(रोमियों ८:२८-३०)
‘हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिए सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात् उन्हीं के लिए जो उसकी इच्छानुसार बुलाए हुए हैं। क्योंकि जिन्हें उसने पहले से जान लिया है। उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों, ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। फिर जिन्हें उसने पहले से ठहराया, उन्हे बुलाया भी; और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है; और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।ʼ
क्या वास्तव में परमेश्वर ने हम में से केवल कुछ ही लोगों को चुना है?
नहीं, यीशु मसीह ने हम सब लोगों को चुन लिया है।
प्रारब्ध और दैवीय चुनाव का सिध्धांत, जिसके आधार पर मसीही सिध्धांत का निर्माण हुआ है, उसने कई लोगो को जो यीशु पर विश्वास करना चाहते है उनको भ्रमित किया है। यह भ्रमित करने वाले सिद्धांत ही ज्यादा भ्रम का कारण हैं।
भ्रमित धर्मविज्ञान वाले प्रारब्ध के विषय में कहते हैं कि परमेश्वर जिन्हें प्रेम करते हैं, उन्हें उसने चुन लिया है। लेकिन जो इसका इन्कार करते हैं उन्हें वह नापसंद करता है। इसका मतलब है कि कुछ लोग जिन्होंने पानी और आत्मा से नया जन्म पाया है, वे चुने गए हैं और उन्हें स्वर्ग में स्वीकार किया जाता है जबकि दूसरे जो चुने नहीं गए हैं, वे नरक में जलने के लिए चुने गए हैं।
यदि वास्तव में परमेश्वर ने केवल हमें ही चुना है, तब हम कुछ भी नहीं हैं। परंतु इस कठिन प्रश्न के बारे में सोचना है। क्या मैं उद्धार के लिए चुना गया हूँ? यदि हम चुने नहीं गए हैं, तो यीशु में विश्वास करना हमारे लिए व्यर्थ होगा। इसलिए यह सिद्धांत बहुत से लोगों की चिंता को ज्यादा बढ़ा देता है कि क्या वे परमेश्वर द्वारा चुने गए हैं या स्वयं के विश्वास से।
यदि हम स्वयं के विश्वास में भरोसा करें या केवल परमेश्वर में विश्वास करें कि कैसे हम संदेह से मुक्त हो सकते हैं। यह कैसे सुनिश्चित करें कि परमेश्वर ने हमें वास्तव में चुना है? वह तो केवल चुने हुए लोगों का परमेश्वर है। यद्यपि वह कहता है, ‘क्या परमेश्वर केवल यहूदियों ही का है? क्या अन्यजातियों का नहीं? हाँ, वह अन्यजातियों का भी हैʼ (रोमियों ३:२९)।
क्योंकि बहुत से लोग प्रारब्ध और दैवीय चुनाव को गलत समझते हैं। उन्हें आशंका है कि वे यीशु में विश्वास करने के बावजूद भी नाश हो जाएंगे।
इफिसियों १:३-५ कहता है, ‘हमारे यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो कि उसने हमें मसीह में स्वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आत्मिक आशीष दी है। जैसा उसने हमें जगत की उत्पत्ति से पहले उसमें चुन लिया कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र तथा निर्दोष हों। और अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिए पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों।ʼ
इसलिए हमें धर्मविज्ञान पे आधारित प्रारब्ध और दैवीय चुनाव की समीक्षा करनी चाहिए। सबसे पहले हमें जानना चाहिए कि बाइबल प्रारब्ध और दैवीय चुनाव के विषय में क्या कहती है, और तब हमें पानी और आत्मा के द्वारा उद्धार में अपने विश्वास को सुदृढ़ करना चाहिए।
रोमियों का पत्र हमें क्या कहता है? कुछ धर्म वैज्ञानिकों ने ‘बिना शर्त के चुनाव’ के बेबुनियाद सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं। क्या धर्मविज्ञान परमेश्वर है? धर्मविज्ञान स्वयं में परमेश्वर नहीं है।
सृष्टि की रचना से पहले से ही परमेश्वर ने यीशु मसीह में सारी मनुष्यजाति को चुन लिया और हमें धर्मी बनाने के द्वारा बचाने का मन बनाया। यीशु हमें बिना शर्त के प्रेम करता है। हम उसे एक भेदभाव करने वाला ईश्वर न बनाएं। अविश्वासियों का स्वयं के विचारों में विश्वास होता है, परंतु विश्वासियों का विश्वास परमेश्वर के जीवित वचन पर आधारित होता है।
पुराने नियम में दैवीय चुनाव
क्या बिना शर्त चुनाव का सिद्धांत सही है?
नहीं। हमारा प्रभु छोटी सोचवाला परमेश्वर नहीं है।परमेश्वर ने यीशु में सब पापियों को चुना है, न कि कुछ ही लोगों को चुना है।
उत्पत्ति २५:२१-२६ में हम इसहाक के दो बेटों एसाव और याकूब के बारे में पढ़ते हैं। परमेश्वर ने याकूब को चुना जबकि इसहाक के दोनों बेटे अपनी माता के गर्भ में ही थे।
वे जो परमेश्वर के वचन को सही रूप में नहीं समझते हैं, वो बिना शर्त बुलाहट के सिद्धांत को आधार के रूप में लेते हैं। यह तकदीर के परमेश्वर को मसीही धर्म में मिलाने जैसा है।
यदि हम विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने हमें बिना शर्त चुनाव के आधार पर चुना है और यीशु मसीह में नहीं चुना है, तो यह इसके समान है जैसे कि हम किस्मत को एक ईश्वर की तरह मानते या मूर्ति की पूजा करते हैं। यदि हमने किस्मत के परमेश्वर में विश्वास किया होता तो, तो हम परमेश्वर की योजना को ठुकरा देते और शैतान की जाल में फास जाते।
यदि लोग परमेश्वर की इच्छा के प्रति आज्ञाकारी नहीं हैं, तब वे जानवरों से ज्यादा कुछ नहीं हैं जो अंत में नाश हो जाते हैं। जब की हम विश्वासी लोग जानवर नहीं है, इसलिए हमें सच्चे विश्वासी बनना है जो बाइबल में लिखे सत्य को पढ़े और विश्वास करे। बाइबल में लिखी गई सत्यता में पहले सोच-विचार नहीं करना स्वयं को शैतान को सौंप देना है।
सच्चे विश्वास के लिए सर्वप्रथम हमें बाइबल में लिखित सच्चाई के विषय में सोचना चाहिए और जो मसीह में नया जन्म पाए हुए हैं, उन्हें इस विश्वास का अनुसरण करना चाहिए।
कॉल्विनवाद की नजर में छुटकारा सीमित है। यह परोक्ष रूप से संकेत करता है कि परमेश्वर का प्रेम और प्रभु का छुटकारा कुछ लोगों पर लागू नहीं होता। क्या यह सही हो सकता है?
बाइबल कहती है, ‘जो (परमेश्वर) यह चाहता है कि सब मनुष्यों का उद्धार होʼ (१ तिमुथियुस २:४)। यदि छुटकारे की आशीष केवल कुछ लोगों के लिए लागू होती है, तो बहुत से विश्वासी यीशु में विश्वास करना छोड़ देंगे। आखिरकार, कौन ऐसे छोटी सोचवाले परमेश्वर में विश्वास करना चाहेगा?
हमें निश्चय होना चाहिए कि हमारा परमेश्वर छोटी समझवाला नहीं है। वह सच्चाई, प्रेम और न्याय का परमेश्वर है। हम यीशु में विश्वास करें और पानी और आत्मा के सुसमाचार में नया जन्म लें। इस प्रकार हम अपने सारे पापों से बच जाते हैं। यीशु उन सब का उद्धारकर्ता है जिन्होंने पानी और आत्मा से नया जन्म पाया हैं।
कॉल्विनवाद के अनुसार यदि यहाँ पर दस लोग हैं, उनमें से कुछ लोग परमेश्वर के द्वारा बचाए गए हैं जबकि बाकी लोग नरक की आग में जलने के लिये छोड़ दिए गए हैं, यह सही नहीं है।
यह कहने का कोई तथ्य नहीं बनता कि परमेश्वर कुछ लोगों से प्रेम करता है और दूसरों को अलग कर देता है। जरा सोचिए कि परमेश्वर आज हमारे साथ है। यदि वह जो उसके दाहिने ओर बैठे हैं, उन्हीं को चुनने का निर्णय करता है जबकि वो लोग जो उसकी बाईं ओर बैठे हैं उन सबको नरक में भेजने का विचार अपने मन में रखे हुए है, तो क्या हम उसे परमेश्वर के जैसा मान सकते हैं?
वे जो त्याग दिये गए हैं, क्या वे बचाव में अपनी आवाज नहीं उठाएंगे? सब प्राणी चिल्ला उठेंगे, ‘परमेश्वर कैसे अन्यायी हो सकता है।ʼ बिना शर्त के चुनाव बेबुनियाद है क्योंकि परमेश्वर ने यीशु मसीह में सारी मनुष्यजाति को चुन लिया है।
इसलिए यीशु के नाम में जो परमेश्वर द्वारा चुने गए हैं, वे सब परमेश्वर द्वारा बुलाए गए हैं। तब परमेश्वर किसे बुलाता है? वह पापियों को बुलाता है, धर्मियों को नहीं। परमेश्वर उन्हें नहीं बुलाता जो अपने आप को धर्मी मानते हैं।
परमेश्वर के छुटकारे की आशीष पापियों के लिए है और उनके लिए है जो नरक के योग्य हैं। चुनाव का मतलब यह है कि परमेश्वर पापियों को बुलाकर उन्हें अपनी धर्मी संतान बनाता है।
परमेश्वर न्यायी है
क्या परमेश्वर केवल कुछ लोगों को प्रेम करता है?
नहीं, परमेश्वर छोटी सोच वाला नहीं है। परमेश्वर न्यायी है।
परमेश्वर न्यायप्रिय है। वह ऐसा ईश्वर नहीं है जो केवल चुने हुओं को बिना शर्त प्रेम करता है। वह यीशु के नाम में सब पापियों को बुलाता है। यीशु मसीह द्वारा पापों से मुक्ति और पापों की क्षमा पाये बिना हम कैसे परमेश्वर के प्रेम और उद्धार को समझ सकते हैं। परमेश्वर को कभी भी अन्यायी न बनाएं।
इफिसियों १:३-५ पढ़ते समय पता लगाने की कोशिश करें कि क्या गायब है। ‘हमारे यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो कि उसने हमें मसीह में स्वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आत्मिक आशीष दी है। जैसा कि उसने हमें जगत की उत्पत्ति से पहले उसमें चुन लिया कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र तथा निर्दोष हों। और अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिए पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों।ʼ क्या गायब है? गायब हुआ शब्द है “यीशु में।“
कॉल्विनवाद में बिना शर्त चुनाव बाइबल के शब्दों के साथ मेल नहीं खाता। बाइबल कहती है, ‘उसने हमें जगत की उत्पत्ति से पहले उसमें चुन लिया।ʼ
परमेश्वर ने मसीह में पानी और आत्मा से जन्म लेने के लिए सारी मनुष्यजाति को चुना है। जो असहाय हैं और जन्म से पापी हैं, वे पापों से मुक्त हो जाते हैं और उसकी संतान बन जाते हैं। वह सारे मानव जाति को उस सूची में सम्मिलित करता है जो यीशु मसीह में जो उद्धार पाए और चुने गए हैं।
क्योंकि अनेक धर्म वैज्ञानिक जो बिना शर्त चुनाव पर अडिग हैं, कहते हैं कि केवल कुछ लोग ही चुने गए हैं। बहुत से लोग पूर्णतः तर्कहीन सिद्धांत मे विश्वास की गड़बड़ी में बुरी तरह से फंस कर रह गए हैं। ये झूठे धर्म वैज्ञानिक कहते हैं कि परमेश्वर कुछ को चुनता है और बिना शर्त चुनाव के द्वारा दूसरों को त्याग देता है, जबकि उसके वचन की सच्चाई है कि यीशु में सारे पापियों को परमेश्वर ने चुना है। बहुत से लोग अपने अंधविश्वासों के कारण झूठे सिद्धांत में फंस कर पीड़ित हैं।
यदि हम इस सच्चाई को स्वीकार करें कि परमेश्वर ने सारी मनुष्यजाति को यीशु में बचाने का निश्चय किया है तो जो यीशु में विश्वास करते हैं उन प्रत्येक व्यक्ति के लिए पापों का प्रायश्चित लागू होती है। ऐसा करने से हम अपने सारे पापों से बच जाते हैं, परमेश्वर की संतान बनते है, धर्मी लोग बनते है, अनन्त जीवन पाते है, और निश्चय होता है की परमेश्वर न्यायी है।
एसाव और याकूब की कहानी में दैवीय चुनाव
परमेश्वर ने किसे चुनता है? केवल चुने हुओं को?
