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विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-8] मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार का रंग (निर्गमन २७:९-१९)

मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार का रंग
(निर्गमन २७:९-१९)
“फिर निवास के आँगन को बनवाना। उसके दक्षिण की ओर के लिये बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के परदे हों, उसकी लम्बाई सौ हाथ की हो; एक किनारे पर इतना ही हो। और उनके लिए बीस खम्भे बनें, और इनके लिये पीतल की बीस कुर्सियाँ बनें, और खम्भों के कुन्डे और उनकी पट्टियाँ चाँदी की हों। और उसी प्रकार आँगन के उत्तर की ओर की लम्बाई में भी सौ हाथ लम्बे परदे हों, और उनके लिए भी बीस खम्भे और इनके लिये भी पीतल के बीस खाने हों; और उन खम्भों के कुन्डे और पट्टियाँ चाँदी की हों। फिर आँगन की चौड़ाई में पश्‍चिम की ओर पचास हाथ के परदे हों, उनके लिए खम्भे दस और खाने भी दस हों। पूरब की ओर आँगन की चौड़ाई पचास हाथ की हो। आँगन के द्वार की एक ओर पन्द्रह हाथ के परदे हों, और उनके लिए खम्भे तीन और खाने तीन हों; और दूसरी ओर भी पन्द्रह हाथ के परदे हों, उनके लिए भी खम्भे तीन और खाने तीन हों। आँगन के द्वार के लिये एक परदा बनवाना, जो नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का कामदार बना हुआ बीस हाथ का हो, उसके लिए खम्भे चार और खाने भी चार हों। आँगन के चारों ओर के सब खम्भे चाँदी की पट्टियों से जुड़े हुए हों, उनके कुन्डे चाँदी के और खाने पीतल के हों। आँगन की लम्बाई सौ हाथ की, और उसकी चौड़ाई पचास हाथ की, और उसके कनात की ऊँचाई पाँच हाथ की हो, उसकी कनात बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े की बने, और खम्भों के खाने पीतल के हों। निवास स्थान के भाँति भाँति के बर्तन और सब सामान और उसके सब खूँटे और आँगन के भी सब खूँटे पीतल ही के हों।”
 
 
आँगन का द्वार
नया जन्म पाए हुए लोगों के विश्वास और साधारण मसीही के विश्वास में स्पष्ट अन्तर है: पहले के लोग जानते है और विश्वास करते है की परमेश्वर ने हमारे सारे पापों को दूर किया है, और नए अपने खुद के विचार से यीशु पर एक धार्मिक रीति के मुताबिक़ विश्वास करते है। फिर भी जो लोग केवल धार्मिक रीति से परमेश्वर पर विश्वास करते है वे बहुत ज्यादा समृध्ध है और जो लोग सच्चे सत्य का प्रचार करते है वे इन लोगों की झूठी शिक्षाओं को और उनको समृध्ध बनते हुए देख कर निरुत्साहित होते है। वे लोग निरुत्साहित है क्योंकि वे लोग स्पष्ट रूप से जानते है की बहुत सारे मसीही लोग झूठी धार्मिक बातों में फसे है।
मैं भी इस बात से थोड़ी देर के लिए निरुत्साहित हो गया। क्योंकि मैं सत्य के द्वारा नया जन्म पाया हुआ हूँ, और वास्तव में मैं परमश्वर का धन्यवादित हूँ की उसने मुझे ओअने कार्य के लिए इस्तेमाल किया, और क्योंकि मेरा हृदय परमेश्वर के सत्य को फैलाने के लिए इच्छित है, जब मैं देखता हूँ की बहुत सारे लोग झूठ की वजह से धार्मिक जीवन में फ़स जाते है, तब मैं बहुत दुःखी हो जाता हूँ।
फिर भी, स्पष्ट बात यह है की पवित्र आत्मा मेरे हृदय के अन्दर है, और मेरी कमजोरियों की वजह से भी मेरे हृदय में कोई पाप नहीं है। इसलिए मेरा हृदय धन्यवाद से भरा हुआ है और मैं जिस सुसमाचार पर विश्वास करता हूँ उससे मुझे कोई शर्म नहीं है। जब मैं दुनिया भर के लोगों को इस सुसमाचार का प्रचार करता हूँ, और यदि वे इस वचन को सुनकर इस पर विश्वास करते है, तो उन्हें भी परमेश्वर और लोगों के सामने शर्म नहीं आएगी, क्योंकि जब वे लोग इस सत्य पर विश्वास करेंगे, तब वे लोग वास्तव में परमेश्वर की संतान बनेंगे।
आप भू विश्वास से यह आशीष पा सकते है। भलेही आपने धर्मविज्ञान की पढ़ाई ना की हो, फिर भी यदि आप केवल पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य पर विश्वास करते है, तो आप अपने पापों की माफ़ी पा सकते है, परमेश्वर की संतान बन सकते है, और पवित्र आत्मा को अपने हृदय के अन्दर प्राप्त कर सकते है। और पवित्र आत्मा के साथ, आप परमेश्वर के सेवकों के साथ चल सकते है। यह स्पष्ट सत्य है, और ऐसा विश्वास करना सच्चा विश्वास है।
हालाँकि मैं एक ऐसी दुनिया में जी रहा हूँ जो झूठ से भरी हुई है, क्योंकि मेरे दिल में यह सच्चा विश्वास है, इसलिए मैं अब तक सच्चाई के सुसमाचार का प्रचार करने में सक्षम रहा हूँ। चूँकि मैंने मिलापवाले तम्बू के विषय पर वचन का प्रचार करना शुरू किया, इसलिए मुझे झूठे लोगों की योजनाओं के बारे में अधिक स्पष्ट रूप से पता चला, और इस तरह मैंने झूठे से सच का पता लगाया। यही कारण है कि मैं मिलापवाले तम्बू के इस सत्य की गवाही देता रहा हूं। यह मुझे अत्यधिक खुशी देता है कि मिलापवाले तम्बू के माध्यम से वास्तविक सत्य के प्रसार के साथ, लोग सत्य और असत्य के बीच विचार करने में सक्षम होते है।
मिलापवाले तम्बू पर इस पुस्तक को लिखने में, मेरे लिए सबसे कठिन कार्य इसकी शब्दावली से निपटना था। मैंने इस मुद्दे पर बहुत ध्यान दिया है, मूल ग्रंथों को देखते हुए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मिलापवाले तम्बू से जुड़ी कठिन शब्दावली गलत जानकारी न दे, न ही पाठकों द्वारा इस तरह की गलत बातों को अपनाए। मिलापवाले तम्बू की मेरी अपनी समझ के ज्ञान के बावजूद, क्योंकि मिलापवाले तम्बू के तौर-तरीके और उसके छिपे हुए आत्मिक अर्थों को उन लोगों को समझाना पड़ता था, जिनका ज्ञान बहुत सीमित है, मैं कुछ हद तक इस कार्य के बारे में चिंतित था और इस बात की अनिश्चितता थी कि क्या मै वास्तव में मिलापवाले तम्बू के महत्त्व को समझा पाउँगा। 
निश्चित रूप से, यह अच्छा होगा, की लोग जब पहली बार सुने तब ही वे समझ सके और विश्वास कर पाए। लेकिन रोम एक दिन में नहीं बनाया गया था; इसी तरह, सारे मामलों में, सत्य और सच्चा विश्वास का प्रसार एक दिन में भी पूरा नहीं होता है, लेकिन यह धीरे-धीरे प्राप्त होता है, जैसे कि हम सतह को धीरे धीरे करके गहराई तक पहुचते है। इसलिए मैं शुरुआत से ही बहुत गहरी खुदाई के बारे में चिंतित था, क्योंकि हर कोई इसे समझने में सक्षम नहीं था, और यह सबसे कठिन चुनौतियों में से एक था जिसे मैंने इस पुस्तक को लिखने में सामना किया था। फिर भी, परमेश्वर की मदद से, आखिरकार पुस्तक बहुत कठिनाई के बिना प्रकाशित हो गई है। कहने की जरूरत नहीं है की मैं इसके लिए बहुत खुश और आभारी हूँ। इस पुस्तक के माध्यम से, और असत्य से सत्य को समझकर, मैं प्रकट करूंगा कि कैसे पानी और आत्मा के सुसमाचार के आज के विश्वासी स्पष्ट रूप से, और निसन्देह बचाए गए है, और कैसे, इसके विपरीत, धार्मिक और पानी और आत्मा के सुसमाचार के विश्वास से अलग विश्वास वास्तव व्यर्थ है। इसलिए मैं अपने पापों से मुझे बचाने के लिए परमेश्वर का आभारी हूँ।
आज, कई कहे जानेवाले प्रचारक है, जो बिना शर्त दावा करते है कि वे सिर्फ इसलिए पापरहित है क्योंकि वे यीशु पर विश्वास करते है। उनके हृदय सभी प्रकार के भ्रमपूर्ण विश्वास से भरे है। मिलापवाले तम्बू का अध्ययन करते हुए, मुझे यह भी स्पष्ट रूप से पता चल गया है कि वास्तव में उनका विश्वास कितना व्यर्थ और झूठा है, और इस समझ के कारण, मैं अपने उद्धार के लिए पूरे दिल से परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ।
 
 
मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार और बाड़े
 
मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार और बाड़े
मुख्य भाग से, हम सत्य को ढूंढ सकते है की समकोणीय मिलापवाले तम्बू के आंगन की लम्बाई ४५ मीटर और उसकी चौड़ाई २२.५ मीटर (७५ फीट), जैसे की एक हाथ की लम्बाई ०.४५ मीटर (१.५ फीट) के बराबर है; मिलापवाले तम्बू का आँगन चारो ओर ६० खम्भों से घिरा हुआ था, प्रत्येक खम्भे की उंचाई २.२५ मीटर (७.५ फीट) थी; उसकी बाई ओर द्वार था, जो ९ मीटर चौड़ा था; और बाकि की बाड़ (१३५ मीटर (१२३ गज) में से लगभग १२६ मीटर (११५ गज) थी) सफ़ेद बटी हुई सनी के कपड़े से घिरी हुई थी।
मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना हुआ था, जो ९ मीटर चौड़ा और २.२५ मीटर (७.५ फीट) ऊँचा था। दुसरे शब्दों में, यह चार कपड़े बुन कर ९ मीटर (३० फीट) चौड़ा और २.२५ मीटर (७.५ फीट) ऊँचा पर्दा बनाया गया था। सबसे पहले नीले कपड़े को बुना गयाऔर उसके साथ चौड़ाई में बटी हुई सनी का कपड़ा बुना गया, और उसके बाद २.२५ मीटर की उंचाई तक बैंजनी कपड़ा बुना गया, और उसके बाद २.२५ मीटर (७.५ फीट) की उंचाई तक लाल कपड़ा बुना गया, उसके बाद सफ़ेद कपड़ा बुनकर एक मोटा पर्दा बनाया गया, जो चटाई के जैसे बुना हुआ था, जो २.२५ मीटर (७.५ फीट) ऊँचा था। इस तरह, २.२५ मीटर (७.५ फीट) ऊँचा और ९ मीटर (३० फीट) चौड़ा पर्दा बुनकर मिलापवाले तम्बू के आँगन के चार खम्भों पर बाई ओर रखा गया।
मिलापवाले तम्बू के आँगन के अन्दर प्रवेश करने के लिए, लोगों को चटाई उठानी पड़ती थी। दुसरे द्वारों से अलग, मिलापवाले तम्बू का द्वार लकड़ी से नहीं बनाया गया था। हालाँकि इसके खम्भे लकड़ी से बनाए गए थे, चार खम्भों पर रखा गया द्वार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना गया था।
आप शायद पहले सर्कस देखने के लिए गए होंगे, और देखा होगा की सर्कस का तम्बू कैसे बना होता है। उसके द्वार ज्यादातर मोटे कपड़े से बने होते है। मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार भी कुछ इसी तरह से बना हुआ था। जैसे की वह मोटे कपड़े से बनाया गया था, इसलिए सख्त द्वार की तरह उसे खिंच कर या धक्का देकर नहीं खोला जा सकता था, लेकिन प्रवेश करने के लिए उसे उठाना पड़ता था। यह केवल मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के लिए ही नहीं था, लेकिन मिलापवाले तम्बू के अन्दर पवित्र और अतिपवित्र स्थान के द्वार के लिए भी था।
क्यों परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिलापवाले तम्बू के आँगन के तिन द्वार, पवित्र स्थान और अतिपवित्र स्थान को नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बनाने के लिए कहा? हमें यह स्पष्ट रूप जानने की आवश्यकता है की इस आदेश के पीछे परमेश्वर की इच्छा क्या थी। इब्रानियों की किताब हमें बताती है की पुराने नियम की सारी अच्छी वस्तुए आनेवाली अच्छी वस्तु का प्रतिबिम्ब है, जो यीशु मसीह है (इब्रानियों १०:१)। 
इसी तरह, मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार यीशु मसीह के बपतिस्मा, क्रूस पर उसकी मृत्यु और उसकी अपनी पहचान से जुड़ा है। वैसे ही, जब हमें पुराने नियम को समझने में परेशानी होती है, तो हम नए नियम को देखकर इस समझ तक पहुँच सकते है। वास्तविक वास्तु को देखे बिना, उसके प्रतिबिम्ब का पता लगाना कठिन है, लेकिन जब यह देखते है कि प्रतिबिम्ब क्या है या कौन डाल रहा है, तब हम समझ सकते है कि यह क्या है। हम सभी को यह स्पष्ट रूप से समझना चाहिए कि पुराने नियम में परमेश्वर ने पापियों के उद्धारकर्ता को तैयार किया था वास्तव में वह कौन है, उसे मिलापवाले तम्बू के वास्तविक वास्तु के रूप में जानना है, और विश्वास करना है की उसके कार्यों ने हमें हमारे सारे पापों से बचाया है।
तो फिर, मिलापवाले तम्बू की वास्तविक वास्तु कौन है, जो पापियों का उद्धारकर्ता बना है? यह यीशु मसीह के अलावा और कोई नहीं है। जब हम जांचते है कि यीशु मसीह, हमारा उद्धारकर्ता, इस पृथ्वी पर कैसे आया और उसने हमें हमारे पापों से कैसे बचाया है, तो हम यह निश्चित सत्य जान सकते है कि उसने नीले, बैंजनी और लाल कपड़े के द्वारा पापियों को बचाया है।
यीशु के पापियों के उद्धार को समझने के लिए, मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के रंगों में प्रगट हुए सत्य को जानना और विश्वास करना महत्वपूर्ण है। जब मिलापवाले तम्बू में प्रवेश करते है, तो सबसे पहले हमें यह समझना चाहिए कि इसके आँगन का द्वार चार कपड़ो से बना हुआ है। और जब हम इस द्वार के रहस्य को सुलझाते है, तो हम यीशु मसीह के सभी कार्यों को दृढ़ता से समझ सकते है। इन चार कपड़ो से बुने गए द्वार के परदे को देखकर, हम भी स्पष्ट रूप से समझ सकते है कि हमें यीशु को कैसे जानना और विश्वास करना चाहिए, और वास्तव में किस प्रकार का विश्वास गलत विश्वास है।
मिलापवाले तम्बू के बहार का आँगन हमें भेड़ो के बाड़े की याद दिलाता है। यीशु, हमारा उद्धारकर्ता, वास्तव में परमेश्वर की भेड़ो की बाड़ का द्वार है, और वह अच्छा चरवाहा भी बना (यूहन्ना १०:१-१५)। जब हम आँगन के चारो ओर के खम्भों के बारे में सोचते है, तब हमें वास्तव में वह मसीहा की याद दिलाता है, जो अपनी भेड़ो के लिए यानि की नया जन्म पाए संतो के लिए द्वार और अच्छा चरवाहा बना।
चरवाहे ने वास्तव में अपनी भेड़ों की सुरक्षा के लिए बाड़े के आस-पास खम्भों को रखा है और वहां एक द्वार बनाया है, और इस द्वार के माध्यम से, वह अपनी भेड़ों की रखवाली कर रहा है। इस दरवाजे के माध्यम से चरवाहे ने अपनी भेड़ों के साथ घनिष्ठ संगति की और उनकी रक्षा की। तथ्य की बात के रूप में, वे सभी लोग जो उसकी भेड़ नहीं है, उन्हें इस द्वार से अंदर जाने की अनुमति नहीं है। चरवाहा भेड़ों और भेड़ियों के बीच अंतर करता है। यही कारण है कि भेड़ों को चरवाहे की जरूरत होती है। 
फिर भी यह संभव है कि इन भेड़ों में से कुछ ऐसे है जो चरवाहे के नेतृत्व में रहने से इनकार कर रहे है। इस तरह की भेड़ें मौत के रास्ते में प्रवेश कर सकती है, यह सोचकर कि यह एक सुंदर और अच्छा रास्ता है लेकिन यह वास्तव में एक विश्वासघाती और खतरनाक है, क्योंकि उन्होंने चरवाहे की आवाज नहीं सुनी है और उसके नेतृत्व में रहने से इनकार कर दिया है। ये भेड़ें वास्तव में अपना जीवन बचा सकती है और उन्हें चरवाहे के द्वारा अच्छी तरह से भोजन खा सकती है, और उनकी वजह से अपनी जिंदगी को खूबसूरती से जी सकते है। वास्तव में, हमारा चरवाहा, यीशु मसीह है जो हमारा मसीहा बन गया है।
 
 
यीशु मसीह ने हमें मिलापवाले तम्बू के द्वार के चार रंग दिखाए
 
यह परदा जो मिलापवाले तम्बू के द्वार के रूप में रखा गया था वह नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बना था। यह चार अलग अलग रंगों का उपयोग मिलापवाले तम्बू के द्वार को बनाने के लिए हुआ था। वे मसीहा जो पृथ्वी पर आनेवाला है उसकी चार सेवकाई को दर्शाता है, जो खोई हुई भेड़ो को – वे है, दुनिया भार के आत्मिक इस्राएली – उनके पापों से बचाएगा और उन्हें परमेश्वर के पापरहित लोग बनाएगा।
यदि हम वास्तव में जानते हो की हमारा मसीहा जो आनेवाला है वह कौन है, तो फिर, स्पष्ट सत्य यह है की इस विश्वास के द्वारा हमारे सारे पाप धुल गए है, हमने हमारा बाकी बचा जीवन पानी और आत्मा के सुसमाचार के प्रचार के लिए समर्पित किया है, और इस विश्वास के द्वारा हम स्वर्ग में प्रवेश करेंगे। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति को यह सत्य के वचन जानना चाहिए की मसीहा नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के द्वारा हमारे पास आया और हमें हमारे सारे पापों से बचाया।
क्या आप मसीहा की चार सेवकाई में विश्वास करके अपने पापों की माफ़ी प्राप्त करना चाहते है? तो फिर आइए हम मिलापवाले तम्बू के बारे में जाने। जो लोग इन चार सेवकाई को जानते है, वे वास्तव में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े, और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा पापों की माफ़ी पाकर धर्मी बनेंगे। 
इस्राएल के लोगों ने चार अलग-अलग रंगों के कपड़े से बुने हुए मिलापवाले तम्बू के द्वार को देखकर वास्तव में विश्वास किया था कि मसीहा वास्तव में भविष्य में आएगा और इन चार सेवकाई को पूरा करेगा।
 
