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विषय ९ : रोमियों (रोमियों की पत्री किताब पर टिप्पणी)

[अध्याय 16] एक दूसरों का अभिवादन करे

प्रेरित पौलुस ने रोम के संतों से और हमें भी, अपने उपसंहार में एक दूसरे को बधाई देने के लिए कहा। इस युग में भी हम पूरे मन से प्रभु में किसे अभिवादन कर सकते हैं? हम उन सेवकों और विश्वासियों को खुशी-खुशी अभिवादन दे सकते हैं जो इस संसार में परमेश्वर के वचन का प्रचार कर रहे हैं। हम उन लोगों के साथ संगति कर सकते हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार की पुस्तकों को पढ़कर बचाए गए हैं। हमारे पास भी कलीसिया, विश्वासी और परमेश्वर के सेवक हैं जिनका हम मसीह में अभिवादन कर सकते हैं।
चूँकि हर कोई पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास नहीं करता, इसलिए धर्मी जन सभी का अभिवादन नहीं कर सकते। इस दुनिया में ऐसे बहुत से लोग नहीं हैं जिनका हम खुशी से अभिवादन कर सकें। यह केवल खेद की बात है कि ऐसे बहुत से लोग नहीं हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं, जिनका हम अभिवादन कर सकते हैं और उसी विश्वास में सहभागिता कर सकते हैं। हम उन पापियों के साथ संगति नहीं कर सकते जो सांसारिक कलीसियाओं में परमेश्वर के सेवक होने का ढोंग करते हैं। 
जिस प्रकार पाप और पवित्र आत्मा एक साथ नहीं रह सकते, उसी प्रकार पापी और धर्मी एक दूसरे का अभिवादन नहीं कर सकते। जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं, वे परमेश्वर को आत्मिक आराधना कर सकते हैं और आत्मिक बातों के लिए कार्य कर सकते हैं। परन्तु पापी, जिन्होंने अभी तक अपने पापों की क्षमा प्राप्त नहीं की है, परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करके उद्धार पाने का प्रयास करते हैं, और इस प्रकार वे धर्मी लोगों के साथ आत्मिक संगति नहीं कर सकते। जैसे पशु और मनुष्य आपस में बात नहीं कर सकते, वैसे ही धर्मी पापियों के साथ आत्मिक संगति नहीं कर सकते।
हम देख सकते हैं कि जिनके साथ पौलुस की आत्मिक संगति थी वे वही लोग थे जिनका विश्वास पौलुस जैसा ही था। हम जानते हैं कि यदि किसी की पौलुस के साथ संगति थी, तो इसका अर्थ है कि पौलुस ने उसके विश्वास को स्वीकार किया। इसलिए, मैंने सोचा, "यदि मुझे आज किसी विशेष क्षेत्र में जाना है, तो मुझे किससे मिलना चाहिए और किसका अभिवादन करना चाहिए?" मुझे यकीन है कि यदि मैं सोक्चो जाता हूँ तो मैं सोक्चो कलीसिया की मुलाकात लूंगा, और यदि मैं गंगनेउंग जाऊंगा तो गंगनेउंग कलीसिया की मुलाक़ात करूंगा। मैं परमेश्वर के सेवकों और विश्वासियों से मिल सकता हूँ, और उनके साथ सहभागिता कर सकता हूँ और उनके साथ रोटी तोड़ सकता हूँ। मैं वहां अपने भाई-बहनों के घर भी जा सकता हूँ और उनका अभिवादन कर सकता हूँ। लेकिन जिन लोगों का मैं अभिवादन कर सकता हूँ, वे केवल वो हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं, और जिनके साथ मैं पवित्र आत्मा में समान विश्वास साझा कर सकता हूँ। 
हम देख सकते हैं कि वे कितने धन्य हैं जिनका विश्वास पौलुस द्वारा स्वीकार किया गया। यह कितनी बड़ी बात है कि हमारे पास पानी और आत्मा का सुसमाचार है, कि हम एक दूसरे के विश्वास की पुष्टि करें और एक दूसरे का अभिवादन करें। क्या आपको पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास है जो आपको एक दूसरे का अभिवादन करने देता है? क्या आप बिना किसी संदेह के ईमानदारी से परमेश्वर के सामने अंगीकार कर सकते हैं कि आप में कोई पाप नहीं है?