नहीं। परमेश्वर ने मसीह में पूरी मनुष्यजाति को चुना है। इसलिए जो कोई मसीह में विश्वास करता है और यीशु के बपतिस्मा के द्वारा पापों की क्षमा को पाया है, वह चुना गया है।
उत्पत्ति २५:१९-२८ में, एसाव और याकूब अपनी माता रिबका के गर्भ में आपस में लड़ने-झगड़ने लगे। परमेश्वर उत्पत्ति २५:२३ में कहते हैं, ‘तब यहोवा ने उससे कहा, ‘तेरे गर्भ में दो जातियाँ हैं, और तेरी कोख से निकलते ही दो राज्य के लोग अलग अलग होंगे, और एक राज्य के लोग दूसरे से अधिक सामर्थी होंगे, और बड़ा बेटा छोटे के अधीन होगा।ʼ
पापी इन वचनों को पहले से निर्धारित और ईश्वरीय चुनाव को धर्मविज्ञानी सिद्धांतों में बदल देते हैं। बहुत से लोग जो यीशु में विश्वास करते हैं, भ्रमित हैं कि वह चुने गए हैं या नहीं! जब वे अपने चुने जाने को स्वीकार करते हैं, तो वे सोचते हैं कि उनका उद्धार हो गया है, और वे पानी और आत्मा से नया जन्म लेने की इच्छा को खो देते हैं।
बिना शर्त के चुनाव की विचारधारा ने बहुत से लोगों को जो यीशु में विश्वास करते हैं, उद्धार से दूर और नरक की दण्ड की ओर मोड़ दिया है। ऐसा कहकर वे परमेश्वर को अन्यायी दर्शाते हैं।
क्योंकि बहुत से धर्म वैज्ञानिक गलत सिद्धांत की शिक्षा देते हैं, जो उनके स्वयं के विचारों से आता है। अनेक लोग जो यीशु में विश्वास करते हैं, असुरक्षित और आश्चर्य में रहते हैं कि वे चुन लिए गए हैं या उनका छुटकारा पहले से निर्धारित था।
याकूब और एसाव में परमेश्वर ने किसे चुना? उसने यीशु मसीह में याकूब को चुना। रोमियों ९:१०-११ में, यह कहता है कि परमेश्वर ने याकूब को उसके भाई के बदले बुलाया। हालांकि, उन्होंने एक ही पुरूष से गर्भ धारण किया था, अभी पैदा नहीं हुए थे, और न उन्होंने कोई अच्छे और बुरे कर्म किया था।
परमेश्वर का याकूब को चुनने का उद्देश्य उसके कार्य नहीं, परन्तु परमेश्वर के चुनाव के कारण था। बाइबल हमें यह भी बताती है कि यीशु पापियों को बुलाने आया, न कि उन्हें जो धार्मिकता का जीवन जी रहे हैं।
सभी लोग आदम के वंशज के रूप में जन्मजात पापी हैं। दाऊद कहता है, माता के गर्भ के समय से ही वह एक पापी था और कि ‘मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा’ (भजन ५१:५)।
क्योंकि सब मनुष्य उनके पूर्वजों के पापों के कारण पापी के रूप में जन्म लेते हैं। इसलिए प्रत्येक जो इस संसार में जन्म लेता है, वह अंजानेपन में एक पापी है। वह एक पापी के जैसे आचरण करता और पाप के फलों का वाहक है।
एक नवजात शिशु जिसने अभी कोई पाप किया ही नहीं, वह भी पापी है, क्योंकि वह पाप के बीज से उत्पन्न हुआ है। उसके हृदय में बुरे विचार, व्यभिचार और हत्या है। वह अपने पूर्वजों के पापों से उत्पन्न होता है, पैदा होने से पहले ही सब लोग पापी है।
इस कारण परमेश्वर ने हमें कमजोर बनाया है। मनुष्य जाति परमेश्वर की रचना है, लेकिन परमेश्वर की योजना थी कि वह पाप से बचाने के द्वारा हमें अपनी संतान बनाए। इसलिए उसने आदम को पाप करने की अनुमति दी।
परिणाम स्वरुप जब हम पापी हो गए तब परमेश्वर ने यीशु को, अपने एकमात्र एकलौते पुत्र के बपतिस्मे के द्वारा मनुष्यजाति के सारे पापों को उठा लेने के लिए इस संसार में भेजा।
परमेश्वर की इच्छा, अपने पुत्र यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू से सारी मानव जाति को छुटकारा देना और यीशु में विश्वास करने के द्वारा उन्हें परमेश्वर की संतान होने का अधिकार देना था। मसीह में सारे पाप धोने की प्रतिज्ञानुसार उसने आदम को पाप की अनुमति दी।
पापी जो गलत सिद्धांत में विश्वास करते हैं, कहते हैं कि ‘याकूब और एसाव की ओर देखो। वह एक को चुनता है और दूसरे को बिना शर्त त्याग देता है।ʼ परमेश्वर हमें बिना शर्त कभी नहीं चुनता। हम केवल बाइबल में लिखे शब्दों को देखते हैं। रोमियों ९:१०-१२ कहता है, ‘और केवल यही नहीं, परन्तु जब रिबका भी एक से अर्थात् हमारे पिता इसहाक से गर्भवती थी, और अभी तक न तो बालक जन्में थे, और न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था; इसलिए कि परमेश्वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मों के कारण नहीं, परन्तु बुलानेवाले के कारण है, बनी रहे: उसने कहा, ‘जेठा छोटे का दास होगा।ʼ (इसलिए कि परमेश्वर का चुनाव संबंधी उद्देश्य पूरा हो जो कर्मों पर नहीं, पर बुलाने वाले पर निर्भर है।)
परमेश्वर ने याकूब को यीशु में चुना। याकूब पापियों के लिए आदर्श है जो अयोग्य और अपनी धार्मिकता से उससे वंचित है। इफिसियों १:४ कहता है, परमेश्वर ने मसीह में हमें चुन लिया है।
परमेश्वर ने किसे चुना? उसने याकूब को चुना क्योंकि वह जानता था कि वह पापी है और परमेश्वर के सम्मुख अधर्मी है, और उसने परमेश्वर पर भरोसा किया। उसने अपने पुत्र यीशु के नाम में याकूब को बुलाया और पानी और लहू के सुसमाचार से बचाने के द्वारा उसे अपनी संतान बना लिया। इसलिए परमेश्वर ने याकूब को बुलाया और उसे छुटकारे की आशीष दी।
उसने पापियों को धर्मी होने के लिए यीशु में पाप से मुक्ति के लिए बुलाया। यही परमेश्वर की योजना है।
बिना शर्त के चुनाव का गलत सिद्धांत
क्यों परमेश्वर ने याकूब से प्रेम किया?
क्योंकि याकूब अपनी अधार्मिकता को जानता था।
मैंने अभी अभी बिना शर्त चुनाव की कहानी पर आधारित एक पुस्तक पढ़ी। एक जवान आदमी ने एक स्वप्न देखा। एक बूढ़ी औरत उसके स्वप्न में आती है और जवान आदमी को अज्ञात स्थान में आने को कहती है, और वह चला जाता है। तब वह स्त्री उससे कहती है कि वह परमेश्वर के द्वारा चुना गया है।
वह बुजुर्ग महिला से कहता है, कैसे परमेश्वर उसे चुन सकता है जबकि उसने कभी भी परमेश्वर में विश्वास किया ही नहीं? वह उससे कहती है कि परमेश्वर ने उसे बिना शर्त उसकी विश्वासयोग्यता के बावजूद चुना है।
यह सही नहीं है। कैसे परमेश्वर मनमाने ढंग से कुछ लोगों के लिए नरक की घोषणा कर सकता है और दूसरों को उद्धार के लिए चुन सकता है? परमेश्वर ने प्रत्येक को यीशु में चुन लिया है।
धर्मविज्ञानिक चुनावी सिद्धांत है जिसमें यीशु शामिल नहीं है अर्थात् गलत है। यह सही नहीं है। परंतु बहुत से धर्मविज्ञानिक अड़े हैं कि परमेश्वर ने केवल हममें से कुछ को चुना है। यह सही नहीं है। परमेश्वर यीशु में सबको बचाना चाहता है। केवल वे जो यीशु में पानी और आत्मा के छुटकारे पर विश्वास नहीं करते वे बचाए नहीं जायेंगे।
परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु के द्वारा सारी मनुष्यजाति के उद्धार को पहले से निर्धारित किया, और जगत की उत्पत्ति से पूर्व उन्होंने हमें अपनी संतान होने के लिए चुन लिया था। उसने संसार के सारे पापों से मनुष्यजाति को यीशु के छुटकारे के द्वारा बचाने की योजना बनायी है। यही सच्चाई है जैसा कि बाइबल में इसे लिखा गया है।
धर्मी जिन्होंने मसीह में नया जन्म पाया हैं, वे चुने हुए हैं। परंतु धर्म वैज्ञानिक अड़े हैं कि परमेश्वर ने केवल हममें से कुछ को ही चुना है। वे कहते हैं, उदाहरण के तौर पर, बौद्ध भिक्षुओं वे है जिनको परमेश्वर ने नहीं चुना है। लेकिन परमेश्वर ने इसी प्रकार उन्हें यीशु में चुन लिया है।
यदि परमेश्वर ने बिना शर्त कुछ लोगों को बिना यीशु के चुन लिया है, तो हमें सुसमाचार प्रचार करने की जरूरत नहीं है। यदि परमेश्वर की बिना यीशु के कुछ लोगों को चुनने की योजना होती है, तो पापियों को यीशु में विश्वास करने की कोई आवश्यकता भी नहीं होती। तब कैसे उसके प्रेम, सच्चाई और छुटकारे का वचन पूरा होता?
क्या परमेश्वर के सेवकों के लिए इस संसार में सुसमाचार प्रचार करने का कोई कारण होता? क्या यह मायने रखता कि परमेश्वर ने पहिले से बिना शर्त और बिना यीशु के छुटकारा पाए हुवों को चुन लिया है या दोषी ठहराया है?
परमेश्वर ने यीशु में याकूब को इस कारण चुना कि उसने याकूब से प्रेम और एसाव से घृणा की। इसलिए कि वह उसके उत्पन्न होने से पूर्व जानता था कि याकूब यीशु पर विश्वास करेगा और एसाव उस पर विश्वास नहीं करेगा।
इस संसार में बहुत से पापी हैं जो यीशु पर विश्वास करते हैं। उनमें से कुछ एसाव के जैसे हैं और अन्य याकूब के जैसे।
परमेश्वर ने क्यों याकूब से प्रेम किया? याकूब धर्मी नहीं था और वह अपनी अयोग्यता को जानता था। इसलिए उसने माना कि परमेश्वर के सम्मुख वह पापी है और परमेश्वर के अनुग्रह के लिए उसे पुकारता है। इस कारण से परमेश्वर याकूब को बचाता है।
परंतु एसाव परमेश्वर की अपेक्षा अपने आप पर ज्यादा भरोसा करता था और उसमें परमेश्वर के अनुग्रह के लिए भूख नहीं थी। अतः परमेश्वर कहता है कि उसने याकूब को प्रेम किया और एसाव से घृणा। यही वचन की सच्चाई है।
परमेश्वर ने पहले से हमें यीशु में उद्धार के लिए निर्धारित किया है। सारे पापियों को यीशु में विश्वास करना है। तब परमेश्वर की सच्चाई और न्याय उनके हृदयों में वास करेगी। हम पापी कुछ भी नहीं कर सकते, परंतु अपने सम्पूर्ण हृदय के साथ विश्वास करने से यीशु के द्वारा बच सकते हैं। हमें जो कुछ करना है, वह सब यह है कि यीशु के द्वारा छुटकारे के कार्य में विश्वास करें।
क्रमिक पवित्रीकरण का गलत सिद्धांत
क्या यह सही है कि एक पापी क्रमश: धर्मी बनता है?
