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विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 11-2] इस्राएल के लोगों का उद्धार ( प्रकाशितवाक्य ११:१-१९ )

इस्राएल के लोगों का उद्धार
( प्रकाशितवाक्य ११:१-१९ )

परमेश्वर इस्राएल के लोगों के पास दो भविष्यद्वक्ताओं को क्यों भेजेगा? परमेश्वर ऐसा विशेष रूप से इस्राएल के लोगों को बचाने के लिए करेगा। मुख्य भाग हमें बताता है कि परमेश्वर अपने दो गवाहों को १,२६० दिनों के लिए भविष्यवाणी करने के लिए कहेगा। यह इसराएलियों को आखिरी बार बचाने के लिए है। परमेश्वर इस प्रकार इस्राएल के लोगों को बचाएगा, इसका अर्थ यह भी है कि दुनिया के अंत का समय आ गया होगा। 
वचन २ कहता है, “पर मन्दिर के बाहर का आँगन छोड़ दे; उसे मत नाप क्योंकि वह अन्यजातियों को दिया गया है, और वे पवित्र नगर को बयालीस महीने तक रौंदेंगी।” इसका मतलब यह है कि जब अन्यजातियों पर भयानक विपत्तियाँ आती हैं, जब महान क्लेश की सात साल की अवधि शुरू होती है और धीरे-धीरे बड़े भ्रम और विपत्तियाँ लाती है, जब अन्यजातियों में से जिन्होंने सुसमाचार को सुना और विश्वास किया है वे शहीद हो जाएंगे, तब परमेश्वर इस्राएल के लोगों के लिए दो भविष्यद्वक्ताओं को उठाएगा, उन्हें गवाही देने के लिए कहेगा कि यीशु परमेश्वर और उद्धारकर्ता है, और इस प्रकार इस्राएलियों को बचाएगा। यह हमें बताता है कि ये परमेश्वर के आनेवाले कार्य हैं।
हमें यह वचन उन लोगों को सिखाना चाहिए, जो शैतान के बहकावे में आकर दावा करते हैं कि उनके संप्रदायों के अगुवे अंत समय के जैतून के दो पेड़ हैं, या उनके संप्रदाय का संस्थापक एलिय्याह है जिसकी भविष्यवाणी अंत समय के लिए की गई थी। जब भी सांसारिक कलीसिया प्रकाशितवाक्य के बारे में बात करते हैं, तो वे जैतून के दो पेड़ों के विषय में इस भाग का सबसे अधिक फायदा उठाते हैं। विधर्मी पंथों द्वारा धोखा घाए हुए सभी लोगों में से जिनसे मैं अपने विश्वास के जीवन में अब तक मिला हूं उनमे से कोई भी यह दावा करने में कभी असफल नहीं हुआ कि उनके पंथ का अगुवा यहां वर्णित दो जैतून के पेड़ों में से एक है। हर विधर्मी जिसे मैं जानता हूं, उसने अंततः ऐसा दावा किया है।
लेकिन दो जैतून के पेड़ और प्रकाशितवाक्य के दो दीवट वे नहीं हैं जो ये विधर्मी दावा करते हैं। वास्तव में, ये जैतून के पेड़ में उन दो भविष्यवक्ता को संदर्भित करते हैं जिन्हें परमेश्वर इस्राएलियों में से उन्हें बचाने के लिए खड़ा करेगा। 
अध्याय ११ हमें विस्तार से बताता है कि परमेश्वर इस्राएल के लोगों को कैसे बचाएगा। रोमियों की पुस्तक की तरह, प्रकाशितवाक्य की पुस्तक के प्रत्येक अध्याय का अपना विशेष विषय है। इस विषय को जानकर ही हम समझ सकते हैं कि यह अध्याय क्या कहता है। यह पढ़ते हुए कि अन्यजाति बयालीस महीने तक पवित्र शहर को पैरों तले रौंदेंगे, कुछ लोग इस विषय को जाने बिना ही दावा करते हैं कि अन्यजातियों का युग समाप्त हो जाएगा, इसके बजाय इस्राएलियों के उद्धार का युग खुल जाएगा, और इस तरह तब केवल इस्राएली ही उद्धार पाएंगे। 
