( प्रकाशितवाक्य २:८-११ )
यह भाग एशिया माइनर में स्मुरना की कलीसिया को प्रभु का पत्र है, एक कलीसिया जो भौतिक रूप से गरीब थी, लेकिन फिर भी आत्मिक रूप से विश्वास में समृद्ध थी। इसके संतों और परमेश्वर के सेवक ने यहूदियों द्वारा सताए जाने के बावजूद अपने विश्वास का बचाव किया, और यहां तक कि मृत्यु के अपने क्लेशों में भी, उन्होंने प्रभु और उसके पानी और आत्मा के सुसमाचार का इन्कार नहीं किया। वे परमेश्वर के वचन में विश्वास करके लड़े और जीते।
प्रभु ने स्मुरना की कलीसिया के संतों से कहा कि वे आने वाले कष्टों से न डरें, लेकिन मृत्यु तक वफादार रहें, और वह उन्हें जीवन का मुकुट देगा ऐसा वादा किया।
परमेश्वर ने अपने लोगों को उन लोगों के झूठे सिद्धांतों से लड़ने और दूर करने के लिए कहा जो खुद को भविष्यद्वक्ता कहते हैं। हमें पता होना चाहिए कि हमारे सभी पापों से बचने के लिए किस तरह के विश्वास की जरूरत है। हमें यह समझना चाहिए कि पानी और आत्मा का सुसमाचार ही सच्चा सुसमाचार है, और इस विश्वास के साथ हमें झूठे सिद्धांतों और झूठों के खिलाफ लड़ना चाहिए और उन पर विजय प्राप्त करनी चाहिए जो आज की मसीही दुनिया में व्याप्त हैं। जब पूरे विश्व को शैतान के द्वारा धोखा दिया गया था तब परमेश्वर ने हमारे प्रभु को पानी और आत्मा के सुसमाचार को पूरा करने के लिए भेजा। उसने उन सभी को जो इसमें विश्वास करते हैं, उनके सभी पापों से बचाया है। हमें इस सत्य को समझना और मानना चाहिए।
वे लोग कौन हैं जो परमेश्वर के सामने अपने सभी पापों से बचाए गए हैं? वे मजबूत देह वाले या इच्छाधारी लोग नहीं हैं, बल्कि वे वो लोग हैं जो केवल पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा अपने सभी पापों से मुक्त हुए हैं। ये वे लोग हैं जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानने और विश्वास करने के द्वारा झूठे सिद्धांतों और असत्य से लड़ाई लड़ी और उन पर जय प्राप्त की है। जो लोग इस सुसमाचार में विश्वास करते हैं और झूठे सिद्धांतों पर विजय प्राप्त करते हैं, परमेश्वर उन्हें दूसरी मृत्यु से बचने की आशीष देगा।
जैसा कि प्रकाशितवाक्य का वचन हमें बताता है, "जो जय पाए, उसको दूसरी मृत्यु से हानि न पहुचेगी।" परमेश्वर केवल उन लोगों को नया जीवन और नया राज्य देंगे जो विजय प्राप्त करेंगे। जैसे हमारे दो कान हैं, हम दो अलग-अलग कहानियां सुनते हैं- यानी हम एक ही समय में सच और झूठ दोनों सुनते हैं। परमेश्वर के वचन और शैतान के वचन के बीच, हमारा गंतव्य इस बात से निर्धारित होता है कि हम किसके वचन को स्वीकार करते हैं और किसके वचन को अस्वीकार करते हैं।
यही कारण है कि हम सभी को पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करना चाहिए, और सत्य के इस वचन और उस पर अपने विश्वास के साथ, झूठी शिक्षाओं से लड़ना और जीतना चाहिए। क्योंकि इस संसार में हर कोई पाप के भार के नीचे पीड़ित है, इसलिए हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार की तलाश करनी हैं और उसे पाना हैं जो हमें पूरी तरह से हमारे पापों से मुक्त कर सकती है। लेकिन बहुत से ऐसे भी हैं जो झूठ के कारण सच को स्वीकार नहीं कर सकते कि उन्हें पहले ही झूठे शिक्षकों द्वारा खिलाया जा चुका है। इन झूठे भविष्यवक्ताओं के द्वारा प्रचारित कथित उद्धार इस दावे पर आधारित है कि यदि आप पाप नहीं करते हैं, तो आप धन्य है।