नहीं। यह असंभव है। एक ही बार में परमेश्वर ने यीशु के बपतिस्मा के छुटकारे और क्रूस पर उसकी मृत्यु के द्वारा पापी को धर्मी और निष्कलंक बनाया है।
शैतान पापियों को क्रमिक पवित्रीकरण का सिद्धांत देता है। इसलिए कि वे अपने पापों से उद्धार न पा सकें। क्रमिक पवित्रीकरण का अर्थ है कि पापी यीशु में विश्वास करने के बाद क्रमशः पवित्र होता जाता है।
यह सिद्धांत इस प्रकार है कि पापी एक बार में धर्मी नहीं हो सकता, परंतु वे केवल अपने मूल पाप से बचाए जाते हैं जब वे यीशु में विश्वास करते हैं। वास्तविक पाप प्रतिदिन पश्चात्ताप की प्रार्थना से धुलते जाते हैं और लोग क्रमशः पवित्र होते जाते हैं।
इस सिद्धांत की सबसे बड़ी समस्या क्रमिक पवित्रीकरण है। यह अच्छा जान पड़ता है कि जो भी यीशु में विश्वास करता है, वह क्रमशः एक पवित्र मसीही बनता जाता है। यह सिद्धांत बहुत वर्षों से मसीहियों को चिंतामुक्त बनाता रहा है। इस कारण यहां दूसरों की अपेक्षा मसीही धर्म में अधिक पवित्र मसीही हैं।
वे सोचते हैं कि एक दिन वे अपने आप बदल जाएंगे और पाप नहीं करेंगे। परंतु वे अपना जीवन पापियों के जैसे जीते हैं, और मृत्यु के बाद परमेश्वर के सम्मुख उनका पापियों के जैसे न्याय किया जाएगा।
बाइबल में सही वचन को पढ़िये। रोमियों ८:३० में ‘और जिन्हें उसने पहले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी; और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है; और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।’
पद २९ में ‘क्योंकि जिन्हें उसने पहले से जान लिया है, उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों, ताकि वह बहुत से भाइयों में पहिलौठा ठहरे।’ प्रथम दृष्टि में यह लगता है कि यहां पर धर्मी बनने का चरण हो, परंतु वचन जो हमसे कहता है कि धार्मिकता एक ही बार में सबको प्रदान की गयी है।
और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है।ʼ यीशु पापियों को बुलाता है और यरदन नदी में अपने बपतिस्मा और क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा उन्हें धर्मी बनाता है।
इस कारण जो भी यीशु में पाप से मुक्ति पर विश्वास करते हैं, वह परमेश्वर की महिमायमयी संतान बन जाते हैं। यह पापियों को बचाने के लिए परमेश्वर का अनुग्रह है और यह नाम उन्हें महिमान्वित करता है।
यहीं हमसे परमेश्वर कहते हैं। परंतु कुछ मसीही हमसे कहते हैं कि रोमियो ८:३० को देखो। ‘यहां पर पवित्रीकरण के चरण हैं। इसका मतलब यह कभी नहीं है कि हम क्रमशः बदलते हैं?ʼ इस प्रकार वे भ्रमित किये जाते हैं। वे लोगों को भविष्य काल में कहते हैं कि एक पापी समय के साथ धर्मी होता है।
परंतु, बाइबल हमें भविष्य काल में नहीं, परन्तु पूर्ण भूत काल में कहती है कि हम एक ही बार में धर्मी बन जाते हैं। यहां पर भविष्य के विचार और पूर्ण भूतकाल के मध्य एक निश्चित अंतर है।
हम बाइबिल में पूर्ण विश्वास करते हैं। जैसा कि लिखा गया है, हम एक ही बार में हमेशा के लिए परमेश्वर की संतान हो सकते हैं। यह क्रमिक पवित्रीकरण सिद्धांत से पूर्णरूप से अलग है।
क्रमिक पवित्रीकरण सिद्धांत कहता है कि जब हम यीशु में विश्वास करते हैं, तब केवल हमारा मूल पाप ही क्षमा होता है। यह सिद्धांत सुझाव देता है कि हम धार्मिक जीवन में बढ़ते हैं, और अपने प्रतिदिन के पापों के लिए पश्चात्ताप करते हैं। अतः जब हम परमेश्वर के सम्मुख खड़े हों, तब हम धर्मी ठहरेंगे।
क्योंकि बहुत से लोग इस सिद्धांत में विश्वास करते हैं, वे यीशु मसीह में विश्वास करने के बाद भी पाप करते रहते हैं। इस तरह क्रमिक पवित्रीकरण सिद्धांत असत्य है।
बाइबल हमें स्पष्ट कहती है कि हम विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरते और परमेश्वर की संतान बन जाते हैं। जैसा कि एक नवजात शिशु इस दुनिया में आता है, वैसे ही परमेश्वर की संतान भी जब यीशु के छुटकारे को समझते है और विश्वास करते है तब पवित्र बन जाते हैं। यह गलत क्रमिक पवित्रीकरण का सिद्धांत झूठ से निकला है।
सारे पापों से सम्पूर्ण छुटकारा
हमें सम्पूर्ण पवित्रीकरण के लिए क्या करना चाहिए?
हमें पानी और आत्मा के छुटकारे में विश्वास करना चाहिए।
रोमियों ८:१-२ कहता है, ‘अतः अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं है। क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं। क्योंकि हमें जीवन की आत्मा की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।’ यह हमें कहता है कि परमेश्वर सारे पापियों को धर्मी बनाता है और जो पाप और मृत्यु के नियम से निकल कर यीशु के पास आते हैं, उन सबका छुटकारा हो जाता है।
इब्रानियों ९:१२ में बाइबल हम से सम्पूर्ण छुटकारा के बारे में कहती है, ‘और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा, एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया और अनन्त छुटाकारा प्राप्त किया।’ इसका अर्थ है कि हम जो यीशु में विश्वास करते हैं, हम पाप से मुक्ति पाते है और स्वर्ग में प्रवेश करते हैं।
हमने ऊपर के वचन को सुना और मसीह यीशु में पानी और आत्मा के छुटकारे के सुसमाचार में विश्वास किया है और उसमें हमारे सारे पापों को क्षमा कर दिया गया है। परन्तु वे पापी जो विश्वास करते हैं कि केवल उनके मूल पाप ही क्षमा किए गये हैं, वास्तव में उनको बचाया नहीं जा सकता। यीशु में विश्वास करने के बाद किये गये पापों से पवित्रीकरण के लिए, वे महसूस करते हैं कि उन्हें प्रतिदिन पश्चात्ताप करना चाहिए।
उनका भ्रमित करनेवाला विश्वास उन्हें नरक में ले जाता है। अपने गलत विश्वास के कारण प्रतिदिन वे पश्चात्ताप करते हैं ताकि उनके सारे गलत कार्यों से उन्हें मुक्ति मिल जाए। यह सच्चा विश्वास नहीं है जो हमें नरक से बचा सके।
यदि उन्होंने यीशु में विश्वास किया और हमेशा के लिए एक बार में उनका छुटकारा हो गया है, तो वे अवश्य धर्मी हो जाते हैं और परमेश्वर की संतान बन जाते हैं। सच्चा छुटकारा विश्वासियों को धर्मी बनाता और एक ही बार में हमेशा के लिए उन्हें परमेश्वर की संतान में बदल देता है।
हालांकि विश्वासी संसार के सारे पापों से मुक्त हो गए हैं, लेकिन उनका शरीर उनके मृत्यु के दिन तक नहीं बदलता है। परन्तु उनके हृदय पूरी तरह से परमेश्वर की धार्मिकता से भीग जाते हैं। हमें कभी भी इस सच्चाई को समझने में गलती नहीं करनी चाहिए।
बाइबल हमें कहती है कि जब हम सुसमाचार में विश्वास करते है तब हम पवित्र और धर्मी हो जाते हैं।
आइये इब्रानियों १०:९-१४ में सच्चे सुसमाचार को देखें, ‘देख, मैं आ गया हूँ, ताकि तेरी इच्छा पूरी करूँ।’ अतः वह पहले को उठा देता है, ताकि दूसरे को नियुक्त करे। उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं। हर एक याजक तो खड़े होकर प्रतिदिन सेवा करता है, और एक प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी दूर नहीं कर सकते, बार-बार चढ़ाता है। परन्तु यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा, और उसी समय से इसकी बाट जोह रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की पीढ़ी बनें। क्योंकि उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है।
‘उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं।’ ध्यान दें कि यह पूर्ण वर्तमान काल में लिखा गया है, भविष्य काल में नहीं।
पूर्ण रीति से पवित्र होने के लिए हम सब को पानी और आत्मा के छुटकारे में विश्वास करना है जो यीशु हमें देते हैं।
यीशु ने एक ही बार में हमेशा के लिए अनन्त छूटकारा दिया
क्यों एक मनुष्य सदा के लिए आनंद मनाने का अधिकारी है? (१ थिस्सलुनीकियों ५:१६)
क्योंकि यीशु ने उसके सारे पापों को ले लिया है, और वह उसके अनुग्रह के लिए नम्रता से उसके सामने उसे धन्यवाद करता है।
यदि हम यीशु के अनंत छुटकारे में विश्वास करें, तो हम सदा के लिए धर्मी बन जाते हैं। बाइबल कहती है, ‘सदा आनन्दित रहो, निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो, हर बात में धन्यवाद करो’ (१ थिस्सलुनीकियों ५:१६-१८)
सदा आनंदित रहो। कैसे हम सदा आनंदित हो सकते हैं? जो कोई सदा के लिए एक बार में अनन्त छुटकारे को प्राप्त करता है, वह कभी न खत्म होनेवाला आनंद प्राप्त करता है। यीशु ने उनके सारे पापों को यरदन नदी में उठा लिया है यह जानकर वे सुरक्षित है। वे उसके सम्मुख नम्र होकर और उसके अनुग्रह के लिए धन्यवादी बनाकर प्रत्येक परिस्थिति में आनंदित रह सकता है।
‘धन्य हैं वे जिनके अधर्म क्षमा हुए, और जिनके पाप ढाँपे गएʼ (रोमियों ४:७)। इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे दिल में पाप होने के बावजूद भी हमारे पाप ढांप दिए गए हैं। यीशु ने उन सारे पापों को धो दिया है और सदा के लिए हमें एक ही बार में बचा लिया है।
इस अनंत छुटकारे को नया नियम में संदर्भित किया गया है। जब यीशु ने बपतिस्मा लिया, तब उसने कहा, ‘अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है’ (मत्ती ३:१५)।
जैसा कि पुराने नियम में बकरे या भेड़ के सिर पर हाथ रखने से लोगों के पापों को उस पर डाल दिया जाता था। यीशु ने संसार के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और सबसे उचित और सही तरह से मनुष्यजाति को शुद्ध कर दिया। उचित है कि हम इसी प्रकार परमेश्वर के सम्पूर्ण अभिप्राय को पूरा करें।
यीशु ने कहा, ‘हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना है।ʼ यीशु का बपतिस्मा उचित रीति से हुआ और उसने सारी मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठा लिया, इस प्रकार वह हमें बचाते हैं।
मत्ती ३:१५ में यह लिखा गया है कि यीशु ने संसार के सारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया। परमेश्वर का न्याय पूर्ण हो गया। हमें इस अनन्त छुटकारे को समझने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हमें इसे उसके छुड़ाने के वचन के रूप में लेना चाहिए। ‘क्या ही धन्य है वह (मनुष्य) जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढांपा गया होʼ (भजन ३२:१)
जब यीशु ने यरदन नदी में यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया तब उसने शरीर और हृदय के सारे पापों को धो दिया। इस भ्रष्ट और चरित्रहीन संसार में हमने जो पाप किए उसके लिए उसने दण्ड सहा। हमारे सारे पापों को दूर करने के बाद वह क्रूस पर मारा गया।
प्रत्येक जो इस पाप के छुटकारे में विश्वास करता है, वह धर्मी हो सकता है और एक बार में हमेशा के लिए निर्दोष ठहरता है। क्योंकि यीशु अनंतकाल तक जीवित है, और जो कोई मसीह में छुटकारे पर विश्वास करता है, वह धर्मी बन जाता है।
अब हम परमेश्वर के सम्मुख हियाव के साथ खड़े रहकर कह सकते हैं, ‘‘आप कैसे हैं, प्रभु? मैं आपके एकलौते पुत्र यीशु मसीह में विश्वास करता हूँ और मैं भी आपकी संतान हैं। हे पिता आपका धन्यवाद। अपने पुत्र के रूप में मुझे ग्रहण करने के लिए आपका धन्यवाद। यह मेरे अच्छे कर्म से नहीं, परन्तु केवल यीशु मसीह में पानी और आत्मा में विश्वास के द्वारा नया जन्म लेने के द्वारा हुआ है। आपने मुझे संसार के सारे पापों से बचा लिया। जो आपने कहा, उस पर मैंने विश्वास किया। ‘क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है’ (मत्ती ३:१५)। यीशु के बपतिस्मा और उसके क्रूस के द्वारा, मैं आपकी संतान हो गया हूँ। इसलिए मैं आपका आभारी हूँ।’’
क्या आपने यीशु के ऊपर अपने सब पापों को सौंप दिया है? क्या आपके सब पाप उसके बपतिस्मा के द्वारा दूर कर दिए गये हैं? बाइबल हमें बताती है कि यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु के लिए धन्यवाद, पापी केवल उसमें विश्वास करने के द्वारा पवित्र हो सकते हैं।
यीशु के बपतिस्मा और छुटकारे के बीच संबंध
यीशु के बपतिस्मा और छुटकारे के बीच क्या संबंध है?