लेकिन ये सच्चाई से कोसों दूर है। अध्याय ७ हमें बताता है कि क्लेशों में से उद्धार पाए हुए अन्यजातियों की अनगिनत भीड़ भी निकलेगी—अर्थात, केवल इस्राएलियों को ही नहीं, बल्कि अन्यजातियों और इस्राएलियों दोनों को ही पूरे क्लेश के दौरान बचाया जाएगा। इस प्रकार, अध्याय ११ जो हमें बताता है वह यह है कि परमेश्वर अंत के समय में इस्राएल के लोगों को बचाने के लिए दो भविष्यवक्ताओं को खड़ा करेगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अन्यजातियों को अब और नहीं बचाया जाएगा।
कुछ लोग बदले में पूछेंगे, “क्या १४४,००० इस्राएली पहले ही बचाए नहीं गए थे, जैसा कि अध्याय ७ हमें बताता है कि यह परमेश्वर द्वारा मुहरित इस्राएलियों की संख्या है?” मुहरित किया जाना उद्धार पाने के समान नहीं है। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे यीशु मसीह के बिना बचाया जा सकता है। उद्धार केवल इस विश्वास से आता है कि यीशु मसीह ने इस पृथ्वी पर आकर, हमारे सभी पापों को ग्रहण करने के लिए बपतिस्मा लिया, संसार के इन सभी पापों को क्रूस पर ले जाकर, उस पर मरकर, और फिर से मृतकों में से जी उठकर हमारा उद्धारकर्ता बन गया। 
यद्यपि हम जानते हैं कि हम अपनी मृत्यु तक पाप करने के लिए बाध्य हैं, फिर भी हम इस विश्वास के द्वारा बचाए गए है कि यीशु मसीह ने हमारे सभी पापों को पूरी तरह से दूर कर दिया और इस प्रकार हमारा उद्धारकर्ता बन गया। जबकि १४४,००० इस्राएलियों पर मुहर लगाई जाएगी, परमेश्वर अपने दो नबियों को भी खड़ा करेगा, और उनके द्वारा इन इस्राएलियों को अपना सुसमाचार सुनाएगा। दूसरे शब्दों में, वचन हमें जो बताता है, वह यह है कि दो भविष्यद्वक्ता इस्राएलियों को सुसमाचार का प्रचार करेंगे, और उनमें से १४४,००० इस प्रकार बचाए जाएंगे।
बाइबल कभी भी पूर्वाग्रही या भेदभावपूर्ण नहीं है। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे यीशु मसीह बिना बचाया जा सकता है। यीशु मसीह के बिना, परमेश्वर यह नहीं कहता है, "तुम बच गए हो, लेकिन तुम बचाए नहीं गए।"
दो भविष्यद्वक्ता, जो मुख्य भाग में वर्णित दो जैतून के पेड़ हैं, गोलगोथा नामक स्थान पर मारे जाएंगे। उनके शवों को बिना दफनाए खुले में छोड़ दिया जाएगा, और जो न तो विश्वास करते हैं और न ही यीशु को स्वीकार करते हैं वे उनकी मृत्यु पर आनन्दित होंगे और एक दूसरे को उपहार भेजेंगे। परन्तु वचन ११ और १२ हमें बताते हैं, “परन्तु साढ़े तीन दिन के बाद परमेश्‍वर की ओर से जीवन का श्‍वास उनमें पैठ गया, और वे अपने पाँवों के बल खड़े हो गए, और उन के देखनेवालों पर बड़ा भय छा गया। तब उन्हें स्वर्ग से एक बड़ा शब्द सुनाई दिया, “यहाँ ऊपर आओ!” यह सुन वे बादल पर सवार होकर अपने बैरियों के देखते देखते स्वर्ग पर चढ़ गए।”
