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विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 11-1] दो जैतून के पेड़ और दो भविष्यवक्ता कौन है? ( प्रकाशितवाक्य ११:१-१९ )

दो जैतून के पेड़ और दो भविष्यवक्ता कौन है?
( प्रकाशितवाक्य ११:१-१९ )
“फिर मुझे नापने के लिये एक सरकंडा दिया गया, और किसी ने कहा, “उठ, परमेश्‍वर के मन्दिर और वेदी, और उसमें उपासना करनेवालों को नाप ले। पर मन्दिर के बाहर का आँगन छोड़ दे; उसे मत नाप क्योंकि वह अन्यजातियों को दिया गया है, और वे पवित्र नगर को बयालीस महीने तक रौंदेंगी। मैं अपने दो गवाहों को यह अधिकार दूँगा कि टाट ओढ़े हुए एक हज़ार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्वाणी करें।” ये वे ही जैतून के दो पेड़ और दो दीवट हैं, जो पृथ्वी के प्रभु के सामने खड़े रहते हैं। यदि कोई उनको हानि पहुँचाना चाहता है, तो उनके मुँह से आग निकलकर उनके बैरियों को भस्म करती है; और यदि कोई उनको हानि पहुँचाना चाहेगा, तो अवश्य इसी रीति से मार डाला जाएगा। उन्हें अधिकार है कि आकाश को बन्द करें, कि उनकी भविष्यद्वाणी के दिनों में मेंह न बरसे; और उन्हें सब पानी पर अधिकार है कि उसे लहू बनाएँ, और जब जब चाहें तब तब पृथ्वी पर हर प्रकार की विपत्ति लाएँ। जब वे अपनी गवाही दे चुकेंगे, तो वह पशु जो अथाह कुण्ड में से निकलेगा, उनसे लड़कर उन्हें जीतेगा और उन्हें मार डालेगा। उनके शव उस बड़े नगर के चौक में पड़े रहेंगे, जो आत्मिक रूप से सदोम और मिस्र कहलाता है, जहाँ उनका प्रभु भी क्रूस पर चढ़ाया गया था। सब लोगों और कुलों और भाषाओं और जातियों के लोग उनके शवों को साढ़े तीन दिन तक देखते रहेंगे, और उनके शवों को कब्र में रखने न देंगे। पृथ्वी के रहनेवाले उनके मरने से आनन्दित और मगन होंगे, और एक दूसरे के पास भेंट भेजेंगे, क्योंकि इन दोनों भविष्यद्वक्‍ताओं ने पृथ्वी के रहनेवालों को सताया था। परन्तु साढ़े तीन दिन के बाद परमेश्‍वर की ओर से जीवन का श्‍वास उनमें पैठ गया, और वे अपने पाँवों के बल खड़े हो गए, और उन के देखनेवालों पर बड़ा भय छा गया। तब उन्हें स्वर्ग से एक बड़ा शब्द सुनाई दिया, “यहाँ ऊपर आओ!” यह सुन वे बादल पर सवार होकर अपने बैरियों के देखते देखते स्वर्ग पर चढ़ गए। फिर उसी घड़ी एक बड़ा भूकम्प हुआ, और नगर का दसवाँ भाग गिर पड़ा; और उस भूकम्प से सात हज़ार मनुष्य मर गए, और शेष डर गए और स्वर्ग के परमेश्‍वर की महिमा की। दूसरी विपत्ति बीत चुकी; देखो, तीसरी विपत्ति शीघ्र आनेवाली है। जब सातवें दूत ने तुरही फूँकी, तो स्वर्ग में इस विषय के बड़े बड़े शब्द होने लगे : “जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया, और वह युगानुयुग राज्य करेगा।” तब चौबीसों प्राचीन जो परमेश्‍वर के सामने अपने अपने सिंहासन पर बैठे थे, मुँह के बल गिरकर परमेश्‍वर को दण्डवत् करके यह कहने लगे,
“हे सर्वशक्‍तिमान प्रभु परमेश्‍वर, जो है और जो था,
हम तेरा धन्यवाद करते हैं कि तू ने 
अपनी बड़ी सामर्थ्य को काम में लाकर राज्य किया है।
जातियों ने क्रोध किया, पर तेरा प्रकोप आ पड़ा,
और वह समय आ पहुँचा है कि मरे हुओं का न्याय किया जाए,
और तेरे दास भविष्यद्वक्‍ताओं और पवित्र लोगों को 
और उन छोटे बड़ों को जो तेरे नाम से डरते हैं बदला दिया जाए,
और पृथ्वी के बिगाड़नेवाले नष्‍ट किए जाएँ।”
तब परमेश्‍वर का जो मन्दिर स्वर्ग में है वह खोला गया, और उसके मन्दिर में उसकी वाचा का सन्दूक दिखाई दिया; और बिजलियाँ और शब्द और गर्जन और भूकम्प हुए और बड़े ओले पड़े।”
 

प्रकाशितवाक्य ११ का वचन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जैसा कि परमेश्वर का पूरा वचन है। संसार को नष्ट करने के लिए, एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसे परमेश्वर को पहले करने की आवश्यकता है। यह इस्राएल के लोगों की आखिरी बार कटनी का समय है। परमेश्वर के पास इस्राएलियों और अन्यजातियों दोनों के लिए करने के लिए एक और कार्य है, और यह उन्हें शहीद होने के द्वारा पहले पुनरुत्थान और रेप्चर में भाग लेना है। 
जैसा कि बाइबल इन मुद्दों पर एक समग्र विवरण प्रदान करती है, हमें यह पता लगाने की आवश्यकता है कि नए नियम में पाप की क्षमा के लिए परमेश्वर का उद्धार कैसे पूरा होता है। इन विषयों पर पवित्रशास्त्र हमसे बात करता है क्योंकि यदि हम उनकी बारीकी से जांच नहीं करते हैं, तो हम संत, परमेश्वर के सेवक और इस्राएल के लोगों के बारे में भ्रमित हो जाते हैं जो प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में प्रकट होते हैं। 
 
 

