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Mahubiri

विषय १२: यदि आपके ह्रदय में भ्रम और खालीपन है, तो सत्य के प्रकाश की खोज करे

[12-3] हमें जो उद्धार दिया गया है उसका सांसारिक धर्म से कोई लेनादेना नहीं है (यूहन्ना ४:१९-२६)

हमें जो उद्धार दिया गया है उसका सांसारिक धर्म से कोई लेनादेना नहीं है
(यूहन्ना ४:१९-२६)
“स्त्री ने उससे कहा, “हे प्रभु, मुझे लगता है कि तू भविष्यद्वक्‍ता है। हमारे बापदादों ने इसी पहाड़ पर आराधना की, और तुम कहते हो कि वह जगह जहाँ आराधना करनी चाहिए यरूशलेम में है।” 
यीशु ने उससे कहा, “हे नारी, मेरी बात का विश्‍वास कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता की आराधना करोगे, न यरूशलेम में। तुम जिसे नहीं जानते, उसकी आराधना करते हो; और हम जिसे जानते हैं उसकी आराधना करते हैं; क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है। परन्तु वह समय आता है, वरन् अब भी है, जिसमें सच्‍चे भक्‍त पिता की आराधना आत्मा और सच्‍चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही आराधकों को ढूँढ़ता है। परमेश्‍वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करनेवाले आत्मा और सच्‍चाई से आराधना करें।” 
स्त्री ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ कि मसीह जो ख्रिस्त कहलाता है, आनेवाला है; जब वह आएगा, तो हमें सब बातें बता देगा।” 
यीशु ने उस से कहा, “मैं जो तुझ से बोल रहा हूँ, वही हूँ।”
 

परिचय

यहूदी निर्वासन का पहला जुंड उनके बेबीलोन की कैद से लौटने के बाद, ज़रुब्बाबेल ने मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग की और सामरियों को भाग लेने के लिए कहा, लेकिन उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया। ऐसा इसलिए है क्योंकि सामरी लोग यरुशलम के मंदिर के साथ उसके स्थान को लेकर कम से कम 200 वर्षों से एक कड़वे संघर्ष में थे, क्योंकि उनका मानना था कि गिरिज्जिम पर्वत जहाँ अब्राहम और याकूब ने अपनी वेदी बनाई थी, यारुशालेम की जगह वहां मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए था।
128 ईसा पूर्व में, गिरिज्जिम पर्वत पर बने मंदिर को हिरकेनस नाम के एक अन्यजाती व्यक्ति ने नष्ट कर दिया था। पेन्टाटूक के अनुसार, गिरिज्जिम पर्वत वह जगह है जहाँ अब्राहम ने इसहाक को बलिदान करने की कोशिश की थी, और यह वह जगह भी है जहाँ वह मलिकिसिदक से मिला था, लेकिन यहूदियों ने शुरू से ही व्यवस्थाविवरण 16:2 पर उनके तर्क के आधार पर समर्थन किया था कि, यरूशलेम में परमेश्वर की आराधना की जानी चाहिए। इसका मतलब है कि एक ही देश में दो परस्पर विरोधी केंद्रीय शहर थे। एक समय पर, इस्राएल दो देशों (उत्तरी और दक्षिणी राज्यों) में विभाजित हो गया था, और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि परमेश्वर ने राजा यारोबाम के पापों के कारण इस्राएल को दो राज्यों में विभाजित कर दिया था। नतीजतन, परमेश्वर की आराधना की जगह भी दो स्थानों में विभाजित हो गई।
बेबीलोन की बंधुआई से लौटे हुए यहूदी के पहले जुंड ने यरूशलेम में मंदिर का पुनर्निर्माण किया। 200 वर्षों तक मंदिर के निर्माण में संघर्ष चला। यरूशलेम में इस्राएल के लोगों ने 200 वर्षों तक सामरियों के साथ यह कहते हुए झगड़ा किया, "क्या यरूशलेम इस्राएल के राज्य का केंद्र नहीं है? तुम गिरिज्जिम पर्वत पर क्यों उपासना कर रहे हो?” यह देखते हुए कि संघर्ष 200 वर्षों तक चला, यह बहुत लंबा विवाद था। यह इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के खिलाफ है कि आज के पवित्रशास्त्र पठन में सामरी स्त्री ने यीशु से प्रभु परमेश्वर के आराधना की जगह के बारे में पूछा।
यह महिला यीशु से एक धार्मिक संघर्ष को संबोधित करने के लिए कह रही थी जो 200 वर्षों से आराधना के लिए उचित स्थान के बारे में अनसुलझा था, यहूदियों ने तर्क दिया कि यह यरूशलेम होना चाहिए जबकि सामरी लोगों ने तर्क दिया कि यह गिरिज्जिम पर्वत होना चाहिए। यीशु ने उसे यूहन्ना 4:21-22 में यह कहते हुए उत्तर दिया, “हे नारी, मेरी बात का विश्‍वास कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता की आराधना करोगे, न यरूशलेम में। तुम जिसे नहीं जानते, उसकी आराधना करते हो; और हम जिसे जानते हैं उसकी आराधना करते हैं; क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है।”
यीशु ने कहा कि वह समय आता है जब सच्‍चे भक्‍त पिता की आराधना आत्मा और सच्‍चाई से करेंगे। यीशु के लिए, परमेश्वर की आराधना के स्थान से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि लोग उसकी आराधना आत्मा और सच्चाई से करें। परमेश्वर उन्हें ढूंढ़ रहा है जो उसकी आराधना आत्मा और सच्चाई से करते हैं, जैसा कि लिखा है, "परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करनेवाले आत्मा और सच्चाई से आराधना करे।" दूसरे शब्दों में, प्रभु कह रहे हैं कि जो लोग परमेश्वर की आराधना करते हैं, उन्हें पहले यीशु के बपतिस्मा से अपने हृदय के सभी पापों और इस संसार के सभी पापों धोया जाना चाहिए और नया जन्म लेना चाहिए, और फिर परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए।
यहां हमें यह समझने की जरूरत है कि परमेश्वर की हमारी आराधना आत्मिक है और यह आराधना की जगह पर निर्भर नहीं है। आत्मा में परमेश्वर की ठीक से आराधना करने के लिए, हमें नया जन्म प्राप्त किए हुए लोगों के रूप ने उसकी आराधना करनी चाहिए - अर्थात, हमें पहले परमेश्वर के अनुग्रह में विश्वास करके नया जन्म लेना चाहिए, कि यीशु मसीह जब इस पृथ्वी पर आया तब उसने अपने बपतिस्मा के साथ हमारे हृदयों के सभी पापों को धो दिया जब वह आया था इस धरती को। हमें आज इस तरह से परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए। इसका अर्थ है कि आज के ईसाई विश्वासियों को भी यीशु के बपतिस्मा के वचन में विश्वास करके अपने सभी पापों से शुध्ध होना चाहिए जो उसने मनुष्यजाति के पापों को मिटाने के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किया था।
आज ईसाई धर्म का विश्वास निकेन पंथ पर बना है जिसे 325 ईस्वी में निकिया की पहली परिषद में प्रख्यापित किया गया था। परिणामस्वरूप, ईसाई इन दिनों केवल क्रूस पर चढ़ाए गए यीशु पर विश्वास करते हैं, सच्चे वचन की अवहेलना करते है कि यीशु ने इस संसार के पापों को उस बपतिस्मा के वचन के द्वारा उठाया जो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया था, और इसलिए वे वास्तव में नहीं जानते कि यीशु ने उन्हें अपने उद्धारकर्ता के रूप में दुनिया के पापों से कैसे बचाया।
आज ईसाई अपने विश्वास को निकेन पंथ में प्रकट इस धारणा पर निर्धारित करते हैं कि केवल क्रूस पर चढ़ाए गए यीशु ही उद्धारकर्ता हैं। भले ही वे यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में मानते हैं, फिर भी वे यीशु में विश्वास करने के बाद किए गए पापों से निपटने के लिए पश्चाताप की अपनी प्रार्थना या क्रमिक पवित्रता के सिद्धांत की ओर मुड़ने के लिए मजबूर महसूस करते हैं। इसलिए, आज के ईसाइयों का विश्वास निकेन पंथ पर स्थापित और निर्मित है।
हालाँकि, जैसा कि इन ईसाइयों को निकेन पंथ द्वारा धोखा दिया गया है, जो कहता है, "[यीशु] ने पिलातुस के अधीन दुःख सहा, उसे क्रूस पर चढ़ाया गया था, और वह मर गया," उन्हें यह भी समझ नहीं है कि वे यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास तो करते है लेकिन उसके बपतिस्मा को नकार देते है, जो पानी और आत्मा के द्वारा आया था। और यह और भी बड़ी समस्या है कि वे आत्मिक रूप से इस तथ्य से बेखबर हैं।
हमें इतिहास में 325 ईस्वी पूर्व में वापस जाने और निकेन पंथ पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिसे सम्राट कॉन्सटेंटाइन द्वारा बुलाए गए निकिया की पहली परिषद में अनुमोदित किया गया था। निकेन पंथ को प्रख्यापित किया गया था, जबकि इस तथ्य को छोड़ दिया गया था कि प्रभु ने इस दुनिया के पापों को एक बार और हमेशा के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठाया था, और इस चूक के साथ, इसने आज ईसाइयों को अपने दिमाग में एक गंभीर गलती करने के लिए प्रेरित किया। इसकी घोषणा के बाद से, निकेन पंथ ने अनगिनत ईसाइयों को गलती से सोचने के लिए प्रेरित किया है कि केवल क्रूस पर चढ़ाए गए यीशु ही उनके उद्धारकर्ता हैं, जबकि यीशु के बपतिस्मा के वचन को छोड़ देते हैं। क्योंकि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा इस दुनिया के पापों को उठाया, जो लोग इस तथ्य पर विश्वास करते हैं वे अपने पापों को विश्वास से धो सकते हैं, और यही कारण है कि निकेन पंथ के निर्माण करनेवालों ने प्रभु के बपतिस्मा को छोड़ दिया और अपने अनुयायियों को सिखाया कि केवल क्रूस पर चढ़ाये गये यीशु को अपना उद्धारकर्ता मानें, ताकि वे अज्ञानता में रहें। यह उनका धोखा था।
जब ईसाई इन दिनों यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में निकेन पंथ के अनुसार मानते हैं जो उद्धार के गलत मानक को निर्धारित करता है, तो वे सोचते हैं कि यीशु ने उन्हें क्रूस पर चढाने के द्वारा बचाया है, लेकिन वास्तव में, वे एक और तत्व को भूल रहे हैं। तो फिर, यह एक ऐसा कार्य क्या है जो यीशु ने पीलातुस के अधीन दुख उठाने, सूली पर चढ़ाए जाने और मरने के अलावा किया था? यह कुछ ऐसा है जो प्रभु ने हमें हमारे पापों से बचाने के लिए किया—अर्थात, उसने यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेकर इस संसार के पापों को उठा लिया। यीशु के लिए हम पापियों को हमारे पापों से छुड़ाने के लिए, उसे क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा इस दुनिया के पापों को उठाना पड़ा। तभी वह क्रूस पर जा सकता था, उसे क्रूस पर चढ़ाया जा सकता था, अपना खून बहा सकता था, फिर से मृतकों में से जी उठ सकता था, और इस तरह हर विश्वासी को दुनिया के पापों से छुड़ाने का काम पूरा कर सकता था।
यदि यीशु को यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा पहले इस संसार के पापों को ग्रहण किए बिना मृत्यु के लिए क्रूस पर चढ़ाया जाता, तो अब आपके और मेरे पाप कहाँ होते? क्या वे हमारे दिलों में होते या यीशु के शरीर पर? जिस तरह हर प्रभाव का एक कारण होना चाहिए, यह इसलिए है क्योंकि यीशु ने इस दुनिया के पापों को एक बार और हमेशा के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठा लिया ताकि उन्हें हमारे सभी पापों को सहन करते हुए क्रूस पर चढ़ाया जा सके, उसका लहू बहाया जा सके, और हमारे लिए मर सकें। इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा यीशु ने इस संसार के सभी पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठा लिया। और हमें उस बपतिस्मे में विश्वास करना चाहिए जो यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से परमेश्वर की धार्मिकता के रूप में प्राप्त किया, जिसने आपके और मेरे पापों को उठाया।
यह सत्य मत्ती 3:13-17 में विस्तार से लिखा गया है। यह यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू के माध्यम से है कि प्रभु ने हमें बचाया है। यह विश्वास करना कि प्रभु ने हमें केवल क्रूस पर चढ़ाए जाने के द्वारा संसार के पापों से बचाया है यह उस परमेश्वर के वचन के अनुसार विश्वास नहीं करना है जिसने हमें इतना प्रेम किया कि उसने अपने पुत्र को इस दुनिया में मानव जाति के पापों को उठाने के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा दिया। बल्कि, यह अपने स्वयं के मानवीय विचारों के अनुसार विश्वास करना है। यह मानव जाति के विचारों के अनुसार यीशु को एक सांसारिक धर्म के रूप में मानना है, यह सोचकर कि क्रूस पर चढ़ाए गए यीशु पर विश्वास करने से ही व्यक्ति बच जाता है। यही कारण है कि आज इतने सारे ईसाई यह स्वीकार कर रहे हैं कि यीशु को अपना उद्धारकर्ता मानने के बावजूद वे अभी भी पापी हैं। वे इस संसार की ज्योति होने में असमर्थ पापियों के रूप में जी रहे हैं क्योंकि वे यीशु को एक सांसारिक धर्म के रूप में मानते हैं।
आज के पवित्रशास्त्र पठन में, यीशु ने उन लोगों के बारे में बात की जो “आत्मा और सच्चाई से आराधना करते हैं।” हालाँकि, आज के मसीहियों को आत्मा और सच्चाई से आराधना करने वालों से और दूर नहीं किया जा सकता है। वे आत्मा में परमेश्वर की आराधना करने में असमर्थ हो गए हैं क्योंकि सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने प्राचीन समय में निकिया की पहली परिषद में निकिन पंथ की घोषणा की थी।
कॉन्सटेंटाइन के निकेन पंथ से जो दूर किया गया वह उद्धार का महत्वपूर्ण कार्य है जिसे यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा पूरा किया था। जब हम आज प्रेरितों के विश्वास-कथन को देखते हैं तो हम इस तथ्य की खोज कर सकते हैं। प्रेरितों के विश्वास-कथन में लिखा है कि यीशु मसीह "पवित्र आत्मा से गर्भ धारण हुआ था और कुँवारी मरियम से पैदा हुआ था, जिसने पोंतियस पिलातुस के अधीन दुःख उठाया था, क्रूस पर चढ़ाया गया, मर गया।" हम यहाँ देख सकते हैं कि यीशु की एक बहुत ही महत्वपूर्ण सेवकाई गायब है। यह यहाँ लिखा जाना चाहिए कि, "यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर मानव जाति के पापों को उठा लिया," और इस तथ्य को दर्ज करें कि मानव जाति के पाप यीशु पर पारित किए गए थे।
यह वो पाप है जो निकेने पंथ के बनानेवालों ने किया था। निकेन पंथ को अपनाते समय, उन्होंने उस कार्य को छोड़ दिया जो यीशु ने इस संसार के पापों को उठाने के द्वारा किया था जो उन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से किया था, और यह वो पाप है जो उन्होंने परमेश्वर के खिलाफ किया था, जो कि शैतान यीशु की सेवकाई में बाधा डालता है उसके समान है। परमेश्वर के विरुध्ध इन लोगों से बड़ा पाप किसी ने नहीं किया। यह कोई मामूली बात नहीं है। इसका अर्थ यह है कि जिस प्रक्रिया से निकेन पंथ के निर्माताओं ने अपने स्वयं के अन्यजाती धर्म को संरक्षित करते हुए ईसाई धर्म को राज्य धर्म में बदल दिया, उन्होंने बपतिस्मा के वचन को सक्रिय रूप से बाहर कर दिया कि "यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर मानव जाति के पापों को उठाया, "इस प्रकार ईसाई धर्म को उनके रोमन धर्म के अधीन कर लिया।
दोहराने के लिए, हमारे लिए यह समझना नितांत महत्वपूर्ण है कि सम्राट कॉन्सटेंटाइन और निकिया की पहली परिषद की अध्यक्षता करने वाले दार्शनिकों ने जानबूझकर इस वचन को छोड़ दिया कि "यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर मानव जाति के पापों को उठाया," ताकि उनके अपने उद्देश्य पुरे किए जा सके।
इसलिए, आज के ईसाई विश्वासियों और सेवकों को इस वचन पर विश्वास करके अपने पापों से शुध्ध होना चाहिए कि यीशु ने इस दुनिया के पापों को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठाया और क्रूस पर उन्हें ले गया। यदि आप और मैं अपने पापों से मुक्त होना चाहते हैं, और हम अपने ह्रदय से यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते है, लेकिन इस वचन को छोड़ देते है कि उसने 30 ईस्वी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर मानव जाति के पापों को उठाया, तो हम हमेशा के लिए अपने पापों से शुध्ध होने में असमर्थ रहेंगे।
यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के से बपतिस्मा लेने के द्वारा इस संसार के पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठाने के उसके कार्य को नकारते हुए यदि हम सभी अपने उद्धारकर्ता के रूप में सिर्फ क्रूस पर चढ़ाए गए यीशु में विश्वास करते हैं, तो यह यीशु पर जगत के एनी धर्म के संस्थापक के रूप में विश्वास करने के बराबर होगा। यदि हम यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में इस तरह विश्वास करते हैं, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा इस दुनिया के पापों को उठाने के उसके कार्य को छोड़ देते है तो हम अपने ह्रदय के पापों को यीशु पर कभी भी पारित नहीं कर पाएंगे, और परिणाम स्वरुप हम हमेशा एक पापी के रूप में रहेंगे।
अब 21वीं सदी में, हमारे पास एक बार फिर से परमेश्वर के वचन से प्रमाण खोजने का अवसर है कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को अपनी देह पर स्वीकार किया था। हमें अपने उद्धार को उस बपतिस्मा के वचन में विश्वास के माध्यम से प्राप्त करना चाहिए जो यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया था। जैसे ही एक खोया हुआ राष्ट्र वापस मिल जाया है, हमें अपने विश्वास को सच्चे वचन में रखकर फिर से विश्वास करना चाहिए कि यीशु ने हमारे पापों को अपने शरीर पर उठाया था।
हमें इस विश्वास को पुनः प्राप्त करना चाहिए कि इस संसार के पाप हमारे प्रभु यीशु मसीह के बपतिस्मा से धोए जा सकते हैं। हमें विश्वास के द्वारा परमेश्वर की महिमा करने में सक्षम होना चाहिए। अपने उद्धार के कार्य के भाग के रूप में, यीशु को क्रूस पर अपनी मृत्यु को सहने से पहले यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा दिया गया था, और हमें इस तथ्य को जानने और विश्वास करने के द्वारा अपने पापों की माफ़ी प्राप्त करनी चाहिए। संक्षेप में, हमें विश्वास करना चाहिए और अपने हृदय में इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि यीशु ने अपने बपतिस्मा से हमारे पापों को धो दिया है।
मार्टिन लूथर, केल्विन, जॉन नॉक्स, और ज़िंगली जैसे प्रोटेस्टेंट सुधारकों द्वारा शुरू किए गए सुधार ने भी एक ऐसे विश्वास की पुष्टि की जो निकेन पंथ के अनुसार था, जिसने इस तथ्य को छोड़ दिया कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर इस दुनिया के पापों को दूर किया। परिणाम के रूप में, सुधार का विश्वास भी एक विफलता के रूप में समाप्त हो गया। यही कारण है कि आज के ईसाई जो निकेन पंथ का पालन करते हैं, वे सभी अभी भी यीशु में विश्वास करने के बावजूद पापी के रूप में जी रहे हैं।
प्रोटेस्टेंट सुधारकों में, ईसाई सिद्धांतों को व्यवस्थित करने में सबसे अधिक सफलता प्राप्त करने वाले धर्मशास्त्री जॉन केल्विन, एक फ्रांसीसी हैं। उन्होंने ईसाई धर्म के नियम लिखे, जो उनके पांच कैल्विनवादी सिद्धांतों के आसपास केंद्रित थे। हालाँकि, क्योंकि केल्विन ने भी, निकेन पंथ पर अपने विश्वास को आधारित किया, वह और उसके कई अनुयायी भी प्रभु की धार्मिकता को समझने में विफल रहे। इसे स्पष्ट करने के लिए, भले ही प्रभु ने कहा कि कोई व्यक्ति परमेश्वर के राज्य में तभी प्रवेश कर सकता है जब वह पानी और आत्मा से नया जन्म लेता है, इन दिनों कोई भी नहीं है जो उस "पानी" को समझता है और उसकी गवाही देता है जिसके बारे में प्रभु ने बात की थी। यह बहुत ही भयानक त्रासदी है।
हम देख सकते हैं कि जिस "पानी" के बारे में प्रभु यहाँ बात कर रहे हैं, वह उस बपतिस्मा को दर्शाता है जो यीशु ने यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से इस संसार के पापों को उठाने के लिए प्राप्त किया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि उद्धारकर्ता यीशु के लिए पापियों को, जो आदम के वंशज हैं, उनके पापों से छूटकारा दिलाने के लिए, उन्हें स्वयं स्त्रियों से जन्मे उनमे सबसे महान यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा मानव जाति के सभी पापों को दूर करना था। इसलिए, जब यीशु बपतिस्मा लेने वाले थे, तो उन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को यह कहते हुए समझाया, "ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमारे लिए यह उचित है कि हम सब धार्मिकता को पूरा करें" (मत्ती 3:15)। जैसा कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने हमारे लिए प्रभु को बपतिस्मा दिया था, परमेश्वर ने स्वयं पापियों के अधर्मों को सहन किया, और उसने मनुष्यों के लिए अपने पापों को यीशु को पारित करना संभव बनाया। इसका अर्थ यह है कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेकर और इस प्रकार संसार के सभी पापों को उठाने के द्वारा मानवजाति को उनके पापों से छुड़ाया है। अब हम उस बपतिस्मा में विश्वास करके यीशु पर अपने पापों को पारित करने में सक्षम हैं जो उसने मानवजाति के पापों को दूर करने के लिए प्राप्त किया था।
यह पानी का बाइबल आधारित अर्थ है। इसका अर्थ है कि यीशु ने हमारे पापों को उठा लिया और उन्हें अपने पानी से हमेशा के लिए धो दिया। इसका अर्थ है कि प्रभु, त्रिएक परमेश्वर के पुत्र के रूप में, अपने बपतिस्मा के माध्यम से इस संसार में आदम के वंशजों द्वारा किए गए सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया। इसलिए हमें इस तथ्य को कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम सभी पानी और आत्मा से तभी नया जन्म ले सकते हैं, जब हम यह समझते हैं कि यीशु का बपतिस्मा वह कार्य है जिसके माध्यम से उन्होंने हमारे पापों को एक बार और हमेशा के लिए सहन कर लिया, और हमारे ह्रदय से उस पर विश्वास करें, और इस प्रकार विश्वास के द्वारा हमारे सभी पापों को यीशु को सौंप दें। यह बिल्कुल जरूरी है कि हम इस पर विश्वास करें।
 