यह हमें सीधे तौर पर बताता है कि हम-अर्थात, आप और मैं जो अन्यजाति हैं- समय आने पर विश्वास से शहीद हो जाएंगे, और हमारी शहादत के कुछ ही समय बाद हमारा पुनरुत्थान और रेप्चर होगा। यह विषय प्रकाशितवाक्य की पूरी पुस्तक में अपना प्रकटन जारी रखता है। ऐसे भाग भी हैं जो हमें बताते हैं कि जब सात कटोरे की विपत्तियां इस पृथ्वी पर डाली जाती हैं तब रेप्चर हुए संत हवा में परमेश्वर की स्तुति कर रहे होंगे। 
अध्याय १४ उन १४४,००० बचाए गए लोगों की भी बात करता है, जो एक ऐसे गीत के साथ परमेश्वर की स्तुति करते हैं जो केवल उद्धार के पहले फल ही गा सकते है। यह हमें बताता है कि जब इस्राएल के लोगों को बचाया जाएगा, तो वे हर जगह शहीद हो जाएंगे, और उनकी शहादत के तुरंत बाद उनका पुनरुत्थान और रेप्चर होगा। 
यही बात अन्यजातियों पर भी लागू होती है। अंत के समय में, आप और मैं सात तुरहियों की विपत्तियों की कई कठिनाइयों से गुजरेंगे, लेकिन परमेश्वर फिर भी इन विपत्तियों से हमारी रक्षा करेगा। जब सात साल का महाक्लेश पहले साढ़े तीन साल बीतने के साथ अपने चरम पर पहुंच जाएगा, तो संतों का उत्पीड़न भी अपने चरम पर पहुंच जाएगा। लेकिन यह घोर अत्याचार थोड़े समय के लिए ही रहेगा। परमेश्वर के कई संत और सेवक शीघ्र ही शहीद हो जाएंगे, और उनकी शहादत के तुरंत बाद उनका रेप्चर होगा।
क्यों? क्योंकि प्रकाशितवाक्य बार-बार लिखता है कि जब सात कटोरों की विपत्तियाँ इस पृथ्वी पर उँडेली जाएँगी, तब तक संत पहले से ही स्वर्ग में परमेश्वर की स्तुति कर रहे होंगे। वचन इसे भव्यता के रूप में वर्णित करता है। 
प्रकाशितवाक्य १०:७ कहता है, “वरन् सातवें स्वर्गदूत के तुरही फूँकने पर होने वाले शब्द के दिनों में परमेश्‍वर का गुप्‍त मनोरथ उस सुसमाचार के अनुसार जो उसने अपने दास भविष्यद्वक्‍ताओं को दिया, पूरा होगा।” यह और कुछ नहीं लेकिन रेप्चर को संदर्भित करता है, परमेश्वर का गुप्त मनोरथ। १ थिस्सलुनीकियों ४:१६ में प्रेरित पौलुस भी हमसे कहता है, “कि इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दाँव चलाए, क्योंकि प्रभु इन सब बातों का पलटा लेनेवाला है; जैसा कि हम ने पहले ही तुम से कहा और चिताया भी था।” 
परमेश्वर स्वर्ग से उतरेंगे, हालाँकि इसका मतलब यह नहीं है कि वे तुरंत इस धरती पर उतरेंगे। वह स्वर्ग से हवा में उतरेगा, और जब पहला पुनरुत्थान होगा जो मरे हो को उठाएगा और नया जन्म पाए हुए लोगों को रूपांतरित करेगा, तब उसके बाद रेप्चर होगा जिसमे संत हवा में प्रभु को प्राप्त करेंगे। मेम्ने का विवाह भोज हवा में आयोजित होने के बाद और इस पृथ्वी पर शेष सभी सात कटोरों की विपत्तियों को डालने से यह दुनिया पूरी तरह से नष्ट हो जाने के बाद, प्रभु हमारे साथ नई पृथ्वी पर उतरेंगे और उन लोगों के सामने खुद को प्रगट करेंगे जो अभी भी जीवित होंगे।
