Search

শিক্ষা

विषय ९ : रोमियों (रोमियों की पत्री किताब पर टिप्पणी)

[अध्याय 7-5] देह पाप की व्यवस्था की सेवा करती है (रोमियों ७:२४-२५)

( रोमियों ७:२४-२५ )
“मैं कैसा अभागा मनुष्य हूँ! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा? हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर का धन्यवाद हो। इसलिये मैं आप बुद्धि से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ।” 
 


यह व्यवस्था है की देह पाप का सेवन करती है


आपका विश्वास का जीवन कैसा है? “आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है” (मत्ती २६:४१)। क्या आप ऐसे नहीं है?
बाइबल हमें यह भी बताती है, “इसलिये मैं आप बुध्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ।” और वह व्यवस्था हैं जो हम पर हावी हैं। हमारा हृदय परमेश्वर से प्रेम करने और सत्य से प्रेम करने के लिए बना है, परन्तु शरीर के लिए पाप की व्यवस्था की सेवा करना स्वाभाविक ही है। परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि हृदय सुसमाचार और उसकी धार्मिकता की सेवा करता है, जबकि शरीर केवल पाप करता है।
क्या आप जानते हैं पाप की व्यवस्था क्या है? हम विश्वासयोग्य जीवन जीना चाहते हैं, इसलिए जब हमारी देह पाप की सेवा नहीं करता तब हम, संत और परमेश्वर के सेवक, सिंहों के समान साहसी महसूस करते हैं। लेकिन जब हमारी देह पाप की सेवा करती है और उसमे लिप्त हो जाती है तो हमारे पास कोई सामर्थ नहीं होती है। हम सोच सकते हैं कि अब और पाप न करके हम खुश और साहस से भरे रहेंगे, लेकिन वास्तव में, हमारे पास ओर पाप न करने का आत्मविश्वास नहीं है। इस वजह से संतों के ह्रदय और परमेश्वर के सेवकों के ह्रदय सिकुड़ जाते हैं। 
"मेरे सारे पाप दूर हो गए हैं! कलवारी की कृपा से!♫” यद्यपि हमारे पापों का छूटकारा हुआ है और हम परमेश्वर की स्तुति करते है, लेकिन जब हम अपने भविष्य के विश्वास के जीवन के बारे में सोचते हैं तो हमारे पास जीने के लिए कोई आत्मविश्वास नहीं होता है। हम शरीर की कमजोरियों के बारे में सोचते हैं और इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं: “मुझे भविष्य में इस तरह नहीं जीना चाहिए; मुझे अब और पाप नहीं करना चाहिए।" परन्तु जब हम एक बार फिर प्रभु पर निर्भर होते हैं और फिर से परमेश्वर की धार्मिकता पर दृढ़ रहते हैं, तो हम परमेश्वर से यह कहते हुए प्रतिज्ञा करते हैं, "हे प्रभु, धन्यवाद। हाल्लेलूयाह। मैं अपने मरने के दिन तक आपका अनुसरण करूंगा।" तब हम प्रचंड रूप से प्रभु की सेवा करते हैं, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं रहता है क्योंकि जब हम फिर से पाप करते हैं तो हम जल्द ही अपने आप से फिर से निराश हो जाते हैं। वास्तव में, सभी संत और परमेश्वर के सेवक जो बचाए गए हैं, वे ऐसे ही हैं। इस प्रकार हम इस तथ्य से स्तंभित हो जाते हैं कि देह केवल पाप का कार्य करती है।
मैं जानता हूँ कि प्रभु नहीं चाहता कि हम शरीर की कमजोरी से बंधे रहें। यही कारण है कि पौलुस ने आत्मा को शरीर से अलग किया। “इसलिये मैं आप बुध्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ।” हमारी देह बहेतर नहीं बन सकती। देह केवल पाप के व्यवस्था की सेवा करती है। पौलुस कहता है कि यह व्यवस्था है। देह केवल पाप का अनुसरण करने और सेवा करने के लिए बनाई गई है। क्या आप इस बात को समझ रहे है? यह व्यवस्था है। व्यवस्था को कौन बदल सकता है? न आप और न मैं इसे बदल सकते है। तब हमें ह्रदय से किसकी सेवा करनी चाहिए? हमें परमेश्वर की सेवा करनी चाहिए। हमें अपने पूरे ह्रदय से परमेश्वर, सच्चाई, आत्माओं और परमेश्वर की धार्मिकता से प्रेम करना चाहिए।
 


