह गीत न सीख सकता था। ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं। उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं। फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिसके पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था। उसने बड़े शब्द से कहा, “परमेश्वर से डरो, और उसकी महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है; और उसका भजन करो, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए।” फिर इसके बाद एक और, दूसरा, स्वर्गदूत यह कहता हुआ आया, “गिर पड़ा, वह बड़ा बेबीलोन गिर पड़ा, जिसने अपने व्यभिचार की कोपमय मदिरा सारी जातियों को पिलाई है।” फिर इनके बाद एक और, तीसरा, स्वर्गदूत बड़े शब्द से यह कहता हुआ आया, “जो कोई उस पशु और उसकी मूर्ति की पूजा करे, और अपने माथे या अपने हाथ पर उसकी छाप ले वह परमेश्वर के प्रकोप की निरी मदिरा, जो उसके क्रोध के कटोरे में डाली गई है, पीएगा और पवित्र स्वर्गदूतों के सामने और मेम्ने के सामने आग और गन्धक की पीड़ा में पड़ेगा। उनकी पीड़ा का धुआँ युगानुयुग उठता रहेगा, और जो उस पशु और उसकी मूर्ति की पूजा करते हैं, और जो उसके नाम की छाप लेते हैं, उनको रात दिन चैन न मिलेगा।” पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विश्वास रखते हैं। फिर मैं ने स्वर्ग से यह शब्द सुना, “लिख: जो मृतक प्रभु में मरते हैं, वे अब से धन्य हैं।” आत्मा कहता है, “हाँ, क्योंकि वे अपने सारे परिश्रम से विश्राम पाएँगे, और उनके कार्य उनके साथ हो लेते हैं।” मैं ने दृष्टि की, और देखो, एक उजला बादल है, और उस बादल पर मनुष्य के पुत्र सरीखा कोई बैठा है, जिसके सिर पर सोने का मुकुट और हाथ में चोखा हँसुआ है। फिर एक और स्वर्गदूत ने मन्दिर में से निकलकर उससे, जो बादल पर बैठा था, बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “अपना हँसुआ लगाकर लवनी कर, क्योंकि लवने का समय आ पहुँचा है, इसलिये कि पृथ्वी की खेती पक चुकी है।” अत: जो बादल पर बैठा था उसने पृथ्वी पर अपना हँसुआ लगाया, और पृथ्वी की लवनी की गई। फिर एक और स्वर्गदूत उस मन्दिर में से निकला जो स्वर्ग में है, और उसके पास भी चोखा हँसुआ था। फिर एक और स्वर्गदूत, जिसे आग पर अधिकार था, वेदी में से निकला, और जिसके पास चोखा हँसुआ था उससे ऊँचे शब्द से कहा, “अपना चोखा हँसुआ लगाकर पृथ्वी की दाखलता के गुच्छे काट ले, क्योंकि उसकी दाख पक चुकी है।” तब उस स्वर्गदूत ने पृथ्वी पर अपना हँसुआ लगाया और पृथ्वी की दाखलता का फल काटकर अपने परमेश्वर के प्रकोप के बड़े रसकुण्ड में डाल दिया; और नगर के बाहर उस रसकुण्ड में दाख रौंदे गए, और रसकुण्ड में से इतना लहू निकला कि घोड़ों की लगामों तक पहुँचा, और सौ कोस तक बह गया।
विवरण
वचन १: फिर मैं ने दृष्टि की, और देखो, वह मेम्ना सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है, और उसके साथ एक लाख चौवालीस हज़ार जन हैं, जिनके माथे पर उसका और उसके पिता का नाम लिखा हुआ है।
यह नया जन्म पाए हुए संतों के बारे में है, जिन्हें मसीह विरोधी द्वारा उनकी शहादत के बाद स्वर्ग में प्रभु की स्तुति करते हुए पुनरुत्थित और रेप्चर किया जाएगा। जो संत मसीह विरोधी के द्वारा शहीद हुए और जो संत मर गए थे वे अब एक नए गीत के साथ प्रभु की स्तुति करते हुए स्वर्ग में होंगे। वचन ४ में हम देखते हैं कि १,४४,००० ने इस नए गीत को गाया। तो फिर, आपको आश्चर्य हो सकता है कि क्या रेप्चर हुए लोगों की संख्या केवल १,४४,००० होगी। परन्तु यहाँ संख्या १४ का अर्थ है कि सब कुछ बदल गया है (मत्ती १:१७)।