जब मैं वहां गया तो मुझे चीन के साथी विश्वासियों का अभिवादन करने का अवसर मिला। मैं एक भाई से मिलने गया जो हेरन नदी के तट पर रहता था। अगली सुबह जैसे ही हम उठे, उसने हमारे लिए एक बड़ा नाश्ता तैयार किया। हम एक विशाल गोलमेज पर बैठे थे, जिस तरह हम विस्तारित परिवार में सभी को बैठने के लिए इस्तेमाल होता है, और वहां विश्वासियों के साथ एक प्यारी संगति हुई। पास के एक शहर में एक सुसमाचार प्रचारक भी था जो हमें देखने के लिए बहुत उत्सुक था। इसलिए, हमने उनसे मुलाकात की और उनके साथ संगति भी की। हम पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने वाले को अभिवादन कर सकते हैं। 
यदि मैं संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा करूँ तो मैं कहाँ जाऊँगा? मैं फ्लशिंग, न्यूयॉर्क में पादरी संगचन ली और उनकी पत्नी से मिलूंगा। मैं वहां अपने भाइयों और बहनों से मिलने के लिए द न्यू लाइफ चर्च भी जाऊंगा। रूस में भी, एक नया जन्म प्राप्त की हुई कलीसिया है जिसे मैंने कुछ साल पहले देखा था। जापान में, मुझे टोक्यो में वडिल सून-ओक पार्क के घर जाना अच्छा लगेगा। 
हम धर्मी हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में हमारे विश्वास के द्वारा बचाए गए हैं। हम अपने शरीर की किसी भी उपलब्धि के कारण नहीं बचाए गए है, लेकिन परमेश्वर की धार्मिकता के कारण जो हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार में अपने विश्वास के माध्यम से प्राप्त हुई है। 
जैसा कि आप देख सकते हैं, ऐसे लोग हैं जो धर्मी लोगों को अभिवादन करने के लिए अलग रखते हैं, जैसे रोमियों अध्याय १६ में पौलुस के पास अभिवादन करने के लिए लोगों की एक सूची थी। जैसे पौलुस ने किया था, वैसे ही हम प्रत्येक मसीही विश्‍वासी का अभिवादन नहीं कर सकते क्योंकि उन सभी के पास सही विश्‍वास नहीं है, परन्तु केवल उनका अभिवादन कर सकते है जो परमेश्वर की धार्मिकता को जानते और उस पर विश्वास करते हैं। जिससे हम अभिवाद कर सकते है और अभिवादित हो सकते है ऐसा विश्वास देने के लिए हम परमेश्वर का धन्यवाद करते है। 
 
 

पौलुस ने हमें चेतावनी दी की हम ऐसे लोगों से दूर रहे

 
वचन १७ से शुरू होकर, दूसरी चेतावनी जो पौलुस हमें देता है, उन लोगों से दूर रहना है जो केवल अपने पेट की सेवा करते हैं। “अब हे भाइयो, मैं तुम से विनती करता हूँ, कि जो लोग उस शिक्षा के विपरीत, जो तुम ने पाई है, फूट डालने और ठोकर खिलाने का कारण होते हैं, उन्हें ताड़ लिया करो और उनसे दूर रहो। क्योंकि ऐसे लोग हमारे प्रभु मसीह की नहीं, परन्तु अपने पेट की सेवा करते हैं; और चिकनी चुपड़ी बातों से सीधे–सादे मन के लोगों को बहका देते हैं” (रोमियों १६:१७-१८)। ऐसे लोग हैं जो मसीह की नहीं, बल्कि अपने पेट की सेवा करते हैं। वे वही हैं जो विश्वासियों के बीच झगड़ा पैदा करते हैं और लुभावने शब्दों और चापलूसी भरे भाषणों से भोले-भाले लोगों को धोखा देते हैं। हमें ऐसे लोगों का अभिवादन नहीं करना चाहिए, बल्कि उनसे दूर रहना चाहिए। 