 
ऐसा सत्य जो सारे पापियों को विश्वास करना चाहिए
 
अगर हमने तम्बू के आंगन में लटकते हुए सफ़ेद सनी के कपड़े को देखा होता, तो वह कितना पवित्र परमेश्वर है यह जानने के बाद हमें पता चल गया होता की हमारे लिए उद्धारकर्ता की कितनी आवश्यकता है। वास्तव में हर कोई जो परमेश्वर की पवित्रता को जानता, वह यह कबूल करता और कहता, “परमेश्वर, मैं मानता हूं कि मैं अपने पापों के कारण नरक के लिए नियोजित हूँ, क्योंकि मैं सिर्फ पाप का एक ढेर हूँ।” आँगन के खम्भों पर लिपटे हुए सफ़ेद सनी के कपड़े को देखते हुए, क्योंकि इसकी निर्मलता और महिमा इतनी महान है, इसलिए लोग अपने दिल में छिपे पाप को पहिचानते है और उन्हें पता चलता है की वे परमेश्वर के लिए जीने योग्य नहीं है। जिनके हृदय साफ़ नहीं है वे जब भी परमेश्वर के सामने जाने की कोशिश करते है तब उनके पाप प्रगट होते है। इसलिए लोग परमेश्वर के सामने जाने से हिचक रहे है, क्योंकि उन्हें डर है कि उनके पाप प्रगट हो जाएंगे।
लेकिन जब ऐसे पापी व्यक्ति को पता चलता है की उनके उद्धारकर्ता ने अपने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से उनके पापों की समस्या को सुलझा दिया है तब वे अपने दिल में उद्धार की बड़ी निश्चितता और आशा के साथ परमेश्वर के सामने जा सकते है की। 
मिलापवाले तम्बू के द्वार पर दिखाया गया चार प्रकार का सच हमें बताता है कि मसीहा इस धरती पर एक मनुष्य की देह में आया था, उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठाया था, और क्रूस पर अपना खून बहाया था। जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार के माध्यम से जानते है और मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के चार रंगों की सच्चाई पर विश्वास करते है वे पापों की अनन्त माफ़ी प्राप्त करते है। यीशु का बपतिस्मा और उसका क्रूस पर चढ़ना, यह सच्चाई है कि मसीह ने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए लहू के द्वारा हमें हमारे सारे पापों से बचाया है, यह उद्धार मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के चार रंगों की तरह है।
नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी का कपड़ा हमें वास्तव में मसीहा की सेवकाई को बताते है जिसने पापियों को उनके सारे पापों से बचाया है। परमेश्वर ने मनुष्यजाति को जो उद्धार दिया है उसकी सच्चाई नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुई है। वास्तव में जिन लोगों के दिलों में पाप है वे पानी और आत्मा के सुसमाचार में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करके अपने पापों से माफ़ी पा सकते है।
इस दुनिया में अनगिनत धर्म पनप रहे है। ये सभी सांसारिक धर्म अपने स्वयं के विचारों से बने अपने स्वयं के सिद्धांतों के साथ आए है, यह सभी लोगों को पवित्रता तक पहुंचने का प्रयास करते है। लेकिन इन सांसारिक धर्मों के माध्यम से एक भी व्यक्ति के पापों को दूर नहीं किया गया है। इसका कारण यह है कि उन्होंने अपने स्वयं के विचारों के आधार पर उद्धार के अपने सिद्धांतों में विश्वास किया था, बिना यह महसूस किए कि वे सिर्फ पाप से भरे है। क्योंकि हर कोई पाप का एक ढेर है जो अपने आप कभी भी पवित्र नहीं हो सकता है, चाहे वह कितना भी पाप के अपने मौलिक स्वभाव से छुटकारा पाने की कोशिश करे, लेकिन कोई भी इसे प्राप्त नहीं कर सकता है। यही कारण है कि हर किसी को उद्धारकर्ता की आवश्यकता है जो उसे पापों से छूटकारा दे सकता है - यही कारण है कि सभी को यीशु की आवश्यकता है। आपको एहसास होना चाहिए कि यीशु मसीह के अलावा मनुष्य का कोई सच्चा उद्धारकर्ता नहीं है।
क्योंकि परमेश्वर की व्यवस्था पापियों को परमेश्वर के घर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देता, इसलिए हमें यह जानना और विश्वास करना चाहिए की मसीहा ने हमारे सरे पापों को दूर किया है।
जिस सुसमाचार ने मनुष्यजाति के पापों को एक ही बार हमेशा के लिए माफ़ किया है वह और कोई नहीं लेकिन पानी और आत्मा का सुसमाचार है। सांसारिक धर्मो के सिध्धांत पर विश्वास करने से व्यक्ति के पापों के बदले में वह बहुत बड़ी समस्या में पद जाता है, क्योंकि हमारा पवित्र परमेश्वर पापियों के अपराधो के बदले में उन पर दोष लगाता है।
नीले, बैंजनी, और लाल कपड़ा और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा सत्य प्रगट होता है जो नए नियम के युग में पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा परिपूर्ण हुआ है। क्या आपने कभी सुना है की कोई व्यक्ति यह दावा कर रहा है की मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार केवल लाल कपड़े से या केवल बैंजनी कपड़े और लाल कपड़े से बना है? यदि ऐसा है, तो आपको यह समझना चाहिए की मिलापवाले तम्बू का द्वार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना है। परमेश्वर ने स्पष्ट रूप से इस्राएल के लोगों को यह आदेश दिया था की वे मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार नीले, बैंजनी, और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बनाए। 
फिर भी क्योंकि बहुत से लोगों ने गलती से यह सोच लिया था की मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार केवल लाल कपड़े से बुना गया था, इसलिए वे हमारे प्रभु की सच्ची चार सेवकाई के रहस्य को नहीं सुलझा सकते थे। यही कारण है कि जब वे यीशु पर विश्वास करते थे, तब भी उनके दिल में पाप था। अब यह समझें कि मसीह ने नीले, बैंजनी, और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े की अपनी सेवकाई के द्वारा आपके सारे पापों को ले लिया है, और इस सत्य पर विश्वास करे। इन नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बाटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा उद्धार का कार्य परिपूर्ण हुआ है जिसने आपको पूरे तौर पर अपने पापों से बचाया है। आपको एहसास होना चाहिए कि यीशु ने आपके सभी पापों को इन चार सेवकाई के द्वारा दूर कर दिया। दुसरे शब्दों में, इस सत्य से अनभिज्ञ रहते हुए पाप के निवारण का अपना मानक निर्धारित करना गलत है।
यहाँ तक की, कुछ लोग इस बात से अनजान होते है की नीले, बैंजनी, और लाल कपड़ा जो मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को बनाने के लिए इस्तेमाल हुआ था उसका मतलब क्या है, वे गलती सेव यह दावा करते है की व्यक्ति केवल यीशु पर उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करके बच सकता है। वास्तव में, जब हम मसीही समुदायों के अगुवों से यीशु की चार सेवकाई के बारे में पूछते है, तो हमें पता चलता है कि उनमें से कई लोग उससे अनजान है। वे कहते है कि वे केवल लाल कपड़े की सेवकाई में विश्वास करते है। यदि वे एक और बात में विश्वास करते है, तो वे कहेंगे कि वे बैंजनी कपड़े की सेवकाई में भी विश्वास करते है। हालांकि, हमारे प्रभु ने वास्तव में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा मनुष्यजाति के उद्धार के लिए सारे कार्यो को परिपूर्ण किया है। इस प्रकार, हमें विश्वास करना चाहिए कि हमारे प्रभु ने हमारे लिए उद्धार की अपनी चार सेवकाई का संचालन किया। जिसके पास भी मिलापवाले तम्बू के द्वार के नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए सत्य को जानने की इच्छा है वह इसे जानेगा और इस पर विश्वास करेगा।
“मुझे नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े का सही मतलब कैसे समझना चाहिए?” यदि आप इन कपड़े और सनी के कपड़े की सच्चाई की खोज में किसी से यह सवाल पूछना चाहते थे, तो आपको बदले में फटकार लग सकती है, “आपको बाइबल को बहुत गहराई और विस्तार से जानने की कोशिश नहीं करनी चाहिए; इससे आपको नुकसान हो सकता है,” और आपकी उत्सुकता को अनदेखा किया जा सकता है। निराश हुए कई लोग फिर नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के बारे में अपनी जिज्ञासा खो सकते है। और आप कभी भी मसीहा से नहीं मिलेंगे, जो द्वार के माध्यम से प्रगट हुआ है।
जो लोग नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े की भूमिका को समझे बिना मसीहा से मिलने की कोशिश करते है, वास्तव में वे केवल धर्मवादि है जो मसीहियत को दुनिया के धर्मो में से एक मानते है। परमेश्वर के घर में प्रवेश करने के लिए, हमें ठीक से पता होना चाहिए कि मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के लिए इस्तेमाल हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुई परमेश्वर की उद्धार की चार सेवकाई क्या है। और जिन्होंने इस सत्य को पाया है, उन्हें यह समझना चाहिए कि प्रभु ने उन्हें नए नियम के युग में पानी और आत्मा के सुसमाचार के साथ पूरा किया है।
परमेश्वर ने मूसा को नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को बनाने का आदेश दिया था। फिर, इसका आत्मिक अर्थ क्या है? मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया नीला, बैंजनी, और लाल कपड़ा और बटी हुई सनी का कपड़ा यीशु का कार्य है जो जो उसने हमारे पापों को दूर करने के लिए किए थे। इसलिए ये कपड़े और सनी का कपड़ा एक दुसरे से जुड़े हुए है। इस तरह, जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार की ओर ध्यान देते है और विश्वास करते है वे यीशु की चार सेवकाई में उनके पापों की अनन्त माफ़ी के रूप में विश्वास कर सकते है।
इसके बावजूद, नीले, बैंजनी और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य को जानने की कोशिश ना करना और उसे अनदेखा करना, मसीहा के प्रति पूर्ण उदासीनता की अभिव्यक्ति करना और उसके दुश्मन के रूप में उसके सामने खड़े रहना है। वास्तव में कई लोग नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए सत्य के प्रति उदासीन रहते है, और मसीहियत को दुनिया के धर्मो में से एक धर्म में तबदील करते है। यदि ये लोग यीशु की चार सेवकाई को बेतरफी से देखते है, तो यह सबूत है की वे लोग सांसारिक धर्म का फल है जो यीशु के विरोध में खड़ा है। सौभाग्य से, हालांकि, हमारे लिए अभी भी उम्मीद है, इस दुनिया में कई लोग अभी भी पानी और आत्मा के सुसमाचार की तलाश कर रहे है।
जब लोगों के पास मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के द्वारा प्रगट हुए पापों की माफ़ी के सत्य का आत्मिक अर्थ है, तो वे स्वर्ग की सारी आत्मिक आशीषों को पा सकते है। क्योंकि यह विश्वास वास्तव में आवश्यक विश्वास है जो मसीहा से मिलाने के लिए जानना चाहिए और विश्वास करना चाहिए, इसलिए हमें उस पर न केवल एक बार, बल्कि हमेशा के लिए विश्वास करना चाहिए। यदि आप वास्तव में एक मसीही है, तो आपको इस सच्चाई पर ध्यान देना चाहिए।
जो कोई भी परमेश्वर के घर में प्रवेश करना चाहता है उसे नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए सत्य को खोजना चाहिए और परमेश्वर की स्तुति करनी चाहिए।
 
 
मसीहा जो भविष्यवाणीयों को परिपूर्ण करनेवाले के रूप में आया
 
परमेश्वर ने अपने वचन के द्वारा भविष्यवाणी की थी की मसीहा कुँवारी के द्वारा जन्म लेगा। यशायाह ७:१४ कहता है की, “इस कारण प्रभु आप ही तुम को एक चिह्न देगा। सुनो, एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।” दूसरी ओर मिका ५:२ कहता है की मसीहा का जन्म बैतलहम में होगा: “हे बैतलहम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हज़ारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरुष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करनेवाला होगा; और उसका निकलना प्राचीनकाल से, वरन् अनादि काल से होता आया है।” मसीहा पुराने नियम में भविष्यवाणी किए गए वचनों की तरह ही इस पृथ्वी पर आया। परमेश्वर के वचन की परिपूर्णता के लिए मनुष्य के देह में इस पृथ्वी पर आया।
मानव इतिहास में मसीहा किस समय आया था? यीशु मसीह कब इस पृथ्वी पर आया था? वह रोमन सम्राट अगस्तुस (B.C. २७ – A.D. १४) के शासन के समय इस पृथ्वी पर आया। यीशु आपको और मुझे हमारे सारे पापों से छुडाने के लिए और यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेकर अपने ऊपर सारा दोष लेके के लिए और क्रूस पर चढ़ने के लिए और क्रूस पर लहू बहाने के लिए इस पृथ्वी पर आया। 
जब इस्राएल को रोमन साम्राज्य के एक उपनिवेश में बदल दिया गया था और जब अगस्तुस सम्राट के रूप में शासन कर रहा था तब यीशु मनुष्यजाति के उद्धारकर्ता के रूप में आया। क्योंकि इस्राएल एक रोमन उपनिवेश था, इसलिए उसे रोम के फरमानों का पालन करना था। इस समय, सम्राट अगस्तुस ने पूरे रोमन साम्राज्य में हर किसी को अपने गृहनगर में लौटने और जनगणना के लिए पंजीकरण करवाने का फैसला किया था। अगस्तुस के फरमान के बाद, यह जनगणना तुरंत शुरू कर दी गई थी। क्योंकि जनगणना के द्वारा साम्राज्य में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का लेखा जोखा रखना था, जिसमें इस्राएल में रहने वाले लोग भी शामिल थे, इसलिए सभी इस्राएलियों को भी अपने गृहनगर वापस आना पड़ा। इस क्षण से, यीशु मसीह पहले से ही मनुष्यजाति के इतिहास में काम कर रहा था।
 
 
पुराने नियम के वचन की परिपूर्णता की ओर देखिए!
 
उस समय पर, यहूदिया की भूमि पर, पहले से ही कुँवारी मरियम के द्वारा यीशु का गर्भ धारण हो चूका था। इस मरियम की मंगनी यूसुफ़ से हुई थी। मरियम और यूसुफ़ दोनों यहूदा गोत्र से थे, जैसे की परमेश्वर ने वायदा किया था की इस्राएल के बारह गोत्र में से, केवल यदूदा गोत्र से राजा का जन्म निरंतर होगा।
इसलिए जब रोमन सम्राट अगस्तुस ने जनगणना करने का फैसला किया, तो यहूदा गोत्र की मरियम, पहले से ही अपने गर्भ में एक बच्चे को ले जा रही थी। जब उसका समय निकट आया और वह जन्म देने वाली थी, तब सम्राट के फरमान के कारण, उसे यूसुफ़ के गृहनगर में जाना पड़ा और जनगणना के लिए पंजीकरण करवाना पड़ा। इसलिए मरियम कभी भी जन्म देनेवाली थी इस परिस्थिति में यूसुफ़ के साथ बैतलहम की ओर आगे बढ़ी। जब मरियम अपने प्रसूति के दर्द में गई, तो उन्हें उसके लिए एक कमरा खोजना पड़ा, लेकिन उन्हें उस नगर में कोई कमरा नहीं मिला। इसलिए उन्हें उस जगह का उपयोग करना था जो उनके लिए उपलब्ध थी, यहां तक कि उन्हें चरनी में रुकना पडा। और मरियम ने चरनी में अपने बेटे यीशु को जन्म दिया
A.D. १ में, यीशु का जन्म हुआ था और उसे एक चरनी में रखा गया था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर आए थे। जिस जगह पर जानवर को रखा गया था, उस जगह पर मनुष्यजाति का उद्धारकर्ता आया था। इसका मतलब यह है कि यीशु हमारे मसीहा बनने के लिए सबसे निचले स्थान पर पैदा हुए थे, और ये सभी चीजें परमेश्वर ने सृष्टि के पहले से ही निर्धारित और नियोजित की थीं। हालाँकि लोग जानते होंगे कि याहवेह परमेश्वर मनुष्यजाति के इतिहास को आगे बढ़ाते है, कोई भी कभी भी यह महसूस नहीं कर सकता है कि वास्तव में परमेश्वर स्वयं उन्हें बचाने के लिए इस धरती पर आएंगे। इसलिए, परमेश्वर ने यह सम्भव बनाया की हर कोई एहसास कर सके की मनुष्यजाति को पापों से छुड़ाने के लिए अपने आप को इतना नम्र किया की वे मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आए।
तो फिर, यीशु का जन्म बैतलहम में क्यों हुआ? हमें यह भी आश्चर्यजनक लगता है की क्यों उसका जन्म चरनी में हुआ, और क्यों यह तब हुआ जब इस्राएल को रोम के द्वारा उपनिवेश बनाया गया था? लेकिन हम जल्द ही यह जान पाएंगे की यह सारी चीजे उनके लोगों को उनके पापों से छुडाने के लिए व्यापक विधि में सामिल है।
जब यूसुफ और मरियम ने अपने गृहनगर में जनगणना के लिए पंजीकरण किया, तो उन्हें यह साबित करने के लिए सबूत देना था कि वे वास्तव में इस शहर से थे, और उनकी सटीक पहचान का दस्तावेज। वे जनगणना के लिए तभी पंजीकरण कर सकते थे जब वे यह साबित करने के लिए आवश्यक सबूत दे सकें कि उनके पूर्वज वास्तव में पीढ़ियों से बैतलहम में रहते थे। इसलिए उन्हें यह बताना था कि उनके पूर्वज कौन थे और वे कौन से घराने से थे, और जनगणना के लिए उनके वंश के सभी विवरण दर्ज करने थे। जैसा कि इनमें से किसी भी चीज को छोड़ा नहीं जा सकता था, ऐतिहासिक रूप से यूसुफ और मरियम की सटीक पहचान दर्ज करके, परमेश्वर ने यह सुनिश्चित किया कि मनुष्यजाति का इतिहास भी यीशु के जन्म की गवाही देगा (मत्ती १:१-१६, लूका ३:२३-३८)। ये सभी परमेश्वर के कार्य थे जो उन्होंने पुराने नियम के वचन की भविष्यवाणियों को पूरा करने के लिए किए थे।
मिका ५:२ में लिखा है, “हे बैतलहम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हज़ारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरुष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करनेवाला होगा; और उसका निकलना प्राचीनकाल से, वरन् अनादि काल से होता आया है।” जन्म का दिन आ पहुचा और मसीहा ने यूसुफ और मरियम को भविष्यवाणी किए हुए नगर में लाकर वहाँ जन्म लिया इसका मतलब है की परमेश्वर ने अपने भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी को पूरा करने के लिए यह कार्य किया। यह सुनिश्चित है की मनुष्यजाति के पापों को दूर करने के लिए परमेश्वर ने यह योजना बनाई थी। पुराने नियम के भविष्यवाणी के वचनों को पूरा करने के लिए यीशु को बैतलहम नामक छोटे नगर में जन्म लेना पडा।
बैतलहम में यीशु मसीह का जन्म हुआ उसके सेंकडो साल पहले, परमेश्वर ने अपने भविष्यवक्ता के द्वारा भविष्यवाणी के वचन दिए थे, जैसा कि ऊपर दर्शाया गया है (मिका ५:२)। साथ ही, भविष्यवक्ता यशायाह ने भी हमारे प्रभु के आने से लगभग ७०० साल पहले भविष्यवाणी की थी कि कैसे मसीहा उनके लोगों के लिए पापियों का उद्धारकर्ता बनने के लिए आएगा (यशायाह ५३)। जैसा कि यीशु मसीह वास्तव में मिका भविष्यवक्ता के द्वारा परमेश्वर ने जैसे भविष्यवाणी की थी वैसे ही बैतलहम में पैदा हुआ था, वह हमेशा भविष्यवाणी के अपने सभी वचन को पूरा करता है। 
यह भविष्यवाणी एक ऐतिहासिक तथ्य के रूप में पूरी हुई जब मरियम और यूसुफ जनगणना के लिए पंजीकरण करवाने अपने पूर्वजों के गृहनगर गए। परमेश्‍वर ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपना वचन पूरा किया कि बालक के जन्म का समय ठीक तब होगा जब मरियम बैतलहम में आएगी, ताकि उसके पास इस शहर में जन्म देने के अलावा कोई विकल्प ना रहे।
यहाँ, हमें पता चलता है कि हमारा परमेश्वर वह परमेश्वर है जो हमें अपने भविष्यवाणी के वचन कहता है और इन सारे वचन को पूरा भी करता है। इससे हम यह पता लगा सकते है कि मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के लिए इस्तेमाल किए गए “बटी हुई सनी के कपड़े” का मतलब परमेश्वर के वचन की सुंदरता और पूर्णता है। परमेश्वर ने सृष्टि से पहले ही मनुष्यजाति के उद्धार की विस्तृत योजना बनाई थी, और उन्होंने अपनी भविष्यवाणी के वचन के अनुसार असफल हुए बिना इसे पूरा किया है। 
इसलिए हम यह जान सकते है कि पुराने नियम का वचन निश्चित रूप से परमेश्वर का वचन है, और यह कि नए नियम का वचन भी परमेश्वर का वचन है। हम यह भी जान सकते है और विश्वास विश्वास करते है कि वास्तव में परमेश्वर पूरे ब्रह्मांड और इस पृथ्वी के सारे इतिहास पर शासन करते है। दूसरे शब्दों में, हम पता लगा सकते है कि जिस तरह परमेश्वर ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया, उसने हमें दिखाया है कि वह सभी लोगों, सभी इतिहासों और सारी स्थितियों पर पूरी तरह से शासन करता है। इसलिए परमेश्वर हमें दिखाता है कि जब तक वह इसकी अनुमति नहीं देता, तब तक इंसान की इच्छा के अनुसार कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।
जब बालक यीशु का जन्म हुआ और वह इस दुनिया में आया, तो वह जानवरों की रहने की जगह में पैदा हुआ क्योंकि सराय में कोई जगह नहीं थी। और वह स्वयं वास्तव में बैतलहम शहर में पैदा हुआ था। हमें यह महसूस करना चाहिए कि ये सारी बाते उसके विश्वासयोग्यता के मुताबिक़ परमेश्वर की भविष्यवाणी की उपलब्धिया थी। 
इसलिए, हमें यह मानना चाहिए कि जो इस ब्रह्मांड के इतिहास को आगे बढ़ाता है, वह हमारा परमेश्वर, उद्धारकर्ता है जिसने हमें हमारे पापों से छुड़ाया है। यह सच्चाई परमेश्वर का वचन है जो हमें दिखाता है कि वह सभी पर शासन करता है, क्योंकि परमेश्वर सभी लोगों का प्रभुई है।
इस प्रकार अब यह साबित हो चुका है कि छोटे से शहर बैतलहम में यीशु का जन्म एक आकस्मिक घटना नहीं थी, न ही कुछ ऐसा जो मनमाने तरीके से बाइबल के वचन में हेरफेर करके किया गया था। यह वही है जो परमेश्वर ने स्वयं कहा था, और यह वह भी है जो परमेश्वर ने स्वयं यीशु के द्वारा पूरा किया था।
हमें यह जानना चाहिए और इस पर विश्वास करना चाहिए। हमें इसे अपने दिलों में रखना चाहिए और विश्वास चाहिए कि हमारे मसीहा का उद्धार सत्य है जो नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से परिपूर्ण हुआ है। परमेश्वर ने हमें दिखाया है कि पाप की माफ़ी भी कुछ ऐसी चीज है जो आकस्मिक रीति से प्राप्त नहीं होती है, लेकिन यह परमेश्वर की भविष्यवाणी में तैयार किए गए यीशु की चार सेवकाई के माध्यम से प्राप्त की जाती है।
इससे यह भी पता चलता है कि मसीहियत केवल कई सांसारिक धर्मों में से एक नहीं है। सांसारिक धर्म का संस्थापक एक नश्वर है, लेकिन मसीहियत के संस्थापक हमारे उद्धारकर्ता यीशु है, और परमेश्वर ने हमें दिखाया है कि मसीहियत की सच्चाई इस तथ्य से शुरू होती है कि हमारा यह उद्धारकर्ता स्वयं परमेश्वर है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर हमें इस बात की गवाही दे रहा है कि जिस मसीहियत पर हम विश्वास करते है वह केवल एक सांसारिक धर्म नहीं है। अन्य सभी सांसारिक धर्मों के विपरीत, परमेश्वर द्वारा दिए गए सारे अनुग्रह पर मसीहियत स्थापित है। जैसा कि रोमियों ११:३६ में लिखा गया है, “क्योंकि उसी की ओर से और उसी के द्वारा, और उसी के लिए सबकुछ है, इसकी महिमा युगानुयुग होती रहे,” हमारे पापों की माफ़ी के लिए, पवित्र आत्मा के अंतर्निवास के लिए, और स्वर्ग के राज्य के लिए उसने हमें हमारे उद्धारकर्ता के रूप में अपना एकलौता बेटा, और पानी और आत्मा का सुसमाचार दिया। इसलिए, हम सभी को अपने दिल में यह जानना और विश्वास करना चाहिए कि हमें पूरे दिल से परमेश्वर और उसके वचन का भय मानना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए।
इस पृथ्वी पर मसीहा का जन्म सृष्टि के पहले ही परमेश्वर पिता द्वारा निर्धारित उद्धार की योजना के अनुसार था। हमारे उद्धार की योजना पूरी तरह से इसी के भीतर थी। परमेश्वर ने हमें स्पष्ट रूप से यह समझने की अनुमति दी है कि यह सत्य नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े का अस्तित्व है। इसलिए, हमें अपने पापों की माफ़ी के रूप में पानी और आत्मा के सुसमाचार के माध्यम से हमारे पास आए उद्धार को पहचानना चाहिए और उस पर विश्वास करना चाहिए। यह इस विश्वास के माध्यम से है कि आपको और मुझे हमारे सभी पापों से बचाया जा सकता है। हमें विश्वास करना चाहिए कि चार रंगों का यह सत्य भी, पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचनों पर हमारे विश्वास से बना है। 
 
