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דרשות

विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-29] महायाजक के वस्त्र में छिपा आत्मिक महत्त्व (निर्गमन २८:१-४३)

महायाजक के वस्त्र में छिपा आत्मिक महत्त्व
(निर्गमन २८:१-४३)
“फिर तू इस्राएलियों में से अपने भाई हारून, और नादाब, अबीहू, एलीआज़ार और ईतामार नामक उसके पुत्रों को अपने समीप ले आना कि वे मेरे लिये याजक का काम करें। और तू अपने भाई हारून के लिये वैभव और शोभा के निमित्त पवित्र वस्त्र बनवाना। और जितनों के हृदय में बुद्धि है, जिनको मैं ने बुद्धि देनेवाली आत्मा से परिपूर्ण किया है, उनको तू हारून के वस्त्र बनाने की आज्ञा दे कि वह मेरे निमित्त याजक का काम करने के लिये पवित्र बने। जो वस्त्र उन्हें बनाने होंगे वे ये हैं, अर्थात् सीनाबन्द, और एपोद, और बागा, चारखाने का अंगरखा, पगड़ी और कमरबन्द; ये ही पवित्र वस्त्र तेरे भाई हारून और उसके पुत्रों के लिये बनाए जाएँ कि वे मेरे लिये याजक का काम करें। और वे सोने और नीले और बैंजनी और लाल रंग का और सूक्ष्म सनी का कपड़ा लें। “वे एपोद को सोने और नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का बनाएँ, जो कि निपुण कढ़ाई के काम करनेवाले के हाथ का काम हो। वह इस तरह से जोड़ा जाए कि उसके दोनों कन्धों के सिरे आपस में मिले रहें। और एपोद पर जो काढ़ा हुआ पटुका होगा उसकी बनावट उसी के समान हो, और वे दोनों बिना जोड़ के हों, और सोने और नीले, बैंजनी और लाल रंगवाले और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े के हों। फिर दो सुलैमानी मणि लेकर उन पर इस्राएल के पुत्रों के नाम खुदवाना, उनके नामों में से छ: एक मणि पर और शेष छ: नाम दूसरे मणि पर, इस्राएल के पुत्रों की उत्पत्ति के अनुसार खुदवाना। मणि खोदने वाले के काम के समान जैसे छापा खोदा जाता है, वैसे ही उन दो मणियों पर इस्राएल के पुत्रों के नाम खुदवाना; और उनको सोने के खानों में जड़वा देना। और दोनों मणियों को एपोद के कन्धों पर लगवाना, वे इस्राएलियों का स्मरण दिलवाने वाले मणि ठहरेंगे; अर्थात् हारून उनके नाम यहोवा के आगे अपने दोनों कन्धों पर स्मरण के लिये लगाए रहे। “फिर सोने के खाने बनवाना, और डोरियों के समान गूँथे हुए दो जंजीर चोखे सोने के बनवाना; और गूँथे हुए जंजीरों को उन खानों में जड़वाना। “फिर न्याय की चपरास को भी कढ़ाई के काम का बनवाना, एपोद के समान सोने, और नीले, बैंजनी और लाल रंग के और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े की उसे बनवाना। वह चौकोर और दोहरी हो, और उसकी लम्बाई और चौड़ाई एक एक बित्ते की हो। और उसमें चार पंक्‍ति मणि जड़ाना। पहली पंक्‍ति में तो माणिक्य, पद्मराग और लालड़ी हों; दूसरी पंक्‍ति में मरकत, नीलमणि और हीरा : तीसरी पंक्‍ति में लशम, सूर्यकांत और नीलम; और चौथी पंक्‍ति में फीरोज़ा, सुलैमानी मणि और यशब हों; ये सब सोने के खानों में जड़े जाएँ। और इस्राएल के पुत्रों के जितने नाम हैं उतने मणि हों, अर्थात् उसके नामों की गिनती के अनुसार बारह नाम खुदें, बारहों गोत्रों में से एक एक का नाम एक एक मणि पर ऐसे खुदे जैसे छापा खोदा जाता है।फिर चपरास पर डोरियों के समान गूँथे हुए चोखे सोने की जंजीर लगवाना; और चपरास में सोने की दो कड़ियाँ लगवाना, और दोनों कड़ियों को चपरास के दोनों सिरों पर लगवाना। और सोने के दोनों गूँथे जंजीरों को उन दोनों कड़ियों में जो चपरास के सिरों पर होंगी लगवाना; और गूँथे हुए दोनों जंजीरों के दोनों बाकी सिरों को दोनों खानों में जड़वा कर एपोद के दोनों कन्धों के बंधनों पर उसके सामने लगवाना। फिर सोने की दो और कड़ियाँ बनवाकर चपरास के दोनों सिरों पर, उसकी उस कोर पर जो एपोद के भीतर की ओर होगी लगवाना। फिर उनके सिवाय सोने की दो और कड़ियाँ बनवाकर एपोद के दोनों कन्धों के बंधनों पर, नीचे से उसके सामने और उसके जोड़ के पास एपोद के काढ़े हुए पट्टे के ऊपर लगवाना।और चपरास अपनी कड़ियों के द्वारा एपोद की कड़ियों में नीले फीते से बाँधी जाए, इस रीति वह एपोद के काढ़े हुए पट्टे पर बनी रहे, और चपरास एपोद पर से अलग न होने पाए। जब जब हारून पवित्रस्थान में प्रवेश करे, तब तब वह न्याय की चपरास पर अपने हृदय के ऊपर इस्राएलियों के नामों को लगाए रहे, जिससे यहोवा के सामने उनका स्मरण नित्य रहे। और तू न्याय की चपरास में ऊरीम और तुम्मीम को रखना, और जब जब हारून यहोवा के सामने आए, तब तब वे उसके हृदय के ऊपर हों, इस प्रकार हारून इस्राएलियों के लिए यहोवा के न्याय को अपने हृदय के ऊपर नित्य लगाए रहे।“फिर एपोद के बागे को सम्पूर्ण नीले रंग का बनवाना। उसकी बनावट ऐसी हो कि उसके बीच में सिर डालने के लिये छेद हो, और उस छेद के चारों ओर बख़्तर के छेद की सी एक बुनी हुई कोर हो कि वह फटने न पाए। उसके नीचेवाले घेरे में चारों ओर नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े के अनार बनवाना, और उसके बीच बीच चारों ओर सोने की घंटियाँ लगवाना, अर्थात् एक सोने की घंटी और एक अनार, फिर एक सोने की घंटी और एक अनार, इसी रीति से बागे के नीचेवाले घेरे में चारों ओर ऐसा ही हो। और हारून उस बागे को सेवा टहल करने के समय पहिना करे, कि जब जब वह पवित्रस्थान के भीतर यहोवा के सामने जाए या बाहर निकले, तब तब उसका शब्द सुनाई दे, नहीं तो वह मर जाएगा।“फिर चोखे सोने की एक पट्टी बनवाना, और जैसे छापे में वैसे ही उसमें ये अक्षर खोदे जाएँ, अर्थात् ‘यहोवा के लिये पवित्र।’ और उसे नीले फीते से बाँधना; और वह पगड़ी के सामने के हिस्से पर रहे। वह हारून के माथे पर रहे, इसलिये कि इस्राएली जो कुछ पवित्र ठहराएँ, अर्थात् जितनी पवित्र वस्तुएँ भेंट में चढ़ावें उन पवित्र वस्तुओं का दोष हारून उठाए रहे, और वह नित्य उसके माथे पर रहे, जिससे यहोवा उनसे प्रसन्न रहे।“अंगरखे को सूक्ष्म सनी के कपड़े का चारखाने वाला बनवाना, और एक पगड़ी भी सूक्ष्म सनी के कपड़े की बनवाना, और बेलबूटे की कढ़ाई का काम किया हुआ एक कमरबन्द भी बनवाना। “फिर हारून के पुत्रों के लिये भी अंगरखे और कमरबन्द और टोपियाँ बनवाना; ये वस्त्र भी वैभव और शोभा के लिये बनें। अपने भाई हारून और उसके पुत्रों को ये ही सब वस्त्र पहिनाकर उनका अभिषेक और संस्कार करना, और उन्हें पवित्र करना कि वे मेरे लिये याजक का काम करें। और उनके लिये सनी के कपड़े की जाँघिया बनवाना जिनसे उनका तन ढपा रहे, वे कमर से जाँघ तक की हों; और जब जब हारून या उसके पुत्र मिलापवाले तम्बू में प्रवेश करें, या पवित्रस्थान में सेवा टहल करने को वेदी के पास जाएँ, तब तब वे उन जाँघियों को पहिने रहें, न हो कि वे पापी ठहरें और मर जाएँ। यह हारून के लिये और उसके बाद उसके वंश के लिये भी सदा की विधि ठहरे।”
 