विवरण


वचन १: “फिर मुझे नापने के लिये एक सरकंडा दिया गया, और किसी ने कहा, “उठ, परमेश्‍वर के मन्दिर और वेदी, और उसमें उपासना करनेवालों को नाप ले।”
यह हमें बताता है कि परमेश्वर के अनुग्रह से इस्राएलियों को पाप से बचाने का कार्य अब आरंभ होने वाला है। यहाँ "नापने" का अर्थ है कि परमेश्वर व्यक्तिगत रूप से इस्राएल के लोगों को अंत के समय में उनके पापों से बचाने के लिए हस्तक्षेप करेगा।
अध्याय ११ के मुख्य भाग में, हमें अपना ध्यान इस्राएलियों के पाप से उद्धार पर केन्द्रित करना चाहिए। यह वचन हमें बताता है कि तब से पानी और आत्मा का सुसमाचार इस्राएल के लोगों में फैलाया जाएगा, जो परमेश्वर के कार्य की शुरुआत को दर्शाता है जो इस्राएलियों को परमेश्वर के लोगों को उनके सभी पापों से मुक्त कर देता है, जो यीशु मसीह के द्वारा दिए गए उद्धार के अनुग्रह के माध्यम से है। परमेश्वर ने प्रकाशितवाक्य ११ को अंत के समय में इस्राएलियों को अपने पाप की क्षमा देने के लिए भी दर्ज किया। वचन १ और २ में "नापने" का अर्थ है सभी चीजों के लिए मानक स्थापित करना। अपने मंदिर को नापने में परमेश्वर का उद्देश्य यह पता लगाना है, कि पहले से ही इस्राएलियों को बचाने की योजना बना चुके हैं लेकिन क्या उनके हृदय उनके उद्धार को प्राप्त करने के लिए तैयार हैं या नहीं। और यदि उनके मन तैयार न हों, तो उन्हें तैयार करना, कि उनका मन सीधा रहे। 

वचन २: “पर मन्दिर के बाहर का आँगन छोड़ दे; उसे मत नाप क्योंकि वह अन्यजातियों को दिया गया है, और वे पवित्र नगर को बयालीस महीने तक रौंदेंगी।”
परमेश्वर ने शैतान को अन्यजातियों को साढ़े तीन साल तक रौंदने की शक्ति दी। इसलिए, सभी अन्यजातियों को अपने दिलों में पानी और आत्मा का सुसमाचार, छुटकारे का वचन, जितनी जल्दी हो सके, बड़े क्लेश के सात साल की अवधि के पहले साढ़े तीन वर्षों के भीतर प्राप्त करना चाहिए। इस दुनिया का इतिहास समाप्त हो जाएगा क्योंकि महान क्लेश अपने मध्य भाग से गुजरता है और अपनी दुसरे भाग में प्रवेश करता है। जल्द ही, निकट भविष्य में वह समय आएगा जब सभी अन्यजाति, साथ ही साथ संत जो पहले से ही अपने सभी पापों से बचाए जा चुके हैं, शैतान द्वारा रौंद दिए जाएंगे। 
इस प्रकार अन्यजातियों को अपने पापों की क्षमा प्राप्त करनी चाहिए और उनके द्वारा क्लेश के पहले साढ़े तीन साल बीतने से पहले शहादत के अपने विश्वास को तैयार करना चाहिए। इस समय, इस्राएल के लोग भी पहले साढ़े तीन वर्षों के दौरान भयानक क्लेश के अधीन होंगे। लेकिन वे इस तथ्य को भी स्वीकार करेंगे कि इस समय यीशु ही उनका उद्धारकर्ता है। अंत में, इस्राएल के लोग महान क्लेश के पहले साढ़े तीन वर्षों के दौरान अपने सभी पापों से उद्धार प्राप्त करेंगे। हमें यह समझना चाहिए कि महान क्लेश की अवधि के दौरान भी परमेश्वर इस्राएलियों को पाप की क्षमा की अनुमति देगा।

वचन ३: “मैं अपने दो गवाहों को यह अधिकार दूँगा कि टाट ओढ़े हुए एक हज़ार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्वाणी करें।”
परमेश्वर विशेष रूप से इस्राएल के लोगों के लिए अपने सेवकों के रूप में दो गवाहों को खड़ा करेगा। दो भविष्यद्वक्ता जिन्हें परमेश्वर इस्राएलियों के लिए खड़ा करेगा, उन्हें पुराने भविष्यद्वक्ताओं की तुलना में दुगनी सामर्थ दी गई है, और उनकी गवाही के शब्दों के माध्यम से, परमेश्वर इस्राएल के लोगों के बीच कार्य करना शुरू कर देगा ताकि वे यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता रूप में स्वीकार करें। इन दो भविष्यवक्ताओं के कार्यों के माध्यम से, बहुत से इस्राएली परमेश्वर के वास्तविक रूप से नया जन्म प्राप्त करनेवाले लोग बन जाएंगे। 
दो भविष्यद्वक्ता होने के द्वारा, जिन्हें परमेश्वर अंत के समय में इस्राएलियों को उनके पापों से बचाने, चिह्न और चमत्कार करने के लिए भेजेगा, वह इस्राएलियों को, जो तब इन भविष्यवक्ताओं के नेतृत्व में होंगे, मसीह के पास लौट आएंगे और उस पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करेंगे। ये दो भविष्यद्वक्ता बड़े क्लेश के पहले साढ़े तीन वर्षों के दौरान १,२६० दिनों तक इस्राएल के लोगों को परमेश्वर का वचन खिलाएंगे। इस्राएलियों को पानी और आत्मा का सुसमाचार देने और उस पर विश्वास करने के द्वारा, परमेश्वर उन्हें उसी उद्धार की अनुमति देगा जिसने विश्वास के द्वारा नए नियम के समय के अन्यजातियों को उनके सभी पापों से बचाया था।
 
