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Często Zadawane Pytania na temat Wiary Chrześcijańskiej

Temat 3: Apokalipsa św. Jana

3-8. परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़े चार जीवित प्राणी कौन और क्या है?

प्रकाशितवाक्य ४:६-९ निम्नलिखित रूप में चार जीवित प्राणियों का वर्णन करता है: “और उस सिंहासन के सामने मानो बिल्‍लौर के समान काँच का सा समुद्र है। सिंहासन के बीच में और सिंहासन के चारों ओर चार प्राणी हैं, जिनके आगे पीछे आँखें ही आँखें हैं। पहला प्राणी सिंह के समान है, और दूसरा प्राणी बछड़े के समान है, तीसरे प्राणी का मुँह मनुष्य का सा है, और चौथा प्राणी उड़ते हुए उकाब के समान है। चारों प्राणियों के छ: छ: पंख हैं, और चारों ओर और भीतर आँखें ही आँखें हैं; और वे रात दिन बिना विश्राम लिये यह कहते रहते हैं, “पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्‍वर, सर्वशक्‍तिमान, जो था और जो है और जो आनेवाला है।” जब वे प्राणी उसकी जो सिंहासन पर बैठा है, और जो युगानुयुग जीवता है, महिमा और आदर और धन्यवाद करेंगे।” 
परमेश्वर के सिंहासन के चारों ओर चार जीवित प्राणी, २४ प्राचीनों के साथ, परमेश्वर के विश्वासयोग्य सेवक हैं जो हमेशा उसकी इच्छा की सेवा करते हैं और उसकी पवित्रता और महिमा की प्रशंसा करते हैं। जब परमेश्वर कार्य करता है, तो वह स्वयं कार्य नहीं करता है, परन्तु वह हमेशा अपने सेवकों के माध्यम से कार्य करता है। चार जीवित प्राणियों, सेवक जो परमेश्वर के सबसे करीब हैं, उन्होंने हमेशा परमेश्वर की सभी इच्छाओं को पूरा करने की क्षमता प्राप्त की है। 
चार जीवित प्राणियों में से प्रत्येक का एक अलग रूप है, जो दर्शाता है कि चार जीवित प्राणी अलग-अलग क्षमताओं में परमेश्वर की सेवा करते हैं। उनके आगे पीछे आँखे ही आँखे है, जिसका अर्थ है कि ये जीवित प्राणी लगातार परमेश्वर के उद्देश्यों पर ध्यान देते हैं। इस प्रकार, चार जीवित प्राणी परमेश्वर के विश्वासयोग्य सेवक हैं जो हमेशा परमेश्वर की सेवा करते हैं और उसकी इच्छा पूरी करते हैं।
इसके अलावा, चार जीवित प्राणी बिना विश्राम किए परमेश्वर की महिमा और पवित्रता की स्तुति करते है, ठीक वैसे ही जैसे परमेश्वर कभी भी विश्राम नहीं करता। वे पिता परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु, जो परमेश्वर और मेम्ना है, और उसकी सर्वशक्तिमान सामर्थ की पवित्रता की स्तुति करते हैं। इस प्रकार, परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़े चार जीवित प्राणी अपने सच्चे हृदय से उसकी स्तुति करते हैं किसी दायित्व के कारण नहीं। क्यों? क्योंकि यीशु मसीह ने जो किया है, उसके लिए—अर्थात् स्वयं को मनुष्य के रूप में नम्र करना और कुँवारी मरियम की देह के द्वारा इस संसार में जन्म लेना; यूहन्ना से बपतिस्मा प्राप्त करके मनुष्यजाति के सभी पापों को अपने ऊपर लेना; इन पापों को क्रूस पर ले जाकर उस पर मरना; और इस प्रकार सारी मनुष्यजाति को पाप से बचाया है—वह अब परमेश्वर के सिंहासन पर विराजमान है, और उसके इन सुंदर कार्यों के लिए, वह सभी प्राणियों से हमेशा और हमेशा के लिए महिमा प्राप्त करने के योग्य है।
इस प्रकार चारों जीवित प्राणी, २४ प्राचीनो के साथ अपने ह्रदय की गहराई से परमेश्वर की स्तुति करके उसे ऊँचा उठाते है।