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विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 9-2] अंत के समय में साहसपूर्ण विश्वास रखे ( प्रकाशितवाक्य ९:१-२१ )

अंत के समय में साहसपूर्ण विश्वास रखे
( प्रकाशितवाक्य ९:१-२१ )
 
सात तुरहियों की विपत्तियों में से, हम ने अभी ऊपर के भाग में पाँचवीं और छठी तुरहियों की विपत्तियों को देखा। पाँचवीं तुरही की आवाज टिड्डियों की विपत्ति है, और छठी तुरही फुरात नदी पर युद्ध की विपत्ति की घोषणा करती है।
सबसे पहले हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या संत सात तुरहियों की इन विपत्तियों से गुजरेंगे या नहीं। यह सबसे पहली बात है जिसे हमें सुनना, जानना और विश्वास करना चाहिए।
क्या संत सात तुरहियों की विपत्तियों के बीच में स्वयं को पाएंगे? संत भी निश्चय ही खुद को इन विपत्तियों के बीच में पाएंगे। दुनिया के एक तिहाई जंगल जला दिए जाएंगे, एक तिहाई समुद्र और नदियां खून में बदल जाएंगी, और सूरज, चाँद और तारे काले पड जाएँगे और अपनी एक तिहाई रोशनी खो देंगे। यद्यपि पूरी दुनिया की प्रकृति का एक तिहाई या तो खून में बदल जाएगा या प्रकाश खो देगा, इसका मतलब यह भी है कि शेष दो-तिहाई फिर भी बने रहेंगे। 
वचन हमें बताता है कि हम, जो उद्धार पाए हुए संत हैं, अपने आप को पहले छह विपत्तियों के बीच में पाएंगे जो दुनिया के एक तिहाई हिस्से को नष्ट कर देंगी। हालाँकि, हम इन विपत्तियों से नहीं डरते हैं, क्योंकि परमेश्वर ने अपनी पाँचवी विपत्ति में टिड्डियों को "केवल उन लोगों को नुकसान पहुँचाने की आज्ञा दी है जिनके माथे पर परमेश्वर की मुहर नहीं है", परमेश्वर सात तुरहियों की विपत्तियों के बिच में उनके द्वारा मुहरित किए गए संतों की रक्षा करेगा।
लेकिन इसका मतलब यह है कि संत इन सभी विपत्तियों से गुजरेंगे। आप और मैं, जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके छुड़ाए गए हैं, अपने आप को पहली विपत्ति के बीच में पाएंगे, जो परमेश्वर द्वारा बरसाई गई आग से दुनिया के एक तिहाई हिस्से को जला देगी, साथ ही दूसरी विपत्ति में भी जिसमे एक धधकते पहाड़ के गिरने के साथ समुद्र के एक तिहाई को लहू में बदल देगी, और तीसरी भी, जो एक तिहाई नदियों और झरनों को आसमान से एक बड़े तारे के गिरने के साथ नागदौन में बदल देगी। 
हम चौथी विपत्ति में भी जीवित रहेंगे जो सूर्य, चन्द्रमा और तारों के एक तिहाई भाग को अन्धकार में बदल देगी; हम पांचवीं विपत्ति से भी गुजरेंगे, जब टिड्डियां बिच्छू के समान सामर्थ से लोगों को हानि पहुंचाएंगी; और, जब छठी विपत्ति फुरात नदी पर एक विश्व युद्ध लाती है, तब भी हम अपने आप को साड़ी विपत्तियों में जीवित पाएंगे। इसके बारे में कोई कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि यह परमेश्वर की भविष्यवाणी है जो परिपूर्ण होने की प्रतीक्षा कर रही है। हम इन छह भयानक विपत्तियों के मध्य से गुजरेंगे यह परमेश्वर के वचन का लिखित तथ्य है।