 

यीशु मसीह, उद्धारकर्ता जिसने हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा बचाया

 
जिन कार्यों से यीशु मसीह ने पापियों को उनके पापों से बचाया, वे चार सेवकाई है: नीला कपड़ा (यीशु का बपतिस्मा); बैंजनी कपड़ा (राजाओं के राजा के रूप में यीशु - दूसरे शब्दों में, स्वयं परमेश्वर); लाल कपड़ा (यीशु का लहू); और बटी हुई सनी का कपड़ा (पुराने और नए नियम के विस्तृत वचन के माध्यम से सारे पापियों का अपने पापों से छूटकारा)। यीशु नीले कपड़े, बैंजनी कपड़े, लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा उद्धारकर्ता बन गया। 
हमें यह समझना चाहिए कि जब तक हम यह विश्वास नहीं करते कि यीशु, जो पानी और आत्मा के द्वारा हमारे पास आया, उसने हमें नीले कपड़े (यीशु का बपतिस्मा), बैंजनी कपड़े (यीशु परमेश्वर है), लाल कपड़े (यीशु का लहू), और बटी हुई सनी के कपड़े (यीशु ने नए और पुराने नियम के वचन के द्वारा उद्धार प्राप्त किया) के द्वारा हमें हमारे पापों से बचाया, हम कभी भी अपने पाप और इन पापों की निंदा से बच नहीं सकते। इस प्रकार हमें अपने पापों और निंदा से बचाए बिना, हमारे प्रभु सम्पूर्ण उद्धारकर्ता नहीं बन सकते थे।
हमें आत्मिक रूप से इस बात को समझना चाहिए कि क्यों मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार का परदा नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना गया था। मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार का पर्दा नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना गया था ताकि हर कोई स्पष्ट रूप से द्वार को पहचान सके और ढूंढ सके। इस द्वार के माध्यम से, परमेश्वर ने किसी को भी अपने चमकते घर में प्रवेश करने की अनुमति दी थी।
मिलापवाला तम्बू परमेश्वर का चमकता हुआ घर है। कोई भी व्यक्ति मिलापवाले तम्बू के आंगन के द्वार के बाड़े में प्रगट हुए उद्धार के सत्य को समझे बिना परमेश्वर के घर में प्रवेश नहीं कर सकता था। परमेश्वर ने कहा था की जो लोग द्वार पर लिपटे सफ़ेद सनी के परदे की पवित्रता को अनदेखा करते है, और वे द्वार से तम्बू के अन्दर प्रवेश नहीं करते, लेकिन चढ़कर किसी अन्य तरीके से प्रवेश करते है वे चोर और लुटेरे है। उद्धार का द्वार यीशु मसीह (यूहन्ना १०) को दर्शाता करता है। 
जब बाइबल कहती है कि यह द्वार नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना गया है, तब परमेश्वर पुराने और नए नियम के अपने सच्चे वचन के द्वारा स्पष्ट रूप से हमें दिखता है, कि यीशु मसीह इस पृथ्वी पर परमेश्वर के पुत्र के रूप में आया, यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लिया, क्रूस पर मरा, मृत्यु में से जीवित हुआ, और इसतरह हमारा मसीहा बना। इस प्रकार हम नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के रहस्य का पता लगा सकते है। हमें विश्वास करना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें यह विश्वास करने की अनुमति दी है कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है जो हमें इस दुनिया के पापों के न्याय से बचाने के लिए आया था, और वह उद्धारकर्ता है जिसने पुराने और नए नियम के वचन के द्वारा मनुष्यजाति के उद्धार को प्राप्त किया है।
हमें वास्तव में यह समझने के लिए सक्षम होना चाहिए कि मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को इन नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से क्यों बुना गया था। नीला कपड़ा हमें क्या बताता है? और बैंजनी कपड़ा, लाल रंग का कपड़ा और बटी हुई सनी का कपड़ा हमें क्या बताता है? जब हमें परमेश्वर की योजना का एहसास होता है, तो हम यह भी महसूस कर सकते है कि नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के कार्य हमारे लिए परमेश्वर के उद्धार और अनन्त जीवन की योजना है, और हम इस प्रकार पापों की माफ़ी पर हमारे विश्वास के द्वारा उसके राज्य में प्रवेश कर सकते है। 
जब हम कहते है कि हम नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े को जानते और विश्वास करते है, तो इसका मतलब है कि हम अच्छी तरह से जानते है कि क्यों यीशु को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने बपतिस्मा दिया और क्रूस पर अपना लहू बहाया, मसीहा कौन है, पुराने नियम के बलिदान की पध्धति के सारे रहस्य, और नए नियम के पानी और आत्मा के सुसमाचार। संक्षेप में, मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में निहित सत्य उन सभी विश्वासियों के लिए आवश्यक है जो अनंतकाल के लिए उद्धार पाने के लिए सत्य की खोज करते है।
ऐसा लग सकता है कि बहुत से लोगों के पास मिलापवाले तम्बू के बारे में बहुत ज्ञान है, लेकिन वास्तव में, वास्तव में ऐसा नहीं है। लोग वास्तव में इस बात से काफी अनजान है कि तम्बू के आँगन के द्वार में बुने नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का क्या मतलब है। जैसा कि इन नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े का रहस्य समझना मुश्किल है, बहुत से लोगों को सीखने और उन पर विश्वास करने की सच्ची इच्छा है। हालाँकि, क्योंकि इस रहस्य को किसी के द्वारा नहीं समझा जा सकता है, इसलिए उनमें से कई लोगों ने अपनी राय के आधार पर इसे गलत तरीके से व्याख्या किया है। वास्तव में, कई धार्मिक अगुवों ने अपनी समझ के द्वारा इस सत्य को गलत तरीके से समझा और जाना है, केवल अपने धार्मिक कार्यो के लिए इसका उपयोग कर रहे है। लेकिन परमेश्वर अब इन झूठों से मसीहियों को छलने की अनुमति नहीं दे सकता था। इस प्रकार उन्हें तम्बू के आँगन के द्वार के लिए इस्तेमाल हुए नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े की सच्चाई का स्पष्ट मतलब बताया, और इस तरह उन्हें उनके सारे पापों से बचाया।
नए नियम के १ यूहन्ना ५:६-८ कहता है, “यही है वह जो पानी और लहू के द्वारा आया था, अर्थात् यीशु मसीह : वह न केवल पानी के द्वारा वरन् पानी और लहू दोनों के द्वारा आया था। और जो गवाही देता है, वह आत्मा है; क्योंकि आत्मा सत्य है। गवाही देनेवाले तीन है, आत्मा, और पानी, और लहू; और तीनों एक ही बात पर सहमत है।” यह भाग बताता है की हमारा प्रभु मनुष्य देह में इस जगत में आए, अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, और अपना लहू बहाकर हमें बचाया। इसी लिए मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वारा नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना हुआ था।
पहले, नीला धागा हमें क्या दिखाता है? यह हमें यीशु पर सच्चाई का एक हिस्सा दिखाता है, जिसने इस पृथ्वी पर आकर यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाकर पापियों का वास्तविक मसीहा बन गया। वास्तव में, यह बपतिस्मा जो यरदन नदी में यूहन्ना से प्राप्त हुआ था, वह यीशु का सत्य है जो दुनिया के सारे पापों को एक ही बार में हमेशा के लिए उठाता है। यीशु ने वास्तव में सारी मनुष्यजाति के प्रतिनिधि, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा प्राप्त करके जगत के सारे पापों को अपने कंधे पर उठाया था। क्योंकि सारी मनुष्यजाति के पाप मसीहा के सिर पर आ गए थे, इसलिए जो इस सत्य पर विश्वास करते है इनके दिलों में पाप नहीं है।
दूसरा, मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में बुने बैंजनी कपड़े का मतलब क्या है? यह बताता है कि यीशु वास्तव में राजाओं का राजा है। वास्तव में, यीशु ने ब्रह्मांड को बनाया, वह सृष्टि नहीं लेकिन खुद सृष्टिकर्ता है, और वह वास्तविक मसीहा है जो इस पृथ्वी पर आया था। वह, मसीहा, वास्तव में एक मनुष्य के देह की समानता में पहले से ही इस पृथ्वी पर आया था। और यूहन्ना के द्वारा प्राप्त किए गए बपतिस्मा के माध्यम से अपने स्वयं के शरीर पर दुनिया के सारे पापों को सहन करके, और अपने बलिदान और पुनरुत्थान के साथ यीशु ने अपने सारे लोगों को उनके पापों से बचाया है, जिन्होंने अपने मसीहा को पहचाना, उसका भय रखा और उस पर विश्वास किया।
यीशु वास्तव में हमारे सपूर्ण परमेश्वर और सपूर्ण मसीहा है। वह संपूर्ण उद्धारकर्ता है। क्योंकि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, क्रूस पर लहू बहाकर और मरने के द्वारा और मृत्यु में से जीवित होकर, उसने ना केवल हमारे सारे पापों को धोया है, लेकिन उसने हमारी जगह पाप के न्याय को भी सहा है।
तीसरा, लाल कपड़ा उस लहू को दर्शाता है जिसे यीशु ने क्रूस पर बहाया था, और इसका अर्थ यह है कि मसीह ने हम में से उन लोगों को नया जीवन दिया है जो विश्वास करते है। लाल कपड़े की यह सच्चाई हमें बताती है कि यीशु मसीह ने न केवल यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के पापों को अपने ऊपर उठाकर हमारे न्याय को सहा है लेकिन उसने पाप के लिओए मरे हुए लोगों को नया जीवन भी दिया है। उन लोगों के लिए जो उसके बपतिस्मा और उसके द्वारा बहाए गए लहू पर विश्वास करते है, यीशु ने वास्तव में नया जीवन दिया है।
फिर, बटी हुई सनी के कपड़े का क्या मतलब है? यह प्रकट होता है कि नए नियम के साथ, परमेश्वर ने पुराने नियम में लिखे गए अपने उद्धार के वचन को पूरा किया। और यह हमें बताता है कि जब यीशु ने अपने बपतिस्मा के साथ दुनिया के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया और नए नियम में क्रूस पर हमारे पापों के लिए उसका न्याय किया गया, तो उसने उस उद्धार को परिपूर्ण किया जो परमेश्वर ने अपनी वाचा के वचन के साथ इस्राएलियों से और हमसे वादा किया था।
याहवेह परमेश्वर यशायाह १:१८ में कहता है, “आओ, हम आपस में वादविवाद करें : तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तौभी वे हिम के समान उजले हो जाएँगे; और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तौभी वे ऊन के समान श्‍वेत हो जाएँगे।” इसके अलावा, पुराने नियम की बलिदान की पध्धति यह बताती है कि कैसे मिलापवाले तम्बू में बलिदान अर्पण किया जाता था, जिसके तहत बलि के मेमने के सिर पर हाथ रखने के द्वारा इस्राएल के लोगों के पाप उसके ऊपर चले जाते थे, वह वादा था जो परमेश्वर ने इस्राएलियों और हमसे किया था। यह परमेश्वर के वादे का प्रकाशन था कि वह दुनिया के सभी लोगों को उनके दैनिक पापों से और वार्षिक पापों से भविष्य में परमेश्वर के मेमने के द्वारा बचाएगा।
यह भी आनेवाले मसीहा का संकेत था। इसलिए नए नियम के समय में, जब यीशु मसीह ने बपतिस्मा लेने के द्वारा दुनिया के सभी पापों को एक ही बार में पुराने नियम के तरीके के अनुसार अपने ऊपर उठाया, वह परमेश्वर की वाचा की परिपूर्णता थी। हम सभी को वायदे के वचन देकर, परमेश्वर ने हमें दिखाया है कि जैसे उसने वादा किया था ठीक उसी तरह उसने वास्तव में उन सभी को पूरा किया है। यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था वह इस सच्चाई को प्रकट करता है, कि वाचा के परमेश्वर ने उसकी सभी वाचाओं को पूरा किया है।
 
 

यीशु मसीह जो पानी, लहू और आत्मा के द्वारा आया

 
क्यों यीशु को यूहन्ना के द्वारा बपतिस्मा दिया गया? इसका कारण था की मनुष्यजाति के सारे पापों को अपने ऊपर उठाना, और हमारी जगह खुद पाप के न्याय को प्राप्त करना। मनुष्यजाति के सारे पापों को दूर करने के लिए, और हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बनने के लिए, यीशु को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा लेना पडा, क्रूस पर चढ़ना पडा, लहू बहाना पडा और क्रूस पर मरना पडा। ऐसा करने से उसने न केवल हमारे सारे पापों को धो डाला, लेकिन उसने हमारी जगह खुद इन पापों के न्याय को प्राप्त किया, और इस तरह हमारा अनन्त उद्धारकर्ता बन गया। जब उसने यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लिया तब हमारे सारे पाप उसके ऊपर डाले गए, और वह जगत के सारे पापों को उठाकर क्रूस पर चढ़ा। यह इसलिए है क्योंकि मसीह ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया था, और क्योंकि वह जगत के इन पापों को लेकर क्रूस तक गया था, ताकि वह क्रूस पर चढ़ सके, अपना लहू बहा सके, और हमारी जगह खुद मर सके। 
यशायाह ५३:५ कहता है, “परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी, कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएँ।” हमारे प्रभु के बपतिस्मा के द्वारा, हमारे मूल पाप जो हमें हमारे पूर्वज आदम से विरासत में मिले थे और हमारे वास्तविक पाप जो हम जीवनभर करते है उसे यीशु पर डाला गया। और इन सारे पापों के लिए उसका न्याय किया गया। इस प्रकार पानी और लहू के द्वारा हमारे पास आने से, हमारे प्रभु ने हमारे सारे पापों को दूर कर दिया है (१ यूहन्ना ५:५-८)।
फिर, यह यीशु मसीह, हमारा उद्धारकर्ता और मसीहा कौन है जिसने हमारे सभी पापों का ध्यान रखा और उन सभी को दूर कर दिया? उत्पत्ति १:१ में कहा गया है, “आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।” यह शक्तिशाली परमेश्वर कौन था जिसने अपने वचन से ब्रह्मांड का निर्माण किया था? वह पापियों के मसीहा के अलावा ओर कोई नहीं था, वह जो जगत के सारे पापों से आपको और मुझे बचाने के लिए अपने बपतिस्मा के पानी के द्वारा आया था, वह जो उद्धारकर्ता के रूप में आया था, जिसने जगत के सारे पापों के लिए न्याय उठाने के लिए क्रूस पर लहू बहाया था। पानी, लहू और आत्मा के द्वारा, यीशु ने हमें हमारे पाप और न्याय से बचाया है। हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाने के लिए और हमारी जगह इन पापों के न्याय को उठाने के लिए हमारे प्रभु उद्धारकर्ता के रूप में हमारे पास आए।
यीशु मसीह, वास्तव में, परमेश्वर और परमेश्वर का पुत्र है, क्योंकि मसीहा वास्तव में हमारा परमेश्वर है। “यीशु” नाम का अर्थ है “उद्धारकर्ता जो अपने लोगों को उनके पापों से बचाएगा” (मत्ती १:२१)। दूसरी ओर, ग्रीक में “मसीह”, “बेसिलस” का अर्थ है “राजाओं का राजा।” यीशु वह सृष्टिकर्ता है जिसने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है, सभी का सम्पूर्ण शासक, पापियों का उद्धारकर्ता, और राजाओं का राजा जो शैतान का न्याय करता है।
इस सपूर्ण परमेश्वर ने वास्तव में मनुष्य को अपने स्वरुप में बनाया। जैसा कि हम, उसकी अपनी रचना, पाप में गिर गए और हमारी कमजोरियों के कारण विनाश के लिए बर्बाद हो गए, राजाओं के इस राजा ने हमें अपने पापों से बचाने का वादा किया, और इस वादे को पूरा करने के लिए वह हमारे पास आया। और हमें परमेश्वर के लोग और पापरहित बनाने के लिए, हमारे प्रभु खुद पानी, लहू और आत्मा के द्वारा हमारे पास आए। 
मसीहा, जो सृष्टिकर्ता है, वास्तव में हमारे सारे पापों को मिटाने के लिए मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर आया था, और यरदन नदी में यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया। और क्रूस पर मर कर, उसने हमारे स्थान पर हमारे सारे पापों के लिए न्याय उठाया। क्योंकि यीशु वास्तव में हमारे लिए मसीहा था, क्योंकि वह हमारा उद्धारकर्ता है और हमारे जीवन का प्रभु है, हम उस पर विश्वास करके नया और अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते है। इसलिए मसीहा वास्तव में हमारा परमेश्वर बन गया है। यही कारण है कि मिलापवाले तम्बू के द्वार को नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से बुना गया था, क्योंकि यह पानी और आत्मा का रहस्य था जो हमें हमारे सारे पापों और हमारे पापों के न्याय से बचाता है।
यह सच की हमारे प्रभु ने वास्तव में हमें हमारे पापों से बचाया है वह अस्पष्ट नहीं है। हमारे प्रभु ने हमें उद्धार देने का वादा अस्पष्ट रूप से नहीं किया, ऐसे ही उसे प्राप्त नहीं किया, और उन लोगों के विश्वास को मंजूरी नहीं दे सकता है जो ठोस सत्य पर विश्वास करने के बजाए की उसने वास्तव में हमें पानी और लहू से बचाया है अस्पष्ट सत्य पर विश्वास करते है। इसलिए हमारे प्रभु ने उन लोगों से कहा जो नाममात्र का विश्वास करते है, “जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है” (मत्ती ७:२१)। 
झूठे शिक्षक जोर देकर कहते है कि वे वास्तव में लोगों को यीशु के नाम से पवित्र आत्मा प्राप्त करवाते है, उनके नाम से दुष्टात्मा को निकलते है, और उसके नाम से कई चमत्कार किए है। लेकिन परमेश्‍वर ने मत्ती ७:२३ में उनसे कहा है, “मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।” यह हमें बताता है कि मसीहियों में, वास्तव में कई ऐसे है जो अभी भी पापी बने हुए है, जिन्हें न्याय के दिन उनके पापों के लिए आंका जाएगा, और फिर उन्हें नरक में डाल दिया जाएगा। 
वास्तव में, कई मसीही स्पष्ट रूप से स्वीकार करते है, “यीशु हमारा उद्धारकर्ता है। यीशु ने असमान रूप से हमें हमारे सभी पापों से बचाया है।” लेकिन इस तरह के दावे करने के बावजूद, वे वास्तव में यह जानने की कोशिश भी नहीं करते है कि मसीहा ने वास्तव में उनके पापों को अपने बपतिस्मा के द्वारा लिया था, और यह कि उन्होंने वास्तव में क्रूस पर लहू बहाने के द्वारा उन पापों को सहा था और न्याय उठाया था। ये सारे लोग पापी होने की वजह से परमेश्वर के सामने जाएंगे, क्योंकि वे केवल नाममात्र का विश्वास करते है, जैसे की वे संसार के किसी धर्म का अनुसरण करते हो।
वैसे ही, क्योंकि वे उस सत्य के अनुसार विश्वास नहीं करते है जो हमारे प्रभु ने कहा है, “तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा,” उन्हें प्रभु ने स्वीकार नहीं किया है। चाहे लोग यीशु पर विश्वास करें या न करें, जिनके दिल में पाप है वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते, जहाँ कोई पाप नहीं पाया जाता है, क्योंकि वे इसमें प्रवेश करने के योग्य नहीं है। इसलिए, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे इस धरती पर रहते हुए नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े पर विश्वास करने के द्वारा स्वर्ग में प्रवेश करने के योग्य बन सकते है। इन नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के परदे से मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को बुनना मसीहा की भविष्यवाणी थी। जो लोग पाप के कारण नरक में जा रहे है उन्हें इस पर विश्वास करना चाहिए।
क्योंकि ये लोग सच्चाई से अनजान है, और क्योंकि वे यीशु पर अपने खुद से पाए हुए झूठे ज्ञान से विश्वास करते है, फिर भी वे पापी है। उनके पास अभी भी पाप है क्योंकि उन्होंने मिलापवाले तम्बू की सामग्रियों में छिपे हुए सत्य के अनुसार विश्वास करने के बजाय, उन्होंने अपने उद्धारकर्ता के बारे में सोचा है और इन विचारों के आधार पर अपने स्वयं के उद्धार के सिद्धांत बनाए है, यह विश्वास करते हुए कि परमेश्वर को पश्चाताप की प्रार्थनाए अर्पण करने के द्वारा उद्धार स्वयं के प्रयासों से आता है और वे पवित्रता को पाने की कोशिश करते है।
इस दुनिया में कई ऐसे है जो यीशु को अपना उद्धारकर्ता मानने का दावा करते है, और फिर भी वास्तव में यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास नहीं करते है। इस दुनिया में कई ऐसे है, जो वास्तव में अपने उद्धार के रूप में नीले, बैंजनी और लाल कपड़े पर विश्वास करने की बजाए वे सोचते है की केवल यीशु के लहू पर विश्वास करने क द्वारा वे परमेश्वर के पवित्र राज्य में प्रवेश कर सकते है, भले ही वे अभी भी पापी हो।
 