वचन ४: ये वे ही जैतून के दो पेड़ और दो दीवट हैं, जो पृथ्वी के प्रभु के सामने खड़े रहते हैं। 
यहाँ "जैतून के दो वृक्ष" परमेश्वर के दो भविष्यद्वक्ताओं का उल्लेख करते हैं (प्रकाशितवाक्य ११:१०)। दूसरी ओर, "दो दीवट", परमेश्वर के उस कलीसिया का उल्लेख करते हैं जिसे उसने अन्यजातियों के बीच स्थापित किया था, और वह कलीसिया जिसे उसने इस्राएल के लोगों के लिए अनुमति दी थी। परमेश्वर ने यहूदियों और हम अन्यजातियों दोनों के बीच अपनी कलीसिया बनाई है, और वह अंतिम दिन तक आत्माओं को पाप से बचाने का अपना कार्य करता रहेगा। 
"जैतून के दो वृक्षों" और "दो दीवटों" के द्वारा, परमेश्वर हमें बताता है कि जैसे उसने इस्राएलियों को उनके पापों से बचाने के लिए पुराने नियम के समय में अपने भविष्यवक्ताओं को खड़ा किया था और इन भविष्यवक्ताओं के माध्यम से उनसे बात करके कार्य किया था, जब अन्त का समय आएगा, वह इस्राएल के लोगों में से दो भविष्यद्वक्ताओं को भी खड़ा करेगा, जो उसके वचन का प्रचार करेंगे, और इन भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा इस्राएलियों को यीशु के पास ले जाएंगे।
इस्राएली अन्यजाति मूल के परमेश्वर के सेवकों को गंभीरता से लेने में विफल रहे हैं, और वे यह नहीं सुनते कि परमेश्वर के ये सेवक उनसे क्या कहते हैं। जब वे बलिदान प्रणाली और पुराने नियम की भविष्यवाणियों के बारे में सब कुछ जानते हैं, तो अंत समय के परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं को इस्राएल के अपने लोगों से खड़े करने की आवश्यकता है। इस्राएली पवित्रशास्त्र में इतने पारंगत हैं कि वे दौड़ते हुए भी पूरे तोराह का पाठ कर सकते हैं। यही कारण है कि वे उस पर कभी विश्वास नहीं करते जो परमेश्वर के अन्यजाति सेवक उनसे कहते हैं। 
लेकिन परमेश्वर के सेवक पानी और आत्मा के सुसमाचार को सुनकर जिसका प्रचार मैं और आप अभी करते हैं, वे अपने लोगों में से खड़े होंगे। जब पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने वाले अपने आप से उठेंगे, और उनमें से परमेश्वर द्वारा स्थापित दो भविष्यद्वक्ता उठेंगे, जो उन्हें परमेश्वर के वचन की व्याख्या और प्रचार करेंगे, तब से इस्राएली विश्वास करने लगेंगे।
इस्राएल के लोगों को पता चल जाएगा कि ये दो गवाह अंत के समय में उन्हें उनके पापों से बचाने के लिए स्वयं परमेश्वर द्वारा भेजे और खड़े किए गए भविष्यद्वक्ता हैं। ये भविष्यद्वक्ता अपनी शक्तिशाली सामर्थ का प्रयोग करेंगे, ठीक वैसे ही जैसे पुराने नियम में परमेश्वर के सेवक, जिन्हें इस्राएली अच्छी तरह से जानते थे और विश्वास करते थे, उन्होंने प्रयोग किया था। इसलिए इस्राएली अपनी आँखों से उन शक्तिशाली चमत्कारों को देखेंगे जो वास्तव में दो गवाह करेंगे। इससे इस्राएल के लोग यीशु मसीह के पास लौट आएंगे और प्रभु में विश्वास करेंगे। जब वे यीशु मसीह को परमेश्वर के पुत्र और उनके उद्धारकर्ता के रूप में पहचानते हैं, जैसे हम करते हैं, तो उनका भी हमारे जैसा ही विश्वास होगा—अर्थात, वे भी, पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा बचाए जाएंगे।
ये दो गवाह परमेश्वर के वचन की व्याख्या करेंगे और सात साल के महान क्लेश के दौरान १,२६० दिनों के लिए इस्राएल के लोगों को इसे खिलाएंगे। जिस प्रकार आप और मैं, जो नए नियम के समय के अन्यजाति हैं, पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा बचाए गए हैं, परमेश्वर भी इस्राएलियों को अंत के समय में इस पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा बचाए जाने की अनुमति देगा।
जैसा कि वचन ४ हमें बताता है, “ये वे ही जैतून के दो पेड़ और दो दीवट हैं, जो पृथ्वी के प्रभु के सामने खड़े रहते हैं,” बाइबल इन दोनों गवाहों को "जैतून के दो वृक्ष" कहती है। जैतून के दो वृक्ष अंत समय के दो भविष्यवक्ता का उल्लेख करते हैं। वचन १० में लिखा है, “पृथ्वी के रहनेवाले उनके मरने से आनन्दित और मगन होंगे, और एक दूसरे के पास भेंट भेजेंगे, क्योंकि इन दोनों भविष्यद्वक्‍ताओं ने पृथ्वी के रहनेवालों को सताया था।” यहाँ, हमें दो जैतून के पेड़ कौन हैं इस पर ध्यान केंद्रित करके इस वचन को हल करना चाहिए।
जैतून के पेड़ों का उपयोग पुराने नियम के युग में पवित्र स्थान की सजावट और परमेश्वर के मंदिर की वेदी को उनके तेल से अभिषेक करने के लिए किया जाता था। इस जैतून के तेल का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए भी किया जाता था, जैसे कि मंदिर के दीये जलाने में। उन्हें मंदिर में केवल शुद्ध जैतून के तेल का ही उपयोग करना था। परमेश्वर ने अपने मंदिर में किसी भी तेल का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी, लेकिन उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि केवल जैतून का तेल इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रकार, हमें यह जानना होगा कि जैतून का पेड़, साथ ही अंजीर का पेड़, इस्राएल के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
इन दो जैतून के पेड़ों और दो दीवटों की कई व्याख्याएँ हैं। कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि वे स्वयं जैतून के पेड़ हैं। लेकिन जैतून के दो पेड़ अभिषिक्‍त जनों को दर्शाते हैं। पुराने नियम के समय में, लोगों का अभिषेक तब किया जाता था जब उन्हें भविष्यद्वक्ता, राजा या याजक के रूप में स्थापित किया जाता था। जब किसी का इस प्रकार अभिषेक किया गया, तो पवित्र आत्मा उस पर उतरा। इस प्रकार, जैतून का पेड़ यीशु मसीह को संदर्भित करता है जिसे पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ धारण किया गया था (रोमियों ११:२४)। लेकिन इस बात को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं।
फिर भी, दो जैतून के पेड़, जो दो गवाह हैं जिनका पूरे मुख्य भाग में उल्लेख किया गया है, परमेश्वर के दो सेवकों को संदर्भित करते हैं जिन्हें वह विशेष रूप से इस्राएलियों के उद्धार के लिए अंत के समय में खड़ा करेगा। 
वचन ४ हमें यही बता रहा है। और यहाँ दो दीवट परमेश्वर की कलीसिया का उल्लेख करते हैं जिसे उसने अन्यजातियों के बीच अनुमति दी थी, और इस्राएल के लोगों के बिच अनुमति दी थी। पुराने नियम के युग में, इस्राएलियों के पास मूल रूप से परमेश्वर की कलीसिया थी। लेकिन नए नियम के युग से, उनके पास अब यह परमेश्वर की कलीसिया नहीं रही। क्यों? क्योंकि उन्होंने अभी तक यीशु मसीह को नहीं पहचाना, और उनके हृदयों में पवित्र आत्मा भी नहीं है। 
चूँकि उन्होंने न तो पानी और आत्मा के सुसमाचार को और न ही यीशु मसीह को स्वीकार किया है, परमेश्वर की कलीसिया अब उनके बीच नहीं है। हालाँकि, दुनिया के अंत से पहले, महान क्लेश के पहले साढ़े तीन वर्षों के दौरान, परमेश्वर अपनी कलीसिया को इस्राएल के लोगों को भी अनुमति देगा। यही कारण है कि बाइबल हमें जैतून के दो पेड़ों के बारे में बताती है, जो दो गवाह हैं।
प्रभु अपने कलीसिया की स्थापना करेंगे और यहूदियों और हम अन्यजातियों के बीच आत्माओं को पाप से बचाने का अपना कार्य करेंगे। और इन कलीसियाओं के माध्यम से, वह उन्हें मसीह विरोधी के प्रकट होने तक पापों से आत्माओं को बचाने के इस आत्मिक कार्य की सेवा करने के लिए कहेगा। इसका मतलब यह है कि परमेश्वर अपनी कलीसिया के सदस्य यानी की संतो को पात्र बनाएगा, ताकि वे पाप में खोई हुई आत्माओं को बचाने की सेवा कर सकें। इसलिए हमें विश्वास में अपनी शेष सेवकाई को विश्वास से पूरा करना चाहिए। 