महायाजक के वस्त्र


आज हम महायाजक के वस्त्र में छिपे आत्मिक अर्थ को देखेंगे। यह वस्त्र हारून और उसके बेटों को पहनने के लिए थे। महायाजक के वस्त्र के द्वारा हम विश्वास से परमेश्वर की योजना को समझ सकते है जिसने हमें पापों से बचाया है।
परमेश्वर ने मूसा को आदेश दिया की वह अपने भाई हारून और हारून के बेटों को अभिषेक करे की वे परमेश्वर के याजक के रूप में सेवकाई कर सके। और परमेश्वर ने मूसा को यह आदेश भी दिया की वह परमेश्वर के द्वारा दिखाए गए निर्देश के अनुसार उनके वस्त्र बनाए। 
वचन ४ में, परमेश्वर ने कहा, “जो वस्त्र उन्हें बनाने होंगे वे ये हैं, अर्थात् सीनाबन्द, और एपोद, और बागा, चारखाने का अंगरखा, पगड़ी और कमरबन्द; ये ही पवित्र वस्त्र तेरे भाई हारून और उसके पुत्रों के लिये बनाए जाएँ कि वे मेरे लिये याजक का काम करें।”
सबसे पहले, महायाजक को अपना नंगापन ढकने के लिए अंगरखा और पाजामा पहनना पड़ता था। यह वस्त्र बटी हुई सनी के कपड़े से बनाए गए थे ताकि अच्छे से हवा का प्रसार हो सके और इसलिए उन्हें पसीना कम आए। इसका आत्मिक मतलब है की महायाजक को अपनी खुद की इच्छा को अलग करना चाहिए, और परमेश्वर के द्वारा दिए गए विश्वास और अनुग्रह से उसकी सेवा करनी चाहिए। दुसरे शब्दों में, परमेश्वर की इच्छा केवल तभी परिपूर्ण हो सकती है जब महायाजक खुद के विचारों को दूर करे और परमेश्वर के द्वारा स्थापित बलिदान की पध्धति के अनुसार विश्वास से बलिदान अर्पण करे। इसी उद्देश्य के साथ परमेश्वर ने महायाजक का अंगरखा और पाजामा इस प्रकार बनवाया था और उन्हें पहनाया था।
इस वस्त्र के सबसे ऊपर परमेश्वर ने महायाजक को नीला बाग़ा भी पहनाया था। और नीले बाग़े के ऊपर उसने एपोद पहना था, और फिर सीनाबन्द पहना था। महायाजक का सीनाबन्द मोटे कपड़े और सोने, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना हुआ था और वह लम्बाई और चौड़ाई में फैला हुआ था। उसके सीनाबन्द पर बारह मणि लगाए गए थे और उब बारह मणि के ऊपर इस्राएल बारह गोत्र के नाम खोदे गए थे।
फिर वह बटी हुई सनी के कपड़े से बनी पगड़ी पहनता था। और फिर पगड़ी के आगे सोने की एक तख्ती नीले फीते से बांधी गई थी जिस पर लिखा होता था, “यहोवा के लिए पवित्र”। यह महायाजक के वस्त्र, पगड़ी, और सोने की तख्ती के बारे में छोटा परिचय था। 
महायाजक के ज्यादातर वस्त्र सोने, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बनाए जाते थे। और महायाजक का सीनाबन्द भी। इस सीनाबन्द पर, बारह कीमती मणि लगाए गए थे, और इन मणियों में इस्राएल के बारह गोत्र के नाम खोदे गए थे।
महायाजक का कार्य निम्नलिखित था: उन्हें इस्राएल की संतानों से बलिदान को लेना था, और उनके प्रतिनिधि के रूप में बलिदान के सिर पर अपने हाथ रखकर उनके सारे पाप बलिदान के ऊपर पारित करना था, उसे मारना, और बलिदान के अर्पण लहू को परमेश्वर को देना था। दुसरे शब्दों में, महायाजक्क परमेश्वर के नियम के मुताबिक़ बलिदान अर्पण करने के द्वारा अपने लोगों के पापों का पश्चाताप करता था। इस्राएल के लोगों के बदले, महायाजक परमेश्वर के सामने बलिदान के अर्पण के सिर पर अपने हाथ रखता था, उसका गला काटता था और लहू बहाता था, और होमबलि की वेदी के सींगो पर उसका लहू छिड़कता था। फिर वह उसके लहू को परमपवित्र स्थान में लेकर जाता था और प्रायश्चित के ढकने के सामने और ऊपर छिड़कता था। उसके बाद बलिदान के अर्पण के मरे हुए शरीर को बहार लेजा कर उसे जला दिया जाता था (लैव्यव्यवस्था १६:३-२८)। इस प्रकार महायाजक अर्पण चढ़ाया करता था। इस रीति से, परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले अर्पण को चढ़ाने के द्वारा, महायाजक परमेश्वर के क्रोध को शांत करने के लिए अपनी भूमिका अदा करता था। दुसरे शब्दों में, महायाजक परमेश्वर और उनके लोगों के बिच में मध्यस्थ की भूमिका निभाता था। 
इस प्रकार, यीशु मसीहा स्वर्ग के राज्य का मसीहा बनेगा, परमेश्वर और मनुष्य के बिच में मध्यस्थ। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से अपना बपतिस्मा लेने के द्वारा जिससे उसने समग्र मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठाया था, और क्रूस पर अपना शरीर देकर बलिदान होने के द्वारा, मसीहा ने समग्र मनुष्यजाति को पाप और मृत्यु से बचाया। पुराने नियम समय के युग में, मह्जायाजक बलिदान अर्पण करता था जो लोगों के पाप का प्रायश्चित बनता था, लेकिन नए नियम कजे युग में, यीशु नाम का मसीहा आया और समग्र मनुष्यजाति के पापों को दूर करने की महायाजक अनन्त सेवकाई को सम्पूर्ण किया(इब्रानियों, अध्याय ७-९)।
और नए नियम के इस युग में, परमेश्वर ने महायाजक की सेवकाई उन धर्मी लोगों को प्रगट की है जिन्होंने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के सत्य से अपने पापो को धोयाँ है। इसी लिए महायाजक की पगड़ी पर लगी सोने की तख्ती पर यह लिखा हुआ था, “यहोवा के लिए पवित्र”। इस प्रकार, महायाजक के वस्त्र भी साफ़ तौर पर उस सुसमाचार को दर्शाता है जो मनुष्यजाति के सारे पापों को साफ़ करता है।