हमारे प्रभु ने आपको आपके सारे पापों से छुड़ाया है। उसने अपने बपतिस्मा, क्रूस पर अपने लहू और मृत्यु से अपने पुनरुत्थान के द्वारा हमारे सभी पापों को दूर कर दिया है। यीशु मसीह ने हमारे लिए जो किया है उस पर विश्वास करने के द्वारा हमने अपना प्रायश्चित प्राप्त किया। उन लोगों के लिए जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके अपने सभी पापों की क्षमा प्राप्त की है, भले ही वे छह भयानक विपत्तियों के माध्यम से गुजरेंगे, परमेश्वर की विशेष सुरक्षा उनके साथ होगी। दूसरे शब्दों में, वचन हमें बताता है कि परमेश्वर का विशेष अनुग्रह हमें जीने की अनुमति देगा। हमें यह समझना चाहिए कि हमारा परमेश्वर हमारा सारा धन्यवाद प्राप्त करने के लिए कितना योग्य है कि उसने हम को जिन्होंने उद्धार प्राप्त किया है उन्हें सारे विपत्तियों के बिच में सुरक्षा का विशेषाधिकार दिया है।
जब पांचवें स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, तो यूहन्‍ना ने “आकाश से पृथ्वी पर गिरा हुआ एक तारा”देखा, जिसे “अथाह कुण्ड की कुँजी दी गई।”यहाँ तारा एक स्वर्गदूत को संदर्भित करता है; परमेश्वर के तारों का आत्मिक अर्थ यह है कि वे सभी उनके सेवक और संत हैं। जब इस स्वर्गदूत ने जो पृथ्वी पर गिरा, अथाह कुण्ड की कुँजी पाकर उस कुँजी से उसे खोली, तो कुण्ड से बड़ा भट्ठा जैसा धुआँ निकला। 
"अथाह गड्ढा" एक ऐसी जगह को संदर्भित करता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है, जिसका कोई अंत नहीं है। पाताल के रूप में भी जाने जाना वाला यह अंतहीन गहराई का गड्ढा है। जब पांचवें स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, तो उसने इस अथाह गड्ढे की कुंजी पाकर इस कुँजी से गड्ढा खोल दिया। गड्ढे से बड़ा धुआँ निकला, मानो किसी बड़ी आग का सा। पाताल के इस धुएँ ने सूर्य और आकाश को ढँक दिया, जिससे पूरी दुनिया में अंधेरा छा गया।
अथाह गड्ढे को खोलने पर केवल धुआं ही नहीं निकला था; गड्ढे से निकलने वाले धुएं के साथ टिड्डियां भी थीं। ये “टिड्डियाँ”जो पृथ्वी पर चढ़ आई, उन्हें पृथ्वी के बिच्छुओं की सी शक्ति दी गई, जो लोगों को उनकी पूंछ से डंक मारते थे। बाइबल उनका वर्णन करती है कि उनके चेहरे ऐसे हैं जो पुरुषों के चेहरे की तरह दिखते हैं, उनका आकार युद्ध के लिए तैयार घोड़ों की तरह है, उनके दांत सिंह के दांतों की तरह हैं, और उनके बाल महिलाओं के बाल जैसे हैं। 
एकवचन टिड्डे के बजाय बहुवचन शब्द "टिड्डियों" का उपयोग करके, बाइबल हमें यह भी बताती है कि हम केवल एक या कुछ टिड्डियों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि टिड्डियों के एक विशाल झुंड के बारे में बात कर रहे हैं, जो समय-समय पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों को पीड़ित करते हैं, और उनके विनाश के रास्ते में आनेवाले सारे पौधों को खा जाते है और केवल उनकी जड़ो को छोड़ देते है। ऐसी टिड्डियाँ अथाह गड्ढे से उठेंगी और लोगों को पाँच महीने तक सताती रहेंगी।
जो सात तुरहियों की विपत्तियों में से पांचवीं की विपत्ति में मर जाएंगे, वे केवल वो लोग हैं जिनका नया जन्म नहीं हुआ है। टिड्डियों की यह विपत्ति नया जन्म प्राप्त किए हुए लोगों को कोई हानि नहीं पहुचाएगी। हमारा प्रभु हम पर टिड्डियों की विपत्ति नहीं लाएगा, क्योंकि वह जानता है कि यदि नया जन्म पाए हुए लोगों को टिड्डियों द्वारा काटा जाएगा तो वे उद्धार के सुसमाचार को उगल देंगे, और सोचेंगे की, "मेरा उद्धार क्यों हुआ?" हम इसे वचन ४ से सुनिश्चित कर सकते हैं: “उनसे कहा गया कि न पृथ्वी की घास को, न किसी हरियाली को, न किसी पेड़ को हानि पहुँचाएँ, केवल उन मनुष्यों को हानि पहुँचाएँ जिनके माथे पर परमेश्‍वर की मुहर नहीं है।”