देह से ज्यादा उम्मीदे मत रखे


देह शारीरिक सुख, आराम, शांति, आनंद और अपने गौरव को बढ़ाना चाहता है, न कि परमेश्वर की धार्मिकता को। देह चाहती है कि सब कुछ वैसा ही हो जैसा वह चाहती है।
यह कहते हुए देह से अधिक अपेक्षा न रखें की, "देह सुनो, मैं चाहता हूँ कि तुम एक अच्छा काम करो।" अपनी उम्मीदों को छोड़ दें कि देह बेहतर हो जाएगी। यह मत समझो कि हमारा शरीर परमेश्वर और उसकी धार्मिकता से प्रेम करता है, या यह कि वह परमेश्वर की धार्मिकता की सेवा करना चाहता है और उसके लिए कष्ट उठाना चाहता है।
जो लोग देह से कुछ अच्छे की उम्मीद करते हैं, वे मूर्ख हैं। ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? सब कुछ प्रभु की व्यवस्था के अनुसार किया जाता है। यदि हम परमेश्वर की व्यवस्था को जानते हो तो क्या हम उसे बदल सकते हैं? बेशक हम इसे बदल नहीं सकते, क्योंकि यह प्रभु की व्यवस्था है।
यह परमेश्वर की व्यवस्था है जो देह से पाप की सेवा कराता है। यदि हम उदास महसूस करते हैं और हमारा चेहरा अंधकारमय है, तो इसका कारण यह है कि हम देह की सेवा कर रहे हैं। हमारी देह अच्छी तरह से जीना चाहती है, इसलिए देह हमेशा खुद को सही ठहराता है। आइए हम खुद को सही न ठहराएं; इसके बजाए, हम देह को वैसे ही छोड़ देंन जैसी वह है। मैं चाहता हूँ कि आप अपने हृदय से प्रभु में विश्वास के द्वारा जीवित रहें। देह पाप करने से तब तक नहीं बच सकती जब तक वह मर नहीं जाता, क्योंकि देह केवल पाप का कार्य करती है। हम स्वयं पाप करने से नहीं बच सकते। आप सोच सकते हैं, "देह बेहतर बन सकती है।" लेकिन ऐसा कदापि नहीं होता। या जब आप अनजाने में पाप करते हैं, तो आप सोच सकते हैं, "यह खराब वातावरण के कारण है।" नहीं! यह बिल्कुल भी परिस्थितियों के कारण नहीं है — देह शुरुआत से ही पाप की सेवा करने के लिए ही है!
देह कभी कुछ अच्छा नहीं करती है। देह तब तक पाप करती है जब तक वह मर नहीं जाती। "क्या देह बेहतर बन जाएगी?" ऐसी बात की उम्मीद न करें, क्योंकि आप पूरी तरह से निराश होंगे। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी बार अपना मन बना लेते हैं और अपने आप से कहते हैं, "मैं ऐसा काम नहीं करूंगा," लेकिन देह आपकी इच्छा के विरुध्ध बुरे काम ही करेगी। हम में से किस ने अपने मन में पाप न करने का निश्चय नहीं किया? सभी के पास है! लेकिन देह के लिए केवल पाप का सेवन करना परमेश्वर परमेश्वर की व्यवस्था है। 
कैथोलिक पादरी और नन, साथ ही साथ हर धर्म के भिक्षु और सन्यासी अपनी देह के साथ पवित्र जीवन जीने की कोशिश करते हैं। लेकिन देह के लिए दोष के बिना जीवन जीना असंभव है। वे पाखंडियों की तरह अपना जीवन व्यतीत करते हैं। हमारे लिए अपने शरीर के साथ अच्छा करना असंभव है। देह पाप की व्यवस्था का सेवन करती है। यह वो व्यवस्था है जिसे परमेश्वर ने स्थापित किया है। जिस प्रकार एक कीड़ा उड़ नहीं सकता जबकि एक झींगुर आसमान में उड़ने का आनंद लेता है, यह व्यवस्था है। जैसे कीड़ा गंदी मिट्टी खाना पसंद करता है, वैसे ही मनुष्य देह पाप करना पसंद करती है। क्या आप ईमानदारी से कह सकते हैं कि आप अपनी देह से कुछ उम्मीद कर सकते हैं? बिलकूल नही। इस कारण प्रेरित पौलुस ने कहा, “इसलिये मैं आप बुध्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ” (रोमियों ७:२५)।
हमारी देह तब तक पाप करती है जब तक हम मर नहीं जाते। यह केवल पाप करती है। क्या लंबी अवधि के प्रशिक्षण के बाद अब देह पाप नहीं करेगी? नहीं! देह में सुधार नहीं किया जा सकता है। तो क्या यह ठीक है कि देह जितना चाहे उतना पाप करे? नहीं! मैं यहां ऐसा नहीं कह रहा हूँ। मेरा मतलब सिर्फ इतना है कि देह पाप के अलावा ओर कुछ नहीं कर सकती। हमारे पाप हमारी इच्छा या क्षमता पर निर्भर नहीं करते हैं। भले ही हम पाप करना न चाहते हो लेकिन हम पाप के अलावा कुछ नहीं कर सकाते, और यदि हम पाप न करने का अधिक प्रयास करते है तब हम ओर भी अधिक पाप करते है।
“परन्तु मुझे अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है। 24मैं कैसा अभागा मनुष्य हूँ! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?” (रोमियों ७:२३-२४) देह के लिए भलाई करना असंभव है क्योंकि देह हमें पाप की व्यवस्था का गुलाम बना देती है।
लोग इस सच को कहने से नफरत करते हैं और उन्हें इस पर शर्म आती है। वे कहते हैं, ``आप खुलेआम यह कैसे कह सकते हैं?`` परन्तु क्या यह स्वयं पौलुस नहीं था जिसने इतनी स्पष्ट रूप से यह बात कही थी? देह पाप की व्यवस्था का सेवन करती है। जब तक हम मर नहीं जाते, हम अपनी इच्छा की परवाह किए बिना पाप की सेवा करते हैं। हम सिर्फ पाप करने के लिए पैदा नहीं हुए हैं। फिर भी, यह नकारा नहीं जा सकता कि देह पाप का एक साधन है।
 