हमें यह समझना चाहिए कि संतों की शहादत और रेप्चर के बाद, प्रभु इस वर्तमान दुनिया को एक पूरी नई दुनिया में बदल देंगे। इस दुनिया के बजाय, हमारा परमेश्वर एक ऐसी दुनिया का निर्माण करेगा जिसमें वह अपने लोगों के साथ रहेगा। यह सृष्टिकर्ता की इच्छा है।
जो लोग स्वर्ग में प्रभु की स्तुति करते हैं वे वो लोग हैं जो इस पृथ्वी पर रहते हुए मसीह द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके संत बन गए हैं। इस प्रकार, उनके माथे पर मेम्ने और पिता के नाम लिखे हुए हैं, क्योंकि वे अब मसीह के हैं।
वचन २: और स्वर्ग से मुझे एक ऐसा शब्द सुनाई दिया जो जल की बहुत धाराओं और बड़े गर्जन का सा शब्द था, और जो शब्द मैं ने सुना वह ऐसा था मानो वीणा बजानेवाले वीणा बजा रहे हों।
स्वर्ग में संत वे हैं जो प्रभु द्वारा दिए गए अपने उद्धार की रक्षा करने के लिए शहीद हुए थे और इस तथ्य में उनका विश्वास था कि केवल प्रभु ही उनके परमेश्वर हैं, और जो उसके बाद पुनरुत्थित हुए थे। क्योंकि उनके शरीर को पुनरुत्थित किया गया था और वे प्रभु की सामर्थ से रेप्चर किए गए थे, वे स्वर्ग में परमेश्वर के उद्धार और उन्हें अधिकार देने के परमेश्वर के आशीर्वाद के लिए उनकी स्तुति कर रहे हैं। उनकी स्तुति का शब्द जल की बहुत धाराओं और बड़े गर्जन का सा था। इस पृथ्वी पर रहते हुए प्रभु के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा उन्हें उनके पापों से छूटकारा देने के द्वारा अनंतकाल तक उन्हें उद्धार मिला।
वचन ३: वे सिंहासन के सामने और चारों प्राणियों और प्राचीनों के सामने एक नया गीत गा रहे थे। उन एक लाख चौवालीस हज़ार जनों को छोड़, जो पृथ्वी पर से मोल लिये गए थे, कोई वह गीत न सीख सकता था।
यहाँ १,४४,००० लोग रेप्चर हुए संतों का उल्लेख करते हैं। बाइबिल में, संख्या १४ का अर्थ एक नया परिवर्तन है। जो लोग स्वर्ग में एक नए गीत के साथ प्रभु की स्तुति कर सकते हैं वे वो लोग हैं जो इस पृथ्वी रहते हुए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा पाप की क्षमा और नया जन्म प्राप्त करने के द्वारा बदल गए है।
उनके अलावा, कोई और नहीं है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार के माध्यम से छुटकारे की आशीष के लिए प्रभु की स्तुति कर सकता है। इस प्रकार हमारे प्रभु की स्तुति उनके द्वारा की जा रही है जिनके पापों को पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा क्षमा किया गया है और जिन्होंने पवित्र आत्मा को उनके उपहार के रूप में प्राप्त किया है।
वचन ४: ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं।
संत वे हैं जिन्होंने किसी सांसारिक शक्ति या धर्म से अपने विश्वास को अपवित्र नहीं किया है। इस दुनिया में बहुत से लोग हैं जो आसानी से अपना विश्वास बदल लेते हैं। लेकिन जो लोग प्रभु के बपतिस्मा और क्रूस पर उनके लहू में विश्वास करके और इस प्रकार अपने पापों की क्षमा प्राप्त करके संत बन गए हैं, उनके विश्वास को इस दुनिया में कभी भी किसी भी चीज़ के लिए नहीं बदला जा सकता है।
वे संत जो स्वर्ग में उठाए जाते हैं और प्रभु की स्तुति करते हैं, उन्होंने अपरिवर्तनीय रूप से प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार का पालन किया है और अपने विश्वास की रक्षा की है। इसी प्रकार, जो लोग स्वर्ग के राज्य में प्रभु की स्तुति कर सकते हैं वे वो लोग हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में अपने विश्वास के लिए प्रभु द्वारा रेप्चर किए जाते हैं।