आइए हम विश्वास के अपने सांप्रदायिक मतभेदों के ऊपर लड़ाई न करे

यहाँ उस सामरी स्त्री ने यीशु से कहा, “तू यहूदी है, और यहूदी कहते हैं कि हमें यरूशलेम में आराधना करनी चाहिए, जबकि हमारे बाप-दादा कहते हैं कि हमें गिरिज्जिम पर्वत पर आराधना करनी चाहिए, तो हम क्या करें?” जैसा कि हम देख सकते हैं कि महिला क्या कह रही थी, उन दिनों सामरी लोग कह रहे थे कि गिरिज्जिम पर्वत पर परमेश्वर की आराधना की जानी चाहिए। वे यह तर्क देते हुए यहूदियों से झगड़ रहे थे कि यरूशलेम आराधना का सही स्थान नहीं है। हालाँकि इस्राएल एक राष्ट्र था, फिर भी उसके पास परमेश्वर की आराधना के लिए दो स्थान थे। इसलिए, यहूदी और सामरी एक ही प्रभु परमेश्वर में विश्वास करते हुए भी आपस में लड़ रहे थे।
मूल रूप से, इज़राइल के लोगों के लिए आराधना का केवल एक ही स्थान था, जो यरूशलेम में मंदिर था। इसलिथे इस्राएल के सब लोग प्रायश्चित्त के दिन का बलिदान चढ़ाने यरूशलेम को गए थे। हालाँकि, राजा यारोबाम के दिनों में, जब मूर्तिपूजा बड़े पैमाने पर चल रही थी, इस्राएल दो राज्यों में विभाजित हो गया था। यह मूर्तिपूजकों पर परमेश्वर के क्रोध के कारण हुआ। यही कारण है कि सामरी स्त्री अपने मन में उलझन में थी, सोच रही थी, "आशीर्वाद पाने के लिए मुझे कहाँ आराधना करनी चाहिए? यदि मैं यरूशलेम के मन्दिर में उसकी आराधना करूं तो क्या मुझ पर परमेश्वर की आशीष होगी?” महिला के लिए इस तरह आश्चर्य करना काफी समझ में आता था, क्योंकि इज़राइल राष्ट्र दक्षिणी और उत्तरी राज्यों में विभाजित हो गया था और 200 वर्षों से इस मुद्दे पर एक-दूसरे से लड़ रहे थे।
हालाँकि, यीशु ने उस स्त्री से कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह यरूशलेम में या गिरिज्जिम पर्वत पर आराधना करती है, उसने उससे कहा, “लेकिन वह समय आता है, वरन अब भी है, जब सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे; क्‍योंकि पिता अपने लिए ऐसे ही आराधकों को ढूंढ़ता है। परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करने वाले आत्मा और सच्चाई से आराधना करें" (यूहन्ना 4:23-24)। यीशु सामरी स्त्री से कह रहा था, “इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम कहाँ परमेश्वर की आराधना करते हो। परन्तु वह समय आता है जब तुम पिता परमेश्वर की आत्मा और सच्चाई से आराधना करोगे।” यहाँ, यीशु मसीह कह रहे थे कि जब उन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर इस संसार के पापों को उठा लिया, तो वह दिन आ रहा था जब लोग अपने पापों को उसके ऊपर पारित करने के द्वारा अपने हृदयों में पापों की क्षमा प्राप्त करेंगे, और विश्वास के द्वारा उनके उद्धारकर्ता परमेश्वर की आराधना करेंगे।
क्योंकि लोग आज निकेन पंथ से प्रभावित हुए हैं, हर कोई जो अब यीशु में विश्वास करता है वह पापी बना रहता है। इसलिए हम सभी को अब से विश्वास करना चाहिए कि यीशु ने इस दुनिया के पापों को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठाया, अपना लहू बहाया, क्रूस पर मर गया, और इस तरह न केवल हमारे सभी पापों को धो दिया, बल्कि उसका दंड भी चुकाया; और अपने उद्धारकर्ता के रूप में यीशु में इस विश्वास के माध्यम से, हमें अपने हृदय के पापों को धोना चाहिए, नया जन्म लेना चाहिए, और धर्मी बनना चाहिए, ताकि हमारे पास पवित्र परमेश्वर की आराधना करने के लिए कुछ भी कमी न हो। जैसा कि अक्सर कहा जाता है, दाहिने पैर पर उतरना महत्वपूर्ण है। इसी तरह, यदि हम यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करना चाहते हैं, तो हमें उस वचन के माध्यम से प्रभु से मिलना चाहिए जो हमें पानी और आत्मा से नया जन्म लेने में सक्षम बनाता है, जैसा कि बाइबल के दोनों नियमों में प्रकट किया गया है। तब ईसाइयों को सांप्रदायिक या सैद्धांतिक मतभेदों पर लड़ने की कोई आवश्यकता नहीं होगी जैसा कि वे इन दिनों कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हर कोई अपने पापों से यह विश्वास करके शुध्ध हो सकता है कि यीशु जिसने अपने शरीर पर मानव जाति के पापों को स्वीकार किया, वह उद्धारकर्ता है।
हालाँकि, जब 325 ईस्वी में निकिया की पहली परिषद में निकेन पंथ का निर्माण किया गया था, तो यीशु के बपतिस्मा को इस पंथ से बाहर कर दिया गया था ताकि लोगों को यह पता न चले कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उन्होंने मानव जाति के पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठा लिया। परिणामस्वरूप, ईसाई तब से बिना बपतिस्मा के ही क्रूस पर चढ़ाए गए यीशु पर विश्वास करने लगे, जिसके माध्यम से उन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से मानव जाति के पापों को स्वीकार किया, और यह आज भी जारी है। क्योंकि इतने सारे ईसाई सिर्फ क्रूस पर मरे यीशु को जानते हैं, वे वास्तव में यह समझे बिना विश्वास करते हैं कि उन्हें कितना आभारी होना चाहिए कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उनके पापों को उठाया है। यही कारण है कि जब से उन्होंने यीशु पर विश्वास नहीं किया तब से वे अब भी बिना किसी परिवर्तन के पापियों के रूप में जी रहे हैं।
आज, ईसाई लोग दुनिया के किसी भी अन्य धार्मिक लोगों की तरह मात्र धार्मिक अभ्यासी बन गए हैं। हमें यहां स्पष्ट रूप से यह समझना चाहिए कि दुनिया के धर्म मानव जाति के अपने विचारों पर भरोसा करने के लिए कुछ उद्देश्यों को बनाते है, और जो लोग ऐसे उद्देश्यों पर अपना विश्वास रखते हैं वे धार्मिक अभ्यासी हैं। तो फिर आपके बारे में क्या? एक ईसाई के रूप में जो आज यीशु में विश्वास करता है, क्या आप एक धार्मिक अभ्यासी हैं, या आप ऐसे व्यक्ति हैं जो बाइबल में लिखे गए पानी और आत्मा के वचन में विश्वास करके आपके पापों से नया जन्म पाए हुए है? हम सभी इन दो प्रकार के लोगों में से किसी एक प्रकार के है। हमारे लिए यह समझना अनिवार्य है कि यीशु ने जब कहा कि, "वह समय आता है जब तुम पानी और आत्मा से नया जन्म पाओगे, उस पर विश्वास करो और उसे अपना पिता कहो, और उसकी आराधना करो" इसका क्या अर्थ है।
यहाँ नया जन्म पाए हुए के विश्वास से आराधना करने का अर्थ निम्नलिखित है। जब प्रभु इस पृथ्वी पर आए, तो उनके लिए यह उचित था कि वे यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के पास जाएं और 30 वर्ष की आयु में उनके द्वारा परमेश्वर की सभी धार्मिकता को पूरा करने के लिए बपतिस्मा लें। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा यीशु को मानव जाति के पापों को उठाना था। यहाँ, यीशु मसीह ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा प्राप्त किया, जिसका अर्थ है कि उसने इस संसार के पापों को अपने शरीर पर उठा लिया और पिता परमेश्वर की इच्छा के अनुसार उसे दूर किया। यही वह उद्देश्य था जिसके लिए पिता परमेश्वर ने अपने पुत्र को इस पृथ्वी पर भेजा था। इसलिए परमेश्वर ने यीशु को 30 साल की उम्र में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा देकर मानव जाति के सभी पापों को एक बार और हमेशा के लिए उसके ऊपर दाल दिए।
यीशु ने मानवजाति के प्रायश्चित के लिए पिता परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए बपतिस्मा लेने के द्वारा अपने शरीर पर मानव जाति के पापों को स्वीकार किया। पुराने नियम के युग के दौरान, जब एक पापी परमेश्वर के सामने आना चाहता था, तो उसे पहले एक बलि पशु को लाना पड़ता था, उसके सिर पर हाथ रखकर अपने पापों को उसके ऊपर पारित करना पड़ता था, और याजकों के माध्यम से उसे मारना पड़ता था। पुराने नियम के युग में महायाजक ने भी इस्राएल के लोगों के पापों बलि पशु के सिर पर हाथ रखकर उस पर पारित किए थे। उसी तरह, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने यीशु के सिर पर हाथ रखकर और उसे बपतिस्मा देकर पापियों के अधर्म को यीशु की देह परपारित किया (मत्ती 3:13-17)। इसलिए, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा, यीशु ने प्रत्येक व्यक्ति के स्थान पर मानव जाति के पापों के प्रायश्चित के रूप में खुद को परमेश्वर को बलिदान कर दिया, और इस तरह वह उन लोगों का उद्धारकर्ता बन गया जो अब उस पर विश्वास करते हैं। इसलिए यीशु ने कहा, "जो परमेश्वर की आराधना करते हैं, वे उस विश्वास से आराधना करें जिसने उनके ह्रदय के पाप धो दिए हैं," क्योंकि वह परमेश्वर का पुत्र है।
सामरी स्त्री ने कहा, "मैं जानती हूं कि मसीह जो ख्रिस्त कहलाता है, आनेवाला है, जब वह आएगा, तो हमें सब बाते बता देगा।" यह स्त्री जानती थी कि मसीह इस धरती पर उद्धारकर्ता के रूप में आ रहा हैं। उसने आशा के साथ विश्वास किया, "जब मसीह इस पृथ्वी पर आएगा, तो वह इन सभी समस्याओं का समाधान करेगा और हमें हमारे पापों से बचाएगा। वह हमें सिखाएगा कि गिरिज्जिम पर्वत पर आराधना करना उचित है या यरूशलेम में।”
फिर यीशु ने वचन 26 में स्त्री से अपने बारे में कहा, "मैं जो तुझ से बोल हूं, वही हूं।" उसने उस से अपनी गवाही दी, और कहा, “मैं जो तुझ से बातें करता हूं, वही मसीह हूं। आप जिस की प्रतीक्षा कर रहे हैं, वह कोई और नहीं बल्कि मैं है।” यीशु अच्छी तरह जानता था कि यह स्त्री किसकी प्रतीक्षा कर रही है। प्रभु ने उसके हृदय के भीतर देखा। तब वह स्त्री अपना घड़ा छोड़कर अपने नगर को लौट गई, और अपने पड़ोसियों को यह गवाही दी, कि यीशु ही मसीह है, और कहा, "मैं उस मसीह से मिली हूं, जिसके आने की भविष्यद्वाणी की गई थी!" इस तरह, सामरी स्त्री आने वाले मसीह के रूप में यीशु से मिली और बच गई।
मैं यहां जो बात कहना चाहता हूं वह यह है: जिस तरह सामरी स्त्री का किस जगह पर आराधना करनी चाहिए यह प्रश्न आज इतना महत्वपूर्ण नहीं है, चाहे हम कैल्विनवादी धर्मशास्त्र में विश्वास करें, आर्मीनियाई धर्मशास्त्र, या वेस्लेयन धर्मशास्त्र पर विश्वास करे यह हमारे लिए महत्वपूर्ण नहीं है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हम जानते हैं और विश्वास करते हैं कि प्रभु इस दुनिया में आए, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा आपके और मेरे यानी जगत के पापों को उठाया, क्रूस पर चढ़ाया गया, और हमारे स्थान पर क्रूस पर मर गया। आइए हम समझे कि परमेश्वर हमें पहले हमारे उद्धार तक पहुँचने के लिए उस यीशु पर विश्वास करने के लिए कह रहे हैं जिसने बपतिस्मा प्राप्त किया, जिन्होंने हमारे पापों को दूर करने के लिए अपना लहू बहाया, और आइए हम विश्वास से पापों की क्षमा प्राप्त करें और परमेश्वर के सामने नया जन्म लें।
हमें यहां यह समझना चाहिए कि यीशु के बपतिस्मा के वचन में विश्वास करके पापों को एक बार और हमेशा के लिए अपने ह्रदय में धोने को स्वीकार करना ही सबसे महत्वपूर्ण नया जन्म प्राप्त करने का विश्वास है। इसलिए यीशु ने कहा, "परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करने वाले आत्मा और सच्चाई से आराधना करें।"
 