वचन ५: यदि कोई उनको हानि पहुँचाना चाहता है, तो उनके मुँह से आग निकलकर उनके बैरियों को भस्म करती है; और यदि कोई उनको हानि पहुँचाना चाहेगा, तो अवश्य इसी रीति से मार डाला जाएगा। 
परमेश्वर ने यह सामर्थ दो भविष्यद्वक्ताओं को दी ताकि वे अपने विशेष कार्य को पूरा कर सकें। अंत के समय में इस्राएल के लोगों को पश्चाताप करने और शैतान पर जय प्राप्त करने के लिए, परमेश्वर हमें दिखाता है कि जो कोई भी दो गवाहों को मारने की कोशिश करेगा, उसे स्वयं नुकसान होगा, और परमेश्वर के वचन की सामर्थ इन दो गवाहों के पास होगी।
इस प्रकार, इस्राएल के लोग, इन दो भविष्यद्वक्ताओं की शिक्षाओं पर विश्वास करते हुए, यीशु मसीह के पास लौट आएंगे। यही कारण है कि परमेश्वर इस्राएलियों को दो जैतून-अर्थात दो गवाहों को अनुमति देगा, ताकि वे अंत के समय में अपने पापों से बचाए जा सकें। 

वचन ६: उन्हें अधिकार है कि आकाश को बन्द करें, कि उनकी भविष्यद्वाणी के दिनों में मेंह न बरसे; और उन्हें सब पानी पर अधिकार है कि उसे लहू बनाएँ, और जब जब चाहें तब तब पृथ्वी पर हर प्रकार की विपत्ति लाएँ। 
क्योंकि इस्राएल के लोग तब तक पश्चाताप नहीं करेंगे जब तक कि परमेश्वर के सेवक जिन्हें वह उनके लिए खडा करेगा, सामर्थ के इन कार्यों को पूरा नहीं करेंगे, परमेश्वर दो गवाहों को अपनी सामर्थ के साथ काम करने की अनुमति देगा। दो भविष्यद्वक्ता न केवल इस्राएलियों को यीशु के पास ले जाएंगे, बल्कि वे परमेश्वर के शत्रुओं को भी सामर्थ से पराजित करेंगे और उनकी बुलाहट के सभी कार्यों को पूरा करेंगे। परमेश्वर उन्हें विशेष सामर्थ देगा ताकि वे इस्राएल के लोगों को भविष्यवाणी के सभी वचनों का प्रचार कर सकें, गवाही दे सकें कि यीशु मसीह उनके लंबे समय से प्रतीक्षित मसीहा हैं, और उन्हें विश्वास दिलाए। 
 