यीशु का बपतिस्मा पुराने नियम में हाथों को रखने के द्वारा मिलते छुटकारे के भविष्यवाणी का प्रतिक है।
कल्पना कीजिए, एक मनुष्य जो पापी होने के बावजूद भी यीशु में विश्वास करता है और कलीसिया में प्रार्थना करता है, ‘प्रिय परमेश्वर, कृपया बीते सप्ताह जो पाप मैंने किए हैं उनके लिए मुझे क्षमा कीजिए। इन पिछले तीन दिनों पहले मैंने जो पाप किए उन्हें क्षमा कीजिए। हे प्रभु, आज जो पाप मैंने किए हैं, उनके लिए मुझे क्षमा कीजिए। मैं यीशु में विश्वास करता हूँ।ʼ
आइये मान लेते है कि ऊपर की प्रार्थना के द्वारा इस मनुष्य के प्रतिदिन के पापों से क्षमा हो गई। परन्तु इसके बाद, वह वापस अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो जाता है और फिर से पाप करता है। तब, वह पुनः पापी बन जाता है।
यीशु परमेश्वर का मेमना बना और अपने बपतिस्मा के द्वारा सब पापियों के पापों को अपने ऊपर ले लिया और क्रूस पर चढ़ाए जाने से उसका प्रायश्चित कर उन्हें बचा लिया। इस प्रकार हम बचा लिए गए, पापी इसमें विश्वास करें कि वह बचा लिये गये हैं।
यीशु ने जब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया था तब उसके द्वारा सारे पाप उसने अपने ऊपर ले लिये गये थे। इस प्रकार परमेश्वर की सारी धार्मिकता पूरी हुई। इस प्रकार संसार के सारे पापों को धो दिया गया। जो कोई इस सच्चाई में विश्वास करता है, वह मुक्त हो जाता है। जैसा कि मत्ती ३:१३-१७ में लिखा है, ‘इसी रीति से’ यीशु को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा दिया गया था और वह सब विश्वासियों का उद्धारकर्ता बना।
सुसमाचार की सच्चाई हमसे कहती हैं कि यीशु ने एक बार में हमेशा के लिए संसार के पापों को अपने ऊपर ले लिया। परन्तु गलत धर्मविज्ञान हमसे कहता है कि हम प्रतिदिन छुड़ाए जाते हैं। हम किसमें विश्वास करेंगे? क्या हम एक ही बार में हमेशा के लिए बचाए जाने में या फिर हमारे प्रतिदिन के बचाये जाने में विश्वास करे?
यह स्पष्ट है कि यीशु ने हमें एक ही बार और हमेशा के लिए छुड़ा लिया है। सच्चा विश्वास पानी और आत्मा के छुटकारे में एक ही बार हमेशा के लिए विश्वास करना है। जो यह विश्वास करता है कि हमें प्रतिदिन बचना चाहिए उसका कभी भी छुटकारा नहीं हो सकता।
उन्हें जानना चाहिए कि वास्तव में छुटकारा यह विश्वास करने से आता है कि यीशु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर मृत्यु के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए हमें छुड़ा लिया है। हम सब परमेश्वर को धन्यवाद दें और इस सच्चे सुसमाचार में विश्वास करें।
परन्तु वे जो अपने विश्वास में भटक गए हैं, वे कहते हैं कि हम केवल मूल पाप से छुड़ाए गए हैं। इसलिए हमें प्रतिदिन वास्तविक पापों से छुड़ाया जाना चाहिए और हम ‘क्रमशःʼ धर्मी होते जाते हैं। यह गलत है।
यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों को क्षमा करने में पूर्ण सक्षम है। यही सच्चाई है। हमारे पापों को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा यीशु के ऊपर डाल दिया गया था और यीशु को क्रूस पर मरना पड़ा ताकि हम बच जायें।
पाप करने के बाद यह कहना कि ‘मुझे क्षमा कीजिए’, यह परमेश्वर के न्याय से उचित नहीं है। परमेश्वर की व्यवस्था कहती है कि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है। हम जानते हैं कि परमेश्वर न्यायी और धर्मी है।
वे जो परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, ‘मैं दुखी हूँ, कृपया मुझे क्षमा कीजिए।ʼ उसके बाद पाप करते हुए वे परमेश्वर के न्याय को नहीं जानते हैं। वे पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना करते हैं, परंतु ऐसा करके वे अपने स्वयं के अंतःकरण की भावना की तीव्रता को कम करते हैं। क्या बार-बार अपने अपराधों के लिए पश्चात्ताप करना और प्रत्येक दिन के पाप के लिए अंतःकरण से दुःखी होना ठीक है? केवल एक ही रास्ता है, यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू में विश्वास करने के द्वारा छुटकारा पायें। हम अपने हृदय में इस पर विश्वास करें। परमेश्वर के न्याय से बचने का हमारे लिए यही एकमात्र रास्ता हो सकता है।
आइये पाप से छुटकारे के विषय में और अधिक विचार करें। इब्रानियों ९:२२ कहता है, ‘सच तो यह है कि व्यवस्था के अनुसार प्रायः प्रत्येक वस्तुएँ लहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं, बिना लहू बहाए पापों की क्षमा नहीं।ʼ
परमेश्वर की न्यायसंगत व्यवस्था के अनुसार पाप लहू के द्वारा शुद्ध किया जाता है और बिना लहू बहाए पापों की क्षमा नहीं है। यही परमेश्वर की न्यायसंगत व्यवस्था है। पापों का मूल्य चुकाए बिना पाप की क्षमा नहीं हो सकती।
परमेश्वर की व्यवस्था न्यायसंगत है। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा यीशु ने बपतिस्मा लिया और हमें पापों से छुड़ाने के लिए क्रूस पर अपना लहू बहाया। अपने बपतिस्मा और क्रूस पर लहू बहाने के द्वारा उसने हमारे सारे अपराधों को अपने ऊपर ले लिया और हमारे सब पापों के लिए क्रूस पर लहू बहाकर उनका मूल्य चुका दिया। उसने हमारे लिए पापों का मूल्य चुका दिया।
क्या छूटकारा एक ही बार हमेशा के लिए मिलता है, या हरदिन मिलता है?
एक ही बार में हमेशा के लिए। यीशु ने अपने बपतिस्मे के द्वारा सारे पापियों के पापों को अपने ऊपर उठा लिया है।
मत्ती ३:१५ में, जब यीशु ने सबसे उचित रीति से बपतिस्मा लिया, उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा सारे पापों को धो दिया और क्रूस पर मरकर संसार के सारे पापों से हमें छुड़ा लिया।
प्रतिदिन पाप की क्षमा मांगना वैसा ही है जैसे कि उससे यह कहना कि हमारे पापों को दूर करने के लिए बार-बार अपने प्राण दे। हमें परमेश्वर की न्यायोचित व्यवस्था को वास्तविक रूप में समझना चाहिए। हमारे पापों से हमें छुड़ाने के लिये यीशु को बार-बार नहीं मरना है।
परमेश्वर उनको अत्यंत अभद्र समझता है, जो बार बार वास्तविक पापों के लिए क्षमा मांगते हैं। ‘ये अभद्र विचार मूर्खता हैं! वे मेरे पुत्र से कहते हैं, यीशु दूसरी बार बपतिस्मा ले और फिर से क्रूस पर मरे! वे यीशु के छुटकारे में विश्वास करने के बावजूद भी अपने आप को पापी कहते हैं! मैं अपने न्यायसंगत विधान से उनका न्याय करूंगा और उन सबको नरक की अग्नि में डालूंगा। क्या आप अपने एकलौते पुत्र को दोबारा मारने पर राजी हो जाएंगे? क्या तुम मुझ से मेरे पुत्र को तुम्हारे वास्तविक पापों के लिए फिर से मारने के लिए कहते हो। मैंने पहले ही अपने पुत्र को तुम्हें संसार के पापों से बचाने के लिए एक ही बार सदा के लिए बलि कर दिया है। इसलिए मुझ से बार-बार अपने वास्तविक पापों की क्षमा के लिए निवेदन करने के द्वारा मेरे क्रोध को मत बढ़ाओ। केवल पानी और आत्मा के छुटकारे के सुसमाचार में विश्वास करो।ʼ
वे जो अभी भी पाप करते हैं, यीशु उनसे कहते हैं कि वे उस कलीसिया में जाएं जहां सच्चा सुसमाचार प्रचार किया जाता है। गलत विश्वास को त्यागकर और विश्वास के साथ असत्य को जीतने के द्वारा छुटकारा पाएं।
यही समय आप के लिए है, अपने हृदय में विश्वास करने के द्वारा आप बच जाएंगे। क्या आप विश्वास करते हैं?
विश्वास का परिणाम सच्चाई में नहीं, परंतु कार्यों में है
क्यों ज्यादातर मसीही निरंतर विश्वास का जीवन जीने में असफल हैं?
क्योंकि वे अपने स्वयं के कार्यों पर भरोसा करते हैं।
जो पापी यीशु में विश्वास करते हैं, परन्तु बचाए नहीं गए वे ३-५ वर्षों के लिए तेज चमक सकते हैं। वे प्रारंभ में उत्साह से भरे होते हैं, परंतु उनका विश्वास समय के साथ कम हो जाता है। यदि आप अपने कार्यों के द्वारा यीशु में विश्वास करते हैं, तो बहुत जल्दी आपका भी उत्साह गायब हो जाएगा और ऐसा ही होगा।
अंधा देख नहीं सकता है। इसलिए वे अपनी दूसरी इंद्रियों पर निर्भर रहते हैं और अपने ज्ञान को बढ़ाते हैं। जब वे आंसुओं को बहते हुए अनुभव करते हैं, तो वे पापों की क्षमा को एक चिन्ह मानने की गलती करते हैं। सच्ची क्षमा एक भावना नहीं है।
आत्मिक रीति से अंधा घमंडपूर्वक आत्मिक जागृति सभाओं में भाग लेने के द्वारा फिर से अपने प्रेम को पाने की कोशिश करता है, परंतु वे कभी भी अपनी उस भावना को भर नहीं सकते। पापों की क्षमा प्राप्त करना उसी प्रकार असंभव है। यदि उन्होंने प्रारंभ से उचित विश्वास किया होता, तो दिन गुजरते क्षमा और उसका अनुग्रह बढ़ता जाता।
परंतु गलत पाप की क्षमा केवल शुरूआत में चमकती है और उसके बाद यह इच्छा खो जाती है। उत्साह की चमक गायब हो जाती है क्योंकि आत्मिक रीति से अंधे सत्य के सुसमाचार को आरंभ से सुनने और समझने में असफल होते हैं।
पाखंडी सदूकी और फरीसी लोग धर्मशास्त्र को भुजाओं के नीचे दबाकर चलते हैं, प्रभु की प्रार्थना को याद करते हैं और प्रेरितों का विश्वास वचन स्मरण करते और हर समय प्रार्थना करते हैं। वे कलीसिया में उच्च स्थान पाते और भावनात्मक रूप से आत्मिकता में भरे होते हैं, परंतु पाप से भरे होते हैं। और अन्त में परमेश्वर के द्वारा अस्वीकृत कर दिये जाते हैं। बाहर से धार्मिक जोश से भरे सफेद चूने से पुती कब्र होते हैं, परंतु अन्दर से उनके हृदय पाप में सड़ते रहते हैं। यह विश्वास का परिणाम है जो सच्चाई से नहीं, परंतु धर्म पर आधारित कार्यों का परिणाम होता है।
हम विश्वास से धर्मी बनते हैं
क्या इस संसार में सारे पाप की छुड़ौती का कार्य पूरा कर दिया गया है?
