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শিক্ষা

विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-28] पानी और आत्मा के सुसमाचार के लिए गाँठ (निर्गमन २५:३१-४०)

पानी और आत्मा के सुसमाचार के लिए गाँठ
(निर्गमन २५:३१-४०)
“फिर चोखे सोने की एक दीवट बनवाना। सोना ढलवाकर वह दीवट पाये और डण्डी सहित बनाया जाए; उसके पुष्पकोष, गाँठ और फूल, सब एक ही टुकड़े के बनें; और उसके किनारों से छ: डालियाँ निकलें, तीन डालियाँ तो दीवट के एक ओर से और तीन डालियाँ उसके दूसरी ओर से निकली हुई हों; एक एक डाली में बादाम के फूल के समान तीन तीन पुष्पकोष, एक एक गाँठ, और एक एक फूल हों; दीवट से निकली हुई छहों डालियों का यही आकार या रूप हो; और दीवट की डण्डी में बादाम के फूल के समान चार पुष्पकोष अपनी अपनी गाँठ और फूल समेत हों; और दीवट से निकली हुई छहों डालियों में से दो दो डालियों के नीचे एक एक गाँठ हो, वे दीवट समेत एक ही टुकड़े के बने हुए हों। उनकी गाँठें और डालियाँ, सब दीवट समेत एक ही टुकड़े की हों, चोखा सोना ढलवाकर पूरा दीवट एक ही टुकड़े का बनवाना। और सात दीपक बनवाना; और दीपक जलाए जाएँ कि वे दीवट के सामने प्रकाश दें। उसके गुलतराश और गुलदान सब चोखे सोने के हों। वह सब इन समस्त सामान समेत किक्‍कार भर चोखे सोने का बने। और सावधान रहकर इन सब वस्तुओं को उस नमूने के समान बनवाना, जो तुझे इस पर्वत पर दिखाया गया है।”
 

यह भाग तम्बू के दीवट का वर्णन करता है। आज मैं पुष्पकोश, फूल और दीपक के आत्मिक मतलब का वर्णन करूंगा। परमेश्वर ने सबसे पहले मूसा को सोने से दीवट की डंडिया बनाने का आदेश दिया था। इसलिए पहले डंडियों को बनाया गया, और फिर इन डंडियों से डालियों को बनाया गया। दीवट की प्रत्येक बाजू से तिन डालियाँ निकलती थी, और प्रत्येक डालियों पर बादाम के फूल के समान तिन पुष्पकोश बने थे, और फिर गांठ और फूल बनाए गए। इस तरह, डालियों के ऊपर सात दीपक को रखे गए थे। फिर उजियाला करने के लिए इन दीपकों के अन्दर तेल डाला गया। इस प्रकार दीवट पवित्र स्थान के अन्दर के भाग को और सारे पात्र को प्रकाशित करता था।
आपके और मेरे लिए हमारे प्रभु, स्वर्ग के राजाओं के राजा, मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आए। और इस पृथ्वी पर यीशु ने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए उद्धार के कार्य को आगे बढ़ाया। यह उद्धार का कार्य यीशु मसीह के द्वारा परिपूर्ण हुआ जिसने इस पृथ्वी पर जन्म लिया, अपनी ३० साल की उम्र में यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया, और फिर क्रूस पर दण्ड सहा। “इस प्रकार” हाथ रखने की विधि के रूप में बपतिस्मा लेने के द्वारा, यीशु ने मनुष्यजाति के सारे पापों को ले लिया (मत्ती ३:१५)। क्योंकि यीशु जो मनुष्य बना था उसने बपतिस्मा लेने के द्वारा मनुष्यजाति के सारे पापों को ले लिया था, जिसे क्रूस पर चढ़ाया गया और अपना लहू बहाया, और इस प्रकार नीले और लाल कपड़े में प्रगट हुए अपने उद्धार के कार्य को आगे बढाया। यह वो सच्चाई है जिसके ऊपर परमेश्वर की कलीसिया की नींव रखी गई है।
हमारा प्रभु कलीसिया की गाँठ बना है। परमेश्वर आपके और मेरे लिए उद्धार की नींव बना है जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है। इसलिए, अप और मैं यह विश्वास करने के द्वारा कलीसिया का हिस्सा बने है की प्रभु ने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए अपनें उद्धार के कार्य के द्वारा हमें बचाया है। पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा, हमें परमेश्वर का अनुग्रह पहिनाया गया है। इसी लिए “कलीसिया” शब्द को ग्रीक में “έκκλησία” (इक्लेसिया) कहा गया है, जिसका मतलब है “पापी जगत से बुलाए हुए लोगों का इकठ्ठा होना।” 
जिसने इस जगत के लोगों को छूडाकर पाप से दूर किया है वह ओर कोई नहीं लेकिन यीशु मसीह है। वह प्रभु है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा आया और सारे पापियों के अपराधों को साफ़ किया। प्रभु के बपतिस्मा और लहू पर विश्वास करने के द्वारा, हम पाप से बचाए गए है और और सम्पूर्ण तरीके से धर्मी बने है। प्रभु ने हमें धर्मी बनाया है ये इस सत्य पर हमारे विश्वास के द्वारा हुआ है की वह इस पृथ्वी पर आया और नीले और लाल कपड़े में प्रगट हुए उद्धार के सारे कार्यों को परिपूर्ण किया। यह वो विश्वास है जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुआ है। 
जब यीशु इस पृथ्वी पर आए तब यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा उसने हमारे सारे पापों को ले लिया (मत्ती ३:१३-१७)। यही वो सत्य और विश्वास है जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुआ है। क्योंकि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के बाद क्रूस पर हमारे पापों के दण्ड को सहा था, इसलिए उसने एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों कोई मिटा दिया। दुसरे शब्दों में, यीशु, जिसने हमारे पापों को अपने कंधो पर उठाया था, उसने हमें सारे पापों से छुडाया है। इस तरह, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए अपने उद्धार के कार्य से, प्रभु ने हमें पूरे जगत के सारे पापों से बचाया है। हमारे लिए सच्चे उद्धार के विश्वास का मतलब है इस सत्य को सही रीति से जानना और विश्वास करना।