वचन ४ के मध्य में लिखा है, “ये वे ही है कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते है।” आपको यह समझना चाहिए कि जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में अपने विश्वास के द्वारा एक ही बार में अपने सभी पापों से शुद्ध हो गए हैं, उन्हें इस प्रकार नया जन्म प्राप्त करने के बाद, जहां कहीं प्रभु उन्हें ले जाता है, प्रभु का अनुसरण करना चाहिए। क्योंकि उन्होंने अपने पापों की क्षमा प्राप्त कर ली है, उनके दिलों में खुशी के साथ प्रभु उन्हें जहाँ कहीं भी ले जाए उसका अनुसरण करने की इच्छा पाई जाती है। अंत के समय में, वे इसलिए स्वर्ग में प्रभु की स्तुति कर रहे होंगे, क्योंकि उनके विश्वास के साथ वे मसीह विरोधी द्वारा शहीद हो गए थे, और प्रभु द्वारा पुनरुत्थित और रेप्चर किए गए थे।
यह भी लिखा है, “ये तो परमेश्वर के निमित पहले फल होनर के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए है।” इस दुनिया में रहने वाले अनगिनत लोगों में से, केवल कुछ मुट्ठी भर लोग प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा उनके सभी पापों से बचाए गए है। इसलिए हमारा प्रभु यिर्मयाह ३:१४ में कहता है, “तुम्हारे प्रत्येक नगर पीछे एक, और प्रत्येक कुल पीछे दो को लेकर मैं सिय्योन में पहुँचा दूँगा।” जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार को प्राप्त किया है और अपने पापों की क्षमा प्राप्त की है, वे थोड़े ही हैं।
क्योंकि वे मेमने के हैं, वे वही होंगे जो पुनरुत्थान के पहले फल प्राप्त करते हैं, जो प्रभु की सामर्थ से रेप्चर होते हैं, और जो हमेशा के लिए मसीह की स्तुति करते हैं, जैसा कि प्रभु ने वायदा किया था। इस पृथ्वी पर भी, वही लोग हैं जो प्रभु उन्हें जहाँ कहीं भी ले जाए उनका अनुसरण करते हैं। ये सब परमेश्वर की कृपा और सामर्थ से हैं।
वचन ५: उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं।
जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके नया जन्म प्राप्त किया है, वे अपने मुंह से इस सच्चे सुसमाचार का प्रचार कर सकते हैं। जबकि आज बहुत से लोग हैं जो अपने तरीके से सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं, यह भी सच है कि उनमें से केवल कुछ मुट्ठी भर ही वास्तव में पानी और आत्मा के सच्चे सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं।
जो लोग केवल क्रूस पर के यीशु के लहू का प्रचार करते हैं, वे प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार नहीं कर रहे हैं। क्यों? क्योंकि कोई अन्य सुसमाचार नहीं है बल्कि पानी आर आत्मा का सुसमाचार ही बाइबल का सच्चा सुसमाचार है। जैसा कि सच्चे सुसमाचार के वचन के द्वारा धर्मी लोगों के दिलों के सभी पापों को दूर कर दिया गया है, वे पूरे विश्वास के साथ अपने मुंह से इस सुसमाचार का प्रचार कर सकते हैं।
वचन ६-७: फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिसके पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था। उसने बड़े शब्द से कहा, “परमेश्वर से डरो, और उसकी महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है; और उसका भजन करो, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए।”
नया जन्म पाए हुए संतों को इस पृथ्वी पर पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करते रहना चाहिए। इसलिए पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करने का यह कार्य इस पृथ्वी पर संतों के रेप्चर के दिन तक जारी रहना चाहिए।