पौलुस ने हमें ऐसे लोगों से दूर रहने के लिए चेतावनी दी, क्योंकि वे केवल कलीसिया में संकट पैदा करने का आनंद लेते हैं, उन लोगों को बाधित करते हैं जो सच्चाई से परमेश्वर में विश्वास करते हैं, और केवल अपने लालच को पूरा करने के लिए भोलेपन का नाटक करते है। ऐसे धोखेबाज मसीही अगुवे अपने अनुयायियों को व्यवस्था का पूरी तरह से पालन करने की शिक्षा देकर लोगों को पाप के अधीन करने का प्रयास करते हैं। वे केवल यीशु के नाम पर अपना पेट भरते हैं और निर्दोषों को धोखा देते हैं। हमें उनका अभिवादन करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे केवल अपने पेट की सेवा के लिए सेवकाई में हैं। 
 
 

पानी और आत्मा का सुसमाचार सारे देशों में प्रसारित होना चाहिए!


तीसरा, पौलुस ने सभी राष्ट्रों में सुसमाचार फैलाने की आवश्यकता के बारे में बात की। वचन २६ कहता है, “परन्तु अब प्रगट होकर सनातन परमेश्‍वर की आज्ञा से भविष्यद्वक्‍ताओं की पुस्तकों के द्वारा सब जातियों को बताया गया है कि वे विश्‍वास से आज्ञा माननेवाले हो जाएँ…” पानी और आत्मा का सुसमाचार जिसका पौलुस ने प्रचार किया वह सच्चा सुसमाचार है जिस पर सभी राष्ट्रों को विश्वास करना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन क्षेत्रों में पौलुस ने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने वालों के साथ कलीसिया की स्थापना की, उनमें से अधिकांश अब इस्लामी क्षेत्र बन गए हैं। 
उस समय, पौलुस इन क्षेत्रों में गया और वहां कलीसिया के अगुवों को पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करनेवाले विश्वासियों के बीच स्थापित किया जिसमें परमेश्वर की धार्मिकता है। यह ठीक उसी तरह था जैसे हम अपने मिशन स्कूल में कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के बाद अपनी कलीसिया में भेजते हैं। यद्यपि उस समय की कलीसियाओं ने अपने विश्वास को "एक प्रभु, एक विश्वास, एक बपतिस्मा" में रखा था (इफिसियों ४:५), वे सुसमाचार में अपने विश्वास को बनाए रखने में विफल रहे, क्योंकि उन्होंने सुसमाचार को लिखित रूप में दर्ज नहीं किया था।
अभी हम अपनी पुस्तकों का तुर्की भाषा में अनुवाद करने की प्रक्रिया में हैं। तुर्की के किसी व्यक्ति को हमारे अंग्रेजी पुस्तकों ने छुआ और स्वेच्छा से उनका अनुवाद किया। अब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार को उस स्थान पर फैलाना शुरू कर रहे हैं जहां स्वयं पौलुस ने एक बार सुसमाचार का प्रचार किया था और परमेश्वर की कलीसियाओं को स्थापित किया था। हम उसी सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं जिसका प्रचार पौलुस ने उसी क्षेत्र में किया था जहाँ वह गया था। पौलुस ने जिस सुसमाचार का प्रचार किया वह पानी और आत्मा का सुसमाचार था जो सभी राष्ट्रों को केवल विश्वास करने और उनका पालन करने से बचा सकता है। 
रोमियों के अंतिम अध्याय में, पौलुस ने रोम के संतों से कहा कि वे एक दूसरे का अभिवादन करें, उन लोगों से दूर रहें जो केवल अपना पेट भरते हैं, और सभी राष्ट्रों में पानी और आत्मा का सुसमाचार फैलाए।
 
 
