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विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-22] मिलापवाले तम्बू के आवरण में छिपे हुए चार रहस्य (निर्गमन २६:१-१४)

मिलापवाले तम्बू के आवरण में छिपे हुए चार रहस्य
(निर्गमन २६:१-१४)
“फिर निवास-स्थान के लिये दस परदे बनवाना; इनको बटी हुई सनीवाले और नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का कढ़ाई के काम किए हुए करूबों के साथ बनवाना। एक एक परदे की लम्बाई अट्ठाइस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हो : सब परदे एक ही नाप के हों। पाँच परदे एक दूसरे से जुड़े हुए हों; और फिर जो पाँच परदे रहेंगे वे भी एक दूसरे से जुड़े हुए हों। और जहाँ ये दोनों परदे जोड़े जाएँ वहाँ के दोनों छोरों पर नीले नीले फन्दे लगवाना। दोनों छोरों में पचास पचास फन्दे ऐसे लगवाना कि वे आमने-सामने हों। और सोने के पचास अंकड़े बनवाना; और परदों के पंचों को अंकड़ों के द्वारा एक दूसरे से ऐसा जुड़वाना कि निवास-स्थान मिलकर एक हो जाए। “फिर निवास के ऊपर तम्बू का काम देने के लिये बकरी के बाल के ग्यारह परदे बनवाना। एक एक परदे की लम्बाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हो; ग्यारहों परदे एक ही नाप के हों। और पाँच परदे अलग और फिर छ: परदे अलग जुड़वाना, और छठवें परदे को तम्बू के सामने मोड़ कर दुहरा कर देना। और तू पचास अंकड़े उस परदे के छोर में जो बाहर से मिलाया जाएगा और पचास ही अंकड़े दूसरी ओर के परदे की छोर में जो बाहर से मिलाया जाएगा बनवाना। और पीतल के पचास अंकड़े बनाना, और अंकड़ों को फन्दों में लगाकर तम्बू को ऐसा जुड़वाना कि वह मिलकर एक हो जाए। और तम्बू के परदों का लटका हुआ भाग, अर्थात् जो आधा पट रहेगा, वह निवास की पिछली ओर लटका रहे। और तम्बू के परदों की लम्बाई में से हाथ भर इधर, और हाथ भर उधर निवास के ढाँकने के लिये उसके दोनों ओर लटका हुआ रहे। फिर तम्बू के लिये लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालों का एक ओढ़ना और उसके ऊपर सूइसों की खालों का भी एक ओढ़ना बनवाना।”
 
 

मिलापवाले तम्बू का आवरण

 
अब हमें हमारा ध्यान मिलापवाले तम्बू की ओर लगाना चाहिए। तम्बू का आवरण चार परतो से बना हुआ था। जब परमेश्वर ने मूसा से तम्बूबनाने के लिए कहा, तब उन्होंने उसे विस्तृत सुचनाए दी। विशिष्ट रूप से, पहले आवरण को केवल तम्बू के अन्दर से ही दखा जा सकता था, तम्बू के सारे पटिए और पात्रों के उपर का आवरण। यह आवरण तम्बू के पवित्र स्थान, परमपवित्र स्थान के सारे पटिए को लिपटा हुआ भूमि तक निचे आरहा था। और यह नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बना हुआ था और करुबों का सुन्दर चित्र भी उसमे बुना हुआ।
पहला आवरण मुख्य परदे को एक दुसरे के साथ जोड़कर बनाया गया था, पाँच छोटे परदों के एक दुसरे के साथ जोड़कर बनाया गया था। इन मुख्य दो परदों को एक दुसरे के साथ जोड़ने के लिए, नीले धागे के पचास फंदे बनाए गए जो परदों के किनारे लगाए गए थे। सोने के अंकडो को इन नीले फंदों में ऐसे लगाया की दो परदे को जोड़ कर एक बड़ा पर्दा यानी की आवरण बन सके।
तम्बू का पहला आवरण दस परदों से बना हुआ था, जिन्हें जोड़कर एक चौड़ा बड़ा पर्दा बनाया गया था। इनकी लम्बाई २८ हाथ की थी। एक हाथ मतलब तक़रीबन ४५ सेंटीमीटर (१.५ फीट), इसलिए उसकी लम्बाई आजके नाप के मुताबिक़ तक़रीबन १२.६ मीटर (४१.६ फीट) थी, जबकि प्रत्येक परदे की चौड़ाई चार हाथ की थी, १.८ मीटर (५.९ फीट)। सबसे पहले पाँच परदों को मिलाकर परदों के दो सेट बनाए गए, और फिर इन सेट को दुसरे पर्दों के साथ पचास नीले फंदों और सोने के अंकडो के द्वारा जोड़ा गया। इस तरह तम्बू का पहला आवरण सम्पूर्ण किया गया। लेकिन तिन ओर आवरण भी थे। पहला आवरण नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़ो में करुबों के चित्र को बुनकर बनाया गया था।
यह हमें स्वर्ग के राज्य का मार्ग दिखाने के लिए था। उदाहरण के तौर पर, पहले आवरण के लिए इस्तेमाल किया गया नीला कपड़ा जगत के पापों को उठाने के लिए यूहन्ना से यीशु ने लिए बपतिस्मा को दर्शाता है। बपतिस्मा लेने के द्वारा, यीशु ने जगत के सारे पापों को उठाया (मत्ती ३:१५)। क्योंकि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के सारे पाप अपने ऊपर उठाए थे, इसलिए यह बपतिस्मा अब उद्धार का प्रतिबिम्ब बन गया है (१ पतरस ३:२१)।
तम्बू का दूसरा आवरण बकरी के बाल से बनाया गया था (निर्गमन २६:७)। इसकी लम्बाई पहले आवरण से ९० सेंटीमीटर (३ फीट) ज्यादा थी। ३० हाथ के साथ, लम्बाई १३.५ मीटर (४५ फीट), और चौड़ाई ४ हाथ, १.८ मीटर (५.९ फ़ीट) थी। आवरण ग्यारह परदों से बनाया गया था, एक दुसरे को जोड़कर दो सेट बनाए गए थे, एक पाँच परदे का और दूसरा छह परदे का। इन दोनों सेट को फिर एकदूसरे के साथ पीतल की अंकडी से जोड़ा गया था। 
तम्बू का दूसरा आवरण जो बकरे के बाल से बना था वह हमें कहता है की यीशु ने परमेश्वर की धार्मिकता से हमें पवित्र बनाया है। इस पृथ्वी पर आकर, जब हमारा प्रभु ३० साल का हुआ, तब उसने अपनी इच्छा से यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लिया, और उसने जगत के पापों को खुद पर उठाया। इसके परिणाम स्वरुप, प्रभु जगत के पापों को क्रूस तक लेकर गया, क्रूस पर चढ़ा, एक ही बार में हमेशा के लिए पापों को मिटाया, और इस प्रकार हमारा उद्धारकर्ता बना। इसलिए बकरे के बाल का दूसरा सफ़ेद आवरण हमें कहता है की यीशु मसीह जो जीवित बकरा बना उसने हमें अपने बपतिस्मा और लहू से पापरहित बनाया है।
तम्बू का तीसरा आवरण लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ो की खाल से बनाई गई थी, जो हमें कहती है की यीशु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को उठाया, उन्हें क्रूस तक लेकर गया, अपना लहू बहाया और दण्ड सहा, और इस प्रकार हमें हमारे सारे पापों से छूडाया।
तम्बू का चौथा आवरण सुइसों की खाल से बनाया हुआ था। सुइसों की खाल का मतलब है की जब हम यीशु के बाहरी रूप को देखते है तो उसमे कुछ भी मनोहर नहीं पाया जाता है। लेकिन वास्तव में वह खुद परमेश्वर था। सुइसों की खाल हमें यीशु का वर्णन बताती है जिसने हमें जगत के पापों से बचाने के लिए खुद को मनुष्य के स्तर तक नम्र किया।
आइए अब इन चार आवरणों की विस्तृत रूप से जाँच करते है।
 
 
मिलापवाले तम्बू के पहले आवरण का आत्मिक मतलब
 
मिलापवाले तम्बू के पहले आवरण का आत्मिक मतलब
तम्बू के चार में से पहला आवरण बनाने के लिए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़ा और बटी हुई सनी के कपड़े की सामग्री का इस्तेमाल हुआ था। वह कुछ इस तरीके से बनाया गया था की तम्बू के अन्दर से चारों रंग स्पष्ट रूप से देखे जा सकते थे। और करुबों की बुनाई भी उसमे की गई थी, ताकि वे उपरसे तम्बू में निचे की ओर देखे। इन चारों कपड़ों में निहित आत्मिक मतलब निम्नलिखित है।
तम्बू के आवरण को बनाने के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री में प्रगट हुए नीले कपड़े का रहस्य यह है की मसीहा ने अपने बपतिस्मा के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए जगत के सारे पापों का स्वीकार किया। वह इस पृथ्वी पर आया और जगत के सारे पापों को उठाने के लिए मनुष्यजाति के प्रतिनिधि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया, ठीक वैसे जैसे पुराने नियम का बलिदान का अर्पण हाथ रखने के द्वारा पापियों के सारे अपराधों का स्वीकार करता था। और ये हमें यह भी कहता है की यीशु ने इन पापों के दण्ड को सहकर जगत के सारे पापों को एक ही बार में हमेशा के लिए साफ़ किया है।
दूसरी ओर बैंजनी कपड़ा हमें बताता है की यीशु मसीह जो इस पृथ्वी पर आया वह हमारे लिए राजाओं का राजा और खुद परमेश्वर है। यह हमें बताता है की यीशु खुद परमेश्वर है। तम्बू में प्रगट हुआ लाल कपड़ा हमें बताता है की यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा सारे पापों को उठाया, क्रूस पर अपना लहू बहाया और हमारी जगह खुद ने पाप का बलिदान और दण्ड सहा।
यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु पुराने नियम के समय के समय के बलिदान की पध्धति के जैसा ही है जहा हाथ रखने के द्वारा निर्दोष अर्पण पापियों के अपराधों का स्वीकार करता था और इन पाप के दण्ड को सहने के लिए मृत्यु तक उसके लहू को बहाया जाता था। इसी तरह, नए नियम में, यीशु ने बपतिस्मा लिया, क्रूस तक गया, और अपना लहू बहाया और उस पर मर गया।
बाइबल यीशु मसीह को बलिदान के अर्पण के रूप में दर्शाती है। “यीशु” नाम का मतलब है “वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा” (मत्ती १:२१)। और “मसीह” नाम का मतलब है “अभिषिक्त”। पुराने नियम में, तिन प्रकार के लोगों का अभिषेक किया जाता था: राजा, भविष्यवक्ता, और याजक। इसलिए, “यीशु मसीह” नाम का मतलब है की वह उद्धारकर्ता, खुद परमेश्वर, स्वर्ग के राज्य का महायाजक, और अनन्त सत्य का प्रभु है। इस पृथ्वी पर आकर, यूह्स्न्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा, और अपना लहू बहाकर, वह हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बना है।
इस प्रकार, तम्बू का पहला आवरण प्रगट करता है की मसीहा नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा आएगा और उस पर विश्वास करनेवालों को उनके पाप और दण्ड से बचाएगा। यह सेवकाई ओर कुछ नहीं लेकिन यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर का उसका लहू है। चार रंगों से रेंज पहले आवरण में प्रगट हुए उद्धार का रहस्य यह है की मसीहा इस पृथ्वी पर आया, बपतिस्मा लेकर मनुष्यजाति के पापों को ले लिया, मृत्यु तक क्रूस पर चढ़ाया, मृत्यु में से फिर जीवित हुआ। 
इन सेवाकाइयों के द्वारा, यीशु मसीह ने उन लोगों को उनके पापों से बचाया है जो विश्वास करते है, और उन्हें परमेश्वर की प्रजा बनाया है। यीशु मसीह राजाओं का राजा और बलिदान का अर्पण है जिसने पापियों के अपराधों को मिटाया है और उसने विश्वास करनेवालों को उनके पाप और दण्ड से बचाया है।
 