केवल वे लोग जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं वे अपने विश्वास की रक्षा के लिए मसीह विरोधी द्वारा शहीद होंगे, और इस प्रकार वे अकेले ही स्वर्ग के राज्य में ऊपर उठाए जाएंगे। प्रत्येक व्यक्ति को परमेश्वर का भय मानना चाहिए, पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करना चाहिए, और इस प्रकार अपने पापों की क्षमा और पवित्र आत्मा को उनके उपहार के रूप में प्राप्त करना चाहिए। यदि आज के मसीही प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने में असमर्थ हैं, तो उनका यीशु में विश्वास व्यर्थ होगा।
जिसने पूरे ब्रह्मांड और उसमें सभी चीजों को बनाया वह कोई और नहीं बल्कि यीशु मसीह है। इस प्रकार, मनुष्य जाति को यीशु मसीह को अपने परमेश्वर के रूप में पहचानना चाहिए जिसने उन्हें बनाया और उन्हें उनके पापों की क्षमा के साथ उनका उद्धार दिया, और इस प्रकार उनकी आराधना करें, क्योंकि उनके हाथों से सभी चीजें बनाई गईं और पूरी की गईं। अपने ह्रदय में परमेश्वर के पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा सभी लोगों को उनके सभी पापों से क्षमा किया जा सकता है और पवित्र आत्मा को उपहार के रूप में प्राप्त करने का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
इस संसार को अब उस न्याय को प्राप्त करने के लिए तैयार होना चाहिए जो यीशु मसीह उन लोगों पर लाएगा जो परमेश्वर के विरुद्ध खड़े होते हैं। बेशक, हमें अपने विश्वास को भी तैयार करना चाहिए जो जल्द ही प्रभु द्वारा रेप्चर किया जाएगा, क्योंकि परमेश्वर के न्याय का दिन हमारे निकट है। रेप्चर की तैयारी करने का तरीका प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करना है। क्यों? क्योंकि केवल उसके पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने से ही व्यक्ति पवित्र आत्मा प्राप्त कर सकता है, और, जब अंत के दिन आएंगे, तो वे प्रभु द्वारा उनके रेप्चर में हवा में उठाये जाने की महिमा को धारण करेंगे ।
इसलिए जितनी जल्दी हो सके, सभी पापियों को यीशु मसीह को सृष्टि और उद्धार के परमेश्वर के रूप में विश्वास करना चाहिए, और उसी के अनुसार उसकी आराधना करनी चाहिए। उन्हें अपने दिलों में पानी और आत्मा के सुसमाचार को स्वीकार करना चाहिए, और इस प्रकार उनके छुटकारे और पवित्र आत्मा की कृपा को उनके उपहार के रूप में प्राप्त करना चाहिए। जो परमेश्वर की आराधना करते हैं, वे अपने हृदयों में प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार को ग्रहण करते हैं और इसे अस्वीकार नहीं करते हैं, क्योंकि वे इसी रीती से परमेश्वर की आराधना कर सकते हैं।
वचन ८: फिर इसके बाद एक और, दूसरा, स्वर्गदूत यह कहता हुआ आया, “गिर पड़ा, वह बड़ा बेबीलोन गिर पड़ा, जिसने अपने व्यभिचार की कोपमय मदिरा सारी जातियों को पिलाई है।”
यीशु मसीह के भयानक न्याय से यह संसार लुप्त हो जाएगा। क्योंकि इसके धर्म मौलिक रूप से झूठी शिक्षाओं से बने हैं, इसलिए इसे परमेश्वर द्वारा नष्ट कर दिया जाएगा। इन सांसारिक धर्मों ने लोगों को स्वयं परमेश्वर से अधिक दुनिया का अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया है, और उन्हें परमेश्वर के खिलाफ खड़े होने के साधन के रूप में इस्तेमाल किया है। इस प्रकार यह संसार नष्ट हो जाएगा, क्योंकि इसके लोगों ने परमेश्वर को छोड़ दिया है और ऐसे सांसारिक धर्मों की लालसा की है।
