(निर्गमन २५:१०-२२)
“बबूल की लकड़ी का एक सन्दूक बनाया जाए; उसकी लम्बाई ढाई हाथ, और चौड़ाई और ऊँचाई डेढ़ डेढ़ हाथ की हों। और उसको चोखे सोने से भीतर और बाहर मढ़वाना, और सन्दूक के ऊपर चारों ओर सोने की बाड़ बनवाना। और सोने के चार कड़े ढलवाकर उसके चारों पायों पर, एक ओर दो कड़े और दूसरी ओर भी दो कड़े लगवाना। फिर बबूल की लकड़ी के डण्डे बनवाना, और उन्हें भी सोने से मढ़वाना। और डण्डों को सन्दूक के दोनों ओर के कड़ों में डालना, जिससे उनके बल सन्दूक उठाया जाए। वे डण्डे सन्दूक के कड़ों में लगे रहें; और उससे अलग न किए जाएँ। और जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूँगा उसे उसी सन्दूक में रखना। “फिर चोखे सोने का एक प्रायश्चित्त का ढकना बनवाना; उसकी लम्बाई ढाई हाथ, और चौड़ाई डेढ़ हाथ की हो। और सोना ढालकर दो करूब बनवाकर प्रायश्चित्त के ढकने के दोनों सिरों पर लगवाना। एक करूब एक सिरे पर और दूसरा करूब दूसरे सिरे पर लगवाना; और करूबों को और प्रायश्चित्त के ढकने को एक ही टुकड़े से बनाकर उसके दोनों सिरों पर लगवाना। उन करूबों के पंख ऊपर से ऐसे फैले हुए बनें कि प्रायश्चित्त का ढकना उनसे ढँपा रहे, और उनके मुख आमने-सामने और प्रायश्चित्त के ढकने की ओर रहें। और प्रायश्चित्त के ढकने को सन्दूक के ऊपर लगवाना; और जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूँगा उसे सन्दूक के भीतर रखना। मैं उसके ऊपर रहकर तुझ से मिला करूँगा; और इस्राएलियों के लिये जितनी आज्ञाएँ मुझ को तुझे देनी होंगी, उन सभों के विषय मैं प्रायश्चित्त के ढकने के ऊपर से और उन करूबों के बीच में से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक पर होंगे, तुझ से वार्तालाप किया करूँगा।”
आज का विषय है साक्षी का संदूक। साक्षी का संदूक ११३ सेंटीमीटर (३.७ फीट) लंबा, ६८ सेंटीमीटर (२.२. फीट) चौड़ा, ६८ सेंटीमीटर (२.२ फीट) ऊँचा था जो बबूल की लकड़ी से बना था और शुध्ध सोने से मढ़ा हुआ था। इस संदूक के अन्दर, दस आज्ञाए लिखे हुए दो पत्थर की तख्तियाँ और मन्ना से भरा सोने का कटोरा था, और बाद में हारून की छड़ी को उसमे जोड़ा गया जिसमे कलियाँ फूटी थी। तो फिर साक्षी के संदूक में राखी यह तिन चीजे हमें क्या बताती है? इन चीजों के द्वारा, मैं यीशु की तिन सेवकाई के बारे में विस्तृत जानकारी देना चाहता हूँ। आइए अब हम साक्षी के संदूक में राखी इन तिन चीजों में प्रगट हुए आत्मिक सत्य की जाँच करे।
व्यवस्था उत्कीर्ण की हुई पत्थर की दो तख्तियाँ
साक्षी के संदूक के अन्दर रखी गई दो तख्तियाँ जिस पर नियम लिखे हुए थे हमें बताती है की परमेश्वर व्यवस्था को बनानेवाला है जिसने हमें अपनी व्यवस्था दी है। रोमियों ८:१-२ में लिखा है, “अत: अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं। [क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं।] 2क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।” इस भाग से, हम देख सकते है की परमेश्वर ने हमारे हृदय में दो व्यवस्था का निर्माण किया है: जीवन की व्यवस्था और दण्ड की व्यवस्था।
इस दोनों व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर लोगों को दण्ड और उद्धार देता है। सबसे पहले, व्यवस्था के द्वारा हम जान सकते है की हम पापी है जो नरक के लिए नियोजित है। हालाँकि, जो लोग अपना पापी स्वभाव और विनाशकारी भाग्य को जानते है उन्हें परमेश्वर ने अपने उद्धार की व्यवस्था दी है, “मसीह यीशु में जीवन की आत्मा की व्यवस्था।” परमेश्वर इन दो व्यवस्थाओं को देने के द्वारा सब का उद्धारकर्ता बना है।
सोने के कटोरे में रखा हुआ मन्ना
सोने का कटोरा भी जो संदूक में पाया जाता है इसमे मन्ना था। जब इस्राएल के लोगों ने जंगल में ४० साल बिताए, तब परमेश्वर ने उन्हें स्वर्ग में से भोजनं दिया, और इस्राएली इस मन्ना को अलग अलग तरीके से पकाकर खाते थे। और यह धनिया के समान श्वेत था, और इसका स्वाद मधु के बने हुए पूए सा था। यह मन्ना जो परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को दिया था उसने उनके जीवन को बनाए रखा जब तक की वे कनान देश में पहुँच नहीं गए। उसी रूप से, इस भोजन को यादगार के तौर पर कटोरे में रखा गया था।
यह हमें बताता है की हम जो आजके विश्वासी है उन्हें भी जीवन की रोटी खानी चाहिए ताकि जब तक वे स्वर्ग में प्रवेश न करे तब तक परमेश्वर की आत्मिक संतान इस जगत में रहते हुए इसे खा सके। लेकिन ऐसा समय आता है जब सांसारिक भोजन की इच्छा रखते है, अर्थात्, परमेश्वर की शिक्षा के बदले संसार की शिक्षा। फिर भी, परमेश्वर की संतान को आत्मिक कनान के देश में जाने से पहले परमेश्वर के वचन के ऊपर अपना जीवन जीना चाहिए, जो सच्चे जीवन की आत्मिक रोटी है जो स्वर्ग से उतारी है।
व्यक्ति हमेशा सच्चे जीवन की रोटी को खाकर कभी थकता नहीं। जितना ज्यादा हम इस आत्मिक रोटी को खाते है, उतना ही ज्यादा यह हमारी आत्मा के लिए सच्चा जीवन बनता है। लेकिन यदि हम परमेश्वर के वचन के बजाए संसार की शिक्षा की रोटी खाते है, तो निश्चित ही हमारी आत्मा मर जाएगी।
परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को स्वर्ग में से उतरे मन्ना को एक कटोरे में भरकर रखने का आदेश दिया। जैसे निर्गमन १६:३३ में देखा जा सकता है, परमेश्वर ने कहा, “एक पात्र लेकर उसमें ओमेर भर लेकर उसे यहोवा के आगे रख दे कि वह तुम्हारी पीढ़ियों के लिए रखा रहे।” स्वर्ग में से उतरा हुआ मन्ना लोगों की आत्माओं के लिए सच्चे जीवन की रोटी था। “उसने तुझ को नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा ही जानते थे, वही तुझ को खिलाया; इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुँह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है” (व्यवस्थाविवरण ८:३)।
तो फिर हमारे लिए जीवन की रोटी कौन है?