क्योंकि हम विश्वास के द्वारा हमारे सारे पापों से बचाए गए है, इसलिए पाप से उद्धार परमेश्वर का उपहार है। इस तरह, हमारा उद्धार इस जगत की उत्पत्ति से पहले यीशु मसीह में नियोजित हुआ था, उसने लिए बपतिस्मा में और क्रूस के लहू में। इस ग्रह के बनने से पहले, और मनुष्यजाति के पूर्वज आदम और हव्वा को बनाने से पहले, परमेश्वर पिता ने यीशु मसीह में पानी और आत्मा के सुसमाचार से पापियों का उनके अपराधों से उद्धार करने की योजना बनाई थी; और जब समय हुआ, तब वह बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाकर उसे परिपूर्ण करने के लिए इस पृथ्वी पर आया। हमारा परमेश्वर जिसने मनुष्यों को बनाया है उसने पूरी मनुष्यजाति के पाप की माफ़ी को परिपूर्ण किया है जैसे उसने वायदा किया था। परमेश्वर के वायदे की यह परिपूर्णता यूहन्ना से यीशु के बपतिस्मा लेने और उसका लहू बहाने के द्वारा हुई है। और जो लोग इस पर विश्वास करते है उनके लिए, परमेश्वर ने उद्धार का उपहार दिया है जो उन्हें जगत के सारे पापों से छूदाता है और उन्हें उनके पापों की माफ़ी और अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए योग्य बनाता है। जो लोग इस सत्य पर विश्वास करते है वे परमेश्वर के द्वारा उसकी निज प्रजा के रूप में सम्पूर्ण तरीके से बचाए गए है। यह सत्य उद्धार का सत्य है जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुआ है।
 


पानी और आत्मा का सुसमाचार दीवट की डंडी है

 
यीशु उद्धार का मुख्य पत्थर बना, सारी मनुष्यजाति के उद्धार के लिए आवश्यक मुख्य पत्थर। पानी और आत्मा के सुसमाचार के साथ, यीशु ने उद्धार को परिपूर्ण किया और हमारे लिए उद्धार की नींव बना। परमेश्वर की दीवट में बादाम के फूल के समान पुष्पकोश, गांठ और फूल थे। और इसकी डंडिया भी थी। यीशु मसीह भी उद्धार का फूल बना। यदि यीशु मसीह के उद्धार का सत्य फूल है, तो फिर गाँठ कौन हो सकता है? निसंदेह, वे परमेश्वर के सेवक है जिन्होंने पाप की माफ़ी को प्राप्त किया है। दुसरे शब्दों में, फूल यीशु मसीह है और हम गाँठ है जो फूल को खिलने के लिए सहारा देते है।
हमें हमारे पापों से बचाने के बाद, हमारे प्रभु ने हम सब को सुसमाचार की गाँठ बनाया है। क्या आप इस सत्य को जानते और विश्वास करते है? हमारे पासवान, पुरनिये, और भाई और बहने सब गाँठ है। जिस किसी ने भी पाप की माफ़ी को प्राप्त किया है वह गाँठ है। प्रभु ने सबसे पहले नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से उद्धार की डंडी को बनाया। फिर उसने पहले हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार से बचाया और फिर हमें गाँठ बनाया जो सुसमाचार के फूल को सहारा देते है ताकि वो खिल सके। जब हम सब गाँठ बन जाएंगे केवल तभी पापी अपने पाप से बच पाएंगे। फरक केवल कद का है, कुछ गाँठ बड़ी हो सकती है जब की कुछ छोटी, लेकिन हम सब सुसमाचार की गाँठ है यह सच्चाई कभी बदल नहीं सकती। 
क्योंकि शैतान हमेशा परमेश्वर के विरुध्ध खड़ा रहता है, इसलिए वह हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने से रोकता है ताकि हम हमारे पापों से स्वतंत्र न हो सके। लेकिन जैसे आँधी आने के बाद फूल उजड़ी हुई भूमि पर खिलता है, वैसे ही प्रत्येक पापी उद्धार के सुसमाचार को सुनकर छूटकारा पा सकता है, अर्थात्, पानी और आत्मा का सुसमाचार। परमेश्वर खोई हुई आत्माओं को पाप से बचाना चाहता है। दुसरे शब्दों में, वह चाहता है की पानी और आत्मा का सत्य पूरी दुनिया में फ़ैल जाए। इसलिए, परमेश्वर की कलसिया भी उसी उद्देश्य के लिए कार्य कर रही है। 
जब सेवक खुद को अपनी कलीसिया के गाँठ के रूप में विश्वास करते हुए कलीसिया की सेवा नहीं करते, तब ऐसी कलीसिया बड़ी मुश्किल से उद्धार का कोई फल दे पाती है। इसलिए, यदि कोई सेवक केवल अपने समूह से सेवा पाना चाहता है, तो फिर वह खुबसूरत सुसमाचार को समर्थन करनेवाले की बजाए सुसमाचार का विरोधी है। 
शैतान पहले आया उसका कारण यह है की वह हमें लूंटना चाहता है और हमारी हत्या करना चाहता है। लेकिन हमारा प्रभु अपनी भेड़ो को बहुतायत का जीवन देने के लिए आया (यूहन्ना १०:१०), और उसने अपना सबकुछ देकर उनको उद्धार दिया है। यदि पानी और आत्मा का सुसमाचार फैलाने में भलाई है तो हमें वह करने में संकोच नहीं करना चाहिए फिर चाहे वह कितना भी कठिन क्यों ना लग रहा हो। ऐसी सोच हमें सुसमाचार की गाँठ बनाती है। यह पासवानो के लिए भी सेवक बनकर सुसमाचार की सेवा करना योग्य है, और इसी लिए हमारे पासवान कड़ी धूप में भी कार्य करते है। यदि कड़ी धूप में उनके गाँठ के रूप में कार्य करने से एक आत्मा भी बच जाति है, तो फिर वे अपने जीवनभर ये कार्य करेंगे। सेवक वो है जिनके पास ऐसा विश्वास है जो परमेश्वर के सुसमाचार के फूल को खिलने के लिए कुछ भी करते है। आपको यह समझने की जरुरत है की पानी और आत्मा के सुसमाचार के एक फूल को खिलने में कितनी महेनत लगाती है। आप और मैं पाप की माफ़ी को प्राप्त कर पाए है उसका एक करण यह भी है की ऐसे पूर्वज भी थे जो पवित्रशास्त्र के वचन को सुरक्षित रखने के लिए शहीद हो गए।