महायाजक का अंगरखा नीले कपड़े से बुना गया था। ख़ास कर, यह नीला अंगरखा यीशु ने लिए हुए बपतिस्मा से जुड़ा हुआ है। जिस प्रकार महायाजक नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और सोने के कपड़े से बिने हुए वस्त्र पहनता था, उसी तरह उसका वस्त देखने में शानदार था और चारो रंग साफ तौर पर देखे जा सकते थे। नीले अंगरखे के निचे वाले घेरे में, अनार बनाए गए थे, और उसकी चारो ओर सोने की घंटिया लगाईं गई थी। मुख्य भाग में वचन ३३ कहता है, “उसके नीचेवाले घेरे में चारों ओर नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े के अनार बनवाना, और उसके बीच बीच चारों ओर सोने की घंटियाँ लगवाना”। इसलिए जब महायाजक तम्बू में प्रवेश करता था और लोगों के लिए अर्पण चढ़ाता था, तब बहार खड़े हुए इस्राएल के लोग घंटियों की आवाज सुनकर यह जान पाते थे की वह अर्पण चढ़ा रहा है। 
यह सब नए नियम के पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य के साथ जुड़ा हुआ है, और वे दोनों एक दुसरे से मेल खाते है। महायाजक लोगों के पापों को साफ़ करता था और यह हमें परमेश्वर की इच्छा को समझाने के लिए था की उसने उसको इस प्रकार के वस्त्र दिए थे और उससे सारे कार्य परिपूर्ण करवाए। नए नियम के युग में, परमेश्वर के लोग जो आजके याजक है वे दूसरों के पाप धोने के लिए क्या करते है? उनके लिए यह कार्य करने के लिए, उन्हें सबसे पहले नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा अपने पापों से माफ़ी पानी चाहिए। इस प्रकार, महायाजक का वस्त्र साफ़ तौर पर हमें उस सुसमाचार को दिखाता है जो हमारे सारे पापों को साफ़ करता है।
और दूसरा इस वर्त्तमान युग में, हम धर्मी लोगों को लोगों के विवेक के पापों को धोने का याजकीय कार्य करना चाहिए और उन्हें पवित्र करना चाहिए। इसी लिए महायाजक की पगड़ी के लिए सोने की तख्ती बनाई गई और उस पर लिखा गया “यहोवा के ली पवित्र”। 
“यहोवा के लिए पवित्र” लिखी हुई सोने की तख्ती नीले फीते के द्वारा पगड़ी से बाँधी गई थी जिसे महायाजक अपने सिर पर पहनता था। लोग देखते ही महायाजक को पहचान लेते थे; उसके सिर की ओर देखते ही वे सोने की तख्ती और नीले फीते को नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और सोने के कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बने सुन्दर वस्त्रो को देख सकते थे। यह हमें दिखाता है की महायाजक हमेशा नीले, बैंजनी और लाल कपड़े के द्वारा पाप साफ़ करने का कार्य करता थे। 
 

हमें परमेश्वर के सेवक के धर्मी न्याय का पालन करना चाहिए

महायाजक जब पवित्र स्थान में प्रवेश करता था तब उसे अपने सिने पर न्याय की चपरास पहननी पड़ती थी जिस पर इस्राएल के बारह गोत्र के नाम लिखे गए थे। उसी प्रकार हमें भी अपने हृदय में संसार की उन पापी आत्माओं को रखना चाहिए जो परमेश्वर को खोज रही है, और उनके लिए प्रार्थना भी करनी चाहिए। परमेश्वर ने मूसा से यह भी कहा था की वो महायाजक के द्वारा पहने जाने वाली चपरास पर दो कीमती मणि रखे, जिसका नाम था ऊरीम और तुम्मीम। आजके मुख्य भाग के वचन ३० में लिखा है, “और तू न्याय की चपरास में ऊरीम और तुम्मीम को रखना, और जब जब हारून यहोवा के सामने आए, तब तब वे उसके हृदय के ऊपर हों, इस प्रकार हारून इस्राएलियों के लिए यहोवा के न्याय को अपने हृदय के ऊपर नित्य लगाए रहे”। 
इन ऊरीम और तुम्मीम मणि का वास्तविक मतलब होता है “प्रकाश और सम्पूर्णता”। दुसरे शब्दों में, परमेश्वर ने महायाजक को इस्राएल के लोगों का सही रीति से न्याय करने के लिए उचित हृदय दिया है। परमेश्वर ने महायाजक को अधिकार और बुध्धि दी थी ताकि वह परमेश्वर के लोगों के जीवन में क्या सही है और क्या गलत है उसका न्याय कर सके। और महायाजक का कार्य यह था की वह इस बात का न्याय करे की इस्राएल के लोगों के आत्मिक जीवन में क्या सही है और क्या गलत है। 
इस युग में भी, क्या सही है और क्या गलत है और साथ ही साथ किसी व्यक्ति ने पापों की माफ़ी पाई है या नहीं यह जानने के लिए प्रत्येक सेवको को यह योग्यता दी है। परमेश्वर के द्वारा दी गई योग्यता से, उसके सेवक कौन सा सच्चा सुसमाचार है, कौन सी माफ़ी पापों की सच्ची माफ़ी है, परमेश्वर की संतान को कैसे धर्मी जीवन जीना चाहिए, और क्या किसी ने नया जन्म प्राप्त किया है की नहीं उसके बारे में उचित न्याय कर पाते है। इसलिए, प्रत्येक परमेश्वर के लोगों को उसके न्याय और अगुवाई का पालन करना चाहिए। उन्हें यह समझना चाहिए की परमेश्वर के सेवक के न्याय का अस्वीकार करना परमेश्वर की इच्छा का अस्वीकार करना है। इसलिए इस्राएल के लोगों को परमेश्वर के सेवक के न्याय को स्वीकार करना पड़ा, आजके महायाजक की तरह।
उसी प्रकार, आज के वर्त्तमान युग में, परमेश्वर ने “सही और गलत” का न्याय करने का कार्य अपने सेवको को सोंपा है। उसी रूप से, हमें कलीसिया में अगवे क्या करते है उसका सन्मान करना चाहिए और उसके कार्य में उसके साथ जुड़ना चाहिए। हमें यह जानना चाहिए की हमारे लिए यही सही है की हम अपने पूरे हृदय से विश्वास के साथ उनके सही न्याय और अगुवाई का पालन करे। हमें यह नहीं सोचना चाहिए की, “वह यह इसलिए कर रहा है क्योंकि वह महायाजक के रूप में नियुक्त किया गया है, लेकिन अन्त में तो वह हमारे जैसा ही है”। कुछ लोग ऐसा सोचते है, “मुझे मेरे पासवान का चरित्र पसंद नहीं है! उनका व्यक्तित्व कितना दबंग है; उनके फैसले भी कितने अन्यायी है। इसलिए भले ही मैं उसके द्वारा प्रचार किए जाने वाले सुसमाचार पर विश्वास करता हूँ, लेकिन वो अपनी सोच से जो फैसले लेते है उसके साथ मैं सहमत नहीं हूँ। मेरे पास भी उसके विपरीत एक उद्देश्य है”। लोग अपने दृष्टिकोण से महायाजक की ओर देखकर एक गलत निष्कर्ष पर पहुँच जाते है। लेकिन ऐसे न्याय से बचना चाहिए। 