यीशु हम सब के लिए सच्चा मसीह है


जिस सांसारिक धार्मिक विश्वास से हम सभी परिचित हैं, वह उद्धार के सत्य से भिन्न है, जो यह घोषणा करता है कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को उठाने और उन्हें शुध्ध करके हमें नया जन्म प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया है। हमें इस तथ्य को यहां स्पष्ट रूप से समझना चाहिए। अपने विचारों के अनुसार यीशु के क्रूस पर विश्वास करना हमारे अपने विचारों पर विश्वास करने के समान है। जब ऐसे लोग भी उद्धार में विश्वास करते हैं जो यीशु ने हमें उनके विचारों के स्तर के अनुसार दिया है, तो वे अंत में अपने स्वयं के बनाए धर्म में विश्वास करते हैं। इसलिए, यदि कोई यीशु पर अपने विचारों के अनुसार विश्वास करता है, तो यह व्यक्ति सांसारिक धर्म का अभ्यासी बन जाएगा और अंततः यीशु के शिष्यों को सतानेवाला बन जाएगा। यदि कोई केवल यीशु के क्रूस में विश्वास करता है, जैसा कि प्राचीन काल से निकेन पंथ में लिखा गया है, तो इसका मतलब है कि यह व्यक्ति वह है जो यीशु से अधिक अपने स्वयं के विचारों में विश्वास करता है, और इसलिए वह एक सांसारिक धार्मिक अभ्यासी बना रहेगा और उसका यीशु से कोई लेना-देना नहीं है।
क्यों? ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे लोगों ने क्रूस पर चढ़ाए गए यीशु को चुना है और उस पर इस दुनिया के धर्मों में से एक के रूप में उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते हैं, और उनका उद्देश्य इस दुनिया में एक सदाचारी जीवन जीने से ज्यादा कुछ नहीं है। इसलिए, उन्हें नहीं लगता कि धर्म के मामले में यीशु पर विश्वास करने में कुछ भी गलत है। इस तरह, जब इस दुनिया में ईसाई यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते हैं, तो वे अपने विश्वासों को देह के विचारों अनुसार ऐसा करते हैं।
एक सांसारिक धर्म में, केवल यह मायने रखता है कि व्यक्ति यीशु में विश्वास करे, और यह व्यक्ति नया जन्म पाया हुआ है या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसा इसलिए है क्योंकि ईसाई इन दिनों केवल यीशु के क्रूस पर विश्वास करते हैं जैसा कि निकेन पंथ में दिखाया गया है। हालाँकि, यह एक पूरी तरह से अलग मामला है जब हम सभी बाइबल के दोनों नियमों में प्रकट परमेश्वर के वचन के अनुसार विश्वास करना चाहते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम विश्वास करते हैं कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने और क्रूस पर चढ़ाए जाने के द्वारा हमारे पापों को उठाया, और हम इस यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि नया जन्म लेने का यह सत्य परमेश्वर के वचन में लिखा हुआ है। हम जानते हैं कि परमेश्वर का वचन हमारे दैहिक विचारों से बहुत अलग है। इसलिए, जब हम यीशु के बपतिस्मा और उसके क्रूस पर चढ़ाए जाने पर विश्वास करते हैं, जैसा कि बाइबल में लिखा है, तो हम अपने सच्चे उद्धार तक पहुँच सकते हैं।
अभी, जो लोग केवल धर्म के रूप में अपने विचारों के अनुसार यीशु पर विश्वास करते हैं, वे मानते हैं कि यदि वे क्रूस पर चढ़े हुए यीशु पर विश्वास करते हैं तो उन्हें बचाया जा सकता है। हालाँकि, प्रभु बाइबल में कह रहे हैं कि जो कोई भी नया जन्म लेना चाहता है, उसे यह विश्वास करना चाहिए कि यीशु ने इस दुनिया के पापों को एक बार और हमेशा के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठाया, और इस तरह उसने हमारे सभी पापों को हमेशा के लिए शुध्ध किया। इस तरह, हम देख सकते हैं कि यीशु के विचार हमारे दैहिक विचारों से बिल्कुल अलग हैं, और वह हमें बता रहा है कि उसने बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाकर हमें हमारे सभी पापों से बचाया है।
बाइबल के वचन के माध्यम से, यीशु हमें बता रहे हैं कि क्योंकि उन्होंने इस दुनिया के पापों को एक बार और हमेशा के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठा लिए, पापी आज विश्वास के द्वारा अपने पापों से उद्धार प्राप्त कर सकते हैं। और हम यह भी देख सकते हैं कि यीशु ही उद्धारकर्ता है जिसने हमारे पापों की मजदूरी को अपने बपतिस्मा और लहू से चुका दिया है। इसलिए, हम विश्वास करते हैं कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किए हुए बपतिस्मा के वचन और क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा एक बार और हमेशा के लिए हम पापियों को बचाया और हमारे पापों की कीमत चुकाई। हम प्रभु के बपतिस्मा और लहू से किए गए प्रायश्चित में विश्वास करके अपने सभी पापों से उद्धार प्राप्त कर सकते हैं।
कैल्विनवाद या आर्मिनियनवाद जैसे धर्मशास्त्र के विभिन्न विद्यालयों के कुछ सांप्रदायिक सिद्धांतों में विश्वास करने से हम अपने सभी पापों से नहीं बचते हैं। इसके बजाए हमने केवल यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किए हुए बपतिस्मा और उसके लहू के द्वारा उद्धार के प्रायश्चित में विश्वास करने के द्वारा बचाए गए है और नया जन्म प्राप्त किया है। हम विश्वास करते हैं कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को बपतिस्मा देने के द्वारा एक बार और हमेशा के लिए इस दुनिया के पापों को यीशु के शरीर पर पारित किया, और यीशु ने अपने शरीर पर इन पापों को उठाते हुए क्रूस पर अपना कीमती लहू बहाया; और हम देख सकते हैं कि इस उद्धार पर विश्वास करने के द्वारा जिसे यीशु ने हमारे लिए पूरा किया है, हम अपने सभी पापों से बचाए गए हैं।
अब 21वीं सदी में भी, हम यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करने के द्वारा हमारे सभी पापों से बचाए गए हैं, जिन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा मानव जाति के पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठाया और उसकी कीमत चुकाने के लिए क्रूस पर अपना लहू बहाने के द्वारा हमारा प्रायश्चित बना। अब हम इस दुनिया में किसी भी धर्मशास्त्रीय सिद्धांत में विश्वास करके नहीं लेकिन उस उद्धार में विश्वास के द्वारा हमारे पापों से बचाए गए हैं जिसे यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए गए लहू के साथ हमारे सभी पापों को मिटाकर पूरा किया है।
वास्तव में, आज सांसारिक कलीसियाओं में केवल पादरियों को ही धर्मवैज्ञानिक विचारों की आवश्यकता है। जब हमारे पापों से उद्धार की बात आती है तो हम पापियों के लिए, धार्मिक सिद्धांत पूरी तरह से बेकार हैं। इसका अर्थ है कि हम केवल उस बपतिस्मा में विश्वास करने के द्वारा ही बचाए जा सकते हैं जो यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया था और पापों का दंड चुकाया था। क्या ऐसा नहीं है? अब हम बाइबल में लिखे पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करके नया जन्म ले सकते हैं। हम उस उद्धार पर विश्वास के द्वारा छुड़ाए जा सकते हैं जिसे यीशु ने पूरा किया है, यह विश्वास करने के द्वारा कि उसने इस संसार के पापों को एक बार और हमेशा के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा प्राप्त करके उठा लिए और अब हमें उस बहुमूल्य लहू से बचाया जो उसने क्रूस पर बहाया। सामान्य विश्वासियों के लिए, धार्मिक सिद्धांत या प्रशिक्षण पूरी तरह से बेकार है। केवल इस पर विश्वास करने के द्वारा कि हमारे प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा इस दुनिया के पापों को उठाया, और क्रूस पर अपना लहू बहाकर बलिदान दिया, हम पापों की क्षमा प्राप्त कर सकते हैं। यह नितांत महत्वपूर्ण है कि हम सभी इस बिंदु पर स्पष्ट हों।
अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत से ही, यीशु ने इस दुनिया के पापों को एक बार और हमेशा के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठाया, और प्रभु ने क्रूस पर बहाए गए बहुमूल्य लहू के साथ हमारा प्रायश्चित किया। हमें यहां यह समझना चाहिए कि यह विश्वास करके कि यह प्रभु हमारा उद्धारकर्ता है, हम वही विश्वास प्राप्त कर सकते हैं जो प्रारंभिक कलीसिया के संतों में था। कई ईसाई आजकल धार्मिक पंथों, पश्चाताप की प्रार्थनाओं, या विभिन्न संप्रदायों द्वारा समर्थित क्रमिक पवित्रता के सिद्धांत से थक चुके हैं। हममें से कुछ लोग पापों से बचने के लिए पश्चाताप की प्रार्थना करते है या क्रमिक पवित्रीकरण के सिद्धांत में अपना विश्वास रखते है, लेकिन हमारे पापों को दूर करने के लिए इस तरह के सैद्धांतिक विश्वास पूरी तरह से बेकार थे।
इस बात की परवाह किए बिना कि आपने किस प्रकार का धार्मिक प्रशिक्षण प्राप्त किया होगा, जब यीशु द्वारा स्वीकृत विश्वास की बात आती है तो ऐसी चीजें किसी काम की नहीं होती हैं। उद्धार केवल इस विश्वास से प्राप्त होता है कि हमारे प्रभु ने इस दुनिया के सभी पापों को एक बार और हमेशा के लिए यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से उठाया, उन्होंने हमारे एक बार और हमेशा के लिए क्रूस पर अपना लहू बहाकर पापों की मजदूरी चुकाई, और यह हमारे उद्धार का गठन करता है।
इस दुनिया में आम लोगों के बीच, अब बहुत सारे विश्वासी हैं, जो धर्मशास्त्र का अध्ययन न करने के बावजूद, इस बात पर विश्वास करने के द्वारा अपने सभी पापों से बचाए गए है कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को उठा लिया है और क्रूस पर अपना लहू बहाया है। इन दिनों, यह ज्यादातर पादरी हैं जिन्होंने धर्मशास्त्र का अध्ययन किया है, धार्मिक सिद्धांतों में विश्वास करते हैं, और अपने स्वयं के धर्मशास्त्र की श्रेष्ठता का दावा करते हैं। हालाँकि, हमें यह समझना चाहिए कि सामान्य विश्वासियों ने उस सत्य पर विश्वास करते हुए अपने सभी पापों से नया जन्म प्राप्त किया है कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर जगत के पापों को उठाया और उन्हें साफ़ किया। अब ऐसे आम लोग हैं जिन्हें धर्मशास्त्र का थोड़ा सा भी ज्ञान नहीं है, जो अभी भी इस विश्वास के द्वारा अपने पापों से पूरी तरह से धोए नहीं गए हैं कि यीशु इस पृथ्वी पर आए, इस दुनिया के पापों को एक बार और हमेशा के लिए उस बपतिस्मा के माध्यम से उठाया जो उन्होंने हमें बचाने के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किया था और क्रूस पर अपना लहू बहाया था। क्योंकि हम सभी यीशु की धार्मिकता में पूरे दिल से विश्वास करते हैं जिन्होंने अपने बपतिस्मा और लहू के साथ इस दुनिया के पापों को दूर कर दिया है, इस विश्वास से हम एक बार और हमेशा के लिए अपने सभी पापों की माफ़ी प्राप्त कर सकते हैं।
क्या केल्विन धर्मशास्त्री ने हमें इस संसार के पापों से बचाया? क्या आर्मिनियनवाद के संस्थापक ने हमें एक बार और हमेशा के लिए इस दुनिया के पापों से बचाया? नहीं, ऐसे सभी लोग अधिक पैसा कमाने के लिए अपने स्वयं के धार्मिक सिद्धांतों का उपयोग करने वाले से अधिक कुछ नहीं हैं। प्रभु अब चाहते हैं कि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करें। तो फिर आपके बारे में क्या? क्या आप वास्तव में इस तथ्य को जानते हैं कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा यीशु ने इस संसार के पापों को हमेशा के लिए उठा लिया था? इस दुनिया के धर्मशास्त्री हमें यह सत्य सिखाने में असमर्थ हैं। इसके बावजूद, कई पादरी इस तरह अहंकार में लिप्त होते हैं जैसे कि वे इस दुनिया के पापियों को उनके पापों से बचा सकते हैं, केल्विनवादी धर्मशास्त्र का अध्ययन करने के लिए खुद पर बहुत गर्व करते हैं। भले ही वे प्रभु के बपतिस्मा और उसके क्रूस के सुसमाचार को नहीं जानते हैं, फिर भी वे इसे जानने का दिखावा करते हैं। वे आत्म-अभिमानी हैं, मानो वे यीशु के भाई या बहन हों, और मानो उन्हें उसका आत्मिक अधिकार विरासत में मिला हो।
हालाँकि, वास्तव में, इन पादरियों को भी, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने वाले यीशु में विश्वास करके अपने पापों से शुध्ध होना चाहिए। फिर भी, भले ही वे स्वयं इतनी विकट स्थिति में हों, और इस तथ्य के बावजूद कि वे उद्धार के सत्य से अनजान हैं कि यीशु ने इस संसार के पापों को यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठा लिया, फिर भी वे सेमिनरी में प्राप्त धार्मिक सिध्धांत के साथ मण्डली की आत्माओं के ऊपर प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। ये लोग उद्धार के सुसमाचार के वचन को भी नहीं जानते हैं जिसे प्रभु ने अपने द्वारा प्राप्त किए गए बपतिस्मा और मानव जाति के लिए क्रूस पर बहाए गए लहू के साथ स्थापित किया है, तो आप ऐसे लोगों द्वारा स्वयं को आत्मिक रूप से उत्पीड़ित होने की अनुमति कैसे दे सकते हैं? वे अपनी मण्डली से कहते हैं, "जो कुछ मैं तुम्हें सिखा रहा हूँ, वह तुम क्यों नहीं सीख रहे हो, जबकि तुम धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों के बारे में कुछ नहीं जानते?" ऐसे लोग आपसे झूठ बोलने वाले धोखेबाजों से ज्यादा कुछ नहीं हैं। उनके सामने भयभीत न होना, क्योंकि वे सिर्फ बदमाश हैं जो अपनी मंडली पर हावी होकर और अपने चर्च के दान को लूट कर अपने जीवन को समृद्ध बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
आपको यहां यह समझने की आवश्यकता है कि पूरी दुनिया में ईसाई पापी के रूप में जी रहे हैं क्योंकि वे इस तथ्य में विश्वास नहीं करते हैं कि प्रभु ने अपने बपतिस्मा के माध्यम से मानव जाति के पापों को सहन किया, और ये ईसाई परमेश्वर के दुश्मनों में बदल रहे हैं। इसलिए, यह मेरी आशा और प्रार्थना है कि अब से, आप पानी और आत्मा के वचन को ध्यान से सुनें, जिसके बारे में बाइबल कहती है, उस पर विश्वास करें, और इस तरह अपने उद्धार तक पहुँचें। किसी भी पापी को केल्विन, आर्मिनियस, लिविंगस्टन, या किसी अन्य धर्मशास्त्रियों द्वारा समर्थित किसी सिद्धांत की आवश्यकता नहीं है। पापियों को केवल उस उद्धार की आवश्यकता है जिसे यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने और अपना लहू बहाने के द्वारा परिपूर्ण किया है।
बाइबल के दोनों नियमों के अनुसार, यीशु पापियों का उद्धारकर्ता है। जब परमेश्वर ने आदि में आकाश और पृथ्वी को बनाया, तब यीशु मसीह वचन का परमेश्वर था जिसने सभी चीजों को बनाया। वह वही है जिसने सभी मनुष्यों के पूर्वज आदम और हव्वा को बनाया। जब आदम और हव्वा ने परमेश्वर के वचन में विश्वास न करके पाप किया और उसके साथ एक बहुत करीबी संबंध से अलग हो गए, तो यीशु इस पृथ्वी पर मनुष्य के शरीर में देहधारण करके परमेश्वर पिता की इच्छा का पालन करते हुए आए। इस प्रकार इस पृथ्वी पर आने के बाद, परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह ने 30 वर्ष की उम्र में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से मानव जाति के पापों को उठाया, क्रूस पर मृत्यु के लिए अपना लहू बहाया, और इस तरह हमारे सभी पापों को दूर किया।
यह प्रायश्चित का बलिदान है जिसे प्रभु ने हम पापियों के लिए बनाया है। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से यीशु को बपतिस्मा दिया गया था, क्रूस पर चढ़ाया गया था, और अपना लहू बहाया और क्रूस पर मर गया। इसका अर्थ यह है कि यीशु हमारा प्रायश्चित बन गया और उसने बपतिस्मा लेकर और मृत्यु के लिए अपना लहू बहाकर हमारे पापों की मजदूरी का भुगतान किया। इस तरह, क्योंकि मानवजाति के पापों की मजदूरी का भुगतान प्रभु के बपतिस्मा और लहू से किया गया था इसलिए अब हम परमेश्वर के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन में विश्वास के द्वारा अपने सभी पापों से छूटकारा पाने में सक्षम हैं।
प्रभु हमारा उद्धारकर्ता है जिसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को उठाने और क्रूस पर अपना बहुमूल्य बहाकर हमारे पापों की कीमत चुकाने के द्वारा हमें इस संसार के पापों से मुक्त किया है। यह यीशु ही है जिसने हमारे पापों की मजदूरी का भुगतान यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा और उसके द्वारा बहाए गए लहू से किया। इसलिए, यह यीशु के भले कार्य में विश्वास करने के द्वारा ही हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम हैं। प्रभु स्वर्ग के राज्य का महायाजक और मसीहा है जिसने हमें बचाया है। यीशु उद्धारकर्ता और स्वर्ग का प्रभु है, और वह हमारा अनंत उद्धारक है जो इस पृथ्वी पर आया और हमारे पापों की मजदूरी को अपने बपतिस्मा के पानी और अपने लहू से चुकाया। वह जीवन का प्रभु है जिसने हमें नया जीवन दिया है, वह हमें सच्चे प्रकाश के रूप में ढूंढता हुआ आया, उसने हमारे पापों के सभी अन्धकार को एक बार और हमेशा के लिए अपने बपतिस्मा और लहू से दूर कर दिया, और उसने हमें ज्योति की संतान बनाया। यीशु के उद्धार के सत्य के बिना, इस दुनिया में कौन सा धर्मशास्त्री, और कौन सा धर्मशास्त्रीय सिद्धांत, हम जो पापों में पड़े हुए है उन्हें जगत के पापों से बचा सकता है? ऐसा कोई नहीं है। जिस ने हम पापी को पापरहित बनाया है, वह कोई और नहीं बल्कि यीशु मसीह है।
केल्विन धर्मशास्त्री ने "बिना शर्त चुनाव" के सिद्धांत को बनाया। उन्होंने तर्क दिया कि परमेश्वर ने कुछ लोगों को उद्धार के लिए चुना है लेकिन दूसरों को नहीं चुना। जब हम केल्विन के कार्य की ओर मुड़ते हैं, तो हम देखते हैं कि वह बाइबल में याकूब और एसाव का संदर्भ देकर बिना शर्त चुनाव के अपने सिद्धांत की व्याख्या करता है। जब दोनों बच्चे अपनी माता के गर्भ में थे, तब परमेश्वर ने कहा, "बड़ा छोटे की सेवा करेगा," और, "याकूब से मैंने प्रेम किया, परन्तु एसाव को मैंने अप्रिय जाना।" केल्विन ने तर्क दिया कि चूंकि वे बच्चे इस पृथ्वी पर पैदा हो उससे पहले ही परमेश्वर ने एक से प्रेम करना और दुसरे को घृणा करना पसंद किया था, उसी तरह, जब हम इस पृथ्वी पर पैदा भी नहीं हुए थे उससे पहले ही परमेश्वर ने हम में से कुछ लोगों को चुना था जबकि अन्य लोगों को नहीं चुना। इसलिए, केल्विन के अनुसार, कुछ लोग परमेश्वर के चुने हुए हैं, जबकि अन्य लोगों को उद्धार तक नहीं पहुंचने के लिए पूर्वनिर्धारित किया गया था क्योंकि उन्हें चुना नहीं गया था। हालाँकि, यह केल्विन के स्वयं के मनमाने ढंग से पढ़ने से उपजी परमेश्वर के वचन की गलत व्याख्या है। हमें यहाँ यह समझना चाहिए कि परमेश्वर ने ऐसी छोटी सोच वाली बात नहीं कही, क्योंकि वह एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष परमेश्वर है।
लिखा है, "क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, कि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना 3:16)। इसका अर्थ यह है कि जब यीशु इस धरती पर आए, तो उन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर इस दुनिया के प्रत्येक लोगों के सभी पापों को उठाया और क्रूस पर अपना बहुमूल्य लहू बहाने के द्वारा पापों का दंड सहा, क्योंकि उसने सभी से प्रेम किया था। .
यदि हम केल्विन के तर्क का अनुसरण करते हैं, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि यीशु ने कुछ लोगों के पापों को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठाया लेकिन दूसरों के पापों को नहीं उठाया। हालाँकि, यह बिल्कुल वैसा नहीं है जैसा बाइबल कहती है। इसके विपरीत, प्रभु कह रहे हैं कि उन्होंने अपने बपतिस्मा के माध्यम से और मरने के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति के पापों को उठाने के द्वारा सब को बचाया है। यीशु ने बिना किसी कारण के कुछ खास, विशिष्ट लोगों को नहीं चुना और बचाया। यीशु पवित्र है, लेकिन वह एक न्यायी परमेश्वर भी है, और इसलिए यह दावा कि उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से कुछ लोगों के सभी पापों को उठाया, लेकिन दूसरों के पापों को नहीं उठाया, परमेश्वर की निष्पक्षता को बहुत कम करता है।
यीशु ने इस दुनिया में हर किसी के पापों को एक बार और हमेशा के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठाया, और क्रूस पर बहाए लहू और मृत्यु से प्रत्येक व्यक्ति के पापों की कीमत चुकाई, और इस तरह उसने अपने सभी विश्वासियों को बचाया है। यह इब्रानियों 10:13-14 में लिखा गया है कि, "और उसी समय से इसकी बात जोह रहा है, कि उसके बैरी उसके पांवों के निचे की पीढ़ी बने। क्‍योंकि उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्‍हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है।” परमेश्वर यहाँ कह रहा है कि उसके पुत्र ने इस संसार के पापों को उस बपतिस्मा के द्वारा अपने ऊपर ले लिया जो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया था, और यह कि पुत्र ने क्रूस पर अपने लहू से मानवजाति के पापों की मजदूरी का भुगतान किया।
आइए फिर से यूहन्ना 3:16 की ओर मुड़ें: "क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।" जिस प्रकार परमेश्वर ने स्वयं इस दुनिया में सभी के पापों को एक बार और हमेशा के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा प्राप्त करने और मृत्यु तक क्रूस पर अपना लहू बहाने के द्वारा उठाया, परमेश्वर पिता ने उन सभी लोगों के सभी पापों की समस्या को हल कर दिया है जो इस तथ्य पर विश्वास करते हैं और उन्हें अपनी संतान के रूप में स्वीकार किया।
हालाँकि, कुछ लोग अपने दिल में उद्धार के हर उस वचन को स्वीकार करते हैं जिसे परमेश्वर ने उनके लिए पानी और आत्मा से नया जन्म लेने के लिए तैयार किया है, अन्य लोग ऐसा नहीं करते हैं। फिर भी, जो कोई यह स्वीकार करता है कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा एक बार और हमेशा के लिए जगत के पापों को उठा लिया है और साफ़ किया है वे उनके सभी पापों से बच गए। जब ऐसे लोगों को उनके पापों से बचाया जाता है, तब सच्चा वचन कि यीशु ने वास्तव में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उनके पापों को उठाया और शुध्ध किया, उनके प्रमाण के रूप में रहता है, और इसलिए उनके ह्रदय पापों से शुध्ध है ऐसे विश्वास के द्वारा वे स्वर्ग में प्रवेश करने में सक्षम होते हैं।
इसके विपरीत, जो लोग अपने दिलों में यह स्वीकार नहीं करते हैं कि यीशु का बपतिस्मा उनके पापों को सहन करने के लिए था, वे प्रभु द्वारा तैयार किए गए पापों की माफ़ी को प्राप्त नहीं कर सकते हैं, और इसके परिणामस्वरूप उनके हृदयों में उनके पापों को बरकरार रखते हुए उन्हें नरक में डाल दिया जाएगा। क्योंकि ऐसे लोगों ने अपने दिलों में इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया है कि यीशु मसीह ने उनके सभी पापों को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठाया और उन्हें एक बार और हमेशा के लिए साफ़ किया, वे केवल नरक में समाप्त होने के लिए परमेश्वर के प्रेम के खिलाफ खड़े होकर पापी के रूप में बने रहते है।
 


