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Mahubiri

विषय ९ : रोमियों (रोमियों की पत्री किताब पर टिप्पणी)

[अध्याय 4-2] वे जिन्होंने विश्वास से स्वर्गीय आशीषों को पाया है (रोमियों ४:१-८)

( रोमियों ४:१-८ )
“इसलिये हम क्या कहें हमारे शारीरिक पिता अब्राहम को क्या प्राप्‍त हुआ? क्योंकि यदि अब्राहम कामों से धर्मी ठहराया जाता, तो उसे घमण्ड करने की जगह होती, परन्तु परमेश्‍वर के निकट नहीं। पवित्रशास्त्र क्या कहता है? यह कि “अब्राहम ने परमेश्‍वर पर विश्‍वास किया, और यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया।” काम करनेवाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक्‍क समझा जाता है। परन्तु जो काम नहीं करता वरन् भक्‍तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्‍वास करता है, उसका विश्‍वास उसके लिये धार्मिकता गिना जाता है। जिसे परमेश्‍वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है : “धन्य हैं वे जिनके अधर्म क्षमा हुए, और जिनके पाप ढाँपे गए। धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्‍वर पापी न ठहराए।”
 


धन्य है वे जिनके पाप मिटा दी गए है


मैं इन दिनों कई आत्माओं को बचाने के लिए प्रभु को धन्यवाद देता हूं। बाइबल रोमियों अध्याय ४ में धन्य लोगों के बारे में बात करती है, इसलिए मैं उन लोगों के बारे में बात करना चाहता हूँ जिन्हें आशीष दी गई है।
“जिसे परमेश्‍वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है : “धन्य हैं वे जिनके अधर्म क्षमा हुए, और जिनके पाप ढाँपे गए। धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्‍वर पापी न ठहराए” (रोमियों ४:६-८)। बाइबल उन लोगों के बारे में बात करती है जो परमेश्वर के सामने धन्य है। वास्तव में धन्य वे है जिनके पाप परमेश्वर के सामने मिटा दी गए है और जिन्हें परमेश्वर पापी नहीं ठहराता।
इससे पहले कि हम वचनों की गहराई में जाएं, आइए अपनी वर्तमान स्थिति की जांच करें जैसे कि यह है। बाइबल उन धन्य लोगों के बारे में बात करती है जिन्होंने अपने पापों की माफ़ी प्राप्त की है। आइए फिर सोचें कि क्या हम भी आशीष पाने के योग्य हैं या नहीं।
इस दुनिया में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो पाप नहीं करता है। मनुष्यजाति एक घने बादल के रूप में उतना ही पाप करती है जितना कि यशायाह ४४:२२ में लिखा है। कोई भी यीशु मसीह की कृपा के बिना परमेश्वर के न्याय से बचने में सक्षम नहीं है।
हम अपने पापों से और परमेश्वर के न्याय से यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर के उसके लहू के द्वारा छुड़ाए गए थे, जिसके द्वारा प्रभु ने हमें पापों की माफ़ी दी थी। इसके अलावा, यीशु मसीह के बलिदान की वजह से अब हम जीने के योग्य बने है। क्या कोई ऐसा व्यक्ति बन सकता है जो अपने पूरे जीवनभर इस दुनिया में पाप न करे? चाहे किसी व्यक्ति को पाप की माफ़ी मिली है या नहीं, वह जीवन भर पाप करता है। चूंकि हम बिना समझे निरंतर पाप करते है इसलिए हम पाप के कारण न्याय को प्राप्त करने के लिए नियुक्त है। 
मैं इस तथ्य में विश्वास करता हूं कि एक व्यक्ति जिसके पास थोड़ा सा भी पाप है, वह नरक में जाएगा। क्यों? क्योंकि बाइबल कहती है कि पाप की मजदूरी मृत्यु है (रोमियों ६:२३)। पाप की मजदूरी, चाहे वह कुछ भी हो, उसका भुगतान करना चाहिए, और पापों की माफ़ी तभी मिलाती है जब व्यक्ति उसकी कीमत चुकाता है। पाप केवल न्याय लाता है। 
हम सभी प्रकार के पापों के बीच रहते हैं, गंभीर और छोटे दोनों तरह के, जैसे अज्ञानता के कारण पाप, ज्ञान से किए गए पाप, और दुर्बलताओं के कारण किए गए पाप। सख्ती से कहूँ तो, हम परमेश्वर के सामने अपने पापों को स्वीकार करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते, भले ही हमारे पास कोई अच्छा बहाना क्यों न हो। क्या आप इस अवधारणा से सहमत हैं? हमारे लिए यह सही नहीं है कि हम अपने पापों को स्वीकार करने से इंकार कर दें, भले ही हमारे सभी पापों को माफ़ कर दिया गया हो। प्रत्येक व्यक्ति को उन चीजों को स्वीकार करना चाहिए जिन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए।
 