 
मिलापवाले तम्बू के दुसरे आवरण का आत्मिक मतलब
 
मिलापवाले तम्बू के दुसरे आवरण का आत्मिक मतलब
तम्बू के दुसरे आवरण के लिए जो सामग्री इस्तेमाल हुई थी वह थी बकरे के बाल। यह हमें बताता है की आनेवाला मसीहा मनुष्यजाति को उनके पाप और उन पापों के दण्ड से छूडाकर उनका न्याय करेगा। दुसरे शब्दों में, यह हमें दिखाता है की मनुष्यों को परमेश्वर की धार्मिकता पाने के लिए पानी, लहू और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना महत्वपूर्ण है। परमेश्वर की धार्मिकता ने हमारे हृदय को हिम के नाई श्वेत किया है और इस प्रकार हमें पाप की माफ़ी पाने के लिए सक्षम बनाया है।
 
 
मिलापवाले तम्बू के तीसरे आवरण का आत्मिक मतलब
 
मिलापवाले तम्बू के तीसरे आवरण का आत्मिक मतलब
तम्बू के तीसरे आवरण के लिए इस्तेमाल हुई सामग्री लाल रंगों से रंगी मेढ़ो की खाल थी। यह प्रगट करता है की मसीहा इस पृथ्वी पर आएगा, बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को उठाएगा, क्रूस पर चढ़ेगा, और इस प्रकार अपने लोगों के लिए बलिदान का अर्पण बनेगा। क्रूस पर यीशु मसीह ने बहाए लहू ने जगत के पापों के लिए कीमत को चुकाई थी। दुसरे शब्दों में, यह हमें बताता है की यीशु मसीह खुद बलिदान का अर्पण बना और इस प्रकार अपने लोगों को उनके पापों से बचाया (लैव्यव्यवस्था १६)। 
प्रायश्चित के दिन, इस्राएल के लोगों के सारे पापों को उठाने के लिए दो बकरे को तैयार किया गया था। उनमें से एक था प्रायश्चित का बलिदान का अर्पण जो उनके पापों के लिए परमेश्वर को अर्पण किया जाता था। उस समय, महायाजक अपने हाथों को इस पहले बलिदान के अर्पण के सिर पर रखता था, और परमेश्वर के लोगों के सारे पाप उसके ऊपर पारित करता था। फिर वह उसके लहू को लेता था, उसे प्रायश्चित के ढकने की पूर्व में छिड़कता था, और सात बार प्रायश्चित के ढकने के सामने छिड़कता था। इस तरह इस्राएल के पापों के प्रायश्चित के अर्पण को परमेश्वर के सामने चढ़ाया जाता था।
फिर, तम्बू के आसपास इकठ्ठा हुए इस्राएलियों के सामने महायाजक दुसरे जीवित बकरे के सिर पर हाथ रखता था और इस्राएल के लोगों के साल भर के पाप उसके ऊपर डालता था। यह इस्राएल के सारे लोगों को प्रतीति कराने के लिए था की महायाजक के हाथ रखने के द्वारा उनके पिछले साल के सारे पापों को ले लिया गया है। फिर इस जीवित बकरे को उनके सारे पाप उठाकर मरने के लिए जंगल में छोड़ दिया जाता था (लैव्यव्यवस्था १६:२१-२२)। यह परमेश्वर का वायदा था की मसीहा इस पृथ्वी पर आएगा, मनुष्यजाति के प्रतिनिधि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को उठेगा (मत्ती ११:११-१३, ३:१३-१७), अपनी इच्छासे क्रूस पर चढ़ने के द्वारा इन पापों के दण्ड को सहेगा, और इस प्रकार अपने लोगों को उनके पापों से बचाएगा।
 
 
मिलापवाले तम्बू के चौथे आवरण का आत्मिक मतलब
 
मिलापवाले तम्बू के चौथे आवरण का आत्मिक मतलब
सुइसों की खाल हमारी खुद की प्रतिमा को दिखाती है, साथ ही साथ प्रभि की प्रतिमा को दिखाती है जब वे इस पृथ्वी पर आए। हमारे प्रभु सारे पापियों को धर्मी बनाने के लिए मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर आए। सुइसों की खाल हमें यह भी बताती है की जब यीशु मसीह इस पृथ्वी पर ऐ तब उसने खुद को ऊँचा नहीं उठाया, लेकिन उसने जन्म से खुद को मनुष्य के समान नम्र बनाया। 
पुराने नियम के समय में, परमेश्वर ने अपने भविष्यवक्ता के द्वारा कहा ही मसीहा आएगा और इस पृथ्वी के पापियों को उनके अपराधों से छूडाएगा। हम देख सकते है की परमेश्वर ने यीशु मसीह के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू के द्वारा अपने सेवक के वचन को परिपूर्ण किया। भविष्यवाणी का यह वायदा वाचा का वचन था की मसीहा न केवल इस्राएल के लोगों के पापों को उठाएगा लेकिन इस दुनिया के प्रत्येक लोगों के पाप और दण्ड को उठाएगा, और वह अपने सारे विश्वासियों को बचाएगा और उन्हें अपने लोग बनाएगा। 
निर्गमन २५ तम्बू के लिए इस्तेमाल हुई  सामग्री के बारे में बताता है। तम्बू की सामग्री में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े, बटी हुई सनी का कपड़ा, बकरे के बाल, लाल रंग से रंगी मेढ़े की खाल, सुइसों की खाल, सोना, चांदी, पीतल, मसाले, तेल और कीमती पत्थर का समावेश होता है। यह सारी सामग्री प्रगट कराती है की मसीहा इस पृथ्वी पर आएगा और अपने बपतिस्मा और लहू बहाने के द्वारा अपने लोगों को उनके पापों से बचाएगा। उसी रूप से, तम्बू के आवरण में उद्धार की योजना छिपी हुई है जो परमेश्वर ने अपने लोगों को उनके पापों से बचाने के लिए योजित किया था। 
क्यों परमश्वर ने आदेश दिया की तम्बू का आवरण बनाने के लिए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े का इस्तेमाल किया जाए? और क्यों उसने बकरे के बाल, मेढ़े की खाल, और सुइसों की खाल को इस्तेमाल करने का आदेश दिया। हमें जगत के पापों से बचाने के लिए परमेश्वर ने जो योजना बनाई थी उसकी ओर हमें ध्यान देना चाहिए। हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुई सेवकाई में विश्वास करना चाहिए जिसके द्वारा यीशु ने अपने लोगों को उनके पापों से बचाया, और इस प्रकार हम हमारे पाप से बच पाए और परमेश्वर की संतान बने। दुसरे शब्दों में, तम्बू के आवरण में प्रगट हुई परमेश्वर की योजना को हमें जानना और विश्वास करना चाहिए।
 
 
चार पध्ध्तियों के द्वारा
 
तम्बू के चार आवरण हमें उस मार्ग के बारे बताते है जिसमे परमेश्वर ने हमें हमारे पापों से छुडाया है: मसीहा देह में इस पृथ्वी पर आएगा, यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को उठाएगा, इन पापों के दण्ड के लिए क्रूस पर चढ़ेगा, और अपने लहू से अपने लोगों के पापों को माफ़ करेगा और उन्हें उनके पापों से बचाएगा। हालाँकि, यह उद्धार केवल उन लोगों के लिए परिपूर्ण हुआ है जो मसीहा पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते है। हम सब को विश्वास करना चाहिए की जैसे तम्बू के आवरण की सामग्री में प्रगट हुआ है ठीक वैसे यीशु मसीह वास्तव में अपने बपतिस्मा और लहू के द्वारा आया, और इस प्रकार हमें एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों से बचाया। 
तम्बू के आवरण में प्रगट हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े की भविष्यवाणी के अनुसार, परमेश्वर का पुत्र नए नियम के समय में बलिदान के अर्पण के रूप में हमारे पास आया, बपतिस्मा लिया, और क्रूस पर चढ़कर अपना लहू बहाया। उसके अतिरिक्त, तम्बू के आवरण में प्रगट हुए मसीहा पर विश्वास करने के द्वारा, हम परमेश्वर को विश्वास का अर्पण दे सकते है जो हमें बचाता है। 
उसी रूप से, हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करना चाहिए। यदि कोई परमेश्वर के सामने नहीं आता और नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुई यीशु मसीह की सेवकाई पर विश्वास करने के द्वारा विश्वास के अर्पण को चढ़ाने से विफल होता है वह निश्चित रूप से अपने पापों की वजह से नाश होगा। लेकिन यदि कोई मनुष्य इस सत्य पर विश्वास करता है, तो वह अपने उद्धार के विश्वास के द्वारा किसी भी समय परमेश्वर के सामने उसकी संतान के रूप में जा सकता है। तम्बू हमें दिखाता है की जो कोई यीशु मसीह पर विश्वास नहीं करता जो बलिदान का अर्पण बना और नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुआ वे कभी भी परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते।
इस प्रकार तम्बू का आवरण हमें स्वर्ग का मार्ग दिकाता है। हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करने के द्वारा स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का मार्ग ढूँढना चाहिए। जो कोई भी परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना चाहता है उसे सबसे पहले नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए पाप की माफ़ी के सत्य पर विश्वास करने के द्वारा पाप की समस्या को सुलझाना चाहिए। उसी रूप से, चाहे लोग इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर की कलिस्या में प्रवेश करे, या वे लोग विश्वास न करने की वजह से परमेश्वर के द्वारा अस्वीकार किए जाए, यह चुनाव उन्हें खुद करना है। 
निसंदेह, हमारा विवेक तम्बू के आवरण में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करने या न करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन आपको यह भी समझना चाहिए की इस सत्य पर विश्वास न करने का परिणाम किसी भी व्यक्ति के लिए सहन करना बहुत ही भयंकर हो सकता है। हालाँकि, हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा के अनुसार उसके चमकते हुए घर में प्रवेश करने के लिए, हमें मसीहा ने यूहन्ना से जो बपतिस्मा लिया था उसपर और क्रूस के लहू पर विश्वास करने के द्वारा हमेशा के लिए हमारे पापों से उद्धार पाना चाहिए। सारे लोगों को अपने हृदय में स्वीकार करना चाहिए और विश्वास करना चाहिए की यीशु के इस बपतिस्मा और उसके क्रूस के लहू ने उनके पापों को माफ़ किया है। जब वे इस प्रकार विश्वास करते है केवल तभी वे पाप की अनन्त माफ़ी को प्राप्त करते है और परमेश्वर की महिमा में प्रवेश करते है।
तम्बू का पहला आवरण चार भिन्न भिन्न कपड़ो से बुना था, और उसे बकरे के बाल से बने दुसरे आवरण के निचे रखा गया था। यह हमें उस वास्तविकता को दिखाता है की हम पाप की माफ़ी को प्राप्त करने के योग्य बने वह यीशु की सेवकाई के आधारित है: उसका बपतिस्मा और उसका खुद का लहू। उसी रूप से, पाप की माफ़ी जो हमने परमेश्वर की धार्मिकता पर विश्वास करने के द्वारा प्राप्त की है वह पहले आवरण में प्रगट हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कापडे में हमारे विश्वास पर आधारित है। यह वास्तविकता कितनी सुनिश्चित है यह देखने के लिए आइए हम निचे दिए गए बाइबल के वचन की ओर मुड़े।
यशायाह ५३:६ में लिखा है, “और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।” इब्रानियों ९:२८ कहता है, “वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठाने के लिए एक बार बलिदान हुआ।” और २ कुरिन्थियों ५:२१ कहता है, “जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया कि हम उसमें होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएँ।” इसलिए यह सारे भाग हमसे कहते है की तम्बू का पहला आवरण बनाने के लिए इस्तेमाल हुए बटी हुई सनी के कपड़े और नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुई उद्धार की यीशु की सेवकाई के आधार पर हमारा उद्धार परिपूर्ण हुआ है। मसीह खुद पेड़ पर लटक गया और हमारे पाप के दण्ड को खुद की देह पर उठाया वह इसलिए सम्भव हुआ क्योंकि उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को उठाया, और यह केवल क्रूस नहीं था जिस पर उसने जगत के पापों को उठाया था।
जब यीशु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को उठाया और उनके प्रायश्चित के लिए क्रूस पर भयंकर पीड़ा को सहा तब उसके अन्दर डर नहीं था। उसके विपरीत, उसने आनन्द मनाया! क्यों? क्योंकि वह पल उसके लिए “सब धार्मिकता को पूरा करने का समय था” (मत्ती ३:१५)। हमें हमारे पापों से छुडाने के लिए, यीशु ने बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपना लहू बहाया। उसने ऐसा किया क्योंकि उसने हमें प्रेम किया। इसी लिए वह इस पृथ्वी पर आया, यूहन्ना से बपतिस्मा लिया, और अपनी इच्छा से बलिदान का कटोरा पीया। क्योंकि प्रभु ने अपने बपतिस्मा से हमारे पापों को उठाया इसलिए वह कलवरी पर अपने लहू को बहा सका और हमारे खुद के पापों के दण्ड को सहा। 
 