आज के धर्मशास्त्रियों द्वारा समर्थन किया गया धर्मवैज्ञानिक सिद्धांत गलत क्यों हैं इसका कारण


आइए इस मुद्दे को रोमियों के नज़रिए से देखें। रोमियों अध्याय 9 में अपने उपदेश में, प्रेरित पौलुस हमें सिखाता है कि हमारा उद्धार—अर्थात, परमेश्वर से पापों की क्षमा प्राप्त करना—हमारे कार्यों से नहीं, बल्कि उसके द्वारा है जो बुलाता है। यह वचन 10-11 में लिखा गया है, “और केवल यही नहीं, परन्तु जब रिबका भी एक से अर्थात् हमारे पिता इसहाक से गर्भवती थी, और अभी तक न तो बालक जन्मे थे, और न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था; इसलिये कि परमेश्‍वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मों के कारण नहीं परन्तु बुलानेवाले के कारण है, बनी रहे।"
हम सभी अपनी माताओं के गर्भ में थे और 40 सप्ताह के बाद पैदा हुए थे, और अब हम इस दुनिया में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। परमेश्वर की इच्छा यह नहीं है कि हममें से कुछ लोगों को उसके बिना शर्त चुनाव से बचाया जाए जबकि हममें से कुछ लोगों को बचाया न जाए। इसका कारण यह है कि यीशु, स्वयं परमेश्वर ने, बपतिस्मा लेने के द्वारा सभी के पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठा लिया, उसने बहाए हुए लहू से हमारे पापों की मजदूरी चुका दिया, और इस तरह हम सभी को बचाया है। परमेश्वर ने हमें इस संसार के पापों से बचाया है क्योंकि उसने स्वयं इस संसार के पापों को यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उठाया और हमारे पापों की मजदूरी को अपने लहू से चुकाया। यही कारण है कि बाइबल कहती है, "बुलानेवाले के कारण…बनी रहे।"
 


तो फिर परमेश्वर किसे बुलाते है?


