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Проповіді

विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-14] पर्दा जो फट गया (मत्ती २७:५०-५३)

पर्दा जो फट गया
(मत्ती २७:५०-५३)
“तब यीशु ने फिर बड़े शब्द से चिल्‍लाकर प्राण छोड़ दिए। और देखो, मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया : और धरती डोल गई और चट्टानें तड़क गईं, और कब्रें खुल गईं, और सोए हुए पवित्र लोगों के बहुत से शव जी उठे, और उसके जी उठने के बाद वे कब्रों में से निकलकर पवित्र नगर में गए और बहुतों को दिखाई दिए।” 
 
 
परमपवित्र वह स्थान था जहाँ परमेश्वर निवास करते थे। और केवल महायाजक ही साल में एक बार प्रायश्चित के दिन इस्राएलियों के पापों की माफ़ी के लिए बलिदान के बकरे का लहू लेकर परमपवित्र स्थान में प्रवेश कर सकता था। उसने ऐसा किया क्योंकि मिलापवाले तम्बू का परमपवित्र स्थान, परमेश्वर का घर, पवित्र स्थान था जहाँ वह बलिदान के लहू को लिए बिना प्रवेश नहीं कर सकता था, जिसके सिर पर उसने पापियों के अपराधों को मिटने के लिए हाथ रखे थे। अलग तरह से देखे तो, जब तक महायाजक परमेश्वर के स्थान में प्रवेश करने से पहले बलिदान अर्पण करके अपने पापों की माफ़ी नहीं प्राप्त करता था तब तक वह परमेश्वर के दोष से बच नहीं सकता था।
मंदिर का पर्दा कब फटा? वह तब फटा जब यीशु ने क्रूस पर अपना लहू बहाया और मर गया। क्यों उसने मरने के लिए क्रूस पर अपना लहू बहाया? क्योंकि यीशु, परमेश्वर का पुत्र, मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आया, यरदन नदी में यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा उसने पापियों के सारे अपराधों को ले लिया। क्योंकि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया था, इसलिए यदि वह क्रूस पर अपना लहू बहाए और मरे केवल तभी वह इन पापों के दोषों को मिटा सकता था। इसलिए परमेश्वर के घर का पर्दा जो परमपवित्र स्थान को पवित्र स्थान से अलग करता था वह ऊपर से निचे तक फट गया। इसका मतलब है की पाप की दीवार जो परमेश्वर को मनुष्यों से अलग कराती थी वह एक ही बार में हमेशा के लिए गिर गई।
दुसरे शब्दों में, यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था और क्रूस पर लहू बहाया था उसके द्वारा उसने सारे पापों को दूर किया है। यीशु के बपतिस्मा और लहू से परमेश्वर पिताने एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों को मिटा दिया है और स्वर्ग का मार्ग खोल दिया है, ताकि कोई भी व्यक्यी यीशु के बपतिस्मा और उसके बहाए हुए लहू पर विश्वास करके स्वर्ग में प्रवेश कर सके।
जब यीशु क्रूस पर मरा, तब जहाँ वह था वहाँ थीं घंटे तक अन्धेरा चा गया। यरदन नदी में बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को अपने कन्धों पर उठाकर, यीशु, क्रूस पर चढ़ा और अब मौत के नजदीक था, और बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “एली, एली, लमा शबक्तनी?”, जिसका मतलब है, “हे मेरे पिता, हे मेरे पिता, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” (मत्ती २७:४६)। फिर उसने अपने आख़री शब्द कहे, “पूरा हुआ!”, और फिर मर गया। और तिन दिनों में वह मृत्यु से जीवित हुआ, ४० दिनों तक गवाही दी, और फिर अपने बहुतेरे चेले और अनुयायी के सामने स्वर्ग में उठा लिया गया।
 
 
क्या पिता ने सच में यीशु को छोड़ दिया था?
 
यीशु ने जो दर्द सहा था वह इतना भयंकर था की उसे ऐसा लगा की उसके पिताने उसे छोड़ दिया है। पाप के दोष की पीड़ा इतनी बड़ी थी। क्योंकि यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के पापों को उठाया था, इसलिए यह सच है की जब वह क्रूस पर पाप के दोष को सह रहा था तब पलभर के लिए पिता ने उससे मूँह फेर लिया था। परमेश्वर पिता जिसने भी पाप किया हो उसे दण्ड देते थे, और जगत के सारे पाप यीशु पर डाले गए थे इसलिए यीशु को इन पापों के दण्ड के रूप में क्रूस पर अपना लहू बहाना था।
क्योंकि यीशु ने जो खुद परमेश्वर था, बपतिस्मा लेकर मनुष्यजाति के सारे पाप अपने ऊपर उठाए थे, इसलिए जगत के सारे पाप उसके पवित्र शरीर पर आ गए थे। इसलिए यीशु ने जगत के सारे पाप अपने शरीर पर उठाए थे, इसलिए अब सारे पापों की कीमत चुकाने के लिए पल भर के लिए परमेश्वर पिता से उसे दूर होना था, और क्रूस पर मृत्यु सहनी थी, और इस प्रकार मनुष्यजाति को बचाना था। इसी लिए यीशु को पाप के दोष की दर्दनाक पीड़ा को सहना पडा, और इसलिए परमेश्वर पिता ने अपने बेटे से मूँह फेर लिया।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की पिताने हमेशा के लिए यीशु को छोड़ दिया था। बल्कि, इसका मतलब है की यीशु को हमारे पाप के दोष को सहना था, और इसतरह केवल पल भर के लिए उसे पिता ने छोड़ा था। लेकिन जैसे यीशु अपने दर्द में ऊँची आवाज में पुकारता है, “हे मेरे पिता, हे मेरे पिता, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया है?” यह इसलिए था क्योंकि यीशु ने पाप के दर्द को सहा था ताकि हम पाप के दोष से बच जाए। हम वे लोग थे जो हमारे पापों की वजह से परमेश्वर के द्वारा तिरस्कृत होनेवाले थे, लेकिन यीशु ने हमारे पापों को ले लिया, क्रूस पर पाप के दोष की पीड़ा को सहा, और, उसके अलावा, हमारे लिए वह पलभर के लिए पिता से तिरस्कृत हुआ।
जैसे आप पहले से ही जानते है की, सुलैमान राजा के शासन के समय में मंदिर के निर्माण के बाद, मिलापवाले तम्बू की जगह मंदिर ने ली। लेकिन मिलापवाले तम्बू की मूल प्रथा मंदिर में भी लागू हुई जैसे मंदिर के निर्माण से पहले होती थी। इसलिए मंदिर में भी पर्दा था जो परमपवित्र स्थान को पवित्र स्थान से अलग करता था। और जिस पल हमारे प्रभु ने क्रूस पर बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “एली, एली, लमा शबक्तनी?” तब इस मंदिर का पर्दा ऊपर से निचे तक फट गया। यह घटना इस सच्चाई को बताती है की क्योंकि प्रभु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा और क्रूस पर अपने कीमती लहू को बहाने के द्वारा हमारे पापों को साफ़ किया, इसलिए अब स्वर्ग के द्वार को खोल दिया गया है, ताकि जो कोई भी विश्वास करे वे अन्दर प्रवेश कर सके। अब, पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा, हम सब विश्वास से स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है।
मिलापवाले तम्बू की प्रथा के प्रकाशन के द्वारा, पुराने नियम के लोगों ने भी यीशु पर विश्वास किया था जो उद्धारकर्ता के रूप में आनेवाला था, और इसलिए उनके सारे पाप भी मिटाए गए और वे परमेश्वर की संतान बने। नए नियम में, जब हमारे प्रभु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लिया और क्रूस पर मरे तब पाप की माफ़ी की परमेश्वर की सब धार्मिकता पूरी हुई। प्रभु ने हमें पाप की माफ़ी का सुसमाचार दिया है उसे सुनकर और विश्वास करके हमारे अन्दर धन्यवादित हृदय होना चाहिए क्योंकि हमारे पास पानी और आत्मा का सुसमाचार है।
हम खुद से, पाप से स्वतंत्र नहीं हो सकते, लेकिन उद्धार के सत्य से जो परमेश्वर ने हमें पानी और आत्मा के द्वारा दिया है, हम इस सत्य पर विश्वास करके अपने पापों को मिटने के लिए सक्षम बने है। यीशु ने जो हमें जो पानी और आत्मा का सुसमाचार दिया है उस पर विश्वास करने के द्वारा, हमारे पाप दूर हुए है और अब हम विश्वास से स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए सक्षम है। यह देने के लिए हम परमेश्वर का धन्यवाद कैसे नहीं कर सकते? हम केवल उसे धन्यवाद दे सकते है, क्योंकि अब हम जानते है की जिस पल हमारे प्रभु की मृत्यु हुई उसी पल स्वर्ग का द्वार ऊपर से निचे तक टूट गया। यह आनंदमय खबर है जो हमसे कहती है की हमारे प्रभु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लेने के द्वारा मनुष्यजाति के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया, क्रूस के अपने लहू के द्वारा उसने पाप के दोष को सहा, और इस तरह जो लोग विश्वास करते है उन्हें पाप से छुडाया।
जब यीशु क्रूस पर मारा तब मंदिर का पर्दा ऊपर से लेकर निचे तक फट गया यह वास्तविकता हमें सच्चाई सिखाती है की अब इस युग में, जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा शुध्ध हुए है वे सब स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है। यह उद्धार की सच्चाई का स्पष्ट प्रमाण है जो प्रभु ने हमें दिया है। क्योंकि हम पापी थे, इसलिए पाप की एक दीवार थी जिसने हमें अवरुध्ध किया था, हमें परमेश्वर के सामने आने से रोकती थी, लेकिन अपने बपतिस्मा और लहू से यीशु ने इस पाप की दीवार को एक ही बार में हमेशा के लिए मिटा दिया। परमेश्वर ने मंदिर का पर्दा ऊपर से निचे तक फाड़ दिया उसका आशय यह है की जो कोई भी यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करता है जिसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र ने पापियों के सारे अपराधो को अपने ऊपर उठाया और क्रूस के लहू पर विश्वास करता है वे अब अपने सारे पापों से पूरी तरह शुध्ध हुए है और इसतरह बेरोक स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है। परमेश्वर ने इसतरह हमें पाप से बचाया है।
यीशु ने उद्धार के इस कार्य के प्रमाण के रूप में मंदिर के परदे को ऊपर से लेकर निचे तक फाड़ दिया जिसे उसने परिपूर्ण किया। इसलिए इब्रानियों १०:१९-२२ में लिखा है, “इसलिये हे भाइयो, जब हमें यीशु के लहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्रस्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है, जो उसने परदे अर्थात् अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है, और इसलिये कि हमारा ऐसा महान् याजक है, जो परमेश्‍वर के घर का अधिकारी है, तो आओ, हम सच्‍चे मन और पूरे विश्‍वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्‍वर के समीप जाएँ।”
जब यीशु क्रूस पर मरा, तब परमपवित्र स्थान का पर्दा फटने से उसके प्रवेश करने की जगह चौड़ी हो गई, और यहाँ परमपवित्र स्थान का खुला द्वारा सुसमाचार का परमेश्वर का वचन है जिसने स्वर्ग के लिए नया और जीवित मार्ग खोल दिया। यहाँ, बाइबल हमें फिरसे बताती है की उसके बपतिस्मा (शुध्ध पानी) और लहू के द्वारा हमारे हृदय और देह के सारे पाप मिटा दिए गए है, और इसलिए हम उसके सम्पूर्ण उद्धार में हमारे विश्वास के द्वारा निश्चितता के साथ शुध्ध हो सकते है।
इसलिए, मैं अपना धन्यवाद परमेश्वर को देता हूँ। हम चाहे कितनी भी कोशिश करे लेकिन हम स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकते, लेकिन हमारे जैसे लोगों को, यीशु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए अपने लहू के धर्मी कार्यों से बचाया है, और उसने स्वर्ग के द्वार को खोल दिया है, इसलिए जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है केवल वही स्वर्ग में परवश कर सकते है। अब हम जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है उनके लिए विश्वास के द्वारा अपने पापों से शुध्ध होना और स्वर्ग में प्रवेश करना सम्भव हुआ है।
क्योंकि प्रभु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा शमारे लिए स्वर्ग का द्वार खोला है, इसलिए अब हम इस सत्य पर विश्वास करके हमारे पापों को साफ़ करने और स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए सक्षम बने है। फिर हम कैसे उसका धन्यवाद नहीं कर सकते? हम उसके बलिदान के प्रेम के लिए पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकते। यीशु ने हमारे पापों को उठाने के लिए जो बपतिस्मा लिया था और हमारे इन पापों के दोषों को सहन करने के लिए उसने अपने आप को बलिदान के लिए अर्पण किया था उसके द्वारा परमपवित्र स्थान के द्वार का पर्दा फट गया। 
 