लेकिन हम, हमारे सार में, पाप के लिए नियत हैं; पाप करना हमारा अपरिहार्य स्वभाव है, और इस प्रकार हम केवल इस संसार के पापों से बंधे रह सकते हैं। यदि पापियों के हृदय इस प्रकार झूठे भविष्यद्वक्ताओं द्वारा संसार के पापों से जकड़े हुए हैं, तो वे कभी भी परमेश्वर पर विश्वास कैसे कर सकते हैं और अपने पापों से कैसे बच सकते हैं? उन्हें परमेश्वर की कलीसिया में लौटना चाहिए, पानी और आत्मा के सुसमाचार का वचन सुनना चाहिए, और अपने पापों की माफ़ी के द्वारा अपने हृदय का सच्चा विश्राम प्राप्त करना चाहिए। इस दुनिया में बहुत से लोग परमेश्वर की सच्ची कलीसिया की तलाश करते हैं और अपने उद्धार के लिए तरसते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश इसे पाने में असफल होते हैं और इसके बजाय व्यवस्था की कलीसिया में समाप्त हो जाते हैं—और यही कारण है कि वे नरक में बंधे हैं।
तो फिर, परमेश्वर की कलीसिया किस प्रकार की कलीसिया है जिसकी पापियों को वास्तव में आवश्यकता है? परमेश्वर की कलीसिया जिसकी प्रत्येक पापी को आवश्यकता है, वह है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करती है। बाइबल में जिस परमेश्वर की कलीसिया की बात की गई है वह यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उनके लहू का प्रचार करती है। परमेश्वर की सच्ची कलीसिया सटीक रूप से समझाती है और सिखाती है कि कैसे यीशु ने दुनिया के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया और कैसे उन्होंने उन पापों को पानी और आत्मा के सुसमाचार के भीतर दूर कर दिया। प्रत्येक पापी जो अपने पापों से मुक्त हुआ है, उसने ऐसा उस विश्वास के द्वारा किया है जो परमेश्वर की कलीसिया के द्वारा पानी और आत्मा के सुसमाचार को सुनने से आया है।
फिर भी क्योंकि बहुत से मसीहीयों ने पानी और आत्मा के सुसमाचार के बारे में न तो सुना है और न ही उनके संपर्क में आए हैं, वे अपने सभी पापों से बचाए नहीं जा सके हैं। परन्तु परमेश्वर हमें बताता है कि वह उन लोगों को पाप से छुड़ाएगा जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं और जो झूठे सुसमाचारों से लड़ते हैं और उन पर जय प्राप्त करते हैं। परमेश्वर ने हमसे वादा किया है कि जो विजय प्राप्त करेंगे उन्हें दूसरी मृत्यु से कोई हानि नहीं होंगे।
पाप से सच्चा उद्धार केवल उन्हीं को मिलता है जो झूठे शिक्षकों के खिलाफ खड़े होते हैं और उन पर जय प्राप्त करते हैं। क्योंकि हम पापियों के रूप में पैदा हुए हैं, यदि हम झूठी शिक्षाओं को दूर नहीं कर सकते हैं, तो हम शैतान के बंदी के रूप में समाप्त हो जाएंगे, पाप से बंधे होंगे, और अंत में नरक के लिए नियत होंगे। यही कारण है कि परमेश्वर ने हममें से प्रत्येक को उद्धार की आत्मिक लड़ाई में शत्रुओं पर जय पाने के लिए कहा है।
ऐसा कहा जाता है कि कुछ जानवर, जैसे कि शेर या बाघ, अपने बच्चों को जानबूझकर एक पहाड़ी की तलहटी में धकेल कर और खुद से ऊपर चढ़ाकर उन्हें प्रशिक्षित करते हैं। केवल उन बच्चों को उठाया जाएगा जो पहाड़ी पर वापस जाते हैं। इसी तरह, परमेश्वर ने हमें पानी और आत्मा का सुसमाचार दिया है, और केवल उन्हें जो इस सुसमाचार के साथ झूठी शिक्षाओं से लड़ते हैं और उन पर जय प्राप्त करते हैं, उन्हें स्वर्ग की अनुमति देंगे।
हमारा उद्धार हमारे अपने लहू और मांस से नहीं होता है। पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने से ही हम पाप से बच सकते हैं। यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू में विश्वास के द्वारा ही सच्चा उद्धार प्राप्त होता है। जब हमारा हृदय परमेश्वर के पुत्र के बपतिस्मा और बहाए हुए लहू पर विश्वास करता है जिसने संसार के पापों को उठा लिया है, तो हम अपने सभी पापों से बच जाएंगे और हमारे निश्चित विनाश से मुक्त हो जाएंगे। हर कोई जो स्वर्ग में प्रवेश करता है वह पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके ऐसा करता है, और हर कोई जो नरक में जाता है वह इस सुसमाचार में विश्वास न करने के द्वारा ऐसा करता है। यही कारण है कि हम सभी को पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करना चाहिए और झूठे सुसमाचारों को अस्वीकार करना चाहिए।