परमेश्वर याकूब जैसे लोगों को बुलाता है। वह ऐसे लोगों को बुलाता है, जो याकूब की तरह, कमियों, झूठ और विश्वासघात से भरे हुए हैं और परमेश्वर के बिना खुद से नहीं जी सकते, और ऐसे लोगों पर परमेश्वर अपनी संतान बनने के लिए उद्धार का अनुग्रह प्रदान करता है। परमेश्वर ने कहा, "मैं जिस किसी पर दया करना चाहूं उस पर दया करूंगा, और जिस किसी पर कृपा करना चाहूं उस पर कृपा करूंगा" (रोमियों 9:15)। इसका अर्थ यह है कि हम मानवजाति के किसी भी कार्य के द्वारा नहीं, बल्कि केवल "बुलाने वाले के कार्य" के द्वारा खड़े हैं।
यहाँ बाइबल मानवजाति के "कार्यों" का उल्लेख करती है। यह "जो बुलाता है उसके बारे में" भी बात करता है। इस भाग में संदर्भित एसाव और याकूब की कहानी है, जिन्हें रिबका ने अपने गर्भ में जुड़वा बच्चों के रूप में रखा था। एसाव बड़ा भाई था और याकूब छोटा था। भले ही वे जुड़वाँ थे, फिर भी वे व्यक्तित्व और उनके दिखने के तरीके दोनों में पूरी तरह से अलग थे। उनमें से एक अल्फा पुरुष था, जो अपने दम पर सब कुछ करने में सक्षम था। वह धनुर्विद्या और तलवारबाजी दोनों में महान था, और साथ ही मजबूत भी था। एसाव का पेशा शिकार करना था। इसलिए, उसकी पीठ पर एक तरकश और उसकी कमर पर एक तलवार लटकाकर, वह सुबह खेतों और पहाड़ों पर घूमने के लिए निकल जाता, रास्ते में शिकार करता, और शिकार को अपने माता-पिता के घर वापस लाकर कहता, "माँ, मैंने आज इस हिरण को रात के खाने के लिए पकड़ा है।" उसके पिता अपने शिकार कौशल के लिए एसाव से बहुत प्रेम करते थे।
याकूब बिल्कुल अलग था। वह एक चरवाहा था। एक कोमल, शांत पुरुष था, याकूब अपने भेड़ों के झुंड की देखभाल करता था। मैं आसानी से कल्पना कर सकता हूं कि वह मैदान में खुशी-खुशी गा रहा है, शायद डैनी बॉय जैसा कुछ: "ओह, डैनी बॉय, बांसुरी, बांसुरी घाटी से घाटी तक, और पहाड़ की तरफ नीचे बुला रही हैं। ग्रीष्म ऋतु चली गई है, और सभी गुलाब गिर रहे हैं, यह तुम हो, तुम्हें जाना चाहिए और मुझे ठहरना चाहिए। लेकिन जब गर्मियों में घास का मैदान हो, या जब घाटी बर्फ से ढकी और सफेद हो, तब वापस आ जाओ, मैं वहां धूप में या छाया में रहूंगा।” अपने भाई एसाव के विपरीत, याकूब एक सौम्य, पोषण करने वाला व्यक्ति था। वह कुछ ऐसा व्यक्ति था जो अपनी माँ के द्वारा दिया हुआ दोपहर का भोजन करता था, खेत में दिन बिताता था, और सूर्यास्त के समय घर वापस जाता था और कर्तव्यपरायणता से अपनी माँ को जानकारी देता था। हमें यहाँ यह याद रखने की आवश्यकता है कि परमेश्वर हमें जो उद्धार प्रदान कर रहा है, वह हमारे अपने शरीर के कार्यों पर निर्भर नहीं करता है, चाहे वे अच्छे हों या बुरे।
बाइबल कहती है, “इसलिये कि परमेश्‍वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मों के कारण नहीं परन्तु बुलानेवाले के कारण है, बनी रहे।”  परमेश्वर अच्छी तरह जानता है कि यदि मनुष्य के कार्य इतने परिपूर्ण होते कि वे परमेश्वर पर निर्भर हुए बिना जी सकते थे, तो फिर यदि वे उहे पुकारे तो भी वे उन्हें उत्तर नहीं देंगे। दूसरे शब्दों में, यह एसाव जैसे लोग नहीं बल्कि याकूब जैसे लोग हैं जिन्हें परमेश्वर सभी पापों से छूटकारा देने और उन्हें अपने लोग बनाने के लिए बुलाता है।
अधिकांश लोगों की तरह, मैंने भी, इस दुनिया में एक सदाचारी जीवन जीने की कोशिश की है, लेकिन वास्तविकता ऐसी है कि मुझे आश्चर्य होता है कि मेरे द्वारा कितने लोगों को चोट पहुंची है। मैंने एक बार सोचा कि मैं एसाव जैसा हूँया याकूब जैसा हूँ, और मैं अपने बारे में जो कुछ जानता था, उसे जानकर मैं जिस निष्कर्ष पर पहुंचा, वह यह था कि मैं याकूब की तरह था। मेरे पास कोई शारीरिक शक्ति नहीं थी, और भले ही मैंने धर्मी होने का दिखावा किया और न्यायपूर्ण होने का दावा किया, तब जब भी ऐसी परिस्थिति आई तब मैंने अपने हितों के लिए काम किया। इसलिए, मैं बिल्कुल भी एसाव जैसा महान व्यक्ति नहीं था। इसके विपरीत, मैं कुटिल, त्रुटिपूर्ण, मतलबी, कमजोर और पापों से भरा हुआ था। यह निश्चय ही परमेश्वर की दृष्टि में सच था।
मैं व्यवस्था के वचन के अनुसार जीने में पूरी तरह असमर्थ था। यही कारण है कि मैं अब यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करके जी रहा हूं। जब यीशु इस धरती पर आया, तो उसने इस दुनिया के पापों को एक बार और हमेशा के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा स्वीकार किया, और क्योंकि उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से हमारे पापों को इस तरह से उठाया इसलिए उसने क्रूस पर अपना लहू बहाया। इसलिए, मैंने उस प्रभु में विश्वास किया जिसने मेरे उद्धारकर्ता के रूप में मेरे पापों की कीमत का भुगतान किया। अब, यह केवल मैं ही नहीं हूँ जो मेरे सभी पापों से बचाया गया हूँ, लेकिन जो कोई भी यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किए हुए बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए हुए लहू पर विश्वास करते है वे भी अपने पापों से बचाए गए है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यीशु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन के द्वारा हमें बचाया है। क्या ही अदभुत खबर है यह! हमें बचाने के लिए, परमेश्वर ने अपने पुत्र को इस संसार में भेजकर और उसे यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे सभी पापों को शुध्ध किया।
परमेश्वर की दृष्टि में, इस पृथ्वी पर रहने वाले लोग दो प्रकार के लोगों में से एक हैं। वे या तो एसाव के जैसे या तो याकूब के जैसे हैं। जो लोग परमेश्वर के सामने खड़े होते हैं और उनकी आशीषों को प्राप्त करते हैं, वे सभी याकूब के जैसे हैं। जो व्यक्ति परमेश्वर से अपने पापों की क्षमा प्राप्त करता है, वह एसाव यानी की याकूब के बड़े भाई जैसा नहीं है। जो लोग एसाव के जैसे अभिमानी हैं, वे परमेश्वर के बुलाने पर भी उत्तर नहीं देते हैं।
इंसान इतना कमजोर है कि अगर मस्तिक कोप वायरस से संक्रमित मच्छर ने काट लिया तो वह गर्मियों के बीच में कांप सकता है। ज्यादा गर्मी में भी, वे ओर गर्मी की तलाश में खुद को मोटे कंबलों से ढँक लेते हैं। लेकिन, एक बार जब उन्हें उचित चिकित्सा मिल जाती है, तो वे तुरंत अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं। मनुष्य ऐसे नाजुक प्राणी हैं।
हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके ह्रदय एसाव की तरह के हैं। वे खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत और चतुर समझते हैं, खुद ही ये सोचते है, "मैं ऐसा ही हूँ। मैं चाहूं तो किसी को भी जीत सकता हूं। मैं किसी को भी धोखा दे सकता हूँ और किसी का भी शिकार कर सकता हूँ।” जो लोग इतने दिमाग वाले हैं वे एसाव के जैसे हैं।
परमेश्वर हमारे कार्यों को नहीं देखता, बल्कि वह हमारे हृदयों को देखता है। आज के मसीहियों में, जो परमेश्वर की धार्मिकता के बजाय स्वयं पर भरोसा करके जी रहे हैं, वे एसाव के प्रकार हैं। यहाँ तक कि जब ऐसे लोगों को बताया जाता है कि यीशु ने बपतिस्मा लेकर इस संसार के पापों को उठा लिया और उन्हें इन पापों से बचाने के लिए अपना लहू बहाया, तब भी वे इस यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास नहीं करते।
यीशु हमारा सच्चा उद्धारकर्ता है जो इस पृथ्वी पर आया, उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर मानव जाति के पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठा लिया, और क्रूस पर अपना लहू बहाकर हमारे पापों की कीमत चुकाई। हमारे उद्धारकर्ता के रूप में ऐसे प्रभु में विश्वास करने से ही हम अपने सभी पापों से बच जाते हैं। हमारा प्रभु हम से कह रहा है, “हे सब परिश्रम करनेवालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ, और मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।” यीशु अब हम से कह रहे हैं, “हे सब पाप से दबे हुए लोग, तुम सब पापी जो इस संसार में जीवन के लिये संघर्ष कर रहे हो, मेरे पास आओ, और मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।” यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से प्रभु ने एक बार और हमेशा के लिए हमारे पापों को उठाया, क्रूस पर चढ़ाया गया, क्रूस पर अपना लहू बहाया, और पापों के दंड को सहन कर हमारे पापों की कीमत को चुकाया ताकि वह हमें बचा सकें। इस प्रकार पापों की मजदूरी चुकाकर और मरे हुओं में से फिर जीवित होकर, वह अब हम से कह रहा है, "तुम सब मेरे पास आओ!" हालाँकि, जिनके दिल एसाव के प्रकार के हैं, वे यीशु द्वारा दिए गए उद्धार की ओर नहीं मुड़ते हैं।
यह उस सन्दर्भ का मुख्य बिंदु है जो कहता है, "इसलिए की परमेश्वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मो के कारण नहीं परन्तु बुलाने वाले के कारण है, बनी रहे," जो चुनाव के सिद्धांत के समर्थक गलत व्याख्या कर रहे हैं। हम में से कौन परमेश्वर के सामने खड़ा हो सकता है? परमेश्वर के आशीर्वाद के बीच कौन रह सकता है? वे वो लोग हैं जो स्वयं को प्रभु के हाथों में सोंप देते है और उससे कहते हैं, "प्रभु, मुझे आपकी नितांत आवश्यकता है। मैं अपने पापों के बारे में अपने दम पर कुछ नहीं कर सकता, और न ही मैं इस दुनिया में अपने जीवन को अपने दम पर आगे बढ़ा सकता हूं। मेरा दिल कमियों से भरा है, मैं बहुत लालची हूँ, और मेरी इच्छा भी बहुत कमजोर है जैसे मेरा शरीर बहुत कमजोर है। मुझे अपने जीवन में आपके उद्धार के अनुग्रह और उद्धार के वचन की नितांत आवश्यकता है जो आपने मुझे दिया है, क्योंकि आपने अपने बपतिस्मा और लहू के द्वारा मुझे बचाया है। मुझे आपकी मदद की सख्त जरूरत है, प्रभु।” यह वे लोग हैं जो इस तरह से परमेश्वर से उसकी सहायता मांगते हैं जिन्हें परमेश्वर यीशु मसीह के बपतिस्मा, क्रूस पर उनके लहू, और उनकी मृत्यु को उनके उद्धार के रूप में विश्वास करके उद्धार का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बुलाता है।
हम यीशु मसीह के बपतिस्मा और उसके लहू पर भरोसा करते हैं, इसका अर्थ है कि हम उद्धार के उस अनुग्रह पर भरोसा करते हैं और उस पर विश्वास करते हैं जो प्रभु ने हमें दिया है। दूसरे शब्दों में कहें तो, हम अपनी आत्मा के पापों की क्षमा के लिए विश्वास के द्वारा प्रभु पर भरोसा करते हैं। हमारे लिए यीशु पर भरोसा करना उसके उद्धार पर भरोसा करना है, यह कहते हुए कि, "हे प्रभु, मैं आपके न्याय और प्रेम पर भरोसा कर रहा हूं। मुझे विश्वास है कि आपने मुझे मेरे पापों से छुड़ाया है, और मैं आपके द्वारा प्राप्त किए गए बपतिस्मा और आपके द्वारा बहाए गए लहू में विश्वास करता हूं। मुझे विश्वास दीजिए, प्रभु, कि मैं अपने पापों से उद्धार प्राप्त कर सकूं, और मुझे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए मेरी मदद कीजिए।” यीशु मसीह उन लोगों से प्रसन्न होते हैं जो इस तरह उस पर भरोसा करते हैं, और उनसे उनके पापों के बारे में कहते हैं, "मैंने तुम्हारे पापों का भी ध्यान रखा है। मैंने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने और क्रूस पर अपना लहू बहाकर तुम्हारे पापों की सारी कीमत चुका दी है।” इसलिए, यह विश्वास के द्वारा है कि हम यीशु मसीह के बपतिस्मा और उसके लहू में विश्वास करने के द्वारा बचाए गए हैं जो परमेश्वर की धार्मिकता का गठन करते हैं।
इन सभी अनगिनत लोगों में से, प्रभु उन लोगों को मानव जाति के पापों से उद्धार देते हैं जो परमेश्वर से सहायता की याचना करते हैं और उनसे अपने पापों को मिटाने के लिए कहते हैं। इसके ठीक विपरीत, कुछ लोग यह कहते हुए परमेश्वर की धार्मिकता पर भरोसा नहीं करते हैं, "मुझे परमेश्वर की आवश्यकता नहीं है। मैं परमेश्वर के बजाय अपनी ताकत पर विश्वास करना पसंद करूंगा।” भले ही प्रभु ने अपने हिस्से का काम किया है और ऐसे लोगों के पापों को एक बार और हमेशा के लिए पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन से मिटा दिया है, लेकिन क्योंकि ये लोग यीशु के धर्मी बपतिस्मा और लहू में विश्वास करने से इनकार करते हैं इसलिए प्रभु उनके लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते।
 