हमारे पापों को अपने शरीर के ऊपर लेने के लिए यीशु मसीह ने जो बपतिस्मा लिया और उसका क्रूस पर चढ़ना और लहू बहाना हमारे लिए सच्चे जीवन की रोटी है। हमें अपना शरीर और लहू बने के द्वारा, यीशु मसीह अनन्त जीवन की रोटी बना। जैसे यूहन्ना ६:४८-५८ हमें बताता है: “जीवन की रोटी मैं हूँ। तुम्हारे बापदादों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए। यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरे। जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी, मैं हूँ। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा; और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूँगा, वह मेरा मांस है।” इस पर यहूदी यह कहकर आपस में झगड़ने लगे, “यह मनुष्य कैसे हमें अपना मांस खाने को दे सकता है?” यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊँगा। क्योंकि मेरा मांस वास्तव में खाने की वस्तु है, और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में। जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा, और मैं पिता के कारण जीवित हूँ, वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा। जो रोटी स्वर्ग से उतरी यही है, उस रोटी के समान नहीं जिसे बापदादों ने खाया और मर गए; जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा।”
हमारे प्रभु ने कहा, “यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरे। जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी, मैं हूँ। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा।” “सवर्ग से उतारी हुई रोटी” क्या है? इसका मतलब है की यीशु का शरीर और लहू। बाइबल में, यीशु का शरीर हमें बताता है की यीशु ने यरदन नदी में यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को अपने ऊपर उठाया। और यीशु का लहू हमें बताता है की क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा लिया, इसलिए उसने जगत के पापों को उठाया और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा दण्ड को सहा।
साक्षी के संदूक में कटोरे में रखा गया मन्ना इस्राएलियों के लिए जीवन की रोटी था जब वे जंगल में थे, और नए नियम के समय में, इसका आत्मिक अर्थ यीशु मसीह की देह को दर्शाता है। यह सत्य हमें बपतिस्मा को दिखता है जिसके द्वारा यीशु ने सारे पापियों के अपराधों को ले लिया था और लहू को दिखता है जो उसने क्रूस पर बहाया था। क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा के द्वारा जगत के सारे पाप अपनी देह पर उठाए और अपना लहू बहाकर क्रूस पर मरा, इसलिए उसका बपतिस्मा और लहू बहाना ने जीवन का अनन्त स्रोत बना है जो विश्वासियों को नया जीवन पाने के लिए सक्षम बनाता है।
वह देह जो यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा पापियों के अपराधों को उठाने के लिए दे दी थी और लहू जो उसने क्रूस पर बहाया था वे जीवन की रोटी है जो सारे पापियों को पाप की माफ़ी प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाते है। इसलिए हम सब को यह कारण समझना होगा की क्यों यीशु ने कहा, “जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं” (यूहन्ना ६:५३)।
कौन बड़ा है?
जब हम यूहन्ना ६ की ओर देखते है, तब हम देख सकते है की ज्यादातर यहूदी मूसा को यीशु से बड़ा मानते है। जब यीशु इस पृथ्वी पर आया, तब उन्होंने उससे पूछा, “क्या तू हमारे पिता मूसा से बड़ा है?” वास्तव में, वे मूसा को सबसे बड़ा मानते थे। क्योंकि यहूदी यीशु को मसीहा के रूप में पहचानने से विफल हुए, इसलिए उन्होंने उसे घृणित व्यक्ति के तौर पर देखा। इसलिए उन्होंने उसे चुनौती देते हुए पूछा, “क्या तू मूसा से बड़ा है?” इस्राएल के लोग यहोवा परमेश्वर पर विश्वास करते थे, और केवल ३० साल का जवान व्यक्ति आता है और दावा करता है, “तुम्हारे बापदादों ने मन्ना खाया और मर गए, जो कोई भी वह रोटी खाता है जो में देता हूँ वह मरेगा नहीं।” इसी लिए वे मूसा और यीशु के सामर्थ्य की तुलना करते है।
जैसे बाद में यीशु ने घोषणा की, “पहले इसके की अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ,” वह मानव इतिहास में सारे मनुष्यों से बड़ा है, क्योंकि वह खुद सृष्टिकर्ता है। कैसे कोई मनुष्य अपने सृष्टिकर्ता को चुनौती दे सकता है? फिर भी, कुछ लोग अभी भी कहते है ली यीशु केवल एक महान शिक्षक है, मानव इतिहास के ज्ञानिओं में से एक। कैसी निंदा है यह! यीशु परमेश्वर, राजाओं का राजा, और सारे ब्रह्मांड का सृष्टिकर्ता है। वह सर्वसामर्थी और सर्वज्ञानी परमेश्वर है। फिर भी उसने अपने आप को नम्र किया और आपको और मुझे जगत के सारे पाप और अनन्त मृत्यु से बचाने के लिए इस पृथ्वी पर हमारा उद्धारकर्ता बनने के लिए आया।
यीशु मसीह ने कहा है, “भविष्यद्वक्ताओं के लेखों में यह लिखा है : ‘वे सब परमेश्वर की ओर से सिखाए हुए होंगे।’ जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है। यह नहीं कि किसी ने पिता को देखा है; परन्तु जो परमेश्वर की ओर से है, केवल उसी ने पिता को देखा है।” अन्त में, यीशु मूलभूत रित से यह कहता है की वह मसीह है जिसका इंतज़ार यहूदी लोग कर रहे थे। लेकिन यीशु जो कह रहा थो उसे समझने में वे विफल रहे, न तो विश्वास कर पाए और न ही स्वीकार पाए, और इसके परिणाम स्वरुप गलतफहमी पैदा हुई, और वे अचंभित हुए, “तुम कैसे अपनी देह हमें खाने के लिए दे सकते हो? क्या तुम यह कह रहे हो की यदि हम सच में तुम्हारी देह को खाए और तुम्हारा लहू पिए तो ही हम उद्धार प्राप्त कर सकते है? क्या तुम ऐसा सोचते हो की हम कोई आदमखोर है?”