झूठी शिक्षाओं और असत्य को फैलाकर, शैतान पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके लोगों को बचाए जाने से रोकने की कोशिश करता है। फिर ये झूठी शिक्षाएँ क्या हैं? झूठे सुसमाचार वे हैं जो सिखाते हैं कि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा दुनिया के सभी पापों को दूर नहीं किया। वे सिखाते हैं कि जब यीशु ने हमारे मूल पाप को ले लिया, तो हमारे दैनिक पापों को हमारी पश्चाताप की दैनिक प्रार्थनाओं से शुद्ध किया जाना चाहिए। इन शिक्षाओं का शायद धार्मिक अर्थों में कोई अर्थ हो सकता है, लेकिन जब पानी और आत्मा के सच्चे सुसमाचार के साथ देखा जाता है, तो वे केवल झूठ हैं।
पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा ही प्रत्येक व्यक्ति को छूटकारा मिलता है; झूठे सुसमाचार हमें कभी पाप से नहीं छुड़ायेंगे। इसलिए हमें इन झूठी शिक्षाओं से लड़ना चाहिए और उन पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। शैतान के खिलाफ लड़ने का मतलब असत्य के खिलाफ खड़ा होना है। इस प्रकार हमें यह तय करना चाहिए कि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करे या झूठे सुसमाचार पर, और अपना निर्णय लेने के बाद, हमें दूसरे के खिलाफ लड़ना चाहिए। यहां तक कि जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं लेकिन उनका विश्वास गुनगुना है तो वे शैतान पर विजय प्राप्त नहीं कर सकते।
बचाए गए लोगों में से बहुत से लोग पहले परमेश्वर के वचन और शैतान के वचन के बीच बहस कर रहे थे। उनके पापों को केवल तभी माफ़ किया गया जब उन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने का निर्णय लिया। सृष्टि के आरम्भ से लेकर अब तक बचाए गए प्रत्येक व्यक्ति ने झूठे सुसमाचारों से संघर्ष किया और विजय प्राप्त की। हम सभी को पानी और आत्मा के सुसमाचार को खोजना चाहिए, झूठे सुसमाचारों को ठुकराना चाहिए, और विश्वास के द्वारा अपने सभी पापों से छुटकारा पाना चाहिए।
मान लीजिए, उदाहरण के लिए, एक गाँव है जहाँ रहने वाले सभी लोगों की एक ही आँख है, और दो आँखों वाला एक यात्री इस गाँव में आया। गाँव के लोग इस दो आँखों वाले यात्री को "अजीब," "असामान्य," "बहुत ही भिन्न," या शायद "विधर्मी" भी कहेंगे। यात्री को विधर्मी मानने का कारण यह है कि वह उन लोगों से अलग है, जो इस मामले में वहा भारी संख्या में पाए जाते है। इसी तरह, इस दुनिया में एक पूर्वाग्रह ऐसा है की "बहुमत शासन करता है," या, इसे अलग तरह से देखे तो, जहाँ "सच्चाई बहुसंख्यकों की है।" लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि निर्णय और निष्कर्ष के ऐसे मानक काफी गलत हैं।
इस अनंत संसार में, सत्य बहुमत से नहीं, बल्कि निरपेक्ष, मौलिक मानकों पर तय होता है। तो फिर यह सच्चाई कहाँ मिलेगी? यह पापियों के छुटकारे और विनाश से उनके उद्धार में पाई जा सकती है। वे सभी जो अपने पापों से बचाए जाने के द्वारा धर्मी बनते हैं वे - अपने कानों से, पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई को सुनने के बाद, और इस सुसमाचार में अपने दिलों से विश्वास करने के द्वारा ऐसा बनते हैं।