तम्बू में सात दीपक वो थे जहाँ परमेश्वर का मूल्यवान तेल डाला जाता था। पानी और आत्मा के सुसमाचार में हमारे विश्वास के द्वारा, हम इस मूल्यवान तेल को प्राप्त कर पाए है और आनन्द उठा पाए है, और परमेश्वर के अनुग्रह से, हम भी सुसमाचार की गांठ बन पाए है। जब हम सुसमाचार की सेवकाई करते है, तब हम हमें समझ में आता है की अभी ओर बहुत सी चीजे करनी बाकी है। एक चीज से दूसरी चीज की ओर बढ़ाते हुए कार्य करने का कोई अन्त नहीं है। हमारी सुसमाचार की किताबों को प्रकाशित करना, वचन को प्रचार करने की सेवकाई को करने के लिए पैसे को बचाना, प्रार्थना करना, भाईओं और बहनो की अगुवाई करने के लिए, और भाइयों और बहनों को परमेश्वर की सेवकाई करने की लिए – सुसमाचार की सेवा करनेवाले गाँठ की भूमिका को निभाने के लिए इन सारी चीजो को आगे बढ़ाना चाहिए। मैं आशा करता हूँ की आप कभी भी इस सच्चाई को नहीं भूलेंगे की परमेश्वर हम धर्मियों को गाँठ के रूप में इस्तेमाल कर रहे है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार के फूल को खिलने के योग्य बनाता है।
 

नए विश्वासियों की सुधि लेना भी परमेश्वर का कार्य है
 
परमेश्वर की कलीसिया में सबसे ज्यादा सुन्दर लेकिन साथ ही साथ डरावने जवान भाई और बहाने है जिन्होंने हाल ही में पाप की माफ़ी प्राप्त की है। उनके सामने, पासवान को भी बड़ी नम्रता से उनकी आत्मिक समझ में जुड़ना चाहिए। क्यों? क्योंकि भले ही उन्होंने पाप की माफ़ी को प्राप्त किया है, लेकिन उनका न्याय करने का स्तर अभी भी दैहिक है। इसलिए, विश्वास के पूर्वज जिन्होंने पहले विश्वास किया था उन्हें गाँठ बनना चाहिए जो जवान विश्वासियों की सेवा करे जो उनके कदमो के पीछे चल रहे है। उन्हें नए विश्वासियों की सेवा करनी चाहिए ताकि जब नए विश्वासी अपने विश्वास में आगे बढ़े तब उन्हें समझ में आये की जब वे विश्वास में नए थे तब उनका कैसे खयाल रखा गया था। वे उनके लिए की गई भलाई के लिए धन्यवादित होंगे, और बदले में वे विश्वास से कलीसिया में आनेवाले नए संतो के साथ ऐसी भलाई करेंगे।
हालाँकि, आपको बिना शर्त उनके साथ भलाई नहीं करनी चाहिए। किसी व्यक्ति के साथ देह में बिना शर्त भलाई करने का मतलब यह नहीं होता की उस व्यक्ति का आत्मा बढेगा और समृध्ध बनेगा। लोगों को आत्मिक भलाई की ओर लेकर जाना मतलब उन्हें विश्वास से परमेश्वर की इच्छा के अनुसार मार्गदर्शन देना। यदि हम आँखे बंद करके केवल देह में अच्छे बनते है, तो उनकी मदद करने के बजाए हम उन्हें भ्रष्ट करते है। क्या आप जानते है की क्यों कुछ भाई और बहन कलीसिया को छोड़ देते है? वे छोड़ते है क्योंकि उन्हें विश्वास से आत्मिक दिशा में नहीं लेजाया गया। जिस प्रकार दीवट को सोने के एक शुध्ध टुकड़ें से बनाया गया था, वैसे ही जो लोग दीवट और गाँठ बने है उन्हें अपने दैहिक विचार और खुद की धार्मिकता का त्याग करना चाहिए, और उन्हें अपने हृदय को बनाना चाहिए और समर्पण के साथ परमेश्वर की इच्छा के तले लाना चाहिए। वे ठीक रीति से खुद को परमेश्वर के हाथों में समर्पण करने के द्वारा ही परमेश्वर के कार्यकर्ता बन सकते है।
समाजसेवी अक्सर यह सोचते है की वे लोगों की मदद किस तरह कर सकते है। इसके लिए उचित कार्यवाही क्या होगी? भिखारी को पैसे देना, या वे आत्मनिर्भर बने उसके लिए उनकी मदद करना? अक्सर ज्यादातर लोग उन्हें पैसा या खाना थमा देते है। लेकिन जिन्हें समाजसेवा का ज्ञान होता है वे इस तरह पैसा नहीं देते। उसके बजाए वे ऐसी मदद करते है जिससे जरूरियात मंद लोगों के अन्दर प्रेरणा और आत्मनिर्भरता पैदा होती है ताकि वे आत्मनिर्भरता से अपना जीवन जी सके। यही है उनके लिए सच्ची मदद करना। इसलिए दूसरो की मदद करने के लिए भी उच्च तकनीकी कुशलता की जरुरत पड़ती है।
उसी प्रकार, जिसे सुसमाचार-प्रचार कहा जाता है वह सेवकाई परमेश्वर का उपहार है, क्योंकि इसमे व्यक्ति को परमेश्वर के वचन से आत्मा का सिंचन करना पड़ता है और उसकी सेवा करनी पड़ती है ताकि उनकी देह और आत्मा एक साथ बढ़े। दुसरे शब्दों में, सेवको को आत्माओं की अगवाई करनी चाहिए और उन्हें प्रभु तक मार्गदर्शन देना चाहिए, और उन्हें देह की बातों में भी अगुवाई करनी चाहिए ताकि वे अपने विश्वास के जीवन में सफल हो। सेवाको को हमेशा जागृत रहना चाहिए। नया जन्म पाए हुए लोगों के रूप में हमारा विश्वास का जीवन हरदिन और हर बहुत ज्यादा भिन्न क्षेत्र और अवस्था में गाँठ की भूमिका को परिपूर्ण करना है। प्रभु के पास जाने से पहले हमारा कर्तव्य है की हम विश्वास योग्यता से हमारा पूरा जीवन सुसमाचार के गाँठ के रूप में बिताए। 
हमें बचाने के बाद, हमारे प्रभु ने हमें गाँठ बनाया और हमें योग्य ज़िम्मेदारी दी ताकि हम सुसमाचार के फूल को पूरी तरह खिला सके। इस जगत के लोग जिन्होंने नया जन्म नहीं पाया वे सत्तावादी, अभिमानी, घमण्डी और हमेशा दुसरे विश्वासियों से सेवा पानेवाले लोग है। लेकिन वो सेवक जिन्हें परमेश्वर ने नया जन्म पाई हुई कलीसिया में सेवक के रूप में नियुक्त किया है वे परमेश्वर की इच्छा को जानते है और वे वह कार्य करने के लिए विश्वास योग्य है जो उन्हें सुसमाचार की गाँठ के रूप में सोंपा गया है। सेवकों के लिए गाँठ की भूमिका अच्छी रीति से निभाना बहुत ही आवश्यक है। हमारा प्रभु कहता है, “लेने से देना धन्य है” (प्रेरितों २०:३५)। यह केवल एक परिकल्पित विचार नहीं है, लेकिन यह विश्वास का निदेशक सिध्धांत और वास्तविक जीवन है। जो देता है वह प्राप्त करनेवाले से ज्यादा आशीषित है। क्या आपने कभी इसका अनुभव किया है? 