लेकिन जो कोई यीशु की देह को खाएगा और उसके लहू को पिएगा वह हमेशा के लिए जीवित रहेगा। यीशु की देह जीवन की रोटी है। इस कटोरे में रखे मन्ना का वास्तविक तत्व, जीवन की रोटी, यीशु मसीह की देह और लहू है। इस पृथ्वी पर आकर और अपनी देह और लहू देकर, यीशु ने हमें जीवन की रोटी खाने और अनन्त जीवन प्राप्त करने के योग्य बनाया है।
तो फिर कोई कैसे यीशु की देह को खा सकता है और उसका लहू पी सकता है? यीशु की देह को खाने और उसके लहू को पीने का केवल एक ही रास्ता है की यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए उसके लहू पर विश्वास करना। हमें विश्वास के द्वारा यीशु की देह को खाना चाहिए और लहू को पीना चाहिए। आपको और मुझे पाप की माफ़ी देने और स्वर्ग के राज्य में हमेशा के लिए जीवन जीने के योग्य बनने के लिए, प्रभु ने बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाकर एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों को दूर किया है, और इस प्रकार वह हमारी आत्मा का भोजन बना है। अब, पानी और आत्मा के परमेश्वर के वचन पर विश्वास करने के द्वारा, हमें इस आत्मिक भोजन को खाना चाहिए और अनन्त जीवन प्राप्त करना चाहिए।
मुझे विस्तृत रूप से यह प्रमाण देने दीजिए की कैसे हम यीशु की देह को खा सकते है और उसके लहू को पी सकते है। जैसे की आप और मैं अच्छी तरह जानते है, यीशु ने इस पृथ्वी पर आकर ३० साल की उन्म्र में यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को उठाया, और फिर, मृत्यु तक क्रूस पर लहू बहाने के द्वारा उसने हमारे पापों का दण्ड सहा।
उसी रूप से, जो लोग अपने हृदय में यीशु के लहू पर विश्वास करते है वे अपनी प्यास को बुझाएँगे, क्योंकि यीशु ने क्रूस पर जो दण्ड सहा उसकी वजह से उनके पाप के सारे दण्ड समाप्त हुए है। हमें इस सत्य को पहचानना चाहिए। और हमें इस पर विश्वास करना चाहिए। क्योंकि यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए और यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों का स्वीकार किया, इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा हम एक ही बार में हमेशा के लिए सारे पापों से शुध्ध हुए है।
परमेश्वर ने हमें विश्वास से यीशु की देह को खाने और उसके लहू को पिने के लिए कहा है। क्योंकि यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा सारे पापों को ले लिया है, किसी भी अपराध को नहीं छोड़ा है, और क्योंकि उसने क्रूस के दण्ड के लिए अपना शरीर दे दिया और अपना कीमती लहू बहाया, इसलिए जो लोग विश्वास करते है उनके हृदय अब शुध्ध और तृप्त हुए है, क्योंकि उन्होंने विश्वास के द्वारा अपने सारे पापों को साफ़ किया और पाप के सारे दण्ड को सहा। इसी लिए यीशु ने कहा, “क्योंकि मेरा मांस वास्तव में खाने की वस्तु है, और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है” (यूहन्ना ६:५५)।
सबसे बड़ा आश्वासन, यह यीशु वास्तव में उद्धारकर्ता है, परमेश्वर का पुर्त जिसने हमारे पाप को साफ़ किया और हमारे पापों का दण्ड सहा। पाप की मजदूरी मृत्यु है यह घोषित करनेवाली व्यवस्था से हमें बचने के लिए, हमारे सारे पापों से हमें शुध्ध करने के लिए, और हमें हमारे सारे दण्ड से छुडाने के लिए, यह उद्धारकर्ता और परमेश्वर के पुत्र ने, क्रूस पर अपना शरीर दे दिया, अपना लहू बहाया, और इस प्रकार जो विश्वास करते है उनके हृदय को शुध्ध किया और उनकी प्यास को बुझाया। यह यीशु की देह और लहू का प्रभाव है।
यीशु उद्धारकर्ता है जिसने मनुष्यजाति के पापों को और दण्ड को उठाया। यीशु वो उद्धारकर्ता है जिसने बपतिस्मा लेने के द्वारा मनुष्यजाति के पापों का स्वीकार किया, और जो इन पापों के दण्ड को सहने के लिए क्रूस पर चढ़ा और अपना लहू बहाया। क्योंकि जगत के सारे पाप यीशु पर डाले गए थे और उसने उसे स्वीकार किया था इसलिए क्रूस पर उसने जिस दण्ड को सहा था वह हमारे खुद के पाप का दण्ड बना।