हाँ। यह यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु के द्वारा परिपूर्ण किया गया है।
आइये, अब हम इब्रानियों १०:१६-१८ को पढ़ें, ‘प्रभु कहता है कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बांधूंगा, वह यह है कि मैं अपने नियमों को उनके हृदय पर लिखूँगा और मैं उनके विवेक में डालूँगा। फिर वह यह कहता है, ‘मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा।’ और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।’
चूंकि अब हम यीशु के बपतिस्मा के पानी और क्रूस पर उसके लहू के द्वारा छुड़ाए गए हैं तो फिर हमें पाप के लिए प्रायश्चित करने की आवश्यकता नहीं है। जब आप इसे पहली बार सुनते हैं तो हो सकता है कि आपको यह अजीब लगे, परंतु यह बाइबल के वचनों के अनुरूप है। क्या यह मनुष्यों के वचन हैं? बाइबल प्रत्येक चीजों को मापने के लिए निर्धारित मानक और साहुल है।
जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँघूंगा वह यह है कि मैं अपने नियमों को उनके हृदय पर लिखूँगा और उनके विवेक में डालूँगा। छुटकारा होने के बाद आप कैसा महसूस करेंगे? आप महसूस करेंगे कि अब आपका हृदय पाप से मुक्त हैं, आप नई स्फूर्ति महसूस करेंगे। आप एक धर्मी व्यक्ति बन जाते हैं और प्रकाश में रहते हैं।
और प्रभु इब्रानियों १०:१७ में कहते हैं, ‘मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा।’ वह हमें कहता है कि वह हमारे पापों को और अपराधों को जिससे हमको मुक्त किया है, उसे फिर कभी स्मरण नहीं करेगा। क्यों? क्योंकि यीशु ने सबसे उपयुक्त रीति से बपतिस्मा लिया। ‘इस प्रकार’ से उसने हमारे सब पापों को अपने ऊपर ले लिया है। अपने ऊपर सारे पाप लेने के उपरान्त यीशु ने उनके लिए जो उस पर विश्वास करते हैं, दण्ड पाया।
अब उसने हमारे सारे पापों का भुगतान कर दिया है, हो सकता है की हम इसे याद रखे, परंतु हमें इनके बारे में अपराध बोध महसूस नहीं करना है। हम अपने पापों के लिए प्राण नहीं दे सकते क्योंकि यीशु ने हमारे सारे पाप धो दिए और हमारे लिए क्रूस पर लहू बहा कर अपना प्राण दे दिया है।
इब्रानियों १०:१८ कहता है, ‘और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।’ इसका अर्थ है कि उसने संसार के सारे पापों को धो दिया है। इसका यह भी अर्थ है कि जो यीशु में नया जन्म लेते हैं, उन्हें पाप के लिये बलिदान की कोई आवश्यकता नहीं है।
‘हे ईश्वर, कृपया मुझे क्षमा कीजिए। मैं यीशु पर विश्वास करता हूँ और अभी भी मैं घोर निराशा में पड़ा हूँ, अब तक मैं बचाया नहीं गया हूँ। मैं एक मसीही हूँ, परंतु मेरा मन पूर्णरूप से सड़ गया है।ʼ हमें इस तरह प्रार्थना करने की जरूरत नहीं है।
पापी इसे बिना जाने इस प्रकार के पाप करते रहते हैं। वे नहीं जानते कि पाप क्या है, क्योंकि वे परमेश्वर की व्यवस्था की सच्चाई को नहीं जानते हैं। वे केवल इतना जानते हैं कि उनके अंतःकरण में पाप नहीं है, परंतु वे नहीं जानते कि यह परमेश्वर के सम्मुख पाप है। परमेश्वर ने हमको स्पष्ट किया है कि यीशु पर विश्वास नहीं करना भी एक पाप है।
यूहन्ना १६:९ में वह कहता है कि परमेश्वर के सम्मुख पाप क्या है। ‘पाप के विषय में इसलिए कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते।ʼ यीशु में विश्वास नहीं करना यह परमेश्वर के सम्मुख पाप है। यूहन्ना १६:१० पद कहता है, धार्मिकता क्या है? ‘धार्मिकता के विषय में इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँ, और तुम मुझे फिर न देखोगे।ʼ दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने इस संसार को सब पापों से पहले ही छुड़ा लिया है, और इस प्रकार वह फिर से अपने दुबारा बपतिस्मा और क्रूस की मृत्यु सहकर हमें नहीं छुड़ाएगा।
वह उनको जो पवित्रीकरण के छुटकारे में विश्वास करते हैं, बुलाता है और उन्हें धर्मी बनाता है। इस संसार में पापों से छुटकारा उसके बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु के द्वारा पूरा कर दिया गया है। पापियों को बचाने के लिए अब दूसरे छुटकारे की आवश्यकता नहीं है।
‘किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकेंʼ (प्रेरितों के कार्य ४:१२)। यीशु ने इस संसार में आकर यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपना लहू बहाने के द्वारा सब पापियों को छुड़ा लिया। अपने हृदय में इस पर विश्वास करें और बच जाएं। यीशु ने पानी और आत्मा से आपको पवित्र कर दिया है।
यीशु ने अपने पानी और आत्मा के द्वारा हमारी देह से सब पापों को मिटा दिया है। हम विश्वास से बचाए गए हैं। यदि हम सच्चाई में विश्वास करें, यदि हम यीशु मसीह के द्वारा सुसमाचार में विश्वास करें, तो हम एक ही बार में हमेशा के लिए धर्मी बन जाते हैं। यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु ये दो तत्व आधारभूत सच्चाई के घटक हैं।
पापियों द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए उपयोग किये जाने वाले वचन
क्या वास्तव में हम अपने पापों का अंगीकार करके छूटकारा पाते है, या हम पहले ही छूटकारा पाए हुए हैं?
परमेश्वर ने पापों से एक ही बार में हमेशा के लिए छूटकारा दे दिया है।
१ यूहन्ना १:९ कहता है, ‘यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।ʼ
यह अच्छा होता, यदि हमें पापों की क्षमा के लिए केवल हमारे पापों को अंगीकार करने की आवश्यकता होती। इसी मानस से कुछ धर्मवैज्ञानिक एक नये सिद्धांत के लिए बड़े विचार के साथ आए। वे जोर देते हैं कि यदि कोई अपने पापों को लगातार स्वीकार करता है, तो उसके पाप क्षमा किये जा सकते हैं। क्या यह आसान है? परन्तु यीशु ने कभी नहीं कहा कि हमें परमेश्वर के सम्मुख हमेशा अंगीकार करना है।
क्या वास्तव में हमारे पाप केवल स्वीकार करने के द्वारा क्षमा हो जातें हैं या क्या हमें पहले से ही क्षमा कर दिया गया है? आप किस पर विश्वास करेंगे? लोग जो इस गलत सिद्धांत का समर्थन करते हैं कि उनके प्रत्येक समय अपने पापों को स्वीकार करने से उनकी क्षमा हो जाती है, पर वास्तव में, उनके हृदय में पाप बचे होते हैं क्योंकि वे मुक्ति के सही वचनों को नहीं जानते। इसका कोई मतलब नहीं है कि पापी जो यीशु में विश्वास करते हैं, जब कभी वे वास्तविक पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना करते हैं, तो उन्हें क्षमा कर दिया जाता है।
इस कारण से, हमें उसके छुटकारे के वचनों पर विशेष ध्यान देना होगा और हमें क्या सिखाया गया है उसकी परवाह न करते हुए हमें सच्चाई और झूठ को अलग अलग समझना होगा।
पापी लोग १ यूहन्ना १:९ को समझने में गलती करते हैं। वे भूलवश यह सोचते हैं कि यह प्रतिदिन के पापों की क्षमा से संबंधित है। आइये सावधानीपूर्वक इस शिक्षा को पढ़ें। ‘यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।ʼ आप क्या सोचते हैं कि हम केवल मूल पाप से बचाये जाते हैं अर्थात् हम हमारे वास्तविक पापों को स्वीकार करते हैं, तो परमेश्वर हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने के लिए विश्वासयोग्य और धर्मी है और उन्हें क्षमा करता है। ये सब केवल गुमराह करने वाले विचार हैं जो हमारे शरीर की कमजोरी के कारण से हैं।
हम समझते हैं कि जब हम यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू में विश्वास करते हैं तो यह सत्य नहीं है। जबकि सब पाप बहुत पहले ही उसके बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू से धो दिए गये हैं।
आत्मा के अनुसार विश्वास करना और गुमराह करने वाले विचारों के अनुसार विश्वास करना दो अलग अलग चीज हैं। जो अपने स्वयं के विचारों के अनुसार विश्वास करते हैं, वे प्रतिदिन अपने पापों को धोने की आवश्यकता महसूस करते हैं। परंतु वे जो पानी और लहू के छुटकारे में विश्वास करते हैं, वे जानते हैं कि एक ही बार में हमेशा के लिए यीशु मसीह के बपतिस्मे और उसके लहू के द्वारा वे मुक्त हो गए हैं।
वे जो विश्वास करते हैं कि उन्हें प्रतिदिन पाप स्वीकार करने से नया छुटकारा मिलता हैं, वास्तव में वे यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू के द्वारा छुटकारे में विश्वास न करने का पाप करते हैं।
क्या आप यीशु के बपतिस्मा और लहू के द्वारा एक बार में हमेशा के लिए बच जाते हैं? वे जो बचाए नहीं गए हैं, प्रतिदिन अपने पापों को स्वीकार करने के द्वारा उद्धार पाने की कोशिश करते हैं। यह फिर भी समस्या को उत्पन्न करता है की जो वास्तविक पाप वे भविष्य में करेंगे उसका क्या होगा।
वे पहले से ही अपने भविष्य के पापों को स्वीकार करने की कोशिश करना चाहते हैं। परंतु ऐसा करके वे यीशु में विश्वास करने की कमी दिखाते हैं। ये लोग छुटकारे के सुसमाचार के प्रति अंधे हैं। यीशु ने हमें अपने बपतिस्मे और लहू से एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों से छुड़ा कर, स्वयं अपने ऊपर न्याय को ले लिया है। हम सिर्फ उस पर विश्वास करने के द्वारा ही छुड़ाए गये हैं।
यदि आप सोचते हैं कि आप भविष्य के पापों को स्वीकार करने से बच जाएंगे, तो अविश्वासी और आप में कोई अंतर नहीं है जो पानी और आत्मा से नया जन्म लेने को नहीं जानता। पापी कभी भी पापों को स्वीकार करने से बच नहीं सकते।
इसलिए यदि आप ईमानदारी से अंगीकार करते हैं कि ‘मैं एक पापी हूँ जो अब तक बचाया नहीं गया हूँ, और तब यदि आप यीशु के बपतिस्मा के सुसमाचार और क्रूस पर उसकी मुत्यु के सुसमाचार को सुनते हैं और उसमें विश्वास करते हैं, तो परमेश्वर आपको अवश्य आपके पापों से छुड़ा लेंगे।
यदि आप छुटकारे के सुसमाचार में विश्वास नहीं करते हैं और केवल पश्चात्ताप की प्रार्थना के नीचे खुद को छिपाते हैं, तो जब यीशु इस संसार में फिर से न्याय करने आएगा तब आप परमेश्वर के भयानक न्याय का सामना करेंगे ।
वे जो पानी और आत्मा से छुटकारे के सुसमाचार में विश्वास नहीं करते उनका न्याय किया जाएगा। यदि वे अपने अंगीकार के पीछे छिपते हैं, तो वे उसके न्याय का सामना करेंगे। इसलिए न्याय के दिन की प्रतीक्षा न करें। अभी समय है, पानी और आत्मा के धन्य सुसमाचार में विश्वास करें।
उचित अंगीकार और सच्चा विश्वास
एक पापी का उचित अंगीकार क्या है?
यह अंगीकार करना कि जब तक वो सच्चे सुसमाचार में विश्वास नहीं करता तब तक वह अभी भी पापी है और वह नरक में जाएगा।
परमेश्वर ने हमें एक ही बार और हमेशा के लिए छुड़ा लिया है। यहाँ विवेचना के लिए एक वास्तविक जीवन का उदाहरण है जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ। मान लें कि उत्तरी कोरिया का एक गुप्तचर दक्षिणी कोरिया आता है। वह देखता है कि ये कैसे धनी और सफल हैं। वह विचार करता है कि वह भ्रमित हो गया है, और अपने आप को समर्पित कर देना चाहता है।
जैसे ही वह नजदीक के पुलिस स्टेशन को जाता है तो वह इस तरह अंगीकार करता है, ‘मैं उत्तर कोरिया का एक गुप्तचर हूँʼ, यहाँ ‘मैं दक्षिण से किसी प्रमुख व्यक्ति की हत्या करने आया हूँ, और यहां-वहां विस्फोट करना है। मैं पहले भी यह विस्फोट कर चुका हूँ, परंतु अब मैं अपने आपको समर्पण करना चाहता हूँ। इसलिए अब मैं वास्तव में एक गुप्तचर नहीं हूँ।’
क्या यह उचित अंगीकार है? यदि वह वास्तव में अंगीकार करना चाहता है, तब उसे कहना चाहिए, ‘मैं एक गुप्तचर हूँ।ʼ सीधा वक्तव्य सब कुछ बयान कर देता है कि वह एक बुरा व्यक्ति है और वह दोषी है। इस सरल वक्तव्य के साथ, उसे सौंपे गए कार्यों की परवाह किये बिना उसे क्षमा किया जाएगा।
उसी प्रकार, यदि एक पापी परमेश्वर के सम्मुख स्वीकार करे, कि ‘मैं एक पापी हूँ। मेरा छुटकारा अब तक नहीं हुआ है। मैं दण्ड पाने और नरक जाने योग्य हूँ। कृपया मुझे बचा लीजिएʼ और यीशु में विश्वास करता है तो वह बच जाएगा। यीशु ने हमारे लिए बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपना लहू बहाया था, और हमें जो कुछ करना है, वह यह है कि हम उस छुटकारे पर विश्वास करें और बच जाएं।
प्रकाशितवाक्य २:१७ कहता है, ‘जो जय पाए, उस को मैं गुप्त मन्ना में से दूँगा, और उसे एक श्वेत पत्थर भी दूँगा; और उस पत्थर पर एक नाम लिखा होगा, जिसे उसके पानेवाले के सिवाय और कोई नहीं जानता।ʼ बाइबल कहती है कि केवल सच्चे सुसमाचार स्वीकार करनेवाला, यीशु के नाम को जानेगा। केवल वह जिसने एक बार हमेशा के लिए छुटकारा पाया है, वही धर्मी हो जाने के रहस्य को जानेगा।
जो प्रतिदिन पश्चात्ताप की प्रार्थना करने के बावजूद भी इसे नहीं जानते वे अभी भी पापी हैं। अंगीकार करने का अर्थ यह नहीं है कि प्रतिदिन क्षमा के लिये प्रार्थना करें। भले ही वह १० वर्षों से मसीही हो, यदि वह परमेश्वर से क्षमा के लिये प्रतिदिन कहता हो, तो वह अभी भी एक पापी है। अभी तक वह परमेश्वर की संतान नहीं बना है।
बचाए जाने के लिए उन्हें कबूल करना होगा कि वे पापी हैं, और यीशु के छुटकारे के कार्य में विश्वास करते है। यही सच्चा विश्वास है।
१ यूहन्ना १:९ हमें अंगीकार के बारे में यह नहीं कहता की व्यक्ति के पापों की सूची बनाए
क्या हमें बचने के लिए प्रतिदिन हमारे पापों को स्वीकार करना है या केवल एक ही बार?