मुझे आपको एक कहानी सुनानी है। एक दम्पति जिन्होंने बहुत सालों बाद एक बच्चा हुआ, उन्होंने प्रार्थना की कि यह बच्चा बहुत प्रेम के साथ बड़ा हो। जैसे उन्होंने प्रार्थना की थी, वैसे वास्तव में बच्चा बड़े प्रेम के साथ बड़ा हुआ। लेकिन जैसे समय बिता, वैसे उन्हें पता चला की उनका बच्चा जिन्हें वे प्रेम के साथ बड़ा करना चाहते थे, वह बच्चा उसकी बजाए स्वार्थी व्यक्ति के रूप में बड़ा हुआ जो किसी ओर के बारे में नहीं लेकिन केवल खुद के बारे में सोचता था। उन्होंने अब तक बच्चे के लिए जो कुछ भी किया वो उसके लिए कोई काम नहीं आया। जैसे वह निरंतर प्राप्त करता रहा, वैसे उसे केवल यही समझ में आया की कैसे प्राप्त करना है, और इसकी वजह से वह लालच और स्वार्थ से भरा बच्चा बन गया। फिर उस बूढ़े दम्पति ने फिरसे प्रार्थना की कि उनका बच्चा ऐसा बन जाए जो दूसरों को प्रेम करना जनता हो।
प्राप्त करने से देना बहुत ही ज्यादा संदर है। प्रभु की सेवा करने में कितना आनन्द है? यह कितना सुखदायक है? जब मैं सोचता हूँ की जब कभी भी मैं विश्वास से सुसमाचार की सेवा करता हूँ तब एक आत्मा पापों की माफ़ी प्राप्त करता है, तब मैं केवल आनंदित और संतुष्ट होता हूँ। धर्मी व्यक्ति की इच्छा होनी चाहिए की वे बहुत सारे लोगों तक सुसमाचार का प्रसार करे। परमेश्वर की कलीसिया में, सुसमाचार की गाँठ की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। आपको और मुझे यह समझना चाहिए की परमेश्वर ने हमें गाँठ के रूप में किस स्तर पर रखा है। और गाँठ के इस स्तर पर, हमें विश्वास के द्वारा हमारी भूमिका को परिपूर्ण करना चाहिए। मैं विश्वास करता हूँ की जब हम हमारी योग्यताओं और घमंड से नहीं लेकिन परमेश्वर पर हमारे विश्वास के द्वारा सुसमाचार की सेवा करते है तब वह उद्धार के फूल को पूरी तरह खिला देता है। जब हम सुसमाचार की गाँठ बनते है तब सुसमाचार का फूल खिलता है, और इस फूल के द्वारा बहुत सारे लोग आशीषित होते है।
 


कलीसिया दीवट है जो उद्धार के प्रकाश से इस जगत को प्रकाशित करती है

 
एक साथ इकठ्ठा होने के द्वारा, धर्मी जन सुसमाचार की दीवट बनते है और इस जगत को प्रकाशित करते है। धर्मी जन पानी और आत्मा के सुसमाचार को प्रकाशित करते है। दीवट के रूप में जीवन सत्य के प्रकाश से अंधकारमय दुनिया को प्रकाशित करता है – तह हमारा जीवन है। जब पापों की माफ़ी प्राप्त किया हुआ धर्मी जन सुसमाचार की गाँठ बनाता है तब इस संसार में विश्वास का फूल पूरी तरह खिलता है, और जब ऐसा होता है तब पानी और आत्मा के सुसमाचार की गवाही पूरी दुनिया में फैलती है। इस गाँठ के बगैर, कोई फूल या दीपक नहीं है। दीवट की डंडी में बादाम के फूल के समान चार कटोरे थे, उनमे से प्रत्येक की गाँठ और फूल थे। जब हम ऐसी गाँठ बनते है और हममे से प्रत्येक को दी गई भूमिका को परिपूर्ण करते है तब परमेश्वर की कलीसिया हर जगह बढाती है और बहुत सारी आत्माओं को उनके पापों से बचाया जा सकता है। जब हम दीवट की ओर देखते है, तब हम देखते है की गाँठ के ऊपर एक ओर गाँठ है, और उस गाँठ के ऊपर भी डंडी के साथ दूसरी गाँठ है। इस प्रकार, आपकी सुसमाचार की सेवकाई के द्वारा, सुसमाचार का फूल खिला है, और इस पूरी दुनिया में सुसमाचार का प्रचार हुआ है। आप और मैं यह गाँठ है। पानी और आत्मा के सुसमाचार को सुनने से लेकर अब तक इस पूरे संसार में इसका प्रचार करने तक, हमने गाँठ के रूप में अनगिनत कार्य किए है। इस तरह आप अपने [पापों की माफ़ी प्राप्त कर सकते है और इसे दूसरों तक प्रसार कर सकते है।
हमने गाँठ के रूप में हमारी भूमिका को आगे बढाने के लिए बहुत सारे कार्य किए है। उदाहरण के रूप में, हमने शिष्यता के प्रशिक्षण और आत्मिक निवर्तन के लिए दो साल पहले यह प्रार्थनालय बनवाया। यह इमारत बनाने के लिए हमें तक़रीबन एक महीना लगा। जब हम विश्वास से यह इमारत बना रहे थे, तब हमने सोचा, “हमारे भाई और बहाने आत्मिक निवर्तन के लिए इस स्थान पर आएँगे, और बहुत सारी खोई हुई आत्माएं हमारे प्रार्थनालय में आएगी, वचन सुनेगी, और पापों की माफ़ी को प्राप्त करेगी।” यद्यपि हमने इस इमारत को बनाते समय बहुत कठिनाई का सामना किया, हम हमेशा इस विचार को हमारे मन में रखते थे, इस प्रकार की कठिनाई ,ए जोतना और विश्वास योग्यता से कार्य करना ही आशा है। इस प्रकार शिष्यता की प्रशिक्षण के लिए यह इमारत बनी, और हम इस आरामदायक जगह में आराधना कर पाए। यह उन लोगों की वजह से भी सम्भव हुआ जिन्होंने गाँठ की भूमिका को परिपूर्ण किया। आप और मैं गाँठ बने इसलिए हम अब ऐसे ठन्डे मौसम में भी आराम से आराधना कर सकते है। यदि कोई गाँठ नहीं होती, तो यह आरामदायक परिस्थिति कभी नहीं होती। यह प्रार्थनालय बना उससे पहले, यह जगह उजड़ा हुआ जंगल थी। यदि हम साथ मिलकर इस उजड़ी हुई जगह पर परमेश्वर का वचन सुनने के लिए इकठ्ठा हो सकते है, तो क्या आप आना चाहेंगे? आराधना के लिए बहुत ही ठंडा है, आप शायद घर वापस जाएंगे।
क्योंकि गाँठ जगह पर है इसलिए हम सुसमाचार के फूल को न केवल आज के दिन खिला सके है, लेकिन हम भविष्य में भी ऐसा करना ज़ारी रखेंगे। एक बहुत ही प्रसिध्ध कोरियन कविता का शीर्षक है, “गुलदाउदी के पास,” और वह इस प्रकार है,
“एक गुलदाउदी को फलने-फूलने के लिए,
बुलबुल वसंत की तरह रोई होगी।
एक गुलदाउदी को फलने-फूलने के लिए,
मेघगर्जना काले बादल की तरह लपेटा हुआ होगा...”