 
मिलापवाले तम्बू के पहले आवरण को एक दुसरे के साथ जोड़े रखने के लिए जो अंकदे बनवाए थे वे सोने के थे
 
तम्बू का पहला आवरण पाँच परदों के दो सेट से बना था, जिन्हें सोने की अंकडियों से एक दुसरे के साथ जोड़ा गया था। वास्तव में यह हमें बताता है की हम केवल तभी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते है जब हम नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए पाप की माफ़ी के सत्य पर विश्वास करे। पाँच परदों के दो सेट सोने की पचास अंकडियों के द्वारा एक दुसरे से जोड़े गए थे यह हमें दिखता है की हम हमारे सारे पापों से केवल तभी उद्धार पा सकते है जब हम उसके उद्धार पर पूरा विश्वास करे। बाइबल में, सोना सच्चे विश्वास को दर्शाता है जो परमेश्वर के वचन पर विश्वास करता है। 
उसी रूप से, हम सब को परमेश्वर के सारे वचन पर विश्वास करना चाहिए। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है की नीले कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करे। केवल यीशु को क्रूस पर लटकाया गया वह हमारे उद्धार के लिए पर्याप्त नहीं है। क्यों? क्योंकि उसके क्रूस पर चढ़ने से पहले, यीशु के बपतिस्मा की प्रक्रिया थी जिसके द्वारा पापी अपने पाप को यीशु मसीह के ऊपर डाल सकते थे। क्रूस हमारे उद्धार के लिए केवल तभी प्रभावी है जब हम विश्वास करे की परमेश्वर पिता ने यीशु को बपतिस्मा दिलवाकर जगत के पाप स्वीकार करवाए।
 
 
मिलापवाले तम्बू में बटी हुईं सनी का कपड़ा हमें क्या बताता है?
 
यह हमें बताता है की परमेश्वर ने अपने सत्य के विस्तृत वचन के अनुसार हमारे बिच में कार्य किया है। वास्तव में मसीहा यूहन्ना से लिए हुए बपतिस्मा और क्रूस के लहू के द्वारा इस पृथ्वी पर आया और हमारे पाप और दण्ड को सहा। और यह हमें बताता है की जैसे उसने इस वचन में वायदा किया है वैसे उसने अपने उद्धार को परिपूर्ण किया है। 
नए नियम के समय में, हमारे प्रभु वास्तव में इस पृथ्वी पर आए, यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को उठाया, हमारे पापों के सारे दण्ड को सहा, और इस तरह उद्धार के सारे वायदों का पालन किया। यूहन्ना से बपतिस्मा लेने और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा, हमारे प्रभु ने परमेश्वर पिता की इच्छा को पूरा और परिपूर्ण किया। परमेश्वर ने अपने इस्राएल के लोगों के साथ जो वाचा बाँधी थी उसे अपने बेटे यीशु के द्वारा परिपूर्ण किया।
तो फिर किसको इस सत्य की ओर ध्यान देना चाहिए? क्या केवल इस्राएल के लोगों को? या फिर आपको और मुझे?
तम्बू का पहला आवरण पचास सेने की अंकडियों से एक साथ जुड़ा हुआ था यह वास्तविकता हमसे सच्चे विश्वास की मांग कराती है। यह हमें दिखाती है की हम केवल तभी परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते है जब हम जाने और विश्वास करे की यीशु ने तम्बू के पहले आवरण के लिए इस्तेमाल हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुई अपनी सेवकाई के द्वारा हमारे सारे पापों को साफ़ किया है। 
दुसरे शब्दों में, यह हमें दिखाता है की पाप की माफ़ी केवल सत्य के वचन पर विश्वास करने से ही प्राप्त की जा सकती है। पुराने और नए नियम के वचन के द्वारा, वास्तव में परमेश्वर हमें विस्तृत रूप से दिखा रहा है की हम अपना सच्चा उद्धार केवल यह विश्वास करने के द्वारा प्राप्त कर सकते है की तम्बू के आवरण में प्रगट हुए बपतिस्मा और क्रूस के लहू ने हमें हमारे सारे पापों से बचाया है।
परमेश्वर ने हमें तबू के पहले आवरण में इस्तेमाल हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करने के द्वारा हमारे पापों से शुध्ध होकर हिम के नाई श्वेत बनने के लिए सक्षम बनाया है। और परमेश्वर ने केवल उन लोगों को अपने राज्य में प्रवेश करने की अनुमति दी है जिनके पास यह विश्वास है। हमें तम्बू के आवरण के बारे में जानना चाहिए और उस पर विश्वास करना चाहिए। जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े की सेवकाई के द्वारा हमारे पास आया उस यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा, हम परमेश्वर की संतान बनने की योग्यता प्राप्त कर सकते है और उसके राज्य में प्रवेश करने की महिमा प्राप्त कर सकते है।
जब मसीहा ने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए अपने कार्यों के द्वारा हमें बचाया है तो हम कैसे परमेश्वर के अथाह गाढ़ उद्धार के प्रेम पर विश्वास न करे और उसे अस्वीकार करे? हम कैसे हमारे पापों की माफ़ी और स्वर्ग का राज्य का अस्वीकार करे, जो केवल विश्वास से प्राप्त किया जा सकता है? हमें यीशु मसीह पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करना चाहिए जिसने बपतिस्मा लेकर और क्रूस पर लहू बहाकर हमें जगत के पापों से बचाया है। केवल तभी हम परमेश्वर के लोग बन सकते है।
जो लोग तम्बू के पहले आवरण में प्रगट हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के सत्य पर विश्वास नहीं करते वे वास्तव में विश्वास के द्वारा अपने पाप नहीं साफ़ कर सकते। जो लोग इस सत्य पर विश्वास नहीं करते वे परमेश्वर की संतान नहीं बन सकते। इसी लिए हमें तम्बू के आवरण में इस्तेमाल हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए उद्धार के सत्य पर विश्वास करना चाहिए, और इस प्रकार हमें अनन्त जीवन प्राप्त करना चाहिए। 
 
 
बकरी के बाल का आवरण मिलापवाले तम्बू के पहले आवरण से बहुत बड़ा था
 
तम्बू का दूसरा आवरण बकरी के बाल से बना था वह वास्तव में पहले आवरण से बड़ा था। इसका मतलब है की जो लोग परमेश्वर के विरुध्ध में खड़े है वे तम्बू के पहले आवरण में प्रगट हुए सत्य को नहीं देख सकते। वास्तव में तम्बू के पहले आवरण के नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए पाप की माफ़ी के रहस्य को छुपाने की आवश्यकता थी। क्योंकि परमेश्वर ने नियुक्त किया था की जो लोग परमेश्वर का आदर करते है और उसका भय मानते है केवल वे ही नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुई यीशु की सेवकाई पर विश्वास करके उसके राज्य में प्रवेश कर सकते है। 
इसी लिए परमेश्वर ने आदम को निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिए अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करुबों को, और चरों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को भी नियुक्त किया कर दिया (उत्पत्ति ४:२४)। व्यक्ति को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य बनाने वाला सत्य अब कोई भी व्यक्ति परमेश्वर पर विश्वास करने के द्वारा देख सकता था। इसी लिए परमेश्वर ने दुसरे आवरण को बकरी के बाल से बनाया और उसे तम्बू के पहले आवरण से थोडा बड़ा बनवाया।
तंबू का दुसरा आवरण हमें दिखता है की हम केवल तम्भी धर्मी बन सकते है जब पहले आवरण में प्रगट हुए पाप की माफ़ी को प्राप्त करे। अलग तरीके से देखे तो, परमेश्वर ने केवल उन लोगों को अपने लोग बनने की अनुमति दी है जो उसके वचन पर आदर और भय से विश्वास करते है, और जो सत्य के सुसमाचार को थामे रखते है। क्योंकि परमेश्वर ने ऐसा करने का फैसला किया था, इसलिए वह उसके दारा नियुक्त किए गए पाप की माफ़ी के नीले, बैंजनी, और लाल सत्य पर विश्वास किए बगैर किसी को भी अपनी संतान बनने के लिए अनुमति नहीं दे सकता। परमेश्वर की इच्छा यह है की जिनके हृदय दुष्ट है वे कभी भी नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के रहस्य को नहीं जान पाएंगे।
 
 
मिलापवाले तम्बू का दूसरा आवरण बकरी के बाल से बना था, और उसके अंकडे पीतल से बने थे
 