पानी और अत्मा का सुसमाचार हमें दृढ करेगा

चौथी बात जो पौलुस ने उल्लेख की थी वह यह थी कि पानी और आत्मा का यह सुसमाचार परमेश्वर का ज्ञान है जो हमें स्थापित करेगा। “अब जो तुम को मेरे सुसमाचार अर्थात् यीशु मसीह के संदेश के प्रचार के अनुसार स्थिर कर सकता है, उस भेद के प्रकाश के अनुसार जो सनातन से छिपा रहा, परन्तु अब प्रगट होकर सनातन परमेश्‍वर की आज्ञा से भविष्यद्वक्‍ताओं की पुस्तकों के द्वारा सब जातियों को बताया गया है कि वे विश्‍वास से आज्ञा माननेवाले हो जाएँ, उसी एकमात्र बुद्धिमान परमेश्‍वर की यीशु मसीह के द्वारा युगानुयुग महिमा होती रहे। आमीन” (रोमियों १६:२५-२७)। रोम में संतों को क्या स्थापित कर सकता था? यह पानी और आत्मा के बारे में पौलुस का सुसमाचार था जो रोम में संतों को स्थापित कर सकता था और स्थापित किया। यह सुसमाचार भी परमेश्वर का ज्ञान है।
जो सुसमाचार में परमेश्वर ने हमें दिया है वह उसकी बुद्धि है। यह सुसमाचार उन लोगों के सभी पापों को दूर करने की सामर्थ रखता है जो कमियों से भरे हुए हैं। जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं, वे न केवल पापरहित बनते है, बल्कि इस सुसमाचार के प्रचारक भी बनते है, चाहे वे कितने भी कमजोर और कमियों से भरे क्यों न हों। केवल परमेश्वर की बुद्धि और उसमे से निकलनेवाला पानी और आत्मा का सुसमाचार ही हमें पूर्ण मनुष्य बना सकता है। इस सुसमाचार के अलावा कोई सच्चाई नहीं है जो किसी की आत्मा, हृदय, विचार और शरीर को मजबूत कर सके। 
पौलुस ने स्पष्ट रूप से सुसमाचार को "सुसमाचार" नहीं कहा, लेकिन इसे "मेरा सुसमाचार" कहा। पौलुस ने जिस सुसमाचार का प्रचार किया वह पानी और आत्मा का सुसमाचार था जो पुराने और नए नियम दोनों में प्रकट हुआ है। पानी और आत्मा का यह सुसमाचार पुराने नियम में भविष्यवक्ताओं के माध्यम से प्रकट किए गए सुसमाचार पर आधारित है और नए नियम में यीशु मसीह द्वारा पूरा किया गया है। यही कारण है कि पौलुस ने कहा कि `उसका सुसमाचार` भविष्यवाणी की पुस्तकों में गुप्त रखे गए रहस्य के प्रकाशितवाक्य के अनुसार प्रकट हुआ था। 
पौलुस ने जिस सुसमाचार का प्रचार किया, वह पुराने नियम की पहली पांच किताबों में बलिदान प्रणाली में निहित था, विशेष रूप से लैव्यव्यवस्था में, और नए नियम में यीशु मसीह द्वारा उसके बपतिस्मा, क्रूस पर उसकी मृत्यु और उसके पुनरुत्थान के माध्यम से परमेश्वर की धार्मिकता के रूप में पूरा किया गया था। यही कारण है कि पौलुस ने सारी महिमा उसी को दी जो “जो तुम को मेरे सुसमाचार अर्थात् यीशु मसीह के संदेश के प्रचार के अनुसार स्थिर कर सकता है।”
पानी और आत्मा का सुसमाचार संतों और परमेश्वर के सेवकों को स्थापित करता है। इस सुसमाचार के द्वारा हमारा विश्वास, आत्मा, विचार, मन और शरीर मजबूत होता है। हमारा विश्‍वास कैसे मज़बूत हो सकता है? जब हमेशा हम कमजोर होते हैं तो क्या चीज है जो हमें हर समय मजबूत बनाती है? 