केवल एक ही बार
क्या एक चोर और एक हत्यारा अपने कार्यों को स्वीकार करके बच सकता है? पापी अपने पापों को स्वीकार करने के द्वारा नहीं बचेगा। वे केवल पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के धन्य सुसमाचार के द्वारा यीशु में विश्वास से बच सकते हैं।
कुछ गुमराह मसीही इस प्रकार अंगीकार करते हैं, ‘प्यारे परमेश्वर, किसी दूसरे के साथ फिर से मैंने आज झगड़ा किया है। मैंने पाप किया है, मैंने किसी को धोखा दिया। मैंने कुछ चुराया है।’
यदि वे इस तरह परमेश्वर के पास जाते हैं तो परमेश्वर कहेगा, ‘शांत हो जाओ, तुम पापी हो! तो क्या हुआ?
‘कृपया मुझे सुनिए। परमेश्वर, आप हमसे पाप अंगीकार करने के लिए कहते हैं। मैं आपकी दया की याचना करता हूँ।ʼ
क्या इस प्रकार की प्रार्थना को परमेश्वर सुनना चाहेगा? वह उनकी प्रार्थना सुनना चाहेगा जो पानी और आत्मा के छुटकारे में विश्वास करते हैं। जो अपने पापों को मान लेते हैं और पानी और आत्मा से वास्तविक नया जन्म लेने के सुसमाचार में विश्वास करते हैं।
अगस्टीन कहते हैं कि जब से वह अपनी माता के स्तन से दूध पीने लगा, तभी से पश्चात्ताप कर रहा है। वह सोचता था कि इस प्रकार अंगीकार करना उसे स्वर्ग के राज्य में ले जा सकता है। हम इस पर केवल हँस सकते हैं। केवल पापों को अंगीकार करने से कुछ नहीं होगा।
परमेश्वर कहते हैं, ‘चुप हो जाओ और यदि तुमने पाप किया है, तो मुझसे कहो। यदि तुमने किया है, तब इसके बारे में कहना बंद करो। तुमने अब तक गलत रीति से विश्वास किया है, इसलिए तुम उस कलीसिया में जाओ जहां सच्चा सुसमाचार सिखाया जाता है। छुटकारे के सुसमाचार में उचित तरह से विश्वास करो और छुटकारा पाओ। यदि नहीं करेंगे, तो मैं आऊंगा और तुम्हारा न्याय करूंगा।ʼ
क्षमा के लिए पश्चात्ताप की प्रार्थना और अंगीकार के द्वारा बचाये जाने की कोशिश करना हमें असत्य विश्वास की ओर ले जाने का संकेत देते हैं।
यह १ यूहन्ना १:९ में लिखा गया है कि जब हम अपने सब पापों को मान लेते हैं, तब पानी और लहू के सुसमाचार सब पापों से हमें छुड़ा देता है।
‘मुझसे दूर हो जाओʼ
व्यवस्थाविहीन होने के अभ्यास का क्या अर्थ है?
इसका अर्थ है हृदय में पाप के साथ पाप के साथ यीशु में विश्वास करना।
मसीही पापियों के पास भ्रमित विश्वास होता है, यीशु के सम्मुख विधि विहीन जीवन जीने का अभ्यास। ‘उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूंगा, ‘मैंने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनवालो, मेरे पास से चले जाओ’ (मत्ती ७:२२-२३)।
कल्पना करें कि वह जो गलत विश्वास करके मर जाता है, वह परमेश्वर के सम्मुख आकर कहता है, ‘आप कहाँ हैं प्रभु? जब मैं आपके बारे में नीचे सोच ता था तब आप बहुत सुन्दर थे, परंतु ऊपर यहाँ पर आप अत्यधिक सुंदर दिखते हैं। आपका धन्यवाद, प्रभु। आपने मुझे बचाया। मैं विश्वास करता हूँ कि मेरे हृदय में पाप है, फिर भी आपने पापरहित के जैसे मुझ पर दृष्टि डाली है। मैं यहाँ आया हूँ तब से आपने मुझे स्वर्ग ले जाने की प्रतिज्ञा की थी। अब मैं खिले हुए फूलों को यहाँ वहाँ पूरे तौर पर देखूंगा। अलविदा, और मुझे आशा है, मैं आपको चारों ओर देखूं।ʼ
वह बगीचे की ओर जाना प्रारंभ करता है, परन्तु यीशु उसे रोकते हैं। ‘रूको! आइये देखें यदि इस व्यक्ति के हृदय में पाप है। क्या तुम एक पापी हो?ʼ
‘निश्चय मुझ में पाप है। परंतु क्या मैं आपके ऊपर विश्वास नहीं करता?ʼ
‘क्या तुम मुझ पर विश्वास करने के बाद भी पाप करते हो?ʼ
‘निश्चय! मैंने पाप किया है।ʼ
‘क्या? तुम्हारे अंदर पाप है? मुझे जीवन की पुस्तक और व्यवस्था के कामों की पुस्तक दोनों दो। इसमें इसका नाम देखो। देखो इसका नाम किस पुस्तक में है।ʼ
निश्चय, इसका नाम व्यवस्था के कामों की पुस्तक में है।
‘अब, तुमने जो पाप पृथ्वी पर किए हैं, उनका अंगीकार करो।’
यह व्यक्ति तैयार नहीं, लेकिन परमेश्वर ने उस पर अपना मुँह खोलने का दबाव डाला और उसने अपने पाप मान लिए।’
‘हाँ, मैंने पाप किए हैं और ऐसे ही कुछ पाप . . ’
वह पूरी तरह भ्रमित था और अपना मुँह बंद न रख सका।
‘सब ठीक है, इतना पर्याप्त है! इसने नरक में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त पाप किए हैं। इसने योग्यता से बढ़कर किया है! इसे जलनेवाले उस स्थान में भेज दो।ʼ
यह उस स्थान में न जाएं जहाँ फूल खिले हों, परन्तु उस स्थान में डाल दो जो आग और गंधक से भरा स्थान है। जब वो नरक में जाएगा तो अपने दांत पीसेगा।
‘मैंने आप में विश्वास किया, आपके नाम में भविष्यद्वाणी की, प्रचार किया, आपकी सेवा के लिए घर बेच दिया, अनाथों की सहायता की, आपके नाम में बहुत सी पीड़ा सही, घुटने टेककर प्रार्थना की, बीमारों की सुधि ली . . . मैं स्वर्ग जाने के योग्य हूँ।ʼ
वह अपने दाँतों को अत्यधिक पीसते हैं कि वह घिसकर छोटे हो जाते हैं। जब वह नरक में पहुंचता है, तो वह उन सब मसीहियों को देखता है जो यीशु में छुटकारे के सही अर्थ को नहीं समझ पाए। जिन्होंने उद्धार के सुसमाचार को व्यर्थ समझा उनको फेंक दिया गया था।
झूठे विश्वासियों के पापों को कर्मो की किताब में दर्ज किया गया है
सारे पापियों के पापों को कहाँ दर्ज किया गया है?
वे उनके हृदयों में और कर्मो की किताब में दर्ज हैं।
हम यीशु में विश्वास करें या न करें, परमेश्वर उन्हें नाश कर देगा जिनके हृदयों में पाप है। यदि वह किसी के हृदय में पाप का एक दाग भी पाए, तो वह व्यक्ति न्याय के दिन नरक में जाएगा। परमेश्वर का आग्रह है कि वे पापी जो अभी तक छुड़ाए जाने के लिए स्वीकार नहीं किए हैं, यदि वे छुटकारा पाने की इच्छा रखना चाहते हैं तो परमेश्वर उन्हें छुड़ाएगा।
एक पापी का पाप उसके हृदय में दर्ज है। वे जो पानी और आत्मा से नया जन्म प्राप्त कर चुके हैं वे अपने पापों को स्मरण करेंगे, परन्तु वह उनके हृदय से मिटाया जा चुका है। वे ही धर्मी हैं।
परंतु जिन्होंने नया जन्म नहीं पाया है उनके हृदयों में पाप बसता है। इसलिये वे परमेश्वर के सम्मुख पापी हैं। जब भी वे प्रार्थना के लिए झुकते हैं, उनके पाप उन्हें परमेश्वर से अलग कर देते हैं और उनके पाप परमेश्वर को उनकी प्रार्थना सुनने में रूकावट बन जाते हैं। वे इसके और उसके लिए प्रार्थना करते हैं, परन्तु उनके पाप बने रहते हैं। वे अपने पापों को अंगीकार करके, १० वर्ष पहले, ११ वर्ष पहले, यहाँ तक कि २० वर्षों पहले किये गए पापों के लिए पश्चात्ताप करते हुए अंत करते हैं।
क्या उन्हें वास्तव में अपनी प्रार्थनाओं में बार बार अपने पापों से क्षमा की जरूरत है? वे ऐसा क्यों करते हैं? वे ऐसा कारण नहीं चाहते, परन्तु जब कभी वे प्रार्थना आरंभ करते हैं, तो स्मरण करते हैं कि वे परमेश्वर के सम्मुख अपराधी हैं। इसलिए वे महसूस करते हैं कि उन्हें पहले की अपेक्षा अधिक गंभीरता के साथ अपने पापों के प्रायश्चित के लिए प्रार्थना की आवश्यकता है।
परमेश्वर ने उनके पापों को लोहे की कलम से उनके हृदय रूपी पट्टिका पर लिखा है इसलिए उनके पाप कभी मिटाए नहीं जा सकते। इसके परिणाम स्वरूप वे परमेश्वर के सामने आने से पहले प्रत्येक समय अपने पापों का अंगीकार करते हैं। इसलिए वे जो यीशु के सम्पूर्ण सुसमाचार में से केवल आधे में विश्वास करते हैं, वे पापी के जैसे घोर निराशा में जीते हैं और अंत में नरक के भागी होते हैं।
यिर्यमाह १७:१ में, यह लिखा गया है कि ‘यहूदा का पाप लोहे की टाँकी और हीरे की नोक से लिखा हुआ है; उनके हृदयरूपी पटिया और उनकी वेदियों के सींगों पर भी खुदा हुआ है।ʼ
यहूदा इस्राइल देश के राजकीय गोत्र का नाम है। बाइबल में यहूदा को सारी मनुष्यजाति का प्रतिनिधि बताया गया है। इसलिए यहूदा का मतलब है सब लोग।
यहूदा का पाप लोहे की कलम से लिखा हुआ है और हीरे की नोक से खुदा हुआ है जो केवल लोहे से कट सकता है। दुनिया में हीरा सबसे कड़ी धातु है। हमारे पापों को लोहे की कलम और हीरे की नोक से लिखा हुआ है।
जो एक बार खोद दिया गया है, वह मिटाया नहीं जा सकता। जब तक हम पानी और आत्मा की सच्चाई में विश्वास नहीं करेंगे, तब तक हमारे पाप नहीं मिटेंगे।
उनके सोच और विचारों से ही छुटकारा पाने का कोई अर्थ नहीं है, यदि उनके हृदयों में अभी भी पाप है तो, मसीही सिद्धांतों पर विश्वास करना, धर्मविज्ञान को कण्ठस्थ कर लेना, और अपनी आय को कलीसिया में समर्पित करने का कोई उपयोग नहीं है।
यीशु के बपतिस्मे के बिना उनके पाप कभी मिटाये नहीं जा सकते, इसलिए पापी इसे स्मरण रखें, और जब कभी भी प्रार्थना कटे तो कहें, ‘प्रभु मैं एक पापी हूँʼ। उनके हृदय में पाप होने के बावजूद भी वे परमेश्वर से संगति की कोशिश करते हैं, कलीसिया की बड़ी जिम्मेदारियां अपने ऊपर ले ली हैं, और धर्मविज्ञान और डॉक्टरेट की पढ़ाई करते हैं।
इसलिए वे पहाड़ों पर जाते हैं, व्यर्थ में अन्य भाषा बोलते हैं और जलती हुई झाड़ी का दर्शन पाने की कोशिश करते हैं, परन्तु यह सब व्यर्थ है। यदि आपके हृदय में अभी भी पाप है, तो आपको कभी भी शांति नहीं मिलेगी।
हमारे पाप जैसाकि निर्मयाह १७:१ में लिखा है, उनकी वेदी के सींगों पर भी उनका अधर्म अंकित है। स्वर्ग में, वहाँ जीवन और कार्यों के लेखे-जोखे की पुस्तक है। पापियों के पाप कार्यों के लेखे-जोखे की पुस्तक में दर्ज हैं और इस प्रकार लोग अपने अपराधों से कभी भी बच नहीं सकते हैं। परमेश्वर ने उन्हें कार्यों की पुस्तक और हमारे मन की पट्टियों पर लिखा है और हमको अपनी व्यवस्था को दिखाता है।
यीशु के बपतिस्मे और उसका लहू जो हमारे छुटकारे के लिए बहाया गया था, इसमें विश्वास करने के द्वारा हम इस लेख को धोकर साफ कर सकते हैं। तब हम अनन्त जीवन के लिए तैयार होंगे और हमारा नाम जीवन की पुस्तक में लिख दिया जाएगा।
क्या आपका नाम जीवन की पुस्तक में है?