निसन्देह, बहुत सारे परमेश्वर के सेवक और बहुत सारे संतों की गाँठ को सुसमाचार के पेड़ में रखा गया होगा। पानी और आत्मा के सुसमाचार को खिलने के लिए, जिन सेवको ने गाँठ की भूमिका को परिपूर्ण किया था उन्होंने हरदिन कड़ी महेनत की थी। और इस गाँठ के निचे परमेश्वर ने बादाम के फूल के पुष्पकोश को रखा था ताकि हम इस गाँठ की भूमिका को ओर भी अच्छी तरह से परिपूर्ण कर पाए। और परमेश्वर ने अपने समय में हम पर अपना अनुग्रह भी बरसाया है, हमें सात दीपक के लिए तेल भी दिया है। हम हमारी खुद की सामर्थ्य से कुछ भी नहीं कर सकते यह जानते हुए हमारे प्रभु ने कलीसिया के द्वारा हमें अपना अनुग्रह दिया है, ताकि हम सुसमाचार की सेवा करनेवाली गाँठ की भूमिका को परिपूर्ण करने के लिए योग्य बने। इसलिए आपको समझना चाहिए की गाँठ बनने का मतलब यह नहीं है की हम अपने सामर्थ्य से सुसमाचार को फैला सकते है। उसके बजाए, यह केवल परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा ही हम सब यह गाँठ बनने के लिए महिमावान किए गए है।
जिन्होंने हाल ही में पापों की माफ़ी पाई है और जिन्होंने थोड़े समय पहले पाई है वे सब एक समान गाँठ है जो सुसमाचार की सेवा करते है। उनके आत्मिक स्तर में भिन्नता होने के बावजूद भी वे एक समान है क्योंकि वे सब गाँठ बनने के लिए बुलाए गए है। हममें से प्रत्येक जन बिना किसी अपवाद के गाँठ है। किसी ओर कार्य में हाथ न बटाते हुए केवल आत्मिक तौर पर प्रचार करना सही आत्मिक जीवन नहीं है। जो लोग वास्तव में आत्मिक है वे सुसमाचार के लाभ के लिए कुछ भी करेंगे। “कलीसिया में मेरा स्तर ये है, इसलिए मैं केवल ये काम ही करूंगा। तुमने अभी अभी पापों की माफ़ी पाई है इसलिए जब मैं मेरा काम करता हूँ तब क्या तुम्हें कोई ओर काम करना चाहिए?” यह सही नहीं है। जब सुसमाचार की सेवा करने की बात आती है, तब कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है। हमें एक दुसरे के साथ एकता में जुड़ना चाहिए और केवल सुसमाचार के फलने-फूलने के लिए निषेचक बनना चाहिए। 
 


नया जन्म पाए हुए संत कैसे देह का अनुसरण कर सकते है?

 
“अब मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरे पाप मिटाए गए है और मैं पापरहित बना हूँ। लेकिन मैं और भी ज्यादा खुश हूँगा यदि मैं धनवान बन जाऊ। क्या यह अच्छा नहीं होगा की मैं समृध्धि में जीवन जिऊ?” क्या ऐसा कोई व्यक्ति है जो देह में सफल व्यक्ति बना और साथ में उसकी आत्मिक समस्या भी सुलझ गई? जब मैं पहली बार प्रभु से मिला, तब मुझे पता नहीं था की उसने मुझे बचाया है ताकि मैं सुसमाचार के लिए सम्पूर्ण गाँठ बनू, मैंने सोचा की मैं इस भूमिका को व्यवसाय करने और पैसे कमाने के द्वारा परिपूर्ण करूँगा। मैंने सोचा की मैं हरदिन चर्च जाउंगा, संडे स्कूल में पढ़ाऊंगा, बच्चों में पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार करूंगा, छोटा व्यवसाय करूंगा और दिन के कुछ घंटे ही काम करूंगा, मेरी प्रत्येक दिन की कमाई को भेंट के रूप में कलीसिया को दूंगा, और इस प्रकार भौतिक रूप से सेवा करने के द्वारा कलीसिया स्थापना में मदद करूंगा। निसन्देह, मैंने यह भी सोचा था की मेरे व्यवसाय में कुछ घंटे बिताने के अलावा, मैं मेरा बाकी बचा हुआ समय प्रभु के लिए व्यतीत करूंगा। लेकिन मेरे विचारों की परवाह किए बिना, जब मैंने प्रभु से पूछा की मुझे गाँठ के रूप में कौनसी भूमिका निभानी है तब मेरे विचारों की परवाह किए बिना प्रभु ने चाहा की मैं उसे पैसे कमाने के द्वारा परिपूर्ण न करू।
उस समय मेरे विचार गलत थे। प्रभु ने मुझे यह करने की अनुमति नहीं दी। इसलिए अभी मैं पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार करने की सेवा करने के द्वारा गाँठ के रूप में मेरी भूमिका परिपूर्ण कर रहा हूँ। परमेश्वर को जो प्रसन्न करता है हमें वाही कार्य करना चाहिए। यदि वो हमें पहाड़ को हटाने के लिए कहे, तो हमें उसे हटाना चाहिए। यदि इस पहाड़ के हटाने से अनगिनत लोग बचते है तो हम वह करने के लिए तैयार है। भले ही यदि दिया हुआ कार्य असंभव और अविचारी लगे, लेकिन परमेश्वर ने हमें विश्वास के द्वारा वह करने के लिए कहा है, और यदि यतः आत्मिक तौर पर लाभदायक है, तो फिर हम विश्वास करते है की निश्चित तौर पर उसे पूरा करना चाहिए। पाइप से पहाड़ को खोदने में, हमारी शुरुआत कमज़ोर लग सकती है, लेकिन समय चलते, हम विस्फोटक से पहाड़ को उड़ा देंगे और पत्थर के ढेर को बुलडोजर से साफ़ कर देंगे। फिर पहाड़ गायब हो जाएगा। दुसरे शब्दों में, क्योंकि हम हमारे मनुष्य निर्मित विचारों का अनुसरण नहीं करते लेकिन केवल परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण करते है इसलिए हम हमेशा विश्वास के द्वारा परमेश्वर के सुसमाचार की गाँठ की भूमिका परिपूर्ण करते है। इस प्रकार हम उसकी गाँठ के रूप में हमारी भूमिका को आगे बढाते है।
प्रभु ने हमें अपनी कलीसिया के अन्दर रखा है ताकि हम सुसमाचार के प्रसार के लिए गाँठ बन पाए। हम अभी जहाँ पर है केवल वाही अन्तर है, और जब सुसमाचार के प्रसार की बात आती है, तब कोई भी जगह ज्यादा या कम महत्वपूर्ण नहीं है। यदि हमें क्रम को सही सुलझाना है तो, पहला आखरी की सेवा करेगा, जिस प्रकार प्रभु यीशु ने कहा है, “यदि कोई बड़ा होना चाहे, तो सबसे छोटा और सबका सेवक बने” (मरकुस ९:३५)। क्या यह सच नहीं है की जब प्रभु ने हमें गाँठ की भूमिका को परिपूर्ण करने के लिए बुलाया, तब वह नहीं चाहता था की हम अकाद दिखे और खुद का प्रदर्शन करे? जब हम अच्छी तरह से गाँठ की भूमिका को परिपूर्ण करते है, तब हमारे प्रभु के अद्भुत कार्य होते है, जिस प्रकार दीवट में लगे सात दीपक अपने प्रकाश से पवित्र स्थान को प्रकाशित करते है।