लेकिन क्योंकि इतने लंबे समय तक इतने सारे लोग झूठे सुसमाचारों में गिर गए हैं इसलिए जब उनके सामने वास्तविक सत्य प्रकट होता है, तो वे इसे अजीब, यहाँ तक कि विधर्मी कहते हैं, और इसे अस्वीकार करते हैं। लेकिन पानी और आत्मा का सुसमाचार जिसे वे अस्वीकार करते हैं, वह सत्य का सुसमाचार है जो स्वयं प्रेरितों द्वारा प्रकट, विश्वास और प्रचारित किया गया था, जो पूरी तरह से प्रेरित युग में वापस जाता है। पाप की समस्या का समाधान परमेश्वर के सामने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने से किया जा सकता है।
यीशु, हमारा सत्य, उसने हारून के वंशज, यूहन्ना द्वारा अपने बपतिस्मा के साथ एक ही बार में दुनिया के पापों को अपने ऊपर ले लिया, और हमारे लिए क्रूस पर अपना लहू बहाया। परमेश्वर का वचन गवाही देता है कि यीशु ने अपने बपतिस्मा के साथ दुनिया के सभी पापों को उठा लिया। फिर वह क्रूस पर मर गया, मरे हुओं में से जी उठा, और परमेश्वर के दाहिने हाथ पर बैठने के लिए स्वर्ग पर चढ़ गया। यह सत्य दो हजार साल पहले पूरा हुआ था जब यीशु अपने बपतिस्मा और क्रूस पर अपने लहू से दुनिया के सभी पापों को दूर करके सत्य का प्रभु बन गया था।
फिर भी जो लोग झूठ के द्वारा धोखा खाते हैं, वे अभी भी नहीं जानते कि यीशु में उनके विश्वास से पाप से उनका पूर्ण छुटकारा होता है; इससे भी बुरी बात यह है कि आज के मसीही संसार में बहुत सी आत्माएं झूठे सुसमाचारों से भ्रमित होकर पाप में खोई हुई हैं। यही कारण है कि जो लोग पानी और आत्मा के सच्चे सुसमाचार में विश्वास करते हैं, उन्हें इस सुसमाचार का प्रचार और प्रसार करना चाहिए। केवल इस सच्चे सुसमाचार को सुनने से ही लोग अपने पापों से मुक्त हो सकते हैं।
बाइबल में प्रकट किया गया सत्य पानी और आत्मा का सुसमाचार है (मत्ती ३:१३-१७, इफिसियों १:१३)। उपरोक्त भाग में, परमेश्वर ने स्मुरना की कलीसिया की सराहना करते हुए कहा कि उनकी भौतिक गरीबी के बावजूद, वे अपने विश्वास में समृद्ध हैं। परन्तु उसने यहूदियों को शैतान का सेवक कहा, क्योंकि यद्यपि उन्होंने परमेश्वर में विश्वास करने का दावा किया, फिर भी उन्होंने उसके छुटकारे के सुसमाचार को अपने हृदय में स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने यीशु को परमेश्वर के पुत्र और उनके उद्धारकर्ता के रूप में नहीं माना फिर भले ही हमारे प्रभु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार के साथ उनके सभी पापों को दूर कर दिया था। क्योंकि उन्होंने अभी भी इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया था कि यीशु ने उनके पापों को उठा लिया था इसलिए यहाँ तक कि उन्होंने यहोवा परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा किया फिर भी उनके हृदयों में पाप बना रहा।
ऐसे लोग अपने होठों से दावा करते हैं कि वे परमेश्वर में विश्वास करते हैं, लेकिन वास्तव में वे "शैतान की सभा" हैं जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं। वे लोग जो यीशु में विश्वास करने का दावा करते हैं लेकिन उन्होंने अभी तक अपने हृदय में उसके छुटकारे को स्वीकार नहीं किया है, वे भी शैतान के इस सभा के हिस्सा हैं।
इस संसार में दो सभा हैं: एक शैतान की, और दूसरी परमेश्वर की। जब प्रभु वापस आएंगे, तो शैतान की सभा हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी, और परमेश्वर की सभा हमेशा के लिए धन्य हो जाएगी। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर स्पष्ट रूप से धर्मियों को पापियों से अलग करेगा। हर कोई जो यीशु को अपना उद्धारकर्ता मानने का दावा करता है, वह स्वर्ग नहीं जाएगा।