पीतल की अंकडियों का आत्मिक मतलब लोगों के पाप के न्याय को दर्शाता है। पीतल की अंकडिया हमें बताती है की सारे पाप के लिए न्याय की कीमत जरुरी है। उसी रूप से, पीतल के अंकडियों में यह सत्य निहित है की मसीहा को क्रूस पर अपना लहू बहाना पडा क्योंकि उसे इस पृथ्वी पर आना पडा और बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को एक ही बार में हमेशा के लिए उठाना पडा।  क्योंकि मसीहा ने पहले यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर हमारे जगत के पापों को उठाया, इसलिए अब उसे क्रूस पर बहाए अपने लहू के द्वारा इन पापों के दण्ड को सहना था।
पीतल की अंकडियों से, हम परमेश्वर की व्यवस्था को ढूँढ सकते है जो कहती है की पाप की मजदूरी मृत्यु है (रोमियों ६:२३)। इसलिए, हमें यह समझना चाहिए की परमेश्वर ने मसीहा के द्वारा हमारे पापों का न्याय परिपूर्ण किया। क्योंकि यीशु मसीहा ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया और मरते दम तक क्रूस पर लहू बहाया, इसलिए मनुष्यजाति के सारे पापों का न्याय सम्पूर्ण हुआ। 
जब हम परमेश्वर के सामने जाते है, तब आपको और मुझे हमारे विवेक में सत्य क्या है इस विषय के बारे में सोचना चाहिए। हम हमारे हृदय, सोच और कार्य के द्वारा हरदिन पाप करते हुए इस दुनिया में जी रहे है। फिर भी, मसीहा ने इन सारे वास्तविक पापों का स्वीकार किया जो हम हरदिन करते है, अपना खुद का जीवन देकर इन पापों की कीमत चुकाई, और इस प्रकार हमारे लिए उद्धार को परिपूर्ण किया। यदि हम परमेश्वर के सत्य पर विश्वास नहीं करते है तो उसके सामने हमारा विवेक मुरझाया हुआ और मरा हुआ है। इसलिए, अब हम सब को इस सत्य पर विश्वास करना चाहिए, ताकि हमारी मर रही आत्मा को बचाया जा सके और फिर से जी सके।
क्या हमारा हृदय इन पीतल की अंकडियों में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करने की इच्छा रखता है? पीतल की अंकडिया जो सत्य बता रही है वह यह है की जब की हम हमारे पापों की वजह से दण्ड पानेवाले थे, लेकिन मसीहा ने बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को ले लिया और हमारी जगह इन पापों के दण्ड को सहा। वास्तव में यीशु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर के अपने लहू के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए पाप के सारे दण्ड को सहा था। ऐसा करने के द्वारा, यीशु मसीह ने हमें विश्वास दिया है और हमें परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए सक्षम बनाया है। 
जब परमेश्वर के सामने किसी के हृदय में पापा है तो उसे नरक में डाल देना चाहिए। हमारे पापों के कारण, हम केवल अनन्त मृत्यु प्राप्त करने के लायक थे। लेकिन मसीहा हमारे पापों के लिए बलिदान का अर्पण बना और इस प्रकार हमें सारे दण्ड से बचाया। हम हमारे पापों के लिए नरक का दण्ड पाने वाले थे, फिर भी मसीहा हमारी जगह दण्डित हुआ यह विश्वास करने के द्वारा, अब हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते है।
हमारे हृदय में इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा, हमें जगत के हमारे पापों से माफ़ी पानी चाहिए और हमारे पापों के दण्ड से बचना चाहिए। उद्धार के इस कार्य को करने के लिए मसीहा ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों का स्वीकार किया, और जगत के इन पापों के लिए क्रूस पर चढ़ा। इस सत्य को जानने और विश्वास करने के द्वारा, हमें केवल पाप की माफ़ी नहीं प्राप्त करनी है लेकिन हमें पाप के दण्ड से बचना भी है। 
हमें विश्वास करना चाहिए की मसीहा ने इस पृथ्वी पर आकर और हाथ रखने की विधि से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को खुद पर स्वीकार किया और इन पापों के दण्ड को भी सहा। यदि मसीहा ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के हमारे सारे पापों को ले लिया है, और यदि इन पापों की कीमत चुकाने के लिए वह क्रूस पर चढ़ा, तो फिर हमें यह विश्वास भी करना चाहिए। जो लोग इस प्रकार विश्वास करते है, उन्हें परमेश्वर नया जीवन देते है।
क्योंकि हम हमारे पापों के लिए नरक में बंधे हुए थे, मसीहा ने हमारे पापों का स्वीकार किया और हमारी जगह वह खुद मरा, इस प्रकार हमारे पाप के दण्ड को सहा। हम लोग जो हमारे पापों के दण्ड की वजह से मरनेवाले थे, उनकी जगह हमारे प्रभु ने हमारी खातिर इस दण्ड को सहा। यदि प्रभु हमें हमारे पापों के न्याय से बचाने के लिए क्रूस पर चढ़ा, तो हमें ऐसा विश्वास करना चाहिए। 
हमें हमारी आत्मा में, हृदय की गहराई में प्रभु के उद्धार को स्वीकार करना चाहिए, हमारी दैहिक इच्छा से नहीं लेकिन उसके वचन में हमारे विश्वास के द्वारा। आपमें से प्रत्येक, जिन्होंने इस उपदेश को सुना है, उन्हें अपने हृदय में इस सत्य पर विश्वास करना चाहिए। क्योंकि मसीहा ने अपने बपतिस्मा और लहू बहाने के द्वारा हमें बचाया है, इसलिए जो लोग विश्वास करते है वे वास्तव में उद्धार पाएंगे। 
यदि लोग विश्वास नहीं करते की वे नरक में बंधे हुए है, तो फिर उन्हें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से आए मसीहा पर विश्वास करने के द्वारा बचने की कोई जरुरत नहीं है। लेकिन यदि लोग विश्वास करते है की वे नरक में बंधे हुए है, तो फिर वास्तव में उन्हें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से आए मसीहा पर विश्वास करने के द्वारा बचने की आवश्यकता है। इसी लिए यीशु ने कहा, “भले चंगे को वैध की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है : मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ” (मरकुस २:१७)। जब वे इस प्रकार अपने हृदय में इस सत्य पर विश्वास करते है, तब वे अपने हृदय में पाप की माफ़ी को प्राप्त करेंगे।
यदि हम परमेश्वर के सामने व्यवस्था के द्वारा खुद को देखे, तो हम यह नकार नहीं सकते की हम पापी है, और इसलिए हमें हमेशा के लिए हमारे पापों का श्राप मिलना चाहिए। न केवल हमें यह अंगीकार करना है की हम हमारे पाप के कारण नरक में बंधे हुए है, लेकिन हमारे अन्दर ऐसे दण्ड से बचने की इच्छा भी होनी चाहिए, ताकि हम इस उपदेश पर विश्वास करने के द्वारा हमारे पापों से शुध्ध हो सके। जीवन का केवल यही मार्ग है की विश्वास के द्वार हमारे सारे पापों के दण्ड को सहना।
तम्बू के पहले आवरण में इस्तेमाल हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुई यीशु की सेवकाई पर विश्वास के बगैर, हम निश्चित रूप से नरक का सामना करेंगे। यीशु ने जो बपतिस्मा लिया और उसने जो क्रूस पर लहू बहाया वह हमारी आत्मा के उद्धार के साथ जुड़ा हुआ है।
क्योंकि हम आदम के वंशज के रूप में पैदा होने की वजह से पापी है, इसलिए हम नरक में बंधे हुए है। इसलिए हमें परमश्वर के सामने अंगीकार करना चाहिए की हम सब पापी है जो नरक की ओर जा रहे है, लेकिन क्या आप अंगीकार करते है? जब परमेश्वर हमारी ओर देखता है, तब वह देखता है की हम नरक में बंधे हुए है, और जब हम परमेश्वर के सामने खुद की ओर देखते है, तब हम भी यह देखते है की हम नरक के लिए बंधे हुए थे। क्योंकि आप और मैं नरक के लिए नियोजित थे इसलिए हमें हमारे पापों से बचाने के लिए उद्धारकर्ता इस पृथ्वी पर आया। 
यहाँ आकर, बपतिस्मा लेकर, और अपना क्रूस बहाकर और मरकर, हमारे प्रभु ने हमें बचाने का खुद का कार्य परिपूर्ण किया। यदि हम मूलभूत रीति से नरक में बंधे हुए नहीं होते, तो प्रभु को यह उद्धार के कार्य को करने की जरुरत नहीं होती। लेकिन स्पष्ट रूप से, भले ही हम नया जन्म पाए हुए लोगों के हृदय में अब पाप नहीं है लेकिन हम भी पहले पापी थे।
जो कोई भी पापी है वह निश्चित रूप से नरक मी जाएगा। पाप की मजदूरी तो मृत्यु है। इसका मतलब है की पापी निश्चित रूप से नरक में डाले जाएंगे। लेकिन जो लोग विश्वास के द्वारा यीशु मसीह के द्वारा दी गई पाप की मागी को प्राप्त करते है वे अनन्त जीवन को प्राप्त करेंगे। जब आपने और मैंने यीशु मसीहा पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास किया, तब प्रभु ने हमारे प्रति खुद के प्रेम से हमें सारे पाप के दण्ड से बचाया। आमीन! हाल्लेलूयाह!
 
 
हमें खुद की जाँच करनी चाहिए और देखना चाहिए की क्या हमारे हृदय प्रभु के द्वारा दिए गए सत्य से भरे हुए है
 
आइए हम खुद की ओर देखे। क्या आप और मैं परमेश्वर के वचन की व्यवस्था के अनुसार विश्वास करते है? यदि करते है, तो फिर परमश्वर के सामने हमारा क्या होगा? क्या हमें परमेश्वर के द्वारा हमारे पाप का दण्ड नहीं मिलना चाहिए? हमारा परमेश्वर अन्यायी परमेश्वर नहीं है जो पापी को दण्ड ना दे। क्योंकि परमेश्वर पवित्र और धर्मनी है, इसलिए वह पापी को बर्दास्त नहीं करता। परमेश्वर ने हमें कहा है की वह उन सभी लोगों को नरक में डालेगा जो विश्वास न करने की वजह से उसके सामने पापी है। 
उसने हमे कहा है की वह उन्हें जलती हुई आग के नरक में डालेगा जहाँ कीड़े भी नहीं मरते। परमेश्वर उन सब लोगों को नरक में डालेगा जो खुद के प्रयासों से अपने पाप साफ़ करने की कोशिश करते है और खुद से अपने हृदय को दिलासा देते है। इसी लिए प्रभु ने ऐसे लोगों से कहा है, हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ!” (मत्ती ७:२३)
उसी रूप से, हमें मसीहा पर विश्वास करना चाहिए, और हमें बपतिस्मा पर विश्वास करना चाहिए जो उसने पृथ्वी पर आने के बाद लिया था, क्रूस के लहू पर, और मृत्यु से उसके पुनरुत्थान पर विश्वास करना चाहिए। क्यों? क्योंकि मूल रूप से कहूँ तो, हम सब परमेश्वर के सामने पापी है और इसलिए नरक से बंधे हुए है। इसी लिए मसीहा नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से आया, अपनी खुद की देह से बलिदान का अर्पण दिया, और इस प्रकार हमारे सारे पापों को मिटाया। इसलिए हमें विश्वास करना चाहिए की प्रभु ने हमारी खातिर बपतिस्मा लिया और क्रूस पर चढ़ा। यदि हम खुद को पहचान नहीं सकते की हम नरक में बंधे हुए है, तो फिर प्रभु के साथ हमारा कोई लेनादेना नहीं है। 
हालाँकि, बहुत सारे लोग यह विश्वास नहीं करते की वे अपने पापों के लिए नरक में नाश होंगे। वे सोचते है की वे अपने चिकित्सक का परामर्श लेने के लिए अच्छे है। ऐसे लोग यीशु को केवल अच्छे व्यक्ति के रूप में देखते है, आदर के योग्य और गुरु, और वे ऐसे लोग है जो अच्छे देखने के लिए ही केवल यीशु पर विश्वास करनेका ढोंग करते है। हमारे प्रभु ने ऐसे लोगों से कहा है, “वैध भले चंगों के लिए नहीं परन्तु बीमारों के लिए आवश्यक है” (मत्ती ९:१२)। उन्हें इसी वक्त बाइबल के द्रष्टिकोण से खुद को जाँचना चाहिए, ताकि वे नरक न जाए।
हम मसीहा पर विश्वास करते है उसका कारण यह है की हम उस पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करने के द्वारा हमारे पापों को माफ़ करना चाहते है। क्या हम खुद की भलाई के लिए मसीहा पर विश्वास नहीं करते। या फिर, कमारे पाप कारण आपके और मेरे लिए मसीहा पर विश्वास करना आवश्यक है। हम इस लिए विश्वास करते है: की यीशु मसीहा इस पृथ्वी पर पैदा हुआ, ३० साल की उम्र में उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया, उसने जगत के पापों को उठाया और क्रूस पर चढ़कर अपना लहू बहाया; और अब वह परमेश्वर पिता की दाहिनी ओर बैठा हुआ है – यह सारी चीजे हमारे पाप की माफ़ी की गवाही देते है। क्योंकि यह सारी चीजे उद्धारकर्ता के कार्य है जिसने हमें हमारे पाप से छुडाया, इसलिए हमें निश्चित तौर पर उन पर विश्वास करना चाहिए।
हमारे खुद खुद की सोच में, तम्बू के आवरण को किसी मोटे कपड़े से बनाना ठीक लग सकता है, लेकिन बाइबल में परमेश्वर ने स्पष्टता से विस्तृत विवरण दिया था की कैसे उसे बनाना है, कैसे कुछ अंकडियों को सोने से और कुछ को पीतल से बनाना है। आपको क्या लगता है की परमेश्वर ने ऐसा क्यों किया? उसने ऐसी आज्ञा दी क्योंकि यह सारी चीजे हमारे सामने अपने आत्मिक महत्त्व को प्रगट करने के लिए थी। इसी लिए हम उसमें से किसी भी चीज को नज़र अंदाज नहीं कर सकते। 
 
 

हमें निश्चित रूप से यीशु मसीह के बपतिस्मा और लहू पर विश्वास करना चाहिए जो मसीहा बना