बाइबल यह नहीं कहती की परमेश्वर ने बिना शर्त हमें चुना है


जब हम बिना शर्त चुनाव के केल्विनवादी धर्मशास्त्र पर एक नज़र डालते हैं, तो पहली बार में ऐसा लग सकता है कि यह सही है, लेकिन जब हम बाइबल की ओर मुड़ते हैं, तो हम देखते हैं कि ऐसा नहीं है। प्रभु ने रोमियों 9:11 में कहा, "और अभी तक न तो बालक जन्मे थे, और न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था; इसलिये कि परमेश्‍वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मों के कारण नहीं परन्तु बुलानेवाले के कारण है, बनी रहे।” यहाँ, प्रभु कह रहे हैं कि परमेश्वर उन लोगों को नहीं बुलाता है जो उसकी व्यवस्था को अच्छी तरह से पालन करते है, बल्कि वह उन्हें बुलाते हैं जो प्रभु की दृष्टि में दोषपूर्ण हैं, हर समय पाप करते हैं, और परिणाम भुगत रहे हैं, और यह वे लोग हैं जिन्हें परमेश्वर अपनी संतान बनाना है। परमेश्वर ने कहा, "इसलिए कि परमेश्वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मो के कारण नहीं परन्तु बुलानेवाले के कारण है, बनी रहे।" तो फिर, परमेश्वर किसे अपने सामने खड़े होने के लिए बुलाता है? वे एसाव जैसे लोग नहीं हैं, लेकिन याकूब जैसे लोग हैं।
हमें शिक्षित करने के एक तरीके के रूप में, परमेश्वर ने एसाव और याकूब की तुलना करके उद्धार का सत्य बताया ताकि हम इसे और आसानी से समझ सकें। जब परमेश्वर मनुष्यों की ओर देखता है, तो वह सभी से पूछता है, "क्या तुम एसाव हो या याकूब?" इन दो प्रकार के लोगों में से परमेश्वर उन लोगों को उद्धार और अपनी आशीष देता है जो याकूब के समान हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो हर दृष्टि से प्रशंसनीय होने के बावजूद और दुनिया में उनके पास सबकुछ होते हुए भी वे अपने पापों और कमियों को जानते हैं, और उसके अनुदार विश्वास करते है कि परमेश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया और यीशु मसीह की धार्मिकता पर भरोसा करते हैं। ऐसे लोगों के लिए अपने पापों से बचने की अत्यधिक संभावना है। इस तरह के पापियों के लिए, परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु मसीह को इस पृथ्वी पर भेजा और इस संसार के पापों को उस पर पारित करने के लिए उसे यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा दिया, और इस प्रकार प्रभु ने उद्धार प्रदान किया। मनुष्यों में उन लोगों के लिए जो अपनी कमियों को जानते हैं और अब प्रभु के बपतिस्मा के वचन पर भरोसा करके और विश्वास करके अपने पापों से धुलना चाहते हैं, प्रभु ने पाप से उनके उद्धार की तैयारी की है और उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। प्रभु ऐसे लोगों के पापों को मिटाता है जो उसकी धार्मिकता पर भरोषा करते है और उनके भविष्य को सुनिश्चित करते है।
परमेश्वर उन लोगों को उनके पापों से बचाता है जो हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के बपतिस्मा के वचन और उसके द्वारा बहाए गए लहू के वचन में पूरे मन से विश्वास करते हैं। इसलिए, सभी धर्मशास्त्रियों के तर्क और सिद्धांत पानी और आत्मा के उद्धार के सामने पूरी तरह से बेकार हो गए हैं, जिसे प्रभु ने इस पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक पापी को दिया है। वास्तव में, जो लोग इस तरह के तर्क-वितर्क में लिप्त होते हैं, वे परमेश्वर की धार्मिकता के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। फिर भी, वे अपने धार्मिक प्रशिक्षण के बारे में और आगे बढ़ते हैं, और इसके लिए कलीसिया जाने वालों के द्वारा उनका अत्यधिक सम्मान किया जाता है। हालाँकि, भले ही वे अपनी कलीसिया के सामने अपने धार्मिक विचारों के बारे में बोलते और घमंड करते हों, लेकिन उनके पास अपने अनुयायियों द्वारा किए गए पापों को वास्तव में संबोधित करने की कोई क्षमता नहीं होती है।
वे अपनी मण्डली से जो कुछ कहते हैं, वह बस इतना ही है: “प्रार्थना करो और अपने पापों से मन फिराओ, जैसा तुम चाहते हो। परमेश्वर द्वारा दिए गए क्रमिक पवित्रता सिद्धांत पर भरोसा करके अपने जीवन को जारी रखें"। ऐसे लोग धर्मविज्ञान के अध्ययन से सीखे गए सिद्धांतों के बारे में घमंड करना पसंद करते हैं। और वे केवल उन धार्मिक विचारों को सिखाते हैं जो उन्होंने सेमिनरी में सीखे थे। इसका मतलब यह है कि वे धर्मविज्ञान में सिखाए गए सिद्धांतों के अलावा और कुछ नहीं सिखा रहे हैं क्योंकि वे वास्तव में परमेश्वर के वचन के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं। जिन लोगों ने इस संसार के धर्मविज्ञान को सीखा है, वे यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किए हुए यीशु के बपतिस्मा पर भरोषा करने के बजाए उन धर्मशास्त्रियों द्वारा समर्थित सिद्धांतों पर अधिक भरोसा करते हैं जिनका वे सम्मान करते हैं।
इसलिए, ये लोग अक्सर अपनी कलीसिया को उपदेश देते समय मनोहर धर्मवैज्ञानिक शब्दावली का इस्तेमाल करते है। हालाँकि, यह किसी ऐसे व्यक्ति के लिए दार्शनिक शब्दावली का उपयोग करने जैसा है, जिसने दर्शनशास्त्र का अध्ययन नहीं किया है। अपने धर्मोपदेशों को बड़े धार्मिक शब्दों से भर देते हैं जो मण्डली को मुश्किल लगता है, वे सुननेवालों के लिए समझना कठिन बनाते हैं। इस तरह, जिन्होंने दुनिया में धर्मशास्त्र सीखा और एक पादरी के रूप में लाइसेंस प्राप्त किया, वे अब उनके द्वारा सीखे गए धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर प्रचार और सेवा कर रहे हैं, क्योंकि वे सोचते हैं कि वे ऐसे सिद्धांतों के साथ अपनी मंडली की आत्माओं को वश में कर सकते हैं।
तो क्या आप अपने सभी पापों से बचाए जा सकते हैं और स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं क्योंकि आप धर्मशास्त्र का अध्ययन करने वाले अपने पादरी को कर्तव्यनिष्ठा से सुनते हैं? यदि आप धार्मिक विचारों के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं, तो क्या आप पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन को जान पाएंगे और नया जन्म प्राप्त करेंगे? यदि आप यीशु पर विश्वास करते हैं और कलीसिया में बहुत सारा दान देते हैं तो क्या आपके पापों को मिटाया जाएगा? यदि आप अपने आप को प्रभु को समर्पित करते हैं, तो क्या आप इस कार्य के कारण स्वर्ग जाएंगे? क्या आपके ह्रदय में पाप होने के बावजूद भी शहादत आपको स्वर्ग में प्रवेश करने में सक्षम बनाएगी? इन सभी सवालों का उत्तर है ना!
हमें इस तथ्य को कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम सभी अपने स्वभाव से ही पापियों के रूप में पैदा हुए थे क्योंकि हम सभी आदम के वंशज के रूप में पैदा हुए है। ऐसे प्राणियों के रूप में, हम केवल तभी उद्धार प्राप्त कर सकते है जब हम उस प्रभु की इच्छा को ध्यान से सुनते हैं जिसने हमें बुलाया है और पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करते हैं जो उसने मानव जाति को दिया है—अर्थात, हमें प्रभु के बलिदान पर विश्वास करना चाहिए और विश्वास करना चाहिए कि उन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर इस दुनिया के पापों को उठाया, हमसे हमारे पापों को लेकर अपनी देह पर ले लिया, और उनके लिए क्रूस पर दंड सहा। दूसरे शब्दों में, हम केवल इस विश्वास के द्वारा ही बचाए जा सकते हैं कि हमारे प्रभु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर अपने लहू बहाने के द्वारा जो पापों का दंड सहा वह वही कीमत थी जो उसने हमारे पापों के लिए चुकाई थी। यदि हम अपने पापों को विश्वास के द्वारा यीशु को सौंपना चाहते हैं और परमेश्वर की दृष्टि में उनसे शुध्ध होना चाहते हैं, तो पहले की तरह अब 21वीं सदी में, हमें अपने प्रभु के बपतिस्मा और उनके लहू में विश्वास होना चाहिए, और प्रभु ऐसे लोगों को बचाकर प्रसन्न होंगे।
जिस किसी के अन्दर पाप हो, उसे पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करना चाहिए जो प्रभु ने दिया है। एक भजन इस प्रकार है, "हे प्रभु, जब आप पापियों को बुलाओ तब आप मुझे भी बुलाइए" प्रभु की दृष्टि में नरक में कौन बंधा है? प्रभु ऐसे सभी पापियों को अपने पास आने के लिए बुला रहा है। उन सभी के लिए जो अपनी पापपूर्णता के लिए नरक में बंधे हैं, प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए गए बहुमूल्य लहू के माध्यम से दुनिया के सभी पापों से एक बार और हमेशा के लिए उद्धार प्राप्त करना संभव बना दिया है। और वह हमें उद्धार के वचन में विश्वास करने के द्वारा बचाए जाने के लिए कह रहा है, हमसे कह रहा है, "यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से मुझे जो बपतिस्मा मिला और जो लहू मैंने क्रूस पर बहाया, उसके द्वारा अब मैंने तुम्हें बचाया है।" हमें अपने हृदय से अपने प्रभु को यह कहते हुए अंगीकार करना चाहिए, "हे प्रभु, मैं नरक में बंधा हुआ हूं, क्योंकि मेरे मन में पाप है"; पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन की ओर दौड़े जो प्रभु ने हमें दिया है; और इस सुसमाचार में अपना विश्वास रखने के द्वारा सभी पापों से उद्धार पाए।
हमारा प्रभु उद्धारकर्ता परमेश्वर है जो उन लोगों को सभी पापों से उद्धार प्रदान करता है जो अपने हृदय के पाप को जानते हैं। हम जानते हैं और विश्वास करते हैं कि बाइबल के दोनों नियमों के वचन परमेश्वर के वचन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे पास परमेश्वर का वचन त्रिएक परमेश्वर का वचन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर का यह वचन यीशु के सेवकों द्वारा हजारों वर्षों से लिखा गया था। इसलिए यह सोचना असंभव है कि बाइबल का वचन किसी भी धार्मिक विचारों से कम है। जो कोई ऐसा सोचता है वह परमेश्वर की दृष्टि में मूर्ख है।
जबकि नए और पुराने नियम को जोड़कर एक बाइबल बनती है, लेकिन आज के सेमिनरी में पढ़ाए जाने वाले धार्मिक विचार असंख्य हैं। धर्मशास्त्र पर इतनी सारी किताबें हैं कि वे शायद इस चर्च की इमारत को भर सकते हैं और फिर भी किताबे बाख जाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि धर्मशास्त्री उन्हें अपने मन के विचारों को सिद्धांतों में बदलने और उन्हें मण्डली को सिखाने के लिए अंतहीन रूप से प्रकाशित करते रहते हैं।
जब आप दोनों नियमों से बाइबल के वचन को पढ़ते हैं तो आपका हृदय परिवर्तन हो जाता है क्योंकि यह परमेश्वर का वचन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही परमेश्वर हमारे दिलों के पापों के बारे में जानता है और उन्हें अपने वचन के साथ इंगित करता है, वह इस समस्या को अपने सच्चे वचन के साथ-यानी, यीशु के बपतिस्मा और लहू के साथ संबोधित भी करता है। और ऐसा इसलिए है क्योंकि बाइबल का वचन पवित्र आत्मा से प्रेरित लोगों द्वारा लिखा गया परमेश्वर का वचन है।
इसके विपरीत, इस संसार में धर्मशास्त्रियों द्वारा निर्मित सिद्धांत एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य के लिए बोले गए शारीरिक विचारों से अधिक कुछ नहीं हैं। कुछ लोग मुझसे कह सकते हैं, "आज के धर्मशास्त्रियों की शिक्षाओं की आलोचना करने से क्या हासिल होगा? क्यों न केवल पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करें?” मैं धार्मिक विचारों की आलोचना कर रहा हूं क्योंकि वे इस दुनिया में बहुत सारे ईसाइयों के लिए हानिकारक हैं जो निकेन पंथ में विश्वास करते हैं और उसका पालन करते हैं। वर्तमान वैश्विक जनसंख्या लगभग 8 अरब है, और उनमें से 1-3 अरब लोग ईसाई हैं जो यीशु में विश्वास करने का दावा करते हैं। हालाँकि, इन असंख्य ईसाइयों में से लगभग सभी निकेन पंथ के सिद्धांतों में विश्वास करते हैं और उनका पालन करते हैं, और यही कारण है कि मैं आज के धर्मविज्ञान की इतनी आलोचना करता हूं।
इसके अलावा, धर्मशास्त्री पवित्रशास्त्र के वचन के दोनों नियमों में लिखे गए पानी और आत्मा के सुसमाचार की शिक्षा नहीं देते हैं। क्यों? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे नहीं जानते हैं कि प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा प्राप्त करके मानव जाति के पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठा लिया है, और उसने हमारे पापों को शुध्ध किया है और उन सभी पापों के दंड के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया। यदि उनमें से कुछ इसे जानते भी हैं, तो वे इसे छिपाने का प्रयास करते हैं, कहीं ऐसा न हो कि लोग जान लें और उस पर विश्वास कर लें। उनका उद्देश्य अपनी मण्डली से प्रभु के बपतिस्मा के वचन को छिपाना है, और वे इसके बजाय धार्मिक सिद्धांतों को पढ़ाने के लिए समर्पित हैं। अपने स्वयं के धार्मिक सिद्धांतों के साथ, वे इस सत्य को छूपा देते हैं कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा इस दुनिया के पापों को उठाया और उन्हें साफ़ किया, यह वो वचन है जो पापियों को उनके पापों से नया जन्म लेने में सक्षम बनाता है। इस तरह, वे उद्धार के सत्य की शिक्षा नहीं दे सकते कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेकर और क्रूस पर अपना लहू बहाकर हमारे पापों की कीमत चुका दी है, और इसीलिए वे सब लोग मूर्ख हैं।
ये धर्मशास्त्री उद्धार के सत्य को नहीं जानते कि प्रभु ने पानी और आत्मा के द्वारा मानव जाति को पाप से बचाया है। क्योंकि वे स्वयं इस सत्य को नहीं जानते हैं कि प्रभु ने अपने बपतिस्मा और लहू के द्वारा हमें इस संसार के पापों से बचाया है, वे इसे अपनी मण्डली को भी नहीं सिखा सकते। जब हम उन लोगों से यह कहते हैं जो धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों में विश्वास करते हैं कि अब हम बाइबल में लिखे पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में विश्वास करने के द्वारा अपने पापों से धोए गए हैं और परमेश्वर के लोग बन गए हैं, तो वे हमें अभिमानी कहते है और यहां तक कि हमें पाखंडी भी कहते है। इस दुनिया में ऐसी घटनाएं आम हैं।
कोई व्यक्ति जितना अधिक समय से ईसाई रहा है, उतना ही अधिक वह यह कहते हुए पापी होने का अंगीकार करता है कि, "मैं इतना दोषपूर्ण पापी हूँ," और धर्मशास्त्री ऐसे लोगों के विश्वास को यह कहते हुए स्वीकार करते हैं, "उतीर्ण!" इसके विपरीत, जब हम कहते हैं कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किए हुए बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू के द्वारा हमें हमारे सभी पापों से बचाया है, तो वे आँख बंद करके कहते हैं, "असफल!" धार्मिक सिद्धांत छुटकारे के वचन से पूरी तरह से अलग हैं जिसे यीशु ने अपने बपतिस्मा और लहू से पूरा किया है। क्यों? क्योंकि उनके अनुयायी कह रहे हैं कि मानव जाति का उद्धार पश्चाताप की प्रार्थना करने से होता है, जो धार्मिक सिद्धांतों पर आधारित है।
बहुत पहले, महान जब कॉन्सटेंटाइन ने एक धार्मिक परिषद को बुलाया, तो उसने निकेन पंथ से उस बपतिस्मा को हटा दिया जो यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किया था। क्या आपको इसके बारे में पता था? जो लोग बपतिस्मा के उस वचन को छोड़ देते हैं जो यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किया था, वे सोचते हैं कि सही उत्तर हर किसी के लिए हमेशा एक पापी के रूप में प्रभु के सामने रहना है। इसका अर्थ है कि वे पहले ही परमेश्वर के शत्रु बन चुके हैं। आज, जो लोग दुनिया में अपने सभी पापों से छुटकारा पाने की इच्छा रखते हैं, उन्हें इसके बजाय परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए: "परमेश्वर, कृपया मेरी आत्मा को बचाएं!"
 

क्यों सामरी स्त्री यीशु से मिलने से पहले अपने पापों से बचने में सक्षम नहीं थी?