वचन ७: जब वे अपनी गवाही दे चुकेंगे, तो वह पशु जो अथाह कुण्ड में से निकलेगा, उनसे लड़कर उन्हें जीतेगा और उन्हें मार डालेगा। 
यह वचन हमें बताता है कि जब महान क्लेश की सात साल की अवधि के पहले साढ़े तीन साल बीत जाएंगे, तो इस दुनिया में मसीह विरोधी प्रकट होगा। यह वो समय है जब लोग यीशु मसीह को अपने प्रतीक्षित मसीहा के रूप में विश्वास करते हैं, वे अंततः इस्राएल के लोगों में से जी उठेंगे। लेकिन उनमें से कई लोग पशु, जो कि मसीह विरोधी है, और उसके अनुयायियों से अपने विश्वास की रक्षा के लिए शहीद हो जाएंगे। परमेश्वर के दो भविष्यद्वक्ता जब अपनी बुलाहट के कार्यो को पूरा करेंगे तब वे भी शहीद हो जाएंगे।
इन दो गवाहों को मसीह विरोधी द्वारा मार डाला जाएगा, यह परमेश्वर की इच्छा के अनुसार है। क्यों? क्योंकि परमेश्वर भी उन्हें शहीदों के लिए अपना इनाम देना चाहते हैं। यह इनाम उनके लिए पहले पुनरुत्थान में हिस्सा लेने, मेम्ने के विवाह भोज में प्रभु के साथ शामिल होने, हमेशा के लिए आनन्दित होने, और अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए है। सभी संतों को यह आशीष देने के लिए परमेश्वर चाहते हैं कि वे अपने विश्वास के लिए शहीद हो जाएं। इसलिए, सभी संतों को अपनी शहादत से न तो डरना चाहिए और न ही बचना चाहिए, बल्कि इसे सकारात्मक विश्वास में अपनाना चाहिए और अपना धन्य प्रतिफल प्राप्त करना चाहिए।

वचन ८: उनके शव उस बड़े नगर के चौक में पड़े रहेंगे, जो आत्मिक रूप से सदोम और मिस्र कहलाता है, जहाँ उनका प्रभु भी क्रूस पर चढ़ाया गया था। 
यह वचन हमें बताता है कि "दो गवाह" इस्राएल के लोगों में से होंगे। जो दो सेवक परमेश्वर इस्राएलियों के लिये खड़ा करेगा, वे अन्यजातियों में से नहीं, वरन इस्राएलियोंमें से हैं। जैसे, दो गवाहों को उसी स्थान पर मार दिया जाता है जहां यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था। यह तथ्य हमें स्पष्ट रूप से बताता है कि ये दो गवाह इस्राएली हैं। इस्राएल के लोगों के लिए, वे परमेश्वर के सेवक हैं। 
इस्राएल के लोगों के लिए, जो आत्मिक रूप से सदोम और मिस्र के लोगों की तरह हैं, परमेश्वर अपने दो भविष्यद्वक्ताओं को स्थापित करेगा, उन्हें सामर्थ देगा, और उन्हें गवाही देगा कि यीशु ही वह मसीहा है जिसकी इस्राएलियों ने प्रतीक्षा की थी, ताकि इस्राएल के लोग पश्चाताप कर सके और यीशु में विश्वास कर सके।
मसीह विरोधी परमेश्वर के दो सेवकों को गोलगोथा के स्थान पर मार डालेगा, जहाँ यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था। चूँकि मसीह विरोधी के अनुयायियों में दुष्ट आत्माएँ हैं, वे इन दो गवाहों से घृणा करेंगे जो यीशु पर विश्वास करते हैं और उसकी गवाही देते हैं। रोमन सैनिकों की तरह, जिन्होंने पहले यीशु को क्रूस पर चढ़ा दिया था और उनके पंजर को भाले से बेधा था, वे न केवल यीशु से घृणा करेंगे, बल्कि वे परमेश्वर के दो गवाहों से भी घृणा करेंगे और उन्हें मार डालेंगे। 

वचन ९: सब लोगों और कुलों और भाषाओं और जातियों के लोग उनके शवों को साढ़े तीन दिन तक देखते रहेंगे, और उनके शवों को कब्र में रखने न देंगे। 
इस्राएल के लोगों में भी ऐसे लोग हैं जो यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता नहीं मानते हैं। दो सेवकों (जैतून के दो पेड़) के देह की मृत्यु देखकर, ये लोग अपनी जीत की भावना से अभिभूत हो जाएंगे, और इस जीत की भावना को बढ़ाने के लिए, वे अपने पीड़ितों को उचित रीती से दफानाएंगे भी नहीं। लेकिन जब परमेश्वर "दो गवाहों" को फिर से जीवित करेगा, तो उनकी जीत चकनाचूर हो जाएगी, और इसलिए वे परमेश्वर का भय मानने लगेंगे। 
वे परमेश्वर के दो सेवकों की मृत्यु के लिए खुद को बधाई दे सकते हैं, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं रहेगा, क्योंकि उन्हें जल्द ही पता चल जाएगा कि मसीह विरोधी यीशु मसीह के सामने कोई मुकाबला नहीं कर सकता है - इस प्रकार निराशा और खालीपन उन्हें अभिभूत कर देगा।
ये लोग दो भविष्यवक्ताओं द्वारा प्रचारित परमेश्वर के भविष्यवाणी के वचन को नापसंद करते हैं। इन दो सेवकों के खिलाफ खड़े होने से, जिन्हें परमेश्वर खड़ा करेगा, वे अंततः उद्धार की अंतिम फसल से निकाल दी जाएंगे और अंत में शैतान के अनुयायियों में बदल जाएंगे। 

वचन १०: पृथ्वी के रहनेवाले उनके मरने से आनन्दित और मगन होंगे, और एक दूसरे के पास भेंट भेजेंगे, क्योंकि इन दोनों भविष्यद्वक्‍ताओं ने पृथ्वी के रहनेवालों को सताया था। 
जब वे परमेश्वर के भविष्यवाणी के वचन का प्रचार करेंगे, इस्राएलियों के उद्धार के लिए खड़े किए गए दो गवाह शैतान के अनुयायियों के लिए बड़े दर्द का कारण बनेंगे। ऐसे में वे सभी इन दोनों गवाहों की मौत पर खुशी मनाएंगे और खुद को बधाई देने के लिए एक-दूसरे को उपहार भेजेंगे।
हमें परेशान करनेवाले जब अद्रश्य हो जाते है तब हम भी खुश होते हैं। जब परमेश्वर द्वारा खड़े किए गए दो गवाह परमेश्वर के वचन का प्रचार करते हैं, तो मसीह विरोधी और उसके अनुयायी इससे घृणा करेंगे। हर बार जब वे परमेश्वर का वचन सुनते हैं, तो उनकी आत्मा पीड़ा से अभिभूत हो जाती है। क्योंकि जब भी दो गवाह उनसे यीशु के बारे में बात करेंगे, तो उन्हें इस प्रकार बहुत पीड़ा होगी, लेकिन जब उन्हें मसीह विरोधी द्वारा मौत के घात उतारते देखेंगे तब वे आनन्दित होंगे। यही कारण है कि वे उपहारों का आदान-प्रदान करते थे और एक दूसरे को बधाई देते थे। 