यह आज के पवित्रशास्त्र के वचन में लिखा है, “उसके गुलतराश और गुलदान सब चोखे सोने के हों। वह सब इन समस्त सामान समेत किक्‍कार भर चोखे सोने का बने। और सावधान रहकर इन सब वस्तुओं को उस नमूने के समान बनवाना, जो तुझे इस पर्वत पर दिखाया गया है” (निर्गमन २५:३८-४०)। दीवट के पत्रों में उसकी गुलतराश भी थी। उसमे तेल उँडेला जाता था और बाती को दीपक के अन्दर रखा जाता था जो दीवट के सबसे ऊपर रखा गया था। जब बाती जलती थी, तब चिंगारी उड़ती थी, और गुलतराश को इस चिंगारी पकड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह गुलतराश भी सोने से बनाया गया था। याजक गुलतराश से जली हुई बाती को काट लेते थे और उसे गुलदान में रख देते थे। ऐसे पात्र अकसर पवित्र स्थान में उपयोग किए जाते थे। 
जब हम पापों की माफ़ी को प्राप्त करने के बाद गाँठ की भूमिका को परिपूर्ण करते है, तब ऐसा समय भी आता है जब हम एक ही काम करने में अपने आप को ज्यादा व्यस्त रखने की वजह से हमारा हृदय कठोर हो जाता है। इसलिए ऐसा समय आता है जब हम हमें दिए गए कार्य को आधे हृदय के साथ करते है। ऐसे समय में, परमेश्वर के सेवक को दीवट के गुलतराश को बदलने की जरुरत है। जिस तरह जली हुई गुलतराश को काट दिया जाता है, वैसे ही परमेश्वर के सेवक उन्हें दिए गए कार्य को बदलने के द्वारा अपने हृदय को नया कर सकते है। हमारा प्रभु हमारे हृदय के अंगारे को बदलता है ताकि हम हमारे नए हृदय के साथ सुसमाचार की सेवकाई कर पाए, जैसे की लिखा हुआ है, “पुरानी बातें बीत गई है; देखो, सब बातें नई हो गई है” (२ कुरिन्थियों ५:१७)। इसके द्वारा, सेवक फिरसे एक बार नए बने अपने हृदय के साथ सुसमाचार की सेवकाई करता है।
क्या आपको पता है की पवित्र स्थान के अन्दर ओर कुछ नहीं लेकिन चोखा सोना है? विश्वास के द्वारा विश्वासयोग्य गाँठ बनने के लिए, आपको निरंतर प्रभु के नए कार्य को खोजना चाहिए। केर्वल तभी हम विश्वास के द्वारा जी सकते है। हमें आज विश्वास से जीना चाहिए, और हमें कल भी विश्वास से जीना चाहिए। विश्वास के द्वारा, हम हरदिन गाँठ की नै भूमिका को परिपूर्ण कर सकते है। हम परमेश्वर के सुसमाचार के सेवकों को गुलतराश में से जला हुआ कोयला निकाल लेना चाहिए, दीपकों की देखभाल करनी चाहिए, और उन्हें जलाते हुए रखना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए की उनका प्रकाश कभी भी कम ना हो।
पवित्र स्थान के अन्दर सुहावना था। प्रभु ने धर्मी लोगों को बुलाया और परमेश्वर की कलीसिया में इकठ्ठा किया ताकि वे दीवट बन पाए जो पापों की माफ़ी के सुसमाचार का प्रसार करता है। इसके अन्दर, परमेश्वर ने अगुए रखे है, उसने सारे धर्मी जन को अपना उपहार दिया है जो उन्हें सुसमाचार की सेवकाई करने के लिए योग्य बनाते है, और उसने हमें बुलाया है ताकि हम गाँठ बनने के द्वारा प्रभु की सेवकाई करे जो सुसमाचार के फूल को खिला देता है। इस प्रकार परमेश्वर ने हमें पूरी दुनिया में सारे पापियों तक सुसमाचार का प्रसार करने के लिए अनुमति दी है। यह है “ekklesia,” परमेश्वर की कलीसिया। दुसरे शब्दों में, हम परमेश्वर की कलीसिया के लोग है जहाँ बुलाए हुए और उद्धार पाए हुए इकठ्ठा होते है। हमारे परमेश्वर ने हमें सारे पाप और अपराधों से बचाने के द्वारा हमें उद्धार दिया है और हमें संसार से अलग किया है। हमारे प्रभु के उद्धार के द्वारा, परमेश्वर ने हमें यीशु पर विश्वास करवाने के द्वारा बचाया है, और उसने इस कलीसिया की रचना की ताकि हम एक साथ मिलकर सुसमाचार की सेवकाई कर सके। यह वो सत्य है जिसने संतों को इकठ्ठा किया है।
 


कलीसिया का अस्तित्व है उसका करण यह है की वह पानी और आत्मा के सुसमाचार के प्रकाश को चमका सके

 
दीवट को सोने के एक ही टुकड़ें से बनाया गया था उसका कारण यह था की परमेश्वर की कलीसिया को एक साथ जोड़े और सुसमाचार के फूल को खिला सके। यह दीवट परमेश्वर की कलीसिया को सूचित करता है, और सारे अँधेरे को प्रकाशित करने के लिए यह अस्तित्व में आया। कलीसिया के अस्तित्व का यही ऊदेश्य है। कलीसिया सबसे पहले हम नया जन्म पाए हुए लोगों की सेवकाई करने के लिए गाँठ बही। और अब हमारी बारी है। आप और मै, और हम सब जिन्होंने पापों की माफ़ी पाई है, उन्हें यह गाँठ बनना चाहिए, और हम सब को गाँठ के रूप में हमारे कार्यों को आगे बढ़ाना चाहिए और निषेचक बनना चाहिए ताकि सुसमाचार का फूल पूरी तरह से खिल सके। हम सब धर्मी और सारी परमेश्वर की कलीसिया को दीवट की भूमिका को आगे बढ़ाना चाहिए जो पूरी दुनिया में सुसमाचार का प्रकाश फैलाता है और प्रभु की सेवा करता है। 