केवल धर्मी ही प्रभु की स्तुति कर सकता है


धर्मी, जिनके पाप और अधर्म पहले से ही माफ़ किए गए है और ढंके हुए हैं, वे पापरहित हैं और परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं। जब भी हम उसके सामने आते हैं तब हमें हर घंटे और मिनट परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए, क्योंकि प्रभु ने हमारे सभी पापों को दूर कर दिया, भले ही फिर हमारे पाप घने बादल की तरह बहत ही ज्यादा क्यों न थे। हम उस प्रभु को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा लेकर हमारे सभी पापों को दूर किया और हमारे स्थान पर क्रूस पर न्याय प्राप्त किया। 
यदि प्रभु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा न तो हमारे सभी पापों को अपने ऊपर लिया होता और न ही पाप की मजदूरी चुकाने के लिए क्रूस पर चढ़ाया जाता और मरता, तो क्या हम दृढ़ता से उन्हें पिता कह सकते थे? हम प्रभु की स्तुति कैसे कर सकते थे? हम परमेश्वर के नाम की स्तुति कैसे कर सकते थे और कैसे उसके उद्धार के उपहार का धन्यवाद कर सकते और उसकी महिमा कर सकते? ये सब परमेश्वर के अनुग्रह के वरदान के कारण हैं।
हम, संतों के रूप में, इस समय प्रभु की स्तुति कर सकते हैं और उनका धन्यवाद कर सकते हैं क्योंकि हमारे पाप पहले ही मिटा दिए गए हैं। मसीह के बलिदान के माध्यम से और इस तथ्य के माध्यम से कि प्रभु ने हमारे सभी पापों को दूर किया, जिसमें तिनके जितने छोटे पाप भी सम्मिलित है, हम प्रभु की स्तुति कर सकते हैं।
यद्यपि हमें हमारे पापों के लिए माफ़ कर दिया गया है, हम इस पृथ्वी पर रहते हुए अपने कर्मों से सिद्ध नहीं हो सकते हैं। हम सभी कमजोर हैं, लेकिन हम, धर्मी के रूप में, परमेश्वर की स्तुति करते हैं, जिन्होंने अपने अनुग्रह से पापियों के सभी पापों की मजदूरी की कीमत चुकाई। क्या आप अंधेरे में हैं? कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस प्रकार का अंधेरा है, यदि हम परमेश्वर के सामने छोटे से छोटे पाप को भी स्वीकार करते हैं, यदि हम स्वीकार करते हैं कि हमने परमेश्वर के सामने पाप किया है, और यदि हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं जिन्होंने यह सारे पाप ले लिए है, तब प्रभु का सत्य हमें उसकी स्तुति करने और उनका धन्यवाद करने की अनुमति देता है। हम संत बन जाते है जो यीशु मसीह के अनुग्रह और पापों की माफ़ी की प्रशंसा करते है। इसके अलावा, हम अपने ह्रदय में पापों की माफ़ी का अनुग्रह प्राप्त करने के बाद परमेश्वर के आराधक बन जाते है। 
 