हम जानते हैं कि इस्राएल के १४४,००० लोगों को परमेश्वर की मुहर से मुहरित कर दिया जाएगा, लेकिन बाइबल अन्यजातियों का कोई उल्लेख नहीं करती है। तो क्या इसका यह अर्थ है कि हम पापियों की तरह टिड्डियों द्वारा सताए जाएंगे? बिल्कुल भी नहीं! जैसे १४४,००० इस्राएलियों पर मुहर लगाई गई है, वैसे हम पर भी लगाई गई है—अर्थात, उनके हृदयों पर जिन्होंने अपने पापों की क्षमा प्राप्त कर ली है वे पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर के सामने मुहरित कर दिए गए हैं। क्या आपके हृदय में पवित्र आत्मा नहीं है? क्योंकि जिनके हृदय में पवित्र आत्मा का वास हैं, उन पर परमेश्वर की सन्तान होने के कारण मुहर लगा दी गई है, इसलिए हम, १४४,००० इस्राएल के साथ, टिड्डियों की विपत्ति से परमेश्वर के लोगों की नाईं बच निकलेंगे। 
क्योंकि टिड्डियों का प्रकोप केवल उन्हीं को नुकसान पहुँचाएगा जिनका नया जन्म नहीं हुआ है, लोग शायद हमसे और भी अधिक घृणा करेंगे और हमें सताएँगे। विपत्ति के पांच महीने की अवधि के दौरान, केवल वे जो नया जन्म पाए हुए नहीं है, वे टिड्डियों द्वारा काटे जाएंगे, जो बहुत पीड़ा को सहेंगे लेकिन फिर भी मर नहीं पाएंगे। इन टिड्डियों के चेहरे पुरुषों के चेहरे से है, उनके बाल महिलाओं के बालों जैसे, उनके दांत सिंहो के दांतों के समान क्रूर हैं, और उनका आकार युद्ध के लिए तैयार घोड़ों की तरह है, और बिच्छू की सी पूंछ है। ये टिड्डियां अपने रास्ते में आने वाले सभी लोगों को अपने सिर से डराएंगी, उन्हें हर जगह अपने दांतों से काटेगी, और अपनी जहरीली पूंछ से डंक मारेंगी, जिससे उनके पीड़ितों को असहनीय पीड़ा होगी। 
केवल एक डंक अविश्वसनीय दर्द देने के लिए पर्याप्त होगा, शायद उच्च वोल्टेज बिजली से चौंकने जैसा, जो पांच महीने तक चलेगा। इस तरह के दुखों के साथ जीने के बजाय लोग मर नहीं पाएंगे, चाहे वे टिड्डियों से कितना भी पीड़ित हों या वे खुद कितना भी मरना चाहते हों। क्योंकि टिड्डियों की इस विपत्ति में जो मरे नहीं है उन लोगों की विपत्ति भी शामिल है, इसलिए पृथ्वी पर पाँच महीने तक कोई मृत्यु नहीं होगी। यह विपत्ति दुनिया को पांच महीने तक तदापाएगी।
हमने ऐसी विपत्तियों को अपनी आंखों से नहीं देखा है, लेकिन फिर भी वे सभी परमेश्वर द्वारा नियोजित हैं। परमेश्वर हमें बताता है कि वह इन विपत्तियों को इस पृथ्वी पर, इस संसार के लोगों के लिए लाएगा—अर्थात उन लोगों के लिए जो न तो परमेश्वर में, न उसके प्रेम और उद्धार में, और न ही उसके छुटकारे के सुसमाचार में विश्वास करते हैं। इन सब की योजना परमेश्वर ने बनाई है। क्योंकि परमेश्वर ने इन सभी चीजों को करने की योजना बनाई है, हमें विश्वास करना चाहिए कि परमेश्वर वास्तव में उन सभी को पूरा करेगा। 
हम जो कुछ कर सकते हैं वह केवल परमेश्वर में विश्वास करना है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति कभी भी इस बारे में बहस नहीं कर सकता है कि परमेश्वर क्या योजना बना रहा है और क्या करता है। यहाँ तक कि इस स्थिति में भी जहाँ लोग टिड्डियों से पीड़ित हैं, परमेश्वर टिड्डियों को काटने या डंक मारने की अनुमति नहीं देगा और इस महामारी से हमारी रक्षा करेगा, क्योंकि उसने उन्हें आज्ञा दी है कि वे उन लोगों को नुकसान न पहुँचाएँ जिनके माथे पर परमेश्वर की मुहर है। 
 
 

परमेश्वर सात तुरहियों की विपत्तियाँ क्यों लाता है?