 
हमारे पापों के कारण, हमें नरक में डाला जाना चाहिए, लेकिन यीशु मसीहा इस पृथ्वी पर आया और हमें हमारे पापों से बचाया। वास्तव में यीशु ने बपतिस्मा लिया, क्रूस पर चढ़ा, और अपना लहू बहाया। उसी रूप से, हमारे लिए यह कहना अवैध होगा की हम यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए उसके लहू पर हृदय से विश्वास किए बगैर पापरहित है। यीशु जो मसीहा बना, वह वास्तव में हमें बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आया, उसने वास्तव में अपने बपतिस्मा के द्वारा मनुष्यजाति के पापों को खुद पर स्वीकार किया, हमारे दण्ड को सहा और मर गया, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इस प्रकार हमारा सच्चा और अनन्त उद्धारकर्ता बना। यीशु ने हमें इस तरीके से बचाया क्योंकि केवल तभी हम इस यीशु पर विश्वास के द्वारा हमारे पापों की माफ़ी पा सकते है। 
उद्धार के कार्य को सम्पूर्ण करने के लिए, मसीहा को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेना पडा और क्रूस पर मरना पडा। इसका मतलब है की प्रारम्भ से, हम हमारे पापों के लिए दण्डित होनेवाले थे। लेकिन वास्तव में, अब हमें इस दण्ड को सहने की जरुरत नहीं है। क्यों? क्योंकि मसीहा जो पापरहित था उसने हमारे पापों का स्वीकार करके हमारे पापों के लिए दण्ड सहा। इसलिए, यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू पर पूरे हृदय से विश्वास करने के द्वारा हम हमारे पापों के सारे दण्ड से छूडाए गए है।
हम देख सकते है की “यीशु आपसे प्रेम करता है!” ऐसा स्टीकर कई गाड़ियों के पीछे के कांच पर लगाया हुआ होता है। क्या यीशु की इच्छा यही है की आप केवल इतना ही जाने? हमारे प्रभु का उद्धार ऐसा नहीं है जो केवल ऐसे शब्दों से बना है। वह चाहता है की आप जाने, “मैं आपसे बहुत प्रेम करता हूँ। इसलिए, मैंने तेरे पापों को माफ़ किया है। केवल मुझ पर विश्वास करो, और मैं तुम्हें मेरी संतान बनाऊँगा।” वास्तव में मसीहा को बपतिस्मा दिया गया और क्रूस पर चढ़ाया गया, और उसने अपना लहू बहाया और मर गया, केवल हमें हमारे पापों से बचाने के लिए। वास्तव में प्रभु ने हमें आनेवाले न्याय से बचाया है और छुडाया है।
प्रभु हमारे पापों की बिमारी को चंगा करने के लिए हमारा चिकित्सक बना। इस पृथ्वी पर आकर, उसने वास्तव में बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को खुद पर उठाया, क्रूस पर चढ़ा और मृत्यु तक लहू बहाया, वास्तव में मृत्यु से जीवित हुआ, और इस प्रकार हमें बचाया। जब हम निश्चित तौर पर हमारे पापों की वजह से नरक में बंधे हुए थे, तब प्रभु ने सही विश्वास के द्वारा हमारे पापों को पहले ही चंगा कर दिया था।
यदि लोग पापी होने के बावजूद भी नरक में नहीं डाले जाते, तो फिर मसीहा को इस पृथ्वी पर आने की और अपना लहू बहाने की कोई जरुरत नहीं थी। लेकिन लोगों को यीशु पर क्यों विश्वास करना करना चाहिए उसका कारण है की उनेक पास पाप की डरावनी बिमारी है जो उन्हें नरक में लेकर जाति है। वास्तव में, जिन लोगों के पास पाप की यह डरावनी बिमारी है वे नरक में जाएंगे, और इस लिए बिना कोई प्रश्न पूछे उन्हें यीशु के बपतिस्मा और लहू पर विश्वास करना चाहिए जो हमारा उद्धारकर्ता बना।
जिन लोगों के हृदय में पाप है वे सब निश्चित तौर पर नरक के दण्ड को प्राप्त करेंगे, क्योंकि जब परमेश्वर की व्यवस्था की बात आती है, तब सारे लोगों के लिए पाप की मजदूरी मृत्यु है। साधारण तरीके से, यदि किसी के हृदय में छोटा सा भी पाप है, तो वह नरक में डाला जाएगा। इसी लिए यीशु को हमारे पास आना पडा। इसलिए जब हम सच में मसीहा पर विश्वास करते है जिसने सम्पूर्ण तरीके से हमारे पापों को दूर किया है, तब हम हमारे सारे पापों से बच सकते है। हमें यीशु पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करना चाहिए, और हमें उसने जो किया है उसी रूप से विश्वास करना चाहिए।
यीशु वास्तव में परमेश्वर है। वह वास्तविक सृष्टिकर्ता है। लेकिन उसने अपनी दैवीय महिमा को एक तरफ रखा और मनुष्य देह में जन्म लिया, केवल आपको और मुझे पाप और नरक के भयानक दण्ड, नाश और श्राप से  छुडाने के लिए। और उसने वास्तव में बपतिस्मा लिया, क्रूस पर चढ़ा, पुनरुत्थित हुआ, और फिर स्वर्ग में उठालिया गया। हम इस वास्तविक सत्य को हलके में नहीं ले सकते, जैसे की यह कोई मज़ाक हो। इस सत्य पर विश्वास करना आपके लिए वैकल्पिक नहीं है। हमें निश्चित तौर पर हमारे हृदय में इस सत्य पर विश्वास करना चाहिए, और हमें निश्चित तौर पर इसे जानना चाहिए।
क्या बलिदान के अर्पण के तौर पर उपयोग किए जाने वाले मेमने और बकरे में कोई पाप होता था? किसी भी पशु को यह अन्दाजा नहीं था की पाप क्या है। लेकिन क्योंकि इन पशुओं ने हाथ रखने के द्वारा पुराने नियम के इस्राएल के लोगों के पापों का स्वीकार किया था, इसलिए उनकी जगह इन पशुओं को मरना जरुरी था। क्यों? क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, और परमेश्वर ने यही निर्धारित किया था। इसलिए प्रायश्चित के दिन का बलिदान का अर्पण जिसने इस्राएल के पापों का स्वीकार किया था उसे भी मरना जरुरी था। इसलिए यीशु मसीह को भी इसी करण मरना पडा, क्योंकि उसने पहले ही अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को उठाया था। 
किसके लिए यह कार्य परिपूर्ण किए गए? वे वास्तव में आपके और मेरे लिए थे। यदि ऐसा है तो फिर हम विश्वास कर भी सकते है और नहीं भी कर सकते? लोग विश्वास नहीं करते क्योंकि वे अपने पाप की बिमारी से पूरी तरह अनजान है। लेकिन यदि वे इस वास्तविकता को जानते है की वे अपने छोटे से छोटे पाप के लिए भी नरक में जाएंगे, तो फिर उन्हें यीशु मसीहा के उद्धार को विकल्प के तौर पर नहीं लेना चाहिए, ऐसा कुछ जिस पर वे विश्वास कर भी सकते है और नहीं भी कर सकते। 
यदि व्यक्ति के अन्दर छोटे से दाने जितना भी पाप है तो वे नरक में डाले जाएंगे। वे नाश होंगे। वे लोग इस पृथ्वी पर जो कुछ भी करते है वे अन्त में नाश होगा। जो लोग सोचते है की पाप होना ठीक है वह गहरा भ्रम है। पाप का परिणाम निश्चित रूप से मृत्यु है। निसंदेह, अभी भी ऐसे बहुत सारे लोग है जो अपने हृदय में पाप होने के बावजूद भी अच्छा जीवन जी रहे है। नौजवान प्रसिध्ध व्यक्ति की आराधना करने के लिए तत्पर रहते है, किसी दिन उनसे मिलाने का सपना देखते है। लेकिन क्या उनका भव्य दिखने वाला जीवन अन्त तक रहेगा? उनमें से बहुत सारे लोग तुच्छ लोग बनेंगे जब उनके जीवन की भव्यता समाप्त होगी। 
कुछ लोग ऐसे भी है जिनके लिए कुछ भी करना बुरा होता है। प्रभु को मिलाने से पहले, आप भी शायद ऐसे ही थे, जब आपके लिए आपकी इच्छा के मुताबिक़ कुछ नहीं होता था। जैसे यदि आप शापित जीवन जी रहे होते, तो आपकी इच्छा के मुताबिक़ कुछ नहीं होता, और आप सोचते थे की सब कुछ अच्छा होगा वह अन्त में बुरा होता। शायद आपने बड़ा सपना देखा होगा, लेकिन वास्तव में कुछ भी कार्यान्विंत नहीं हुआ, और सपना छोटा होता जाता है जब तक की वह मिट नहीं जाता। जब आपको समझ में आता है की आपका छोटे से छोटा सपना भी यथार्थ नहीं होता तब अन्त में आपका सपना पूरी तरह से बिखर जाता है।
ऐसा क्यों था? क्योंकि आपके हृदय में जो पाप है इसलिए। जिन लोगों के हृदय में पाप होते है वे कभी भी खुश नहीं रह सकते। परमेश्वर उन्हें कभी भी आशीष नहीं देता, चाहे भले ही वे कितना भी प्रयत्न करे। यदि कुछ इए लोग है जो पापी होने के बावजूद भी सफल है, तो आपको समझना चाहिए की परमश्वर ने उन्हें छोड़ दिया है। आपको जानना चाहिए की भले ही उनका वर्त्तमान का जीवन सफल है, लेकिन परमेश्वर ने उन्हें नरक में डालने के लिए उनका त्याग किया है। यदि यह दुनिया पापरहित लोगों से भरी हुई होती तो नरक के अस्तित्व की कोई जरुरत नहीं होती। लेकिन परमेश्वर ने वास्तव में नरक बनाया, और उसने यह उन लोगों के लिए बनाया जिनके हृदय में पाप है।
परमेश्वर नेवास्तव में हमारे पाप की माफ़ी के लिए तम्बू का पहला आवरण नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से बनाने का आदेश दिया। और ये यह भी प्रगट करता है की जब नए नियम का समय आएगा, तब यीशु मसीह यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को उठाएगा, और फिर वह इन पापों के दण्ड को सहने के लिए मृत्यु तक क्रूस पर चढ़ाया जाएगा। हमारा प्रभु वास्तव में पापियों का उद्धारकर्ता बना है। 
इसी लिए उसने अपने नीले, बैंजनी, और लाल कापडे के कार्यों के द्वारा पापियों को पाप की माफ़ी दी। क्या आप अब समझते है? यीशु मसीह ने वास्तव में हमारे पापों को लेने के लिए यरदन नदी में बपतिस्मा लिया था, और इन पापों की कीमत चुकाने के लिए वह क्रूस पर चढ़ा और अपना लहू बहाया। उसने हमारे पापों को सहने के लिए बपतिस्मा लिया था। क्या आप विश्वास करते है की पहले यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को ले लिया था इसलिए वह क्रूस पर मरा?
 