हम कोई नई संस्था स्थापित करने की कोशिश नहीं कर रहे। यदि हमें अनिवार्य रूप से हमारी संस्था का वर्णन करना पड़े, तो फिर यह यीशु की संस्था है। हम धर्मी लोग है जिन्हें प्रभु की सेवा करने के लिए बुलाया गया है। जब हम दीवट की गाँठ बनते है और प्रभु की सेवा करते है, तब हमें समझमे आता है की उसने भी गाँठ के रूप में हमारी सारी जरूरते परिपूर्ण की है। भले ही हम हमारी जरुरत परिपूर्ण करने के लिए कुछ ना करे, फिर भी परमेश्वर बहुतायत से हमारी सारी जरूरते परिपूर्ण करता है। जैसे प्रभु ने कहा है वैसे सारी जरूरते नियत समय पर पूरी होती है, “इसलिये पहले तुम परमेश्‍वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी” (मत्ती ६:३३)। जो धर्मी सुसमाचार की सेवा करता है परमेश्वर उसकी सारी जरूरते पूरी करता है। जब गाँठ की भूमिका को आगे बढाने वाले सेवक कठिनाई का सामना करते है, तब प्रभु उन्हें सामर्थ्य देते है और कहते है, “खुश रहो! मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।” जब गाँठ के अन्दर कोई विश्वास नहीं होता, तब वो उसे विश्वास देता है, और कहता है, “मजबूत विश्वास रख! तुम मेरे द्वारा सबकुछ कर सकते हो जो तुम्हें सामर्थ्य देता है।” और प्रभु अपना अनुग्रह भी उसे देता है। फिर प्रभु यह कहने के द्वारा उसकी समस्या सुलझाता है, “मेरी गाँठ, तुम्हें वास्तव में इसकी जरुरत है। मैं तुम्हारे लिए इस समस्या को हल करूंगा।” हमें उसके धर्मी कार्य के लिए गाँठ के रूप में इस्तेमाल करने के लिए, परमेश्वर हम धर्मी लोगों को आशीषित करता है जो गाँठ बने है।
हम धर्मी जो कुछ भी करे, हमें उसे सुसमाचार को खिलने के लिए गाँठ के रूप में सेवा करनी चाहिए।हमारे विद्यार्थियों को सुसमाचार की गाँठ के रूप में अपने स्कूल का जीवन विश्वास योग्यता से जीना चाहिए। हमारी महिला विश्वासी को पैसे कमाने के लिए कार्य स्थल पर भी सुसमाचार की गाँठ के रूप में ऐसा ही करना चाहिए। हम चाहे जो कुछ भी करे, हमें सब कुछ प्रभु के सुसमाचार की गाँठ बनने के लिए करना चाहिए। हम धर्मी जन को सुसमाचार की गाँठ की भूमिका को आगे बढ़ाना चाहिए, और हमें इसी तरह हमारा वास्तविक विश्वास का जीवन जीना चाहिए। सुसमाचार के फूल को खिलने के लिए गाँठ बहुत ही महत्वपूर्ण है। 
आपको यह याद रखना चाहिए की हम फूल नहीं है। सुसमाचार का फूल यीशु है। सच्चा प्रकाश भी यीशु है। हम केवल नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए उद्धार के सत्य पर विश्वास करने के द्वारा पूरी दुनिया में इस यीशु मसीह का प्रचार करते है। १ कुरिन्थियों १०:३१ में लिखा है, “इसलिए तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिए करो।” हमारे जीवन का उद्देश्य विश्वास योग्यता से गाँठ की भूमिका को परिपूर्ण करने के द्वारा इस सुसमाचार का प्रसार करना है। 
लोग अपनी युवान अवस्था में सबसे ज्यादा जिस चीज के लिए परेशान होते है वो है उनका भविष्य। वे सोचते है, “मेरा भविष्य कैसा होगा? मेरी प्रियतम कहाँ है और मेरी होनेवाली जीवनसाथी क्या कर रही है?” मेरी होनेवाली जीवनसाथी कहा है? वह परमेश्वर की कलीसिया में है, और वो ओर कोई नहीं लेकिन यीशु मसीह है। तो फिर वह क्या करता है? वह प्रकाश को प्रकाशित करता है। वह पानी आर आत्मा के सुसमाचार का प्रकाश है। वह प्रभु है, और आप सब मसीह की दुल्हन है। प्रभु आपसे उसकी कलीसिया में आने के लिए कह रहा है, वह कह रहा है की वह वचन के द्वारा आपसे यहाँ कलीसिया में मिलेगा। प्रभु कह रहा है की जब आप नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर पूरे हृदय से विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर से प्रार्थना करेंगे तब वह आपसे मिलेगा। उसने आपसे कहा है की जब आप उस पर विश्वास करेंगे तब वह आपके पास आएगा और आपसे मिलेगा। 
धर्मी जन को हमेशा अपने विचारों में जागृत रहना चाहिए। जब आप पानी और आत्मा के सुसमाचार से अपने हृदय को भरते है, तब पवित्र आत्मा आपको हरदिन जागृत रखता है। धर्मी जन को केवल इतना करना है की उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार करने के लिए पवित्र आत्मा की अगुवाई में अपने जीवन को जीना है। जब हम ऐसा करते है, तब हम आत्मिक विचारों से दैहिक विचारों को समझ सकते है और पहचान सकते है।
शायद आपने पहले प्याज को छिला होगा, परत दर परत। उसमे सबसे पहले बाहर की परत होती है, और जब आप उसे छीलते है, तब दूसरी परत दिखती है, जो कुछ हरी दिखती है। जब आप इस हरी परत को छीलते है, तब अन्दर की सफ़ेद परत दिखती है। जब आप इसको चिलाते है, तब उसके अन्दर एक ओर सफ़ेद परत पाई जाति है, जो पहले के जैसी ही है। पूरी प्याज परत दर परत सफ़ेद परतो से बनी होती है। जब इसे छीलते है और इसलि सफ़ेद परत दिखती है, तब कुछ ही समय में यह दिखने वाली परत पिली पद जाति है। लेकिन जब इस परत को छिला जाता है, तब फिर से एक ओर बार सफ़ेद परत दिखती है। कुछ समय के बाद, यह अन्दर की परत बाहर की परत की तरह पिली पद जाति है, इसलिए आपको नई परत पाने के लिए इसे फिरसे छिलना पडेगा।
हमारी देह इस प्याज की परत की तरह है, इसलिए हमें हरदिन हमारे दैहिक विचारों को छिलना चाहिए। शायद अब आप सोचते होंगे, “जब मैंने उद्धार पाया तब मैंने खुद का नकार किया था, तो फिर क्या मुझे पापों की माफ़ी पाने के नाद भी बार बार खुद का इनकार करना पडेगा? क्या आपको कोई अन्दाजा है की पिछले साल मैंने कितनी बार खुदका इअनाकार किया था। मेरे हृदय को मोड़ना काफी कठिन था, और अब मुझे फिरसे यह कारण है? यह बहुत कठिन है!” लेकिन, भाइयों और बहनों, आपके लिए इस प्रकार अपने दैहिक विचारों को दूर करना उचित होगा। प्रभु हमसे कह रहा है की जिस प्रकार हम प्याज को छीलते है वैसे ही यह हमारे दैहिक विचारों को छिलने का सैध्धान्तिक और सही तरिका है। 