सात तुरहियों की विपत्तियाँ लाने में परमेश्वर का उद्देश्य, नया जन्म प्राप्त करनेवालों से महिमा प्राप्त करना है; उनके लिए जिनका नया जन्म नहीं हुआ है, उन्हें नया जन्म प्राप्त करने का एक और मौका देने के लिए; और इस संसार में हर एक के लिए जिसे परमेश्वर ने बनाया है, उन्हें यह दिखाने के लिए कि प्रभु ही परमेश्वर, इस संसार का सृष्टिकर्ता, उद्धारकर्ता और सभी का न्यायधीश है। 
सबसे पहले, विपत्तियों के माध्यम से पापियों के लिए कष्ट लाकर और धर्मी को उनसे बचने की अनुमति देकर, परमेश्वर धर्मियों को प्रभु की महानता, उनकी कृपा, आशीर्वाद और महिमा की प्रशंसा करने के लिए कहता है।
दूसरा, परमेश्वर अपनी अंतिम फसल के लिए विपत्तियों की अनुमति देता है। वह सात तुरहियों की विपत्तियों को अंतिम बार उन लोगों को बचाने के लिए लाता है, जो पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानते हैं, लेकिन उस पर विश्वास नहीं करते हैं। यह क्लेश के माध्यम से उन सभी लोगों को जिन्हें परमेश्वर ने बनाया है, दोनों अन्यजातियों और इस्राएलियों को, प्रभु के पास लौटने और बचाए जाने का अंतिम मौका देना है।
तीसरा, जैसा कि इस संसार में कुछ भी प्रभु यीशु मसीह के बिना अस्तित्व में नहीं आया - जो एक मनुष्य के शरीर में इस पृथ्वी पर आया, अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को अपने ऊपर ले लिया, और क्रूस पर मृत्यु के द्वारा सभी पापों को मिटा दिया—इन भयानक विपत्तियों के माध्यम से, परमेश्वर उन लोगों को अपनी महान सामर्थ दिखाएगा जिन्होंने उसके प्रेम और उसके पिता के प्रेम को स्वीकार नहीं किया है, और उद्धार के सुसमाचार में विश्वास नहीं किया है। उन लोगों के लिए जिनका नया जन्म नहीं हुआ है, वह इस दुनिया में उनके दुख और बाद के जीवन में अनंत दुःख दोनों लाएगा।
परमेश्वर विपत्तियों को इस दुनिया में ऐसे उद्देश्यों और योजनाओं के साथ लाता है। हमें यह जानना और विश्वास करना चाहिए कि ये विपत्तियां वास्तव में आएंगी। यद्यपि हम विशेष रूप से टिड्डियों के विपत्ति से मुक्त होंगे, हमें यह समझना चाहिए कि हम फिर भी इन सभी विपत्तियों के मध्य में जीवित रहेंगे। आग की विपत्ति जो पूरी दुनिया की प्रकृति और जंगलों के एक तिहाई हिस्से को जला देती है, पानी की विपत्ति जो समुद्र के एक तिहाई हिस्से को खून में बदल देती है और एक तिहाई नदियों और झरनों को नागदौन में बदल देती है, अंधेरे की विपत्ति जो सूर्य, चन्द्रमा और तारों को अन्धकार कर देती है, और युद्ध की विपत्ति जो संसार को नाश करती है, हम सब इन सब विपत्तियों के बीच में होंगे। लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि भले ही हम ऐसी विपत्तियों के मध्य में जीते हैं, फिर भी हम और भी अधिक आनंद से भर जाएंगे।
सात तुरहियों की विपत्तियों के साथ, हम सांसारिक जीवन में सभी रुचियों को खो देंगे। आइए एक पल के लिए मान लें कि ज्वालामुखी हर जगह फट रहे हैं, भूकंप से जमीन फट रही है, पहाड़ों से धुए निकल रहे है, और समुद्र, नदियों और झरनों का एक तिहाई हिस्सा खून और नागदौन में बदल गया है। धूल, धुआँ और राख सारे संसार को ढक लेते हैं; सूरज सुबह लगभग १० बजे उगता है और दोपहर ४ बजे तक अस्त हो जाता है; और चाँद और सितारों ने अपना प्रकाश खो दिया है कि हम उन्हें अब और नहीं देख सकते हैं। क्या आप ऐसी दुनिया में अपने सांसारिक जीवन के बारे में उत्साहित महसूस करेंगे? बिलकूल नही!