 
हमारी देह में, आप और मैं सुइसों की खाल के जैसे थे
 
चौथा आवरण सुइसों की खाल से बना हुआ था। सुइसों स्तनधारी पशु का अनुवादित नाम है जिसे पुराने नियम में हिब्रू में “तकश” कहा जाता है। इसे कुछ अलग अलग स्तनधारी नाम से भी अनुवाद किया गया है – उदाहरण के तौर पर, “वालरस” (NIV), “सिल मछली” (ASV), “बकरी की सूक्ष्म खाल” (NLT), और “सूंस” (NASB)। हम यह पता नहीं लगा सकते की यह स्तनधारी वास्तव में क्या है। बाइबल के भाषा शास्त्री दावे के साथ कहते है की “तकश” शब्द मूल रूप से विदेशी अवकलन है। किसी भी रूप से स्तनधारी “तकश” एक प्राणी था जिसकी खाल का उपयोग तम्बू के चौथे आवरण को बनने के लिए हुआ था। और यह अनुमान लगाना ठीक होगा की यह आवरण सुन्दर माहि था और देखने में आकर्षित भी नहीं था।
सुइसों की खाल का यह चौथा आवरण संकेत करता है की यीशु मसीह मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आए। उसके अतिरिक्त, उसके बाहरी रूप में कुछ भी आकर्षक नहीं था। बाइबल यह कहने के द्वारा उसके रूप का वर्णन करती है, “क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते” (यशायाह ५३:२)। 
परमश्वर का पुत्र मनुष्य की देह में नम्र होकर इस पृथ्वी पर हम सब को बचाने के लिए आया जो अपने मृत्यु तक शर्मनाक जीवन जी रहे थे। जब परमेश्वर हम आदम के वंशज को देखता है, तब वह देखता है की हम भी इस खाल के आवरण की तरह दिखने में बदसूरत है। उसके अतिरिक्त, हमें केवल पाप करना पसंद है। गंदे सुइसों की तरह, मनुष्य भी अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक अपना पेट भरने की इच्छा रखते है। यही वास्तविक कारण है की यीशु मनुष्य की देह में आया, और दण्ड की पीड़ा सही। 
केवल वे लोग जो अपने पापी स्वभाव की गंभीरता को जानते है मसीहा पर विश्वास करा सकते है और अपने पाप और दण्ड से बच सकते है। उसी रूप से, जो लोग अपने खुद के पाप से अनजान है, और जो लोग अपने पाप और दण्ड को जानते और विश्वास नहीं करते, वे पाप की माफ़ी पाने के योग्य नहीं है। परमेश्वर हमें कहता है की ऐसे लोग पशुओं के समान है (भजन संहिता ४९:२०)।
भले ही हम परमेश्वर के स्वरुप और समानता में बनाए गए है, फिर भी सारे लोग परमेश्वर के प्रेम का स्वीकार नहीं करते। जो लोग परमेश्वर की उद्धार की योजना पर विश्वास नहीं करते वे अपने हृदय में पाप की माफ़ी को प्राप्त नहीं कर सकते, और इसलिए वे पशु के समान नाश होंगे। क्योंकि परमेश्वर के पास मनुष्यों के लिए योजना थी की उसने उन्हें अपनी स्वरुप और समानता में बनाया।
लोग क्या करते है और सोचते है उसे नजदीक से देखे। मैं आपको किसी ख़ास व्यक्ति के संबंध में नहीं कह रहा, लेकिन मैं आपको पूरी मनुष्यजाति के संबंध में कह रहा हूँ। ज्यादातर लोग यह भी नहीं जानते की उनका सृष्टिकर्ता को नहीं जानते जिसने उन्हें बनाया है। इसके अलावा, उनमे से कई लोग दावा करते है की उन्होंने पाप नहीं किया, और इसलिए वे दूसरों से बहेतर है। कितने मूर्ख है मनुष्य? जो लोग परमेश्वर को नहीं जानते वे घमंड से भरे हुए होते है। जब हम खुद की तुलना किसी दुसरे से करते है, तब हम वास्तव में क्या अन्तर देखते है? हम कितने अच्छे या बुरे है? और फिर भी लोग खुद की इच्छा को पूरी करने के लिए दूसरों को हानि पहुंचाते है – यह कितना गलत है?
यहाँ तक की हम ये भी नहीं समझ पाते की सारे लोग अपने जीवनकाल में परमेश्वर के खिलाफ में कितने पाप करते है। मैं मनुष्य की निंदा करने के लिए यह नहीं कह रहा हूँ, लेकिन मैं केवल हकीकत की ओर संकेत कर रहा हूँ की परमेश्वर ने मनुष्यों को मूल्यवान बनाया था, उनमे से ज्यादातर लोग अभी भी ये नहीं समझ पाए है की वे लोग अपने पाप की वजह से नाश होनेवाले है। लोग ये नहीं जानते की अपनी आत्मा का ख़याल कैसे रखना है, वे खुद के लिए अपना भविष्य तैयार नहीं कर सकते; वे परमेश्वर के वचन को नहीं समझते; और उनके पाप अपने विनाश से बचने का ओर कोई रास्ता नहीं है फिर भी वे परमेश्वर पर विश्वास नहीं करना चाहते। कोई ओर लोग नहीं लेकिन यही लोग पशु के समान नाश होने वाले लोग है। 
 
 
लेकिन परमेश्वर ने हमें नाश होने के लिए छोड़ नहीं दिया
 
वास्तव में, हमें हमारे पापों से बचाने के लिए, यीशु इस पृथ्वी पर आया, और हमारे सारे पापों को मिटाने के लिए, उसने बपतिस्मा लिया, क्रूस पर अपना लहू बहाया, और मृत्यु से फिर जीवित हुआ। इस प्रकार प्रभु हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बना। हमें इस सत्य पर विश्वास करना चाहिए। क्या आप विश्वास करते है? शायद, आप अपने घमंड और बाइबल के ज्ञान के अभाव के कारण ये नहीं कह रहे, “इसमे क्या बड़ी बात है? यदि हम किसी भी तरह यीशु पर विश्वास करे, तो फिर हम सब स्वर्ग में जाएंगे”? और ऐसे लोग भी है जो कहते है, “यदि हम केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करे, तो स्वर्ग हमारा है।” लेकिन क्या इस प्रकार का विश्वास वास्तव में सही है?
वास्तव में परमेश्वर सच्चाई का परमेश्वर है। वो वही है जिसने हमसे उसकी योजना के बारे में बात की थी, जिसने अपने वचन के अनुसार उद्धार के कार्य को परिपूर्ण किया था, जिसने हमें पाप की माफ़ी दी है, और जो इस सत्य के द्वारा हमसे मिलता है। परमेश्वर जिन्दा है। परमेश्वर अभी यहाँ ही है, हम में से हर एक के साथ। जिन लोगों के हृदय में पाप है उन्हें परमेश्वर को धोख़ा नहीं देना चाहिए। यदि लोगों के हृदय में पाप है और उनका विवेक उनके नियंत्रण में नहीं है, तो फिर उन्हें यीशु के बपतिस्मा और उसने बहाए हुए लहू पर विश्वास करने के द्वारा इस समस्या को सुलझाना चाहिए। पापी व्यक्ति को सत्य पर विश्वास करना चाहिए की क्योंकि वे नरक में बंधे हुए थे, इसलिए प्रभु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस के अपने लहू के द्वारा उनको बचाया है। 
ऐसा कोई नहीं है जो पानी और लहू के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा खुद के पापों की समस्या को सुलझाने के योग्य न हो। लेकिन जैसे हमारे प्रभु ने हमें पानी, लहू और आत्मा से बचाया है (१ यूहन्ना ५:६-८), यदि हम इस सत्य को नहीं जानते ओर नहीं समझते और नाश हो जाते है, तो फिर इस परिणाम पूरे जिम्मेदार हम है। हम सब को परमेश्वर के सामने अंगीकार करना चाहिए, “मैं नरक में बंधा हुआ हूँ क्योंकि मैं पापी हूँ। लेकिन मैं पानी, लहू और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता हूँ।” हमारे पास ऐसा विश्वास होना चाहिए। हमें हमारे हृदय में विश्वास करना चाहिए की प्रभु ने हमें पानी, लहू और आत्मा के द्वारा हमारे पापों से बचाया है। हमारे शुध्ध हृदय और विश्वास से हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार में प्रगट हुए सत्य के साथ जुड़ना चाहिए। केवल तभी हम हमारे सारे पापों से बच सकते है।
उसी रूप से, हमें इन सारी चीजों को समझना चाहिए, और हमें इस सत्य पर विश्वास करना चाहिए। मिलापवाले तम्बू और पानी और आत्मा के सुसमाचार में प्रगट हुए सत्य को जाने बगैर कुछ लोग विश्वास करते है की, “क्योंकि मैं विश्वास करता हूँ इसलिए मेरे अन्दर पाप होने के बावजूद भी मैं स्वर्ग में जाउंगा।” लेकिन परमेश्वर ने कहा है की जिनके अन्दर पाप है वे सब नरक में जाएंगे; उसने ऐसा नहीं कहा है की वे यीशु पर विश्वास करते है इस लिए उनके अन्दर पाप होने के बावजूद भी वे नरक में नहीं जाएंगे। यह सबसे बड़े मूर्ख बनने के सदृश है। वे यीशु पर विश्वास करते है इस लिए वे स्वर्ग में जाएंगे यह कहना, वास्तव में वे जिस पर चाहे उस पर विश्वास करना उनके मूर्ख, घमण्डी, और सम्पूर्ण अंधे विश्वास का प्रतिबिम्ब है।
किसी दुसरे दिन, “मैंने किसी एक व्यक्ति को भी नरक में जाते हुए नहीं देखा, न ही मैंने किसी को स्वर्ग में प्रवेश करते हुए देखा। हम न्याय के दिन तक पता नहीं लगा सकते।” लेकिन वास्तव में स्वर्ग और नरक है। क्या इस दुनिया में केवल वही चीजे है जिन्हें हम अपनी आँखों से देख सकते है? क्या आप हवा को अपनी आँखों से देख सकते है? निश्चित रूप से अनदेखी वस्तुओं का राज्य भी है। सारे पापी जो परमेश्वर को न देख पाने के कारण उस पर विश्वास नहीं करते वे नाश होने वाले पशु के जैसे है। 
उसी रूप से, लोगों को समझना चाहिए की यदि उनके हृदय में पाप है, तो उनका नाश होगा, और इसलिए उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके परमेश्वर के न्याय से बचना चाहिए। समझदार लोग वे है जिन्होंने अपने आसपास के लोगों के साथ बहुत गलत नहीं किया फिर भी और परमेश्वर के विरुध्ध में भी कुछ गलत नहीं किया फिर भी इस बात का स्वीकार करते है की जब वे परमेश्वर के सामने खड़े होंगे तब उनका न्याय होगा। 
हमें हमारे घमंड के कारण और परमेश्वर और उसके न्याय के अपमान के कारण नाश नहीं होना चाहिए। वह निश्चित रूप से प्रत्येक पापी को नरक की अनन्त आग से दण्ड देगा। यदि लोग तम्बू में प्रगट हुए सत्य को सुनने के बावजूद भी उस पर विश्वास न करने क कारण नाश होते है, तो वे शैतान की संतान है। मसीहा हमसे यही चाहता है की हम सब ऐसे विश्वास को प्राप्त करे जी हमें पाप की माफ़ी को प्राप्त करने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य बनाए।
 