पानी और आत्मा के सत्य पर विश्वास करने के द्वारा हम पाप की माफ़ी को पा सकते है। आप सब को यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू बहाने पर अपने खुद के पापों की माफ़ी के रूप में विश्वास करना चाहिए। इस सत्य के सुसमाचार पर विश्वास करने के कारण हम आत्मिक रीति से यीशु के मांस को खा सकते है और उसके लहू को पी सकते है। दुसरे शब्दों में, यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र इस पृथ्वी पर आया, अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को उठाया, क्रूस पर हमारे पापों का सारा दण्ड सहा यह विश्वास करने के द्वारा हम ऐसे लोग बन सकते है जो उसके मांस को खाने, लहू को पीने और अनन्त जीवन प्राप्त करने के योग्य हो। यीशु के बपतिस्मा और बहाए हुए लहू पर विश्वास करने के द्वारा, अब हम उसके मांस को खा सकते है और लहू को पी सकते है। यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए उसके लहू को हमारे खुद के पाप की माफ़ी के भोजन के रूप में खाकर हम सारे पापों से छूटकारा पा सकते है। इस विश्वास के द्वारा हम हमारे पाप की माफ़ी को प्राप्त करने, परमेश्वर की संतान बनने, और हमेशा के लिए परमेश्वर के राज्य में जीवन जीने के योग्य बने है।
हारून की छड़ी में कलियाँ
साक्षी के संदूक में रखी चीजों के बिच में, हारून की छड़ी जिसमे कलियाँ फूटी थी वह यीशु मसीह को स्वर्ग के राज्य के महायाजक के रूप में दर्शाती है। ये हमें यह भी बताती है की उसमे अनन्त जीवन पाया जाता है। इस के बारे में हमारी समज को सरल बनाने के लिए, आइए हम गिनती १६:१-२ की ओर मुड़ते है: “कोरह जो लेवी का परपोता, कहात का पोता, और यिसहार का पुत्र था, वह एलीआब के पुत्र दातान और अबीराम, और पेलेत के पुत्र ओन, इन तीनों रूबेनियों से मिलकर मण्डली के ढाई सौ प्रधान, जो सभासद और नामी थे, उनको संग लिया; और वे मूसा और हारून के विरुद्ध उठ खड़े हुए।”
यहाँ यह भाग हमें बताता है की लेवियों के बिच में, मण्डली के ढाई सौ प्रधान मिलकर मूसा के विरुध्ध उठ खड़े हुए। उन्होंने कहा, “मोसा और हारून तुमने हमें मिस्र से बहार निकालकर हमारे लिए क्या किया? क्या तुमने हमें दाख की बाड़ी दी? तुमने हमारे लिए क्या किया? क्या तुम हमें जल के ताल के पास लेकर गए? तुमने हमारे लिए क्या किया? क्या तुम हमें अन्त में इस मरुभूमि में मरने के लिए लेकर नहीं आए? तुम कैसे अपने आप को परमेश्वर के सेवक कह सकते हो? क्या परमेश्वर केवल तुम्हारे द्वारा ही कार्य करता है? दुसरे शब्दों में, वे मूसा और हारून की अगवाई के विरुध्ध में उठ खड़े हुए।
उस समय, परमेश्वर ने कोरह, दातान, ओन, और मण्डली के बाकी अगुवे जो विरोध में उठ खड़े हुए थे उन्हें कहा, “सब प्रधानों के पास से एक एक छड़ी ले और उन छड़ियों में से एक एक पर एक एक के मूल पुरुष का नाम लिख। फिर इन छड़ियों को मिलापवाले तम्बू में साक्षीपत्र के आगे रख। उन्हें पूरी रात वहाँ रख और दुसरे दिन उन्हें देखो।” फिर परमेश्वर ने कहा, “और जिस पुरुष को मैं चुनूँगा उसकी छड़ी में कलियाँ फूट निकलेंगी; और इस्राएली जो तुम पर बुडबुडाते रहते है, वे बुडबुडाना मैं अपने ऊपर से दूर करूँगा” (गिनती १७:५)। वचन ८ में, हम देखते है की, “हारून की छड़ी जो लेवी के घराने के लिए थी उस में कलियाँ फूट निकलीं, अर्थात् उसमे कलियाँ लगीं, और फूल भी फूले, और पके बादाम भी लगे है।”
फिर वचन १० में हम देखते है, “फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून की छड़ी को साक्षीपत्र के सामने फिर धर दे, कि यह उन दंगा करनेवालों के लिये एक निशान बनकर रखी रहे कि तू उनका बुड़बुड़ाना जो मेरे विरुद्ध होता रहता है भविष्य में रोक रखे, ऐसा न हो कि वे मर जाएँ।” इस तरह हारून की छड़ी जिस पर कलियाँ फूटी थी उसे साक्षी के संदूक के अन्दर रखा गया था।
यह इस बात को दिखाता है की, हारून, लेवी का वंश, जिसका इस्राएल के लोगों के लिए महायाजक के रूप में अभिषेक किया गया था। मूसा परमेश्वर का भविष्यवक्ता था और हारून और उसके वंशज इस्राएल के लोगों के महायाजक थे। परमेश्वर ने खुद हारून को पृथ्वी पर के महायाजक की जिम्मेदारी दी थी। परमेश्वर ने मूसा को बलिदान की पध्धति दिखाई, जहाँ इस्राएल के लोग जब भी पाप करते थे तब बलिदान का अर्पण करते थे और परमेश्वर को चढाते थे, और उसने हारून को बलिदान की पध्धति के अनुरूप अर्पण चढ़ाने के लिए प्रबंधक के तौर पर रखा था।
जैसे परमेश्वर ने महायाजक हारून को याजकीय पद दिया था, वैसे वहाँ और भी ऐसे लोग थे जिन्होंने उसके याजकीय पद के विरुध्ध चुनौती दी, और इसी लिए परमेश्वर ने हारून की छड़ी पर कलियाँ को उगाया, और दिखाया की उसका याजकीय पद परमेश्वर की ओर से आया था। फिर उसने इस्राएल को लोगों को कहा की वे इस छड़ी को साक्षी के संदूक के अन्दर यादगिरी के तौर पर रखने के लिए कहा। इसी प्रकार व्यवस्था की दो तख्तियाँ, मन्ना से भरा कटोरा, और हारून की छड़ी जिस पर कलियाँ फूटी थी उसे साक्षी के संदूक में रखा गया। तो फिर यह तिन चीजे आत्मिक तौर पर क्या दर्शाते है? वे यीशु मसीह हमारे उद्धारकर्ता की सेवकाई को दर्शाते है।
हमारे सारे पापों को मिटाने के लिए यीशु मसीह ने कौन सी सेवकाई को परिपूर्ण किया?