हमें परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते समय परमेश्वर के उस सेवक की आज्ञा भी माननी चाहिए जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े पर उद्धार के रूप में विश्वास करता है। क्यों? क्योंकि वे अपने विचारों से न्याय नहीं करते, लेकिन वे उनके विश्वास के द्वारा करते है जो परमेश्वर को प्रसन्न करता है। अलग तरीके से देखे तो, क्योंकि आजके याजक परमेश्वर के प्रकाश और सत्यता से न्याय करते है, इसलिए यह परमेश्वर का न्याय और उनका फैसला है। यदि वे थोड़ा सा भी अपने विचारों से न्याय नहीं करते है लेकिन वह परमेश्वर के वचन के आधार पर और पानी और आत्मा के सुसमाचार पर उनके विश्वास के द्वारा है, तो फिर उनके द्वारा किया गया न्याय सही है। यदि ऐसा फैसला परमेश्वर के वचन और उसकी इच्छा से अलग नहीं है तो हमें समझना चाहिए की ऐसे फैसले परमेश्वर के फैसले है। 
इस तरह, महायाजक की सेवकाई लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। पुराने नियम के युग की तरह आजके वर्त्तमान युग में भी, जो व्यक्ति परमेश्वर के लोगों की अगवाई करता है वह और कोई नहीं लेकिन महायाजक है। इस्राएल में, महायाजक के अलावा दूसरा कोई ओर राजा नहीं था जो देश की अगुवाई करता था। क्योंकि इस्राएल की राजनीति वास्तव में धर्मशासित थी, इसलिए समग्र प्रजाति महायाजक के द्वारा लिए गए फैसले का पालन करती थी। अब आत्मिक बातों में, परमेश्वर के लोगों को परमेश्वर के द्वारा कलीसिया में परमेश्वर के वचन के रूप में नियुक्त किए गए सेवक की अगुवाई पर विश्वास करना चाहिए और उसका अनुसरण करना चाहिए। और महायाजक को परमेश्वर की इच्छा के अनुसार सारे फैसले करने चाहिए, जो उसके वचन के आधारित हो।
महायाजक के वस्त हमें बहुत सारी बाते सिखाता है। हमें सबसे पहले नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और सुनहरे कपड़े के आत्मिक मतलब को जानना चाहिए जिसका इस्तेमाल वस्त्र बनाने के लिए हुआ था। हमने पहले ही नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के मतलब को सिखा है। महायाजक के वस्त्र के द्वारा भी परमेश्वर ने हमसे यह कहा है की नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में छिपा सत्य और उस पर विश्वास करना कितना जरुरी और महत्त्वपूर्ण है। यह कपड़े महत्वपूर्ण सामग्री है जो लोगों के पापों के प्रायश्चित को दिखाते है। प्रभु इस पृथ्वी पर आए, बपतिस्मा लिया, और अपना लहू बहाया यह दर्शाता है की केवल पानी और आत्मा का सुसमाचार की पूरी दुनिया में सारे लोगों के पाप माफ़ कर सकता है। जिस प्रकार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े ने हमें सिखाया की पानी और आत्मा का सुसमाचार हमें हमारा सम्पूर्ण प्रायश्चित देता है, उसी प्रकार हमें इसके सही ज्ञान के मतलब को जानना चाहिए। यदि हम वास्तव में इसे सही तरह से जानते और विश्वास करते है, तो हम हमेशा के लिए हमारे पापों से साफ़ होंगे और अनन्त जीवन को पाएंगे। इसलिए हमारे पास ऐसा विश्वास होना चाहिए जो पानी, लहू, और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा परिपूर्ण स्पष्ट सत्य पर विश्वास करता हो। 
 


हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में अपने विश्वास का बचाव करना चाहिए


यदि हमारे पास नीले, बैंजनी, और कपड़े का सही ज्ञान और विश्वास नहीं है तो हम सच्चे सुसमाचार का बचाव नहीं कर पाएंगे, और सबसे बुरा यह है की यह सुसमाचार भी भ्रष्ट हो जाएगा। इस संसार के धर्मों ने बीतते समय खुद को बदला है। लेकिन महायाजक के वस्त्र के रंगों के द्वारा, परमेश्वर ने हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े का न बदलने वाला सत्य दिखाया है। महायाजक के वस्त्र के द्वारा, तम्बू में पाए जाने वाले सारे पात्रों के द्वारा, और तम्बू के अन्दर चढ़ाए जाने वाले अर्पण की पध्धति के द्वारा भी, परमेश्वर हमारे लिए अपने प्रेम और योजना को प्रगट करते है। उसी रूप से, हमें भी नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के रूप में हमारे पास आए सुसमाचार का बचाव करना चाहिए। भले ही समय बदले लेकिन हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर हमारे विश्वास को नहीं बदलना चाहिए। यह वो विश्वास है जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए अनन्त उध्दार पर विश्वास करता है।
हम किस प्रकार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े पर हमारे विश्वास को बदल नहीं सकते? यदि परमेश्वर हमें कहता है की उसने हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के सुसमाचार से बचाया है तो फिर यह सत्य है। पुराने नियम में, परमेश्वर ने हाथ रखने के द्वारा और लहू बहाने के द्वारा पापियों के अपराधों को मिटाया था, और आज, वर्त्तमान युग में भी, उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से लिए यीशु के बपतिस्मा (मत्ती ३:१५) और क्रूस पर उसकी मृत्यु दोनों के द्वारा हमारे लिए पापों की सम्पूर्ण माफ़ी को परिपूर्ण किया। पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा, परमेश्वर ने संसार के सारे पापियों के अपराधों को मिटाया है।
यह कितना आश्वस्त करनेवाला है! बाइबल में सोना ‘विश्वास’ को दर्शाता है। इसलिए, महायाजक के वस्त बनाने के लिए सोने के कपड़े को नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के साथ इस्तेमाल किया गया था वह पानी और आत्मा के सुसमाचार पर हमारे विश्वास की आवश्यकता को दर्शाता है। क्योंकि परमेश्वर ने ऐसी पध्धति का निर्माण किया था जो हमारे सारे पापों को मिटाता था और बदलता नहीं था, चाहे हम कितनी भी कठिनाइयों का सामना करे लेकिन फिर भी हम शान्ति को पाते थे। यह भी नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य की वजह से है जो परमेश्वर ने हमें दिखाया है।
 


महायाजक का कमरबन्द