 
परमेश्वर ने हमें खिलौने के जैसे नहीं बनाया
 
जब परमेश्वर ने हम मनुष्यों को बनाया, तो उसका उद्देश्य यह था की वह हमें पाप से उत्पीड़ित न होकर जीवन जीने के योग्य बनाए, और हमेशा परमेश्वर की संतान के रूप में उसके साथ अनन्त जीवन, भव्यता, और महिमा का आनन्द उठाए। हमें नरक में न भेजने के लिए, मसीहा ने बपतिस्मा लिया, क्रूस पर अपना लहू बहाया, और इस प्रकार हमारे सारे पापों की मिटाया। जब परमेश्वर ने हमें इतना प्रेम किया, तो यदि हम इस प्रेम को नहीं स्वीकारते है और उसके दिए हुए उद्धार पर आधा विश्वास ही करते है, तो फिर हम निश्चित तौर पर परमेश्वर के क्रोध से नहीं बच पाएंगे। 
परमेश्वर ने अपने खुद के बेटे का बलिदान देकर हमें हमारे पापों से बचाया है। क्योंकि मसीहा ने हमारे सारे पापों को खुद की देह पर उठाने के लिए बपतिस्मा लिया था और खुद को हमारे पापों के बलिदान के रूप में दे दिया इस तरह उसने वास्तव में हमें जगत के हमारे सारे पापों से बचाया। क्योंकि हम हमारे पापों के लिए नरक में बंधे हुए थे की हमारे प्रभु ने हम पर दया की, और इसके कारण उसने बपतिस्मा लिया, मृत्यु तक लहू बहाया, और इस प्रकार हमें हमारे सारे पापों से बचाया और हमें परमेश्वर की संतान बनाया। परमेश्वर ने हमें खिलोने के रूप में नहीं बनाया है।
कुछ समय पहले, जब मेरे कलीसिया की एक बहन कोलेज में थी, तब मुझे उसके दीक्षा समारोह में हिस्सा लेने का मौक़ा मिला। वहाँ उसकी आर्ट गैलरी में, मैंने तरह तरह के चित्र देखे। दीक्षा प्राप्त करनेवाली क्लास के द्वारा बनाया गया एक कैनवास का चित्र था जिसमे आदम और हव्वा भले बुरे के ज्ञान के पेड़ से फल खा रहे थे ऐसी तस्वीर थी, उसका शीर्षक था, “क्या परमेश्वर ने मनुष्यों को खिलौनों के रूप में बनाया है?” किसी ने कैनवास के निचे इस प्रश्न का उत्तर लिखा था, “परमेश्वर उब गया था, इसलिए उसने हमें उसके खिलौने के रूप में बनाया।” 
इस उत्तर से गलत ओर कुछ भी नहीं है। तो फिर क्यों परमेश्वर ने भले बुरे के ज्ञान का पेड़ बनाया और आदम और हव्वा से कहा की इसमे से न खाना? आख़िरकार, वह जानता था की वे फल खाएंगे, और फिर भी उसने पेड़ को बनाया और उन्हें फल न खाने के लिए कहा। जब उन्होंने खाया, फिर उसने उनको पाप में गिरने की वजह से अदन की वाटिका में से निकाल दिया। फिर उसने कहा की पापी सीधा नरक में डाला जाएगा। परमेश्वर ने ऐसा क्यों किया? क्या परमेश्वर ने हमें इस लिए बनाया है क्योंकि उसके पास कोई खिलौना नहीं था और वह उब गया था? क्या उसने मनुष्यों को इसलिए बनाया क्योंकि वह बहुत उब गया था और अब ज्यादा खड़े नहीं रह सकता था? बिलकुल नहीं!
भाइयों और बहनों, वास्तव में परमेश्वर हमें उसकी निज प्रजा बनाना चाहता था, हमें अविनाशी बनाकर और हमारे साथ हमेशा आनन्द से रहना चाहता था। मनुष्यजाति के लिए यह सब करने के द्वारा परमेश्वर का विचार यह था की वो हमें अविनाशी प्राणी बनाए जो अनंतकाल की भव्यता और महिमा का आनन्द उठाए और जो हमेशा महिमावंत जीवन जिए। इस प्रकार, जब आप और मैं शैतान के द्वारा भरमाए गए, पाप में गिरे और नरक के लिए नियोजित किए गए, तब परमेश्वर ने हमें बचाने के लिए अपने एकलौते पुत्र को इस पृथ्वी पर भेजा। और पुत्र के बपतिस्मा लेने और जगत के पापों को उठाने के द्वारा, अपना लहू बहाया, और मृत्यु से फिर जीवित हुआ, परमेश्वर ने हमें शैतान से बचाया।
हालाँकि, कई लोगों को यह विकृत गलतफहमी है की परमेश्वर ने उदासी दूर करने के लिए हमें खिलौने के रूप में बनाया है। जिन्होंने यीशु पर विश्वास करना बंद कर दिया है और जिन्होंने आरम्भ से ही यीशु पर विश्वास नहीं किया इन दोनों तरह के लोग वे है जो अपनी कड़वाहट में परमेश्वर से कहते है, “क्यों परमेश्वर ने मिझे बनाया और फिर मुझे पीड़ा दी? क्यों वह आग्रह करता है की मुझे विश्वास करना चाहिए? क्यों वह कहता है की यदि मैं विश्वास करू तो ही वह मुझे उद्धार देगा, और यदि न करू तो नहीं देगा? वे ऐसी बाते कहते है क्योंकि वे उद्धार की परम विधि को नहीं जानते जो परमेश्वर ने मनुष्यजाति को दी है।
मसीहा की यह परम विधि हमें परमेश्वर के लोगों के रूप में स्वीकार करना और इस तरह हमें उसकी संतान बनाना, और उसके परिवार के रूप में हमें स्वर्ग के सारी महिमा और भव्यता का आनन्द उठाने के योग्य बनाना थी। ये मनुष्यजाति की उत्पत्ति के लिए परमेश्वर का उद्देश्य है। मैंने खुद जब तक पानी और आत्मा से नया जन्म नहीं पाया तब तक इस सच्चाई को नहीं जानता था। लेकिन पाप की माफ़ी और नया जन्म पाने के बाद, मैं जान पाया, “अरे! तो इसी लिए परमेश्वर ने मुझे बनाया है!”
जब मसीहा २,००० साल पहले इस पृथ्वी पर आए थे तब उसने हमारे पापों को उठाने के लिए वास्तव में क्या किया था? हमारे पापों को सहने के लिए उसने क्या किया था? उसने बपतिस्मा लिया और अपना लहू बहाया! और ये सब धर्मी कार्य और धर्मी बलिदान हमारे पापों को मिटाने के लिए था।
इस में यह कारण निहित है की क्यों हमें परमेश्वर में विश्वास करना चाहिए, और क्यों हमें यीशु मसीह पर हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करना चाहिए। यश इसलिए क्योंकि आप और मैं नरक में बंधे हुए थे इसलिए परमेश्वर को खुद इस पृथ्वी पर हमें बचाने के लिए आना पडा। दुसरे शब्दों में, यीशु को यूहन्ना से बपतिस्मा लेना पडा, क्रूस पर मरना पडा, और मृत्यु से जीवित होना पडा। वास्तव में हम पाप की माफ़ी पर क्यों विश्वास करते है उसका कारण नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुआ है ताकि हम हमारे सारे पापों से माफ़ी पाए। यह हमारे लिए परमेश्वर की योजना को परिपूर्ण करने के लिए है की हमारे अन्दर विश्वास होना चाहिए। और जब हम प्रभु के उद्धार पर विश्वास करते है, तब हम किसी दुसरे के फायदे के लिए ऐसा नहीं करते, लेकिन हमारे खुद के फायदे के लिए करते है।
 
 
अब परमेश्वर के उद्धार के सत्य पर विश्वास करने के लिए शीघ्र समय है
 
यदि कोई भी व्यक्ति निम्नलिखित समझ तक पहुँचना चाहता है, तो उस व्यक्ति को अभी अपना गलत विश्वास छोड़ देना चाहिए और अपने हृदय में पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए: “मैं नहीं जानता हूँ की मैं नरक में बंधा हुआ हूँ। मैं केवल विश्वास करता हूँ क्योंकि मुझे कहा गया था की यीशु में मेरे पापों को मिटा दिया है। लेकिन मेरा विश्वास गलत समझ पर आधारित था! अब मुझे सीखना चाहिए की सच्चा विश्वास क्या है और उस ज्ञान के ऊपर मेरा विश्वास रखना चाहिए। अब तक मैं गलत विश्वास करता था, लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। अबसे मुझे केवल यह समझना है, की मैं मेरे पापों की वजह से नरक के लिए नियोजित था, मेरे हृदय में विश्वास करना है की मसीहा ने अपने बपतिस्मा और लहू बहाने के द्वारा मुझे बचाया है, और फिर मेरे पापों की माफ़ी को प्राप्त करना है। इसलिए मैं नरक में बंधा हुआ था!”
वास्तव में, केवल कुछ गिने चुने मसीहियों को ही पानी और आत्मा के सुसमाचार की सही समझ है। मैं भी जब से मसीही बना हूँ तब से यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को ले लिया और मृत्यु तक क्रूस पर चढ़ा यह समझने में १० साल लग गए, और केवल तब फिर से यीशु पर मेरे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करने के बाद मैं सही रीति से उद्धार पाया। और इसलिए मसीही बनने के १० साल बाद, मैंने अपने गलत विश्वास को फेंक दिया, और पानी और आत्मा की सही समझ तक पहुँचा और इस पर सही तरीके से विश्वास किया। लेकिन दूसरों के लिए, शायद सत्य को जानने और फिर से विश्वास करने के लिए २० साल लग सकते है। 
जब ऐसे लोग २० साल के बाद भी यह समझते है की परमेश्वर ने पानी और आत्मा से उन्हें बचाने की योजना बनाई थी, तो फिर उन्हें विश्वास करना चाहिए की यीशु ने उनके खुद के पापों के लिए बपतिस्मा लिया और क्रूस पर चढ़ा। परमेश्वर के सामने सत्य को जानते हुए उस पर विश्वास करने से इनकार करने से बुरा ओर कुछ नहीं है। लेकिन यदि अब उनको पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना है, यहाँ तक की मसीही के रूप में १०, २० साल जीवन जीने के बाद, तो क्या यह बुरा है? बिलकुल नहीं! वास्तव में इसके बारे में कुछ भी गलत या शर्मजनक नहीं है। जब लोग वास्तव में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए पाप की माफ़ी पर विश्वास करते है, तब वे वास्तव में उद्धार पाते है। पानी और आत्मा के सुसमाचार पर का विश्वास परमेश्वर को प्रसन्न करता है। मैं आशा करता हूँ की आप सब इस उद्धार पर विश्वास करेंगे जो वास्तव में उपलब्ध है, जिसकी परिपूर्णता नीले और लाल कपड़े से आई।
तम्बू के आवरण विस्तृत जानकारी से बने थे। लाल रंग से रंगी मेढ़े की खाल को बकरे के बल से बने आवरण के ऊपर रखा गया था, और सुइसों की खाल को सबसे ऊपर रखा गया था इस वास्तविकता को देखते हुए हम यह स्पष्ट रूप से सत्य को प्रगट होते हुए देख सकते है की हम सब नरक में बंधे हुए है, लेकिन हमारा प्रभु इस पृथ्वी पर आया, बपतिस्मा लेने के द्वारा वास्तव में हमारे पापों को उठाया और क्रूस पर अपना लहू बहाने और मरने के द्वारा हमारे इन पापों के लिए बलिदान का अर्पण बना। हम सब पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास कर सकते है। प्रभु ने वास्तव में हमें नीले, बैंजनी, और लाला कपड़े में प्रगट हुए यीशु के कार्यों के द्वारा बचाया है। तम्बू के आवरण में ओर कोई नहीं लेकिन यही उद्धार का रहस्य निहित है।
केवल बाइबल के बारे में सिखना ही महत्वपूर्ण नहीं है। केवल सिखना परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करता, लेकिन विश्वास करना – अर्थात्, यदि बाइबल हमें बताती है की परमेश्वर ने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए यीशु के कायों के द्वारा हमें बचाने का फैसला किया है, तो फिर आपको और मुझे इसे हमारे हृदय में स्वीकार करना चाहिए और विश्वास करना चाहिए। इसी तरह हम परमेश्वर को प्रसन्न कर सकते है। यदि हम वास्तव में हमारे हृदय में परमेश्वर के वचन सुनते है, हमारे खुद के पापों को पहचानते है, और प्रभु के बपतिस्मा और क्रूस पर के लहू पर विश्वास करते है, तो फिर हम वास्तव में पाप की माफ़ी को प्राप्त करते है। लेकिन यदि हम परमेश्वर के द्वारा दी गई इस पाप की माफ़ी पर विश्वास नहीं करते है, और उस पर केवल एक काल्पनिक बात के रूप में विश्वास करते है, तो फिर हम निरंतर दोषी विवेक के साथ पीड़ा को सहेंगे। 
यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा हमारे मूल पापों की समस्या को नहीं सुलझाते तो यह दोषी विवेक निरंतर हमारे हृदय को खाता रहेगा। हालाँकि, यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करे, तो हम इस दोषी विवेक से स्वतंत्र हो जाएंगे, क्योंकि जब हम सम्पूर्ण पाप की माफ़ी को प्राप्त करने के द्वारा पापरहित बनते है, तो हम फिर से पाप से उत्पीड़ित कैसे हो सकते है? इसी तरह हमें वास्तव में विश्वास करना चाहिए। हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए और हमारे पाप की सारी समस्या को सुलझाना चाहिए। जो लोग ऐसा करने से विफल होते है उनके पास पाप के बंधन में रहने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। 
जीवन बहुत ही छोटा है, और दुःख से भरा हुआ है। परमेश्वर सारे मनुष्यों के जीवन में दुःख को अनुमति देता है। परमेश्वर हमारे लिए दुःख को अनुमति देता है उसका कारण क्या है? क्योंकि हमारे पाप के दुःख के कारण वह हमें पान्नी और आत्मा के सुसमाचार की बहूमुल्यता समझाना चाहता है ताकि हम इस सुसमाचार पर विश्वास करे और इस प्रकार हम पाप से मुक्त हो जाए। उसने आपको पाप की पीड़ा दी ताकि आप अपने हृदय में विश्वास करे की मसीहा ने अपने बपतिस्मा और क्रूस के लहू से आपके सारे पापों को साफ किया है। पानी और आत्मा के सुसमाचार पर सच्चाई के रूप में विश्वास न करना सबसे बड़ी मूर्खता का कम करना है। मनुष्यों के पाप केवल उस विश्वास के द्वारा शुध्ध हो सकते है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता है।
परमेश्वर हमें सच्चे सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा हमारे पाप की समस्या को सुलझाने के लिए कह रहा है। इसलिए हमें यीशु, सच्चे उद्धारकर्ता पर विश्वास करना चाहिए। आपको भी अपने हृदय में यीशु मसीहा पर उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करना चाहिए। आपको परमेश्वर के सामने आपके पापों का अंगीकार करना चाहिए, पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए, और इस प्रकार उद्धार प्राप्त करना चाहिए। जब आप अपने हृदय में उद्धारकर्ता यीशु के बपतिस्मा और उसके क्रूस के लहू पर विश्वास करते है, तब आप वास्तव में अपने पापों की माफ़ी पाते है। जब हम यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू पर सच्चाई के रूप में विश्वास करते है केवल तभी हम हमारे सारे पापों से बच सकते है।
 