 

स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए केवल एक ही रास्ता है

 
क्योंकि हम यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करते है, इसलिए हम स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है। इस सत्य के सुसमाचार पर विश्वास करके स्वर्ग में प्रवेश करने के अलावा दूसरा ओर कोई मार्ग नहीं है। यीशु ने हमारे लिए जो किया है उस पर विश्वास करने के द्वारा ही केवल हम स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है, क्योंकि परमेश्वर ने यीशु के पानी और लहू पर विश्वास करनेवालों के लिए ऐसे काम किए है।
इसी लिए मसीही अपने प्रयासों, समर्पण, या दुसरे किसी ढोंग से सवर्ग में प्रवेश नहीं कर सकते। परमश्वर ने ठान लिया था की जो कोई भी यीशु के बपतिस्मा और उसके बहाए लहू पर विश्वास करेगा केवल वही स्वर्ग में प्रवेश कर सकता है। जो लोग इस सत्य पर विश्वास करते है वे वह लोग है जो विश्वास करते है की यीशु परमेश्वर का पुत्र है, खुद परमेश्वर है, और अनंतकाल का उद्धारकर्ता है जिसने अपने बपतिस्मा और लहू को बहाकर उन्हें बचाया है। यह ऐसे लोगों के लिए है जिनके पापों को परमेश्वर ने धोया है। यीशु ने जो बपतिस्मा लिया और क्रूस पर जो दुःख सहा केवल उसके द्वारा ही परमेश्वर ने हमें सक्षम किया है की हम जो विश्वास करते है वे विश्वास से स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर पाए।
क्या हमें स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए पैसे की जरुरत है? यदि ऐसा है तो, हम पैसे देकर हमारे उद्धार को खरीद सकते है, इसलिए यह वो उद्धार नहीं है जो प्रभु के द्वारा मुफ्त में दिया गया है। हमें स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए, विश्वास के अलावा किसी चीज की जरुरत नहीं है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता हो। दुसरे शब्दों में, स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए, पैसे, कर्म, या हमारे किसी भी प्रयासों की जरुरत नहीं है। मनुष्य का किसी भी विशेष गुण स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए जरुरी नहीं है। स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए योग्य बनने के लिए, परमेश्वर ने हमसे किसी भी प्रयास, कर्म, इच्छा, दया, और भलाई की मांग नहीं की।
हमारे लिए स्वर्ग में जाने के लिए केवल एक ही चीज हैं जो आवश्यक है, और यह है विश्वास जो पाप को साफ़ करने के बपतिस्मा पर विश्वास करता हो जो यीशु ने यरदन नदी में लिया था और बलिदान जो उसने हमारे पापों की माफ़ी के लिए क्रूस पर बहाया था। दूसरा ओर कोई मार्ग नहीं है। हमें केवल एक चीज की जरुरत है और वो है विश्वास जो यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू के सुसमाचार पर विश्वास करता है। इसी लिए हमें पाप की माफ़ी को पाने और स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए, हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए जिसे यीशु ने परिपूर्ण किया है।
यीशु जो प्रेम का द्वार है उसने पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा हमारे सम्पूर्ण उद्धार को परिपूर्ण किया। क्योंकि यीशु ने पहले ही पाप की माफ़ी का उद्धार परिपूर्ण किया था, इसलिए यदि पापी केवल इस सत्य के सुसमाचार पर पूरे हृदय से विश्वास करते, तो वे अपने सारे पापों से बच जाते। हमारे प्रभु ने सरे पापों को मिटाया है, भले ही हमारे पास बहुत सारे या थोड़े पाप हो, और उसने सब को स्वर्ग में जाने के लिए सक्षम बनाया है लेकिन केवल विश्वास के द्वारा।
यीशु ने जो स्वर्ग का द्वार खोला, ताकि पापी पानी और अत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा इसमे प्रवेश कर सके, वह उद्धार का अनुग्रह है जो सच में ख़ास है। “मेरे सारे पापों को उठाने के लिए प्रभु ने बपतिस्मा लिया और मेरी जगह क्रूस पर मरा! उसने मेरे सारे पापों को धोया है और मेरे लिए स्वर्ग के द्वार को खोला है! उसने मुझे बहुत प्रेम किया की उसने बपतिस्मा लिया, अपना लहू बहाया, और इस तरह मेरे पापों की माफ़ी को पूर्ण किया!” इस तरह, जब आप उद्धार के सत्य पर विश्वास करते है, तब आप इस विश्वास से स्वर्ग में प्रवेश करेंगे।
लोगों के लिए यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करना इतना कठिन नहीं है, लेकिन वास्तव में यह आसान है, उन सब को अपने हृदय में पहले से ही पूर्ण किए गए सच को स्वीकार करना है जो यीशु ने पूर्ण किया था जब वे इस पृथ्वी पर आया था और उस पर विश्वास करना है। क्योंकि यीशु ने यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा लेने के द्वारा, और क्रूस पर लहू बहाने के द्वारा, और आत्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को मिटाया है और हमें उनसे छुडाया है, जब हम अपने हृदय में इस यीशु पर विश्वास करते है तब हम सब बच जाएंगे।
“तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना ८:३२)। चाहे हमारे पाप बड़े हो या छोटे, यीशु ने बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाकर, उसने उन सब को दूर किया है। पानी और आत्मा का सुसमाचार जिसने हमें पापों से स्वतंत्र किया है उस पर विश्वास करने के द्वारा हम अपना अनन्त उद्धार प्राप्त कर सकते है और सच्चे उद्धार की स्वतंत्रता को पा सकते है।
पानी और आत्मा के सुसमाचार को परिपूर्ण करने के द्वारा, हमारे प्रभु ने स्वर्ग का द्वार खोल दिया है। हमारे प्रभु इस पृथ्वी पर आए, बपतिस्मा लिया, क्रूस पर मरे, और तिन दिनों के अन्दर मृत्यु से जीवित हुए-यश सत्य, पानी और आत्मा के सुसमाचार ने हमें परमेश्वर के नजदीक भेजा है, और इसने हमें सक्षम बनाया है की भविष्य में हम स्वर्ग को अपना बना सके। अब, यदि अप स्वर्ग में प्रवेश करना चाहते है, और साथ ही साथ पाप से स्वतंत्र होकर परमेश्वर की संतान बनना चाहते है, तो आपको यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू पर विश्वास करने के द्वारा पाप की माफ़ी को प्राप्त करना चाहिए। यह वो विश्वास है जो आपको पाप की माफ़ी पाने के लिए सक्षम बनता है और स्वर्ग के द्वार की ओर ले जाता है।
हमारा प्रभु हमारे बारे में सब जनता है। वह जानता है की हम कब पैदा हुए, और वह उन सरे पापों को जनता है जो हमने किए है और करनेवाले है। और वह ये भी जनता है की चाहे हम कितना भी प्रयास करे, हम खुद से अपने पापों को दूर नहीं कर सकते। क्योंकि प्रभु हमें अच्छी तरह से जानता है, इसलिए उसने खुद अपने बपतिस्मा और क्रूस के लहू से हमारे पापों को मिटा दिया है।
 