हमारा प्रभु हमसे लिखे हुए वचन के द्वारा मिलना चाहता है। वह हमसे भरन्त की रोटी की मेज पर, दीवट में, धूप वेदी पर, और प्रायश्चित के ढकने के सामने मिलना चाहता है। मेरे कहने का तात्पर्य यह नहीं है की आपके विश्वास न करने के बावजूद भी आपको विश्वास करने का ढोंग करना है और खुद का इनकार करना है, लेकिन आपको विश्वास के साथ अपने हृदय से खुद का इनकार करना है। क्या अब आप समझ रहे है? प्रभु हमें यह सलाह नहीं दे रहा है की हमें अपने आप का इनकार करना है, लेकिन वह कह रहा है की आपको यह करना ही चाहिए। जब आप अपने हृदय से मन में यह ठान लेते है की आपको खुद का इनकार करना है, तब खुद का इनकार अपने आप हो जाता है। आपके समझ के बिना यह हो जाता है, “अरे, तो इस तरह मैं खुद का इनकार कर सकता हूँ।” लेकिन यदि मूल सिध्धांत न सिखाए जाए और लोगों को केवल अपनी इच्छा का त्याग करने के लिए दबाव डाला जाए, तो फिर न केवल यह उनके लिए असंभव है, लेकिन वे अन्त में अपने विश्वास को खो भी सकते है। 
जब हम अपने हृदय को समर्पित करते है तब प्रभु प्रसन्न होते है। और यदि यह प्रभु को प्रसन्न करता है, तो फिर हमें हमारे दैहिक विचारों का समर्पण करना चाहिए। निसन्देह, कुछ ऐसी चीजे है जो हमारे लिए पाना बड़ा कठिन है, लेकिन हम उसे प्राप्त करने के लिए कड़ी महेनत करेंगे। क्या ऐसा नहीं है? क्योंकि प्रभु ने हमें बचाया है और हमें अपने सेवक बनाया है, इसलिए ऐसा कुछ भी नहीं है जो हम नहीं कर सकते, जिस प्रकार प्रेरित पौलुस कहता है, “जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमे मैं सबकुछ कर सकता हूँ” (फिलिप्पि ४:१३)। उसके अतिरिक्त, जब सुसमाचार के फूल को खिलाने की बात अति है, तब यदि हम छोटी से भी छोटी गाँठ बने, तो वह खिलाना तब भी बहुत ही अद्भुत होगा। तो फिर ऐसा क्या है जो हम नहीं कर सकते? जब हम छोटी गाँठ बनते है तब प्रभु सुसमाचार के फूल को खिलाते है और आत्माओं को बचाते है, तो फिर क्या हम उसकी गाँठ नहीं बन सकते? बिलकुल बन सकते है।
हमें तत्परता से हमारे हृदय में विश्वास को ग्रहण करना चाहिए। हमें केवल सही को सही पहचानना है, और कहना है, “”हाँ, वह सही है,” और जो गलत है उसे गलत अंगीकार कारण है, और कहना है, “नहीं, मेरे विचार गलत थे। मैं गलत था।” इसके अलावा ओर कुछ प्रभु का अनुसरण नहीं है, खुद का नकार करना, और खुद की इच्छा को समर्पित करना। जब हम इस प्रकार हमारी इच्छाओं को छोड़ते है, तब हमारा प्रभु हमारा परिवर्तन करता है। हालाँकि, हम खुद से हमारा परिवर्तन नहीं कर सकते। आत्मिक व्यक्ति बनाना कुछ ऐसा नहीं है जो खुद के प्रयासों से हांसिल किया जा सकता है। हम सही है या गलत यह देखने के लिए हमें परमेश्वर के वचन के माध्यम से खुद को देखना है, और यदि हम गलत है, तो फिर हमें खुद का अंगीकार करना है, कहना है, “हाँ, प्रभु! केवल आप सही है, और मैं गलत हूँ।” जैसे ही हम ये करते है, हमारे हृदय से अन्धकार दूर हो जाता है। फिर प्रभु हमसे कहता है, “तुम्हारे जैसे व्यक्ति के लिए भी, मैंने तुम्हारे सारे पापों को मिटाया है। मैंने तुम्हें ज्योति में बदल दिया है।” हमारा प्रभु हमसे कह रहा है, “पर जितने कामों पर उलाहना दिया जाता है वे सब ज्योति से प्रगट होते हैं, क्योंकि जो सब कुछ को प्रगट करता है वह ज्योति है” (इफिसियों ५:१३)।
हमें हमारी इच्छा से कुछ भी नहीं करना है। हमें केवल विश्वास से पवित्र स्थान में जीवन जीना है। जब हम विश्वास से पवित्र स्थान में जीवन जीते है, तब प्रभु हमारे अन्दर कार्य करता है। हमें ओर भी ज्यादा कीमती गाँठ बनाने के लिए, परमेश्वर ने हमें ओर भी ज्यादा अनुग्रह और आशीष दी है। क्योंकि परमेश्वर वास्तव में हमारे द्वारा पानी और आत्मा के सुसमाचार को फैलाना चाहता है, इसलिए वह हमें ओर भी ज्यादा आशीष देता है। मैं आशा करता हूँ आप सब इस सत्य पर विशवास करते है। मैं आशा करता हूँ की अप परमेश्बर के सारे वचन पर विश्वास करते है। क्या आप विश्वास करते है? जब कभी भी यह प्रश्न पूछा जाता है तब आपका उत्तर “हाँ” है, तो आपका विश्वास बढेगा। विश्वास का स्तर कुछ ऐसा है की हम खुद से कुछ भी नहीं सिख सकते।
सेवक गाँठ है, वैसे ही हमारे सारे भाई और बहने भी। “तुम बदसूरत गाँठ हो। लेकिन मैं खुबसूरत गाँठ हूँ।” मैं जानता हूँ की आप में से कोई भी इस प्रकार नहीं सोचता है, लेकिन जब भी आपको ऐसा विचार आता है, तब आपको मुड़ना है, और समझना है की आप परमेश्वर के विचार से विपरीत दिशा में जा रहे है। दुसरे संतो के साथ खूबसूरती की प्रतयोगिता में भाग लेने से क्या लाभ होगा? कोई फर्क नहीं पड़ता की कुछ गाँठ देकने में कितनी भी खुबसूरत हो, लेकिन क्या उनमे से कोई भी फूल से ज्यादा खुबसूरत हो सकती है? यदि गाँठ दिखने में फूल से ज्यादा आकर्षक है, तो फूल एक व्यर्थ और नीरस बन कर रह जाएगा। जिस प्रकार दीवार बनाने के लिए छोटी और बड़ी दोनों ईंट जरुरी होती है, उसी प्रकार हम सब चाहे अच्छे हो या बुरे, गाँठ के रूप में जरुरी है जो परमेश्वर के सुसमाचार को खिलाता है।
लिहाजा, हम एक दूसरों को नज़र अंदाज न करे। उसके बजाए आइए हम एक दूसरों की सुधि ले, यह पहचाने की हम सब मूल्यवान है। प्रत्येक व्यक्ति मूल्यवान है। प्रत्येक व्यक्ति की जरुरत है। जिस प्रकार परमेश्वर ने मूसा को सोने के एक टूकडे से दीवट को बनाने का आदेश दिया था, उसी प्रकार उद्धार की व्यवस्था से उसने हमें धर्मी जन में तबदील किया है और हमें गाँठ बनाया हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार की सेवा कराती है। इसलिए परमेश्वर हमारे द्वारा अपने सुसमाचार का प्रसार करने से प्रसन्न है। अब भी, परमेश्वर अपनी कलीसिया के द्वारा पानी और आत्मा के सुसमाचार को सारी मनुष्यजाति में फैला रहे है। और इस सुसमाचार के प्रसार और इसके गाँठ के द्वारा, परमेश्वर अपने सत्य के प्रेम के द्वारा पूरी दुनिया को प्रकाशित करना चाहता है। 
हाल्लेलुयाह!