यदि हम बिना काम किए धर्मी बने है तो यह परमेश्वर का उपहार है

“इसलिये हम क्या कहें हमारे शारीरिक पिता अब्राहम को क्या प्राप्‍त हुआ? क्योंकि यदि अब्राहम कामों से धर्मी ठहराया जाता, तो उसे घमण्ड करने की जगह होती, परन्तु परमेश्‍वर के निकट नहीं। पवित्रशास्त्र क्या कहता है? यह कि “अब्राहम ने परमेश्‍वर पर विश्‍वास किया, और यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया।” काम करनेवाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक्‍क समझा जाता है। परन्तु जो काम नहीं करता वरन् भक्‍तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्‍वास करता है, उसका विश्‍वास उसके लिये धार्मिकता गिना जाता है” (रोमियों ४:१-५)।
मनुष्य का पाप उसकी मजदूरी के भुगतान के बाद ही समाप्त होता है। क्या आप सुनिश्चित हैं कि आपका विवेक शुद्ध हो गया है? चाहे वे किसी भी प्रकार के पाप हों, पाप की मजदूरी का भुगतान करने के बाद ही हमारे विवेक को शुद्ध किया जा सकता है। हम, पापियों के पास मरने के अलावा ओर कोई चारा नहीं था, परन्तु प्रभु हमारे पापों के लिए मरे। इसलिए पापियों को बचाए जाने के द्वारा धर्मी ठहराया गया। 
रोमियों अध्याय ४ में, पौलुस ने अब्राहम का उदाहरण लेकर कहा जो विश्वास का पिता था और परमेश्वर के वचन पर विश्वास करता था कि पापियों को यीशु मसीह के द्वारा बचाया गया था, जिन्होंने यरदन नदी में जगत के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और उन्हें इन पापों के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया। बाइबल कहती है कि अब्राहम धर्मी बन गया क्योंकि वह परमेश्वर में विश्वास करता था। वह अपने कर्मों से नहीं, बल्कि परमेश्वर के वचन में विश्वास के द्वारा बचाया गया था। इसलिए, परमेश्वर ने उसे धर्मी माना। अब्राहम ने विश्वास करके उद्धार प्राप्त किया वह परमेश्वर की वाचा में विश्वास करके धर्मी बन गया।
पाप से उद्धार और परमेश्वर का अनुग्रह क्या है जो हम पापियों पर दिया गया था? आइए इस बात को स्पष्ट करने के लिए इसके बारे में सोचें। "काम करनेवाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक्क समझा जाता है” (रोमियों ४:४)। यह पद परमेश्वर के उद्धार के बारे में बात करता है, जिसने हमें सभी पापों से बचाया। यह पापों की माफ़ी के बारे में बात करता है। "काम करनेवाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक्क समझा जाता है।” यदि कोई व्यक्ति अपने काम के लिए मजदूरी प्राप्त करता है तो क्या वह अपनी मजदूरी को अनुग्रह या ऋण के रूप में मानेंगे? पौलुस प्रेरित उदाहरण के रूप में अब्राहम का उपयोग करते हुए उद्धार की व्याख्या करते हैं। यह एक ऐसे व्यक्ति के लिए स्वाभाविक है जो बदले में अपने काम के लिए मजदूरी प्राप्त करने के लिए काम करता है। हालाँकि, यदि हमें संतों के समान धर्मी बनाया गया है, फिर भले ही हमने सिद्ध जीवन नहीं जिया हो तो यह परमेश्वर के उपहार के द्वारा है, हमारे अपने प्रयासों से नहीं।
"काम करनेवाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक्क समझा जाता है” (रोमियों ४:४)। पापों की माफ़ी के द्वारा उद्धार प्रभु के बपतिस्मा और बलिदान के लिए बहाए हुए लहू के कारण है। अनुग्रह और पापों की माफ़ी के उपहार के द्वारा उद्धार संभव हुआ। मनुष्यजाति पाप करने से रुक नहीं सकती है, इसलिए उन्हें यह स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जाता है कि उन्होंने पाप किया है। वे अपने पापों को धो नहीं सकते हैं, फिर चाहे वे किसी भी सिद्धांत पर विश्वास करें, या चाहे वे अपने पापों के लिए कितनी भी कठिन प्रार्थना करें।
पापियों के लिए अपने पापों को धोने का एकमात्र तरीका उद्धार में विश्वास करना है जो कहता है कि प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा यर्दन नदी में बापतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और पापों का दण्ड प्राप्त करने के लिए उसे क्रूस पर चढ़ाया गया। पापियों के पास अपने स्वयं के किए गए किसी भी प्रकार के बलिदान के द्वारा अपने स्वयं के पापों के लिए भुगतान करने की योग्यता नहीं है। पापी केवल पापों की माफ़ी के माध्यम से उद्धार में विश्वास करने में सक्षम हैं। केवल एक चीज जिस पर वे भरोसा कर सकते हैं वह है परमेश्वर का अनुग्रह। 
यर्दन नदी में बपतिस्मा प्राप्त करके, यीशु ने सबसे उपयुक्त तरीके से हमारे सभी पापों को दूर किया, और क्रूस पर स्वयं को बलिदान करके, पापियों को उनके सभी पापों से बचाया गया। इसमें शैतान के धोखे के तहत अपनी कमजोरियों के कारण किए गए छोटे पाप और पहाड़ जितने बड़े पाप भी शामिल हैं। इसलिए, पापियों ने यीशु मसीह के बपतिस्मा और लहू पर विश्वास के द्वारा उद्धार प्राप्त किया। उद्धार के परमेश्वर के मुफ्त उपहार के माध्यम से, हम जो पापी थे अब धर्मी हैं।
 