 

यीशु क्यों इस पृथ्वी पर आया?

 
यीशु नाम का मतलब है उद्धारकर्ता। यीशु इस पृथ्वी पर पैदा हुआ क्योंकि पाप से हमारा उद्धार मनुष्य के द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता था, लेकिन यह केवल दैवीय सामर्थ्य के द्वारा किया जा सकता था। वैसे ही, यीशु का जन्म एक ख़ास उद्देश्य के लिए था। इसी लिए मनुष्यजाति को सारे पापों से बचाने के लिए, यीशु ने कुँवारी के द्वारा इस पृथ्वी पर जन्म लिया। दुसरे शब्दों में, यीशु उन पापियों के लिए कुवांरी स्त्री से पैदा हुआ जिन्होंने आदम और हव्वा से पाप को विरासत में पाया था। उद्धारकर्ता बनने के लिए जो जगत के सारे पापियों को उनके अपराधों से बचाए, प्रभु इस पृथ्वी पर आए, परमेश्वर की सामर्थ्य से कुंवारी ने गर्भ धारण किया।
हमारे प्रभु ने खुद की सृष्टि की देह से इस पृथ्वी पर जन्म लिया ताकि वह खुद हमारा निर्दोष अर्पण बन सके। और जब समय आया, तब धीरे-धीरे वह अपनी योजना में आगे बढ़ता गया और उद्धार को हमारे पास लाया। जब हमारा प्रभु ३० साल का हुआ, तब उसने यरदन नदी में बपतिस्मा लिया। इस पृथ्वी पर अपने जन्म का उद्देश्य पूरा करने के लिए, यीशु को बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को स्वीकार करना पडा, इसलिए इस कार्य को पूरा करने के लिए उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया (मत्ती ३:१३-१७)।
यीशु ने अपने बपतिस्मा से जगत के पापों को अपने ऊपर उठाया उसके तिन साल बीत जाने के बाद, उसे क्रूस पर चढ़ाया गया। यह इसलिए हुआ क्योंकि हमारे प्रभु ने बपतिस्मा लिया था और जगत के पापों को अपने ऊपर उठाया था और हमारे पाप के दोषों को सहा था। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से दिए गए बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू के द्वारा प्रभु ने सारे पापों को दूर किया था, और इस तरह उसने विश्वास करनेवालों को अपने पापों से बचने के लिए सक्षम बनाया था।
कोई फर्क नहीं पड़ता की लोग अपने आप में क्या अज्ञानता पाते है, वे कौन सी कमजोरी में फसे हुए है, और वे किस प्रकार के पापी है, परमेश्वर ने हमें स्वर्ग के राज्य में यानि की प्रभु के राज्य में प्रवेश करने के लिए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के योग्य बनाया है। पाप की कीमत को चुकाने के लिए यीशु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपना लहू बहाया। यीशु ने पाप की कीमत चुका कर और खुद को बलिदान करके उद्धार को परिपूर्ण किया है इसलिए हम लोग जो विश्वास करते है वे केवल पानी और आत्मा के सुसमाचार पर हमारे विश्वास के द्वारा हमारे पापों को साफ़ कर सकते है। यह मसीहियत का मूलभूत सत्य और पाप की माफ़ी का मर्म है।
प्रभु इस दुनिया के सारे पापियों के उद्धारकर्ता बनने के लिए इस पृथ्वी पर आए। और प्रभु ने वास्तव में हम सब को हमारे पाप से बचाया है। हमारे प्रभु ने सारे पापियों को उसके कार्य पर विश्वास करके स्वर्ग में प्रवेश करने के योग्य बनाया है फिर चाहे वे कोई भी क्यों न हो।
तह प्रभु का प्रेम है। क्योंकि हमारे प्रभु ने इतना प्रेम किया की उसने हमें बचाने के लिए बपतिस्मा लिया और अपना लहू बहाया। हमें जिन्हें वह अपनी देह के समान प्रेम करता है उन्हें पापों से छुडाने के लिए, हमारे प्रभु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा और अपना लहू बहाने के द्वारा उद्धार को परिपूर्ण किया। हम पापी थे जो मृत्यु तक पाप करनेवाले थे। हमारे पापों से उत्पीड़ित, हम परमेश्वर से दूर होते गए। हमारे जैसे लोगों को बचाने के लिए, प्रभु को उद्धार के कार्य को पूरा करना पडा, जो हमें उसके साथ जुड़ने के लिए योग्य बनाता है।
हमारे प्रभु ने हमें जो पापी थे उन्हें परमेश्वर के प्रेम से बचाया है। हम पापियों को हमारे पापों से बचाने के लिए, उसने बपतिस्मा प्राप्त करके और अपना लहू बहाकर परमेश्वर की धार्मिकता और प्रेम को परिपूर्ण किया। हम जो इस सुसमाचार पर विश्वास करते है वे परमेश्वर ने हमारे लिए जो किया उसके लिए बहुत धन्यवादित है और जब हम परमेश्वर के सामने झुकते है तब शब्द हमारे धन्यवाद को बयाँ नहीं कर सकते। पाप की माफ़ी का सत्य जो प्रभु ने हमें दिया है वह श्रेष्ठ और पूर्ण प्रेम है जिसे कोई तर्क से शब्द, मधुर शब्द वर्णन नहीं कर सकते।
२,००० पहले, हममे से कोई भी पैदा भी नहीं हुआ था। यह तक़रीबन २,००० साल पहले हुआ की पृथ्वी के मंदिर और परमेश्वर के राज्य के स्वर्गीय मंदिर का पर्दा खुल गया। हम उस समय अपनी माँ के गर्भ में भी नहीं थे, लेकिन फिर भी हमारे प्रभु हमारे बारे में सब कुछ जनता था। वह जनता था की आप पैदा होंगे, और आप सब एक अलग तरीके से अपने जीवन को जिएंगे। और प्रभु ने मुझे प्रेम किया – केवल मुझे नहीं, लेकिन उसने आपको और सब को समान प्रेम किया। प्रभु ने हमसे इतना प्रेम किया की उसने सारे पापियों को पानी, लहू और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके स्वर्ग में प्रवेश करने के योग्य बनाया जिसे यीशु ने हमारे लिए परिपूर्ण किया था। पानी और आत्मा (यीशु का बपतिस्मा और क्रोस पर उसका लहू) के द्वारा यीशु ने पाप से हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया।
मंदिर का पर्दा ऊपर से निचे तक फट गया वह अद्भुत घटना थी। परमपवित्र स्थान का यह पर्दा कैसे फटा, केवल यीशु क्रूस पर मरा इसलिए? पर्दा आज के कालीन की तरह था। उसे बहुत मोटे मजबूत तरीके से बुना गया था। पलिस्ती में, हम आज भी इस कालीन के जैसे बुने हुए मोटे परदे को देख सकते है। उसे इतना मजबूती से बुना जाता था की कहा जाता है उसे फाड़ ने के लिए चार घोड़े को एक साथ जोड़कर उसे खींचना पड़ता था। घोड़ा कितना मजबूत होता है? फिर भी वह पर्दा जो इतना मजबूत था की उसे ऊपर से निचे तक फाड़ ने के लिए चार घोड़ो की जरुरत पड़ती थी वह उस समय फटा जब यीशु क्रूस पर मरा।
पर्दा क्यों फटा? वह इसलिए फटा क्योंकि यीशु ने उन सारे पापों को साफ़ किया जो मनुष्यजाति के हृदय में थे। वह इसलिए फटा क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा लेकर और मृत्यु तक क्रूस पर चढ़कर अपने धर्मी कार्य को परिपूर्ण किया था। अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों का स्वीकार करने के द्वारा और क्रूस पर दोष उठाने के द्वारा, यीशु ने उन लोगों के लिए स्वर्ग में जाने का द्वार खोल दिया जो विश्वास करते है। अब आप को केवल विश्वास करना है। प्रभु ने स्वर्ग के द्वार को खोल दिया है ताकि आप सब केवल विश्वास के द्वार उसमे प्रवेश कर सको।
 