महायाजक के वस्त्रों में कमरबन्द भी शामिल है। यह कमरबन्द महायाजक अपने एपोद के ऊपर पहनता था, वह भी सोने, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बना हुआ था। एपोद का कमरबन्द शक्ति को दर्शाता था। जिस प्रकार बाइबल कहती है, “इसलिये सत्य से अपनी कमर कसकर, और धार्मिकता की झिलम पहिन कर” (इफिसियों ६:१४) महायाजक का कमरबन्द सामर्थ्य को दर्शाता है जो सुसमाचार के सत्य से मिलती है। दुसरे शब्दों में यह हमें बताती है की, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े पर का विश्वास हमें हमारे सारे पापों से बचाता है। इसलिए, यहाँ नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए सुसमाचार को छोड़ दुसरे सारे झूठे सुसमाचार पर विश्वास करना बेकार है। 
जो लोग अपनी देह में कमज़ोर है वे भी प्रभु के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा अपने सारे पापों से बच सकते है, क्योंकि परमेश्वर के द्वारा परिपूर्ण पापों के प्रायश्चित के द्वारा जगत के सारे पाप यीशु के ऊपर चले गए थे (मत्ती ३:१५; लैव्यव्यवस्था १६:१-२२)। इसलिए, जो लोग विश्वास करते है की नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए यीशु के कार्यों ने उन्हें बचाया है वे लोग अपनी कमज़ोर देह और आत्मविश्वास के बावजूद भी उध्दार के लिए सुनिश्चित है। जब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार में बसते है जो हमें स्वर्ग के महायाजक यीशु मसीह ने दिया है, तो फिर कौन हमें मसीह के प्रेम से अलग कर सकता है? उसका सम्पूर्ण उद्धार हमारा तभी होगा जब हम नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करेंगे।
याजको को अपनी याजकीय सेवा करने के लिए, उन्हें तम्बू में दिखाई गई बलिदान की पध्धति को छोड़ कोई भी मनुष्य निर्मित सिध्धांत का अनुसरण नहीं करना है। उसी रूप से, आज के परमेश्वर के सेवको को भीं सच्चे सुसमाचार को छोड़ कोई ओर सुसमाचार को प्रचार नहीं करना है (गलातियों १:६, ९)। जो लोग ऐसे झूठे सुसमाचार का प्रचार करते है, फिर चाहे वो कितनी भी अच्छी तरीके से प्रचार क्यों न करे लेकिन वे कभी भी खोई हुई आत्मा की मदद नहीं कर सकते क्योंकि वे तम्बू में प्रगट हुई परमेश्वर की पानी और आत्मा के सच्चे सुसमाचार की गवाही नहीं देते। वे दुष्ट और झूठे शिक्षक है। जब स्वर्ग के महायाजक यीशु मसीह पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करने की बात आती है, तब हम तम्बू में प्रगट हुई बलिदान की हाथ रखने और लहू बहाने की पध्धति को स्वीकार किए बिना नहीं रह सकते। हमें यह विश्वास करना चाहिए की इस संसार में कई सारे झूठे सुसमाचार है। और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की कौन सुसमाचार का प्रचार करता है, यदि कोई परमेश्वर के वचन के आधारित पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य का प्रचार करता है तो फिर हमें उसे सुनना और विश्वास करना है।
आज की मसीहियत में इतनी सारी समस्या क्यों है उसका एक कारण यह है की बहुत सारे आत्मिक दुष्ट पानी और आत्मा के सुसमाचार को न जानने के बावजूद भी याजकीय सेवकाई को परिपूर्ण करने का दावा करते है। परमेश्वर के सामने सच्चे याजक बनने का पहला कदम है पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना। जिन लोगों के पास यह विश्वास है केवल वे ही परमेश्वर को सही अर्पण दे सकते है। इसी रूप से, जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानते है और विश्वास करते है वे किसी भी व्यक्ति को प्रेम करने के काबिल है। आप को क्या लगता है की क्यों परमेश्वर की कलीसिया अस्तित्व में है? मैं आपसे कह सकता हूँ की परमेश्वर की कलीसिया पापियों को पानी और आत्मा का सुसमाचार प्रचार करने के लिए अस्तित्व में है।
जब हम बाइबल में प्रगट हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े पर पूरे हृदय से विश्वास करते है, तब हम हमारे सारे पापों से बच जाते है और पापरहित बनते है। पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने से, हमारे हृदय में सच्ची शांति मिलती है, और क्योंकि हम इस शांति में जीवन जीते है, हम कभी भी परमेश्वर से अलग नहीं होते। हम सम्पूर्ण सुसमाचार पर विश्वास करते है, विश्वास से जीवन जीते है, और फिर हम प्रभु के राज्य में प्रवेश करते है और वहाँ जीवन जीते है। हमारे प्रभु ने शांति की ओर हमारी अगुवाई की है, और संसार के सारे लोगों को परमेश्वर के पास लाने के द्वारा, जिस प्रकार महायाजक की पगड़ी में आगे की ओर सोने की तख्ती पर लिखा हुआ है, “यहोवा के लिए पवित्र,” वह उन्हें पापों की माफ़ी के प्रकाश में प्रकाशित करता है। इसलिए परमेश्वर ने हमें यह कार्य सोंपा है की हम भी उन्हें पापों की माफ़ी प्राप्त करने के योग्य बनाए। परमेश्वर ने हम नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के सुसमाचार पर विश्वास करनेवाले लोगों को भी पुराने नियम के महायाजक के जैसा कार्य सोंपा है।
हमें अपने सत्य के प्रकाश में इतना महत्वपूर्ण कार्य देने के लिए हम परमेश्वर के बहुत ही आभारी है। जब मैंने पहले परमेश्वर की ओर से सुसमाचार के यह शब्द सुने तब मैं आनन्द से भर गया। और जब मैं बाइबल पढ़ रहा था, तब यह सुसमाचार बहुत ही स्पष्ट तरीके से उभर कर सामने आया। उसके बाद मेरी आत्मिक आँखे खुल गई, और मेरे अन्दर के पवित्र आत्मा ने मुझे विस्तृत रूप से परमेश्वर के वचन सिखाए। मुझे यह पता चला की बाइबल के सारे भाग इस बात की गवाही देते है की पानी और आत्मा का सुसमाचार की केवल सच्चा सुसमाचार है जो परमेश्वर ने हमें दिया है। पुराने नियम के युग में, यह सुसमाचार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के रूप में प्रगट हुआ था। उसी रूप से नए नियम के युग में, सारे प्रेरित और बाइबल को लिखने वाले हमें बताते है की यीशु ने हमें पापों से सम्पूर्ण रीति से बचाने के लिए बपतिस्मा लिया और अपना लहू बहाया। हमारे लिए उद्धार का अंगरखा पहनने के लिए, हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए; हम पश्चाताप की प्रार्थना करने के द्वारा प्रभु से पापों की माफ़ी प्राप्त नहीं कर सकते। पानी और आत्मा का सुसमाचार की एकमात्र सच्चा और सम्पूर्ण सुसमाचार है।