प्रकाशितवाक्य के वचन और बाइबल को अपनी व्यक्तिगत राय के आधार पर व्याख्या करना विनाश के मार्ग पर चलना है। कुछ धर्मशास्त्रियों द्वारा प्रस्तावित परिकल्पनाओं पर विश्वास करना और वचन को ठीक से समझे बिना इन दावों की वकालत करना गलत है।
रूढ़िवादी मसीही समुदायों में अत्यधिक सम्मानित और प्रसिद्ध धर्मशास्त्रियों में, एल. बर्खोफ और अब्राहम कुयपर जैसे कुछ विद्वानों ने हजार साल के राज्य का समर्थन किया। पूर्व-क्लेश रेप्चर, क्लेश-पश्चात रेप्चर, और हजार साल के राज्य के सिद्धांतों में से, हजार साल के इस अंतिम सिद्धांत में विश्वास करना ठीक वैसा ही है जैसे स्वयं बाइबल में विश्वास न करना।
वह समय जब लोग क्लेश-पश्चात रेप्चर के सिद्धांत में विश्वास करते थे, अब बीत चुका है, और इन दिनों में लगभग हर कोई क्लेश-पूर्व रेप्चर के सिद्धांत में विश्वास करता है। परन्तु यह सिद्धांत भी, बाइबल की दृष्टि से सही नहीं है। फिर भी जब लोगों को क्लेश-पूर्व रेप्चर के बारे में बताया जाता है तब वे अभी भी इसे बहुत पसंद करते हैं। क्यों? क्योंकि पूर्व-क्लेश रेप्चर के इस सिद्धांत के अनुसार, मसीहीयों को सात साल के महान क्लेश के बारे में चिंता करने की कोई बात नहीं होगी। 
इस प्रकार, विश्वासियों के लिए विश्वास का वह जीवन जीना स्वीकार्य हो जाता है जो न तो गर्म और न ही ठंडा है, और कलीसियाओं के लिए केवल अपनी मंडलियों के आकार को बढ़ाने के बारे में चिंता करना है। ऐसे में लोगों का विश्वास कमजोर हो जाता है। क्योंकि वे सोचते हैं कि उन्हें महान क्लेश से गुजरने के बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, उनका विश्वास तभी सुहाना और भ्रष्ट हो जाता है जब उनका विश्वास वास्तव में अंत समय के निकट होने के साथ मजबूत होना चाहिए। लोग बहुत पहले हजार साल के राज्य में विश्वास करते थे, और फिर कुछ समय के लिए क्लेश-पश्चात रेप्चर के सिद्धांत में, और अब वे क्लेश-पूर्व रेप्चर के सिद्धांत में विश्वास करते हैं।
१८३० के दशक में, मूडी बाइबल इंस्टिट्यूट के एक प्रोफेसर रेव. स्कोफिल्ड ने अपनी संदर्भ बाइबल लिखना शुरू किया। स्कोफिल्ड डर्बी नाम के एक विश्व-प्रसिद्ध धर्मशास्त्री से अत्यधिक प्रभावित थे।
डर्बी, स्कोफिल्ड के आत्मिक गुरु, जो पहले कैथोलिक पादरी हुआ करते थे, एक बेहद बुद्धिमान और व्यापक रूप से जानकार व्यक्ति थे। उन्होंने कैथोलिक कलीसिया की भ्रांतियों को समझने के बाद छोड़ दिया, एक छोटे से मसीही संगठन में शामिल हो गए और इसके अगुवे बन गए। हालांकि डर्बी ने लगातार बाइबल को पढ़ा और उसका अध्ययन किया लेकिन वह प्रकाशितवाक्य से यह पता नहीं लगा सका कि रेप्चर महान क्लेश से पहले होगा या बाद में। इसलिए वह इस मुद्दे पर और स्पष्ट सबूतों की तलाश में यात्रा पर गए। 