 

क्या यीशु का बपतिस्मा और लहू हमारे उद्धार के लिए महत्वपूर्ण है?

 
यह पुराने नियम के समय से पहले उद्धार की प्रथा के मुताबिक़ योजना की गई थी की यीशु के सिर पर हाथ रखे जाए, एक ऐसी विधि जो केवल बलिदान के अर्पण के लिए नियुक्त की गई थी। क्योंकि यह हाथ रखने के द्वारा बलिदान के अर्पण को सारे पाप स्वीकार करने और मरने की परमेश्वर के द्वारा स्थापित उद्धार की व्यवस्था थी, यीशु हमेशा के लिए हमें बचाने के लिए हमारे बलिदान के अर्पण के रूप में आया, और केवल हाथ रखने की विधि के रूप में अपना बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को मिटा सकता था। इसी लिए महायाजक को भी परमपवित्र स्थान में प्रवेश करने से पहले यह सुनिश्चित करना पड़ता था की वह बलिदान के अर्पण का लहू लेकर जाए जिसने हात रखने के द्वारा पापों को अपने ऊपर स्वीकार किया हो।
फिर क्यों महायाजक को लहू के साथ इस स्थान में प्रवेश करना पड़ता था? क्योंकि शरीर का प्राण लहू में है, परमेश्वर ने महायाजक को अपनी उपस्थिति में आने से पहले उसकी आत्मा के प्रायश्चित के लिए इसे दिया था (लैव्यव्यवस्था १७:११)। प्रत्येक व्यक्ति को अपने पापों के लिए मरना था, लेकिन क्योंकि यीशु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लेकर मनुष्यजाति के सारे पाप अपने ऊपर ले लिए (सारे पाप उसके बपतिस्मा के द्वारा उसके ऊपर डाले गए) और उन सब को अपने कंधो पर उठाया, यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया और इस तरह उसने अपने बहाए हुए लहू से अपना जीवन देकर हमें बचाया। यह हमें बताता है की जब पापी परमेश्वर के सामने आते है, तब वे निश्चित तौर पर अपने साथ उस विश्वास को लेकर आए जो पानी और आत्मा पर विश्वास करता हो। जब हम पूरे हृदय से यीशु के बपतिस्मा के पानी और उसके बहाए हुए लहू पर विश्वास करते है केवल तभी हम हमारे पापों के दोष से बच सकते है।
अब, यीशु ने सारे पाप साफ़ कर दिए है, ताकि किसी भी व्यक्ति को पश्चाताप की प्रार्थना न देनी पड़े, उपवास न करना पड़े, और अपने पाप की माफ़ी के लिए भेंट न देनी पड़े। हमें पश्चाताप की प्रार्थना करने की आवश्यकता नहीं है, ना ही हमें हमारे पापों के लिए दण्ड सहने की जरुरत है, क्योंकि यीशु ने पहले ही पाप की माफ़ी और दोष का अर्पण दे दिया है। अब हमें केवल अपने हृदय से नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए उद्धार पर विश्वास करने की जरुरत है।
प्रत्येक लोगों को अब केवल बपतिस्मा पर विश्वास करने की जरुरत है जिसे यीशु ने नीले कपड़े के रूप में प्राप्त किया जिसे पुराने नियम के मिलापवाले तम्बू के लिए उपयोग किया गया था, और लहू पर विश्वास करना है जिसे यीशु ने लाल कपड़े के रूप में क्रूस पर बहाया था। और यीशु राजा है यह मूलभूत सत्य मिलापवाले तम्बू के द्वार को बनाने के लिए इस्तेमाल हुए बैंजनी कपड़े में प्रगट हुआ। वैसे ही, यदि हम नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए पाप की माफ़ी पर विश्वास के द्वारा हमारे पाप से साफ़ हुए है और विश्वास करते है की हमारे सारे दोष मिटा दिए गए है, तो फिर हममे से कोई भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकता है। यह सुसमाचार पानी और आत्मा का सुसमाचार है।
 
 

जब यीशु क्रूस पर मरा तब मंदिर का पर्दा क्यों फट गया? आइए इस पर एक ओर बार गौर करते है