यही कारण है कि संत इस समय केवल परमेश्वर की ओर देखेंगे और अपनी आशा केवल उनके राज्य में रखेंगे। हमारी सारी आशा, उसका शत-प्रतिशत, केवल परमेश्वर में ही पाया जाता है। भले ही हमें एक हजार साल जीने के लिए दुनिया की सारी दौलत दे दी जाए फिर भी न तो हमें इस धरती पर रहने में अब कोई दिलचस्पी होगी, और न ही हम कभी ऐसा कर पाएंगे। क्योंकि ये सभी विपत्तियाँ परमेश्वर द्वारा नियोजित और अनुमत हैं, कोई भी उन्हें रोक नहीं सकता। जैसे परमेश्वर ने इन विपत्तियों की योजना बनाई है, वैसे ही वह उन्हें अनुमति देगा।
परमेश्वर द्वारा नियोजित विपत्तियों को बाइबल में क्यों दर्ज किया गया है? परमेश्वर ने यूहन्ना को स्वर्ग पर क्यों उठाया, उसे उन सभी विपत्तियों को क्यों सुनने और देखने दिया जो सात तुरहियों के फूंकने के साथ घटित होंगी, और जो कुछ उसने सुना और देखा उसे क्यों लिखने दिया? यह दिखाने के लिए कि इस दुनिया का क्या होगा, संतों को अपनी आशा केवल परमेश्वर के राज्य में रखने के लिए, उन्हें इस पृथ्वी पर सुसमाचार का प्रचार करने के लिए, और सभी को यीशु मसीह में विश्वास करने के लिए बताने के लिए। 
परमेश्वर ने इन सभी चीजों की योजना बनाई और अनुमति दी ताकि इन विपत्तियों के माध्यम से, लोग फिर से सोचें और नरक में आग और गंधक की जलती हुई झील में पीड़ित न हों। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने उन्हें विपत्तियों से बचने के लिए एक शरण दी है। क्योंकि परमेश्वर नहीं चाहता कि हम में से कोई भी नरक में जाए, वह चाहता है कि पापियों के हृदय विपत्तियों के माध्यम से उसके पास लौट आए। मेरा मानना है कि वचन इसलिए लिखा गया और हमें दिखाया गया ताकि सभी को स्वर्ग में ले जाया जा सके।
दूसरे शब्दों में, परमेश्वर हम पर जो विपत्तियाँ लाता है, वे केवल हमें पीड़ित करने के लिए नहीं हैं। परमेश्वर इन विपत्तियों को संसार पर और हमारे पास लाता है ताकि हम अपनी आशा इस पृथ्वी पर नहीं बल्कि उसके राज्य में रखें। हमें यह भी समझना चाहिए कि वह इन सभी चीजों को अनुमति इसलिए देता है ताकि हम अनगिनत खोई हुई आत्माओं को उद्धार के उनके प्रेम का प्रचार करें, जो नरक की अनन्त लपटों से बंधी हुई हैं, ताकि वे भी उद्धार के वचन में विश्वास कर सकें, उद्धार प्राप्त कर सके, और इस क्लेश से बाख सके।
कुछ प्रकार की कैटफ़िश अपने डंक से बहुत ही ज्यादा पीड़ा देने के लिए प्रसिध्ध है। यदि आप इन मछलियों को संभालने में सावधानी नहीं बरतते हैं, तो आपका हाथ उनके जहरीले परो से कट सकते है, और फिर बहुत ही ज्यादा दर्द हो सकता है, जैसे कि आपको बिजली का करंट लगा हो। यह दर्द टिड्डियों द्वारा काटे जाने के दर्द की तुलना में कुछ भी नहीं है। 
अब कल्पना कीजिए कि पांच महीने तक ऐसा दर्द सहना है। यह शायद सबसे बुरा दर्द होगा, क्योंकि भले ही लोग अपनी पीड़ा में जीने के बजाय मरना पसंद करेंगे, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। वे स्वयं को मार भी नहीं पाएंगे, जैसा कि वचन हमें बताता है, “उन दिनों में मनुष्य मृत्यु को ढूँढ़ेंगे और न पाएँगे; और मरने की लालसा करेंगे, और मृत्यु उन से भागेगी।” परन्तु क्योंकि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर की सन्तान बन गए हैं, और क्योंकि इस प्रकार हमारे पास पवित्र आत्मा है, परमेश्वर इस विपत्ति से हमारी रक्षा करेगा ताकि हम टिड्डियों द्वारा लाए गए दर्द को न सहें। हम ऐसी विपत्ति के बीच भी सुरक्षित हैं क्योंकि हमने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके पापों की क्षमा प्राप्त की है।