इस यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात एक किशोर महिला से हुई जो न्यूमेटोलॉजी की अगुवा थी। इस लड़की ने दावा किया कि उसने अपनी दृष्टि से देखा है कि रेप्चर महान क्लेश से पहले होगा। उसने जो कहा उस पर विश्वास करते हुए यह निश्चित किया कि रेप्चर क्लेश से पहले होगा, डर्बी ने क्लेश-पूर्व रेप्चर के सिद्धांत के साथ अपने बाइबिल अध्ययन का समापन किया।
हालाँकि, क्योंकि इस समय के लोग मुख्य रूप से क्लेश के बाद के रेप्चर के सिद्धांत में विश्वास करते थे इसलिए डर्बी के क्लेश-पूर्व रेप्चर के सिद्धांत को अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया गया।
डर्बी ने दावा किया कि प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में जो लिखा है वह इस्राएल के लोगों के उद्धार के बारे में है, और इसका अन्यजातियों के उद्धार से कोई लेना-देना नहीं है। और "तुझे फिर से भविष्यवाणी करनी चाहिए (१०:११)," उसने इसकी व्याख्या पानी और आत्मा के सुसमाचार के प्रचार के रूप में नहीं, बल्कि उस राज्य के सुसमाचार के रूप में की, जो उसके आने की घोषणा करता है। 
स्कोफिल्ड, जिन्होंने डर्बी की ऐसी परिकल्पनाओं को बरकरार रखा और अपने संदर्भ बाइबिल में क्लेश-पूर्व रेप्चर के इस सिद्धांत को शामिल किया, और सात युगों पर अपनी खुद की परिकल्पना बनाई। स्कोफिल्ड के इस तरह के दावों ने उनके समय की मांगों को पूरा किया और उनकी पृष्ठभूमि के लिए काफी उपयुक्त था, जिससे दुनिया भर में धार्मिक लोगों के बीच एक बड़ी हलचल हुई और व्यापक रूप से इसे स्वीकार किया गया।
लेकिन बाइबल में परमेश्वर क्या कहता है? पवित्रशास्त्र में हम देखते हैं कि यीशु परमेश्वर के सिंहासन के सामने सात मुहरों से मुहरबंद पुस्तक को उठाता और खोलता है, जिसने इतिहास को सात मुहरों के साथ अपने सात युगों में विभाजित किया है। 
पहला युग सफेद घोड़े का युग है। यह उद्धार का युग है, वह युग जिसमें परमेश्वर ने हमें उसी पल से बचाने का फैसला किया जब उन्होंने इस ब्रह्मांड और मनुष्य को बनाया, और वास्तव में हमें उसी के अनुसार बचाया है। जैसा प्रकाशितवाक्य ६:२ हमें बताता है, “मैं ने दृष्‍टि की, और देखो, एक श्‍वेत घोड़ा है, और उसका सवार धनुष लिये हुए है; और उसे एक मुकुट दिया गया, और वह जय करता हुआ निकला कि और भी जय प्राप्‍त करे,” प्रभु की विजय हुई और वह विजय पाता रहेगा। सृष्टि के पहले से ही, सुसमाचार अस्तित्व में था और उद्धार पहले ही शुरू हो चुका था।
दूसरा युग लाल घोड़े का युग है, शैतान का युग। यह दुष्ट का युग है जिसमें वह मनुष्यजाति से शांति छीन लेगा, जिससे वे एक-दूसरे के विरुद्ध युद्ध छेड़ेंगे, एक-दूसरे से घृणा करेंगे, और धार्मिक संघर्षों में शामिल होंगे।