यीशु का क्रूसपुराने नियम में प्रगट हुआ नीला, बैंजनी, और लाल कपड़ा वह सुसमाचार है जो विश्वास करनेवालों के लिए पाप की माफ़ी को प्राप्त करने और स्वर्ग में प्रवेश करने की आशीष को लता है। इसी लिए जब यीशु ने बपतिस्मा लेकर क्रूस पर मरा तब पर्दा फट गया। जो लोग यीशु पर विश्वास करते है उनके लिए यह पानी और आत्मा के सुसमाचार का सत्य है जो खुद परमेश्वर ने दिया है। “अरे, यह इसलिए है क्योंकि मेरी जगह यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया की उसने अपना लहू बहाया और क्रूस पर मर गया, और इस प्रकार मृत्यु की कीमत, पाप की कीमत चुकाई। क्रूस पर मरते समय यीशु ने कहा, “पूरा हुआ,” और यह वही पल था जब उसने हमारे लिए स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का मार्ग खोला।
यीशु इस पृथ्वी पर उन लोगों को बचन एके लिए आया जो पाप की दीवार के द्वारा परमेश्वर से अलग हो गए थे। यह यीशु की खुद की इच्छा थी, लेकिन उसी समय यह परमेश्वर पिता की आज्ञा और हमारे लिए उसका प्रेम था। पिता की इच्छा का पालन करते हुए, यीशु ने बपतिस्मा लिया जिसने जगत के पापों को उसके शरीर पर डाल सिया। क्योंकि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को अपने कंधो पर उठाया, इसलिए वह क्रूस तक गया, क्रूस पर चढ़ाया गया, अपना लहू बहाया और मर गया, तिन दिनों में मृत्यु से जीवित हुआ, और इस प्रकार अपना उद्धार का कार्य परिपूर्ण किया। यह नीले, बैंजनी, और लाल कपड़ो में प्रगट हुई सेवकाई थी, पाप की माफ़ी जिसने पापियों को अपने अपराधों से छुडाया और बलिदान की प्रथा को पूर्ण किया।
क्योंकि यीशु ने अपनी सेवकाई के द्वारा उद्धार को परिपूर्ण किया इसलिए स्वर्ग का द्वार, जिसमे अब तक कोई मनुष्य प्रवेश नहीं कर सका था अब वह खुल गया। यह साबित करता है की उद्धार का द्वार अब हाथ रखने और पशु के लहू से नहीं खुलेगा जिसे पुराने नियम में बलिदान के अर्पण के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब यह उस विश्वास से खुला है जो यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके बहाए हुए लहू पर विश्वास करता है। पर्दा फट गया यह उद्धार के पूरा होने को प्रगट करता है, अब परमेश्वर ने प्रभु के द्वारा परिपूर्ण पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानने और उस पर विश्वास करनेवालों को स्वर्ग में जाने के योग्य बनाया है। इसी लिए मंदिर का पर्दा फट गया।
आपको उस विश्वास के साथ स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना चाहिए जो यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू पर विश्वास करता है। यीशु जिसके अन्दर कोई भी पाप नहीं था वह देह में इस पृथ्वी पर आया और हमारे सारे पापों को स्वीकार करने के लिए यूहन्ना से बपतिस्मा लिया (मत्ती ३:१५)। इसके अलावा, हमारे प्रभु ने हमारे पापों के की कीमत के लिए अपने प्राण दिए और अनंतकाल के प्रायश्चित का अर्पण बन गया जिसे हम परमेश्वर के सामने जाते समय ले जा सके। इसलिए, हम सब को इस लहू पर विश्वास करना चाहिए जिसे यीशु ने बपतिस्मा लेने के बाद बहाया। मनुष्यजाति को पाप से बचाने और उन्हें परमेश्वर के लोग बनाने के लिए, यीशु ने अपने शरीर को अर्पण करके स्वर्ग के द्वार को खोल दिया।
जब यीशु ने हमें बचाया, तब हमें यह जानना चाहिए की उसने केवल क्रूस पर लहू नहीं बहाया है। क्रूस पर मरने के तिन साल पहले, उसने पहले ही यरदन नदी में बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को ले लिया था। इसलिए यीशु ने पूरी मनुष्यजाति के लिए यूहन्ना से बपतिस्मा लिया और फिर उसे रोमन सैनिको के द्वारा क्रूस पर चढ़ाया गया। यहाँ तक की आप के और मेरे इस दुनिया में जन्म लेने से पहले, यीशु ने पहले ही बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाकर हमारे सारे पापों को साफ किया था।
यूहन्ना से यीशु का बपतिस्मा लेना उद्धार की रित थी जिसे हमारे पापों को लेने के लिए उसे एक ही बार में हमेशा के लिए पूरा कारण था। और उसने जो लहू बहाया वह उन सारे पापों की कीमत थी। क्योंकि यीशु खुद परमेश्वर है, इसलिए उसने जो बपतिस्मा लिया और क्रूस पर जो लहू बहाया वह मिलकर पाप से हमारे उद्धार को बनाते है। यह हमारे प्रभु का सम्पूर्ण बलिदान था जो उसने पूरी मनुष्यजाति के उद्धार के लिए दिया था। क्या आप विश्वास करते है की पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन ने हमारे पापों को साफ किया है और हमें हमारे सारे पाप और दोषों से छुड़ाया है?
 
 

यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू के द्वारा, अब मनुष्यजाति के सारे पाप धुल गए है

 
मनुष्यजाति के पापों को साफ़ करने के लिए यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया। यदि हम यीशु के बपतिस्मा को निकाल कर यीशु की उद्धार की सेवकाई की ओर देखे, तो सृष्टि से पहले यीशु मसीह में मनुष्यजाति के उद्धार के लिए जो योजना बनाई गई थी वह झूठी है। यहाँ तक की सृष्टि की उतपत्ति से पहले, यीशु मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठाने के लिए बपतिस्मा लेने और अपना लहू बहाने की तैयारी कर रहा था।
इसी लिए यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया जो मनुष्यजाति का प्रतिनिधि था, और इस तरह सारे पापों को स्वीकार किया (मत्ती ११:१२-१२; मत्ती ३:१५)। यीशु को बपतिस्मा लेकर पापियों के अपराधों को साफ करना उद्धार की रित थी। यीशु ने पापियों के अपराधों को स्वीकार किया और उन्हें शुध्ध किया, और हमारे पापों के लिए हमारी जगह वह मरा, वह हमारी जगह मरा, और ऐसा करने के द्वारा उसने उन लोगों को उनको पाप और दोष से छुडाया जो इस पर विश्वास करते है। इस रीति के द्वारा (बपतिस्मा लेने की रित), यीशु मनुष्यजाति के सारे पापों को खुद पर स्वीकार कर पाया और क्रूस पर अपना लहू बहाकर पाप के दोष को सह पाया। “क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है” (मत्ती ३:१५)। यीशु ने यरदन नदी में बपतिस्मा उसका मतलब है की उसने हम पापियों के सारे पापों को स्वीकार किया।