हमारा विश्वास मजबूत और मजबूत बनता जाता है क्योंकि हमने मसीह का उद्धार प्राप्त कर लिया है, जिसने हमारे सभी पापों को अपने बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए लहू के माध्यम से दूर कर दिया। हम कह सकते हैं कि परमेश्वर के सामने हमारा कोई पाप नहीं है क्योंकि हमारे दिलों में अब और शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है, और इस संकोचहीन आत्मिक विश्वास के साथ, हम पानी और आत्मा के सुसमाचार को उन लोगों तक फैला सकते हैं जो अभी भी पाप में बंधे हैं। 
 

आखरी चेतावनी

पौलुस अध्याय १६ को अंतिम प्रार्थना के साथ समाप्त करते हुए कहता है, “उसी एकमात्र बुद्धिमान परमेश्‍वर की यीशु मसीह के द्वारा युगानुयुग महिमा होती रहे। आमीन।” सबसे ज़्यादा किस चीज़ से परमेश्वर की महिमा होती है? यीशु मसीह में परमेश्वर की धार्मिकता का प्रचार करने से परमेश्वर की सबसे अधिक महिमा होती है। जब हम पूरे मन से सुसमाचार की सेवा करते हैं तो हमें भी महिमा मिलती है।
रोमियों १६ में पौलुस के संदेश का सार ये है: एक दूसरे का अभिवादन करो, उनसे दूर रहो जो केवल अपना पेट भरते हैं, और सभी राष्ट्रों में सुसमाचार का प्रसार करो। यह अन्तिम चेतावनी थी जो पौलुस ने रोम की कलीसिया को दी थी। पानी और आत्मा का सुसमाचार जिसका पौलुस ने प्रचार किया, उसमें हमें हर प्रकार से सामर्थ देने की शक्ति है। हम इसी में विश्वास करते हैं। पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास वही विश्वास है जो बाइबल में प्रेरितों के पास था और जिस पर हमारी अपनी कलीसिया अभी विश्वास करता है। 
क्या आप समानता को महसूस कर सकते हैं? जब भी मैं बाइबिल पढ़ता हूँ और इस बात को समझता हूँ की हमारे पास भी वही विश्वास है जो दो हजार साल पहले इस पृथ्वी पर जीवित थे उनके पास था तब मुझे बहुत आश्चर्य होता है। 
क्या आपने सोचा है कि हम प्रतिदिन कितने लोगों के साथ सुसमाचार बाँटते हैं? हम प्रतिदिन कम से कम दो हजार लोगों के साथ सुसमाचार साझा करते हैं। यदि प्रत्येक राष्ट्र में नया जन्म पाए हुए संत अपने पड़ोसियों को सुसमाचार का प्रचार करते हैं, तो यह दो हजार शीघ्र ही दस हजार हो जाएंगे, और बीस हजार बनने के लिए दस हजार लोगों को इसे केवल एक बार साझा करना होगा। जैसा कि आप देख सकते हैं, पूरी दुनिया में सुसमाचार का प्रचार करना इतना असंभव कार्य नहीं है। 
निःसंदेह, पानी और आत्मा के सुसमाचार पर हमारी पुस्तकों की मुख्य विशेषता यह है कि वे लुप्त नहीं होती हैं बल्कि संग्रहित की जाती हैं, और उनके अर्थ नहीं बदलते हैं चाहे कितने भी लोग उन्हें पढ़ें। जहाँ पानी और आत्मा का सुसमाचार है, वहाँ बहुत से लोग उधार लेंगे और पढ़ेंगे, और परमेश्वर का सुसमाचार फैलेगा। वह दिन जब पूरी दुनिया में सुसमाचार पहुंचेगा, वह दिन दूर नहीं है। 