सबसे पहले उसने भविष्यवक्ता की सेवकाई को परिपूर्ण किया। वह आल्फा और ओमेगा है। वह आदि और अन्त को जानता है, और उसने हमें आदि और अन्त के बारे में सिखाया है। हमारा प्रभु जानता है की यदि हम पापी बने रहे तो मनुष्यजाति यानी आप के और मेरे साथ क्या होनेवाला है।
दूसरा, यीशु स्वर्ग के राज्य का अनन्त महायाजक बना है। वह इस पृथ्वी पर आया क्योंकि वह खुद हमारा उद्धारकर्ता बनकर हमें पापों से बचाना चाहता था, स्वर्ग के राज्य का सच्चा महायाजक बनाकर हमें सपूर्ण रीति से बचाना चाहता था।
तीसरा, यीशु मसीह हमारा राजा है। बाइबल बताती है, “उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है : “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु” (प्रकाशितवाक्य १९:१६)। वह पूरे ब्रह्मांड का सृष्टिकर्ता है, और इसलिए उसके पास सब चीजो के ऊपर शासन करने का अधिकार है।
हम सब को समझना चाहिए की यीशु मसीह, जो हमारा सच्चा राजा है, भविष्यवक्ता जिसने हमें पाप से हमारे उद्धार के सत्य को सिखाया, और स्वर्ग का अनन्त महायाजक, अब हमारा उद्धारकर्ता बना है।
हमारे प्रभु ने आपको और मुझे पाप से छुडाया है, हमें परमेश्वर के लोग, उसकी संतान और उसके सेवक बनाया है, और उसने हमें भले काम करने के योग्य बनाया है। उसने हमारी आत्मा को नया जीवन पाने के लिए सक्षम बनाया है ताकि हम इस पृथ्वी पर भी नया जीवन जी पाए, और उसने हमें नया जीवन दिया है ताकि जब समय आए, तो वह हमारे शरीर को हमेशा के लिए स्वर्ग में उसके साथ जीवन जीने के लिए जीवित कर पाए। आपके और मेरे लिए यीशु मसीह कौन है? वह हमारा सच्चा उद्धारकर्ता है। और यीशु मसीह हमारा भविष्यवक्ता, हमारा अनंतकाल का महायाजक और हमारा राजा है।
हालाँकि हम परमेश्वर की इच्छा का अनादर करना नहीं चाहते, लेकिन हम इतने अपर्याप्त और कमज़ोर है की हरसमय हम पाप करते रहते है। यदि हम निरंतर इस तरह जीवन जीना ज़ारी रखेंगे, इस तरह मरेंगे और फिर परमेश्वर के सामने खड़े होंगे, तो फिर हमारे लिए जाने की सही जगह कौनसी होगी? वह स्वर्ग होगा या नरक होगा? यदि हम सब का न्याय उस व्यवस्था के अनुसार होगा जो घोषित करती है की, “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है,” तो क्या हमारा नाश नहीं होगा? जिसने हमारे जैसे लोगों को पाप से और नाश से बचाया है और हमारा उद्धारकर्ता बना है वह यीशु मसीह है। वह खुद इस पृथ्वी पर आया, हमें प्रेम किया, और हमारा उद्धारकर्ता बना जिसने हमें पाप से छुड़ाया, और इस प्रकार अपनी भेड़ का महान चरवाहा बना।
यूहन्ना ३:१६ कहता है, “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” परमेश्वर ने आपसे और मुझसे इतना प्रेम किया की वह खुद हमारे लिए इस पृथ्वी पर आया, जगत के पापों को उठाने के लिए बपतिस्मा लिया, वह क्रूस पर चढ़ा और मर गया, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और ऐसे वह सच में हमारा उद्धारकर्ता बना। इसलिए, यीशु मसीह जो हमारा उद्धारकर्ता बना है उस पर हमारे हृदय में विश्वास करने के द्वारा, हम पाप से शुध्ध हुए लोग बनते है, जिन्होंने उद्धार का उपहार प्राप्त किया है, जो हमें परमेश्वर की संतान बनने और अनन्त जीवन प्राप्त करने के योग्य बनाता है।
एक ऐसी चीज है जिसे हमें परमेश्वर पर विश्वास करने से पहले सुनिश्चित करना चाहिए। क्योंकि परमेश्वर ने हमें प्रेम किया, और हमारे पापों को मिटाने के लिए वह मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आया, बपतिस्मा लिया, क्रूस पर मरा, मृत्यु से जीवित हुआ, और इस प्रकार हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बना। हमारे हृदय में विश्वास से यीशु के मांस को खाने और उसके लहू को पीने के द्वारा हमें अनन्त जीवन मिला है। क्योंकि इस हकीकत से ज्यादा कुछ स्पष्ट नहीं है, इसलिए हमें इसे समझना चाहिए और इस पर विश्वास करना चाहिए।
हमें विश्वास के द्वारा यीशु के मांस को खाना और उसके लहू को पीना चाहिए। और जो कोई यीशु के द्वारा परिपूर्ण इस पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता है वह इस विश्वास को प्राप्त कर सकता है। विश्वास के अलावा हमें ओर क्या करना चाहिए? हम परमेश्वर के सामने खड़े रहने के अलावा ओर कुछ नहीं कर सकते। हम परमेश्वर की आज्ञा मानने और पाप करने में उतावले है। लेकिन फिर भी परमेश्वर ने आपको और मुझे हमारे सारे पाप से एक ही बार में हमेशा के लिए बचाया है, क्योंकि वह हम सब को प्रेम करता है।
पुराने नियम में परमेश्वर ने अपने उद्धार के बारे में कैसे बात की थी?
तो फिर परमेश्वर ने हमें कौन से तरीके से बचाया है? पुराने नियम में, मिलापवाले तम्बू के द्वार और महायाजक ने पहने कपड़े में प्रगट हुए रंगों के द्वारा इस उद्धार के बारे में बात की थी। मिलापवाले तम्बू के द्वार में प्रगट हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के रंग प्रकाशन है जो हमें उसके सम्पूर्ण उद्धार के बारे में बताते है। और महायाजक के कपड़ों में सोने की डोर भी जोड़ी गई थी।
नीला कपड़ा हमें बताता है की यीशु मसीह इस पृथ्वी पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में आए और बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे सारे पापों को ले लिया। बैंजनी कपड़ा हमें बताता है की यीशु मसीह राजाओं का राजा और सृष्टिकर्ता परमेश्वर है जिसने ब्रह्मांड को बनाया है। लाल कपड़ा हमें बताता है की क्योंकि यीशु मसीह ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को ले लिया, उसने जगत के सारे पापों को ले लिया और अपना लहू बहाने के द्वारा उन पापों के लिए क्रूस पर दण्ड सहा आर मर गया, इस प्रकार हमें उद्धार दिया जिसने हमें हमारे सारे पापों के दण्ड से छुडाया।