भाइयों और बहनों, क्या आप इसलिए यह विश्वास करने में सक्षम नहीं है की यीशु २,००० साल पहले इस पृथ्वी पर आया था, जब वह ३० साल का हुआ तब उसने बपतिस्मा लिया था, और यह की उसने आपके लिए अपना लहू बहाया था, क्योंकि आप अपनी आँखों से यह देख नहीं सकते है? लेकिन हमारी सारी अपर्याप्तताओं को जानते हुए, परमेश्वर ने इस सृष्टि की रचना से पहले ही पानी और लहू से हमारे उद्धार की योजना बनाई थी, और अपनी योजना के अनुसार यीशु मसीह और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को इस दुनिया में भेजने के द्वारा उसने हम सभी के उद्धार को परिपूर्ण किया है। हमें इस सत्य के बारे में एहसास दिलाने और इसे जानने के लिए परमेश्वर ने अपने सेवकों के द्वारा यह वचन लिखवाए। उसके लिखित वचनों के द्वारा, परमेश्वर ने उद्धार की योजना और उसकी पूर्ति के बारे में सारी मनुष्यजाति के सामने उसे प्रगट किया है। अब उसने उस सत्य को परमेश्वर के लिखित वचन के द्वारा किसी को भी यह समझने के लिए योग्य बनाया है की हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाने के लिए यीशु ने यरदन नदी में यूहन्ना से बपतिस्मा लिया।
अन हम सब को यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके बहाए हुए लहू पर हमारे उद्धार के रूप में विश्वास करना चाहिए। भले ही हमने अपनी शारीरिक आँखों से यह नहीं देखा, लेकिन हमें अपने हृदय में विश्वास करना चाहिए। जब हमारा विश्वास उसके वचन पर आधारित होता है तब सच्चा विश्वास हमारे पास आता है। प्रभु ने थोमा से कहा, “धन्य वे है जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया है” (यूहन्ना २०:२९)। यीशु ने अपने बपतिस्मा और उसने बहाए हुए लहू से आपको और मुझे बचाया है। जो कोई भी इस सत्य पर विश्वास करता है उसे परमेश्वर ने स्वर्ग में प्रवेश करने के योग्य बनाया है।
इसी लिए जब यीशु क्रूस पर मरा तब परमेश्वर ने मंदिर का पर्दा फाड़ दिया। यीशु ने पाप की उस दीवार को तोड़ दिया है जिसने हम मनुष्यों को परमेश्वर से अलग किया था। यीशु ने जो किया वह पाप की दीवार को गिराने के लिए पर्याप्त था। उसने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वार किसी भी व्यक्ति के लिए स्वर्ग में जाने को सम्भव बनाया है। हमें यह सच्चाई देने के लिए मैं प्रभु का धन्यवाद करता हूँ, ताकि हम केवल अपने हृदय में विश्वास करने के द्वारा स्वर्ग में प्रवेश कर सके।
क्या ही महान है यह घटना, की यीशु पापियों को बचने के लिए साधारण मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर पैदा हुआ? यहाँ तक की जब हम जगत की उसकी सृष्टि से तुलना करते है तो यह वास्तव में अनूठी घटना है। यह केवल एक बात है की प्रभु, सृष्टिकर्ता, जिसने सारी चीजो को बनाया, अपनी सृष्टि की रचना की, लेकिन वह सृष्टिकर्ता कर्ता खुद सृष्टि बना, बपतिस्मा लेकर जगत के पापों को उठाया, और क्रूस पर चढ़ा, यह ओर कुछ नहीं लेकिन उद्धार की एक महान घटना है।
कैसे सृष्टिकर्ता खुद अपनी सृष्टि की तरह बना? फिर भी यीशु, जो खुद परमेश्वर था, उसने अपने आपको इतना नम्र किया की उसने यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया। क्या ही अद्भुत घटना है यह? लेकिन यह इसका अन्त नहीं है, क्योंकि यीशु ने अपने आप को इतना नम्र किया की अपनी मृत्यु के लिए भी आज्ञा का पालन करने के लिए, क्रूस पर अनगिनत दुःख को सहा, अपना लहू बहाया और मर गया। यह सारी चीजे ओर कुछ नहीं लेकिन परमेश्वर का प्रेम, उसकी दया और उसका अनुग्रह है।
मनुष्यजाति के सारे पाप प्रभु के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए उसके लहू के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए साफ़ कर दिए गए। और मंदिर के परदे को फाड़ने के बाद, यीशु तिन दिनों में मृत्यु से जीवित हुआ, और अब वह सत्य में उन सब से मिलना चाहता है जो इस सत्य पर विश्वास करते है। वैसे ही, पापियों को बचाने वाले प्रभु के कार्य उसकी सृष्टि को और उसमे जो भी है उसे बनाने के कार्य से बहुत बड़ा है। यीशु का जन्म, उसका बपतिस्मा, क्रूस पर उसकी मृत्यु, उसका पुनरुत्थान, स्वर्ग में उठाया जाना और वापस आना, और उसने हमें अपनी संतान बनाया यह सब परमश्वर के प्रेम के कार्य है।
हमारे प्रभु ने आपको और मुझे सारे पापों से बचाया है। हमारे प्रभु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा आपको और मुझे एक ही बार हमेशा के लिए जगत के सारे पापों से बचाया है। इसलिए हम विश्वास से धर्मी बनते है और परमेश्वर को धन्यवाद देते है। परमेश्वर ने उद्धार की आशीष को बहुतायत से हमें दी है। क्या आप विश्वास करते है?
भाइयों और बहनों, आप और मैं ऐसे व्यक्ति थे जो नरक में डाले जानेवाले थे। हम ऐसे व्यक्ति थे जो हमारे पापों के कारण नाश होनेवाले थे और दुःख में जीवन जीनेवाले थे, लेकिन प्रभु ने जगत की उत्पत्ति से पहले उद्धार की योजना बनाकर हमें बचाया। हमारे पास पाप में जीवन जीने, शोकाकुल होने, नाराज होने, और हमारे भाग्य को श्राप देने के अलावा ओर कोई विकल्प नहीं था, लेकिन हमारे जैसे लोगों को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने योग्य बनाने के लिए प्रभु ने हमें हमारे सारे पापों से छुडाया। इस प्रकार हमारा प्रभु हमारे उद्धार का प्रभु बना।
यीशु ने हमें पानी और आत्मा का सुसमाचार दिया है, और उसने हमारे पापों की माफ़ी की निश्चितता भी दी है। यीशु खुद उद्धार का प्रभु बना है। यीशु ने हमारी जगह जगत के पापों को उठाया, हमारी जगह मरा, और इस प्रकार हमारा सम्पूर्ण उद्धारकर्ता बना। 
 