हमें प्रकाशितवाक्य की पुस्तक को केवल भय की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, बल्कि प्रकाशितवाक्य के वचन के माध्यम से हमें यह समझना चाहिए कि कैसे परमेश्वर हमें विपत्तियों से अपनी विशेष सुरक्षा प्रदान करेगा, हमारे द्वारा उसकी महिमा कैसे की जाएगी, और कैसे हमें भी परमेश्वर से महिमा प्राप्त करेंगे। इन बातों को जानने के द्वारा, हम निडर हो सकते हैं, और अधिक सुसमाचार का प्रचार कर सकते हैं, और क्लेश का समय आने पर परमेश्वर को और भी अधिक महिमा दे सकते हैं। इस प्रकास, हमें इस युग को अपने दिलों में बिना किसी डर के जीना चाहिए, और न ही अपने सांसारिक जीवन के लिए कोई लालच करनी चाहिए। परमेश्वर हमें ये सब बातें पहले ही सिखा देते हैं, ताकि हम में हिम्मत हो। इसलिए हमें निडर विश्वास रखना चाहिए।
परमेश्वर सात विपत्तियों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत करता है, पहली चार विपत्तियाँ और अंतिम तीन विपत्तियाँ, और वह स्पष्ट करता है कि बाद की तिन विपत्तियाँ कहीं अधिक भयानक और भयावह होंगी। इसलिए, जब पाँचवी विपत्ति समाप्त होती है तब वे विशेष रूप से घोषणा करता हैं, “पहली विपत्ति बीत चुकी, देखो, अब इसके बाद दो विपत्तियाँ और आने वाली हैं।”
दूसरा शाप, छठी तुरही की विपत्ति है: “मानो कोई छठवें स्वर्गदूत से, जिसके पास तुरही थी, कह रहा है, “उन चार स्वर्गदूतों को जो बड़ी नदी फुरात के पास बन्धे हुए हैं, खोल दे।”  वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे।” पद 16 में, यह कहता है, “उनकी फौज के सवारों की गिनती बीस करोड़ थी; मैं ने उन की गिनती सुनी।” यह दिखाता है कि एक विशाल युद्ध छिड़ जाएगा, और इस युद्ध से सभी मनुष्य जाति का एक तिहाई मार डाला जाएगा। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर इस पृथ्वी पर युद्ध की एक भयानक विपत्ति लाएगा। 
वचन 17-18 कहता है, "मुझे इस दर्शन में घोड़े और उन के ऐसे सवार दिखाई दिए जिनकी झिलमें आग, और धूम्रकान्त, और गन्धक की सी थीं, और उन घोड़ों के सिर सिंहों के सिरों के समान थे; और उनके मुँह से आग, धुआँ और गन्धक निकलते थे। इन तीनों महामारियों अर्थात् आग और धुएँ और गन्धक से, जो उनके मुँह से निकलते थे मनुष्यों की एक तिहाई मार डाली गई।” परमेश्वर अनुमति देगा कि अनगिनत लोगों को वास्तव में घुड़सवारों की विशाल सेना द्वारा मौत के घाट उतार दिया जाएगा। यह वह विपत्ति है जो छठे स्वर्गदूत की तुरही की ध्वनि के साथ आएगी।
जब सांतवी तुरही बजती है तब क्या होता है? पुनरुत्थान और रेप्चर होगा। छठी तुरही तक, सभी विपत्तियों को या तो प्राकृतिक आपदाओं के रूप में या एक युद्ध के रूप में लाया जाएगा जो सीधे लोगों की मृत्यु लाएगा। क्योंकि ये सब सात तुरहियों की विपत्तियों में शामिल हैं और बाइबल में दर्ज हैं इसलिए मैं इस वचन में विश्वास करता हूं। लेकिन आपके बारे में क्या? क्या आप भी इस सच्चाई पर विश्वास करते हैं?