पापों की माफ़ी केवल अनुग्रह और उपहार के द्वारा दी गई है

प्रेरित पौलुस इस बारे में बात करता है कि कैसे एक पापी को उसके सभी पापों से बचाया जाता है। "काम करनेवाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक्क समझा जाता है।” वह इस जगत में मजदूरों से तुलना करके उद्धार के अनुग्रह की व्याख्या करता है। यदि कोई पापी, परमेश्वर के सामने काम करने के बाद कहता है कि उसने अपने पापों से मुक्ति प्राप्त की है, तो यह परमेश्वर के उपहार से नहीं बल्कि उसके कार्यों से है। पापों की माफ़ी केवल अनुग्रह से और उपहार के रूप में मिलती है। हमारा कोई भी कर्म परमेश्वर की कृपा में शामिल नहीं है। हमने जो पापों से उद्धार प्राप्त किया है वह परमेश्वर का उपहार है, या नहीं? हाँ, यह उपहार है। हमारे पास हमारे पापों के कारण नाश होने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था हालाँकि, हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा यर्दन नदी में बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया। 
हम इस तथ्य में विश्वास करके हमारे पापों से बच गए थे कि यीशु मसीह ने मृत्यु की मजदूरी का भुगतान किया और हमारे लिए मर गए। उन्होंने अपने बपतिस्मा के माध्यम से हमारे सभी पापों को दूर करके हमें पवित्र किया और हमारे पापों को क्रूस तक लेजाकर हमें हमारे पापों से उद्धार दिया है। ये सब यीशु के उद्धार के अनुग्रह से हुआ हैं। हमारा उद्धार परमेश्वर के अनुग्रह से संभव हुआ। यह एक उपहार है। यह मुफ़्त है। पापियों के प्रति परमेश्वर के प्रेम के कारण पापियों को बचाया गया। यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सभी पापों को दूर कर लिया और क्रूस पर चढने के द्वारा पापियों को जगत के सारे पाप और परमेश्वर के न्याय से बचाया।
“परन्तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिए धार्मिकता गिना जाता है” (रोमियों ४:५)। पहले हम काम करनेवाले व्यक्ति के बारे में बात कर रहे थे। यह वाक्य, “परन्तु जो काम नहीं करता” उन लोगों को दर्शाता है जो धर्मी बनने के लिए कोई काम नहीं करते। पौलुस आगे इस वचन में कहता है, “भक्तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिए धार्मिकता गिना जाता है।” 
वह परमेश्वर की धार्मिकता को समझाने के लिए एक उदाहरण के रूप में अधर्मी का उपयोग करता है। अधर्मी होने का क्या अर्थ है? एक `अधर्मी` व्यक्ति वह है जो परमेश्वर के भय में नहीं खड़ा होता है और अपनी अंतिम सांस तक एक बेकार जीवन जीता है, जो धर्मी के विपरीत होता है। यह वचन उस व्यक्ति को दर्शाता है जो मरने के दिन तक परमेश्वर के सामने पाप करता है। यह सच है कि लोग पाप से भरे हुए पैदा होते हैं। इसके अलावा, यह मनुष्यों का वास्तविक स्वभाव था कि वे अपने पापों के कारण परमेश्वर के न्याय को प्राप्त करने के लिए नियत थे।
हालाँकि, यह लिखा गया है, “परन्तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिए धार्मिकता गिना जाता है।” यहाँ, वाक्यांश "परन्तु जो काम नहीं करता" का अर्थ है "यद्यपि वह धर्मी नहीं है।” क्या हम परमेश्वर के सामने धर्मी हैं? नहीं, हम नहीं हैं।
प्रभु हम, अधर्मी से कहता है, "तुम पापरहित हो और तुम धर्मी हो।" प्रभु ने हमारे सभी पापों की मजदूरी को ले लिया और उनके लिए भुगतान किया। क्या आप मानते हैं कि यीशु ने पहले ही पापों की मजदूरी का भुगतान कर दिया है? विश्वासी के लिए उसका विश्वास धार्मिकता के लिए जिम्मेदार है। "आप सही कह रहे हैं। आप वास्तव में इसमें विश्वास करते हैं। आप मेरे धर्मी लोग हैं। आपके पास कोई पाप नहीं है क्योंकि मैंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा लेने और क्रूस पर आपके पापों का न्याय सहने के द्वारा उन सब पापों को मिटा दिया था!”
परमेश्वर ने यीशु के बपतिस्मा के द्वारा इस जगत के सारे अधर्मी पापों को ले लिया, यद्यपि सारी मनुष्यजाति अधर्मी है। परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को भेजा और उसके बपतिस्मा के द्वारा पापों को उठा लिया और उसे अधर्मी के स्थान पर क्रूस पर चढ़ाया गया। परमेश्वर ने दोनों व्यवस्थाओं को परिपूर्ण किया जो कहती है की पाप की मजदूरी तो मृत्यु है और उसी समय परमेश्वर के प्रेम की व्यवस्था को भी। उन्होंने सारे पापियों को उनके पापों से बचाया। 
परमेश्वर कहते हैं, "हाँ, तुम पापरहित हो। मेरे पुत्र ने तुम्हें बचाया। तुम्हारा उद्धार हुआ है," उन लोगों के लिए जो यह विश्वास करते हैं कि यीशु ने पापियों की ओर से अपने धर्मी कार्य के माध्यम से यरदन नदी में इस जगत के सभी पापों को उठा लिया। इसलिए, भले ही वे धर्मी न हों, उन्हें धर्मी बना दिया जाता है। परमेश्वर कहता है कि वे उसके पापरहित लोग हैं, हालाँकि जब वे प्रभु के उद्धार में उनके विश्वास को देखते हैं तो वे अधर्मी होते हैं। धन्य है वे जन जिसे प्रभु पापी नहीं ठहराता।
परमेश्वर हमसे पूछते हैं कि क्या हम धर्मी हैं। “परन्तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिए धार्मिकता गिना जाता है।” क्या हम अच्छे कर्म करते हैं? हम अच्छे कर्म नहीं कर सकते लेकिन केवल पाप करते है। फिर भी, परमेश्वर ने स्वयं हमें उद्धार के उपहार से बचाया। हम प्रभु के उद्धार में विश्वास करते हैं, अर्थात् यीशु के बपतिस्मा और लहू में!
 