 
क्या आप यीशु ने जो प्राप्त किया था उस बपतिस्मा पर और उसने जो लहू बहाया था उस पर विश्वास करते है?
 
पाप से हमारा छूटकारा यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू पर विश्वास करने के द्वारा परिपूर्ण हुआ। पापियों के लिए यीशु को उद्धारकर्ता मानने के द्वार बचने के लिए, उन्हें यह सुनिश्चित करना है की वे उसके बपतिस्मा और क्रूस को क्रम में रखे, और उन्हें विश्वास करना चाहिए की इन दोनों के मिलाने से सम्पूर्ण उद्धार परिपूर्ण हुआ।
शायद, आप विश्वास नहीं करते है की यीशु ने बपतिस्मा लिया और क्रूस पर मरा? क्या आप यूहन्ना से लिए हुए यीशु के बपतिस्मा का नकार नहीं कर रहे और इस पर विश्वास करने से मना नहीं करते है? परमेश्वर की धार्मिकता यीशु ने लिए हुए बपतिस्मा की वजह से पूरी हुई वह एक व्यवस्था थी जिसके द्वारा उसने पापियों के सारे अपराधों को अपने ऊपर ले लिया, और अपना लहू बहाकर जो मृत्यु का दुःख उसने सहा था वह हमारे पापों का दोष था। वैसे ही, जब आप और मैं यीशु पर विश्वास करने की घोषणा करते है, तब हमें उसके बपतिस्मा और क्रूस के उसके लहू दोनों को एक उद्धार के रूप में विश्वास करना चाहिए।
परमेश्वर यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू बहाने की जरुरत को अपने वचन में लिखा, और फिर भी कई सारे लोग यही बात कहते है की उद्धार पाने के लिए उन्हें केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करने की जरुरत है। यदि आप उनमे से एक है, तो आपको अपने विश्वास के बारे में गंभीरता से सोचकर, इन दोनों महत्वपूर्ण तत्व पर विश्वास करने की आवश्यकता है। यदि आप ऐसा नहीं करते है और केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करते है, तो आप प्रभु की पवित्र सार्वजनिक सेवकाई को व्यर्थ बनते है। यदि आप ऐसा विश्वास करते है, तो आपको इस दोषपूर्ण विश्वास से मुड़ने की जरुरत है और बाइबल में लिखी गई सच्चाई पर विश्वास करना चाहिए। उसके बपतिस्मा के बगैर, क्रूस पर उसकी मौत का हमारे लिए क्या मतलब रह जाता है? यदि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा नहीं लिया होता, तो उसकी मृत्यु का हमारे पापों के साथ कोई लेना देना नहीं होता।
भाइयों और बहनों, यदि आप कर्जे में से अपना नाम मिटाना चाहते है तो, क्या आपको पैसे लाकर कर्ज देनेवाले को चुकाने नहीं चाहिए? कर्जदार को अपने कर्ज की कीमत चुकानी चाहिए, और केवल तभी वह अपना नाम कर्जदार की सूची से मिटा सकता है। वैसे ही, हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए, यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे ऐसे पाप और अपराधों को स्वीकार किया है और अपना लहू बहा ने के द्वारा उन्हें मिटा दिया है।
उसने जो बपतिस्मा प्राप्त किया था उसके द्वारा, वास्तव में प्रभु ने हमारे सारे पापों को ले लिया, और इसी लिए वह अपना लहू बहाने के द्वारा दण्डित हुआ। कर्जा चुकाने के लिए, सामान्य बुध्धि यह बताती है की व्यक्ति को वह मूल्य देना चाहिए जो उसका करजा चुका सके। यदि कर्जदार पैसे नहीं लाता है और केवल दावा करता है की उसने कर्ज चुका दिया है और कर्जदार की सूची से अपना नाम मिटाने की माँग करता है, तो क्या उसका नाम सच में मिट जाएगा? कोई फर्क नहीं पड़ता की वह कितनी गंभीरता से यह विश्वास करता है की उसका नाम मिटा दिया गया है, लेकिन वास्तविकता यह है की उनके नाम अभी भी उस सूची में बने हुए है।
जैसे कर्जदार केवल अपना कर्ज चुकाकर ही अपने कर्जे से स्वतंत्र हो सकता है, वैसे ही हम पापियों को पाप की माफ़ी पाने के लिए, हमारे हृदय में ऐसा विश्वास होना चाहिए जो यह विश्वास करता हों की हमारे पाप यीशु ने लिए बपतिस्मा के द्वार उसके ऊपर डाल दिए गए। हमने खुद यह बपतिस्मा नहीं दिया था जो हमारे पापों को यीशु के सिर पर डालता है।
लेकिन यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला नाम के एक मध्यस्थी के द्वारा हम हमारे पापों को यीशु पर डालने के लिए सक्षम बने। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर यीशु ने जगत के पापों को अपने कंधो पर उठाया था, क्रूस तक गया, अपना लहू बहाया और मर गया। उसके बपतिस्मा पर विश्वास करने के द्वारा जो उद्धार का प्रतिबिम्ब और रसीद है, जिसके द्वारा यीशु ने हमारे पापों को ले लिया और हमें बचाया, इसलिए हम हमारे उद्धार का प्रमाण प्राप्त कर सकते है। हमारे प्रभु ने हमारे लिए जो किया उस पर हमारे हृदय में विश्वास करने के द्वारा, अब हम पाप की माफ़ी पाने के लिए समर्थ है। क्यों? क्योंकि उसके बपतिस्मा और लहू के द्वारा, हमारे प्रभु ने हमें नया जीवन दिया है।
जब यीशु क्रूस पर मरा, तब परमपवित्र स्थान का पर्दा दो भागों में फट गया, धरती डोल गई, चट्टानें तड़क गई, कब्रे खुल गई, और सोते हुए पवित्र लोगों के बहुत से शव जी उठे। इस घटना के द्वारा, परमेश्वर ने दिखाया की वह उन लोगों को ज़िंदा करेगा जो उसके वचन पर विश्वास करते है की यीशु मसीह आएगा और मनुष्यजाति के सारे पापों को मिटा देगा। उसने दिखाया की यीशु वास्तव में मृत्यु से जीवित हुआ था, और इसलिए जो लोग यीशु पर विश्वास करते है वे भी जिलाए जाएंगे। यीशु ने केवल हमें पाप से नहीं बचाया है, लेकिन उसने हमें नया जीवन भी दिया है जो आत्मिक रीति से मर चुके है। हमें नया जीवन देने के लिए यीशु ने बपतिस्मा लिया, क्रूस पर मारा, और फिर जीवित हुआ। परमेश्वर ने हमें अपने पवित्र शहर में प्रवेश करने और हमेशा के लिए वहाँ जीने के योग्य बनाया है। मैं अपने विश्वास के साथ उसे अपना सच्चा धन्यवाद देता हूँ।
जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है वे स्वर्ग में रहेंगे। इसलिए विश्वास करे की जिन्होंने इस पृथ्वी पर पाप की माफ़ी पाई है वे स्वर्ग में प्रवेश करेंगे और वहाँ रहेंगे। स्वर्ग उनका है जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है। पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना और नया जन्म पाना दोनों अलग अलग चीज नहीं है, लेकिन वे दोनों एक ही चीज है।
यदि कोई पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करता है, तो यह व्यक्ति उसी पल नया जन्म पता है जिस पल वह विश्वास करता है। जब पापी पाप की माफ़ी पाते है, तब वे परमेश्वर की अपनी संतान बनते है, और अपनी संतान को परमेश्वर स्वर्ग उपहार में देते है। भले ही हमारी देह में हमारा कोई कार्य नहीं है, लेकिन एक चीज को देखते हुए हमारा विश्वास जो उद्धारकर्ता पर विश्वास करता है, इसलिए हमारे प्रभु ने हमें पाप की माफ़ी और स्वर्ग उपहार में दिए है।
हमारा प्रभु इस पृथ्वी पर आया, उसने बपतिस्मा लिया, अपना लहू बहाया, यह वास्तविकता सच है। जब यीशु क्रूस पर मरा, तब उसने पहले ही अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को ले लिया था। यीशु के क्रूस पर चढ़ने से पहले, यूहन्ना से बपतिस्मा लेने से पहले, उसने पहले ही जगत के पापों को उठा लिया था। क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने कंधो पर उठाया था इसलिए उसे पाप की मजदूरी मृत्यु है इस व्यवस्था के मुताबिक़ दण्ड सहना पडा। मनुष्यजाति को पाप से बचाने के लिए, यीशु को क्रूस पर मरना पडा क्योंकि उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को खुद पर उठाया था।
जब यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया, तब जिन लोगों ने उसे किले ठोकी वे यहूदी नहीं थे, लेकिन वे रोमन सैनिक थे। यीशु को विदेशी सैनिको के द्वारा क्रूस पर चढ़ाया गया। हमारे पापों के लिए अपना सारा लहू बहाते हुए, यीशु ने ऊँचे स्वर में पुकारते हुए अपनी आख़री साँस से कहा, “पूरा हुआ!” उसी पल, मंदिर का पर्दा ऊपर से निचे तक दो भागों में फट गया। इसके अलावा, बाइबल हमें यह भी कहती है की धरती दोल गई, चट्टानें तड़क गई, और कब्रे खुल गई; और सोए हुए पवित्र लोगों के बहुत से शव जी उठे (मत्ती २७:५१-५२)। जब सूबेदार आर रोमन सैनिको ने जो हुआ उसे देखा, तब गवाही दी, “सचमुच यह परमेश्वर का पुत्र था!” (मत्ती २७:५४)। परमेश्वर ने इन विदेशी सैनिकों के मूँह को गवाही देने के लिए सक्षम बनाए की, “यीशु जीवित परमेश्वर का पुत्र था।”
अब, जिन्हें दुनियाभर में सच्चे सुसमाचार की गवाही देनी है वे ओर कोई नहीं लेकिन हम है, पानी और आत्मा के सुसमाचार के विश्वासी। पानी और आत्मा के सुसमाचार से प्रत्येक लोग बदल गए है। जब लोग यीशु से पाप की माफ़ी पाते है, तब वे आत्मिक रीति से बदल जाते है, क्योंकि पवित्र आत्मा उनके हृदय में निवास करने के लिए आता है। और नया जन्म पाए हुए व्यक्ति का हृदय हरदिन नया होता है, क्योंकि परमेश्वर की कलीसिया में वे निरंतर पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन सुनते है। वे वचन सुनते है, यीशु की स्तुति करते है और जैसे वे स्तुति करते है वैसे वे अनुभव करते है की शब्द उनके हृदय में बस गए है, इस प्रकार उनका मन हरदिन नया हो जाता है। धर्मी व्यक्ति का हृदय निरंतर नया होता रहता है, और वे खुद के इन बदलाव को महसूस कर सकते है।
और हमें जो धर्मी बने है उन्हें बदला हुआ देखकर अविश्वासी गवाही देते है, “वे वास्तव में उद्धार पाए हुए है। वे सच्चे मसीही, परमेश्वर के लोग।” वैसे ही, हमारे पापों की माफ़ी ऐसा उद्धार माहि है जिसकी गवाही केवल हम खुद देते है। रोमन सूबेदार और सैनोको ने भी इस सच्चाई की गवाही दी की यीशु परमेश्वर के पुत्र के रूप में जब उसे क्रूस पर चढ़ाया तब उसने पापियों को जगत के पाप से बचाया। इस प्रकार, परमेश्वर खुद उन्हें गवाही देता है जो सत्य पर विश्वास करते है की यीशु ने पानी और लहू से हमें हमारे सारे पापों से बचाया है।
 
 