बटी हुई सनी के कपड़े का मतलब है पुराने और नए नियम के विस्तृत वचन जो हमें बताते है की हमारा प्रभु इस पृथ्वी पर आया, बपतिस्मा लिया, क्रूस पर मरा, मृत्यु से जीवित हुआ, और इस प्रकार विश्वास करनेवालों के पापों को मिटाया, उनकी आत्मा को हिम के नाई श्वेत बनाया, और उन्हें बचाया। सोने का धागा विश्वास को दर्शाता है जो यीशु मसीह ने हमारे लिए जो कुछ भी किया उस पर विश्वास करता है। आपके और हमारे पास घमंड करने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन जब हम यीशु मसीहा, खुद परमेश्वर और परमेश्वर के पुत्र ने हमारे लिए जो भी किया उस पर विश्वास करते है। उसने जो धर्मी कार्य किए केवल उस पर विश्वास करने के द्वारा ही हम सच में परमेश्वर का प्रेम पा सकते है, उसकी आशीष प्राप्त कर सकते है, और उसके द्वारा अभिलषित किए जा सकते है।
मिलापवाले तम्बू के अन्दर रखे साक्षी के संदूक के द्वारा परमेश्वर हमें क्या कह रहा है ये हमें समझना चाहिए। हमें जानना और विश्वास करना चाहिए की यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आया, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर मनुष्यजाति के और हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, क्रूस पर मरने के द्वारा पाप के दण्ड को सहा, और मृत्यु से फिर जीवित हुआ। साक्षी के संदूक के द्वारा, परमेश्वर यह प्रगट करता है की हमें यीशु मसीह पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में, हमारे खुद के परमेश्वर के रूप में विश्वास करना चाहिए। जो लोग विश्वास करते है की यीशु ने उनके पापों के लिए बपतिस्मा लिया, यीशु ने उनके पाप का दण्ड सहने के लिए क्रूस पर लहू बहाया, यीशु की मृत्यु उनकी खुद की मृत्यु थी, यीशु का पुनरुत्थान उनका खुद का पुनरुत्थान था – यह वे लोग है जिन्हें परमेश्वर ने बचाया है।
तो फिर यह मिलापवाला तम्बू किसे दर्शाता है? यह यीशु मसीह को दर्शाता है। यह हमें उद्धार की उस पध्धति के बारे में बताता है जिसके द्वारा यीशु मसीह ने आपको और मुझे बचाया है। नए नियम में, यीशु मसीह थे जिसने बपतिस्मा लिया और क्रूस पर मरा, इस प्रकार हमारे सारे पापों को मिटाया, उन्हें साफ़ किया, हमारे अपराधों के लिए दण्ड सहा, और एक ही बार में हमेशा के लिए हमें सारे पापों से बचाया।
पुराने नियम में, वह बलिदान का अर्पण था जो अपने सिर पर हाथ रखे जाने के द्वारा और अपना लहू बहाने और मरने के द्वारा पापियों को बचाता था। पुराना नियम बलिदान के अर्पण की मौत को प्रायश्चित की मौत के रूप में दर्शाता है जिसमे बलिदान का अर्पण इन पापियों के पाप को अपने सिर पर हाथ रखवाने के द्वारा अपने ऊपर उठाते थे। पुराने नियम में प्रगट हुई प्रायश्चित के बलिदान की पध्धति की तुलना जब नए नियम से की जाए, तो यह यीशु मसीह को दर्शाती है, पानी और आत्मा के सुसमाचार को परिपूर्ण करनेवाला जो बपतिस्मा और लहू से आया।
तो फिर उद्धार की यह व्यवस्था को किसने निर्धारित किया? परमेश्वर हमारे उद्धारकर्ता ने इसे निर्धारित किया। परमेश्वर ने उद्धार की व्यवस्था को स्थापित किया जो पापियों को पाप से बचाता है, और उसने यह व्यवस्था हमें दी है। साक्षी के संदूक में राखी व्यवस्था की दो तख्तियाँ, मन्ना का कटोरा, हारून की छड़ी जिसमे कलियाँ फूटी थी, और सारी चीजे यीशु मसीह के गुण और सेवकाई के बारे में हमें बताते है।
हारुन की छड़ी जिस पर कलियाँ फूटी थी वह हमें बताती है की जब हम यीशु मसीह पर विश्वास करते है जो आत्मिक तौर पर स्वर्ग के राज्य का महायाजक और महान चरवाहा बना तब परमेश्वर हमें बचाते है। मन्ना का कटोरा भी हमें यीशु मसीह के मांस और लहू के बारे में बताता है जो हमारे लिए जीवन की रोटी बना। व्यवस्था की दो तख्तियाँ भी हमें बताती है की परमेश्वर व्यवस्था का निर्माता है। परमेश्वर के द्वारा स्थापित व्यवस्था पाप और मृत्यु की व्यवस्था है और पाप की माफ़ी और उद्धार की व्यवस्था है। ऐसे हमारे परमेश्वर, यीशु ने हमारे लिए जीवन की व्यवस्था और दण्ड की व्यवस्था को स्थापित किया।
इस तरह से, साक्षी का संदूक और उसके अन्दर की सारी चीजे हमें यीशु मसीह के बारे में बताते है। यीशु मसीह पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करने के द्वारा हम हमारे सारे पापों से शुध्ध होते है और हमारा उद्धार प्राप्त करते है। कोई फर्क नहीं पड़ता की हम कितने अपर्याप्त और कमज़ोर है, लेकिन यदि हम यीशु मसीह द्वारा स्थापित दो व्यवस्थाओं पर विश्वास करते है, तो हम एक बार पापी बनते है, और फिर एक बार ओर हमारे पाप की माफ़ी पाने के द्वारा धर्मी बनते है और इस प्रकार परमेश्वर की संतान बनते है। क्या अप विश्वास करते है?
अब इस वर्त्तमान समय में, दुनियाभर के सार मसीही यीशु पर व्यर्थ विश्वास करते है, क्योंकि वे मिलापवाले तम्बू में प्रगट हुए सत्य को नहीं जानते है। वे विश्वास करते है की वे केवल क्रूस पर के यीशु के लहू पर विश्वास करने के द्वारा पापों की माफ़ी प्राप्त कर सकते है। दुसरे शब्दों में, वे विश्वास करते है की यीशु ने उन्हें केवल क्रूस के लहू से बचाया है। लेकिन क्या वास्तव में यीशु हमारे उद्धार के लिए केवल क्रूस पर मरे थे? क्या उसने हमारे छुटकारे के लिए केवल इतना ही किया था? इसके विपरीत, क्या उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए जगत के पापों को माहि उठाया था (मत्ती ३:१३-१५, १ पतरस ३:२१, १ यूहन्ना ५:६)?
लेकिन फिर भी आजके मसीही केवल यीशु के क्रूस पर के लहू पर ही विश्वास करते है, आधी रीति से ही पाप की माफ़ी प्राप्त करते है। इसलिए यीशु मसीह पर उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करके अपने मूल पापों से माफ़ी पाकर, वे हरदिन पश्चाताप की प्रार्थना करके खुद से अपने पाप साफ़ करने का प्रयास करते है। यह उध्ध्दार कितना विपरीत है? यह कुछ ऐसा है की विश्वास से अपने आधे पाप साफ़ करना और बाकी के पाप अपने खुद के प्रयास से साफ़ करना।
जब ऐसा है तो मैं कैसे यीशु के बपतिस्मा और लहू को एक साथ मिलाकर प्रचार करू? अब तक, प्रारंभ की कलीसिया के मसीही को छोड़ जगत के सारे मसीही, आधे उद्धार पर विश्वास करते है। क्या इसी लिए लोग मसीहियत को केवल सांसारिक धर्म के रूप में विश्वास नहीं करते?