महायाजक को वह वस्त पहनने पड़ते थे जो परमेश्वर के द्वारा बनवाए गए थे। यदि महायाजक यह सोचे की ठंडी हवा में अंगरखा पहनने की कोई जरुरत नहीं है और वो कोई दूसरा मोटा अंगरखा पहने तो वह तुरंत ही मार दिया जाता था। यदि महायाजक केवल बटी हुई सनी के कपड़े से बने अंगरखे को पहन कर परमपवित्र स्थान में प्रवेश करे, तो भी उसे तुरंत ही मार दिया जाता। उसे नीला अंगरखा और सोने, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से बुने एपोद को पहनना पड़ता था। 
जब हम ठीक परमेश्वर की योजना के मुताबिक़ चलते है, तो परमेश्वर हमारे आगे चलता है, हमारी अगवाई करता है, और हमारे जीवन में सारी चीजो में कार्य करता है। परमेश्वर ने हमारे लिए मसीहा को भेजने की योजना बनाई और उसने यह योजना हमारे सामने प्रगट भी की। यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास क्जराते है और परमेश्वर की योजना का पालन करते है, तो वह हमारे जीवन में कार्य करता है। इसीलिए हम हमारी तरफ से किसी कार्य के द्वारा पाप की माफ़ी प्राप्त नहीं कर सकते, लेकिन यह केवल महायाजक के वस्त्र के लिए इस्तेमाल हुए सुनहरे, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए परमेश्वर की उद्धार की योजना पर विश्वास करने के द्वारा ही हम हमारे पापों की माफ़ी प्राप्त कर सकते है।
हम याजको को परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार की हुई योजना पर विश्वास करना करना है और उसके मुताबिक़ चलना है। यह असली विश्वास है। हमारे खुद की योजना के द्वारा परमेश्वर की सेवकाई करना असली विश्वास नहीं है। जब विदेश में पानी और आत्मा के सुसमाचार को प्रचार करने की बात आई, तब यह भी हमारे मनुष्य निर्मित विचारों या उपकरणों से नहीं किया गया, लेकिन यह परमेश्वर की मदद के द्वारा किया गया जी उसके लोगों को विश्वास के द्वारा मिलती है। यह है परमेश्वर की इच्छा। जब हम विश्वास से कुछ करते है, तब बाकी का कार्य परमेश्वर करता है। जब हम परमेश्वर की इच्छा को जानते है और पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करते है, तब परमेश्वर पढ़नेवालो के हृदय को स्पर्श करता है, उन्हें जागृत करता है, उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के योग्य बनाता है, और उनके गलत विचारों को सही करता है ताकि वे विश्वास कर पाए। और बदले में वे भी पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार करते है।
 

पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार करने के लिएह्सबसे पहले हमें इस पर पूरे हृदय से विश्वास करना चाहिए

मैंने कहा की कुछ भी कैसे भी करने से सच्चे सुसमाचार का प्रसार नहीं किया जा सकता, लेकिन यह केवल तभी होता है जब हम परमेश्वर की इच्छा के साथ विश्वास से यह करे। हमारे प्रयास और समर्पण के द्वारा आत्माए रूपांतर नहीं होती, लेकिन जब हम परमेश्वर के कार्य और पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर की इच्छा को धुनधते है तब यह परिपूर्ण होता है। विश्वास के द्वारा हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार की सेवकाई करनी चाहिए। इस वर्त्तमान युग में भी, हमें पुराने युग के विश्वास की जरुरत है। अब इस युग में पहले की तरह, परमेश्वर की संतान को नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के विश्वास का प्रसार करना चाहिए।
हमें इस पर विश्वास करना चाहिए और साथ ही साथ लाल और बैंजनी कपड़े का प्रसार भी करना चाहिए, लेकिन हमें सबसे पहले यह जानना चाहिए की नीले कपड़े में क्या प्रगट हुआ है – अर्थात, बपतिस्मा जो यीशु मसीहा ने प्राप्त किया है। जब हम खोए हुए लोगों को नीले कपड़े का प्रचार करते है, तब हम देखते है की वे बहुत आसानी से पूरी बात को समझ सकते है और विश्वास कर सकते है। क्यों? यह इसलिए क्योंकि यीशु मसीह ने बपतिस्मा के द्वारा समग्र मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठा लिया। जब लोग यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करने के द्वारा यह जानते है की यीशु ने उनके सारे पापों को धो दिया है, तब वे इस बात का स्वीकार करते है की वह उनके पापों की कीमत चुकाने के लिए क्रूस पर मरा। दुसरे शब्दों में, लोग लाल और बैंजनी कपड़े पर तभी विश्वास करेंगे जब वे बपतिस्मा के रहस्य को जानेंगे और विश्वास करेंगे जो मसीहा यानी की नीले कपड़े के मुख्य आधार ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से लिया था। वे वास्तव में जानेंगे, “अरे, उसने बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे सारे पापों को उठाया। यीशु मसीह सच्चा परमेश्वर और मनुष्यजाति का उद्धारकर्ता है। यही वास्तविक सच्चाई है!”
बहुत सारे लोग बाद में बैंजनी कपड़े के विश्वास को समझते है की यीशु ही परमेश्वर है। जिस पल से हम यीशु पर उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करना शुरू करते है, तब हम घोषित करते है की, “केवल यीशु ही परमेश्वर है,” लेकिन यह केवल कल्पित घोषणा है। यह बाद में होता है जब हम हमारे हृदय में मजबूत विश्वास करते है। जब हम यीशु के बपतिस्मा और लहू पर विश्वास करने के द्वारा पापों की माफ़ी प्राप्त करते है, तब हम ऐसा विश्वास करते है की यीशु ही खुद परमेश्वर है, जीवित परमेश्वर जो हमारी मदद करता है और हमारे जीवन में कार्य करता है, और यीशु पर हमारा विश्वास धीरे धीरे बढ़ता है। उसी रूप से, लोगों को पापों की माफ़ी प्राप्त करने के लिए, उन्हें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े पर विश्वास करना चाहिए। 
 

आज के याजक को क्या सेवकाई करनी चाहिए?