पानी और आत्मा का सुसमाचार जिसने शैतान को भी समर्पण करवाया

 
पानी और आत्मा का सुसमाचार ऐसा सुसमाचार है जिसके सामने शैतान भी समर्पण करता है। जब यीशु ने कहा अपनी मृत्यु पर, “पूरा हुआ” कहा, तब शैतान ने शायद कहा होगा, “अरे! यह अपमानजनक है, लेकिन इसके बारे में मैं कुछ नहीं कर सकता! वह सही है। अब इस जगत में कोई भी पाप नहीं बचा है। प्रत्येक लोग अब किसी भी अपवाद के बगैर पापरहित है! यह मेरे हृदय को खा रहा है, लेकिन मैं इसके बारे में कुछ नहीं कर सकता!” 
दुसरे शब्दों में, शैतान भी यीशु के द्वारा परिपूर्ण हुए इस उद्धार को पहचानता है। लेकिन अभी भी वह उनके जीवन में बाधारूप बनाता है जिन्होंने पाप की माफ़ी पी है की वे अपने विश्वास के जीवन को छोड़ दे। जैसे जो लोग यीशु के द्वारा परिपूर्ण पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है वे परमेश्वर की संतान है, वैसे ही वे उसके लिए जीवन जीने की कोशिश करते है। लेकिन शैतान के लिए, इसका केवल यही मतलब है की जो पाप की गुलामी में है वैसे उनके केवल थोड़े ही सेवक है, इसलिए वह परमेश्वर के सेवकों को यह सच्चाई पूरी दुनिया में फैलाने से रोक रहा है।
यदि जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है वे पानी और आत्मा के सुसमाचार को फैलाना ज़ारी रखे, तो ओर भी ज्यादा लोग होंगे जो पापों की माफ़ी पाएंगे। इसी लिए शैतान लोगों की कमजोरी ममें प्रवेश करता है और उन्हें जाने नहीं देता, उनके लिए अवरोध बनाता है ताकि एक व्यक्ति भी यीशु का अनुसरण करने से वंचित रह जाए।
लोगों को यह कहने के द्वारा उनके हृदय को उत्तेजित करता है, “यीशु को मार डालो!”, शैतान ने उसे क्रूस पर चढ़वाकर मार डाला। लेकिन जब शैतान ने सोचा की इसके साथ सब समाप्त हो जाएगा और यीशु, क्रूस पर चढ़ा और मर रहा था, और ऊँची आवाज से पुकारा, “पूरा हुआ!” इसे देखकर शैतान चौंक गया। नाकाम होने की बजाए, यरदन नदी में अपने बपतिस्मा के द्वारा सारे पापों को खुद पर लेकर और क्रूस पर मरकर, यीशु ने उद्धार को धर्मी रीति से परिपूर्ण किया जिसने मनुष्यजाति को पाप और दोष से छुडाया। शैतान परमेश्वर की इस बुध्धि से अनजान था। उसने सोचा की यदि वह यीशु को क्रूस पर मार दे तो सब कुछ समाप्त हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अपने बपतिस्मा से जगत के सारे पापों को उठाने के बाद यीशु ने क्रूस पर अपनी देह देकर और मर कर उसने पापियों के पाप की माफ़ी को परिपूर्ण किया।
अपनी देह की मृत्यु के साथ, यीशु ने पहले ही पाप की कीमत को चूका दिया था। अब पाप लोगों के अन्दर नहीं पाया जाता है। क्यों? क्योंकि उस व्यवस्था के मुताबिक़ जो घोषणा कराती है की पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, यीशु पापियों की जगह मरा। हमें विश्वास करना चाहिए की क्योंकि यीशु ने यरदन नदी में पापियों के अपराधों को ले लिया इसलिए वह पापियों की जगह मरा।
“पूरा हुआ!” यह वही है जो यीशु क्रूस पर अपनी आख़री साँस लेते समय पुकारा। क्योंकि यीशु मरा, इसलि अब शैतान हमसे नहीं कह सकता की, “तेरे अन्दर पाप है, क्या नहीं है?” यीशु के जन्म, उसके बपतिस्मा, क्रूस पर उसकी मृत्यु, और उसके लहू और पुनरुत्थान के कारण शैतान को यीशु के सामने तीव्र हार का सामनाम करना पडा। हालाँकि शैतान ने हरसमय हमसे पाप करवा कर परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते को विरक्त कर दिया, अन्त में, परमेश्वर के पुत्र यीशु की बुध्धि, उसने पाप और दोष को धोया इसके कारण उसे सम्पूर्ण हार का सामना करना पडा।
जब आप यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करते हो, तो क्या अभी अभी आप के अन्दर पाप है? बिलकुल नहीं! हमारे अन्दर पाप नहीं है यह कहना कुछ ऐसा है जो देह के विवेक से नहीं कहा जा सकता। लेकिन यीशु के बपतिस्मा और लहू पर विश्वास करने के द्वारा, अब हम निडरता से यह घोषणा करने के लिए समर्थ बने है की हम पापरहित है। क्या आप सत्य पर विश्वास करते है की यीशु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को ले लिया है, हमारी जगह वो क्रूस पर मरा, और इस प्रकार हमें बचाया है? इस सत्य पर हमारे विश्वास के द्वारा, अब हम कह सकते है की हमारे अन्दर पाप नहीं है। और वास्तव में, अब हमारे दिल में कोई भी पाप नहीं है, रत्ती भर भी नहीं है। इसी लिए परमेश्वर के सामने हमारा धन्यवादित हृदय विश्वास से आभार व्यक्त करता है।
“परमेश्वर, हो सकता है मेरा विश्वास महान नहीं है, लेकिन राई के दाने जितने छोटे विश्वास के साथ, मैं अभी अभी आपको धन्यवाद देता हूँ। मैं ऐसा व्यक्ति था जिसके अन्दर आपका प्रेम नहीं था, लेकिन फिर भी आप मेरे हृदय में आए, और इसलिए मेरे विश्वास के साथ जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता है, मैंने अपने हृदय में आपके प्रेम को थामे रखा है। हरदिन मेरा हृदय आपका धन्यवादित है, क्योंकि जो प्रभु मेरे हृदय में निवास करता है वह मेरे साथ है। यह हृदय देने के लिए, मैं अपना सारा धन्यवाद आपको देता हूँ।” इस तरह, हमारे प्रभु ने हमें धन्यवादी हृदय दिया है। और हमारा प्रभु हरदिन हमें आशीष देता है।
इसलिए केवल मैं नहीं, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति जो उसक सम्पूर्ण उद्धार के सत्य को सुनता है और विश्वास करता है, हमारे हृदय के अन्दर स्पष्ट रूप से कोई पाप नहीं है। क्योंकि हम पानी और आत्मा के सत्य पर विश्वास करते है, इसलिए हमने उद्धार की आशीष और परमेश्वर की संतान बनने की आशीष को प्राप्त किया है। और परमेश्वर पूरे मन से चाहता है की सारे लोग इस बात को समझे की यीशु के जन्म और उसके बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास किए बगैर और वापिस उसके पास आकर और इस सत्य में विश्वास किए बिना उनके लिए उद्धार पाने का ओर कोई दूसरा मार्ग नहीं है।
प्रेरितों ४:१२ में लिखा है, “किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें।” हम यीशु पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते है। जो लोग इस पर विश्वास करते है उनके अन्दर धन्यवादित हृदय फूट निकलता है। इसलिए हमारे अन्दर ऐसा हृदय है जो प्रभु के प्रति धन्यवादित है। हमारे प्रभु ने हमें उद्धार दिया है, और उसने हमें धन्यवादित हृदय भी दिया है। प्रभु ने हमें अनन्त जीवन दिया है। प्रभु ने हमें बहुतायत से यह आशीष दी है इसलिए हम प्रभु को धन्यवाद देते है।
भले ही हमारा विश्वास राई के दाने जितना छोटा हो, यदि हम यीशु ने हमारे लिए जो किया उस पर विश्वास करते है तो हम सब बच सकते है। मैं आप सबसे बिनती करता हूँ की आप समझे की हम हमारे उद्धार के लिए विश्वास करने, परमेश्वर ने हमें जो मुफ्त में दिया है उस उद्धार को जानने, और उस पर विश्वास करने के अलावा ओर कुछ नहीं कर सकते। पाप की माफ़ी हमारे खुद के प्रयासों से प्राप्त नहीं की जा सकती इसलिए परमेश्वर ने एकतरफा हमारे सारे पापों को मिटाया है और उन लोगों को अपना उद्धार दिया है जो विश्वास करते है। अब, विश्वास के द्वारा पाप की इस माफ़ी को प्राप्त करना है।
कोरिया में एक कहावत है जो इस प्रकार है, “यदि आपको मुफ्त उपहार बहुत पसंद है, तो आप मामूली हो जाएंगे।” अंग्रेजी में इससे ही मिलती जुलती एक कहावत है, “मुफ्त में कुछ नहीं मिलता।” यह निश्चित रूप से सच है की; जीवन में हमें कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता। और हम उन लोगों का उपहास करना उचित समझते है जो कुछ दिए बिना ही उपहार प्राप्त करते है। फिर भी, उद्धार पाना और स्वर्ग में जाना पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, मुफ्त में। बहुत सारे मुफ्त उपहार प्राप्त करके दरिद्र होना देह में बुरा लगता है, लेकिन परमेश्वर की ओर से उपहार प्राप्त करके दरिद्र बनना आशीष है। मैं प्रार्थना करता हूँ की आप सब इस बात को समझे की परमेश्वर हमारे पापरहित हृदय को देखकर आनंदित होता है, और यह देखकर, वह हमें अपनी बाहों में भर लेता है।
हम परमेश्वर के मुफ्त अनुग्रह के शैकीन है। और हम प्रभु को धन्यवाद देते है: हमारा प्रभु इस पृथ्वी पर आया, पानी से अपना बपतिस्मा लिया, क्रूस पर अपना लहू बहाया, और इस प्रकार स्वर्ग के द्वार को खोल दिया। परमपवित्र स्थान के परदे को ऊपर से निचे तक फाड़ने के द्वारा उसने पानी और आत्मा पर विश्वास करके नया जन्म पाए हुए किसी भी व्यक्ति को स्वरक के राज्य में प्रवेस्ज करने के लिए योग्य बनाया। आप को भी अपने हृदय में पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके स्वर्ग में प्रवेश करना चाहिए।
बपतिस्मा लेने के लिए, अपना लहू बहाने के लिए, मृत्यु से जीवित होने के लिए, और उस अनुग्रह के लिए जिसने हमारे लिए पाप की माफ़ी के द्वार को खोल दिया, मैं प्रभु को धन्यवाद करता हूँ।