हमें प्रभु के उद्धार में विश्वास के द्वारा जीवन जीना चाहिए

हम प्रभु की स्तुति करने आते हैं और उनके प्रेम के उपहार और पापों से उद्धार के अनुग्रह के लिए धन्यवाद देते हैं, यह जानते हुए कि उन्होंने कितनी स्वेच्छा से हम अधर्मियों के पापों की मजदूरी का भुगतान किया। जब हम परमेश्वर के सामने स्वीकार करते है की हम अधर्मी है तब हम उनके बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा चुकाए गए हमारी पापों की मजदूरी के लिए उसका धन्यवाद करते है। हालाँकि, यदि हम सोचे की हम धर्मी है तो हम परमेश्वर के अनुग्रह के लिए धन्यवाद नहीं कर सकते।
जो व्यक्ति यीशु मसीह में विश्वास करता है, जो अधर्मियों को सही ठहराता है, उसका विश्वास धार्मिकता के लिए गिना जाता है। जो लोग यीशु के छुटकारे और न्याय में विश्वास करते हैं, जो उन्हें धर्मी बनाता है, वे परमेश्वर के उपहार को प्राप्त करते हैं। परमेश्वर के सामने कोई भी धर्मी नहीं है क्योंकि वे धर्मी जीवन जीने का प्रयत्न करते हुए काफी गलतिया करते है।
तथ्य यह है कि मनुष्य पाप करता है यह उसकी अधार्मिकता को साबित करता है। इसलिए, मैं परमेश्वर के उद्धार में विश्वास से जीता हूँ, हालाँकि मैं अधर्मी हूँ। विश्वास से जीने का मतलब यह नहीं है कि वह अपनी मर्जी से जीना चाहता है। जो व्यक्ति विश्वास से धर्मी ठहरा है उसके लिए जीव जीने के कुछ तरीके है।
हर एक दिन, यीशु के उद्धार के सुसमाचार को नए जन्म लेने वाले संतों की आवश्यकता होती है। क्यों? क्योंकि उनके कर्म पृथ्वी पर धर्मी नहीं हैं और वे जीवन भर पाप करने के अलावा ओर कुछ नहीं कर सकते। प्रत्येक व्यक्ति को सुसमाचार सुनना चाहिए जो कहता है की यीशु ने अपने बपतिस्मा द्वारा जगत के सारे पापों को ले लिया है। धर्मी को प्रत्येक दिन सुसमाचार को सुनना चाहिए और मनन करना चाहिए। तब, उनकी आत्मा जीवित रहती है और झरने की नाई मजबूत बनती है। “परन्तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिए धार्मिकता गिना जाता है।” यह सन्देश किसके लिए है? यह संदेश इस जगत के प्रत्येक लोगों के लिए है जिसमे आप और मैं भी शामिल है।
बाइबल हमें विस्तार से बताती है कि अब्राहम को कैसे धर्मी ठहराया गया था। जो व्यक्ति काम करता है, उसके लिए परमेश्वर के उद्धार की सराहना नहीं की जाती है और वह इसके बजाय इसे अस्वीकार कर देगा। ऐसा व्यक्ति सुसमाचार के लिए धन्यवाद नहीं देता है। सबसे पहले, वचन ४ काम करनेवाले व्यक्ति का वर्णन करता है, अर्थात्, वह जो अच्छे कर्म करने के द्वारा स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का प्रयास करता है। इस प्रकार का व्यक्ति कभी भी यीशु के बलिदान के लिए धन्यवाद नहीं देता है। क्यों नहीं देता? क्योंकि वह अपने दैनिक पापों से माफ़ी पाने के लिए पश्चाताप की प्रार्थना करते समय काम करता है और कई धर्मी कार्य करता है, और इस प्रकार वह सोचता है कि उसके स्वयं के कार्यो ने उसके पापों की माफ़ी प्राप्त करने में किसी तरह काम किया है, वह परमेश्वर के पूर्ण अनुग्रह के लिए आभारी नहीं है, जो कि यह सुसमाचार है। इसलिए, व्यक्ति वास्तव में परमेश्वर के उद्धार का उपहार प्राप्त नहीं कर सकता है।
बाइबल कहती है, “परन्तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिए धार्मिकता गिना जाता है” (रोमियों ४:५)।  इसका अर्थ यह है कि प्रभु ने उन लोगों को पूरी तरह से बचाया जो अधर्मी थे और जिनके पाप उनके कर्मो के द्वारा माफ़ नहीं किए जा सकते थे। यह हमें यह भी दिखाता है कि परमेश्वर का अनुग्रह धर्मी लोगों पर प्रकट होता है, जो पापों की माफ़ी प्राप्त करके बचाए गए थे।
 