बहुत कम समय पहले, संयुक्तराष्ट्र की वलेरिया जोन्स नाम की एक स्त्री ने इस मिलापवाले तम्बू की श्रेणी का पहला भाग पढ़कर पाप की माफ़ी पाई थी। उसने इस किताब को पढ़ने से पहले, उसने हमारी प्रकाशित की हुई दूसरी ओर भी किताब पढ़ी थी। हालाँकि हमारी किताब जो बताती थी उससे वह सहमत थी, फिर भी वह पानी और आत्मा के सुसमाचार से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थी। उसने हमें कहा की अभी भी उसे संदेह और आश्चर्य है, “यह सही लगता है, लेकिन कैसे बहुत सारे लोग इसका प्रचार नहीं करते?” लेकिन उसने अंगीकार किया की जब उसने मिलापवाले तम्बू की श्रेणी का पहला भाग पढ़ा, तब उसे उध्धार का स्पष्ट विश्वास मिला, विश्वास किया की पानी का सुसमाचार सही है, और यह मिलापवाले तम्बू में प्रगट हुआ सत्य है।
यही किताब को पढ़नेवाले बेनिन के व्यक्ति ने भी हमें लिखा, “आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की आपकी किताब को पढ़ने के द्वारा पाप की माफ़ी पाने के बाद, मैंने अपनी कलीसिया को नहीं छोड़ा। मैं क्यों उस कलीसिया को छोडू जिसमे मैं हिस्सा लेता आया हूँ? क्योंकि उन्होंने क्रमिक पवित्रता का सिध्धांत प्रचार किया, ऐसा जो बाइबल नहीं सिखाती। क्रमिक पवित्रता का यह सिध्धांत पूर्ण रूप से बाइबल के विरुध्ध है। जैसे वे सिखाना ज़ारी रखते है की मै पवित्र हो सकता हूँ और होना चाहिए जब की मेरी देह कभी भी पवित्र नहीं हो सकती, मेरे लिए ऐसे उपदेश सुनना असह्य था।
इसी लिए मैं इस कलीसिया से बहार निकला और खुद को इससे अलग कर दिया। क्योंकि मैंने आपकी किताब को पढ़ने के द्वारा मेरे पाप से माफ़ी पाई है, इसलिए मैं जिस कलीसिया में जा रहा था उसे छोड़ने और खुद को उससे अलग करने के अलावा मेरे पास ओर कोई विकल्प नहीं था। हम जो इन सब से गुजरे थे वे अब विश्वास के लोग बने है और परमेश्वर की कलीसिया के साथ जुड़े है, यदि जगत के सारे लोग इस सत्य को जाने तो वे भी बदल सकते है, वचन कहता है, “तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।”
साक्षी का संदूक यीशु मसीह को भी प्रगट करता है। साक्षी का यह संदूक मिलापवाले तम्बू के अन्दर के भाग में रखा गया था। कोई भी व्यक्ति केवल तम्बू के परदे को उठाकर और उसके अन्दर प्रवेश करके और फिर परमपवित्र स्थान के परदे को उठाकर और उसके अन्दर प्रवेश करके उसे देख सकता था। दुसरे शब्दों में, मिलापवाले तम्बू का द्वार पूर्व में था, और संदूक को तम्बू के अन्त में पश्चिम में रखा था।
डंडों को संदूक से अलग न किया जाए
निर्गमन २५:१४-१५ कहता है, “और पुरनियों से वह यह कह गया, “जब तक हम तुम्हारे पास फिर न आएँ तब तक तुम यहीं हमारी बाट जोहते रहो; और सुनो, हारून और हूर तुम्हारे संग हैं; यदि किसी का मुक़द्दमा हो तो उन्हीं के पास जाए।” तब मूसा पर्वत पर चढ़ गया, और बादल ने पर्वत को छा लिया।” इन वचन का क्या मतलब क्या है? इन वचनों के साथ, परमश्वर हमें कहता है की हमें खुद को समर्पित करने के द्वारा पानी और आत्मा के सुसमाचार की सेवा करनी चाहिए। जब हम खुद को उसके काम के लिए समर्पित करते है केवल तभी सुसमाचार का प्रसार होगा। सुसमाचार के प्रति खुद को समर्पित करने के द्वारा प्रभु की सेवा करना क्रूस के रास्ते का अनुसरण करना है की हमारे प्रभु हमारे आगे चले थे। इसी लिए उसने अपने चेलों से कहा था, “जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपने आपे से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर, मेरे पीछे हो ले” (मरकुस ८:३४)।
पूरे संसार में सच्चे सुसमाचार का प्रचार करने के लिए, बड़ा बलिदान, प्रयास और दुःख सहना जरुरी है। प्रेरित पौलुस ने पानी और आत्मा के सुसमाचार के लिए कितना दुःख उठाया यह देखने के द्वारा हम इसे ढूंढ सकते है: “क्या वे ही मसीह के सेवक हैं–मैं पागल के समान कहता हूँ–मैं उनसे बढ़कर हूँ! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में। पाँच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्तालीस उन्तालीस कोड़े खाए। तीन बार मैं ने बेंतें खाईं; एक बार मुझ पर पथराव किया गया; तीन बार जहाज, जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात-दिन मैं ने समुद्र में काटा। मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जातिवालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों के जोखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जोखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में रहा। परिश्रम और कष्ट में; बार बार जागते रहने में; भूख-प्यास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में; और अन्य बातों को छोड़कर जिनका वर्णन मैं नहीं करता, सब कलीसियाओं की चिन्ता प्रतिदिन मुझे दबाती है” (२ कुरिन्थियों ११:२३-२८)।
हालाँकि, जो लोग प्रभु से ज्यादा खुद को प्रेम करते है जिसने उन्हें सारे दण्ड से बचाया था वे परमेश्वर के राज्य के लिए बलिदान नहीं दे सकते। पानी और आत्मा के सुसमाचार की सेवा करने का कोई आसान रास्ता नहीं है। कैसे कोई किसान पसीना बहाए बिना अच्छी कटनी की आशा कर सकता है?