वचन ११: परन्तु साढ़े तीन दिन के बाद परमेश्‍वर की ओर से जीवन का श्‍वास उनमें पैठ गया, और वे अपने पाँवों के बल खड़े हो गए, और उन के देखनेवालों पर बड़ा भय छा गया। 
हालाँकि, परमेश्वर दो गवाहों को पहले पुनरुत्थान में भाग लेने के लिए कहेगा। यह वचन इस बात का प्रमाण है कि संत, जो प्रभु द्वारा दिए गए उद्धार के वचन में विश्वास करके पाप से बचाए जाने के बाद अपने विश्वास की रक्षा के लिए शहीद हुए हैं, पहले पुनरुत्थान में भाग लेंगे। 
जीवन की सांस "साढ़े तीन दिनों" में उनमें प्रवेश कर गई, यह हमें बताता है कि प्रभु थोड़ी देर में उनके पुनरुत्थान की अनुमति देंगे, जैसे वह स्वयं देह की मृत्यु से पुनरुत्थित हुआ हो। परमेश्वर ने सभी संतों को पहले पुनरुत्थान का यह विश्वास दिया है, स्वयं संतों के लिए परमेश्वर का एक बड़ा आशीर्वाद है, लेकिन सभी पापियों के लिए यह बहुत निराशा और भय लाएगा। संतों का पहला पुनरुत्थान परमेश्वर की प्रतिज्ञा और उनके विश्वास के लिए उसका प्रतिफल है।

वचन १२: तब उन्हें स्वर्ग से एक बड़ा शब्द सुनाई दिया, “यहाँ ऊपर आओ!” यह सुन वे बादल पर सवार होकर अपने बैरियों के देखते देखते स्वर्ग पर चढ़ गए। 
यह वचन सभी संतों के पुनरुत्थान और रेप्चर की ओर संकेत करता है। भविष्यवाणी के प्रभु के वचन में विश्वास करने के बाद, जिन लोगों को उनके सभी पापों से बचाया गया है, उनके पास अपने विश्वास की रक्षा के लिए शहीद होने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। यह वचन हमें दिखाता है कि प्रभु इन सभी संतों को पुनरुत्थित करेगा और उनका रेप्चर करेगा। संत और परमेश्वर के सेवक जो उसके प्रति अपनी वफादारी में शहीद हुए हैं, उन्हें प्रभु में उनके विश्वास के कारण हवा में उठाकर (रेप्चर) किया जाएगा। हम परमेश्वर का धन्यवाद करते है की उसने हमें हमारे पाप की माफ़ी में विश्वास के द्वारा बचाए जाने के बाद शहीद होने के उपहार के रूप में हमें पुनरुत्थान और रेप्चर दिया है। 
परमेश्वर पिता उन सभी को पुनरुत्थान और रेप्चर की अनुमति देगा जो मसीह विरोधी के खिलाफ खड़े हैं और यीशु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके शहीद हुए हैं। हमें इस तथ्य पर विश्वास करना चाहिए। संतों का पुनरुत्थान और रेप्चर वे आशीषें हैं जो परमेश्वर के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर उनके विश्वास के द्वारा बहती है। शैतान और अंत के समय के उसके अनुयायी जब उन संतों को देखेंगे, जिन्हें उन्होंने इतना सताया और मार डाला था वे अब पुनरुत्थित हुए है और रेप्चर हो रहे है तब वे अपने प्रयासों को विफल होते हुए देखेंगे।
परमेश्वर शहीद संतों को फिर से जीवित करेगा और उनका रेप्चर करेगा, लेकिन वह सात कटोरों की विपत्तियों को उँडेलकर इस पृथ्वी पर रहने वालों को नष्ट कर देगा। जब यह कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा, तो वह संतों के साथ इस पृथ्वी पर उतरेगा और धर्मियों को मसीह के विवाह भोज में आमंत्रित करेगा। हमारे प्रभु का यह पर्व एक हजार वर्ष तक चलेगा। जब यह हजार वर्ष का राज्य खत्म हो जाएगा, तो वह शैतान को अथाह गड्ढे से कुछ समय के लिए उठने और परमेश्वर और उसके संतों के खिलाफ लड़ने की अनुमति देगा, लेकिन वह अंततः शैतान और उसके अनुयायियों को नष्ट कर देगा और उन्हें अनन्त आग में फेंकने का न्याय करेगा। हालाँकि, धर्मी लोग प्रभु के स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे और हमेशा के लिए उसके साथ रहेंगे। 
 
वचन १३: फिर उसी घड़ी एक बड़ा भूकम्प हुआ, और नगर का दसवाँ भाग गिर पड़ा; और उस भूकम्प से सात हज़ार मनुष्य मर गए, और शेष डर गए और स्वर्ग के परमेश्‍वर की महिमा की। 
दो भविष्यद्वक्ताओं की शहादत, पुनरुत्थान और रेप्चर के बाद, जिन्हें परमेश्वर इस्राएलियों के उद्धार के लिए उठाएगा, वह अपने स्वर्गदूतों को इस पृथ्वी पर सात कटोरे की विपत्तियों को स्वतंत्र रूप से डालने की अनुमति देगा। जो लोग संतों के रेप्चर के बाद भी इस पृथ्वी पर बने रहेंगे, वे सात कटोरों की इन विपत्तियों को उनके उपहार के रूप में प्राप्त करेंगे। केवल तभी वे भय से ग्रस्त होंगे और परमेश्वर की महिमा करेंगे, लेकिन यह उनके लिए किसी काम का नहीं होगा, क्योंकि यह परमेश्वर के प्रेम में सच्चे विश्वास का कार्य नहीं होगा। 
जब यह संसार नष्ट हो जाएगा, तो धर्मियों को उनका अनन्त स्वर्ग, अनन्त पुनरुत्थान और अनन्त आशीर्वाद प्राप्त होगा, लेकिन पापियों के लिए, केवल नरक में अनन्त आग की पीड़ा उनकी प्रतीक्षा करेगी। यही कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति को पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा अपने पापों की क्षमा प्राप्त करनी चाहिए। और क्योंकि जो लोग इस प्रकार अपने पापों से छुटकारा पा चुके हैं, वे उस नई दुनिया में विश्वास करते हैं जिसका वादा परमेश्वर ने उनसे किया था, वे सभी को पानी और आत्मा का सुसमाचार सुनाते हैं। 

