आरम्भ की कलीसिया के समय में कार्य करते पवित्र आत्मा और अभी के समय में कार्य करने वाले पवित्र आत्मा में कोई अन्तर नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस समय चमत्कार करने वाले लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते है या नहीं। इसका कारण यह है कि भले ही परमेश्वर की आत्मा हमेशा एक समान ही है, लेकिन अन्तर यह है की क्या व्यक्ति के पास पवित्र आत्मा पाने की लिए सटीक ज्ञान है।
बहुत से लोग आजकल पवित्र आत्मा प्राप्त करने के लिए सटीक बाइबल ज्ञान के बिना चमत्कार करते हैं। बाइबल हमें प्रेरितों के काम २:३८, १ यूहन्ना ५:२-८ और १ पतरस ३:२१ में दिखाती है कि पवित्र आत्मा को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करना है। “उसी पानी का दृष्टान्त भी, यानी की बपतिस्मा अब तुम्हें उद्धार देता है”।
बेशक, पवित्र आत्मा ने शुरुआती कलीसिया के समय में प्रेरितों के भीतर रहने के दौरान बीमारियों को ठीक करने और दुष्ट आत्माओं को बाहर निकालने जैसे काम किए थे। हालांकि, वे अपने आत्मिक वरदानों का उपयोग करते समय पैसे नहीं कमाते थे या हंगामा नहीं करते थे, जैसे आजकल कुछ लोग करते हैं। प्रेरितों ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन केवल सुसमाचार देने के साधन के रूप में किया। इसके अलावा, बीमारी की चंगाई और दुष्ट आत्माओं को बाहर निकालना शुरुआती कलीसिया के समय में पवित्र आत्मा के सारे कार्य नहीं थे। वे इसका केवल एक छोटा सा हिस्सा था।
इसलिए, यह सोचना बहुत खतरनाक है कि आज के मसीहियत में सभी चमत्कार जैसे कि चंगाई, दुष्ट आत्माओं को निकालना और अन्य भाषा में बोलना निश्चित रूप से पवित्र आत्मा के कार्य हैं। हमें विश्वास करना चाहिए कि आज हम मसीहियत में जो भी अजीबोगरीब घटनाएँ देखते हैं, वे पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के कारण नहीं हैं। इसके बजाय, हमें परमेश्वर के सच्चे सेवकों को समझाना चाहिए जिन्होंने पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाया है और दुष्ट आत्मा ग्रसित सेवकों को भी पहिचानना चाहिए। यहां तक कि यदि कोई व्यक्ति दुष्ट आत्माओं को बाहर निकाल सकता है, बीमारी को ठीक कर सकता है और अन्य भाषा में बोल सकता है, लेकिन यदि उसके दिल में पाप है और सच्चे सुसमाचार में विश्वास नहीं करता है, तो वह निश्चित रूप से दुष्ट आत्मा ग्रसित है।
यीशु ने मत्ती ७:२०-२३ में भी कहा, “इस प्रकार उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे। “जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, ‘मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ”।
हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि कोई व्यक्ति केवल चमत्कार करता है, तो वह पवित्र आत्मा के कार्य के माध्यम से कर रहा है। इसके बजाय हमें बारीकी से जाँच करनी चाहिए कि क्या वह अपने पापों से माफ़ी पाने के द्वारा पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करता है। पवित्र आत्मा उस व्यक्ति में कभी नहीं रहता है जिसके दिल में पाप है। पवित्र आत्मा पाप के साथ नहीं रह सकता।
आरंभिक कलीसिया के समय पापों की माफ़ी पवित्र आत्मा के आने का प्रमाण था और वह उन लोगों के लिए परमेश्वर का उपहार था जिन्हें उनके सभी पापों के लिए क्षमा कर दिया गया था।
हालांकि, बहुत से लोग अभी भी सोचते हैं कि चंगाई, अन्य भाषा में बोलना और दुष्ट आत्माओं को यीशु के नाम से बाहर निकालना बिना शर्त पवित्र आत्मा का काम है। यह एक गलत और खतरनाक धारणा है। हमें स्पष्ट रूप से यह बताने में सक्षम होना चाहिए कि क्या वे वास्तव में चमत्कार कर रहे हैं। भले ही कोई व्यक्ति यीशु के नाम में कई चमत्कार करने में सक्षम है, लेकिन अगर वह पानी और आत्मा के वास्तविक सुसमाचार को जानता या विश्वास नहीं करता, तो वह झूठा शिक्षक है। ऐसे लोग कई लोगों की आत्माओं को मारते हैं और अपने सांसारिक लालच को पूरा करने के लिए धन की मांग करते हैं।
इसलिए, जिस व्यक्ति के दिल में पाप है उसका काम वास्तव में पवित्र आत्मा का काम नहीं है, बल्कि दुष्ट आत्मा का काम है। पवित्र आत्मा जो शुरूआती कलीसिया में काम करता था और जो अभी काम कर रहा है वह एक ही है। हालाँकि, पवित्र आत्मा के कार्य में एक स्पष्ट अंतर है जो उन लोगों को दिखाई देता है जिन्होंने वास्तव में पवित्र आत्मा को पाया है और वह अन्तर है झूठे भविष्यवक्ताओं के द्वारा दुष्ट आत्मा का प्रगट होना।