सामरी स्त्री ने उद्धार नहीं पाया था, क्योंकि वह यीशु मसीह से नहीं मिली थी। चूँकि वह मसीह से नहीं मिली थी इसलिए वह पाँच पति कर चुकी थी फिर भी वह दुखी थी। वह दोपहर के समय तेज धूप में पानी भरने के लिए रेगिस्तान में आई थी क्योंकि उसे खुद पर शर्म आ रही थी और वह दूसरों की नजरों से बचने की कोशिश कर रही थी। कुएँ पर यीशु से मिलने और कुछ देर तक उसकी बात सुनने के बाद, उसने अंत में उससे पूछा, “यहाँ के सामरी कहते हैं कि हमें गिरिज्जिम नामक पहाड़ पर आराधना करनी चाहिए, लेकिन यहूदी कहते हैं कि हमें यरूशलेम के मंदिर में आराधना करनी चाहिए, तो फिर हमें कहाँ आराधना करनी चाहिए?” यहाँ महिला का प्रश्न हमारे यह पूछने जैसा है कि हमें किस संप्रदाय के धार्मिक सिद्धांतों पर विश्वास करना चाहिए।
आराधना के स्थान पर विवाद आज के धार्मिक विवादों से अलग नहीं था, जैसे कि इस बात पर बहस करना कि क्या हमें कैल्विनवादी सिद्धांतों या आर्मीनियाई सिद्धांतों में विश्वास करना चाहिए। मानव जाति का उद्धार केवल यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू में विश्वास के द्वारा ही प्राप्त होता है। हमें यह समझना चाहिए कि हमारे उद्धारकर्ता के रूप में केवल यीशु में विश्वास ही हमारे लिए हमारे सभी पापों से उद्धार पाने का एकमात्र तरीका है। दोनों नियमों में से केवल पवित्रशास्त्र का वचन ही वह प्रकाश है जो उद्धार के सत्य को उजागर करता है, और पानी और आत्मा का यह सुसमाचार वचन ही केवल आत्मा के उद्धार का सत्य है।
क्या हम सेमिनरी में सिखाए गए धार्मिक विचारों पर विश्वास करके अपने हृदयों में पापों की क्षमा प्राप्त कर सकते हैं? नही बिल्कुल नही! सच्चे सुसमाचार के वचन में अपने दिलों से विश्वास करने के द्वारा हम अपने पापों से धोए जाते हैं, कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से जो बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपना लहू बहाया वह हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए था। क्या आपने कुछ संप्रदायों के विचारों पर विश्वास करके पापों की क्षमा प्राप्त करने का प्रयास किया है? क्या आपको कुछ सांप्रदायिक सिद्धांतों में विश्वास करने से पापों की क्षमा प्राप्त हुई?
नहीं, हम केवल बाइबल के वचन में लिखे गए और पवित्रशास्त्र में प्रभु द्वारा कहे गए सत्य पर विश्वास करके ही उद्धार प्राप्त कर सकते हैं, कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को उठाने के द्वारा और क्रूस पर अपना लहू बहाने के द्वारा हमें एक बार और हमेशा के लिए बचाया है।
इसे देखते हुए, ऐसा कोई कारण नहीं है कि हमें इस यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में नहीं मानना चाहिए! हमारे उद्धारकर्ता यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से लिए हुए बपतिस्मा और उसके द्वारा बहाए गए लहू की सच्चाई पर पूरे मन से विश्वास करके हम अपने सभी पापों से बच सकते हैं। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से यीशु को प्राप्त बपतिस्मा के वचन और उसके लहू के वचन में विश्वास करने के द्वारा ही हम परमेश्वर की सन्तान बनते हैं, और इस विश्वास के द्वारा ही हमें धर्मी बनाया जा सकता है।
यह जानकर कि वह मसीह से मिली है, सामरी स्त्री ने कुएं पर अपना पानी छोड़ दिया, अपने नगर में वापस चली गई, और अपने सामरी निवासियों को यह कहते हुए खबर फैला दी, "मैं मसीह से मिली हूं!" यह स्त्री अब यह समझने और विश्वास करने के द्वारा अपने सभी पापों से बचाई गई थी कि यीशु ही वह मसीह था जिसके बारे में पवित्रशास्त्र में बात की गई है। उसके सभी पापों का बोझ दूर हो गया, और वह प्रभु के लोगों में से एक बन गई थी। यह स्त्री यीशु मसीह से मिली थी यह तथ्य हमें क्या बताता है? यह हमें बताता है कि वह यीशु मसीह में अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करती थी जिसने पुराने नियम के समय में हाथ रखने के द्वारा पापों को पारित करते थे वैसे ही यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उसके पापों को उठाया और मर गया।
यीशु इस पृथ्वी पर मरियम के शरीर के माध्यम से पैदा हुए थे, और 30 वर्ष की उम्र में, उन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा इस दुनिया के सभी पापों अपनी देह पर उठाया और उन्हें स्वीकार किया। दूसरे शब्दों में कहें तो, वे सभी पाप जो केवल हम मनुष्यों ने किए थे उन्हें यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा यीशु पर पारित किए गए, और परिणामस्वरूप, यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया, हमारे स्थान पर मृत्यु के लिए उसका लहू बहाया गया, और इस तरह हमारे पापों का प्रायश्चित बन गया।
मूल रूप से, हमारे पाप आपके और मेरे ह्रदय में थे, लेकिन यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से मानव जाति के सारे पापों को स्वीकार करने के द्वारा उठाया। इस तरह, हमारे पाप एक बार और हमेशा के लिए यीशु के ऊपर पारित किए गए। तो अब वे पाप कहाँ हैं जो आपके हृदय में थे? क्या वे अब भी आपके ह्रदय में हैं? नहीं, वे नहीं हैं। वे विश्वास से धोए गए हैं। वे विश्वास से शुद्ध किए गए हैं। जैसे पुराने नियम के युग में हाथों को रखने के द्वारा लोगों के पापों को बलि पशु पर पारित किए जाते थे, वैसे ही नए नियम के युग में, यीशु का बपतिस्मा था जो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किया था। इसका अर्थ यह है कि पुराने नियम का हाथ रखना वही है जो नए नियम के युग का बपतिस्मा है। यह मसीह के बपतिस्मा और लहू के माध्यम से है कि प्रभु ने हमारे पापों को एक बार और हमेशा के लिए ले लिया और मृत्यु के दंड को सहा, और इस प्रकार हमारे लिए प्रायश्चित के बलिदान को अर्पण किया।
यरदन नदी में यीशु मसीह ने जो बपतिस्मा प्राप्त किया, वह उस तरह का बपतिस्मा नहीं था जो आज ईसाई चर्चों में प्राप्त करते हैं, जिसमे पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर उन पर कुछ पानी छिड़का जाता है। इसके बजाए, यीशु मसीह ने जब पानी छाती तक भरा हुआ था तब इस्राएल की यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा एक ही बार में और हमेशा के लिए मानवजाति के सभी पापों को स्वीकार कर लिया था – दुसरे शब्दों में, जब उन्होंने बपतिस्मा लिया तब उन्होंने पानी में डूब कर बपतिस्मा लिया था। जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने हाथ रखने के रूप में यीशु को बपतिस्मा दिया, तो हमारे सभी पाप एक बार और हमेशा के लिए यीशु के शरीर पर पारित हो गए, और इसलिए हमारे सभी पाप हमारे दिलों से हमेशा के लिए धुल गए। जब यीशु को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा दिया गया था, तो मानव जाति के पाप यीशु के शरीर पर पारित किए गए थे, और क्योंकि यीशु हमारे उद्धारकर्ता ने अपने बपतिस्मा के माध्यम से दुनिया के पापों को उठाया था, वह उन्हें क्रूस पर ले गया, अपना लहू बहाया, हमारे पापों की कीमत चुकाई, और इस तरह हम सभी को बचाया है जो अब इस पर विश्वास करते हैं।
इसलिए, यीशु मसीह के बपतिस्मा और उसके लहू में विश्वास करके हम सभी को अपने सभी पापों से शुध्ध किया जा सकता है। यीशु मसीह ने इस दुनिया में कभी कोई पाप नहीं किया, एक बार भी नहीं। वह परमेश्वर का पुत्र है, जो हम जैसे मनुष्यों से बिल्कुल अलग है। फिर भी इस सिद्ध, पूर्ण रूप से पापरहित प्रभु ने मानव जाति के पापों को उठाया और उसकी कीमत चुकाई। यह इसलिए है क्योंकि यीशु ने इस संसार के पापों को यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा अपने ऊपर उठाए इसलिए उसने क्रूस पर अपना लहू बहाया, और हम विश्वास करते हैं कि जो बपतिस्मा उसने प्राप्त किया और जो लहू उसने बहाया वह बलिदान है जो उसने हमें हमारे पापों से बचाने के लिए दिया है ताकि हम जी सकें।
यीशु ने कहा, “इस मन्दिर को ढा दो, और मैं इसे तीन दिन में इसे खड़ा कर दूंगा।” हेरोदेस को मन्दिर बनाने में 40 वर्ष से अधिक का समय लगा था, परन्तु यीशु कह रहा था कि वह इसे तीन दिनों में खड़ा कर देगा। उसका मतलब था कि वह हमें अनंत जीवन देने के लिए तीन दिनों में पुनरुत्थित होगा। यहाँ, यीशु कह रहा हैं कि उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर इस संसार के पापों को अपने कंधों पर उठाकर, क्रूस पर मरकर, और फिर से मरे हुओं में से उठकर, उन्होंने विश्वासियों को अपने लोग बना लिया है। अब से, यदि हम में से केवल एक ही इस तथ्य में विश्वास करता है कि यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर उसका लहू उद्धार का कार्य है जिसके साथ उसने आपके और मेरे पापों की कीमत चुकाई है, तो वह व्यक्ति उसके सारे पापों से बचाया जाएगा। वे सभी लोग जो अब से विश्वास करते हैं कि यीशु ने अपने बपतिस्मा और लहू से उनके पापों की कीमत चुकाई है, उन्हें विश्वास के द्वारा परमेश्वर की सन्तान बनने का अधिकार प्राप्त होगा।
प्रभु वह है जिसने अपने वचन से हमारे पापों को हमेशा के लिए मिटा दिया है। वह वही है जो अपने वचन के द्वारा आपकी और मेरी तलाश में आया था, उसने हमारे पापों को अपने बपतिस्मा और लहू के वचन से मिटा दिया, और हमें नया जीवन दिया। और अब से, परमेश्वर के वचन को अपने हृदय में स्वीकार करके और यीशु ने हमारे लिए प्राप्त किया हुए बपतिस्मा और उसके लहू के वचन पर विश्वास करके, हम सभी उसके शिष्य बन सकते हैं। संक्षेप में, हमें अपने सभी पापों से एक बार और हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है यदि हम जानते हैं और अपने दिल से विश्वास करते हैं कि, "प्रभु ने हम पानी और आत्मा के विश्वासियों को नया जन्म लेने के लिए आशीर्वाद दिया है।"
यूहन्ना 4:24 में लिखा है, "परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करने वाले आत्मा और सच्चाई से आराधना करें।" परमेश्वर वास्तव में आत्मा है। वह हमारी तरह देह में नहीं है, परन्तु वह पवित्र आत्मा है। यह पवित्र आत्मा हमें ढूँढने के लिए देहधारण करके आया था, और हम मनुष्यों को बचाने के लिए, उसने जगत के पापों को उठाने के लिए स्वयं यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया था और हमारे पापों की सभी कीमत उस लहू से चुकाई जो उसने बहाया था। और पापियों में से, उसने उन लोगों को बचाया जो उद्धार के इस कार्य में विश्वास करते है। हम इस लिखित वचन के द्वारा, इस विश्वास के साथ उद्धार प्राप्त करते हैं कि यीशु ने अपने बपतिस्मा और लहू से हमारे सारे पापों को उठाया और पापों की कीमत चुकाई है, क्योंकि उसने हम से प्रेम किया। और हम परमेश्वर की आत्मा का उपहार प्राप्त करते हैं। परमेश्वर इतना अद्भुत है कि उन सभी के लिए जो अब उसके सुसमाचार में विश्वास करते हैं—अर्थात, जो यह मानते हैं कि यीशु ही उनका उद्धारकर्ता है, जिसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा इस संसार के पापों को उठाया और अपना लहू बहाने के द्वारा पापों की कीमत चुकाई—परमेश्वर ने उनके हृदयों में पापों की क्षमा और पवित्र आत्मा का उपहार दिया है।
 