किसका नाम जीवन की पुस्तक में सूचित है?
जिनके हृदय में पाप नहीं है उनके नाम वहाँ दर्ज किये गये हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि आपका नाम जीवन की पुस्तक में अंकित किया जाए। यदि आपका नाम वहां पर अंकित नहीं है, तो यीशु में विश्वास करने का क्या फायदा है? वास्तव में छुटकारा पाने के लिए आपको पानी और आत्मा के सुसमाचार से नया जन्म लेने में विश्वास करना चाहिए।
यीशु इस दुनिया में आए, और जब वे ३० वर्ष के हुए तब उन्होंने बपतिस्मा लेकर संसार के सारे पापों को धो दिया और हमें बचाने के लिए क्रूस पर मारे गये। जैसा कि मत्ती ३:१५ में लिखा गया है, ‘इसी प्रकारʼ यीशु ने बपतिस्मा लिया और क्रूस पर चढ़ाए गए। हमारे विश्वास करने के कारण हमारा नाम जीवन की पुस्तक में लिखे गये हैं।
जब लोग मरते हैं और परमेश्वर के सम्मुख खड़े होते हैं, तो परमेश्वर स्वर्गदूत से कहता है, ‘देखो इस व्यक्ति का नाम जीवन की पुस्तक में है।ʼ
‘यह है, प्रभु।ʼ
‘हाँ, तुमने दुःख उठाया, पृथ्वी पर मेरे लिए आँसू बहाए, अब मैं ऐसा बनाऊंगा कि तुम्हें फिर कभी ऐसा नहीं करना होगा।ʼ
परमेश्वर इनाम के रूप में उसे धार्मिकता का मुकुट प्रदान करते हैं।
‘धन्यवाद प्रभु। मैं हमेशा आपका आभारी रहूँगा।ʼ
‘स्वर्गदूतों, इस व्यक्ति को मुकुट पहनाया जाए।ʼ
‘प्रभु जी, आपने मुझे बचाया यही मेरे लिए सबसे बढ़कर है। यह मुकुट मेरे लिए सबसे बढ़कर हो गया है। आपका धन्यवाद। मैं अत्यंत आभारी हूँ कि आपने मुझे बचाया। मैं आपकी उपस्थिति में रहकर बहुत संतुष्ट हूँ।ʼ
‘स्वर्गदूतों, घुटने टेको और मेरे इस १०,००० वें पुत्र को अपनी पीठ पर उठा लो।ʼ
उस स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, ‘हाँ, श्रीमान।ʼ
‘कृपया मेरी पीठ पर बैठिये।ʼ
‘यह अत्यंत आरामदेह है। क्या मैं ठीक कर रहा हूँ? आइए चलें।ʼ
स्वर्गदूत ने सावधानी से कदम बढ़ाए।
‘क्या आप कुछ दूर चलना पसंद करेंगे?ʼ
‘वाह, यह स्थान बहुत सुन्दर है। यह कितना विशाल है?ʼ
‘मैं इस सब स्थानों पर अरबों वर्षों से अधिक के लिए जा रहा हूँ, परन्तु मैंने अभी इसका अन्त नहीं पाया।ʼ
‘क्या यह सच है? मैं आपके लिए बोझ बन रहा हूँ। अब आप मुझे नीचे उतार दीजिए।ʼ
‘हम यहाँ शक्ति के द्वारा कभी चल नहीं सकते।ʼ
‘धन्यवाद आपका, परन्तु मैं स्वर्ग राज्य के धरातल पर खड़ा होना चाहता हूँ, अब यहाँ पर वे धर्मी जो मुझसे पहले पहुँचे हैं, कहाँ हैं?ʼ
‘वे यहाँ पर हैं।ʼ
‘चलिए वहाँ।ʼ
हाल्लेलूयाह! वे एक दूसरे से गले मिल रहे हैं और मुस्कुरा रहे हैं। और उसके बाद हमेशा के लिए खुशी-खुशी रहने लगते हैं।
अब कल्पना कीजिए कि एक मनुष्य जिसने यीशु में विश्वास किया, लेकिन वह अभी भी पापी है और मर गया और परमेश्वर के सम्मुख खड़ा है। वह भी कहता है कि उसने यीशु पर विश्वास किया है और स्वीकार किया कि वह एक पापी है।
परमेश्वर स्वर्गदूत से कहते हैं, ‘देखो, इसका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा गया है।ʼ
‘यह इस पुस्तक में नहीं है, प्रभु।ʼ
‘तब कार्यों के लेखे-जोखे की पुस्तक में देखो।ʼ
‘इसका नाम और पाप इस पुस्तक में हैं।ʼ
‘तब इस मनुष्य को उस स्थान में भेज दो जहाँ पर उसे ईधन की कीमत के बारे में कभी चिंता नहीं होगी, और इसे हमेशा के लिए वहाँ रहने दो।ʼ
‘ओह, प्रभु, यह तो अन्याय है. . .।ʼ
वह कहता है, यह अन्यायपूर्ण है। वह तो यीशु में लगातार विश्वास करता था फिर उसे क्यों नरक भेजा जाएगा?
यह व्यक्ति शैतान के द्वारा बहका दिया गया था और उसने सुसमाचार की केवल आधी सच्चाई को ही सुना था। यदि हम यीशु के द्वारा छुटकारे की सच्चाई के सही अर्थ को नहीं समझते हैं, तो अंत में हम भी अवश्य ही नरक में होंगे।
इस मनुष्य ने यीशु में विश्वास किया था। आखिर में वह शैतान के द्वारा बहका दिया गया और सोचा कि वह एक पापी है। यदि उसने सच्चा सुसमाचार सुन लिया होता, तो वह मानता कि उसका विश्वास गलत था। परन्तु वह अपने गलत विश्वासों के अहंकारीपन के कारण विश्वास करने में असफल हो गया।
यदि आप स्वर्ग के राज्य में जाना चाहते हैं, तो आपको पहले पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के सुसमाचार में विश्वास करना होगा। जैसा कि यह मत्ती ३:१५ में लिखा है, ‘इसी प्रकारʼ यीशु ने संसार के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया। आपको पानी और लहू से उद्धार के सुसमसचार में विश्वास करना चाहिए।
कर्मो की किताब में किनके नाम दर्ज है?
जिनके हृदय में पाप है उनके नाम वहाँ पर दर्ज किए गए हैं।
यदि आप किसी चीज को विश्वास के लिए चुनते हैं, जैस एक भले स्वभाव का व्यक्ति, जो दूसरों के आग्रह को नहीं ठुकराता है, तो आप अंत में नरक में होंगे। नरक में वहाँ पर भले स्वभाव वाले बहुत से लोग हैं, परन्तु स्वर्ग में, वहाँ पर सच्चे योद्धा हैं। वे विश्वास में लड़नेवाले योद्धा हैं।
वे जो स्वर्ग में हैं, जानते हैं कि वे पापी थे। नरक में जाना उनकी नियति थी और वे आनंदपूर्वक विश्वास करते थे कि उनके पापों को यीशु के बपतिस्मा और लहू के द्वारा धो दिया गया है।
यह कहा जाता है कि स्वर्ग में दीवारों के कान और मुंह होते हैं क्योंकि बहुत से लोग यीशु के छुटकारे में केवल मुंह और कानों से विश्वास करते हैं, परमेश्वर उनके शेष शरीर को आग और गंधक की ज्वाला में फेंक देगा।
कल्पना कीजिए कि एक व्यक्ति जो यीशु पर विश्वास करता है फिरभी उसके हृदय में पाप है, वह परमेश्वर के सम्मुख खड़ा है और कहता है, ‘प्रभु, लोग मुझे धर्मी कहते हैं क्योंकि मैंने यीशु में विश्वास किया है, यहाँ तक कि अभी भी मेरे हृदय में पाप है। मैं विश्वास करता हूँ कि आप भी मुझे पाप से मुक्त व्यक्ति की जैसी दृष्टि से देखेंगे। यही मैंने सीखा है और विश्वास किया है। जैसे बहुत से लागे विश्वास करते हैं, मैने भी वैसा किया। जहाँ से मैं आता हूँ वहाँ इसी प्रकार विश्वास किया जाता था।’
प्रभु ने उत्तर दिया, ‘मैं उन्हें क्षमा नहीं कर सकता जिनके हृदयों में पाप है। मैंने तुम्हारे सारे पापों को पानी और आत्मा से नया जन्म लेने की आशीष से धो दिया है। परन्तु तुमने इसमें विश्वास करने से इन्कार किया। स्वर्गदूतों! इस अभद्र मनुष्य को आग में डाल दो।’
जो कोई यीशु में विश्वास करता है, परन्तु अभी भी वह सोचता है कि उसके हृदय में पाप है, वह अवश्य नरक में जायेगा। छुटकारे के सच्चे सुसमाचार को सुनें और सारे पापों से छूट जाएं। अन्यथा आप नरक में जलेंगे।
यह कहना कि मुझ में पाप नहीं है जबकि आपके हृदय में पाप है, यह परमेश्वर को धोखा देना है। अंत में हम यहाँ देख सकते हैं कि एक पापी और धर्मी व्यक्ति के बीच कितना अधिक अंतर है। आप समझोगे कि क्यों मैं आपको छूटकारा पाने के लिए निवेदन कर रहा हूँ।
जब आप स्वर्ग और नरक के चौराहों पर खड़े होगे, तब आप जो सम्पूर्ण छुटकारे (यीशु के बपतिस्मे और क्रूस पर उसकी मृत्यु) में विश्वास करते हैं और वे जो नहीं करते उनके बिच का अन्तर देखेंगे। यहाँ एक बड़ा अंतर देखेंगे। कुछ लोग स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे, परन्तु दूसरे नरक में जाएंगे।
क्या आप यीशु में विश्वास करते हैं, लेकिन अभी भी पापी हैं? तब आपको समझना होगा कि आपको पानी और आत्मा से नया जन्म लेना चाहिए। परमेश्वर ने उन्हें नरक में भेज दिया जिनके हृदय में पाप थे। केवल वे जो पाप की सम्पूर्ण क्षमा में विश्वास करते हैं, वह स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं।
इस पर ठीक से विश्वास करें। यदि तुम इसे छोड़ देते हो, तब तक बहुत देर हो जाएगी। समय से पहले तैयार रहो। इसके पहले आप नरक में पहुंच जाएं, पानी और आत्मा के छुटकारे में विश्वास करें और पवित्र बन जाएं।
हमारे यीशु प्रभु की महिमा हो! हम उसके अनुग्रह के लिए उसका धन्यवाद करें जो हम पापियों को धर्मी बनाता है। हाल्लेलूयाह!
यीशु: धार्मियों के लिए सहायक
क्या पश्चात्ताप की प्रार्थना से हमारे पाप धुल सकते हैं?