यह स्पष्ट रूप में मत्ती ७:२१-२३ में यीशु ने जो कहा है उसमे देखा जा सकता है, “जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, ‘मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।”
दूसरे शब्दों में, हम यह नहीं कह सकते कि स्वर्ग की निश्चितता हर उस व्यक्ति के लिए है जो यीशु में विश्वास करने का दावा करता है और उसके नाम को पुकारता है। भले ही वे यीशु को अपना उद्धारकर्ता मानते हैं, यदि वे पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास नहीं करते हैं, तो वे अंत में शैतान के सेवक हैं, जो अंततः नरक में बंध गए हैं। क्योंकि वे यीशु पर विश्वास करने का दावा करने के बावजूद भी झूठे सुसमाचारों का पालन करते हैं इसलिए यह केवल उचित और न्यायसंगत है कि उन्हें नरक में भेजा जाएगा।
जिनके अन्दर पाप है और इसलिए वे शैतान के हैं वे नरक में बंधे हैं। परन्तु हम में से जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके हमारे सारे पापों की माफ़ी प्राप्त कर ली है, उनके लिए स्वर्ग के द्वार खोल दिए जाएंगे। हर कोई जो यीशु में विश्वास करता है, उसे पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके स्वर्ग में प्रवेश करना चाहिए।
संसार के पापों से बचने के लिए, हमें न केवल अपने पापों का स्पष्ट ज्ञान होना चाहिए, बल्कि झूठ से सत्य को पहचानने की आत्मिक क्षमता भी होनी चाहिए। ऐसा करने के लिए, हमें परमेश्वर के लिखित वचन में रहना चाहिए और उसके अनुसार विश्वास करना चाहिए। यदि आप आग की झील में डाले नहीं जाना चाहते हैं, तो आपको विश्वास के द्वारा झूठे सुसमाचारों को अस्वीकार करना चाहिए। आपको झूठे सुसमाचारों के खिलाफ अपनी लड़ाई में जीत हासिल करनी चाहिए। और अपने विश्वास की जीत को सुरक्षित करने के लिए, आपको पता होना चाहिए कि पानी और आत्मा का सुसमाचार क्या है। तभी आप दूसरी मौत से बच सकते हैं, और उसके बाद ही आप परमेश्वर के स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं।
२ यूहन्ना १:७ हमें बताता है, “क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह–विरोधी यही है।” यहाँ भरमाने वाले उन लोगों को संदर्भित करता है जो इस बात से इनकार करते हैं कि यीशु मसीह इस पृथ्वी पर देह में आए थे। दूसरे शब्दों में, यह वे लोग हैं जो इस बात से इनकार करते हैं कि प्रभु जो शरीर में आया था, वह परमेश्वर का पुत्र है, कि उसने यरदन नदी में अपने बपतिस्मा के साथ जगत के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया, और यह कि हमारे स्थान पर क्रूस पर उसके लहू के द्वारा उसका न्याय किया गया।
जो लोग इन तथ्यों को स्वीकार नहीं करते हैं, कि उसने हमारे पापों का न्याय हमसे ले लिया है, वे भरमाने वाले और शैतान के दास हैं। ये परमेश्वर के शत्रु और शैतान के वफादार सेवक हैं। वे अपने झूठे सुसमाचारों को सिखाने और फैलाने और पानी और आत्मा के सच्चे सुसमाचार के खिलाफ खड़े होकर कई लोगों को भ्रमित करते हैं और विनाश की ओर ले जाते हैं।
जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने का दावा करते हैं और फिर भी शैतान के झूठे सुसमाचार के खिलाफ आत्मिक लड़ाई को नहीं लड़ते हैं, वे अंततः परमेश्वर के राज्य और उसके लोगों के शत्रु बन जाएंगे। ऐसे लोग इस बात की परवाह नहीं करते कि उनके अनुयायी पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं या नहीं। वे जिस चीज की परवाह करते हैं, वह केवल उनकी अपनी महिमा और धन है। ये झूठे सेवक हैं जो केवल अपना पेट भरने की इच्छा रखते हैं। संक्षेप में, वे वो लोग हैं जो उस मसीह विरोधी से संबंधित हैं जिसके बारे में बाइबल बात करती है।