तीसरा युग काले घोड़े का युग है, जो आत्मिक और शारीरिक अकाल का समय है, और चौथा युग पीला घोड़े का युग है, शहादत का युग। पांचवां युग रेप्चर का युग है —परमेश्वर ने संतों के रेप्चर को अपने युगों में से एक के रूप में निर्धारित किया है। छठा युग सात कटोरे का है, जो इस दुनिया के विनाश को दर्शाता है, और अगला युग हजार साल के राज्य और नए स्वर्ग और पृथ्वी का युग है। इस प्रकार परमेश्वर ने इस संसार के समय को इन सात युगों में, सात मुहरों द्वारा मुहरित की गई पुस्तक के भीतर निर्धारित किया है।
स्कोफिल्ड ने सात युगों का समय खुद ही विभाजित किया था। इसके विपरीत, परमेश्वर के हाथों में रखी पुस्तक के मुहरो के द्वारा प्रकाशितवाक्य ६ में भविष्यवाणी किए हुए सात युगों को परमेश्वर ने खुद निर्धारित किया है। फिर भी लोग क्लेश-पूर्व रेप्चर के मानव-निर्मित सिद्धांत की बात करते हैं, और बहुत से लोग जो इसमें विश्वास करते हैं, यह निष्कर्ष निकालते हैं कि उन्हें प्रभु में गंभीरता से विश्वास करने की कोई आवश्यकता नहीं है। 
उन्होंने अपने दिलों में फैसला किया है, "चूंकि हम महान क्लेश से पहले रेप्चर होंगे इसलिए सात साल के महान क्लेश के समय आने से पहले ही परमेश्वर की उपस्थिति में होंगे। इसलिए हमें चिंता करने की कोई बात नहीं है!" यदि परमेश्वर का वचन हमें बताता कि हमें क्लेश से पहले रेप्चर किया जाना है, तो वास्तव में हमारे विश्वास को तैयार करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी, और वर्ष में एक या दो बार कलीसिया जाना पर्याप्त होगा। लेकिन यह वो नहीं है जो परमेश्वर ने हमें बताया है।
"वे एक हजार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्वाणी करेंगे।" "वे पवित्र नगर को बयालीस महीने तक पैरों तले रौंदेंगे।" परमेश्वर का ऐसा वचन हमें बताता है कि क्लेश के समय में अन्यजातियों को भी बचाया जाएगा। परमेश्वर पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करने के लिए अपने दो भविष्यद्वक्ताओं को खड़ा करेगा। ऐसा कोई नहीं है जो परमेश्वर के द्वारा निर्धारित महान क्लेश की सात साल की अवधि के पहले साढ़े तीन साल से गुजरे बिना परमेश्वर के सामने खडा हो सकता है, जब कठिनाइयों का समय आता है। परमेश्वर हमें यह भी बताते हैं कि इस समय कई शहीद क्लेश से बाहर निकलेंगे। 
यीशु पर सही रीती से विश्वास करने के लिए, व्यक्ति को बाइबल को ठीक-ठीक सीखना चाहिए और जो सही है उस पर विश्वास करना चाहिए। यदि लोग बाइबल के प्रत्येक पृष्ठ को ध्यान से पढ़े बिना स्वयं प्रचार करते हैं और विश्वास करते हैं, तो वे ढोंगी के रूप में नाश हो जाएंगे। इस दुनिया में असंख्य संप्रदाय होने का कारण यह भी है कि बहुत से लोग बाइबल पर अपनी खुद की व्याख्या पर विश्वास करते है।