 
पुराने और नए नियम का सुमेलन
 
परमेश्वर यशायाह ३४:१६ में हमें बताता है कि परमेश्वर के प्रत्येक वचन की अपनी जोड़ी है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर का वचन मेल खाता है। परमेश्‍वर ने हमें कहा है की हम जाँच करे की पुराने नियम के उनके वचन नए नियम से मेल खाते है या नहीं। पुराने नियम में जो लिखा गया है, उसके नए नियम में संबंधित वचन है। उदाहरण के लिए, पुराने नियम में इस्राएलियों ने अपने पाप हाथ रखने के द्वारा बलि के ऊपर डाले थे, नए नियम यह यीशु मसीह का बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठाने से मेल खाता है, और इस प्रकार हमारे सारे पाप उसके ऊपर डाले गए।
अपने पानी और लहू के द्वारा, यीशु इस पृथ्वी पर बलिदान का अर्पण और पापियों के उद्धारकर्ता बनाकर आए। अगर उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को नहीं उठाया होता, तो उसे क्रूस पर मरने की कोई आवश्यकता नहीं होती। हमारे प्रभु ने नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े से हमारे सारे पापों को दूर किया है। यह भी, परमेश्वर द्वारा अपने वचन के साथ वादा किया गया था, जिसमें हमारे प्रभु इस वचन के द्वारा हमारे पास आए और हमारे लाल रंग के पापों को धोया, उन्हें बर्फ के नाई श्वेत कर दिए।
वास्तव में, इस सच्चाई को समझने से पहले, हम निस्संदेह अंतहीन पापों के साथ बह रहे थे। इसलिए हमारे पास परमेश्वर के सामने घमंड करने के लिए कुछ भी नहीं है। न केवल हमारे पास परमेश्वर के सामने घमंड करने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन हमारे पास उसके सामने आश्वस्त होने के लिए भी कुछ नहीं है। दूसरे शब्दों में, ऐसा कुछ भी नहीं है, जो हमें बुध्धिमान होने का दिखावा करने की अनुमति देगा। परमेश्वर के सामने, हम केवल यही कह सकते है, “हाँ, आप सही है।”
यदि परमेश्वर कहते है, “तुम दुष्टता का बिज हो, नरक के लिए नियोजित हो।”
“हाँ, आप सही है; कृपया करके मुझे बचाइए।”
“मैंने तुम्हें इस रीति से बचाया है, पानी, लहू और आत्मा के द्वारा।”
“हाँ, प्रभु! मैं विश्वास करता हूँ!”
हम हर समय केवल “हाँ” कह सकते है। परमेश्वर के सामने खड़े होकर, हम उससे यह नहीं कह सकते, “मैंने यह किया और वह किया; मैंने अपनी कलीसिया की सेवा अच्छे से की; मैं वास्तव में यीशु पर पूरे दिल से विश्वास करता था; मैंने जिद के साथ अपने विश्वास का बचाव किया जिसकी कोई और कल्पना भी नहीं कर सकता है!”
प्रभु ने वास्तव में हमारे सभी पापों को कैसे दूर किया? उसने हमें दिखाया है कि उसने नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े के द्वारा, और पुराने और नए नियम के वचन के द्वारा उसे दूर किया है। पुराने नियम में, उसने हमारे पापों को नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े से दूर किया, जबकि नए नियम में, यीशु एक मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर आकर हमारा उद्धारकर्ता बन गया, यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, और हमारे सारे पापों को देखा और क्रूस पर अपना लहू बहाकर इन पापों के न्याय को सहा। 
बपतिस्मा लेने के बाद, हमारे प्रभु ने एक ही बार में जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठाया (मत्ती ३:१५)। हमारे सभी सांसारिक पाप यीशु के कंधे पर डाले गए थे। इस प्रकार अपने बपतिस्मा के साथ जगत के हमारे सारे पापों को उठाने के बाद, वह इन पापों को क्रूस पर ले गया, वह क्रूस पर चढ़ा, अपना लहू बहाया, क्रूस पर मरा, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इस प्रकार वास्तव में हमारे सारे पापों को दूर किया। यीशु मसीह इस प्रकार हमारा निश्चित उद्धारकर्ता बन गया। 
परमेश्वर की धार्मिकता वह धार्मिकता है जो हमने यीशु पर विश्वास करके प्राप्त की है जो इस पृथ्वी पर पानी, लहू आर आत्मा से आया। यह परमेश्वर से प्राप्त हुआ उद्धार है, वह नहीं जो हम खुद से प्राप्त कर सकते है। ऐसा कुछ भी नहीं है की हम परमेश्वर के सामने अभिमान कर सके।
वास्तव में, हम यीशु मसीह पर विश्वास करके हमारे सारे पापों से बच जाते है जो हमारा उद्धारकर्ता बना है। दुसरे शब्दों में, हम जो पापी थे, उन्होंने वास्तव में यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए उसके लहू पर विश्वास करके पापों की माफ़ी पाई है। हमारे उद्धार में लगभग ७० प्रतिशत हिस्सा यीशु का उद्धार का कार्य है, और शेष ३० प्रतिशत हमारा पाप न करने का प्रयास, धीरे-धीरे पवित्र होने के लिए और हमारे उद्धार के लिए, हमें पूरी रात प्रार्थना में बितानी होगी, हर दिन हमें प्रायश्चित की प्राथना का अर्पण चढ़ाना होता, संप्रदाय की सेवा करनी होती, या सम्भव सब कुछ करना पड़ता! 
लेकिन प्रेरित पौलुस ने रोमियों में कहा है, मैं कैसा अभागा मनुष्य हूँ! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा? अत: अब जो मसीह यीशु में है, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं। क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते है” (रोमियों ७:२४-८:१)। जिस तरह पौलुस ने अंगीकार किया, हमें भी यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहिए जैसे उसने किया था। पवित्रशास्त्र हमें बताता है की यीशु ने १०० प्रतिशत हमें इस नाशवंत शरीर से बचाया है। फिर कौन, हमारे ऊपर दोष लगा सकता है? कोई भी कभी भी हमारे ऊपर दोष नहीं लगा सकता, क्योंकि यीशु मसीह ने पहले ही हमें हमारी दुर्बलताओं के बावजूद भी हमें १०० प्रतिशत बचा लिया है।
 
 
आप और मैं भी आत्मिक फरीसी है
 
आप में से कुछ लोग यीशु को लंबे समय से जानते है और विश्वास करते होंगे। दुसरे शब्दों में, आपने पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानने से पहले यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास किया था। मैं खुद दस साल तक नया जन्म पाए बिना मसीही बना हुआ था।
जब हम पहली बार यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते है, तो यह एक ताज़ा अनुभव होता है। यह शुरुआत इतनी ताज़ा थी कि हमें लगा कि हम बिना किसी शर्त के यीशु को अपना उद्धारकर्ता मानकर बच जाएंगे, भले ही फिर हम नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े से अनजान हों।
जब मैंने पहली बार यीशु पर विश्वास किया था, तो मेरा दिल वास्तव में खुशी से भर गया था। जब मैंने पहली बार यीशु पर विश्वास किया था, तो मैं बहुत आनन्दित हुआ, लेकिन लगभग पाँच वर्षों के बाद, मैंने जब अपने अप को देखा, तो मैंने देखा कि मैंने जो पाप किए थे उनसे मै निरंतर बंधा हुआ था, और मुझे समझ में आया की मैं अभी भी स्वतंत्र नहीं हूँ। क्या आपको लगता है कि मैंने अपने शुरुआती मसीही जीवन के उन पांच वर्षों में पाप किए थे, या बिल्कुल भी नहीं किए थे? आप मुझे जानते हो या नहीं, लेकिन इसका उत्तर बहुत स्पष्ट है: बेशक मैंने किया था। इस समय के दौरान, जब मैं सच्चाई को नहीं जानता था, तो मुझे हर बार पाप करने के लिए उत्पीड़ित जिया गया, और इस पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए मुझे तीन दिनों के लिए उपवास करते हुए पश्चाताप की प्रार्थना भी करनी पड़ी। मेरे दिल का बोझ फिर थोड़ा कम होता हुआ दिखा, मैं परमेश्वर की स्तुति कर पाया, “अद्भुत अनुग्रह! ♫ कितनी मधुर आवाज है, जिसने मेरे जैसे घृणित को बचाया! “लेकिन इसके बाद, निश्चित रूप से, मैं फिर से पाप करना बंद कर दूंगा। क्योंकि मेरे पास बहुत सारी कमियाँ थीं और दोषों से भरा हुआ था, इसलिए मुझे ऐसा करने से मफारत थी फिर भी मैंने हर रोज पाप किया। एक बार भी मैं अच्छे के लिए पाप की मेरी सभी समस्याओं को हल नहीं कर सकता था।
इन परिस्थितियों के बिच, पाँच साल ओर बीत गए, और जब मैं इस तरह से लगभग दस साल तक मसीही बना रहा, अचानक, मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि मैंने उन सभी वर्षों में कितने सारे पाप किए थे। अपने आप को इस तरह से हर रोज पाप करते देख, मैं बहुत दुखी और पूरी तरह निराश था। और जब मैं व्यवस्था के सामने खड़ा हुआ, तो मुझे पता चला कि मैं वास्तव में कितना पापी था। मेरे लिए परमेश्वर के समक्ष खड़े होना अधिक कठिन हो गया, और मैं एक ऐसे पापी में तबदील हो गया, जो अच्छे विवेक में, यीशु को अच्छी तरह से जानने और उस पर विश्वास करने का दावा भी नहीं कर सकता था। एक मसीही के रूप में मेरे दसवें वर्ष में, मैंने अपने पापी जीवन का अंगीकार किया। 
जब मैंने पहली बार यीशु पर विश्वास किया था, तो मुझे वास्तव में लगा कि मैं एक अच्छा मसीही था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे मुझे केवल इतना ही समझ में आया की परमेश्वर के सामने घमंड करने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं था। मुझे समझ में आया, “मैं वास्तव में एक फरीसी हूँ। फरीसी केवल बाइबल में नहीं पाए जाते, क्योंकि मैं खुद आज का फरीसी हूँ!”
फरीसी वे लोग है, जो पवित्र होने का ढोंग करते है। हर रविवार को बाइबल के साथ कलीसिया जाते हुए रास्ते में वे एक तरफ खड़े रहकर अपने साथी मसीहियों से ऊँची आवाज में कहते है, “सुप्रभात! हाल्लेलूया!” और जब वे आराधना कर रहे होते है, तो हर बार जब वे किसी को क्रूस की बात करते सुनते है, तो वे रोने लगते है। मैं खुद भी जब यीशु के लहू के बारे में सोचता हूँ तो कई आँसू बहाता था। मुझे लगा की सच्ची आराधना कारण यही है। लेकिन इस दुनिया में रहते हुए, हर कोई अपने आप को निरंतर पाप करते हुए पाता है। इसलिए लोग एक बार फिर पश्चाताप की प्रार्थना अर्पण करने का सहारा लेते है। वे वास्तव में थोड़ी देर के लिए बेहतर महसूस कर सकते है, लेकिन जल्द ही या बाद में, वे सभी पश्चाताप की इन प्रार्थनाओं से बाहर निकलेंगे, क्योंकि अभी भी बहुत सारे पाप है जो उन्होंने किए है। कुछ लोग अन्य भाषा में भी बोलते है और बाद में संदर्शन भी देखते है, लेकिन वे सभी बेकार है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने किस तरह की कोशिश की थी, उनके लिए उनके दिलों में अपने पापों की समस्या को हल करने का कोई फ़ायदा नहीं था।
यदि उन्हें पता चलता है कि वे परमेश्वर के सामने केवल एक बेकार मनुष्य है और यह समझते है कि वे अपने पापों के कारण नरक के लिए नियोजित है, भले ही यह समझ देर से आए, लेकिन यह अभी भी एक अच्छा परिणाम होगा। वास्तव में, जितना ज्यादा हम यीशु पर विश्वास करते है, उतना ही ज्यादा हमें एहसास होता है कि हम वास्तव में कितने पापी थे। लेकिन फरीसी इसे छिपाने में माहिर है। वे अपने दिलों के पापों को छिपाने और पाखंडी की भूमिका निभाने में इतने माहिर है कि वे अपने आसपास के लोगों के द्वारा भी उनकी धर्मपरायणता के लिए स्वीकार्य है।
इस दुनिया के धर्मवादी एक-दूसरे का बहुत सम्मान करते है। लेकिन चाहे वे दूसरों से कितना भी सम्मान और स्वीकार्यता प्राप्त करें, लेकिन जब वे परमेश्वर के सामने खड़े होते है, तब वे पाप का एक बड़ा ढेर है।
जब हमें सच्चाई का पता नहीं था, तो हम भी पश्चाताप की प्रार्थना करते थे। लेकिन थोड़ी देर के बाद, हम थक जाते है, और इसलिए हम प्रार्थना करना बंद करते है, “प्रभु, आप जो करना चाहते है वो कीजिए। मैंने बहुत पाप किए है। मैंने फिर भी पाप किया है। अब आपको इसके बारे में बताना भी मेरे लिए शर्मनाक हो गया है।” हालाँकि यह बहुत शर्मनाक है, क्योंकि हमें बताया गया था कि जब भी हम अपने पापों का अंगीकार करेंगे तो परमेश्वर प्रसन्न होंगे, और वह हमारे पापों को उनकी धार्मिकता के साथ माफ़ करेंगे और हमें सारे अधर्म से दूर करेंगे, हम निरंतर उनसे प्रार्थना करते है, “प्रभु, मैंने पाप किया है। कृपया मुझे माफ़ करें, प्रभु! “ और फिर भी हमारे पाप अभी भी हमारे दिल में है।
जब भी लोग परमेश्वर से प्रार्थना करने के लिए अपना सिर झुकाते है, तो उनका विवेक उन्हें उनके पापों की याद दिलाता है और उनके दिलों को धक्का लगता है। हमारा विवेक हमें यह बताते हुए हमारे दिल को पीड़ा देता है, “इतने सारे पाप करने के बाद, आपने परमेश्वर से प्रार्थना करने की हिम्मत कैसे की?”
इसलिए, थोड़ी देर के बाद, क्योंकि हमारे पास कहने के लिए और कुछ नहीं था, इसलिए हम रोने लगते है, “प्रभु, प्रभु!” बहुत बार, हमने खुद को एक पर्वत के ऊपर जाकर और प्रभु का नाम ऊँचे आवाज में लेते हुए पाया। लोगों की नज़र में अपनी शर्मिंदगी से बचने के लिए, हम देर रात एक पहाड़ पर चढ़ गए, वहां किसी गुफा में प्रवेश किया और प्रभु का नाम ऊँची आवाज में लिया। लेकिन यह भी, केवल अपने आप से किया हुआ एक कार्य था, और हमारे पाप इस प्रकार अभी भी हमारे साथ बने रहे।
हमने यह कहते हुए अपने विवेक को तसल्ली देने की कोशिश की, कि हम अब पापी नहीं है, “परमेश्वर इतने दयालु है कि उन्होंने मेरे पापों को दूर कर दिया है। मैंने तीन दिनों तक उपवास और प्रार्थना की। मैंने सोचा की मैंने इतना ज्यादा पाप नहीं किया है। क्या हमारे दयालु परमेश्वर मुझे माफ़ नहीं करेंगे?” 
लेकिन क्या वास्तव में हम परमेश्वर की दया की प्रशंशा करते हुए अपने आप को धोख़ा दे सकते है? परमेश्वर के सामने पापी होकर हम कैसे अपने आप को धोख़ा दे सकते है? हम ऐसा कभी नहीं कर सके! कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम अपने कलीसिया में कितने बड़े अगुवे बन गए, और चाहे हम दूसरों के द्वारा कितनी भी प्रशंसा को पाए, जब तक हम अपने आप से पाप करना ज़ारी रखते है, तब तक हम इन पापों से स्वतंत्र नहीं हो सकते, और अन्त में हम पाखंडी बन जाते है। 
हमारे दिलों में पापी इच्छाएँ आती रहीं। हालाँकि हमने अनगिनत बार यीशु के लहू को क्रूस पर चढ़ाने की बात कही, हालाँकि हमने उसके क्रूस के लहू के बारे में सोचकर बहुत से आँसू बहाए, और हालाँकि हम अच्छे मसीही थे, लेकिन फिर भी हम तब तक पापी बने रहे जब तक हमारा सामना पानी और आत्मा के सम्पूर्ण सुसमाचार से नहीं हुआ। मसीहियत के सभी रीती के अनुसार जीवन जीने के बावजूद, हम अभी भी पाप करते थे। यह फरीसी का धर्म था। इस पृथ्वी पर अभी भी बहुत से लोग है जिनके पास इस प्रकार का विश्वास है, और वे हमारे मसीही समुदायों में भी पाए जाते है।
 
 

पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा हमारे पाप दूर होते है

 
पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानने से पहले, और इस सुसमाचार पर विश्वास करने से पहले, हम सभी लोगों के दिलों में पाप था। नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के सत्य पर विश्वास करने से पहले, हमारा विवेक पापपूर्ण था। पूरी ईमानदारी से, हम सभी परमेश्वर के सामने पापी थे, और हम सब अपने पापों के कारण नरक के लिए नियोजित थे, क्योंकि बाइबल हमें बताती है कि “पाप की मजदूरी मृत्यु है।” इस प्रकार अपने पापों के कारण हमारा बहुत उत्पीडन हुआ। और हमारे पापों की वजह से परमेश्वर के न्याय के करण हम शारीरिक और आत्मिक दोनों तरीके से नरक के लिए नियोजित थे।
हम कई लोगों को मसीहियत में लाए है और उन्हें सिखाया है। लेकिन हमने तब कार्य किया था जब हम अपने खुद के विवेक को भी साफ़ नहीं कर सकते थे। हम परमेश्वर के सामने इस बात से इनकार नहीं कर पाए। हमने परमेश्वर के सामने अंगीकार किया कि हमारे दिल पापी है और इसलिए हम नरक में बंधे हुए है।
मेरे मन में हमेशा एक अनसुलझा सवाल था: “इस पृथ्वी पर आने पर हमारे प्रभु ने बपतिस्मा क्यों लिया?” मैं यह जानना चाहता था कि यीशु ने क्यों बपतिस्मा प्राप्त किया था। क्यों, और किन उद्देश्यों से यीशु को बपतिस्मा लेना पड़ा? मैं अपने स्वयं के पानी के बपतिस्मा को यीशु में हमारे विश्वास के निशान के रूप में समझ सकता था, लेकिन मैं यह बिल्कुल नहीं समझ सका कि क्यों यीशु को यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा दिया गया। क्यों उसने बपतिस्मा लिया? क्यों?
इसलिए मैंने मसीही समुदायों के कुछ अगुवो से पूछा, “आदरणीय, मेरा एक प्रश्न है। अगर मैं आपसे पुछू तो आपको बुरा तो नहीं लगेगा?” उन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए कहा, और इसलिए मैंने उनसे पूछा। “यह बाइबिल के बारे में है। यह स्पष्ट है कि यीशु ने नए नियम में यूहन्ना से बपतिस्मा प्राप्त किया। लेकिन, मुझे समझ में नहीं आ रहा है की उसने बपतिस्मा क्यों लिया। क्या आप जानते है, महोदय? “उन्होंने फिर मुस्कुराते हुए मुझसे कहा, “क्या आप यह भी नहीं जानते? यह कुछ ऐसा है जिसे संडे स्कूल में हमारे बच्चे भी जानते है! यह मूल पवित्र ग्रंथों में और बाइबल के शब्दकोश में भी पाया जाता है। क्या यीशु ने हमें एक उदाहरण के रूप में, एक आदर्श के रूप में, और हमें उसकी विनम्रता दिखाने के लिए बपतिस्मा नहीं लिया?” तो मैंने कहा, “लेकिन आदरणीय, अगर जवाब इतना आसान था, तो हमारे संडे स्कूल के बच्चे भी इसे जानते होंगे।” मैंने मूल पाठ और ऐतिहासिक रूप से दोनों की जांच की, लेकिन उनके बपतिस्मा का यह मतलब नहीं था। क्या वास्तव में यीशु ने यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लिया उसका कोई कारण नहीं था?”
मैंने पूछना जारी रखा। मैंने मसीही बनने के बाद जवाब खोजना शुरू किया। मेरे पास उस प्रश्न के उत्तर की तलाश में वर्षों तक समर्पित रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैंने इस प्रश्न पर सभी विद्वानों के कार्यों को देखा। भले ही मैंने इस प्रकार सब कुछ खोजा, पूछा, और जांच की, लेकिन फिर भी कहीं भी मुझे ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे यीशु के बप्तिस्मा को स्पष्ट और निश्चित रूप से समझा जा सके। मैंने अंतिम उत्तर का पता लगाने के लिए संघर्ष किया जब तक कि प्रभु ने मुझे पानी और आत्मा के सुसमाचार पर प्रबुद्ध नहीं किया जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुआ था।
जब मैं यीशु के बपतिस्मा की अनसुलझी पहेली की पकड़ में था, तब मुझे मत्ती ३:१३-१७ पढ़ने का मौक़ा मिला: “उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया। परन्तु यूहन्ना यह कह कर उसे रोकने लगा, “मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?” यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” तब उसने उसकी बात मान ली। और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्‍वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई : “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
इस वचन को पढ़कर, मुझे अंत में एहसास हुआ, “तो यह बात है! यीशु के बपतिस्मा लेने का कारण यह था कि वह पुराने नियम का बलिदान का अर्पण था! यह नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में छिपा हुआ उद्धार का सत्य है!”
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला वास्तव में एलियाह था जिसे परमेश्वर ने पुराने नियम में वादा किया था की वह उसे भेजेगा। परमेश्वर ने मलाकी ४:५ में कहा है की वह न्याय के दिन से पहले एलियाह को भेजेगा, और मत्ती ११:१४ हमें बताता है की उसने जिस एलियाह को भेजने का वादा किया था वह ओर कोई नहीं लेकिन यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला है। इसलिए मैंने एलियाह के बारे में पता किया, लेकिन फिर भी मुझे समझ में नहीं आया की यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा क्यों लिया। फिर मैं मत्ती ३:१३-१७ की ओर वापस लौटा और उस भाग को फिर से पढ़ा, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” ...यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया... यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।” फिर मेरा सारा संदेह दूर हुआ। “सब धार्मिकता को पूरा करने के लिए,” उसने बपतिस्मा प्राप्त किया था। यीशु ने वास्तव में अपने बपतिस्मा के द्वारा सारे लोगों को बचाने के इस धर्मी कार्य को परिपूर्ण किया।
बपतिस्मा पुराने नियम के हाथ रखने के समान है, जब मिलापवाले तम्बू की बलिदान की पध्धति के अनुसार बलिदान के सिर पर हाथों को रखा जाता था। पापियों के लिए, होमबलि की वेदी के सामने इन बलिदानों को चढ़ाने के लिए, उन पर हाथ रखना पड़ता था और अपने पापों का अंगीकार करना पड़ता था और बलिदान के अर्पण पर उसे डालना पड़ता था; महायाजक के लिए इस्राएल के सारे लोगों के पापों का अंगीकार करने के लिए और इस्राएल के लोगों और खुद के लिए उसे बलिदान के अर्पण पर डालने के लिए; और यीशु को नए नियम में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेना पडा – यह सारी चीजे एक दुसरे से मेल खाती है। मुझे अंत में पता चला कि जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठाने के लिए और प्रत्येक व्यक्ति के पापों को दूर करने के लिए यीशु ने बपतिस्मा (हाथो को रखना) लिया था।
इसलिए मैंने मूल पाठ की ओर देखा। मैंने देखा की “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है” यह वचन ग्रीक में कैसे लिखा है “Ἄφες ἄρτι, οὕτως γὰρ πρέπον ἐστὶν ἡμῖν πληρῶσαι πᾶσαν δικαιοσύνην.” इस वचन में, “अब तो” और “धार्मिकता” दोनों ग्रीक में “हू-तोस गर (οὕτως γὰρ)” और “दिकाइओसुने (δικαιοσύνην)” है। इसका पहला मतलब “इस रीति से,” “उचित रीति से,” “केवल इसी रीति से,” “उपयुक्त रीति से,” या “इस तरह से” था। और इसका बाद का मतलब, “धार्मिकता, न्यायोचित या परमेश्वर के लिए स्वीकार्य” है।
इसने हमें बताया कि यीशु ने पापियों को उनके पापों से बचाया। इसने हमें बताया कि यीशु ने बपतिस्मा लेकर और अपना खून बहाकर परमेश्वर की धार्मिकता को पूरा किया। दुसरे शब्दों में इसका मतलब है की उसने अपने बप्तिस्मा से हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया लिया। इस तरह हमारी सारी पहेलियाँ हल हो गई, क्योंकि अब हमे यह बात समझ में आ गई थी कि क्यों हमें इतना भटकना पडा। यह इसलिए है क्योंकि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया था और इसलिए वह क्रूस पर चढ़ा और इन पापों के न्याय की वजह से उसकी मृत्यु हुई। यह पानी और आत्मा के सुसमाचार में पाया गया सत्य था।
दुसरे शब्दों में, हम, जिन्होंने नया जन्म पाया है उन्हें समझ में आया की यूहन्ना से यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था वह हमारे उद्धार के लिए आवश्यक चीज थी, और उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा एक ही बार में जगत के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया था। आपको भी पानी और आत्मा के सुसमाचार में इसी सच्चाई का एहसास करना चाहिए। केवल तभी आपकी आत्माएं प्रबुध्ध हो सकती है।
वास्तव में, हम उस दिन को कभी नहीं भूल सकते जब यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा लिया था। हम कभी भी उस दिन को नहीं भूल सकते जब हमें समझ में आया था की हमारे सारे पाप वास्तव में यीशु पर डाल दिए गए थे। हमने इस सत्य की प्राप्ति के साथ हमारे हृदय में होने वाले परिवर्तनों को देखा है। जैसे झील में तरंग उठती है वैसे ही वे हमारे दिलों में फैल जाते है। अंधेरे से गुज़रते हुए, भोर का तेज प्रकाश हमारे भीतर आया, जिससे हमें उद्धार के सच पता चला।
 
 

यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था उससे जगत के सारे पाप उसके ऊपर डाले गए

 
मत्ती ३:१३-१७ पढ़ने के बाद, मैं लंबे समय तक एक भी शब्द नहीं बोल सका। हालाँकि मैं वास्तव में पापी था, फिर भी यीशु ने बपतिस्मा लिया, और कहा, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” इसलिए, उन्हें क्रूस (लाल कपड़ा) पर अपना लहू बहाना पडा उसका कारण यीशु का बपतिस्मा (नीला कपड़ा) था। यह यीशु स्वयं परमेश्वर था (बैंजनी कपड़ा)। और पुराने और नए नियम के वचन (बटी हुई सनी का कपड़ा) के साथ, उसने हमें उद्धार का वास्तविक सत्य सिखाया। दूसरे शब्दों में, यीशु ने हमारे सारे पापों को स्वीकार कर लिया।
तो फिर, “क्या हमारे अन्दर अभी भी पाप है या नहीं? जब यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया तब सभी लोगों के पापों को उसके ऊपर डाला गया था। क्या हमारे अपने पाप भी उसके ऊपर डाले गए थे? क्या उस समय जगत के पापों को उसके ऊपर डाला गया था? जब हम अपनी माता के गर्भ में थे तब हमारे पास जो सांसारिक पाप थे क्या उसको भी डाला गया था या नहीं? जब हम सिर्फ एक साल के थे, तब हमने जो पाप किए थे उन पापों का क्या? क्या वे भी जगत के पाप नहीं है? हमारे बचपन के पापों का क्या? क्या वे भी जगत के पापों में सम्मिलित है?” 
हम सही पायदान पर है या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए हमें खुद से ये सवाल पूछने चाहिए। इस तरह, विश्वास यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि हम परमेश्वर के वचन के साथ सही जगह पर खड़े है। बचपन में हमने जो पाप किए थे, वे वास्तव में जगत के पाप है, इसी तरह जो पाप हमने अपने किशोरावस्था में किए है वे भी सांसारिक पाप है। हम अपने जीवनभर में जो पाप करते है वह जगत के पाप है। जगत के ऐसे सारे पाप यीशु पर पहले से ही डाले गए थे। क्या नहीं डाले गए थे? बेशक डाले गए थे! यह लिखा है कि हमारे प्रभु ने न केवल हमारे पापों को, लेकिन प्रत्येक मनुष्य के सारे पापों को उठा लिया। इसलिए हमें एहसास हुआ, “हमारे सारे पाप वास्तव में यीशु पर डाले गए थे। क्या अब भी हमारे अन्दर पाप है? नहीं, हम में अब कोई पाप नहीं बचा है!”
यह इसलिए है क्योंकि यीशु ने वास्तव में यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा दिया था इसलिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने गवाही दी, “देखो! यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है!” (यूहन्‍ना १:२९) यीशु ने हर उस इंसान के सारे पापों को उठा लिया जो इस पृथ्वी पर जीवित था और आने वाला है, मनुष्यजाति की शुरुआत से उसके अन्त तक। सारे पाप जोई व्यक्ति ने अपने जीवनभर में किए है, और प्रत्येक व्यक्ति के बचपन के पाप भी, यीशु के द्वारा उठाए गए है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह दुनिया कितनी लम्बी चलेगी, हजारों या लाखो साल, हमारे प्रभु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा सारे लोगों के पापों को अपने ऊपर उठा लिया है, इन पापों को अपने कंधो पर उठा के क्रूस तक ले गए है, वहाँ वे क्रूस पर चढ़े, और हमारी जगह इन पापों के न्याय को सहा – यह बात है जो हम समझ पाए है। 
जैसा कि हमें, नया जन्म पाए हुए लोगों को वास्तव में समझ आया है की इसी कारण से यीशु मृत्यु से सजीवन हुआ और हमारा उद्धारकर्ता बना, और जैसा की हम विश्वास करते है, हमारे सारे प्रश्नों के उत्तर मिल गए है।
इस प्रकार जो बपतिस्मा उसने लिया था और क्रूस पर अपना लहू बहाया था, उससे प्रभु ने हमारे सारे पापों को उठाया था। यही कारण है कि बाइबिल मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार पर नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के बारे में बताती है, और हमें १ यूहन्ना ५:४-६ में कहती है की यीशु केवल पानी से नहीं वरन पानी और लहू से आया था।। इस प्रकार हमें समझ में आया, “इसीलिए बाइबल हमें बताती है कि हमारे उद्धारकर्ता यीशु ने अपना बपतिस्मा प्राप्त करके परमेश्वर की सारी धार्मिकता को पूरा किया। यह सत्य है! हालाँकि, मसीही अगुवोंने हमें यह सच्चाई नहीं सिखाई क्योंकि वे इससे अनजान थे!”
हम केवल तभी पापरहित बनते है जब नीले, बैंजनी, और लाल कपड़ा और बटी हुई सनी के कपड़े का परमेश्वर का सत्य हमें बताता है की हम पापरहित है। कोई भी व्यक्ति दूसरी आत्मा के उद्धार को मंजूरी नहीं दे सकता है। दूसरों की सराहना हासिल करने का कोई फायदा नहीं है। लोग हमसे कैसे कह सकते है - कि हम बहुत अच्छे मसीही है, या यहाँ तक कि हमें A+ मसीही होने का क्रम देते है — क्या कभी पाप से हमारा उद्धार संगठित होता है? जब लोग हमें स्वीकार करते है तब हम पापरहित नहीं होते, लेकिन जब परमेश्वर का ब्वचन हमसे कहता है की मसीह ने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से हमारे पापों को दूर किया है तब हम पापरहित बनते है।
परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि यीशु ने न केवल मेरे पापों को दूर किया है, लेकिन आपके पापों को भी दूर किया है। यह हमें बताता है कि क्योंकि यीशु मसीह ने सारे लोगों के सभी पापों को दूर किया है, इसलिए यदि हम विश्वास करेंगे तो हम पाप की माफ़ी पाएंगे। पानी और आत्मा के द्वारा पापों की माफ़ी पाकर हम मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में प्रवेश कर सकते है।
 
 

सम्पूर्ण विश्वास क्या है?

 
मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना हुआ था। प्रत्येक व्यक्ति के पास यह सम्पूर्ण विश्वास होना चाहिए की हमारे प्रभु इस पृथ्वी पर आए थे और इस प्रकार हमें हमारे सारे पापों से बचाया। जब हम विश्वास करते है की प्रभु इस पृथ्वी पर मनुष्य की देह में जन्मे थे, यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लिया था, क्रूस पर मरे थे, मृत्यु से जीवित हुए थे, और इस तरह हमारे उद्धारकर्ता बने, हम सब परमेश्वर की संतान बन सकते है। भले ही हमारे कार्य घिनौने है, भले ही हमारी देह व्यर्थ है, हमारे हृदय में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े पर विश्वास करने के द्वारा, हम पापरहित बने है। इसलिए, केवल विश्वास के द्वारा धर्मी बना जा सकता है। नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए उद्धार पर विश्वास करने के द्वारा, हमने परमेश्वर की धार्मिकता को पहिन लिया है। संक्षेप में, पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा, हम परमेश्वर की संतान बने है।
आप में से कुछ लोग अभी भी इसे सम्पूर्ण रीति से नहीं समझते होंगे। यदि ऐसा है, तो आपको इस किताब को पढ़ना चाहिए या परमेश्वर की कलीसिया में हिस्सा लेना चाहिए। अब तक हमने केवल मिलापवाले तम्बू के साधारण पहलू के बारे में बात की है, लेकिन जब आप विस्तृत विवरण को पढ़ना शुरु करेंगे, तब आप सब मिलापवाले तम्बू के सम्पूर्ण समझ को हांसिल कर पाएंगे। यह इतना आसान है की एक बालक भी इसे सरलता से समझ सकता है।
यदि लोगों को यीशु पर अपने कच्चे ज्ञान पर विश्वास करना होता, तो वे अपने पापों से कभी भी नहीं बच पाएंगे, फिर चाहे वे यीशु पर कितने समय से विश्वास करते हो, आने वाले एक हजार या दस हजार सालों तक। वे हर दिन पाप करते होते। तब वे हर दिन रोते, क्योंकि वे अपने पापों के शाप से बच नहीं सकते। जब चीजें उनके लिए ठीक होने लगती है, तब यह लोग सोचते है कि परमेश्वर उनकी मदद कर रहे है। लेकिन जब चीजें थोड़ी खराब होने लगाती है, तो उन्हें आश्चर्य होता है, “क्या यह इसलिए है क्योंकि मैंने दशांश नहीं दिया है? या फिर यह इसलिए है क्योंकि मैंने पिछले रविवार को कलीसिया में हिस्सा नहीं लिया था? मैंने पाप किया और मैं सही तरीके से परमेश्वर की सेवा करने में विफल रहा, और मुझे लगता है कि वास्तव में वह मुझे इसके लिए दंड दे रहा है।” इस तरह, वे अंत में व्यवस्था में बंधकर मर जाते है, क्योंकि पवित्रशास्त्र हमसे कहता है, कानून में बंद मर जाते है, क्योंकि पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि “व्यवस्था तो क्रोध उपजाति है” (रोमियों ४:१५)।
वास्तव में इस तरह का सम्पूर्ण विश्वास पाने के लिए, हमें यीशु की चार सेवकाई को जानना होगा और पूरे दिल से विश्वास करना होगा जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा हमारे पास आया। हमें यीशु मसीह द्वारा दिए गए सत्य को समझना चाहिए। जब हम इस चार प्रकार की सेवकाई के सत्य को समझेंगे और उस पर विश्वास करेंगे केवल तभी हम परमेश्वर के सामने सम्पूर्ण विश्वास को पा सकते है, और हम वास्तव में उसकी संतान बन सकते है। क्योंकि हम यीशु की इन चार सेवकाई पर विश्वास करने के द्वारा पाराहित बने है, यहाँ तक कि पाप के बन्धनों से मुक्त होने के लिए अपने संघर्षो के बगैर हम हमेशा पापरहित धर्मी है; यहाँ तक की अपनी खुद की इच्छा शक्ति को बढाए बिना हम विश्वास के पापरहित मनुष्य है; यहाँ तक की हमारे अच्छे कर्मो और प्रयासों के बिना हम परमेश्वर की सम्पूर्ण संतान है जिनके पाप बर्फ़ के नाई श्वेत हो गए है।
जैसे एक बच्चा अपने माता-पिता की निगरानी के तले शांति से खेलता और आराम करता है, उसी प्रकार इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा हम वास्तव में परमेश्वर पिता की अन्य्ग्रह भरी नज़र के सामने हम अपने दिल में शान्ति का अनुभव करते है। भले ही आपके कर्म अपर्याप्त हो सकते है, लेकिन आपको बस इतना करना होगा कि आप परमेश्वर के कामों पर विश्वास करे, क्योंकि जितना अधिक आप अपर्याप्त है, उतना ही आप हमारे प्रभु के प्यार को महसूस करेंगे।
क्या आप अपने पापों की माफ़ी प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे है, क्या अभी भी आप उस विश्वास को पाने में असफल रहे है जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े पर विश्वास रखता है? अब जो लोग इस सच्चाई को जानते है, उन्हें पाप की माफ़ी प्राप्त करने के लिए उन्हें चिल्लाने की जरुरत नहीं है, लेकिन चुपचाप विश्वास करना है। जो लोग विश्वास से परमेश्वर की संतान बने है वे वह लोग है जो यीशु मसीह को जानते है और उस पर विश्वास करते है, जो पानी, लहू और आत्मा के द्वारा हमारे पास आया। वे अपने बाहरी कार्यो के द्वारा परमेश्वर की सेवा नहीं करते है, लेकिन वे अपने पहले विश्वास के साथ उसको परमेश्वर को प्रेम करते है और उसकी सेवा करते है। क्योंकि हम विश्वास करते है की परमेश्वर अपना दर्शन हमें देते है और हमारे साथ चलते है। क्योंकि हम उस पर विश्वास करते है, इसलिए वह हमारी मदद करता है। और क्योंकि हम यीशु पर विश्वास करते है जिसने हमें बपतिस्मा और लहू से बचाया जिस पर हमने विश्वास किया है, इसलिए हम हम परमेश्वर के सेवक बन गए है जो उसके न्यायी कार्यो को करते है।
अब हम सब को इस सच्चाई को समझना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें पापों की निश्चित माफ़ी देने के लिए मिलापवाले तम्बू के आँगन में हमारे उद्धार का द्वार, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना था। पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि यीशु पानी, लहू और आत्मा के द्वारा हमारे पास आया, और उसने पुराने नियम में मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार पर बुने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से हमें हमारे पापों से बचाया है। हमारा प्रभु पाप से हमारे उद्धार का द्वार बन गया है। हमें मसीहा की इन चार सेवकाई पर विश्वास करना चाहिए, और फिर से विश्वास करना चाहिए जिसने वास्तव में हमें हमारे पापों से छुडाया है।
 