वचन १४: दूसरी विपत्ति बीत चुकी; देखो, तीसरी विपत्ति शीघ्र आनेवाली है। 
अन्यजातियों और इस्राएलियों दोनों के लिए, परमेश्वर की ओर से तीसरी विपत्ति प्रत्येक लोगों की प्रतीक्षा करेगी, सिवाय उन लोगों के जिन्होंने उद्धार प्राप्त कर और शहीद होने के द्वारा अपने पुनरुत्थान और रेप्चर में भाग लिया है।
वह विपत्ति जो स्वर्गदूत के छठी तुरही के फूंकने से लेकर सात कटोरों की विपत्तियों के आरम्भ तक सातवीं तुरही के बजने तक रहती है वह दूसरी विपत्ति कहलाती है। सात तुरहियों की विपत्तियों को तीन अवधियों में विभाजित किया गया है - प्रारंभिक, मध्य और बाद की अवधि। प्राकृतिक विपत्तियाँ और मसीह विरोधी द्वारा संतों की शहादत पहली और दूसरी विपत्तियों में शामिल है। दूसरी ओर, तीसरी विपत्ति वे विपत्तियाँ हैं जो संसार को पूरी तरह नष्ट कर देंगी। यह तीसरी विपत्ति, परमेश्वर के क्रोध के कटोरे हैं, जो इस पृथ्वी पर बचे हुए पापियों पर उंडेले जाएंगे।
 
वचन १५: जब सातवें दूत ने तुरही फूँकी, तो स्वर्ग में इस विषय के बड़े बड़े शब्द होने लगे : “जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया, और वह युगानुयुग राज्य करेगा।”
वाक्यांश "स्वर्ग में बड़े बड़े शब्द होने लगे" हमें दिखाता है कि संत और सेवक जो सभी पापों से बचाए गए हैं, जब तक इस दुनिया में सात कटोरे की विपत्तियां शुरू नहीं होंगी, तब तक वे पहले से ही स्वर्ग में होंगे। इस प्रकार, उस समय तक परमेश्वर के लोग इस दुनिया में नहीं मिलेंगे। हमें यह समझना चाहिए। “जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया, और वह युगानुयुग राज्य करेगा।”
इस समय, संत स्वर्ग में प्रभु की स्तुति करेंगे, लेकिन सात कटोरे की सभी विपत्तियों के बाद, वे भी प्रभु के साथ नई पृथ्वी पर उतरेंगे और इस दुनिया में एक हजार साल तक प्रभु के साथ राज्य करेंगे। इसके बाद प्रभु और संत नए स्वर्ग और पृथ्वी में हमेशा के लिए राज्य करेंगे।
हमें पाप से छुड़ाने के लिए, हमारे प्रभु ने राजा के रूप में हम पर शासन करने के बजाय, इस पूरे समय में एक दास के रूप में हमारी सेवा की है। उसने हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करनेवालों को उद्धार देकर परमेश्वर की संतान बनने का अनुग्रह दिया है। जैसा कि हमारा प्रभु हमारे लिए शाश्वत राजा है, वह अपने लोगों को भी हमेशा के लिए राज्य करने देगा। हाल्लेलूयाह! प्रभु का धन्यवाद करे!

वचन १६: तब चौबीसों प्राचीन जो परमेश्‍वर के सामने अपने अपने सिंहासन पर बैठे थे, मुँह के बल गिरकर परमेश्‍वर को दण्डवत् करके,
परमेश्वर सभी महिमा प्राप्त करने के योग्य हैं। यह केवल उनके लिए उचित है जो सभी पापों से बचाए गए हैं कि वे अपने मुँह के बल गिरकर परमेश्वर की आराधना और स्तुति करे। हमारे प्रभु, जिन्होंने पापियों को बचाने के ये सभी कार्य किए हैं वह सभी संतों और पूरी सृष्टि से हमेशा-हमेशा के लिए स्तुति और आराधना प्राप्त करने के योग्य हैं।
 
वचन १७: “यह कहने लगे, “हे सर्वशक्‍तिमान प्रभु परमेश्‍वर, जो है और जो था, हम तेरा धन्यवाद करते हैं कि तू ने अपनी बड़ी सामर्थ्य को काम में लाकर राज्य किया है।”
तब से हमेशा के लिए अपने लोगों के साथ राज्य करने के लिए, हमारा प्रभु शैतान पर जय प्राप्त करेगा और पिता परमेश्वर से महान सामर्थ प्राप्त करेगा। इस प्रकार, प्रभु हमेशा के लिए राज्य करेगा। वह ऐसा करने के योग्य है। मैं उसकी महिमा करता हूं, क्योंकि प्रभु ने संसार के सब पापों को मिटा दिया है, उसने उन सभी को बचाया है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं, और जिसने अपने शत्रुओं का न्याय किया है, वह अपनी महिमा और सत्ता लेने के लिए योग्य है। इस प्रकार, वे सभी जो परमेश्वर की प्रभुता को पहचानते हैं वे परमेश्वर की सर्वशक्तिमान सामर्थ और प्रेम के साथ परमेश्वर की स्तुति की महिमा से भर जाएंगे।