प्रभु ने हमें अपनी सेवा करने के लिए पर्याप्त रूप से योग्य बनाया है

प्रिय संतों, आप क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि यदि आप कोशिश करते रहें तो आप अपनी देह से प्रभु की सेवा कर सकते हैं? क्या यह संभव है? नहीं!
हमें हमारे सभी पापों से किसने बचाया? यीशु ने बचाया। तो क्या यीशु मसीह ने हमें देह के उन सभी पापों से छुड़ाया जो पाप की व्यवस्था का पालन करते हैं? क्या यीशु मसीह ने वास्तव में हमें देह के सारे पापों से बचाया, जो पाप की व्यवस्था की सेवा करते हैं और जीवन भर पाप करते हैं? क्या वास्तव में प्रभु ने हमें हमारे सभी पापों से बचाया? जवाब सुनिश्चित रूप से हाँ है! बेशक उसने हमें बचाया है! यह असंभव है कि देह पाप न करे, और यह असंभव है कि आप अपनी देह के द्वारा अपने पापों से माफ़ी प्राप्त करें और परमेश्वर के दण्ड से मुक्त हों। लेकिन प्रभु ने इसे संभव बनाया। प्रभु ने हमें धर्मी बनाया और उसने हमें हमारे सभी पापों से बचाया, भले ही हम लगातार पाप करते रहें।
यीशु मसीह हमारे प्रभु ने हमें बचाया है। वह प्रभु कौन है जिसने हमें बचाया है? वह यीशु मसीह है। तो फिर यीशु कौन है? वह परमेश्वर का पुत्र और सभी विश्वासियों का प्रभु है। वह प्रभु है जिसने हमें बचाया है। यीशु मसीह हमारे प्रभु ने हमें सभी पापों से सिद्ध किया। यीशु मसीह ने हमें उसकी सेवा करने में सक्षम बनाया।
प्रभु ने हमें बिना पाप के जीने के लिए सक्षम बनाया। हमें बनाने वाले सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमें हमारे सभी पापों से बचाया। हमारे प्रभु ने हमें पूरी तरह से बचाया और हमें धर्मी बना दिया, भले ही फिर देह मरते दम तक पाप की व्यवस्था का सेवन करती है। यही कारण है कि प्रेरित पौलुस ने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद किया। हमारे प्रभु, यीशु मसीह को भेजने के लिए हम परमेश्वर का पर्याप्त धन्यवाद नहीं कर सकते।
हमें जानना चाहिए कि प्रभु का उद्धार कितना अद्भुत है, यह कितना महान और अनुग्रहकारी है। हम प्रभु को उनकी सर्वशक्तिमान सामर्थ के लिए धन्यवाद देते हैं जिसने हमारे भ्रष्ट शरीर को बचाया है जो मरते दम तक पाप के अलावा कुछ भी नहीं करता है। प्रभु ने हमें अपनी सामर्थ से बचाया और हमारे अंगों को विश्वास से उनकी सेवा करने के लिए अपना उपकरण बनाया। प्रभु ने हमें पूरी तरह से बचाया ताकि हम अब और पाप के दास न रहें। 
क्या हमारे प्रभु ने हमें पूरी तरह से नहीं बचाया? बेशक उसने बचाया है! उसने हमें पूरी तरह से और सम्पूर्ण रीती से बचाया है। उसने हमें पर्याप्त रूप से उसकी सेवा करने में सक्षम बनाया। यह महान कार्य किसने किया? हमारे प्रभु ने किया! जो अपने देह से पाप करते थे उन्हें किसने धर्मी बनने और परमेश्वर की सेवा करने के लिए बदल दिया? हमारे प्रभु ने बदला! प्रभु ने हमें, जो हमारे जीवन भर पाप करते हैं, हमारे सभी पापों से बचाया। उसने हमें बदल भी दिया ताकि हम उसकी धार्मिकता की सेवा कर सकें। 
 