परन्तु जो काम करता है वह परमेश्वर के अनुग्रह को अनुग्रह नहीं समझता

रोमियों ४:५ उस पर लागू होता है जो परमेश्वर को स्वीकार करता है और उसके वचनों पर विश्वास करता है, जैसा कि अब्राहम ने किया था। हम उस प्रभु में विश्वास करते हैं जिसने अधर्मियों को बचाया। मसीहीयों में दो प्रकार के लोग हैं: वे जो अभी भी अपने पापों की माफ़ी के लिए कार्य करते है और वे जिन्होंने अपने पापों से सम्पूर्ण छूटकारा पाया है। जैसा कि वचन ४ और ५ में लिखा है, "जो काम करता है" और मजदूरी को अनुग्रह नहीं मानता, वह पापों की माफ़ी के अनुग्रह को अस्वीकार करता है क्योंकि वह यीशु में विश्वास करने के बाद भी कामों के साथ परमेश्वर के पास आता है।
लोग पापी ही है क्योंकि वे अपने कर्म भगवान को अर्पित करते हैं। पवित्रीकरण का सिद्धांत एक मसीही सिद्धांत है जिसमें कहा गया है कि एक विश्वासी को मरने के दिन तक थोड़ा-थोड़ा करके पवित्र किया जा सकता है, और इस प्रकार यह विश्वासियों को पापों की माफ़ी के उपहार को अस्वीकार करने और परमेश्वर के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। बाइबल यह नहीं कहती है कि एक व्यक्ति धीरे धीरे धर्मी बनता है। जो लोग पश्चाताप की प्रार्थना करने के द्वारा, अच्छे कर्म करने के द्वारा और अपनी गंदकी को साफ़ करने के द्वारा धीरे धीरे पवित्र होने का प्रयास करते है वे वो लोग है जो काम करते है। ये वे लोग हैं जो शैतान के सेवकों के रूप में नरक में जाने के योग्य हैं। उन्हें धार्मिकता के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वे प्रभु के अनुग्रह को अस्वीकार करते हैं। 
हम में से कोई भी धर्मी नहीं है। हालाँकि, इस समय बहुत से लोग गलत दिशा में जा रहे हैं और विश्वास कर रहे हैं। उनका मानना है कि जब वे प्रतिदिन पश्चाताप करते है तब उनके वास्तविक पापों को माफ़ किया जाता है, यह जानते हुए कि यीशु ने उनके सभी पिछले पापों को धो दिया। क्योंकि वे सोचते हैं की वे थोड़े धर्मी हैं। वे यीशु के सामने अपनी अच्छाई और स्वच्छता दिखाते हैं। अंत में, वे पापों की माफ़ी जो परमेश्वर का उपहार है उससे वंचित रह जाते है।
 

कौन धन्य है?

जो संत अपने सभी पापों से मुक्त हो गए, वे यीशु पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी बन गए। किस प्रकार का व्यक्ति धर्मी बन सकता है, इस प्रश्न का उत्तर यह है: एक व्यक्ति जो अपनी दुर्बलताओं को अच्छी तरह जानता है और अपने पापों के लिए पश्चाताप की प्रार्थना करने में सक्षम नहीं है, वह कई अन्य लोगों के बीच विश्वास से धर्मी बनने के लिए उपयुक्त है। केवल वे जो अच्छे काम करने, प्रार्थना करने, भक्ति करने में अच्छे नहीं हैं, और जो आत्मा में गरीब हैं, उन्हें यीशु से पापों की माफ़ी का उपहार मिलेगा। उन्हें धर्मी बनाया जाएगा। इन लोगों ने परमेश्वर के सामने अच्छे काम नहीं किए हैं।
उन्होंने केवल इतना ही किया है कि उन्होंने अपने पापों को यह कहते हुए स्वीकार किया है की, "मैंने पाप किया है। मैं एक पापी हूं जिसके पास मरने के बाद नरक में जाने के अलावा और कोई चारा नहीं है।" तब यीशु मसीह उसे पूर्ण उद्धार का उपहार देता है जिसे उसने परिपूर्ण किया था। प्रभु को उनके सभी पापों को दूर करने के लिए यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा दिया गया था और उन्हें क्रूस पर चढ़ाया गया था इस तथ्य पर विश्वास करने के द्वारा, वास्तव में पापियों को उनके ह्रदय के सभी पापों से बचाने में सक्षम बनाता है। उन्हें परमेश्वर की संतान बनने की आशीष दी गई थी। पापियों के लिए परमेश्वर के सामने उनके सभी पापों से बचाया जाना परमेश्वर का उपहार है। मैं प्रभु यीशु मसीह को धन्यवाद देता हूं, कि मुझे नाश होने से बचाया गया।
वचन ६ में, प्रेरित पौलुस उस व्यक्ति का वर्णन करता है जिसे परमेश्वर ने "कामों से अलग" आशीष दी है। वह "काम करने के लिए" से संबंधित निम्नलिखित तीन भागों को स्पष्ट करता है। पहला, "वह जो काम करता है," फिर "वह जो काम नहीं करता" और अंत में "बिना काम के।" बाइबल कहती है, “जिसे परमेश्‍वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है : “धन्य हैं वे जिनके अधर्म क्षमा हुए, और जिनके पाप ढाँपे गए। धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्‍वर पापी न ठहराए” (रोमियों ४:६-८)। "प्रभु के द्वारा पापी न ठहराया जाने" का अर्थ यह नहीं है कि यदि कोई व्यक्ति पाप करता है फिर भी परमेश्वर उसे पापरहित मानता है, लेकिन उसका वास्तव में मतलब था कि उस व्यक्ति के पास वास्तव में कोई पाप नहीं है।
परमेश्वर हमें मनुष्यजाति की आशीष के बारे में बताता है। जिन लोगों को उनके सभी पापों के लिए माफ़ कर दिया गया है, वे खुश हैं, है ना? हमसे ज्यादा खुश कोई नहीं है। पापों की माफ़ी प्राप्त करने वाले व्यक्ति से अधिक सुखी कोई नहीं है। इसका अर्थ यह है कि किसी व्यक्ति के पास चाहे छोटे कण जितना भी पाप हो, परमेश्वर उसका न्याय करेगा और वह कभी भी खुश नहीं रह पाएगा। हालाँकि, धर्मी खुश हैं क्योंकि उनके पास पापों की माफ़ी है। परमेश्वर कहते हैं, "धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए" (रोमियों ४:८)।
"जिनके पाप ढँके हुए हैं" का अर्थ है कि प्रभु ने सभी मनुष्यजाति के पापों को मिटा दिया। दाऊद ने भी कहा की, “धन्य हैं वे जिनके अधर्म क्षमा हुए।” धन्य हैं वे जिनके पाप क्षमा हुए, यद्यपि वे इस संसार में प्रतिदिन पाप करते हो। धर्मी, जिन्होंने पापों की माफ़ी प्राप्त की है, वे यीशु मसीह के द्वारा उनके जीवनभर के पापों से बचाए गए हैं। धर्मी वास्तव में सुखी होते हैं।
 