महायाजक तम्बू के अन्दर क्या करता है? वे बलिदान की पध्धति के द्वारा क्या प्रगट करते है? वे सत्य को प्रगट करते है की मसीहा नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से हमारे सारे पापों को मिटा देगा। आज के युग के सेवको को भी यह कार्य में सिध्द होना चाहिए। वे पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा लोगों के पापो को दूर करते है। 
अनगिनत लोगों ने अपने खुद के सुसमाचार के प्रारूप को साथ जोड़ने का प्रयास करते है। ऐसा सुसमाचार न तो बाइबल के आधारित है, न ही किसी भी व्यक्ति को बचा सकता है। वे मनुष्य निर्मित सिध्धान्तों को यहाँ वहाँ से उठाने में और एक साथ जोड़ने में निपुण है। लेकिन पानी और आत्मा का सुसमाचार ऐसा कुछ नहीं है जो भिन्न मसीही सिध्धान्तों को जोड़ने के द्वारा बनता है।
यह पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा है की लोग पापों की माफ़ी को प्राप्त करते है। दुसरे शब्दों में, वचन ही उद्धार का एकमात्र मानदण्ड है। केवल परमेश्वर के द्वारा नियुक्त मानक के द्वारा ही लोगों को पापों की माफ़ी प्राप्त हो सकती है। यह मानक पानी और आत्मा का सुसमाचार है। उद्धार के सच्चे सुसमाचार के बहार कोई भी व्यक्ति पापों की माफ़ी प्राप्त नहीं कर सकता और पवित्रता को नहीं पा सकता। परमेश्वर के सामने सारे पापों से साफ़ होने और पवित्रता को प्राप्त तभी किया जा सकाता है जब हम यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करे जो यरदन नदी के बपतिस्मा और क्रूस के लहू के द्वारा आया। लोगों के लिए उनके सारे पापों से माफ़ी पाने के लिए उन्हें यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहिए जो उद्धारकर्ता के रूप में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के द्वारा आया। उनके लिए उद्धार पाने का ओर कोई रास्ता नहीं है।
और परमेश्वर के सेवक जो उनके याजक बने है उन्हें महायाजक के वस्त्रों के लिए इस्तेमाल हुए सुनहरे, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से बने असली सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए। यदि वे इस सत्य पर विश्वास नहीं करते, तो वे उसके सेवक के रूप में प्रमाणित नहीं होते। वे केवल इस संसार के धर्मनिष्ठ है। संसार के अनगिनत धर्मों में, वे केवल यीशु के नाम को लेकर अपने खुद के धर्म का पालन करते है। परमेश्वर के सच्चे सेवक के पास ऐसा विश्वास होना चाहिए जो यीशु मसीह पर विश्वास करता है जो उद्धारकर्ता के रूप में पानी, लहू, और आत्मा से आया। इसलिए, उन्हें सही विश्वास को प्रगट करने और परमेश्वर के सत्य के प्रकाश को स्पष्ट रीति से प्रकाशित करने के लिए उसके बपतिस्मा की गवानी देनी चाहिए। केवल वे लोग जो ऐसा करते है वे परमेश्वर के सेवक हिया और उसके सामने बचाए गए है। 
जो लोग यीशु के बपतिस्मा को, उसके क्रूस को, और वह परमेश्वर है इस सच्चाई को निकाल देते है, और साथ ही साथ जो लोग ऐसे ज्ञान को बिना विश्वास के प्रचार करता है, वे शैतान के सेवक है जिनका परमेश्वर के साथ कोई लेनादेना नहीं है।
आज, इस संसार में कहेजाने वाले अनगिनत “सुसमाचार प्रचारक” है। वे दावा करते है की जो कोई भी यीशु पर विश्वास करता है वे विश्वास से अपने सारे पापों से शुध्द होंगे, और इस प्रकार पापरहित बनेंगे। सबसे पहले, मैंने सोचा की वे भी नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के सत्य का प्रचार कर रहे है, लेकिन बाद में मुझे समझ आया की ऐसा नहीं है। वे पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार नहीं कर रहे है, वे सोचते और विश्वास करते है की उनके खुद के विचारों से बनाया गया सिध्धांत सच्चा सुसमाचार है। यधपि, वे खुद को “सुसमाचार प्रचारक” कहते है, वे केवल खुद के स्वार्थ और सांसारिक समृध्धि का पीछा करते है, जिनका उद्देश्य केवल खुद की इच्छा को संतुष्ट करना है। 
इस पृथ्वी पर आज भी ऐसे कई कहेजाने वाने याजक है। लेकिन क्यों वे सच्चे सुसमाचार को अस्वीकार करते है जो उन्हें वास्तव में पवित्र बनाने के लिए योग्य करता है? रूढ़िवादी संसार पर अपने विश्वास पर घमंड करते है। लेकिन वास्तविकता यह है की ऐसे लोग वास्तव में रूढ़िवादी नहीं है। जब संसार स्पष्ट रूप से पानी और आत्मा के सुसमाचार को प्रगट करता है, तब क्यों वे अपने विश्वास से यीशु के बपतिस्मा को हटा देते है? याद रखे की नादाब और अबिहू की मृत्यु हो गई जब उन्होंने परमेश्वर के आगे अपवित्र अग्नि को अर्पण किया। जब इन याजको ने परमेश्वर के द्वारा निर्धारित तरीके से अर्पण नहीं चढ़ाया, तब परमेश्वर से एक आग आई और उन्हें जलाकर राख कर दिया (गिनती २६:६१)।
यदि महायाजक पर्वेश्वर के द्वारा नियुक्त अंगरखा नहीं पहनता तो भी उसको मार दिया जाता था (वचन ४३)। कोई फर्क नहीं पड़ता की कितनी महेनत से एक पापी बलिदान के अर्पण के लहू को तम्बू के अन्दर लेकर आता है, इसका मतलब है की जब तक वह पशु के सीए पर हाथ नहीं रखता तब तक सब कुछ बेकार है। हाथ रखने की बात पर विश्वास करने के बगैर, जिसके द्वारा वे अपने अपराध का अंगीकार करते थे और उसे बलिदान पर डालते थे, तब तक उनका विश्वास व्यर्थ था फिर चाहे वे लहू पर कितना भी विश्वास क्यों न करे। कोई फर्क नहीं पड़ता की कितनी बार महायाजक लहू को लेकर आता है, परदे को उठाता है, परमपवित्र स्थान में प्रवेश करता है, और उसके प्रायश्चित के ढकने के ऊपर लहू छिड़कता है, यदि वो परमेश्वर के द्वारा निर्धारित “नीले” अंगरखे को पहने बिना आता है, तो उसको मार दिया जाता था। इसलिए, सारे साम्प्रदायि लोगों को अपने विश्वास की पुरानी रीति को छोड़ देनी चाहिए और सच्चे सुसमाचार की ओर वापिस आना चाहिए जो उन्हें “प्रकाश और सम्पूर्णता” की ओर अगवाई कराती है, अर्थात्, “ऊरीम और तुम्मीम” (निर्गमन २८:३०)।