नहीं, यह पूर्णरीति से असंभव है। हमें भ्रमित करने के लिए शैतान का यह एक तरीका है।
आइए १ यूहन्ना २:१-२ पढ़े, ‘हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूँ कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धर्मी यीशु मसीह; और वही हमारे पापों का प्रायश्चित है, और केवल हमारे ही नहीं वरन् सारे संसार के पापों का भी।ʼ
क्या आप देख सकते हैं, यहाँ क्या लिखा गया है? क्या कोई है जो विश्वास करता है, लेकिन फिर भी उसके हृदय में पाप है? यदि आपके हृदय में पाप है, परन्तु परमेश्वर से कहते हैं कि पाप नहीं है, तो आप उसे धोखा देते हैं और अपने आप को भी धोखा देते हैं।
लेकिन यदि आप यीशु को वास्तव में समझते और विश्वास करते हैं कि उसने यरदन नदी में हमारे सारे पापों को धो दिया है, तो आप पाप से पूरी तरह मुक्त हैं। तब आप कह सकते हैं, ‘प्रभु, पानी और आत्मा के द्वारा आप में मेरा नया जन्म हुआ है। मुझ में पाप नहीं है। मैं बिना लज्जा के आपके सामने खड़ा हो सकता हूँ।ʼ
तब परमेश्वर जवाब देगा, ‘हाँ, तुम सही हो। जैसा अब्राहम ने मुझ पर विश्वास किया और अपने आप में विश्वास करने से धर्मी बना, तुम भी धर्मी हो क्योंकि मैंने तुम्हारे सब पापों को धो दिया है।ʼ
परन्तु एक आदमी जो यीशु में विश्वास करने के बावजूद यह मानता है कि अभी भी उसके हृदय में पाप है, वह कहता है, ‘क्योंकि मैं यीशु में विश्वास करता हूँ, यदि मेरे हृदय में थोड़े बहुत पाप हैं, तो भी मैं स्वर्ग जाऊंगा।’
वह स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए चाहता बहुत है, पर जब भी परमेश्वर के न्याय आसन के सम्मुख खड़ा होने की कोशिश करता है उसे रूकावट होती है, परन्तु अब भी वह नरक में जाएगा। क्यों? क्योंकि वह पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के धन्य सुसमाचार को नहीं जानता है।
प्रत्येक व्यक्ति स्वीकार करता है कि पृथ्वी पर अपने जीवन के दिनों में वह एक पापी है। ‘मैं एक पापी हूँ। मैं नरक में जाऊंगा। कृपया मुझे बचा लीजिए।ʼ एक पापी पश्चात्ताप की प्रार्थना से नहीं बच सकता। इसके बजाय, वह गलती को माने कि वह एक पापी है और पानी और आत्मा के छुटकारा को ग्रहण करे तो वह बच जाएगा। वह केवल पानी और आत्मा के छुटकारे से धर्मी बन सकता है।
यह गलत सुसमाचार का आग्रह है कि केवल मूल पाप ही यीशु में क्षमा किए गये हैं और हमें वास्तविक पापों के लिए पश्चात्ताप करने से उद्धार प्राप्त होगा। यह हमें सीधा नरक में ले जाता है। इसलिए बहुत से विश्वासी गलत सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा अपने आप को विनाश के लिए नरक ले जाते हैं और यह प्रवृत्ति इन दिनों में सर्वाधिक प्रचलित भी है।
क्या आप गलत सुसमाचार में गिर जाते तो क्या आप को पता चलता? क्या आप अब भी एक कर्जदार हैं जबकि आपके सब कर्ज चुका दिये गये हैं? इसके बारे में सोचिए। यदि आप अभी भी यीशु में विश्वास करने के बावजूद अपने आप को पापी मानते हो, तो क्या यह कह सकते हैं कि आप उचित रीति से उसमें विश्वास करते हैं? क्या आप एक विश्वासी हैं या पापी, या क्या आप एक विश्वासी हैं या एक धर्मी मनुष्य?
आप अपने लिए चुनाव कर सकते हैं। आप या तो विश्वास करें कि आपके सब पाप क्षमा हो गए हैं, या आप विश्वास करें कि आप अपने अपराधों के लिए प्रतिदिन पश्चात्ताप करें। आपका चुनाव यह निर्धारित करेगा की आप स्वर्ग में जाएंगे या नरक में। वह प्रचारक जो आपको सच्चा सुसमाचार प्रचार करते हैं, उनके प्रचार पर विशेष ध्यान दें।
वे जो गलत सुसमाचार में विश्वास करते हैं और अब भी प्रत्येक प्रार्थना सभा में अपने पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना करते हैं, प्रत्येक बुधवार आराधना में, प्रत्येक शुक्रवार रात्रि जागरण प्रार्थना में अपने पापों को धोने का प्रयास करते हैं।
वे कहते हैं, ‘प्रभु, मुझमें पाप है। मैंने इस सप्ताह पाप किया है।ʼ इसके बाद वे साल भर पहले के पापों को याद करते हैं और फिर उसकी क्षमा के लिए प्रार्थना करते हैं। जो कि पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के धन्य सुसमाचार का इनकार करना है।
लहू से हमारे पापों का दाम चुका दिया गया है। इब्रानियों ९:२२ कहता है, ‘बिना लहू बहाए पापों की क्षमा नहीं।ʼ यदि आप सोचते हैं कि आप में पाप है, तब आप उसको फिर से लहू बहाने के लिए कहते हैं? वे जो सम्पूर्ण छुटकारे में विश्वास नहीं करते, वे लोग यीशु के छुटकारे को तोड़-मरोड़कर झूठ में बदल देते हैं। वे सच्चाई का विरोध करते हैं कि यीशु ने हमें एक बार में हमेशा के लिए नहीं छुड़ाया है और वह एक झूठा व्यक्ति है।
यीशु में बचने के लिए, पानी और आत्मा के द्वारा पाप से छुटकारे की सच्चाई में आपको विश्वास करना चाहिए। क्या सचमुच आपके सैकड़ों, हजारों, लाखों बार प्रार्थना करने से आपके पापों की क्षमा हो जाएगी? सच्चा सुसमाचार हमे एक ही बार में हमेशा के लिए छूटकारा देता है। धर्मी बनकर हम स्वर्ग के राज्य में जाते हैं और हमेशा के लिए वहाँ धार्मिक जीवन जीते हैं।
‘♪मैं यीशु में एक नया जीवन जीता हूँ। कल मेरा बीत गया और अब नई सृष्टि हूँ। अनावश्यक कल जो बीत गया है। ओह, यीशु है मेरा सच्चा जीवन। मैं यीशु में एक नया जीवन जीता हूँ ♪।ʼ
आप यीशु में एक नई जिन्दगी जीते हैं। इसकी परवाह किए बिना की आप अच्छा दिखना चाहते थे लेकिन नहीं दिखते, भले ही आप नाते और मोटे हो, जो लोग पानी और आत्मा से नया जन्म पाने के सुसमाचार से आशीषित हुए है वे आनंदमय जीवन जीते है। क्या यह समस्या है कि आपका नाक आदर्श आकार में नहीं है या आप थोड़े छोटे हैं? क्योंकि हम सर्वांग सम्पूर्ण नहीं हैं, फिर भी हम यीशु में पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा बचा लिए गए हैं। परन्तु वे जो अहंकारी हैं, वो अन्त में नरक में होंगे।
आपका धन्यवाद प्रभु। मैं हमेशा प्रभु का धन्यवाद करता हूँ। क्योंकि हम पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के सुसमाचार में विश्वास करते हैं। स्वर्ग में हमारा स्वागत किया जाएगा।
झूठ हमें नरक ले जाता है
अंत में कौन धार्मिकता का मुकुट पाएगा?
वह जो झूठ पर जय पता है।
झूठ हमसे कहता है कि हमें क्षमा पाने के लिए प्रतिदिन पश्चात्ताप करना चाहिए, परन्तु पानी और आत्मा का सुसमाचार हमें कहता है कि हमारे पाप पहले से ही पूर्णरीति से क्षमा हो गये हैं और हम सब को इस पर विश्वास करना चाहिए।
कौन-सा विकल्प सही है? क्या हमें प्रतिदिन पश्चात्ताप करना चाहिए? या यह विश्वास करना चाहिए की यीशु ने उचित रीति से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापो को दूर कर दिया था। सच्चाई यही है कि यीशु ने एक ही बार में हमेशा के लिये हमारे पापों को दूर कर, इस उपयुक्त तरीके से हमें उद्धार प्रदान किया।
आत्मिक युद्ध में हमने असत्य के ऊपर सफलता प्राप्त की है। बहुत लोग असत्य का अनुसरण करते हैं। ‘पिरगमुन की कलीसिया के दूत को यह लिख: ‘जिसके पास दोधारी और तेज तलवार है, वह यह कहता है कि मैं यह जानता हूँ कि तू वहाँ रहता है जहाँ शैतान का सिंहासन है; तू मेरे नाम पर स्थिर रहता है, और मुझ पर विश्वास करने से उन दिनों में भी पीछे नहीं हटा जिनमें मेरा विश्वासयोग्य साक्षी अन्तिपास, तुम्हारे बीच उस स्थान पर घात किया गया जहाँ शैतान रहता हैʼ (प्रकाशितवाक्य २:१७)।
‘जो जय पाए, उसको मैं गुप्त मन्ना में से दूँगा, और उसे एक श्वेत पत्थर भी दूँगा; और उस पत्थर पर एक नाम लिखा हुआ होगा, जिसे उसके पानेवाले के सिवाय और कोई न जानेगा’ (प्रकाशितवाक्य २:१७) ।
जहाँ बड़ी संख्या में दुष्टात्माएं रहती हैं और सत्य को प्रताड़ित करने को अनेक झूठ खड़े हैं, शैतान वहाँ एक तेजोमय स्वर्गदूत के रूप में प्रवेश करता है। जो कोई पानी और आत्मा की सच्चाई के छुटकारे को सुनते और जानते हैं और उसमें विश्वास नहीं करते, परमेश्वर उनकी सहायता नहीं कर सकता। ऐसे व्यक्ति अंत में अवश्य नरक में होंगे।
प्रत्येक को स्वयं निर्णय लेना है, क्या वह यीशु के उद्धार में विश्वास करें या न करें। आपके सामने झुक कर कोई भी आपको विश्वास करने के लिए और छूटकारा प्राप्त करने के भीख नहीं मांगेगा।
यदि आप पाप से बचना चाहते हैं, तो पानी और आत्मा के उद्धार में विश्वास करें। यदि आप उसके छुटकारे के प्रेम के लिए धन्यवादी हैं और उसके अनुग्रह में बचाए गए हैं, तो उस पर विश्वास करें। यदि आप एक पापी हैं जिसकी नियति नरक में जाना है, तब आप पानी और आत्मा में, यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु में विश्वास करें। तब आप धर्मी हो जाएंगे।
यदि आप सोचते हैं आप पापी नहीं हैं, तो आप यीशु में विश्वास करने के द्वारा पाप से छुड़ाए नहीं गए हैं। केवल पापी ही पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा अपने सारे पापों से छुड़ाये जाते हैं। यीशु पापियों का उद्धारकर्ता है और दुखियों को सांत्वना देता है। वह सृष्टिकर्ता है, वह प्रेमी परमेश्वर है।
मैं आपसे विनम्र आग्रह करता हूँ पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के सुसमाचार में विश्वास करें। आप निश्चय जानिए कि यीशु ही उद्धारकर्ता, मित्र, चरवाहा और आपका परमेश्वर है। पापियों को यीशु में विश्वास करना चाहिए। यदि आप विश्वास करना नहीं चाहते हैं, तो आप नरक में होंगे। इस पर आप अवश्य विश्वास करें। परमेश्वर कभी भी हमसे उद्धार के सुसमाचार में विश्वास के लिए निवेदन नहीं करता।
क्या आप स्वर्ग जाना चाहते हैं? तब तो आप पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के सुसमाचार में अवश्य विश्वास करें। यीशु कहते हैं, ‘मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझमें विश्वास करो।ʼ क्या आप कहेंगे कि आप नरक में जाना चाहते हैं? तो फिर विश्वास मत कीजिए। उसने कहा हैं कि उसने आप के लिए पहले से ही नरक में स्थान तैयार कर दिया है।
परमेश्वर कभी निवेदन नहीं करते हैं। एक व्यापारी अपने सामान को बेचने के लिए लोगों का अंधाधुंध स्वागत करता है, परन्तु परमेश्वर केवल उन्हें जो पाप से छुड़ाए गए हैं, स्वर्ग का साम्राज्य मुफ्त में देता है। परमेश्वर न्यायप्रिय है।
लोग कहते हैं कि इस संसार का अंत निकट है। हाँ, मैं भी ऐसा ही मानता हूँ। और पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के सच्चे सुसमाचार में विश्वास न करना बिलकुल मूर्खता है।
पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के धन्य सुसमाचार में विश्वास करें। आइए, स्वर्ग के साम्राज्य में एकत्र होने के लिए चलें। क्या आप मेरे साथ जहाँ यीशु निवास करते हैं वहाँ जाना नहीं चाहेंगे?
क्या आप पापी मनुष्य हैं या धर्मी मनुष्य है ?
एक धर्मी मनुष्य जिसके हृदय में पाप नहीं है।
आइये रोमियों ८:१-२ को पढ़ें। ‘अतः अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं है। क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं। क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था में मसीह यीशु में मुझे पाप की और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।’
यीशु ने अपने बपतिस्मे और क्रूस पर मृत्यु के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया है। उसने उन सब पापियों को बचा लिया जो अपने पापों के लिए दण्ड पानेवाले थे।
परमेश्वर का उद्धार दो चीजों से बना है। एक उसकी व्यवस्था है और दूसरा उसका प्रेम है। व्यवस्था हमें सिखाती है कि हम पापी हैं। व्यवस्था के अनुसार पाप की मजदूरी मृत्यु है। हम व्यवस्था के द्वारा बच नहीं सकते थे। यह केवल हमें हमारे पापमय स्वभाव और नियति के बारे में सिखाता है। यह हमें बताता है की हम पापी हैं।
पाप की मजदूरी चुकाने के लिए यीशु इस दुनिया में आए, उन्होंने हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और हमें न्याय से बचाने के लिए अपना जीवन देकर उसका मूल्य चुका दिया। यह परमेश्वर का प्रेम है कि उन्होंने हमारे सारे पापों से हमें बचा लिया है।
हम असत्य पर जय पाना है। परमेश्वर उनको नया जन्म पाने की आशीष प्रदान करते है जो असत्य पर जय पाते हैं।
हम यीशु में विश्वास करने के द्वारा बचाए गए हैं। उसके वचनों में विश्वास करने के द्वारा हम धार्मिकता को प्राप्त करते हैं और सच्चाई को समझते हैं। अपने हृदय में पानी और आत्मा से नया जन्म पाने की सच्चाई में विश्वास करें, और आप अवश्य बच जाएंगे।