परमेश्वर की वह धार्मिकता जो आपके विश्वास से आपके पास है वह पानी और आत्मा का सुसमाचार है जिसे विकसित देशों के लोग भी अच्छी तरह से नहीं जानते हैं। जिस सच्चे सुसमाचार को हम पूरी दुनिया के साथ साझा करना चाहते हैं, वह इस दुनिया के लिए अज्ञात रहस्य है, और इस प्रकार, हम उत्सुकता से उन सभी लोगों के लिए उद्धार के रहस्य को प्रकट करना चाहते हैं जो अपने पापों में फसे हुए है। पानी और आत्मा के सुसमाचार में दिखाई गई परमेश्वर की यह धार्मिकता इतनी स्पष्ट है कि जो कोई भी इस सुसमाचार को स्वीकार करेगा वह परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देगा।
कुछ लोगों को यह अजीब लगता है कि हम बार-बार पानी और आत्मा के सुसमाचार के बारे में बात करते हैं। लेकिन हम इसे कितनी भी बार दोहराएं, यह अभी भी हमारी आत्मा में खुशी और धन्यवाद का संचार करता है। चूँकि बहुत सारे मसीही हैं जो अभी भी पाप के लिए बाध्य हैं, हम बार-बार पूरी दुनिया को पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करते हैं। क्योंकि यह सुसमाचार ही वही सुसमाचार है जो प्रेरितों द्वारा दिया गया था, जिसमें पौलुस भी शामिल है, सभी आत्माओं को इस सुसमाचार में विश्वास करना चाहिए। हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार को सुनने और अपने दिलों पर खोदने की जरूरत है क्योंकि यह हर मसीही के लिए जरूरी है। 
हम अपनी मुद्रित और इलेक्ट्रॉनिक दोनों प्रकार की किताबों में, और अपनी वेबसाइट के माध्यम से प्रतिदिन दो हजार से अधिक लोगों के साथ सुसमाचार साझा करते हैं। हमें विश्वास है कि यदि सत्य का बीज अच्छी भूमि पर गिरता है, तो वह बोई गई फसल से तीस, साठ या सौ गुना अधिक फसल पैदा करने में सक्षम होगा। एक व्यक्ति दर्जनों लोगों को सुसमाचार का प्रचार कर सकता है, और फिर इनमें से प्रत्येक व्यक्ति दर्जनों लोगों को सुसमाचार का प्रचार कर सकता है, सुसमाचार को बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचा सकता है। 
जब हम सुनते हैं कि हमारा सुसमाचार एक दिन में दो हजार से अधिक लोगों तक फैलता है, तो हमारा हृदय परमेश्वर की धार्मिकता से भर जाता है। मैं परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि उसने हमारे लिए इस सुसमाचार को पूरी दुनिया में पहुँचाने का मार्ग खोल दिया। मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर अपने सेवकों के विश्वास को और भी मजबूत करें।
पानी और आत्मा का सुसमाचार जो अब सारे संसार में फैल रहा है वह उद्धार के लिए सत्य की एक नई लहर है। यह सुसमाचार पवित्र आत्मा को प्राप्त करने और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने का एकमात्र तरीका है। आप धर्मनिरपेक्ष धर्मों में कितनी भी खोज कर लें, आपको पानी और आत्मा का सुसमाचार नहीं मिलेगा। 
पूरी दुनिया में लोग परमेश्वर का धन्यवाद करेंगे क्योंकि वे अब पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता पर विश्वास कर सकते हैं। हर कोई जो हमारी किताब पढ़ता है, चिल्लाएगा, "आह! इस प्रकार यीशु ने मुझे मेरे पापों से बचाया!", क्योंकि उन्होंने इस सुसमाचार को पहले कभी नहीं सुना था। 