 
यूहन्ना से यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था वह मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के नीले कपड़े का वास्तविक तत्व है
यीशु का बपतिस्माआइए मत्ती ३:१३-१७ की ओर फिर से मुड़े: “उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया। परन्तु यूहन्ना यह कह कर उसे रोकने लगा, “मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?” यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” तब उसने उसकी बात मान ली। और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्‍वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई : “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।” इस समय, जब यीशु ने बपतिस्मा लिया तब कुँवारी मरियम के पेट से जन्म लिए हुए उसे ३० साल हो चुके थे। “उस समय” शब्द यहाँ यीशु और युहन्ना जब ३० साल के हो गए थे उस समय को दर्शाता है।
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला जो यीशु से ६ महीने पहले पैदा हुआ था वह पृथ्वी पर की समग्र मनुष्यजाति का प्रतिनिधि था जिसने उन्हें पश्चाताप का बपतिस्मा देता था (मत्ती ३:११, ११:११)। जब यीशु ३० साल का हुआ, तब वह इस यूहन्ना के पास बपतिस्मा लेने के लिए आया, जो लोगों को यरदन नदी में बपतिस्मा दे रहा था। लेकिन यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला उसे यह कह कर रोकने लगा, “मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?” तब यीशु ने उसे उत्तर दिया, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” तब यूहन्ना ने अनुमति दी, और यीशु ने उससे बपतिस्मा लिया। पवित्रशास्त्र यह भी बताता है कि जब यीशु को बपतिस्मा दिया गया था, तब उसके लिए आकाश खुल गया, और यह आकाशवाणी हुई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
यहाँ मत्ती 3:15 में, यीशु ने हमें बताया है की उसने यूहन्ना से बपतिस्मा क्यों लिया था। यह सत्य मिलापवाले तम्बू के नीले कपड़े को दर्शाता है: “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेने का यीशु का उद्देश्य नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए उसके कार्यों के द्वारा पापियों के अधर्मो को क्षमा करना था – “क्योंकि [उन्हें] इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित था।”
यीशु मसीह यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा पाकर सारे लोगों के पापों को अपने ऊपर उठाये यह परमेश्वर का न्यायी प्रेम था और सारे पापियों के लिए उनके उद्धार के कार्य की परिपूर्णता थी। जैसे यूहन्ना ३:१६ कहता है, “क्योंकि परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे वह नष्‍ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” यीशु मसीह ने हमें जगत के सारे पापों से बचाने के लिए बपतिस्मा लिया था, ताकि हमारे पापों के कारण हमारे ऊपर दोष न लगाया जाए। यही कारण है कि यीशु ने यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेकर परमेश्वर की सारी धार्मिकता और मनुष्यजाति का सारा पाप अपने ऊपर उठा लिया, क्योंकि उनके लिए सब धार्मिकता को पूरा करना उचित था। 
“परमेश्वर की सब धार्मिकता” क्या है? ऊपर दिया गया भाग हमें बताता है कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया उसका कारण पिता की सब धार्मिकता को पूरा करना था। 
यहाँ, हमें यह पता लगाने की आवश्यकता है कि वास्तव में परमेश्वर की सब धार्मिकता क्या है। “सब धार्मिकता” इस तथ्य को दर्शाती है की यीशु ने यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को अपन ऊपर उठा लिया। अपने बपतिस्मा के साथ, उसने जगत के सारे पापों को एक ही बार में अपने ऊपर उठा लिया। जैसा कि उसके जन्म का उद्देश्य एक ही बार में जगत के सारे पापों को दूर करना था, इसलिए यूहन्ना द्वारा यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था वह धर्मी था। परमेश्वर की सब धार्मिकता को पूरा करने का मतलब है की जगत के सारे पाप दूर करने वाले धर्मी कार्य को परिपूर्ण करना – वह है, उद्धार का परिपूर्ण होना।
यीशु का बपतिस्मा एक अनिवार्य विधि थी जिसके द्वारा परमेश्वर हमें हमारे पापों से छूटकारा देगा। परमेश्वर ने पुराने नियम में तय किया था की हमारे पापों को दूर करने के लिए, वह यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को मनुष्यजाति के प्रतिनिधि के रूप में खड़ा करेगा, उससे अपने पुत्र यीशु मसीह को बपतिस्मा दिलाएगा, और इस प्रकार हमारे सारे पाप उसके ऊपर डालेगा। इसके अलावा कोई भी परमेश्वर की दया का काम नहीं था। क्योंकि परमेश्वर ने हमें बहुत प्रेम किया, इसलिए परमेश्वर ने हमें अपनी संतान बनाने के लिए और हमारे पापों को दूर करने वाले धर्मी कार्य को पूरा करने के लिए यीशु को यूहन्ना से बपतिस्मा दिलवाया। इसी लिए जब यीशु बपतिस्मा लेकर पानी से बहार निकलते है तब परमेश्वर कहते है, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ।” दुसरे शब्दों में, परमेश्वर पिता ने कहा, “मेरे बेटे के बपतिस्मा के साथ, उसने आपके सारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया है।”
दुसरे शब्दों में, यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए, और यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा पाने की इस पध्धति के द्वारा, उसने हमारे सारे पापों को एक ही बार में उचित रीति से उठा लिए, और इस तरह हमारे पापों को दूर करने वाला बलिदान का अर्पण बना। 
ऐसा इसलिए था क्योंकि परमेश्वर के पुत्र ने हमारे लिए बपतिस्मा लिया था, और उसने हमारे सारे पापों को अपन ऊपर उठाया इसलिए, वह इन पापों को क्रूस तक लेकर गया, उसे क्रूस पर चढ़ाया गया और उसने अपना कीमती लहू बहाया, और इस तरह वह हम सब का उद्धारकर्ता बना। दुसरे शब्दों में, यीशु ने हमारे पापों के लिए बपतिस्मा लेकर, क्रूस पर अपने लहू का बलिदान देकर, और मृत्यु से जीवित होकर, हम विश्वास करने वालो को बचाया है। और मृत्यु से जीवित होकर और उद्धार के अपने कार्य को पूर्ण करने के बाद, अब वह परमेश्वर के सिंहासन की दाहिनी ओर बैठा है, और जब उसका समय आएगा, तब वह निश्चित तौर पर वापस आएगा। यह सत्य पानी और आत्मा का सुसमाचार और उद्धार का मूल है।
मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार पर, निर्गमन २७:१६ कहता है, “आँगन के द्वार के लिये एक परदा बनवाना, जो नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का कामदार बना हुआ बीस हाथ का हो, उसके लिए खम्भे चार और खाने भी चार हों।” इसलिए मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना हुआ था। यह हमें सच्चाई बताता है कि हम उद्धार के उपहार पर विश्वास करके स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करते है। 
मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में बुना नीला कपड़ा इस तथ्य को दर्शाता है की जब यीशु इस पृथ्वी पर आए और बपयिस्मा लिया तब हमारे सारे पापों को उसके ऊपर डाला गया।
बैंजनी कपड़ा हमें बताता है कि यीशु मसीह, जिसने हमारे पापों के लिए बपतिस्मा लिया था, वह मूल रूप से स्वयं सृष्टिकर्ता था जिसने पूरे ब्रह्मांड और इसमें जो कुछ भी है उन सब को बनाया, आपके और मेरे प्रभु। बैंजनी राजाओं का रंग है (यूहन्ना १९:२-३), और इसलिए यह हमें बताता है कि यीशु मसीह राजाओं का राजा और सब का प्रभु है। “मसीह” शब्द का मतलब है “अभिषिक्‍त,” और केवल राजा, याजक या भविष्यद्वक्ता का अभिषेक किया जा सकता है। जैसे, हालाँकि यीशु मसीह मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आए, लेकिन उसकी सही पहचान वास्तव में राजाओं के राजा की थी। दुसरे शब्दों में, यीशु प्रभु और सृष्टिकर्ता था जिसने पूरे ब्रह्मांड को बनाया था। यीशु स्वयं सर्वसामर्थी परमेश्वर और परमेश्वर पिता का एकलौता बेटा था।
मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में बुना लाल कपड़ा बलिदान को दर्शाता है जो इस राजाओं के राजा ने मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर आने के बाद और अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को अपने ऊपर उठाने के बाद उसे क्रूस पर चढ़ाया गया था और उसने क्रूस पर अपना लहू बहाया था। यीशु मसीह ने बपतिस्मा लेकर और अपना कीमती लहू बहाने के द्वारा हमारी जगह हमारे पापों की कीमत चुकाई थी, और इस तरह उसने हमारे लिए अपना बलिदान दिया था। लाल कपड़ा यीशु मसीह के लहू के बलिदान को प्रगट करता है।
अंत में, बटी हुई सनी का कपड़ा परमश्वर के पुराने और नए नियम के गूढ़ वचनों को दर्शाता है। बाइबल हमें पुराने और नए नियम के वचन के माध्यम से हमारे उद्धार के बारे में बताती है। पुराने नियम में, परमेश्वर ने वादा किया था कि वह पापियों के उद्धारकर्ता के रूप में हमारे पास आएगा, और नए नियम में, जैसा कि उसने वादा किया था, वैसे यीशु मसीह, परमेश्वर स्वयं, वास्तव में इस धरती पर आए थे, बपतिस्मा लिया था, और क्रूस पर अपना लहू बहाया था – हमारे पापों के लिए उसने खुद का बलिदान दिया।
नीले कपड़े के साथ, परमेश्वर ने यह वचन प्रकट किया कि यीशु मसीह हमारे पापों से हमें बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आया था और अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया; और बैंजनी कपड़े के साथ, उसने प्रगट किया की जिसने बपतिस्मा लिया था वह स्वयं परमेश्वर था। और लाल कपड़े के साथ, परमेश्वर ने प्रगट किया की उसने इस पृथ्वी पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में आकर, बपतिस्मा लेकर, जगत के पापों को क्रूस तक लेजा कर, और अपना कीमती लहू बहाकर हमें बचाया है। 
यह उद्धार परमेश्वर के पुराने नियम के वचन के द्वारा आया था, दूसरी ओर, बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा प्रगट हुआ था। यही कारण है कि मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना गया था। जब हम मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार की ओर देखते है, तब यह द्वार प्रगट करता है और स्पष्ट रूप से हमें दिखाता है की कैसे परमेश्वर ने हमें बचाया और अपने लोग बनाया; उसी रूप से, हम सब को मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में इस्तेमाल किए गए चार कपड़ो के आत्मिक अर्थ में विश्वास करना चाहिए।
मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के बारे में बात करे तो, बाइबल सबसे पहले नीले कपड़े का उल्लेख करती है, आम तौर पर हम बैंजनी, नीला और लाल रन इस क्रम में सोचते है, लेकिन वास्तव में बाइबल नीला, बैंजनी, और लाल कपड़े का क्रम बताती है। यह हमें नीले कपड़े के महत्व को दर्शाता है। जबकि यीशु मसीह वास्तव में हमारे उद्धारकर्ता के रूप में इस पृथ्वी पर आए थे, तब अगर उसने यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा नहीं लिया होता तो हम हमारे पापों से कभी भी साफ़ नहीं हो पाते। यही कारण है कि यीशु ने जगत के पापों से हमें बचाने के लिए पिता की इच्छा पूरी करने के लिए यूहन्ना से बपतिस्मा लिया और क्रूस पर चढ़ा।
यीशु ब्रह्मांड का प्रभु है जिसने सभी चीजों की सृष्टि कि है, और वह हमारा परमेश्वर है। वह स्वयं परमेश्वर है जिसने हमें इस पृथ्वी पर जन्म दिया है, जिसने हमें नया जीवन दिया है, और जो हमारे जीवन पर शासन करता है। हमें अपने पापों से बचाने के लिए, उसे सारी मनुष्यजाति के प्रतिनिधि के द्वारा बपतिस्मा लेना पड़ा और इस तरह हमारे सारे पापों को खुद पर ले लिया। दुसरे शब्दों में, यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेकर यीशु मसीह हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बना।
हमें हमारे पापों से छुडाने के लिए यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए, और हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाने के लिए उसने बपतिस्मा लिया था। यदि उसका बपतिस्मा प्रथम स्थान पर नहीं होता तो, मसीह कभियो भी क्रूस पर नहीं चढ़ सकता था। यही कारण है कि मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वारा हमें स्पष्ट रीति से बताता है की कैसे यीशु मसीह ने हमें हमारे पापों से बचाया था – यह है, उसके उद्धार की नियत विधि।
मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के रंग हमें बताते है की यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आएगा, यूहन्ना के द्वारा बपतिस्मा लेकर सारी मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठाएगा, और क्रूस पर चढ़ेगा – दुसरे शब्दों में, वह स्वयं हमारे पापों को दूर करेगा। जब यीशु का बपतिस्मा हुआ, तो आसमान का द्वार खुल गया, और परमेश्वर पिता ने कहा, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं प्रसन्न हूँ।” यीशु मसीह हमारा मसीहा और उद्धारकर्ता है, लेकिन वह परमेश्वर का पुत्र भी है, सृष्टिकर्ता परमेश्वर जिसने अपने वचन से पूरे ब्रह्मांड को बनाया है। पवित्र परमेश्वर होने के नाते, यीशु हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बनने के लिए बपतिस्मा लेकर हमारे सारे पापों को दूर कर सकता था।
यीशु मसीह जिसने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया और उस पर शासन करता है उसने हमें हमारे पापों से उद्धार को स्पष्ट दिखाया है। यह इसलिए है क्योंकि यीशु मसीह, हमारे पापों को मिटाने के लिए, इस पृथ्वी पर आए, अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया और क्रूस पर मर गया ताकि आप और मैं सच में बच पाए। यीशु मसीह वह सृष्टिकर्ता है जो हमारे जीवन और मृत्यु पर शासन करता है, जिसने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है, और जिसने हमारे पूर्वजों और सारी मनुष्यजाति को इस धरती पर लाया। वह नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े का महत्वपूर्ण तत्व था।
परमेश्वर खुद पापियों के बलिदान के रूप में इस धरती पर आए। यीशु जिसने हमें बचाया, वह यह परमेश्वर था, सर्वसामर्थी और दया का परमेश्वर। ऐसा इसलिए है क्योंकि यीशु मसीह ने अपने बपतिस्मा के साथ सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया ताकि वह परमेश्वर की सबी धार्मिकता को पूरा कर सके, और इसी लिए वह जगत के सारे पापों को लेकर क्रूस तक गया, क्रूस पर चढ़ा और अपना कीमती लहू बहाया। जैसे मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार पर प्रगट हुआ है, वैसे ही यीशु हमारे सारे पापों को दूर करनेवाला उद्धारकर्ता बना है।
यही कारण है कि न केवल मिलापवाले मंडप के आँगन का द्वार, लेकिन पवित्र स्थान का द्वार, परमपवित्र स्थान का द्वार, और यहां तक कि परमेश्वर के घर का आवरण भी नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना हुआ था। यह इसलिए है क्योंकि यीशु मसीह ने आपके खातिर लिए बपतिस्मा लिया था ताकि आप और मै उस पर विश्वास करके हमारे सारे पापों से शुध्ध हो सके। यीशु ने सब धार्मिकता को परिपूर्ण करने के लिए बपतिस्मा लिया, और यह धार्मिकता बपतिस्मा के द्वारा सारे लोगों के पापों को अपने ऊपर उठाने के द्वारा परिपूर्ण हुई। इसलिए, हमें यह समझना है की उस समय हमारे भी सारे पाप यीशु पर डाले गए थे और उस पर विश्वास करना है। 
हालाँकि, ऐसे बहुत से मसीही है जो मनमानी और लापरवाही से यीशु पर विश्वास करते है। वे शुरू से ही परमेश्वर को चुनौती देते हुए अधर्म के अपने धार्मिक विश्वास को छोड़ने के लिए बहुत जिद्दी है। उसने हमें दिए हुए उद्धार के तरीके के मुताबिक़ हमें उस पर विश्वास करना चाहिए। यीशु ने कहा, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ” (यूहन्ना १४:६)। वह हमें बता रहा है, “मैं मार्ग हूँ। मैं वह मार्ग हूँ जो आपको स्वर्ग की ओर ले जाता है। मैं चरवाहा, मार्ग और सत्य हूँ। मैं वास्तव में वह जीवन हूं जो आपको बचाता है।” हमें हमारे पापों से बचाकर, यीशु मसीह हमारे लिए नए जीवन का प्रभु बन गया है।
 
 
जब हम यीशु पर विश्वास करते है, तब हम कैसे उसे समझ सकते है और विश्वास कर सकते है?
 