धन्य है वे जिनके पाप ढाँपे गए है

दूसरा, किस प्रकार का व्यक्ति खुश है? "धन्य हैं वे, जिनके पाप ढांपे गए हैं।" हम हमेशा पाप करते हैं, लेकिन किसी के पापों को ढकने का मतलब यह है कि यीशु ने हमारे सभी पापों को अपने बपतिस्मा और क्रूस पर चढ़ाने के द्वारा ले लिया है। तब क्या पिता परमेश्वर हमारा न्याय करेगा? क्या पापियों के सारे पाप ढँक गए हैं? हमारा न्याय नहीं किया जाएगा क्योंकि यीशु ने हमारे सभी पापों को ले लिया, क्रूस पर अपना खून बहाया और हमारे लिए मर गए क्योंकि हम परमेश्वर में हैं। 
धन्य हैं वे जिनके पाप ढके हुए हैं। मृत्यु, जो पाप की मजदूरी है, हम पर नहीं पड़ती क्योंकि यीशु ने हमारे सभी पापों को बपतिस्मा के द्वारा ले लिया। हाल्लेलूयाह! हम खुश हैं। क्या हमारे पास पाप है? नहीं। जो लोग न तो यीशु मसीह को जानते हैं, जो पानी और लहू के द्वारा आए थे, और न ही यह जानते हैं कि जब उन्होंने यरदन नदी में बपतिस्मा लिया था, तब जगत के सभी पाप उस पर पारित हो गए थे, वे हमेशा पापी रहेंगे फिर भले ही वे यीशु पर उत्साह से विश्वास करते हों।
हालाँकि, जो लोग उद्धार के सत्य के बारे में जानते हैं और उसमें विश्वास करते हैं, उनके अन्दर कोई पाप नहीं है। धन्य हैं वे जिनके पाप ढके हुए हैं। धन्य हैं वे, जिन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के द्वारा बपतिस्मा लेने के समय यीशु मसीह पर अपने सभी पापों को पारित कर दिया है। इस दुनिया में वास्तव में कौन खुश है? धन्य हैं वे जिनके पास अपनी कमजोरियों के बावजूद अपने लिए उद्धारकर्ता है। धन्य हैं वे जो यीशु, उद्धारकर्ता पर विश्वास करते हैं, जिन्होंने उनके सभी पापों को दूर कर दिया, जिसमें छोटे पाप भी शामिल थे, और जिन्हें उनके स्थान पर न्याय करने के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया था।
 

धन्य है वे मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए

धन्य है वे जो उद्धार के सत्य पर विश्वास करते है और जिनके अन्दर अच्छा चरवाहा है। तीसरा, दाउद कहता है, "धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए" (रोमियों ४:८)।
हम जो पापों की माफ़ी के अधिकारी हैं, वे धर्मी हैं फिर चाहे भले ही हम कमजोर हैं। हमारा शरीर अभी भी कमजोर है, भले ही हम विश्वास से धर्मी हों। क्या प्रभु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सभी पापों को उठाया नहीं? क्या प्रभु हमें न्याय के योग्य समझता है? नहीं। हालाँकि हम अपर्याप्त और कमजोर हैं फिर भी प्रभु यह स्वीकार नहीं करते हैं कि हमारा न्याय किया जाना चाहिए। प्रभु हमें पापी क्यों नहीं ठहराते? क्योंकि उसने पहले ही पाप की मजदूरी का भुगतान कर दिया था और हमारे लिए उसका न्याय किया गया था। जो व्यक्ति विश्वास से धर्मी बनाता है, प्रभु न तो उस व्यक्ति के पापों को याद करता है और न ही उस व्यक्ति का न्याय किया जाता है।
धन्य है वह व्यक्ति जो विश्वास से धर्मी बनता है। धन्य है वह व्यक्ति जो जल और आत्मा से नया जन्म लेता है (यूहन्ना ३:५)। हम आमतौर पर सांसारिक चीजों की तलाश करते हैं और परमेश्वर की आशीष को खो देते है, इस तथ्य को भूल जाते हैं कि परमेश्वर ने हमें बचाया है और आशीषित किया है। जब हम परमेश्वर के अनुग्रह को खो देंगे तो हम परमेश्वर के विरुद्ध होंगे। हमें अपने मन में परमेश्वर का अनुग्रह धारण करना चाहिए। परमेश्वर का उद्धार विश्वासियों के भीतर मौजूद है। 
परमेश्वर का पवित्र आत्मा उनके भीतर वास करता है जिनके पाप मिटा दिए गए हैं। केवल धर्मी लोगों का न्याय परमेश्वर के द्वारा नहीं किया जाएगा। धन्य हैं वे जो इस संसार में और स्वर्ग के राज्य में परमेश्वर द्वारा न्याय नहीं किए जाते हैं। क्यों? क्योंकि वे परमेश्वर के द्वारा धर्मी माने जाते हैं, उनका प्रेम प्राप्त किया है और उनकी संतान बन गए है।
 