इस तरह, साक्षी का संदूक हमारे बलिदान के द्वारा उठाया जाना चाहिए। दाउद राजा ने एक बार मनुष्यों के द्वारा डंडे से उठाकर लाने की बजाए संदूक को नई बैल गाडी में लेकर आने का प्रयास किया था, लेकिन उनके मार्ग में, बैलों ने ठोकर खाई, और उज्जा नाम के व्यक्ति ने अपना हाथ बढ़ाकर संदूक को पकड़ा। फिर परमेश्वर का क्रोध उज्जा पर भड़का और परमेश्वर ने उज्जा को वहाँ मार दिया (२ शमुएल ६:१-७)। इसलिए दाउद, इससे घबरा गया और उस दिन परमेश्वर से डर गया, और सन्दूक को ओबेद अदोम गित्ती के घर में रखा। वह केवल मनुष्यों के कन्धों पर संदूक को उठवाकर तिन महीने बाद अपने किले में पहुचा। जैसे यह घटना स्पष्ट कराती है वैसे हमें भी साक्षी के संदूक को जैसे परमेश्वर ने कहा है वैसे ही अपने पसीने और लहू से, हमारे बलिदान से, और उसके सुसमाचार के प्रति हमारे समर्पण से उठाना चाहिए।
जिन्होंने धन्यवाद के साथ वास्तव में पाप की माफ़ी प्राप्त की है वे परमेश्वर के सामने समर्पित होने के लिए सबसे खुश होंगे जिसने खुद को हमारे लिए समर्पित किया था। हम बार बार हमारा धन्यवाद प्रभु को हमारे उद्धारकर्ता और परमेश्वर को देते है। हम उसका धन्यवाद करते है की उसने हमें इस पृथ्वी पर सुसमाचार की सेवा करने के लिए सक्षम बनाया है।
हम सब इस वास्तविकता जैसे सपने के द्वारा अचंबित और आनंदित है, की परमेश्वर ने हमें इस सुसमाचार की सच्चाई की सेवा करने के लिए, उसका अनुसरण करने और उसे प्रसन्न करनेवाला जीवन जीने के लिए चुना है। हमें केवल उद्धार के सत्य को जानने के लिए अनुमति दी यह हमारे आनन्द के लिए काफी है, एयर फिर भी प्रभु ने हमें इस सुसमाचार की सेवा करने के लिए अनुमति दी है। इतनी महान आशीष देने के बाद, हम कैसे उसका धन्यवाद नहीं कर सकते? हम हमारा सारा धन्यवाद परमेश्वर को देते है। यही कारण है की हम विश्व सुसमाचार प्रचार के पवित्र कार्य के लिए सुसमाचार का प्रसार करने के लिए हम हमारा समय, प्रयास या सम्पति का बलिदान देने के लिए तैयार है।
वास्तव में, हमने पाप की माफ़ी पाई है वह अपने आप में अनन्त धन्यवाद के योग्य है। लेकिन इससे परमेश्वर रुके नहीं है, लेकिन उसने हमें सुसमाचार के सत्य को यानी की पानी और आत्मा के सुसमाचार को प्रसार करने के लिए सक्षम बनाया है – हमारे लिए यह महान आशीष क्या है?
ओर कौन इस पानी और आत्मा के सुसमाचार को प्रचार करने की हिम्मत कर सकते है? कोई भी व्यक्ति इस सुसमाचार की सेवकाई नहीं कर सकता। क्या राजनेता इसकी सेवकाई कर सकते है? मेयर? राष्ट्रपति? राजा? कोई फर्क नहीं पड़ता की ऐसे लोगों की सामाजिक पदवीं कितनी बड़ी है, यदि वे पानी और आत्मा के सुसमाचार को नहीं जानते और विश्वास नहीं करते, तो वे कभी भी सच्चे सुसमाचार की सेवकाई नहीं कर सकते। फिर भी परमेश्वर ने हमें अनुपयुक्त मौक़ा दिया है और वास्तव में इस सुसमाचार की सेवकाई के लिए सक्षम बनाया है। कितनी महान आशीष है यह?
मैं अनुग्रह के परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ जिसने मुझे बचाया, क्योंकि उसने हमें प्रेम किया। भाइयों और बहनों, हम विश्वास करते है की यीशु मसीह हमारा परमेश्वर और उद्धारकर्ता है। हम परमेश्वर के वो लोग है हमारे आत्मिक विश्वास के द्वारा यीशु के मांस को खाते है और उसके लहू को पीते है। बाइबल कहती है की यीशु मरे हुओ का परमेश्वर नहीं है लेकिन ज़िंदा लोगों का परमेश्वर है (लूका २०:३८), और यहाँ जीवित लोग ओर कोई नहीं लेकिन वो है जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा अनन्त जीवन पाया है। जो कोई इस सुसमाचार के सत्य पर विश्वास नहीं करता वह आत्मिक रीति से मरा हुआ है, और जो इस पर विश्वास करते है वे आत्मिक रीति से ज़िंदा है। परमेश्वर वास्तव में उन लोगों का परमेश्वर है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है।
भाइयों और बहनों, यीशु ने खुद अपनी देह और लहू के द्वारा हमें पाप की माफ़ी दी है। आपको समझना चाहिए की यदि आप इस सत्य पर विश्वास नहीं करते, तो आपका यीशु के साथ कोई लेनादेना नहीं है। यीशु मसीह आपको स्वर्गीय आशीष, अनन्त जीवन, और आपके पापों की माफ़ी देता है। वह कौन है जो चरवाहा बना जिसने आपको अनन्त आशीषे दी, जो आपकी अगवाई करता है और आपको बनाए रखता है? यह यीशु मसीह है पानी और आत्मा के सुसमाचार को परिपूर्ण करनेवाला। यीशु यह परमेश्वर है। मैं आशा और प्रार्थना करता हूँ की आपमें से प्रत्येक लोग इस यीशु पर अपने परमेश्वर के रूप में विश्वास करे।
मेरे लिए, अब मैं न केवल इस सत्य पर विश्वास करता होण और परमेश्वर की सेवा करता हूँ, लेकिन मैं भविष्य में भी यह करना ज़ारी रखूँगा। लेकिन आपके बारे में क्या? क्या अप पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है? और क्या आप विश्वास करते है की आपको अपने विश्वास के द्वारा परमेश्वर की कलीसिया में और मसीह के प्रेम में निवास करना चाहिए? आइए हम सब जब तक प्रभु से नहीं मिलते तब तक पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा हमारा जीवन बिताए।