इस्राएल के लोगों को बचाया जाएगा हमें बताता है कि परमेश्वर की योजना उसके वायदे के वचन के अनुसार पूरी होगी। यह हमें यह भी बताता है कि परमेश्वर हमसे बोले गए वायदे के अपने वचन को कभी नहीं तोड़ेगा बल्कि उन सभी को पूरा करेगा। यही कारण है कि हमारे पास इतनी बड़ी आशा है।
इस्राएल के दो भविष्यद्वक्ताओं को उनकी मृत्यु के साढ़े तीन दिनों में पुनरुत्थित किया जाएगा और वे स्वर्ग में चढ़ जाएंगे। यही रेप्चर है। यह एक नमूना प्रदान करता है कि महान क्लेश के शहीदों का रेप्चर कैसे होगा, और हमें हमारे अपने रेप्चर के भाग के रूप में दिखाया गया है। बाइबल हमें बताती है कि सातवीं तुरही फूंकने के बाद, यह पृथ्वी मसीह का राज्य बन जाएगी और वह इस पर हमेशा के लिए राज्य करेगा। वैसे ही, जिन्होंने यीशु मसीह पर विश्वास किया है वे भी उसके साथ राज्य करेंगे।
संतों का रेप्चर करके परमेश्वर इस पृथ्वी को पूरी तरह से नष्ट कर देंगे। हम नहीं जानते कि विनाश १०० प्रतिशत के लिए होगा, क्योंकि यह विवरण बाइबल में दर्ज नहीं है, परन्तु परमेश्वर हमें प्रकाशितवाक्य ११:१८ में बताता है, “जातियों ने क्रोध किया, पर तेरा प्रकोप आ पड़ा, और वह समय आ पहुँचा है कि मरे हुओं का न्याय किया जाए, और तेरे दास भविष्यद्वक्‍ताओं और पवित्र लोगों को और उन छोटे बड़ों को जो तेरे नाम से डरते हैं बदला दिया जाए, और पृथ्वी के बिगाड़नेवाले नष्‍ट किए जाएँ।”
रेप्चर सबसे निश्चित रूप से तब होगा जब महान क्लेश साढ़े तीन साल के अपने अंतिम समय से गुजरेगा - पहले साढ़े तीन वर्षों की पूर्ती के बाद नहीं लेकिन उसके थोड़े पहले। सात साल की अवधि का मध्य बिंदु तब होता है जब क्लेश अपने अंतिम समय पर पहुंच जाता है। यह तब होगा जब इस्राएल के लोगों के संत शहीद होंगे, और उसके बाद शीघ्र ही रेप्चर आएगा। जब रेप्चर होगा, हम सब हवा में मेमने के विवाह भोज में शामिल होंगे। 
जबकि हम हवा में मेम्ने के विवाह भोज में भाग ले रहे होंगे, जैसा कि मत्ती २५ हमें बताता है कि हम भाग लेंगे तब सात कटोरों की विपत्तियाँ इस पृथ्वी पर उतरेंगी। हवा में परमेश्वर की स्तुति करते और इस धरती पर जो कुछ भी हो रहा है उसे देखकर, हम परमेश्वर को उनकी कृपा के लिए और भी अधिक धन्यवाद देंगे। 
मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि प्रकाशितवाक्य के वचन के माध्यम से, आप उन समयों को समझने में सक्षम होंगे की अंतिम दिन कब आते हैं, वचन में ठीक से विश्वास करेंगे, विश्वास के द्वारा अपना जीवन परिश्रम से जिएंगे, और भविष्य की तैयारी करेंगे। जब आप परमेश्वर के साथ मेम्ने के विवाह भोज में भाग ले रहे हों तो प्रभु की स्तुति, सम्मान और आराधना करने के लिए, आपको अपना विश्वास तैयार करना चाहिए। 
मुझे आशा है कि प्रकाशितवाक्य का वचन आने वाले दिनों में आपके लिए एक महान मार्गदर्शक साबित होगा, आपके दिल को एक बार फिर याद दिलाएगा कि आपको पानी और आत्मा के सुसमाचार में अपने विश्वास के द्वारा परिश्रम और सच्चाई से जीना चाहिए।