हम अपने सारे पापों से केवल तब बच सकते है जब हम वास्तव में यीशु इस पृथ्वी पर आए और हमें बचाया उस तरीके पर विश्वास करे। “विश्वास” शब्द में “भरोसा करना,” “पर पकड़ रखना,” और “सौंपना” जैसे मतलब शामिल है। वृध्ध जब बड़े हो जाते है, तो वे अक्सर अपने बच्चों पर भरोसा करते है, क्योंकि उन्हें खुद से जीना बहुत मुश्किल लगता है। इसी तरह, हम अपने आप को परमेश्वर को सौंपकर जीते है, इसका कारण यह है कि हम अपने पापों को अपने आप ही दूर नहीं कर सकते। यहाँ तक कि अगर हम खुद पाप ना करने की कोशिश करते है, तब भी हम अपने जीवन को हमेशा पाप करते हुए समाप्त करते है। यह इसलिए है क्योंकि हम अपने आप को हमारे पापों से स्वतंत्र नहीं कर सकते है इसलिए हम परमेश्वर में विश्वास करते है और यीशु मसीह ने हमारे जो कुछ भी किया उस पर विश्वास करके उस पर भरोषा करते है।
इसी लिए जब हम यीशु पर विश्वास करते है और हमारे उद्धार की खोज करते है, तो हमें पहले यह जानना चाहिए कि किस प्रकार का विश्वास सही विश्वास है। २,००० साल पहले, यीशु इस पृथ्वी पर आपको और मुझे इस संसार के प्रत्येक व्यक्ति को अपने पापों से बचाने के लिए आया था। 30 साल की उम्र में, उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया और इसतरह जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठाया। हम सब को इस तथ्य पर विश्वास करना चाहिए। हमें विश्वास करना चाहिए कि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा न केवल आपके और मेरे पापों को स्वीकार किया, लेकिन जगत के सारे पापों का स्वीकार किया, भूतकाल, वर्त्तमान और यहाँ तक की भविष्य के पापों को भी यीशु ने पहले ही उठा लिया है।
हालाँकि, बहुत से लोग अभी भी इस तथ्य को नजरअंदाज कर रहे है कि यीशु ने जब बपतिस्मा लिया तब जगत के सारे पापों को ही नहीं लेकिन उनके अपने पापों को भी यीशु पर डाला गया, और निरंतर वे केवल यीशु के लहू पर विश्वास करते है। इसी लिए जब वे मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना हुआ देखते है फिर भी उनमे से कोई भी सही विश्वास को आसानी से परख नहीं सकता।
जब यीशु मसीह हमें बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आया, तो उसने हमें लापरवाही से नहीं बचाया। क्योंकि उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा वास्तव में हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा हमारे पापों का दोष अपने ऊपर उठाया इसलिए आप और मैं पूर्ण रीति से बच पाए है। इसी तरह से यीशु मसीह ने सारी मनुष्यजाति को बचाया है। इसी लिए हमारे प्रभु ने कहा है, “और जो कोई मेरे पास आएगा उसेद मैं कभी न निकालूँगा” (यूहन्ना ६:३७)। 
जब हम कहते है कि हम यीशु पर विश्वास करते है, तब हम केवल उसके चरित्र पर विश्वास नहीं करते है, न ही केवल उसके सर्वसामर्थी होने पर। इसके बजाय, हम इस विश्वास के बचाए गए है कि इस तथ्य के बावजूद मसीह परमेश्वर है, इस पृथ्वी पर आए, अपने बपतिस्मा के द्वारा आपके और मेरे पापों को अपने ऊपर उठाया, और हमारे खातिर क्रूस पर बलिदान हुए। जब हम मिलापवाले तम्बू में प्रकट हुए उद्धार को देखते है, तो यह हमारे लिए स्पष्ट हो जाता है कि वास्तव में यीशु पर विश्वास करने के लिए हमारे पास कौनसा सही विश्वास होना चाहिए।
आज, बहुत से लोग है जो केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करते है, लगातार गीत गाते है, “क्या आप पाप के बोझ से स्वतंत्र होंगे? ♪ लहू में सामर्थ है, लहू में सामर्थ है”, और अपनी ही उत्सुकता में आँख बंद करके चिल्लाते है, “परमेश्वर! मैं विश्वास करता हूँ!” कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे यीशु पर कितना विश्वास करते है, वे केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करके अपने पापों से कभी भी स्वतंत्र नहीं हो सकते।
क्योंकि हम ऐसे है जो अपने पूरे जीवन में अपने पापों से कभी स्वतंत्र नहीं हो सकते, हमें पूरी तरह से उद्धारकर्ता की आवश्यकता है, और यह उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अलावा और कोई नहीं है। यीशु मसीह जो आपको और मुझे छुडाने के लिए आया वह उद्धारकर्ता है, राजाओं का राजा है, वह सृष्टिकर्ता है जिसने पूरे ब्रह्मांड को और उसके अन्दर जो कुछ भी उन सब को बनाया है, और हमारे जीवन का प्रभु है। वह इस पृथ्वी पर आया, अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को अपने ऊपर उठाया, और क्रूस पर मरने के द्वारा हमें हमारे पापों से शुध्ध किया। दुसरे शब्दों में, जिसने अपने बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा हमारे पापों के दोष को उठाया उस यीशु मसीह पर उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करने से हम बच गए है। यही है जो मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वारा स्पष्ट और निश्चित रूप से हमें दिखा रहा है।
 
 
लोग जो यीशु पर केवल धार्मिक रीति से विश्वास करते है
 
इन दिनों में, लोग दावा करते है कि केवल क्रूस के लहू में विश्वास करके वे बच सकते है। इस तरह के खोखले दावे करना उनके धार्मिक विश्वास के प्रदर्शन से ज्यादा कुछ नहीं है। ये लोग कहते है, “जब मैंने परमेश्वर से पश्चाताप की प्रार्थना की, तब पवित्र आत्मा ने मुझसे मेरे दिल में बात की, ‘मेरे बच्चे, मैंने तेरे पाप माफ़ किए है।’ जब मैंने उसकी आवाज सुनी तो मैं कितना शुक्रगुज़ार था!” वे ऐसे दावे करते हुए कहते है कि ऐसा विश्वास उनके विश्वास की गवाही है। 
लेकिन हमारा उद्धार हमारी अपनी भावनाओं से नहीं होता है। इसके बजाय, हम अपने व्यक्तित्व के संपूर्ण आयामों से बचते है: ज्ञान, भावना और इच्छा। दुसरे शब्दों में, सबसे पहले हमें जानना है की परमेश्वर हमारे उद्धारकर्ता ने हमें कैसे बचाया है, और फिर उस पर विश्वास करना है, इस रीति से हमें बचना है। लेकिन धर्मों का क्या? वे क्या है? धर्म लोगों के खुद के विचारों पर बनी मानव निर्मित संस्थानों से अधिक कुछ नहीं है।
बहुत समय पहले, मेरे परिवार में, मेरी माँ रसोइया थी। मैं उसका सहायक बनता था, रसोईघर के चारों ओर उसका पीछा करता था, पूछता था कि उसे क्या मदद चाहिए - बाइबल से याकूब की तरह। जब मेरी माँ रसोईघर में खाना बनाने में व्यस्त होती थी, तब मैं भोजन कक्ष में टेबल सेट करने में व्यस्त होता था। मैं और मेरी माँ एक शानदार संयोजन करते थे। सुबह उठते ही, हम आग जलाते थे, टेबल तौयार करते थे, और खाने के बाद झाड़ू से रसोईघर साफ़ करते थे। इस झाड़ू के साथ सुबह के सभी काम खत्म हो जाते थे।
उन दिनों कोरिया में यह एक अजीब दृश्य नहीं था। लेकिन सबसे ज्यादा दिलचस्पी की बात यह थी कि रसोईघर के फर्श को साफ करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली यह झाड़ू अचानक एक परमेश्वर में तबदील हो गई जो हमें हमारी मांगी सारी चीज देती थी। दूसरे शब्दों में, ऐसे लोग थे जो वास्तव में इस घिसे-पिटे झाड़ू को प्रार्थना करते थे। ऐसी बेतुकी बातें हमारे जीवन में अक्सर होती थी; केवल इतना ही नहीं, जब भी परिवार या पड़ोस में कुछ बुरा होता था, तो हम एक जादूगर को जादू टोना करने के लिए बुलाते थे। क्योंकि उस समय के लोगों के पास सर्वेश्वरवाद का विश्वास था और वे विश्वास करते थे की परमेश्वर हर जगह है, न केवल यह झाड़ू जो फर्श को साफ़ करने में इस्तेमाल किया जाता था वह परमेश्वर में तबदील हो गया, लेकिन पैतृक तख्तियां भी जिन पर उनके पूर्वजों के नाम लिखे गए थे, पहाड़ी पर बड़ी चट्टान, या व्यावहारिक रूप से उनकी आंखों द्वारा देखी गई हर चीज परमेश्वर में बदल गई थी। 
आजकल, बीतते समय के साथ, लोग धीरे-धीरे इस तरह की अज्ञानता से बाहर आ गए है, लेकिन उस समय, यह लगातार हो रहा था कि सब कुछ परमेश्वर में तबदील हो जाता था। इसलिए उस समय के सबसे तेज व्यवसायों में से एक जादू टोना के अलावा और कोई नहीं था। मुझे याद है की जादूगर जादू टोन का प्रदर्शन करते समय अतुलनीय मंत्र का पाठ करते थे। मैं जादूगर के मंत्र के उच्चारण की नकल करता था, आबराकाडाबरा आबराकाडाबरा, उजियाला हो, उजियाला हो, जब उजियाला होगा तब सब कुछ मेरा हो जाएगा। श्रध्धा की कमी के कारण कद्दू का पीपा टूट गया था। आबराकाडाबरा आबराकाडाबर।” ज़ाहिर है की मुझे उसका मतलब पता नहीं था।
जब पड़ोस के घरों में से एक में इस तरह के जादू टोने का प्रदर्शन किया जा रहा था, तब पूरे गाँव के सभी लोग इसे देखने के लिए इकठ्ठा होते थे। ऐसे मौके की मुख्य बात तब होती थी जब नोट को एक मृत सूअर के सिर में भर दिया जाता था, जो बिना सुराग के मुस्कुरा रहा था। जादूगर के मंत्र और उसकी शक्ति को निर्धारित करने के लिए कितने बिलों का उपयोग किया गया था। यह जादू टोना पूरे रात तक चलता था जब तक कि दिन का उजाला नहीं होता था। 
मेरे पुराने परिचितों में, कोई ऐसा व्यक्ति था जो कुंवारे भूत की चपेट में था ऐसा दावा किया गया था। वह दावा करता था कि वह सभी दुष्टात्मा को निकाल सकता है, क्योंकि वह कुंवारे भूत से ग्रसित था - कुंवारे भूतों के पास संभवतः दूसरों की तुलना में ज्यादा सामर्थ्य होता था। उसने कहा कि अगर अधिक शक्तिशाली दुष्टात्मा से उसका सामना होगा, तो वह इस दुष्टात्मा को निकालने की बजाए खुद दब जाएगा, लेकिन फिर भी उसने दावा किया कि वह सभी बगीचे-किस्म की दुष्टात्मा को बाहर निकाल सकता है। वह एक जादूगर के अलावा और कोई नहीं था। 
उन्होंने अपने सामान्य समय को आमतौर पर किसी और व्यक्ति की तरह बिताया। लेकिन जब भी कोई उसे जादू टोना करने के लिए कहता, तो वह जादूगर के कपड़े पहन लेता उअर शानदार प्रदर्शन करता। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोगों के दिलों पर इस तरह के अंधविश्वासों का कब्ज़ा है कि वे इस तरह के आदिम धर्मों का पालन करते है जिनका परमेश्वर के वचन से कोई लेना-देना नहीं है और सबी प्रकार की पागल और शर्मनाक बातों पर विश्वास करते है।
दूसरे शब्दों में, लोगों ने अपने धर्म बनाए है। जैसा कि ऊपर की कहानी में, उन्होंने अपने देवताओं का आविष्कार किया था। क्योंकि लोगों में इस तरह की वृत्ति है, यहां तक कि मसीहियों को, जब बताया जाता है कि यीशु को उनके लिए क्रूस पर चढ़ाया गया था, तो वे भी आसानी से इस पर अपनी भावनाओं से अभिभूत हो सकते है, और अंत में उस पर आंख बंद करके विश्वास कर सकते है। और जब उन्हें बताया जाता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र और सृष्टिकर्ता है जिसने पूरे ब्रह्मांड को बनाया है, तब यह उन्हें पसंद आता है और एकबार फिर वे बिना किसी शर्त के विश्वास करते है। वे यह भी सुनना पसंद करते है, “मैं मार्ग, सत्य और जीवन हूँ। बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता,” और फिर भी वे बिना किसी शर्त पर, बिना किसी सच्ची समझ के इस पर विश्वास करते है। क्योंकि परमेश्वर का कोई भी वचन गलत नहीं है, यहां तक कि जब वे पहली बार अच्छा वचन सुनते है, तो वे कहते है कि वे सिर्फ यीशु से प्यार करते है।
लेकिन यीशु इन लोगों का न्याय करने के लिए आएगा जिनके दिल यीशु पर विश्वास करने के बावजूद भी पापी है। वह उन लोगों को लेने के लिए भी आएगा जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है। अधिकांश लोग जो पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य से अनजान है और केवल अपने विचारों के आधार पर यीशु पर विश्वास करते है, वे अंततः अपने धार्मिक जीवन की शुरुआत से लगभग १० सालों में महसूस करेंगे, कि वे वास्तव में पापी है जो परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार जीवन जीने में असमर्थ है।
मैं भी, यीशु पर मनमाने तरीके से विश्वास करता था। मैं हर वक्त उसकी स्तुति करता था, मसीह से मिलाने की वजह से ज्यादा ख़ुश था। लेकिन यीशु को जानने के बाद, मुझे व्यवस्था के बारे में, और व्यवस्था को जानने के बाद, मुझे मेरे पापों के बारे में पता चला। अपने पापों को जानने के बाद, मुझे समझ में आया की पाप का अनन्त न्याय होगा और उसके परिणाम स्वरुप पापों की वजह से पीड़ा सहनी पड़ेगी। 
पाप की इस पीड़ा से निजात पाने के लिए, मैंने पश्चाताप की प्रार्थना की। हालाँकि, ऐसा विश्वास अंधविश्वास की तरह था जिसने लोग सारी चीजो का आशीष पाने के लिए प्रार्थना करते थे। क्योंकि मेरा हृदय परमेश्वर के वचन में लिखी व्यवस्था को जानने के बाद और मेरे पापों को समझने के बाद बहुत व्याकुल था, इसलिए मैंने सोचा कि मुझे पश्चाताप की प्रार्थना करनी चाहिए, और पश्चाताप की ऐसी प्रार्थनाओं से मुझे कुछ भावनात्मक राहत मिली। लेकिन पाप अभी भी मेरे विवेक में बना हुआ है, और यह पता चला कि मेरी आत्मा अभी भी पाप के बंधन में थी, इसलिए मुझे पीड़ा होती रही।
इस तरह, यह इसलिए नहीं था कि मैं अपने पापों से बंधा हुआ था इसलिए मैंने यीशु पर विश्वास किया और उसे प्रेम किया, लेकिन यह इसलिए था की मैंने यीशु पर प्रेम किया इसलिए मुझे मेरे पापों का एहसास हुआ, और मेरे पापों को समझने के बाद मुझे पीड़ा हुई। “मुझे यीशु पर बहुत जल्दी विश्वास करना चाहिए था,” मैंने यह सोचा था, और इस बात का पछतावा भी हुआ कि मुझे अपनी युवावस्था में यीशु के बारे में इतनी जल्दी पता चल गया और मैंने विश्वास किया। फिर भी मैं यीशु पर विश्वास करना बंद नहीं कर पाया। और इसलिए पाप के इस बंधन को तोड़ने के लिए, मैंने पश्चाताप की प्राथनाए की, लेकिन उससे कोई फ़ायदा नहीं हुआ क्योंकि यह प्रार्थनाए मूल समस्या को हल करने के लिए काफी नहीं थी। 
साधारण लोग पाप करने के बाद भी इस बात से अवगत नहीं होते है कि उन्होंने पाप किया है, लेकिन जब वे कलीसिया में जाना शुरू करते है, तब वे व्यवस्था के बारे में सुनते है और अपने पापों के बारे में जानते है, और इसलिए वे अपने पापों में बांध जाते है। फिर वे पहले पाश्चाताप की प्रार्थना करके अपने पापों की समस्या हल करने की कोशिश करते है, लेकिन जैसे समय बीतता है, वैसे उन्हें पता चलता है की वे अपने पापों में बंधे हुए है और उन्हें उसकी माफ़ी प्राप्त करनी चाहिए।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे पश्चाताप की कितनी प्रार्थनाए करते है, जितना अधिक वे प्रार्थना करते है, उतना ही अधिक उन्हें एहसास होता है कि उनके पाप, दूर होने के बजाए अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट हो गए है और उनकी उपस्थिति को और भी अधिक याद दिलाते है। इस दृष्टि से, ऐसे लोगों का धार्मिक जीवन यातनापूर्ण रूप से दर्दनाक होता है और वे निरंतर पीड़ा में रहते है। वे आश्चर्य करते है, “जब मैंने पहली बार विश्वास किया था तो मुझे बहुत अच्छा लगा था, लेकिन 5, 10 साल बीत जाने के बाद मुझे इतना बुरा क्यों लग रहा है? क्यों मैं इतना ज्यादा परेशान हूँ?” उन्हें पता चलता है कि उनके उद्धार का दृढ़ विश्वास, जो उनके पहली बार विश्वास करने पर मजबूती से बना हुआ था, अब वह नहीं है। यह सोचते हुए कि वे यीशु पर विश्वास करने के बाद पापी हो गए है, वे अपने विश्वास के लिए सभी प्रकार के सिद्धांतों का सहारा लेते है, और अंत में ऐसे धर्मवादी बन जाते है। 
ऐसा इसलिए है क्योंकि ये लोग इस सच्चाई से अनजान है कि यीशु ने उन्हें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बचाया है इसलिए वे अन्त में धर्मवादी बन जाते है। हालाँकि वे यीशु पर विश्वास करने का दावा करते है है, फिर भी वे परेशान है, क्योंकि उनके दिलों में शांति नहीं है। ऐसे लोग एक अलग परमेश्वर को बदलने का सहारा भी नहीं ले सकते है, क्योंकि यदि वे कोशिश करते है, तो उन्हें पहले से ही पता है की परमेश्वर को छोड़ किसी ओर पर विश्वास करना मूर्तिपूजा है। क्योंकि वे स्पष्ट रूप से जानते है कि केवल यीशु ही परमेश्वर का पुत्र है, केवल वह खुद परमेश्वर है, और केवल वही उनका उद्धारकर्ता है, इसलिए वे एक अलग परमेश्वर पर विश्वास नहीं कर सकते। और फिर भी क्योंकि वे सच्चाई नहीं जानते है, इसलिए वे दुःख में रहते है, हमेशा अपने पापों से परेशान रहते है।
इसी लिए उन्हें यीशु मसीह को जानना और विश्वास चाहिए जो नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कापडे के द्वारा आया था। यह मसीही जो धर्मवादियों में तबदील हो गए थे, वे यह भी जानते है कि यीशु राजा है, उसने क्रूस पर अपना लहू बहाया, और बाइबल का वचन परमेश्वर का वचन है। 
हालाँकि, वे यह नहीं जानते कि यीशु ने न केवल उनके पापों को लेकिन जगत के सारे पापों को अपने बपतिस्मा के द्वारा अपने ऊपर लिया था, और यह अज्ञानता की वजह से है की वे विश्वास करने का दावा करने के बावजूद पापी का जीवन जी रहे है, और वे पापियों के लिए निर्धारित की हुई जगह पर जाएंगे। क्योंकि ऐसे मसीही धर्मवादियों को इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं है कि यीशु ने उनके पापों को दूर किया है, इसलिए वे अपनी भावनाओँ पर विश्वास करते है। परिणाम स्वरुप, सच्ची वास्तविकता उनके विश्वासों के साथ मेल नहीं खाती है, जैसे कि एक अंधा हाथी के अंगों को छूकर हाथी की तस्वीर बनाने की कोशिश करता है। इसी लिए, वे पूरी तरह से इस बात से बेखबर है कि उनके विश्वास में गलत क्या है, और इसी लिए वे एक बार फिर भ्रम की स्थिति में है।
 
 
यदि हम नीले कपड़े के सत्य पर विश्वास नहीं करते तो हमारे साथ क्या होता?
 