उन्होंने सांसारिक धर्मों का अनुसरण किया है, इसका मतलब है कि उन्होंने झूठे देवताओं, दुष्टात्माओं का अनुसरण किया है। इसलिए परमेश्वर अपने क्रोध से इस संसार को नष्ट कर देगा। इस संसार की हर एक वस्तु और उसके सब झूठे धर्म परमेश्वर के द्वारा नाश किए जाएंगे, और परमेश्वर के क्रोध का दाखरस पीएंगे। इसी प्रकार, जो लोग परमेश्वर के खिलाफ खड़े होते हैं वे, साथ ही दुष्टात्मा जो सांसारिक धर्मों से जुड़े परजीवी की तरह रहते हैं, वे सभी परमेश्वर की विपत्तियों से नाश किए जाएंगे और अनन्त नरक में फेंक दिए जाएंगे।
वचन ९-१०: फिर इनके बाद एक और, तीसरा, स्वर्गदूत बड़े शब्द से यह कहता हुआ आया, “जो कोई उस पशु और उसकी मूर्ति की पूजा करे, और अपने माथे या अपने हाथ पर उसकी छाप ले वह परमेश्वर के प्रकोप की निरी मदिरा, जो उसके क्रोध के कटोरे में डाली गई है, पीएगा और पवित्र स्वर्गदूतों के सामने और मेम्ने के सामने आग और गन्धक की पीड़ा में पड़ेगा।
परमेश्वर यहां सभी को चेतावनी देते हुए कहते हैं कि यदि कोई पशु और उसकी छवि की पूजा करता है, या दाहिने हाथ या माथे पर उसका निशान प्राप्त करता है, तो उसे नरक का दण्ड मिलेगा। कई लोगों के माध्यम से काम करते हुए, शैतान पूरी मनुष्य जाति को मसीह विरोधी के स्वरुप में बनाई गई मूर्ति की पूजा करने के लिए मजबूर करेगा, लेकिन जो लोग नया जन्म पाए हुए है वे मसीह विरोधी के खिलाफ लड़ेंगे और अपने विश्वास की रक्षा के लिए शहीद हो जाएंगे। नए जन्म पाए हुए संतों को, अपने विश्वास की रक्षा के लिए, इस प्रकार मसीह विरोधी के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और शहीद होना चाहिए।
यदि कोई मसीह विरोधी के सामने आत्मसमर्पण करता है, उसकी मूर्ति के सामने झुक जाता है और उसके नाम या संख्या का चिह्न प्राप्त करता है, तो वह परमेश्वर के क्रोध को प्राप्त करेगा जो उसे आग और गंधक की अनन्त झील में फेंक देगा। जब क्लेश का समय आएगा तब संतों को परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए, प्रभु में अपने विश्वास की रक्षा करनी चाहिए, और अपनी आशा को परमेश्वर के राज्य में रखना चाहिए। और यीशु मसीह में विश्वास करके, उन्हें मसीह विरोधी के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और अपने विश्वास की रक्षा करनी चाहिए, अपनी शहादत, पुनरुत्थान और रेप्चर में शामिल होना चाहिए, और इस प्रकार प्रभु के साथ उनके राज्य में रहने का अनन्त आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
वचन ११: उनकी पीड़ा का धुआँ युगानुयुग उठता रहेगा, और जो उस पशु और उसकी मूर्ति की पूजा करते हैं, और जो उसके नाम की छाप लेते हैं, उनको रात दिन चैन न मिलेगा।
जो लोग शैतान को परमेश्वर के रूप में पूजते हैं, उन्हें परमेश्वर की विपत्तियाँ और अनन्तकाल की नरक की पीड़ा दी जाएगी। जो कोई भी अंत के समय में मसीह विरोधी के सामने आत्मसमर्पण करता है और परमेश्वर के रूप में उसकी मूर्ति की पूजा करता है, उसे परमेश्वर के क्रोध से भरी आग और गंधक की झील में डाल दिया जाएगा। हम सभी को यह विश्वास करना चाहिए कि जो कोई भी पशु और उसकी मूर्ति का अनुसरण करता है, और जो कोई भी पशु के नाम की छाप लेता है, उनको दिन-रात चैन न मिलेगा।
वचन १२: पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विश्वास रखते हैं।
जैसा कि संतों ने परमेश्वर के सभी धन, महिमा और आशीर्वाद के वायदों में विश्वास किया है, उन्हें धैर्य में बने रहना चाहिए। उन्हें क्लेश के समय में भी दृढ़ रहना चाहिए। प्रभु ने अंत समय के संतों से जो वायदा किया है वह यह है कि वह उन्हें उनकी शहादत के बाद उनके साथ रहने का आशीर्वाद देंगे, वे प्रभु की सामर्थ से उनके पुनरुत्थान के साथ स्वर्ग में ऊपर उठा लिए जाएंगे। .