क्या आपने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा अपने पापों की क्षमा प्राप्त की है? हालांकि इन विपत्तियों में शामिल होने के बावजूद भी अनन्त विपत्ति की पीड़ा से बचने के लिए और कभी भी नरक में प्रवेश न करने के लिए, आपको पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करना चाहिए, जिसे परमेश्वर ने आपको अपने सभी पापों को दूर करने, महान क्लेश से आपको छुडाने के लिए, और आपको परमेश्वर का राज्य, नया स्वर्ग और पृथ्वी देने के लिए दिया है। आपके पास ऐसा विश्वास होना चाहिए जो इस सुसमाचार में विश्वास करता है। आपको इस सुसमाचार को जानना चाहिए और विश्वास करना चाहिए। पानी और आत्मा के इस सुसमाचार में आपके विश्वास के अलावा स्वर्ग का कोई ओर रास्ता नहीं है।
यीशु ने पतरस से कहा, "और मैं तुम्हें स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा।" स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ हमें तब दी जाती हैं जब हम यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में मानते हैं—कि वह इस पृथ्वी पर आया, उसने यरदन नदी में यूहन्ना से लिए हुए अपने बपतिस्मा के द्वारा मनुष्य जाति और दुनिया के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया, वह इन सभी पापों को क्रूस तक ले गया और मर गया, और वह फिर से मृतकों में से जी उठा। हम स्वर्ग में केवल तभी प्रवेश कर सकते हैं और इन विपत्तियों से केवल तभी सुरक्षित रह सकते हैं जब हमारे पास यह विश्वास हो - विश्वास जो यह मानता है कि हमारे सभी पापों को मिटा दिया गया है।
सातवीं तुरही के बजने के साथ रेप्चर होगा, साथ में प्रकाशितवाक्य १३ में दर्ज शहादत भी होगी। जब मसीह विरोधी उभरेगा, तो हम अपनी धर्मी मृत्यु का सामना करेंगे और सुसमाचार के लिए शहीद हो जाएंगे।
आपको यह समझना चाहिए कि यह सुसमाचार कितना कीमती और महत्वपूर्ण है जिसे आप जानते हैं और जिस पर आप विश्वास करते हैं। पानी और आत्मा के इस सुसमाचार में विश्वास करें। तब आप साहस के साथ अंत के समय पर जय पाने में सक्षम होंगे और हजार साल के राज्य और प्रभु द्वारा वादा किए गए नए स्वर्ग और पृथ्वी में निवास करेंगे। यीशु मसीह के चारों ओर खड़े २४ प्राचीनों में से एक के रूप में प्रभु की आराधना करने के लिए, जो कि परमेश्वर है, पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके क्लेश को साहसपूर्वक दूर करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। 
मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि आप, अपने दिलों से इस सुसमाचार में विश्वास करके नया जन्म प्राप्त करने वाले संतों के रूप में, अंत के समय पर जय प्राप्त करेंगे और परमेश्वर के हजार साल के राज्य और उनके अनन्त स्वर्ग के वारिस होंगे।