अध्याय ७ में दिखाई देने वाली संख्या १४४,००० हमें वास्तव में बताती है कि अंत के समय में कितने इस्राएलियों को बचाया जाएगा, कुल १४४,००० के लिए इस्राएल के बारह गोत्रों में से प्रत्येक से १२,०००। यह परमेश्वर के उस विशेष विधान के द्वारा पूरा होता है जिसके द्वारा अब्राहम के कुछ वंशज, जिनसे परमेश्वर प्रेम करता था, उद्धार पाएंगे। परमेश्वर उस प्रतिज्ञा को याद करता है जो उसने अब्राहम से की थी, और इसलिए इस प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए, वह अब पानी और आत्मा के सुसमाचार को न केवल अन्यजातियों में, बल्कि इस्राएल के लोगों के लिए भी फैलाने देगा, जो अब्राहम की देह के वंशज हैं।
इस प्रकार, परमेश्वर ने निर्धारित किया है कि अंत समय के क्लेशों और दो गवाहों के माध्यम से जिन्हें परमेश्वर विशेष रूप से इस्राएलियों के लिए खडा करेगा, वे विश्वास करेंगे कि यीशु मसीह, जिसे उन्होंने सताया और क्रूस पर चढ़ाया था, वास्तव में उनका सच्चा उद्धारकर्ता है। परमेश्वर और अब्राहम के विश्वास के माध्यम से, इस्राएली परमेश्वर के विशेष प्रेम को प्राप्त करनेवाले बन गए है।
परमेश्वर ने निश्चय किया है कि वह विशेष रूप से इस्राएल के बारह गोत्रों में से प्रत्येक में से १२,००० को उनके पापों और विनाश से छुड़ाएगा, और उन्हें अपने स्वर्गदूत के द्वारा परमेश्वर की मुहर से मुहरित कर दिया है। इसलिए, इस्राएल के लोगों में से १४४,००० ने वह चिह्न प्राप्त किया है जो दर्शाता है कि वे परमेश्वर के लोग बन गए हैं। यह संख्या बारह गोत्रों के बीच समान रूप से विभाजित है, क्योंकि उनके लिए परमेश्वर का प्रेम किसी विशेष गोत्र के पक्षपात पर आधारित नहीं है, लेकिन वह उन सभी को अपने लोग बनने की एक ही कृपा में तैयार करता है। हालांकि लोग कभी-कभी अपनी भावनाओं को अपने फैसले पर हावी होने देते हैं, परमेश्वर सभी चीजों में पूर्ण न्याय और निष्पक्षता के साथ कार्य करता है।
१४४,००० इस्राएलियों को उद्धार की मुहर से मुहरित करने के बाद, परमेश्वर तब इस पृथ्वी पर बड़ी विपत्तियों को उंडेल देगा। यहूदा, रूबेन, गाद, आशेर, नप्ताली, मनश्शे, शिमोन, लेवी, इस्साकार, जबूलून, यूसुफ, और बिन्यामीन के गोत्रोंमें से परमेश्वर ने अपनी प्रजा के रूप में कुल १४४,००० इस्राएलियों को, अर्थात बारह गोत्रोंमें प्रत्येक से १२,००० को चुना है। यह उस प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए है जो परमेश्वर ने अब्राहम और उसके वंशजों से की थी कि वह उनका परमेश्वर बनेगा।
इस प्रकार परमेश्वर ने इस्राएलियों में से १,४४,००० को बचाने का फैसला किया है। यहाँ संख्या 14 का विशेष अर्थ है, जैसा कि मत्ती 1:17 में प्रकट होता है, यह बताता है कि परमेश्वर इस्राएलियों के बीच अपना नया कार्य शुरू करेगा। इस संख्या में परमेश्वर की इच्छा शामिल है कि वह अब इस पृथ्वी पर पहली दुनिया के इतिहास को समाप्त करेगा और उन इस्राएलियों को नए स्वर्ग और पृथ्वी में रहने की अनुमति देगा जो बचाए गए हैं।
जब हम अब्राहम से लेकर यीशु मसीह तक की वंशावली को देखते हैं, तो हम पाते हैं कि अब्राहम से दाऊद तक १४ पीढ़ियाँ, दाऊद से बेबीलोन की बन्धुवाई तक ओर १४ पीढ़ियाँ, और बेबीलोन की बन्धुवाई से लेकर मसीह तक १४ पीढ़ी है। दूसरे शब्दों में, हम यह पता लगा सकते हैं कि परमेश्वर हर १४ पीढ़ियों में अपना नया कार्य शुरू करता है। परमेश्वर ने १,४४,००० इस्राएलियों को इस इच्छा के साथ मुहरित किया है कि वह उन्हें इस वर्तमान दुनिया में नहीं, बल्कि परमेश्वर के राज्य में एक नया जीवन देंगे। जैसा कि देखा जा सकता है, परमेश्वर विश्वासयोग्य है जो निश्चित रूप से वह पूरा करता है जो उसने वायदा किया है और मनुष्यजाति के लिए निर्धारित किया है।