संत इस प्रकार दृढ़ रहते हैं क्योंकि वे इस आशीर्वाद में विश्वास करते हैं जो उन्हें प्रभु के साथ मेमने के विवाह भोज में प्रवेश करने, उसके साथ एक हजार वर्षों तक शासन करने और हमेशा स्वर्ग के राज्य में उसके साथ रहने की अनुमति देगा। जब अंत का समय आता है, तो संतों को अपने विश्वास की रक्षा के लिए शहीद होने की आवश्यकता होती है। उन्हें उस समय के सभी क्लेशों को धैर्य से सहना होगा।
जो संत अभी वर्तमान युग में जी रहे हैं उन्हें जब मसीह विरोधी अपनी धमकियों, दबावों और प्रलोभनों से यह माँग करे की वे अपने विश्वास को त्याग दे तब उन्हें प्रभु के वायदों पर विश्वास करते हुए, अपनी शहादत को गले लगाना चाहिए’। क्यों? क्योंकि कुछ ही समय बाद, हमारे प्रभु की सारी आशीषें पूरी होंगी जैसे उसने हमसे वायदा किया था। परमेश्वर के वचन और प्रभु में विश्वास रखने से ही सभी संत अपना पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, प्रभु के वचन में अपना विश्वास बनाए रखें। परमेश्वर नई दुनिया में उन संतों का स्वागत करेगा जिन्होंने इस प्रकार परमेश्वर के वचन और यीशु मसीह में अपने विश्वास की रक्षा की है।
बहुत सारे कारण हैं कि क्यों प्रभु के सुसमाचार की सेवा करने वाले संतों को क्लेश के समय की सभी कठिनाइयों को धैर्य से सहना चाहिए। अच्छे भविष्य के लिए वर्तमान दु:ख को धैर्य से सहने की जरूरत है।
रोमियों ५:३-४ हमें बताता है, “केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशो में भी घमण्ड करे, यह जानकर कि क्लेश से धीरज, और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकालने से आशा उत्पन्न होती है।” वे संत जो प्रभु में विश्वास करके महान क्लेश के मध्य में दृढ रह सकते हैं, वे आशीर्वाद का जीवन जीएंगे, परमेश्वर के द्वारा पुनरुत्थान और रेप्चर प्राप्त करेंगे और परमेश्वर के राज्य में शासन करेंगे। इस प्रकार, हम सभी को अपने विश्वास के साथ क्लेश में दृढ बने रहना चाहिए। प्रभु में अपना विश्वास बनाए रखते हुए, अंत समय के महान क्लेश के दौरान संत वास्तव में दृढ़ रह सकते हैं। संत उन सभी चीजों में विश्वास करते हैं जो प्रभु इस दुनिया और स्वर्ग दोनों में उनके लिए पूरी करेंगे।
वचन १३: फिर मैं ने स्वर्ग से यह शब्द सुना, “लिख: जो मृतक प्रभु में मरते हैं, वे अब से धन्य हैं।” आत्मा कहता है, “हाँ, क्योंकि वे अपने सारे परिश्रम से विश्राम पाएँगे, और उनके कार्य उनके साथ हो लेते हैं।”
वचन यहाँ कहता है, “जो मृतक प्रभु में मरते है, वे अबसे धन्य है।” क्यों? क्योंकि जब क्लेश का समय आएगा—अर्थात, जब मसीह विरोधी दुनिया पर शासन करेगा—तो इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी पापी नष्ट हो जाएंगे। इसलिए संतों को मसीह के आने वाले राज्य की ओर देखना चाहिए, अपने विश्वास की रक्षा करनी चाहिए और विश्वास की शहादत को गले लगाना चाहिए। जो लोग प्रभु को महिमा देने के लिए शहीद हुए हैं, वे धन्य हैं, और इसलिए, उन्हें अपने विश्वास की रक्षा के लिए अपनी शहादत को गले लगाना चाहिए।