जो लोग पाप के बंधन से मुक्त होना चाहते हैं और जो अंतहीन रूप से पवित्र आत्मा को प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, वे अंत में जब पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानेंगे और स्वीकार करेंगे तब पापों की पूर्ण क्षमा और अपने मन की शांति को प्राप्त करेंगे। इस क्षण से, पानी और आत्मा का सुसमाचार संसार के प्रत्येक राष्ट्र में फैल जाएगा। 
मेरा हृदय आनन्द से भर गया है कि पानी और आत्मा का सुसमाचार सारे संसार में फैल रहा है। हालाँकि मैं सुसमाचार की सेवा करता हूँ, मैं जानता हूँ कि मैं अभी भी कमजोरियों और कमियों से भरा हूँ। लेकिन क्योंकि मैं पूरी तरह से पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करता हूँ और परमेश्वर की धार्मिकता को जानता हूँ, मुझे हमेशा प्रभु से नई सामर्थ मिलती है ताकि मैं उनके सुसमाचार की सेवा करना जारी रख सकूं। सुसमाचार अब और अधिक राष्ट्रों में प्रवेश कर चुका है; अधिक लोगों ने हमारी पुस्तकें पढ़ी हैं और ऐसे सिद्ध सुसमाचार से चकित हुए हैं।
पूरी दुनिया में जो कोई भी परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करते हैं, वे वो लोग हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा बचाए गए हैं। अपनी कमजोरियों के बावजूद हम संपूर्ण और पूर्ण रूप से खड़े हो सकते हैं इसका कारण यह है कि हम अपने प्रभु, परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करते हैं। हम परमेश्वर के कार्यकर्ता हैं। हम केवल अपने शारीरिक पेट को संतुष्ट करना नहीं चाहते हैं, बल्कि पूरे विश्व में सच्चे विश्वास को फैलाना चाहते हैं। मैं आशीष देता हूँ और आशा करता हूँ कि कई धर्मी विश्वासी दुनिया भर में सुसमाचार फैलाने की हमारी चुनौती का सामना करेंगे। 
पौलुस की तरह, हम पानी और आत्मा के सुसमाचार को फैला सकते हैं, फिर चाहे प्रभु कभी भी आए। आइए हम इस महान आदेश के लिए एक साथ कड़ी मेहनत करें। जब हम पृथ्वी के छोर तक सुसमाचार फैलाएंगे, प्रभु अपने वादे के अनुसार आएंगे और हमें घर ले जाएंगे। हमें ध्यान से सुनना चाहिए कि पौलुस ने हमें क्या सलाह दी, एक दूसरे को अभिवादन और प्रोत्साहित करें। यद्यपि हमारे कार्यों में कमी है, हम परमेश्वर की धार्मिकता में अपने विश्वास के द्वारा आत्मिक रूप से बहुत मजबूत होते हैं। हमें पता चलता है कि पानी और आत्मा के सुसमाचार में हमारा विश्वास कितना उचित और पक्का है। हम वास्तव में अपने प्रभु में विश्वास रखते हैं, जो परमेश्वर की सिद्ध धार्मिकता है। 
जब हम इस संसार को परमेश्वर की धार्मिकता में अपने विश्वास के साथ देखते हैं, तो हम पाते हैं कि हमारे लिए करने के लिए बहुत कुछ है। हम सब मसीह जो परमेश्वर की धार्मिकता है उस पर हमारे विश्वास के द्वारा परमेश्वर की स्तुति करते हुए अपना जीवन इस जगत में सुसमाचार का प्रसार करते हुए जी सकते हैं। 
हाल्लेलूयाह! मैं सदा अपने प्रभु जो परमेश्वर की धार्मिकता है उसकी स्तुति करता हूँ!