परमेश्वर उन लोगों से प्रसन्न होता है, जो अपर्याप्त होने क्ले बावजूद भी विश्वास करते है और उसके वचन और इच्छा का अनुसरण करते है। इसीलिए परमेश्वर ने हम जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है उन्हें बुलाया है। और परमेश्वर ने हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार को सुपुर्द किया है। जब हम एक साथ जुड़ते है और विश्वास से सुसमाचार का प्रसार करते है, तब परमेश्वर हमें निरंतर अद्भुत काम करने की अनुमति देता है।
हम विश्वास करते है की परमेश्वर की विधि बहुत ही जल्दी परिपूर्ण होगी। वास्तव में, हम परमेश्वर के सामने बहुत ही खुश है। हमारे शरीर में, बहुत सारी कमजोरियाँ है। मैं सोचता हूँ की मैं सबसे बेकार हूँ। यदि मैं ईमानदारी से खुद को आपने सामने अंगीकार करू, तो मेरे अपराधों की वजह से मेरा चहेरा बहुत ही लाल हो जाएगा। मेरी अपर्याप्तता अस्थायी नहीं है। जैसे समय बितता है, उतना ज्यादा मैं सुसमाचार की सेवकाई करता हूँ, उतना ही ज्यादा मुझे समझमें आता है की मैं परमेश्वर के सामने कितना अपर्याप्त हूँ। और हमारे सहकर्मी की ओर देखते हुए, मैं देख सकता हूँ की वे भी मेरी तरह अपर्याप्त है, लेकिन परमेश्वर के अनुग्रह के लिए धन्यवाद की हम सब अभी भी सुसमाचार की सेवकाई कर रहे है। परमेश्वर ने हमें यह विश्वास करने के लिए योग्य बनाया है की वह हमारे अन्दर कार्य करता है, ताकि हम परमेश्वर के सुसमाचार और उसकी योजनाओं पर विश्वास करने के द्वारा उसकी सेवा और अनुसरण कर सके।
यह हम अपर्याप्त लोगों के द्वारा प्रभु की महिमा होती है। जितना ज्यादा हम अपर्याप्त है, उतना ही ज्यादा पानी और आत्मा का सुसमाचार हमारे हृदय में प्रकाशित होगा – इसके कारण परमेश्वर की महिमा होती है। जब हम खुद को दोषरहित मानते है और ज्यादा घमंड करते है, तब परमेश्वर को अच्छा नहीं लगताव् यह परमेश्वर की इच्छा है जो हम अपर्याप्त लोगों के द्वारा स्तुति पाना चाहता है।
आप और मैं कितने अपर्याप्त है। हम कितने अपर्याप्त है? सारे वर्णन से परे! हालाँकि, प्रत्येक व्यक्ति अपनी अपर्याप्तता भिन्न तरीके से महसूस करता है, जैसे की समुद्र या नदी की गहेराई वोश बेसिन से भिन्न होती है। जो लोग यह जानते है की वे बहुत ही ज्यादा अपर्याप्त है वे उतना ही ज्यादा प्रभु से प्रेम करते है, क्योंकि वे जानते है की वे प्रभु के बहुत ही ज्यादा ऋणी है। जो लोग खुद की अपर्याप्तता से वाकिफ है और विश्वास करते है की उनका ऋण चुका दिया गया है वे ओर भी ज्यादा परमेश्वर से प्रेम करते है। इसीलिए वे प्रभु के सुसमाचार को ज्यादा प्यार करते है, उसमे बहुत ही ज्यादा गर्व महेसुस करते है और उसका पालन करते है। लेकिन वे लोग जो खुद की अपर्याप्तता को नहीं जानते वे परमेश्वर से कम प्रेम करते है, क्योंकि वे सोचते है की उनका थोडा सा ही ऋण माफ़ हुआ है और उनका सारा ऋण चुकाने के लिए परमेश्वर उनसे बहुत ही ज्यादा अपेक्षा रखता है।
तो फिर जो लोग अपनी कमजोरी के बारे में बहुत कम जानते है वे कैसे जान पाएंगे की उनकी अपर्याप्तता बहुत ज्यादा है? इसके लिए उन पर दबाव नहीं डाला जाएगा। लेकिन जब वे यह विश्वास करने के द्वारा सुसमाचार की सेवकाई करते है की यह परमेश्वर की इच्छा है की वे अपर्याप्त होने के बावजूद भी सुसमाचार की सेवकाई करे, तब उनके अपराध ओर ज्यादा प्रगट होंगे, और जितना ज्यादा वे प्रगट होंगे, उतना ही ज्यादा परमेश्वर के प्रति उनका प्रेम बढ़ता जाएगा। 
हमारे लिए केवल सैध्धान्तिक रूप से हमारी अपर्याप्तता जानना व्यर्थ है। हम केवल तभी हमारी अपर्याप्तता को पहचान सकते है जब हम वास्तव में सुसमाचार की सेवकाई करते समय कठिन समय का सामना करे। इसी लिए जितना ज्यादा हम परमेश्वर की सेवा करते है उतना ही ज्यादा वह हमारे लिए महत्वपूर्ण बनाता जाता है। हम परमेश्वर के कारण साहसिक बने है, और परमेश्वर के कारण ही हम महिमावान हुए है। हम परमेश्वर के कारण विश्वास से जीवन जी सकते है और आशीषित कार्य के लिए खुद को समर्पित कर सकते है। यदि यह परमेश्वर के लिए नहीं होता, तो आप और मैं कुछ भी नहीं होते।
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला कहता है, “अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूँ” (यूहन्ना ३:३०)। परमेश्वर ने हमें पापों की माफ़ी और सुसमाचार की सेवकाई करने का आशीषित मौका दिया है। हमारा अस्तित्व केवल सुसमाचार का प्रचार करने के साधन के रूप में है, और केवल परमेश्वर ही महिमा का हकदार है। परमेश्वर हमें एक साधन के रूप में इस्तेमाल करता है यह खुद में एक बहुत बड़ी बात है।
महायाजक की सेवकाई देने के लिए हम परमेश्वर के बहुत ही आभारी है। यीशु हमारे लिए स्वर्गीय महायाजक और उत्तम चरवाहा है। उसके सेवक छोटे चरवाहे है। आप और मैं छोटे चरवाहे बने है जो महान चरवाहे ने हमारे लिए जो किया है उसका अनुसरण करते है। आपको और मुझे परमेश्वर के वचन में जैसा लिखा है वैसे ही विश्वास करना चाहिए, परमेश्वर के वचन के मुताबिक़ कार्य करना चाहिए, और जैसे लिखा है वैसे ही उसका अनुसरण भी करना चाहिए। हमें ठीक उसी रीति से सेवा करनी है जैसे प्रभु ने की है। हमें जैसे प्रभु ने किया है ठीक वैसे ही करना है, और उसके अनुसार विश्वास और पालन करना है। जैसे उसने हमें आज्ञा दी है और हमारे लिए योजना बनाई है ठीक वैसे हमें विश्वास और पालन करना है, और पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार करना है। परमेश्वर के वचन को शुध्धता के साथ स्वीकार करना और विश्वास करने के द्वारा पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करना ही परमेश्वर के सामने सच्चा विश्वास है। 
हम पूरे हृदय से परमेश्वर को धन्यवाद देते है जो हमारे खुद का महायाजक बना।