हम विश्वास के द्वारा धन्य है

धन्य है वे जो विश्वास के द्वारा धर्मी बने है। क्या नया जन्म पाया हुआ व्यक्ति परमेश्वर के सामने धन्य है? – हाँ – प्रेरित पौलुस ने कहा है, “सदा आनन्दित रहो, निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो, हर बात में धन्यवाद करो” (१ थिस्सलुनीकियों ५:१६-१८) क्योंकि वह अब्राहम जो विश्वास का पिता था उसके के वंश के रूप में आशीषित है। हम भी अब्राहम के वंशज है। हमारी तरह ही अब्राहम भी परमेश्वर के वचन पर विश्वास के द्वारा बचाया गया था। परमेश्वर ने अब्राहम से कहा, “हे अब्राहम, मत दर; तेरी ढाल और तेरा अत्यन्त बड़ा प्रतिफल मैं हूँ” (उत्पत्ति १५:१)।
अब्राम ने कहा, “हे प्रभु यहोवा, मैं तो निर्वंश हूँ, और मेरे घर का वारिस यह दमिश्कवासी एलीएजेर होगा, अत: तू मुझे क्या देगा?” और अब्राम ने कहा, “मुझे तो तू ने वंश नहीं दिया, और क्या देखता हूँ कि मेरे घर में उत्पन्न हुआ एक जन मेरा वारिस होगा।” तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुँचा, “यह तेरा वारिस न होगा, तेरा जो निज पुत्र होगा, वही तेरा वारिस होगा।” और उसने उसको बाहर ले जा के कहा, “आकाश की ओर दृष्‍टि करके तारागण को गिन, क्या तू उनको गिन सकता है?” फिर उसने उससे कहा, “तेरा वंश ऐसा ही होगा।” “प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ।” इस प्रकार, अब्राहम ने परमेश्वर के वचन पर विश्वास किया।
क्या आप इस संसार में अब्राहम की तरह परमेश्वर के वचन पर विश्वास कर सकते हैं? क्या ऐसा करना इंसानों के लिए नामुमकिन लगता है? अब्राहम की पत्नी एक पुत्र को जन्म देने के लिए बहुत बूढ़ी थी। हालाँकि, अब्राहम ने ऐसे समय में परमेश्वर के वचन में विश्वास किया था जब बभूत ही थोड़ी आशा थी। इसलिए, अब्राहम को परमेश्वर के सामने धर्मी माना गया।
यीशु ने हमारे सभी पापों को मिटा दिया। यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया और उसके लहू से हमारे लिए न्याय किया गया। हम पापों की माफ़ी और परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करके अब्राहम के वंशज बन गए क्योंकि हम बहुत ही अधर्मी थे, जबकि अन्य विश्वास नहीं करते थे। बाइबल कहती है, "क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान, और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है" (१ कुरिन्थियों १:२५)। परमेश्वर उन लोगों को अपनी संतान के रूप में बदल देते है जो लोग यीशु के बपतिस्मा (पानी) और उसके क्रूस (लहू) पर अपने विश्वास के द्वारा परमेश्वर के सुसमाचार पर विश्वास करते है। यह मनुष्यजाति के लिए मूर्खतापूर्ण प्रतीत हो सकता है, लेकिन परमेश्वर का उद्धार और पापों के निवारण की उसकी बुद्धि इस प्रकार है। यह मानवीय दृष्टिकोण से मूर्खतापूर्ण भी लग सकता है, लेकिन परमेश्वर ने अपने मुफ्त उपहार से पापियों को उनके सभी पापों से बचाया।
यीशु ने दुनिया के चारों कोनों से दस हजार लोगों में से एक को बुलाया और उसे आशीषित किया और उसे बचाया और उनके द्वारा प्रशंसा प्राप्त की। क्या हम धन्य थे या नहीं? हाँ, हम थे।─ यह मत भूलो कि यह आपके कामों के कारण नहीं था। हम धन्य हैं क्योंकि हमने उन आशीषों में विश्वास किया है जो परमेश्वर ने हमें दी हैं, और क्योंकि उसने हमें अपने वचनों के माध्यम से विश्वास दिया है। परमेश्वर ने पानी, लहू और आत्मा के द्वारा आकर हमें अपनी सन्तान बनाया (१ यूहन्ना ५:४-८), और क्योंकि उसने हमें अपना प्रेम दिया।
हम धन्य हैं भले ही हम पृथ्वी पर कई कमजोरियों के साथ जीवन जीते हैं। मैं वास्तव में प्रभु को धन्यवाद देता हूँ। उसने हमें वे बहुमूल्य आशीषें दीं, हमें पापी नहीं ठहराया, हमारे सभी अधर्मों को माफ़ किया और हमें ढक दिया, तब भी जब हम, अधर्मी, हमारे पवित्रीकरण के लिए कार्य करने में सक्षम नहीं थे। हमें केवल विश्वास के द्वारा ही उद्धार की आशीष मिली है।