तब प्रभु ऐसे संतों की देखभाल करेंगे, उन्हें परमेश्वर के राज्य में ऊपर उठाने के लिए उनके पुनरुत्थान और रेप्चार की अनुमति देंगे। तब इस पृथ्वी पर संतों के सभी परिश्रम समाप्त हो जाएंगे, और वे इसके बजाय प्रभु द्वारा दिए गए अपने पुरस्कारों का आनंद लेते हुए जीवन व्यतीत करेंगे। इस समय, सभी संतों को प्रभु के साथ राज्य करने का और अनन्त जीवन का आनंद मिलेगा, और परमेश्वर के राज्य की संपत्ति और महिमा हमेशा के लिए उनकी होगी।
यही कारण है कि जो लोग अपने विश्वास की रक्षा के लिए अंत के समय में शहीद हुए हैं, वे बहुत धन्य हैं, क्योंकि वे प्रभु के साथ उनके हजार साल के राज्य और स्वर्ग के उनके अनंत राज्य की सारी संपत्ति और महिमा में हमेशा के लिए जिएंगे। जो लोग पशु के सामने आत्मसमर्पण नहीं करते हैं और परमेश्वर में अपने विश्वास की रक्षा करते हैं, परमेश्वर उन्हें हमेशा के लिए अपने साथ राज्य करने का आशीर्वाद देंगे।
वचन १४: मैं ने दृष्टि की, और देखो, एक उजला बादल है, और उस बादल पर मनुष्य के पुत्र सरीखा कोई बैठा है, जिसके सिर पर सोने का मुकुट और हाथ में चोखा हँसुआ है।
यह वचन हमें बताता है कि प्रभु संतों को रेप्चर करने के लिए वापस आएंगे। क्योंकि प्रभु संतों के स्वामी हैं, वे उन संतों को पुनरुत्थित करेंगे जो अपने विश्वास की रक्षा के लिए शहीद हो गए होंगे और उन्हें रेप्चार में परमेश्वर के राज्य तक उठाएंगे। महान क्लेश के समय में, निश्चित रूप से संतों का रेप्चर होगा।
वचन १५: फिर एक और स्वर्गदूत ने मन्दिर में से निकलकर उससे, जो बादल पर बैठा था, बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “अपना हँसुआ लगाकर लवनी कर, क्योंकि लवने का समय आ पहुँचा है, इसलिये कि पृथ्वी की खेती पक चुकी है।”
यह वचन प्रभु द्वारा संतों के रेप्चर के पूरा होने को संदर्भित करता है। दूसरे शब्दों में, संतों की भारी शहादत के बाद रेप्चर होगा। प्रभु उस समय सो रहे संतों को, शहीद हुए संतों के साथ रेप्चर की अनुमति देंगे। संतों के विश्वास की पूर्णता उनके उद्धार, शहादत, पुनरुत्थान, रेप्चर और अनन्त जीवन में पाई जाती है। संतों के रेप्चर का समय उनकी शहादत के बाद मसीह विरोधी के उत्पीड़न के साथ है, और साथ ही उनके पुनरुत्थान के साथ है।
वचन १६: अत: जो बादल पर बैठा था उसने पृथ्वी पर अपना हँसुआ लगाया, और पृथ्वी की लवनी की गई।
यह वचन भी संतों के रेप्चर का उल्लेख करता है। रेप्चर का अर्थ है संतों को हवा में उठाना। क्या इसका मतलब यह है कि संतों को हवा में ऊपर उठाया जाएगा, और फिर प्रभु के साथ पृथ्वी पर निचे उतरेंगे? हा निश्चित रूप से! संतों के रेप्चर के बाद, हमारा परमेश्वर सात कटोरे की विपत्तियों को उंडेल ने के द्वारा पृथ्वी, समुद्र और उसमे की सभी चीजो को नष्ट कर देगा और इस तरह दुनिया को नष्ट करने के बाद, वह रेप्चर किए हुए संतों के साथ इस पृथ्वी पर उतरेगा।
तब, प्रभु और उनके संत इस पृथ्वी पर एक हजार वर्षों तक राज्य करेंगे, और जब मेम्ने का विवाह-भोज समाप्त हो जाएगा, तो वे अनन्त स्वर्ग के राज्य में उठाए जाएंगे। जब संत मेमने के विवाह भोज में प्रभु के साथ शामिल होते हैं, तो प्रभु पहले से ही पूरी दुनिया और उसमें की सभी चीजों का नवीनीकरण कर चुके होंगे।
उनके रेप्चर के बाद, संत कुछ समय के लिए प्रभु के साथ हवा में रहेंगे, और जब सात कटोरे की विपत्तियाँ खत्म हो जाएँगी, तो वे एक हज़ार साल तक परमेश्वर के साथ राज्य करने के लिए नई पृथ्वी पर उतरेंगे। तब वे प्रभु के साथ परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे, और उसके साथ सर्वदा रहेंगे।