तब क्या होगा जब हम मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के नीले कपड़े को छोड़ यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करे? जब परमेश्वर ने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े को बुन कर मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार बनाने के लिए कहा, तब यदि परमेश्वर ने मूसा से यह कहा होता और उसने इस्राएलियों को केवल बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से द्वार बनाने के लिए कहा होता और वास्तव में इस्राएलियों ने द्वार को इसी रीति से बनाया होता तो क्या होता? क्या परमेश्वर ने उसे अपने तम्बू के द्वार के रूप में स्वीकार किया होता? उसने कभी भी इसे मजूरी नहीं दी होती। क्योंकि परमेश्वर ने इस्राएलियों को अलग-अलग रंगों के चार कपड़ो से मिलापवाले तम्बू के द्वार को बनाने के लिए कहा था, यदि इसे उसके मुताबिक़ नहीं बनाया जाता, तो उसे कभी भी मिलापवाले तम्बू का द्वार नहीं कहा जता। चार कपड़ो में से एक को भी छोड़ा नहीं जा सकता।
मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बनाना था। क्योंकि यीशु, परमेश्वर, खुद मनुष्य की देह में हमारे उद्धारकर्ता के रूप में इस पृथ्वी पर आया, जगत के सारे पाप अपने शरीर पर उठाए, क्रूस पर मरा, मृत्यु से जीवित हुआ, और इसतरह हमारे पापों को बर्फ़ की नाई श्वेत किया, इस यीशु मसीह पर भरोषा करने और विश्वास करने से हमारे पापों से हमारा छूटकारा हूया है। मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार हमें बताता है की हमें हमारे पापों से बचने के लिए यीशु पर कैसे विश्वास करना चाहिए। जो लोग मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करते है वे अपने पापों से बच गए है। उन सभी ने अपने पापों किओ माफ़ी पाई है, बर्फ़ के नाई श्वेत। यीशु मसीह ने आपके और मेरे पापों को धोया है, हमें बर्फ की नाई श्वेत किया है। यीशु मसीह वास्तव में आपका और मेरा उद्धारकर्ता बना है। 
यह मिलापवाले तम्बू में प्रगट हुआ सत्य है। फिर भी आज बहुत से ऐसे लोग है जो बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े पर विश्वास करने का दावा करते है लेकिन नीले कपड़े के मतलब पर विश्वास नहीं करते। 
इस पुस्तक के लिए प्रारंभिक शोध करने के लिए, मैं एक बार एक मसीही किताब की दुकान पर गया। वहाँ मुझे कुछ प्रसिद्ध मसीही अगुवों के द्वारा लिखित मिलापवाले तम्बू की कुछ किताबे मिली। हालाँकि, कुछ किताबों में मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार का उल्लेख भी नहीं था, जब की बाकी किताब में निम्नलिखित व्यर्थ दावे किए गए थे: “मिलापवाले तम्बू के आँगन के नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी का कपड़ा हमसे क्या कहता है? नीला रंग आसमान का है, और इसलिए वह हमसे कहता है की यीशु परमेश्वर है। लाल रंग कीमती लहू को दर्शाता है जो यीशु ने इस पृथ्वी पर आने के बाद क्रूस पर बहाया था। बैंजनी हमें कहता है की वह राजा है।” 
इस तरह की व्याख्या निशान से दूर है। यीशु परमेश्वर है जो हमें बैंजनी धागे के माध्यम से बताया गया है। जब परमेश्वर ने हमें पहले ही बैंगनी कपड़े के द्वारा बताया है कि यीशु राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है, तो फिर वह नीले कपड़े के द्वारा इसे फिर से क्यों दोहराएगा? यह इसलिए क्योंकि यह लोग नीले कपड़े के रहस्य को नहीं जानते है क्योंकि वे इसे ठीक से व्याख्या करने में विफल रहे है।
क्योंकि वे केवल क्रूस के लहू को जानते है, इसलिए उन्होंने लाल कपड़े पर बहुत ज्यादा जोर दिया है। जब हम मिलापवाले तम्बू के उनके चित्र को देखते है, तो हम देखते है कि इसमे सफेद और लाल रंगों का ज्यादा महत्त्व है। जब नीले, बैंजनी, और लाल कपड़ा और बटी हुई सनी का कपड़ा इन चार रंगों को मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, लेकिन उनके चित्र में केवल लाल और सफ़ेद कपड़ा, और कुछ बैंजनी कपड़ा देखा जा सकता है, लेकिन नीला कपड़ा बिलकुल नहीं है। 
इस दुनिया में अब बहुत सारे ऐसे लोग है जो नीले कपड़े की सच्चाई को समझे बिना इस तरह के अस्थिर विश्वास की बात करते है। आज के समय में ऐसे बहुत से लोग है जो दावा करते है कि वे केवल क्रूस पर के यीशु के लहू पर विश्वास करके बच सकते है, यहाँ तक कि उन्हें यह भी एहसास नहीं है कि हमारे दोष को अपने ऊपर लेने के लिए यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के हमारे सारे पापों को एक ही बार में अपने ऊपर उठा लिया था। ऐसे लोगों के दिल हमेशा पापी बने रहते है। आज, कल और उससे परे - वास्तव में, जब तक वे मर नहीं जाते तब तक - ऐसे लोग तड़पते रहते है क्योंकि वे अपने पापों से स्वतंत्र नहीं हो सकते। इसलिए कुछ लोग अंगीकार करते है, “मैं मरते दम परमेश्वर के सामने पापी हूँ।” लेकिन क्या यह वास्तव में सही विश्वास है, कि वे यीशु पर विश्वास करने के बावजूद भी अपनी मृत्यु तक पापी के रूप में बने रहेंगे?
यीशु पर विश्वास करने के बाद, हम कब धर्मी बनते है? क्या स्वर्ग उन लोगों के लिए आरक्षित नहीं है जो यीशु के बपतिस्मा और लहू पर विश्वास करके पापरहित है? स्वर्ग वास्तव में धर्मियों के लिए है, पापियों के लिए नहीं है। केवल धर्मी जो निश्चित रूप से अपने पापों से बच गए है और जो पापरहित बने है वे स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है। 
जो लोग यीशु पर विश्वास करने के बावजूद भी अपने आप को मरते दम तक पापी घोषित करते है उनके पास उनके उद्धार का यकीन नहीं है भले ही फिर कितनी बार ही उन्होंने अपने विश्वास को अंगीकार क्यों ना किया हो, क्योंकि वे नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से अनजान है। यहाँ तक की वे यीशु पर विश्वास करते है और उसे प्रार्थना करते है, लेकिन फिर भी उनके पास यकीन नहीं है की उनकी प्रार्थना का उत्तर दिया जाएगा। हालाँकि वे यीशु पर विश्वास करते है, फिर भी उन्हें न तो मदद मिलती है और न ही उनसे प्यार मिलता है। वे अपनी उपासना के दौरान प्रेम महसूस कर सकते है, लेकिन जब वे अपनी उपासना कम कर देते है, तब उन्हें ऐसा लगता है जैसे उन्हें परमेश्वर के द्वारा त्याग दिया गया है, मानो उन्हें उनसे नफरत हो। उन्हें लगता है कि जब वे परमेश्वर को अर्पण और उपासना देते है तभी परमेश्वर उन्हें आशीषित करता है, और जब वे अपना अर्पण नहीं देते तब परमेश्वर उन्हें प्रेम नहीं करता। जब वे कुछ कठिन समय का सामना करते है, तो वे सोचते है कि परमेश्वर उनसे घृणा करते है, वे यह समझने में असमर्थ है कि उन्हें इस तरह के कठिन समय से क्यों गुजरना पड़ा, और फिर विपत्ति के लिए परमेश्वर पर आरोप लगते है और फिर उस पर विश्वास नहीं करते।
अंत में, ऐसे लोग और परमेश्वर के बीच विश्वास टूट जाता है। क्योंकि उनका विश्वास उनके स्वयं के विचारों और भावनाओं का परिणाम है, यह बहुत ही मनमाना, अनिश्चित और गलत है। जब हम परमेश्वर के पास जाते है, तब हमें अपनी भावनाओं को एक तरफ रख देना चाहिए। जब हम परमेश्वर के पास जाते है, तब हमें केवल अपने विश्वास के साथ जाना चाहिए जो इस सच्चाई पर स्पष्ट रूप से विश्वास करता है कि यीशु मसीह ने हमें बचाया है, जो हमारे पापों के कारण, उनके बपतिस्मा और लहू के साथ नरक में बंधा हुआ था। परमेश्वर के वचन और व्यवस्था के वचन से पहले, पानी और आत्मा के सुसमाचार से पहले, और हमारे विवेक के साथ, हमें यह स्पष्ट रूप से पहचानना चाहिए कि हम वे लोग थे जो नरक के लिए नियोजित थे। जब हम जाने, सीखे, विश्वास करे, और भरोषा करे कि हम वास्तव में कैसे पापी प्राणी थे और कैसे परमेश्वर ने हमें हमारे पापों से बचाया है केवल तभी हम समझ सकते है की यीशु मसीह पहले ही हमारा उद्धारकर्ता बन चुका है।
 
 
केवल सच्चे विश्वास के द्वारा ही हम उद्धार का उपहार प्राप्त कर सकते है
 
इसलिए, आपको और मुझे यह एहसास होना चाहिए कि हम नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बाटी हुई सनी के कपड़े पर विश्वास करने के कारण बचाए गए है, न की खुद के धर्मी कार्यो से। और हमें यह जानना और विश्वास करना चाहिए कि हमें हमारे पापों से बचाने के लिए, यीशु मसीह स्पष्ट रूप से इस चार प्रकार के सत्य में हमारे पास आया। उसने पुराने नियम में मसीहा के रूप में आने का वादा किया था, और इस वादे के अनुसार, वह वास्तव में इस पृथ्वी पर आया था, और अपने बपतिस्मा के साथ, हमारे और सारी मनुष्यजाति के पापों को एक ही बार में अपने ऊपर उठा लिया। फिर वह जगत के इन पापों को क्रूस तक लेकर गया, क्रूस पर चढ़ा, अपना कीमती लहू बहाया, और यह कहने के बाद उसकी मृत्यु हुई, “पूरा हुआ!” (यूहन्ना १६:३०) तिन दिनों में मृत्यु में से जीवित हो कर, ४० दिनों तक और वह गवाही देता रहा और वापिस आने के वायदे के साथ परमेश्वर के सिंहासन की दाई ओर उठा लिया गया। हमें इस पर विश्वास करना चाहिए।
“मैंने निश्चित रूप से आपको मेरी नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े की सेवकाई के द्वारा बचाया है। और मैं उन लोगों को वापस लेने आऊंगा जो उद्धार के इस सत्य पर विश्वास है। मैं उन्हें परमेश्वर की संतान बनने का अधिकार भी दूंगा। जो लोग इस सच्चाई पर अपने दिलों में विश्वास है, मैं उनके पापों को साफ कर दूँगा और उन्हें बर्फ की तरह श्वेत बना दूंगा, मैं उन्हें पवित्र आत्मा दूंगा, और मैं उन्हें अपनी संतान बनाऊंगा।” यह हमारे परमेश्वर ने हमें कहा है। 
हमें इस वचन पर विश्वास करना चाहिए। हमारे प्रभु ने पहले ही इन वायदों को पूरा कर दिया है, और वह वास्तव में इस पृथ्वी पर उन लोगों के जीवन में काम कर रहा है। वह उन लोगों की रक्षा करता है जो इस सच्चाई पर विश्वास करते है और उनके लिए गवाह बनता है। इस तरह हम हमारे प्रभु के बपतिस्मा के कार्य और लहू से बचाए गए है, परमेश्वर की कृपा, सुरक्षा और प्रेम में निवास करते है, और धर्मियों का जीवन जीते है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उसने हमें बचाया है कि हम विश्वास करके हमारे पापों से स्वतंत्र हो गए है।
जब मिलापवाले तम्बू पर लिखी गई इस किताब का अनुवाद दुनिया की सभी भाषाओं में किया गया है, इसलिए मुझे यकीन है कि पूरी दुनिया के लोग सत्य पर अपने विश्वास के द्वारा अपने पापों से बच जाएंगे। जो लोग दावा करते है कि पापों की माफ़ी केवल यीशु के लहू से मिलती है वे अब इस तरह के दावे नहीं कर पाएंगे, लेकिन वे अब यह समझेंगे की उनके दावे कितने झूठे थे। वे अब किसी झूठ का सहारा नहीं ले पाएंगे और यह दावा नहीं करा सकते की यह उद्धार है। वे कभी भी यह नहीं कह पाएंगे कि वे केवल यीशु के लहू में विश्वास करके बच सकते है।
मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में पानी और आत्मा का सुसमाचार पाया जाता है, नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के उद्धार का स्पष्ट वचन। क्योंकि यह परमेश्वर का वचन है और पुराने नियम से इसकी भविष्यवाणी की गई है, और क्योंकि परमेश्वर ने इस वादे को नए नियम में अपने बपतिस्मा और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा परिपूर्ण किया है, इसलिए यदि हम आनन्द और धन्यवाद के साथ उद्धार के इस उपहार पर विश्वास करते है तो हम सब पापों की अनन्त माफ़ी प्राप्त कर सकते है। 
यह ऐसा शब्द है जो आसान और सम्पूर्ण है, लेकिन यदि आप उसके वचन पर सच्चा विश्वास नहीं करते तो यह ऐसा सत्य भी है जो पूरे ब्रह्मांड के सारे ज्ञान से भी नहीं समझा जा सकता। इसलिए हमें उसके वचन पर विश्वास करना चाहिए जैसा वह है। क्योंकि यह एक ऐसा अनमोल सत्य है, जिससे हम अनजान नहीं रह सकते, इसलिए आपको और मुझे निश्चित रूप से पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करना चाहिए। हमें मिलापवाले तम्बू में प्रगट हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के सत्य को निशुल्क और आसानी से सिखाने के लिए, परमेश्वर ने हमें हमारे विश्वास के साथ उद्धार के यह बहुमूल्य उपहार को देने की अनुमति दी है।
आप और मैं एक जैसे है, जो इस सत्य पर विश्वास करते है, हम सब परमेश्वर के सत्य के प्रेम के लिए उसका धन्यवाद करते है। फिर भी बहुत से ऐसे लोग है जो नीले, बैंजनी और लाल कपड़े के वास्तविक सत्य से अनजान होकर लोगों कपो झूठे तरीके से सिखा रहे है। उन लोगों तक भी हम इस सच्चाई को फैलाना चाहते है। जिन लोगों के हृदय सत्य की अज्ञानता की वजह से पीड़ित है, उन्हें हम पानी और आत्मा की सत्यता का सुसमाचार प्रचार करते है, हम चाहते है की वे अपने पापों से स्वतंत्र हो और उद्धार के द्वार में प्रवेश करे। जब हम मिलापवाले तम्बू की सच्चाई का प्रचार करते है, तब जो लोग इस पर विश्वास करते है वे बच जाएंगे, लेकिन जो लोग विश्वास नहीं करते उन पर उनके पापों की वजह से दोष लगाया जाएगा। यदि हमने यीशु पर विश्वास करने का फैसला किया है, तो हमें नीले, बैंजनी और लाल कपड़े की सच्चाई को जानकर उस पर विश्वास करना चाहिए।
कोई भी व्यक्ति शुरू से नीले, बैंजनी और लाल कपड़े के सत्य को नहीं जानता है। परमेश्वर हमसे कहता है, “तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना ८:३२)। सत्य क्या है? सत्य सच्चा सुसमाचार है (इफिसियों १:१३), अर्थात्, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुआ पानी और आत्मा का सुसमाचार। नीले, बैंजनी और लाल कपड़े को सही रीति से जानना और उस पर विश्वास करना सत्य में सही विश्वास है। 
परमेश्वर ने यह क्यों कहा कि सत्य हमें स्वतंत्र करेगा? आप अपने पापों से कैसे बच पाए है? नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े पर विश्वास करने से आप अपने पापों से बचे है, लेकिन क्या पवित्र आत्मा आपके अन्दर निवास करता है? आपके दिल और विवेक दोनों से, क्या आपके पाप स्पष्ट रूप से दूर हो गए है? क्या आप वास्तव में विश्वास करते है और क्या आप वास्तव में अपने दिल की गहराई से स्वीकार कर सकते है कि परमेश्वर वास्तव में आपके पिता है? क्योंकि परमेश्वर केवल उन लोगों को अपनी संतान के रूप में पहचानता है जो पापरहित है, वह केवल उन लोगों के विश्वास को स्वीकार करता है जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े को जाने है और विश्वास करते है जो मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार पर बुना हुआ है। पापी लोग परमेश्वर की संतान नहीं है; केवल नया जन्म पाए हुए लोग जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते है, केवल वही सुसमाचार जो परमेश्वर ने हमें दिया है, वे परमेश्वर पिता की संतान है।
हालाँकि हम इस दुनिया में रहते हुए कई कठिनाइयों, मुसीबतों और कष्टों का सामना करते है, क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ रहते है, इसलिए हम खुश है। भले ही हम अपर्याप्त है, लेकिन फिर भी हम अपना धन्य जीवन जी रहे है, परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करते है और पूरी दुनिया में में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के सुसमाचार का प्रचार करते है, वह सुसमाचार जो परमेश्वर की धार्मिकता हमें देता है।
मैं नीले, बैंजनी और लाल कपड़े के लिए परमेश्वर का शुक्रगुजार हूँ। जब मैंने पहली बार यीशु पर विश्वास किया था, तब चाहे मैं कितनी भी श्रद्धापूर्वक विश्वास करूं, लेकिन मेरा दिल अभी भी पापी था, और मुझे इस वजह से बहुत पीड़ा होती थी। कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैंने कितनी ईमानदारी से यीशु पर बिश्वास करने का दावा किया था, मेरे विवेक में पाप स्पष्ट रूप से मौजूद था। व्यक्ति अपने विवेक को देख कर यह जन सकता है की वह परमेश्वर के सामने पापी है या नहीं। दूसरे शब्दों में, जिनके विवेक में अभी भी पाप लिखे हुए है वे वही लोग है जो अपने पापों की माफ़ी पाने में अभी भी सक्षम नहीं है। यदि उनके विवेक में छोटा सा भी पाप है तो यह इस बात का प्रमाण है की उन्होंने अभी पाप की माफ़ी नहीं पाई है। 
हालाँकि, जब मैं उस सत्य को नहीं जान पाया था जो मेरे पापों की सारी समस्याओं को हल कर सकता है, यहाँ तक कि सबसे छोटे पाप की भी, और परिणाम स्वरुप जब सभी प्रकार के प्रश्न और आश्चर्य मेरे दिल में पैदा हुए, तब परमेश्वर ने मुझे अपने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के वचन से रूबरू करवाया।
यह वचन मत्ती के सुसमाचार में पाया जाता है जिसे हम पहले पढ़ चुके है। जब हम मत्ती ३:१३-१७ पढ़ रहे थे, तब मैं इस भाग पर आया, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है” (मत्ती ३:१५)। तब मुझे समझ में आया और मैंने विश्वास किया की जब यीशु ने बपतिस्मा लिया और पानी से बहार आया, तब परमेश्वर ने उसकी धार्मिकता की गवाही दी, और यीशु के बपतिस्मा के द्वारा सारे पापों को मिटा कर सब धार्मिकता को पूरा किया गया। 
जब यीशु मसीह ने यूहन्ना के द्वारा बपतिस्मा लिया, तब मेरे सारे पाप स्पष्ट रूप से उस पर डाले गए थे, और एक ही बार में क्रूस पर उसको हल किया गया था। जिस क्षण मुझे एहसास हुआ और मैंने विश्वास किया की क्यों यीशु ने बपतिस्मा लिया था, तब मेरे अनसुलझे पापों के बारे में सभी समस्याओं और सवालों के जवाब मिल गए थे, क्योंकि मेरे सारे पाप मुजसे दूर किए गए थे। मैं पाप की माफ़ी के इस सत्य के लिए बहुत धन्यवादित था, क्योंकि सत्य यह है की पानी और आत्मा के सुसमाचार जो परमेश्वर का सच्चा वचन है उसे जानने और विश्वास करने के द्वारा मैंने पापों की माफ़ी पाई थी।
प्रभु अपने लिखे वचन के माध्यम से मेरे पास आए, और मैंने पानी और आत्मा के उनके वचन को अपने दिल में विश्वास करने के द्वारा पापों की माफ़ी प्राप्त की। तब से, पुराने और नए नियम के वचन के द्वारा, मैं कई लोगों को नीले, बैंजनी और लाल कपड़े के सुसमाचार की गवाही देता रहा हूँ, और अब भी, मैंने उद्धार के इन सभी सत्य और रहस्यों को फैलाना जारी रखा है। सच्चा सुसमाचार मनुष्य के स्वयं के विचारों, सिद्धांतों, या भावनात्मक अनुभवों से बना हुआ नहीं है।
नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा हमारे प्रभु ने हमारे पापों को दूर किया है। नीले, बैंजनी और लाल कपड़े के द्वारा, दुनियाभर के सारे लोग उद्धार की सच्चाई को स्पष्ट रूप से समझेंगे और यह पहचानेंगे की यह सत्य और कुछ नहीं लेकिन पानी और आत्मा का सुसमाचार है। यह भी सच्चाई है कि इस अंत के समय में इसकी आवश्यकता है। अनगिनत लोग इस सच्चाई पर विश्वास करेंगे। 
आज का युग एक ऐसा युग है जहाँ लोगों की धार्मिकता टूट रही है और उनकी दुष्टता बड़े पैमाने पर बढ़ रही है। जब आस-पास की स्थितियां बिगड़ती है, तब लोग उन सभी बुराई को उगलते है जो मौलिक रूप से उन के अन्दर भरी हुई है। फिर भी इसके बावजूद, हमारे प्रभु ने नीले, बैंजनी और लाल कपड़े के सुसमाचार के माध्यम से आपको और मुझे हमारे पापों से बचाया है। यह आशीष कितना धन्य और बहुमूल्य है? मैं इस स्पष्ट उद्धार के लिए हमारे परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ, क्योंकि मैं खुशी और आनन्द से छलक रहा हूँ।
दुनिया अब परमेश्वर के द्वारा भविष्यवाणी किए गए अन्त के समय की ओर बढ़ रही है, और पहले ही इस युग में प्रवेश कर चुकी है। इस तरह के समय में, जब कम से कम लोग होते है जो परमेश्वर की श्रध्दा पूर्वक सेवा करते है, और जब विश्वासियों का विश्वास भी कमजोर हो जाता है, तब यदि आप स्वयं को पानी और आत्मा की सच्चाई के अलावा किसी और चीज़ के लिए समर्पित करने का प्रयास करते है, तो आप केवल अपने दिलों में घाव पाएंगे। जब परमेश्वर पर विश्वास किया जाता है, तब यदि आप नीले, बैंजनी और लाल कपड़े के सुसमाचार पर विश्वास नहीं करते है, तो आप केवल निराश होंगे, क्योंकि यह न तो आपके दिलों में कुछ सार्थक छोड़ेगा और न ही कोई ठोस फल देगा।
क्योंकि नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के चार रंगों के सुसमाचार का सत्य स्पष्ट सत्य है, इस अन्धकार भरी दुनिया में केवल यही एकमात्र सर्वश्रेष्ठ सुसमाचार है। मिलापवाले तम्बू में प्रगट हुए सत्य को जानने और विश्वास करने के द्वारा हमने हमारे पापों की माफ़ी पाई है वह बहुमूल्य आशीष, कीमती उपहार, और हमारे लिए बहुत आनन्द की बात है। क्योंकि जो लोग मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार के नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में परागु हुई सच्चाई को जानते है और विश्वास करते है वे झूठ की नहीं लेकिन सच्चाई की सेवा कर रहे है, उनके दिलों में बड़ा आनन्द हमेशा पाया जाता है। 
क्या आप भी मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में प्रगट हुए सत्य को जानते और विश्वास करते है? आपको यह जानना चाहिए, और आपको इस पर विश्वास करना चाहिए।