 
आवरण का क्रम हमारे उद्धार के क्रम के समान ही है
 
जब हमारे उद्धार के क्रम की बात आती है, तब सबसे बड़ी प्राथमिकता यह जानने को देना है की जिस पल हम इस दुनिया में पैदा हुए, तब हम सब सुइसों की तरह पापी थे, जो नाश होनेवाला प्राणी है। और हमें विश्वास करना चाहिए की हम निश्चित तौर से हमारे पापों की वजह से मरनेवाले थे और नरक में जाने वाले थे। इसके अतिरिक्त, हमें यह भी विश्वास करना चाहिए की हमारे पापों से छूटकारा पाने के लिए, हमें बलिदान के अर्पण की जरुरत है, और उसी रूप से, मसीहा को वास्तव में आकर बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को उठाना है। हमें विश्वास करना है की हमारा उद्धारकर्ता मनुष्य नहीं है, लेकिन खुद परमेश्वर है। और हमें विश्वास करना चाहिए की उद्धारकर्ता यीशु ने वास्तव में हमें अपने बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा हमारे सारे पापों से बचाया है।
यदि ऐसा नहीं होता, तो परमेश्वर तम्बू के लिए केवल दो आवरण ही बनवाता। यदि यीशु के बपतिस्मा को छोड़ कर उद्धार मिलता, तो तम्बू के लिए चार भिन्न आवरण बनाने की जरुरत नहीं होती, और परमेश्वर ने केवल सुइसों की खाल और मेढ़े की खाल से आवरण बनाया होता। लेकिन क्या वास्तव में केवल यही दो आवरण इस्तेमाल हुए थे? नहि! तम्बू को चार भिन्न भिन्न आवरणों से ढँका गया था; नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना पर्दा; दूसरा पर्दा बकरे के बाल से बना हुआ था; फिर दूसरा पर्दा मेढ़े की खाल से बनाया गया था; और आख़री वाला सुइसों की खाल से बनाया गया था। 
हमें सत्य पर जैसा वह है वैसे ही विश्वास करना चाहिए – अर्थात्, यीशु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे सारे पापों का स्वीकार किया, क्रूस पर मरा, और इस प्रकार हमारी गन्दी आत्मा को बचाया जो पाप के कारण नरक में बंधी हुई थी, हमें परमेश्वर की प्रजा बनाया। तम्बू के चारों आवरण में छिपा रहस्य यही है, और जिस क्रम में तम्बू के ऊपर इन चारों आवरणों को रखा गया था वह ओर कुछ नहीं लेकिन हमारे उद्धार का क्रम है।
तम्बू के पहले और दुसरे आवरणों को एक दुसरे के साथ जोड़ने के लिए, सोने और पीतल के अंकडियों की जरुरत पड़ी। और परदों के दोनों सेट की छोर पर जो प्रत्येक आवरण को एक साथ जोड़ता है, वहाँ नीले धागे से बना फंदा रखा गया था। लेकिन जो लोग केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करते है उनके लिए, यह जानना असंभव है की नीले धागे के फंदे में जोड़े गए सोने और पीतल के अंकडियों का वास्तव में क्या मतलब है। जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है केवल वे लोग चार आवरणों में छिपे सत्य को समझ सकते है और विश्वास कर सकते है।
नीले धागे से बना फंदा यीशु ने यरदन नदी में लिए बपतिस्मा को दर्शाता है। तो फिर लोग क्यों यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास नहीं करते जिसके द्वारा यीशु ने जगत के पापों को उठाया था लेकिन केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करते है? यह इसलिए क्योंकि वे परमेश्वर के वचन पर जैसा है वैसा विश्वास नहीं करते। जब हम यीशु पर विश्वास करने का दावा करते है, तब हम परमेश्वर के वचन में कुछ जोड़कर या घटाकर सही रीति से विश्वास नहीं कर सकते। हमें “हां” कहने के द्वारा परमेश्वर के वचन में जैसा लिखा है उसी रीति से विश्वास करना चाहिए।
यीशु पर विश्वास करने का दावा करनेवाले लोगों के बिच, ज्यादातर लोग केवल उसके बहाए हुए लहू पर ही विश्वास करते है, और उसने प्राप्त किए हुए बपतिस्मा को छोड़ देते है। इसी लिए बहुत सारे मसीही तम्बू के आवरणों में छिपे रहस्य को नहीं जान पाते। और इसी लिए आज के मसीही पाप की सच्ची माफ़ी पर विश्वास नहीं करते जिसे मसीहा ने परिपूर्ण किया था। वे यीशु पर केवल जगत के एक धर्म के स्थापक के रूप में विश्वास करते है, ये सब व्यर्थ है। उसी रूप से, बहुत सारे मसीही वास्तव में गलत मार्ग पर चल रहे है। वे हरदिन पाप करते है, और फिर भी दावा करते है की हरदिन पश्चाताप करने के द्वारा वे स्वर्ग में जाएंगे। यह समझाता है की क्यों दुनिया के लोग अकसर मसीहियों का अनादर करते है। 
जब हम मसीहियों से पूछते है, “कैसे. और किस तरह के विश्वास के साथ हम हमारे पापों की समस्या को सुलझा सकते है?,” तब उनमें से ज्यादातर लोग कहते है, “हम क्रूस पर बहाए यीशु के लहू पर विश्वास करके पश्चाताप की प्रार्थना करने से इसे सुलझा सकते है।” जब हम उन्हें पूछते है, “तो फिर क्या वास्तव में आपके हृदय में आपके पाप सुलझ गए है?,” वे प्रत्युत्तर देते है, “वास्तव में, मेरे हृदय में अभी भी पाप बचा हुआ है।” जिन लोगों के हृदय में पाप है वे अभी भी परमेश्वर के लोग नहीं है। ऐसे लोग यीशु मसीह के बहार है। उन्हें जल्दी है पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा यीशु मसीह में आना चाहिए।
हमें विस्तृत रूप से जानना चाहिए की कैसे हमारे प्रभु ने हमारे पापों को मिटाया। यह उसने यूहन्ना से लिए हुए बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को क्रूस तक लेजाने के द्वारा और अपना लहू बहाने के द्वारा प्रभु ने वास्तव में हमारे पापों को मिटाया है। यदि हम परमेश्वर की उपस्थिति में प्रवेश करना चाहते है, तो फिर हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से बुने हमारे उद्धार पर विश्वास करने के द्वारा प्रवेश करना चाहिए। कोई फर्क नहीं पड़ता की व्यक्ति कितनी भक्ति के साथ परमेश्वर पर विश्वास करता है, फिर भी उसके लिए यह सम्भव है की अब तक वह गलतफहमी और गलत तरीके से विश्वास करता हो। हमारे लिए स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए, हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से बने उद्धार को सत्य के रूप में स्वीकार करना चाहिए और उस पर विश्वास करना चाहिए जिसके द्वारा वास्तव में मसीहा ने हमारे पापों को मिटाया था।
यदि परमेश्वर के सामने हमारा विश्वास गलत है, तो फिर हमें इसे सुधारना चाहिए और फिर से सही तरीके से विश्वास करना चाहिए, चाहे कितनी भी बार। हमें उद्धार पर सत्य के रूप में विश्वास करना चाहिए, की वास्तव में प्रभु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को उठाया और उन सबको साफ़ किया। हमें वास्तव में विश्वास करना चाहिए की प्रभु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों को ले लिया और उसने क्रूस के लहू के द्वारा हमारे पाप के सारे दण्ड को सहा। 
तम्बू के नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुई यीशु की सच्ची सेवकाई पर विश्वास के साथ, हम मसीहा को मिल सकते है। तम्बू के द्वारा, अब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार को अच्छी रीति से समझ सकते है, और यह भी समझ सकते है की इसका विश्वास नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कापडे में प्रगट हुए सत्य पर स्थापित है। महत्वपूर्ण सत्य यह है की अब हम सब ऐसे लोग बने है जो अपने हृदय में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से बने उद्धार पर विश्वास करते है।
अब हम सत्य के बारे में सुन रहे है और सिख रहे है जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कापडे से बने तम्बू में निहित है। वास्तव में मसीहा ने पहले से ही नीले, बैंजनी,और लाल कपड़े में प्रगट हुए अपने कार्य के द्वारा हमारे पापों को मिटाया है और अब वह हमारा इंतज़ार कर रहा है।
परमेश्वर आपको अपने पूरे हृदय से इस सत्य पर विश्वास करने की चेतावनी दे रहे है। क्या अभी भी आपके हृदय में पाप है? तो फिर आप सबको परमेश्वर के सामने स्पष्ट रूप से स्वीकार करना चाहिए की आपके हृदय के पाप कितने गंदे है, अपने पापों का अंगीकार करे, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करे, और इस प्रकार अपने पापों की माफ़ी को प्राप्त करो। जब आप सच में विश्वास करते है की यीशु ने आपके सारे पापों को माफ़ किया है, तब आप अपने हृदय के सारे पाप उसके ऊपर पारित कर सकते है और पाप की सम्पूर्ण माफ़ी को पा सकते है।
हम सब को अपने हृदय में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बने पाप की माफ़ी पर विश्वास करना चाहिए जिसकी योजना परमेश्वर ने वास्तव में हमारे लिए बनाई थी। परमेश्वर ने हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से बनी यीशु की सेवकाई का अद्भुत सुसमाचार दिया है, इस प्रकार उसने हमें पाप की माफ़ी प्राप्त करने के लिए और उसकी संतान के रूप में सारी सामर्थ्य और अधिकार का आनन्द उठाने के लिए योग्य बनाया है। प्रभु ने हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए उद्धार के कार्य पर विश्वास करने के द्वारा हमारे सारे पाप और दण्ड से उद्धार पाने और अनन्त जीवन को प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाया है। 
मैं प्रभु का धन्यवाद करता हूँ की उसने हमारे लिए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास करने के द्वारा उद्धार प्राप्त करने को सम्भव बनाया। इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा, हम हमारे सारे पापों की माफ़ी पा सकते है और विश्वास से स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते है। हाल्लेलूयाह!