परमेश्वर की आत्मा का उपहार उन्हें दिया गया है जिन्होंने पापों की माफ़ी पाई है


पवित्र आत्मा परमेश्वर का उपहार है जो उन लोगों को दिया गया है जो प्रभु यीशु के कार्य में विश्वास करते हैं, जिन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को उठा लिया और क्रूस पर के अपने लहू से हमारे मृत्यु की कीमत को चुकाया। भले ही हम इसे शारीरिक रूप से महसूस नहीं करते हैं, लेकिन जब हम विश्वास करते है कि, “प्रभु ने अपने बपतिस्मा और लहू के वचन के द्वारा मुझे इस रीती से बचाया है” तब पवित्र आत्मा हमारे दिलों में आता है और हमें परमेश्वर की संतान के रूप में मुहरित कर देता है! इसका अर्थ यह है कि क्योंकि हम परमेश्वर के वचन से विश्वास करते हैं कि यीशु ने हमारे पापों को मिटा दिया है इसलिए परमेश्वर ने हमें अपनी संतान और कार्यकर्ता, और प्रभु के शिष्य बनने का आशीर्वाद दिया है। यह सब पवित्र आत्मा का उपहार है जो हमें यीशु मसीह में हमारे विश्वास के कारण प्राप्त हुआ है, जिसने हमारे सभी पापों को अपने बपतिस्मा और लहू से धो दिया है।
अतीत में, हमारे पाप हमारे दिलों में थे, लेकिन अब, जब भी हमारे पाप उजागर होते हैं, तो पवित्र आत्मा हमें उस उद्धार पर भरोसा दिलाता है कि यीशु ने हमारे पापों को उस बपतिस्मा से जो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया था और उसके लहू से मिटा दिए है। और प्रभु ने हमारा मार्गदर्शन करने के लिए हमारे हृदयों में पवित्र आत्मा का उपहार दिया है। भले ही हमारे शरीर में सभी प्रकार के बुरे विचार हैं, पवित्र आत्मा ने हमें आशीर्वाद दिया है ताकि हमारे दिलों में हमेशा पवित्र विचार हों और जो परमेश्वर को प्रसन्न करता है वह कार्य करने में आनन्दित हों। हमने बपतिस्मा और लहू के लिखित वचन में विश्वास करने के द्वारा अपने हृदयों में पापों की क्षमा प्राप्त की है।
क्योंकि हमने हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह को उन्होंने अपने बपतिस्मा और लहू से परिपूर्ण किए हुए उद्धार को पाया है, और क्योंकि हम भी अपने हृदय से इस सत्य में विश्वास करते हैं, इसलिए हमें पापों की सच्ची क्षमा प्राप्त हुई है।
हमने यीशु को शारीरिक रूप से अपनी आँखों से नहीं देखा है। हालाँकि, पवित्रशास्त्र के दोनों नियमों में यहाँ लिखे गए उद्धार के वचन के माध्यम से, हमने उसे और उस कार्य को देखा है जो उसने इस पृथ्वी पर आने पर किया था। लिखित वचन के द्वारा ही हम अपने उद्धारकर्ता प्रभु से मिलते हैं। यीशु के बपतिस्मा के वचन के लिए धन्यवाद, हमें पता चला है कि उसका मानवजाति के पापों को उठाना और अपना लहू बहाना सभी हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए था। इसलिए हमें प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के अनुदार हमारे यीशु पर विश्वास करना चाहिए।
हमें परमेश्वर के लिखित वचन के माध्यम से यीशु को जानना चाहिए, यह समझना चाहिए कि कैसे और किस तरीके से उसने हमारे पापों को दूर किया, और इस पर विश्वास करें। यह जानने और विश्वास करने के द्वारा कि यीशु ने अपने बपतिस्मा और लहू से हमारे पापों की कीमत चुकाई है, हम बचाए गए हैं। हम यह जानने के द्वारा अपने प्रभु से मिलते हैं कि कैसे उन्होंने हमारे पापों की कीमत को अपने बपतिस्मा और लहू से चुकाकर, हमारे दिलों से इसे महसूस करके, और अपने पूरे दिल से इस पर विश्वास करके हमें बचाया है।
चरित्रवान लोग केवल अपनी भावनाओं पर कार्य नहीं करते हैं। वे खुले दिमाग से दूसरों को क्या कहते हैं उसे सुनते हैं, इसे अपने दिमाग से शान्ति से संसाधित करते हैं और वे जो कुछ भी समझते हैं उस पर प्रतिक्रिया करते हैं, और फिर कार्रवाई करते हैं। हम कहते हैं ऐसे लोग नेक होते हैं। नेक चरित्र वाले लोग अपनी भावनाओं से उत्तेजित नहीं होते हैं। वे शांति से सुनते हैं, तर्क से सहमत होते हैं, और फिर कार्य करते हैं।
इस तरह, हमें यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू के वचन के अनुसार विश्वास करना चाहिए। वचन के माध्यम से, हमें यह समझना चाहिए कि यीशु हमारे उद्धारकर्ता बन गए हैं, उन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से दुनिया के पापों को उठा लिया और अपना क्रूस पर अपना लहू बहाया, हमारे दिलों से इस पर विश्वास करें, और इस तरह हमारे उद्धार तक पहुँचें। जब हम अपने विश्वास को अपने उद्धारकर्ता के रूप में यीशु में रखते हैं, तो यह विश्वास भी ऐसा होना चाहिए जो हृदय से पुनर्जन्म के लिखित वचन को जानता हो, समझता हो और उसमें विश्वास करता हो। विश्वास करने की हमारी इच्छा स्वतंत्र इच्छा से संबंधित है। एक बार जब हम यह जान लेते हैं कि यीशु ने इस संसार के पापों को यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाकर उठा लिया, तो हमें अपने हृदय से इस पर विश्वास करना चाहिए, और तब हमारे हृदयों में विश्वास आता है। अपने दिलों में हमें उस उद्धार पर बने रहना चाहिए जो प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के साथ अपनी इच्छा से बनाया था। यदि आप विश्वास के द्वारा परमेश्वर द्वारा दिए गए वचन को थामे रहते हैं, तो यह वचन आपके लिए पाप से उद्धार लाएगा। हमें उस वचन पर विचार करना चाहिए जो हमने सुना है ताकि हम जान सकें कि पानी और आत्मा का वचन हमारे लिए क्या मायने रखता है और इस वचन को पूरी तरह से समझ सके।
आपको अपने ह्रदय की पटिया पर इस तथ्य को तराशने की जरूरत है कि यीशु ने हमारे पापों को उस बपतिस्मा के वचन के माध्यम से उठाया जो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किया था, उस पर चिंतन करें, और उस पर विश्वास करें। आपको यह समझना चाहिए कि हमारी आत्माएं विश्वास के द्वारा परमेश्वर के न्याय से मुक्त हो गई हैं, इस वचन को याद करते हुए कि यीशु को बपतिस्मा लेने के बाद क्रूस पर चढ़ाया गया था और क्रूस पर अपना लहू बहाया था। यह समझना और विश्वास करना कि यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर उसका दंड वह साधन था जिसके द्वारा यीशु ने मानव जाति के पापों की कीमत चुकाई, आपको उद्धार के इस वचन को अपने हृदय में रखना चाहिए। जब आपके हृदय की पटिया पर परमेश्वर का वचन लिखा होगा, तो यह वचन आपको इस संसार के पापों से बचाएगा। इस तरह हमें पता चलता है कि प्रभु हमारा उद्धारकर्ता है। हमें पता चलता है कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा के वचन के द्वारा हमारे पापों को उठा लिया। हमें यह जानने और भरोषा करने के लिए विश्वास की आवश्यकता है कि यीशु के लहू बहाने के वचन ने मानव जाति के पापों की कीमत चुकाई है। इसलिए न केवल यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू के वचन को समझने के द्वारा, बल्कि हमारे ह्रदय से उस पर विश्वास करने के द्वारा हमारी आत्माओं को बचाया जाना चाहिए। उद्धार के सत्य को जानने और अपने हृदय से उस पर विश्वास करने के द्वारा ही हम उस पर विश्वास करते हैं और प्रभु द्वारा प्राप्त किए गए बपतिस्मा और उसके द्वारा हमारे लिए बहाए गए लहू के लिए धन्यवाद।
हमें इस तथ्य पर विश्वास करना चाहिए कि प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से हमारे सभी पापों को स्वीकार किया, और यह कि जो लहू उसने क्रूस पर बहाया वह वो बलिदान था जो उसने हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए दिया था। हमें अपने दिलों में उस वचन को संजोना चाहिए कि यीशु ने बपतिस्मा लिया था और क्रूस पर हमारे पापों का दंड सहा था ताकि हम इसे खोने ने पाए। हम विश्वास के द्वारा परमेश्वर के वचन को अपने दिलों में संजो सकते हैं क्योंकि बपतिस्मा और लहू का यह वचन हमारे उद्धार का मार्ग है, और हमारे पास उद्धार का कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
हमें विश्वास के द्वारा पानी और आत्मा के वचन को अपने हृदयों में धारण करना चाहिए। ऐसे ही लोग अपने सभी पापों से बच जाते हैं। आपको वचन से सत्यापित करना चाहिए कि क्या यीशु ने वास्तव में हमारे हृदयों के सभी पापों को धो दिया था और उनके बपतिस्मे और लहू के माध्यम से उनके दंड को सहा था, और फिर उस पर विश्वास करें। यदि कोई हमें अच्छा भोजन देता है, तो उस भोजन को खाने के लिए भी हमें उसे अपने मुंह में डालना होगा, उसे चबाना होगा, और निगलना होगा। खाना कितना भी बढ़िया क्यों न हो, जब तक वह आपके मुंह में न जाए, वह आपका नहीं है।
जैसा कि एक कोरियाई कहावत कहती है, "किचन कैबिनेट में रखा नमक तब तक नमकीन नहीं होता जब तक आप इसका उपयोग नहीं करते हैं," इसलिए हमारे विश्वास का प्रयोग किया जाना चाहिए - अर्थात, हमें वास्तव में यह समझना चाहिए और विश्वास करना चाहिए कि हमारे प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा एक बार और हमेशा के लिए इस दुनिया के पापों को उठा लिया है और हमारे पापों को यीशु पर पारित किया गया है। इस प्रकार, जब हम अपने पापों को यीशु के बपतिस्मा के द्वारा उसके ऊपर पारित करते है तब हमारे हृदय हमारे पापों से धुल जाते हैं। और यह तब होता है जब हमें पता चलता है कि यीशु ने हमारे पापों की कीमत के लिए क्रूस पर अपना लहू बहाया, और उस पर अपने पूरे ह्रदय से विश्वास करे कि हमारी आत्माएं परमेश्वर के न्याय से बच गई है। जब तक वास्तव में नमक का उपयोग नहीं किया जाता है तब तक कोई भी भोजन नमकीन नहीं होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नमक का डिब्बा आपकी पहुंच के कितने करीब है; यदि आप इसका उपयोग नहीं करते हैं, तो आपके भोजन का स्वाद नमकीन नहीं होगा।
इस तरह, हमारा उद्धार हमारे दिलों में तब पूरा होता है जब हम समझते हैं और विश्वास करते हैं कि हमारे पापों को प्रभु द्वारा प्राप्त बपतिस्मा के वचन के माध्यम से यीशु के शरीर पर पारित किया गया था। क्या अब आप समझ सकते हैं? क्या आप अब विश्वास कर सकते हैं? इसलिए, हमें अपने हृदय में उस बपतिस्मा को थामे रहना चाहिए जो यीशु मसीह ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया था जब वह इस पृथ्वी पर आया था। हमें इसे समझना चाहिए और अपने दिल से इस पर विश्वास करना चाहिए। यह कहने का क्या फायदा है, "ओह, मुझे पता है आपका मतलब क्या है। मैं अब ठीक हूँ"? हमें अपने मन में यह समझ लेना चाहिए कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को उसके ऊपर पारित किया गया था, और हमें इसमे तक दृढ़ रहना चाहिए जब तक कि यह हमारे दिलों में विश्वास द्वारा दृढ़ता से स्थापित न हो जाए। परमेश्वर की कलीसिया द्वारा प्रचारित वचन कितना भी सही क्यों न हो, यदि हम इसे केवल जानकर वहीं रुक जाते हैं, तो इसका क्या उपयोग है? हमें अपने विश्वास को पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन के साथ एकजुट करने की आवश्यकता है जिसे परमेश्वर की कलीसिया अभी घोषित कर रहा है। हमें अपने हृदय से यह जानकर और विश्वास करते हुए परमेश्वर के द्वारा दिए गए उद्धार के वचन को थामे रहना चाहिए कि यीशु के बपतिस्मा के वचन से हमारे पापों को साफ़ किया गया है और उसके लहू के द्वारा हमारे पापों की कीमत चुकाई गई है।
आइए हम उस प्रार्थना की ओर मुड़ें जो याकूब ने यब्बोक के घाट पर परमेश्वर को तब अर्पण की थी जब उसने सूना की उसका भाई उसे मारने आ रहा है। “हे प्रभु, मेरा भाई एसाव निर्दयी है। उसका सीना बालों से भरा है, और वह जंगली सूअर के समान निर्दयी और बलवान है। मैंने उसका पहिलौठा होने का अधिकार छीन लिया, लेकिन मेरी माँ ने मेरी रक्षा की और उसे मुझे मारने से रोका। उसे मुझे मारने से रोकने के लिए, मेरी माँ रेबेका ने मुझे अपने चाचा के यहाँ भाग जाने के लिए कहा, इसलिए मैं भाग गया। अब मैं अपने नगर को जा रहा हूं, परन्तु मैं बहुत दारा हुआ हूँ क्योंकि मैं ने सुना है कि मेरा भाई एक बड़ी सेना लेकर मुझ से भेंट करने आ रहा है। मेरी रक्षा करो प्रभु। मेरे भाई के प्रतिशोध से मेरी रक्षा करो और मुझे आशीर्वाद दो।” यब्बोक नदी पार करने के बाद याकूब अपने भाई से मिलने ही वाला था। इसलिए उस ने अपने सारे घराने को अपने आगे आगे यह कहकर भेजा कि “आप लोग पहिले नदी पार करलो, मैं आपके पीछे आउंगा, और उस रात उस ने परमेश्वर से प्रार्थना की।
इस प्रकार याकूब ने परमेश्वर से उसकी रक्षा के लिए प्रार्थना की। याकूब ने उत्साह से प्रार्थना की, परमेश्वर से प्रार्थना की कि जैसा उसने वायदा किया था वैसे वो उसे आशीर्वाद दे, और बाइबल कहती है कि एक स्वर्गदूत उसके सामने प्रकट हुआ। प्राचीन काल में, परमेश्वर ने कभी-कभी स्वयं को एक स्वर्गदूत के रूप में प्रकट किया। तब याकूब ने स्वर्गदूत को पकड़ लिया और अपने जीवन के लिए उसे थामे रहा, और उससे बिनती की, कि “जब तक तू मुझे आशीष न दे, मैं तुझे जाने न दूंगा!” रात बीतने के साथ ही भोर होने लगी थी। जब स्वर्गदूत ने याकूब से मल्लयुद्ध करते हुए कहा, “मुझे छोड़ दे और अब मुझे जाने दे, क्योंकि भोर होने वाला है,” याकूब ने कहा, “जब तक तू मुझे आशीष न दे, मैं तुझे जाने नहीं दे सकता। मैं अपने परमेश्वर को जाने नहीं दे सकता, इसलिए मुझे आशीर्वाद दो, प्रभु!
स्वर्गदूत ने याकूब से मल्लयुध्ध करते समय उसके जाँघ की नस को छुआ। फिर भी, याकूब ने हार नहीं मानी और बड़ी इच्छा से परमेश्वर से उसकी रक्षा करने के लिए प्रार्थना की, इसलिए स्वर्गदूत ने जाने से पहले उससे कहा, “मैं हार गया, तुम जीत गए। अब से तेरा नाम याकूब न कहलाएगा, वरन इस्राएल कहलायेगा।” "इज़राइल" नाम का अर्थ है "वह जो परमेश्वर के साथ संघर्ष करता है और जीतता है।" इसलिए, याकूब ऐसा व्यक्ति बन गया जिसने परमेश्वर के साथ संघर्ष किया और जीता। दूसरे शब्दों में, वह परमेश्वर द्वारा आशीषित था। यह मेरी सच्ची आशा और प्रार्थना है कि परमेश्वर आपको और मुझे भी याकूब की तरह आशीष दें।
हमें भी अब अपने हृदय से विश्वास करना चाहिए कि प्रभु यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा के द्वारा इस संसार के पापों को उठा लिया और हमारे पापों को साफ़ दिया। हमें विश्वास होना चाहिए कि यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था और हमारे पापों के दंड के लिए उसने हमारे स्थान पर अपना लहू बहाया था। प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाने के द्वारा हमारे पापों को उठाया और पापों की कीमत चुकाई, और हमें अपने उद्धारकर्ता के रूप में इस प्रभु पर विश्वास करना चाहिए।
"उद्धार के वचन के बिना जो पानी और आत्मा के द्वारा आया है, मैं इस दुनिया के पापों से हमेशा के लिए नहीं बच सकता। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से यीशु ने प्राप्त किए हुए बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए गए लहू पर विश्वास करने के अलावा मेरे लिए मेरे पापों से नया जन्म लेने का आशीर्वाद प्राप्त करने का कोई और तरीका नहीं है। मुझे परवाह नहीं है कि अन्य लोग धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों में विश्वास करते हैं या नहीं, क्योंकि मैं इस तथ्य पर विश्वास करके अपने उद्धार तक पहुँच गया हूँ कि प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर मेरे सभी पापों को दूर कर दिया और अपने लहू से मेरे पापों की कीमत चुकाई है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई क्या कहता है, मैं अपने उद्धार के सत्य में विश्वास करता हूं जो पानी और आत्मा के द्वारा आया है। क्यों? क्योंकि परमेश्वर का वचन कहता है कि प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा और उसके द्वारा बहाए गए लहू के द्वारा मेरा उद्धार किया है।”
जब हम इस तरह यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू में विश्वास करते हैं, तो हमारा उद्धार पूरा हो जाता है ताकि हमारे हृदय हमारे पापों से मुक्त हो सकें। लिखा है, "पर जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात जो उसके नाम पर विश्वास करते हैं" (यूहन्ना 1:12)। फिर आपके बारे में क्या? इस वचन के अनुसार, क्या आप उस बपतिस्मा पर जो यीशु ने प्राप्त किया था और उस लहू पर जो उसने क्रूस पर बहाया था विश्वास करते है, और क्या आप इस विश्वास के द्वारा उद्धार के वचन को थामे हुए हैं जो प्रभु ने आपको दिया है?
इस समय जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि आप अपना विश्वास पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन में रखें। हमारे लिए यह विश्वास करना नितांत महत्वपूर्ण है कि यीशु मसीह ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से जो बपतिस्मे का वचन प्राप्त किया और जो लहू उसने बहाया वह हमारा उद्धार है। पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन पुनरुत्थान का सत्य है जो प्रभु ने हमें दिया है, और यह अनिवार्य है कि हम अपने हृदय से इस वचन पर विश्वास करें और उस पर टिके रहें। हमें कभी भी इस उद्धार के वचन को हमारे पास से दूर नहीं होने देना चाहिए।
मैं भी उद्धार के इस वचन को थामे रहने के द्वारा अपने सारे पापों से बचाया गया हूँ कि प्रभु ने पानी और आत्मा से मेरे पापों को उठाया और उन्हें साफ़ किया। केवल हमारे ज्ञान से पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानना पूरी तरह से बेकार है। यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन को अपने ज्ञान से जानते है तो यह प्रभु के बीज बोने के दृष्टांत में रास्ते के किनारे गिरे हुए बीज से अधिक कुछ नहीं होगा। जिस तरह यह बीज पक्षियों द्वारा खा लिया गया था उसी तरह यदि हम अपने दिमाग के साथ परमेश्वर के उस वचन को जानते हैं जो हमें हमारे पापों से नया जन्म लेने में सक्षम बनाता है तो शैतान उद्धार के वचन को खा जाएगा जो हमारे दिमाग में बोया गया है।
इसका मतलब है कि हमें अपने पूरे दिल से विश्वास करना चाहिए, और पूर्ण सुनिश्चितता होना चाहिए कि यीशु ने हमारे पापों को उस बपतिस्मा के वचन से धो दिया है जो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किया था। और हमें सच्चे न्याय में पूरे मन से विश्वास करने के द्वारा उद्धार का दृढ़ विश्वास होना चाहिए कि यीशु ने बपतिस्मा लेने के बाद क्रूस पर बहाए गए अपने लहू से हमारे पापों की कीमत चुकाई है। विश्वास के द्वारा, अब हमें उद्धार के वचन यानी हमारे प्रभु के बपतिस्मा और उसके लहू के वचन को आपके और मेरे ह्रदय में बोना चाहिए। हमारे दिलों में विश्वास के उद्धार को बोने के लिए, हमें उस विश्वास पर चिंतन करना चाहिए जो हमारे दिलों में बोया गया है, और यदि हमारे अन्दर विश्वास की कमी है, तो हमें फिर से प्रभु के वचन को थामे रहना चाहिए और बार-बार सत्यापित करना चाहिए कि वचन ने हमारे पापों को मिटा दिया है। यदि हममें अभी भी विश्वास की कमी है, तो हमें परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए और उसके वचन को बार-बार सुनना और पढ़ना जारी रखना चाहिए। तब हमारे पास हमारे उद्धार की सुनिश्चितता होगा और हम विश्वास के लोग बनेंगे।
यहां तक कि यदि ऐसा लगता है कि हम उद्धार के सुसमाचार को जानते हैं जो प्रभु ने हमें दिया है, तो उद्धार हमारी ह्रदय में तब परिपूर्ण होता है जब हम वास्तव में समझते हैं और अपने ह्रदय से विश्वास करते हैं कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से मानव जाति के पापों को उठाया, और जो लहू उसने बहाया वह हमारे पापों की कीमत थी। हमें अपने उद्धार के लिए समय-समय पर अपने विश्वास को बार-बार स्वीकार करना चाहिए। हमें उद्धार के वचन को बार-बार सुनना चाहिए, उसका प्रचार करना चाहिए, और अपने विश्वास को सुधारना चाहिए, ताकि यह हमारे दिलों में और भी गहरा हो जाए। हमारे दिलों में इस तरह बोया गया उद्धार का वचन कोई नहीं छीन सकता। शैतान हम पर संदेहापूर्ण प्रश्नों के साथ हमला करता है, हमसे पूछता है कि हमारे पास वह सुसमाचार कैसे हो सकता है जो हमें नया जन्म लेने का आशीर्वाद देता है। फिर भी, हम अपने ह्रदय में बोए गए पानी और आत्मा के वचन पर विश्वास करके बिना किसी झिझक के अपने विश्वास को स्वीकार कर सकते हैं।
जिस तरह सामरी स्त्री ने यीशु मसीह के वचन का सामना करने पर उद्धार प्राप्त किया, उसी प्रकार यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को उठाने के द्वारा हमारे पापों को शुध्ध किया है यह जानने के द्वारा आपने और मैंने हमारे सभी पापों से नया जन्म प्राप्त किया है। और यह विश्वास करके कि यीशु ने बपतिस्मा लिया था और क्रूस पर बहाए गए लहू से हमारे पापों की कीमत चुकाई थी, हम अपने उद्धार तक पहुँच गए हैं।
एक बार जब हम यीशु मसीह के नाम में छिपे हुए सत्य को जान लेते हैं—अर्थात, एक बार जब हम सत्य के वचन को समझ लेते हैं कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को उठाया था—तो हम अपने हृदयों के पापों को धोने में विश्वास कर सकते हैं, हम अपने सारे पापों से उद्धार पाकर परमेश्वर की सन्तान बन गए है, हमें पाप रहित बनाया गया है, और हम आध्यात्मिक रूप से याकूब बन गए हैं। परमेश्वर ने आज आपको और मुझे उद्धार के सत्य में विश्वास करने का आशीर्वाद दिया है। आइए हम प्रभु का धन्यवाद करें, विश्वास से जिएं, और उसके राज्य में उसे आमने सामने देखें!