वचन १७: फिर एक और स्वर्गदूत उस मन्दिर में से निकला जो स्वर्ग में है, और उसके पास भी चोखा हँसुआ था।
जो स्वर्गदूत यहां प्रकट होता है वह न्याय का स्वर्गदूत है। यह स्वर्गदूत जगत के लोगों पर जो परमेश्वर के विरुद्ध खड़े हुए हैं, बड़ी विपत्तियां उंडेल कर उन्हें अनन्त आग में डाल देगा। उसका कर्तव्य मसीह विरोधी और उसके सेवकों के साथ दुनिया के सभी पापियों को जिन्होंने नया जन्म प्राप्त नहीं किया है उन्हें बाँधकर अथाह गड्ढे में फेंकना है।
वचन १८: फिर एक और स्वर्गदूत, जिसे आग पर अधिकार था, वेदी में से निकला, और जिसके पास चोखा हँसुआ था उससे ऊँचे शब्द से कहा, “अपना चोखा हँसुआ लगाकर पृथ्वी की दाखलता के गुच्छे काट ले, क्योंकि उसकी दाख पक चुकी है।”
यह वचन हमें बताता है कि अब समय आ गया है कि पापियों को परमेश्वर के विरुद्ध खड़े होने के पाप के लिए परमेश्वर के द्वारा न्याय किया जाए। परमेश्वर के समय में परमेश्वर की योजनाए पूरी होगी। पापियों को परमेश्वर का न्याय देने के लिए, परमेश्वर सभी पापियों को और उन सभी को एक साथ इकट्ठा करेगा जो परमेश्वर के खिलाफ खड़े हुए थे, और उन्हें उसी के अनुसार दंडित करेंगे।
वचन १९: तब उस स्वर्गदूत ने पृथ्वी पर अपना हँसुआ लगाया और पृथ्वी की दाखलता का फल काटकर अपने परमेश्वर के प्रकोप के बड़े रसकुण्ड में डाल दिया।
यह वचन हमें दिखाता है कि संतों के रेप्चर के बाद, मसीह विरोधी और पापियों को सात कटोरों की विपत्तियों के द्वारा बहुत कष्ट होगा। इस धरती पर भी, परमेश्वर पापियों पर अपनी भयानक विपत्तियाँ लाकर उन पर अपना क्रोध लाएगा, और फिर उन्हें नरक का दण्ड देंगे। इस प्रकार परमेश्वर इन पापियों पर यानी मसीह विरोधी और उसके अनुयायियों पर जो विपत्तियां डालेगा, वह परमेश्वर का धर्मी क्रोध हैं। यह उन पापियों के लिए परमेश्वर का विधान है जो उसके विरुद्ध खड़े होते हैं।
वचन २०: और नगर के बाहर उस रसकुण्ड में दाख रौंदे गए, और रसकुण्ड में से इतना लहू निकला कि घोड़ों की लगामों तक पहुँचा, और सौ कोस तक बह गया।
यहाँ वचन हमें बताता है कि उन पर उँडेले गए सात कटोरे की विपत्तियों द्वारा लाए गए परमेश्वर के क्रोध और उसके कष्टों का दण्ड उन लोगों के लिए कितना कठोर होगा जो अभी भी इस पृथ्वी पर रहते हैं जिसमे मनुष्य और जीवित प्राणी दोनों सामिल है। यह हमें ये भी बताता है कि ये विपत्तियाँ पूरी दुनिया में तबाही मचाएँगी। जब संत शहीद होते हैं, पुनरुत्थित होते हैं, और रेप्चर होते हैं, उस पल से सात कटोरे की विपत्तियों का प्रकोप पूरी तरह से उंडेला जाएगा, और इस तरह सब कुछ समाप्त हो जाएगा।
स्वर्ग में संतों और परमेश्वर के पक्ष में खड़े स्वर्गदूतों को छोड़कर कोई भी इन भयानक विपत्तियों से नहीं बच पाएगा। दूसरी ओर, जो लोग परमेश्वर के खिलाफ खड़े होते हैं, उनके लिए केवल नरक का दण्ड इन्तेजार कर रहा है। इसके विपरीत, जब नया जन्म पाए हुए संत खुद को हवा में प्रभु के साथ विवाह भोज में पाएंगे तब परमेश्वर उद्धार के लिए उनका धन्यवाद और स्तुति करेंगे। तब से संत हमेशा प्रभु के साथ उनके अनन्त आशीर्वाद में रहेंगे।