वचन १८: “जातियों ने क्रोध किया, पर तेरा प्रकोप आ पड़ा, और वह समय आ पहुँचा है कि मरे हुओं का न्याय किया जाए, और तेरे दास भविष्यद्वक्‍ताओं और पवित्र लोगों को और उन छोटे बड़ों को जो तेरे नाम से डरते हैं बदला दिया जाए, और पृथ्वी के बिगाड़नेवाले नष्‍ट किए जाएँ।” 
सात कटोरों की विपत्तियाँ डालने के साथ-साथ आत्मिक रूप से अन्यजाति बने रहनेवालों की देह भी नाश होगी। यह वचन हमें बताता है कि उस समय परमेश्वर के लिए सभी का न्याय करने का समय होगा, वह अपने सेवकों और भविष्यद्वक्ताओं, संतों, और उसका सम्मान करने वालों को पुरस्कृत करेगा, और उन लोगों को नष्ट कर देगा जो उसकी इच्छा के विरुद्ध खड़े होते हैं और उसकी अवज्ञा करते हैं। जो लोग उसकी प्रभुता को नहीं पहचानते हैं, उन पर प्रभु अपने क्रोध का दण्ड देगा, परन्तु वह पवित्र लोगों को अपने साथ महिमामय होने देगा। इसका मतलब है कि परमेश्वर अच्छे और बुरे सभी का न्यायी बन गया है।
जब प्रभु नया जन्म प्राप्त किए हुए लोगों के राजा के रूप में अपने सिंहासन पर विराजमान होगा और सभी का न्याय करेगा, तब जगत के सभी पापी और धर्मी अपना न्याय प्राप्त करेंगे। इस समय, अपने न्याय के फैसले के रूप में, परमेश्वर संतों को स्वर्ग और अनन्त जीवन देंगे, लेकिन पापियों के लिए वह उनका शाश्वत विनाश और नरक की सजा देंगे। यीशु मसीह की प्रभुता और उसके लोगों के शासन की आशीष सदा बनी रहेगी। इस समय पहला संसार समाप्त हो जाएगा, और दूसरा संसार, मसीह का राज्य, इस प्रकार आरंभ होगा।

वचन १९: तब परमेश्‍वर का जो मन्दिर स्वर्ग में है वह खोला गया, और उसके मन्दिर में उसकी वाचा का सन्दूक दिखाई दिया; और बिजलियाँ और शब्द और गर्जन और भूकम्प हुए और बड़े ओले पड़े।
परमेश्वर अपने संतों, धर्मी लोगों को अपने मंदिर में रहने का आशीर्वाद देगा। ये सभी बातें यीशु मसीह में मनुष्यजाति से किए गए परमेश्वर के वायदे के वचन के अनुसार पूरी होती हैं। परमेश्वर का राज्य परमेश्वर के भविष्यवाणी के वचन से शुरू होता है, और यह इस भविष्यवाणी की पूर्ति के द्वारा पूरा होता है।
परमेश्वर के सभी वायदे, संतों के पुनरुत्थान और रेप्चर से लेकर यीशु मसीह के साथ मेम्ने के विवाह भोज में उनकी भागीदारी और राजाओं के रूप में हमेशा के लिए शासन करने का आशीर्वाद, इस्राएल के लोगों और हम अन्यजातियों दोनों को समान रूप से दिए गए हैं। साथ ही, वह अंत समय के दौरान इस्राएलियों के उद्धार और हमारे उद्धार को उसी तरह मानता है, हम दोनों को इस अवधि में शहीद होने देगा, हमें उसी पुनरुत्थान और उसके बाद उसी रेप्चर की अनुमति देता है, और हमें सामान महिमा देगा। वचन हमें बताता है कि यद्यपि इस्राएली और हम अन्यजाति देह में भिन्न-भिन्न लोग हैं, फिर भी हम आत्मिक रूप से परमेश्वर के सामान लोग हैं।
बहुत से लोग दावा करते हैं और विश्वास करते हैं कि सात साल के महान क्लेश के शुरू होने से पहले नया जन्म पाए हुए लोगों का रेप्चर होगा। बाइबल के अनुसार, लोग सच्चे सुसमाचार को सुनना जारी रखेंगे और महान क्लेश के सात साल की अवधि के पहले साढ़े तीन वर्षों के दौरान बचाए जाएंगे। तब मसीह विरोधी उठ खडा होगा, संत शहीद होंगे, और उनके पुनरुत्थान और रेप्चर के बाद मेम्ने का विवाह भोज आएगा, संतों को परमेश्वर के साथ एक हजार वर्षों तक शासन करने की अनुमति देगा। 
संतों को उनकी शहादत, पुनरुत्थान और रेप्चर के समय का सटीक ज्ञान होना चाहिए। इस समय को जाने बिना वे अपने भ्रम में भटकते रहेंगे और आत्मिक रूप से मरते रहेंगे। 
जिन्हें अंत समय के बारे में परमेश्वर के प्रावधान का सटीक ज्ञान है, वे अपने पुनरुत्थान और रेप्चर की आशा रखते हैं, और लगन से सुसमाचार की सेवा करेंगे। जो लोग जानते हैं कि इस पृथ्वी पर कोई आशा नहीं है, उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा वही आशा रखनी चाहिए जो नया जन्म पानेवाले लोगों की है। और संत परमेश्वर के वचन में विश्वास करके शहीद हो जाते हैं।
समय को पहचानने वाले विश्वास की इस युग में अनिवार्य रूप से आवश्यकता है। पूरी दुनिया पर भयानक विपत्तियों और क्लेशों के उतरने और मसीह विरोधी के उठ खड़े होने का समय लगभग आ गया है। अब आपको अपनी नींद से जागने का समय है। हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि हमें महान क्लेश के लगभग सभी क्लेशों से गुजरना है। और यह अनिवार्य है कि हम मसीह की वापसी में, हमारे पुनरुत्थान और रेप्चर में, और मसीह के साथ मेम्ने के विवाह भोज में हमारी भागीदारी में विश्वास करें। हमारे लिए इस युग के लिए सबसे उपयुक्त विश्वास रखने के लिए, हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार के सन्दूक में प्रवेश करना चाहिए। 
मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि इस वर्तमान युग को जानकर आप में वह विश्वास होगा जिसकी इस युग के लिए सबसे अधिक तत्काल आवश्यकता है और जो सबसे उचित है।