प्रभु ने हमें हमारे सारे पापों से बचाया है


हमें इस पर विचार करना चाहिए क्योंकि हम मनुष्य हैं। मैं सोचता हूँ कि प्रभु का उद्धार कितना अद्भुत है क्योंकि मैं एक मनुष्य हूँ। यदि मैं यह नहीं जानता होता कि देह केवल पाप का कार्य करती है, तो मैं हमेशा इससे निराश होता। मैंने शायद अपने पापों के कारण विश्वास का जीवन छोड़ दिया होता फिर भले ही मुझे अपने पापों की माफ़ी पहले ही मिल चुकी थी। 
"उद्धार पाने से पहले, मैं पाप करने के बावजूद भी खड़ा रह सकता था। लेकिन यदि मैं अब भी पाप करता हूँ, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैंने उद्धार पाया था या नहीं। नया जन्म प्राप्त करने का क्या फायदा है?" आप सोचते होगे की आपको पहले से बेहतर बनना चाहिए। अब आपने उद्धार पाया है तब आपको लगता होगा की आपकी देह अब पहले से बहेतर है। जिनका अभी तक नया जन्म नहीं हुआ है, वे समझ नहीं सकते कि मैं क्या कह रहा हूँ।
हम यीशु का धन्यवाद तभी कर सकते हैं जब हम जानते हो और विश्वास करते हो कि देह के सभी पापों को माफ़ कर दिया गया है। मैं प्रभु का धन्यवाद करता हूँ, जिस ने मेरे मरने तक के सब पापोंको दूर कर दिया।
कोरियाई गीत के पिछले संस्करण में, एक भजन था जो अब नहीं है: "हाल्लेलूयाह! परमेश्वर की प्रशंसा करो! मेरे पिछले सभी पाप माफ़ कर दिए गए हैं! और मैं प्रभु यीशु के साथ चलता हूँ, फिर मैं जहां भी जाता हूँ वह स्वर्ग का राज्य है♪” इसका क्या अर्थ है? यदि प्रभु ने केवल हमारे भूतकाल के पापों को दूर किया, तो अब हमें आगे क्या करना है? अब हमें देह से पाप नहीं करना है; जब भी हम पाप करते हैं तो हमें माफ़ी के लिए पूरी तरह से प्रार्थना करनी चाहिए, और हमें किसी भी तरह अच्छा जीवन जीना चाहिए। लेकिन यह केवल शैतान की भयानक चाल है।
इस छल से ज्यादा मीठा कुछ नहीं है। शैतान हमें यह कहते हुए बहकाता है, “तुम्हारे भूतकाल के सभी पाप माफ़ कर दिए गए हैं। इसलिए यदि तुम यीशु के साथ चलते हो और यदि अब ओर पाप नहीं करते हो तो तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हो। लेकिन जब भी आप भविष्य में पाप करते हैं, तो आपको माफ़ी के लिए पश्चाताप की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए, ताकि आप स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें। क्या आप समझ रहे है?" अधिकाँश लोग जब बाइबल पढ़ते हैं तो इस पर विश्वास करते हैं। वे भजन गाते हैं, रोते हुए कहते हैं, "हाल्लेलूयाह! उसकी प्रशंसा करो! मेरे भूतकाल के सभी पाप माफ़ कर दिए गए हैं! और मैं प्रभु यीशु के साथ चलता हूँ, फिर मैं जहाँ भी जाता हूँ स्वर्ग का राज्य है ” 
लेकिन वे पाप करना बंद नहीं कर सकते। यह देह पर परमेश्वर की व्यवस्था है। देह बार-बार पाप करती है। इसलिए उन्हें लगता है कि उन्हें माफ़ी के लिए प्रार्थना करनी होगी। वे अपने दैनिक पापों की माफ़ी प्राप्त करने के लिए परिश्रमपूर्वक पश्चाताप की प्रार्थना करते हैं। वे प्रार्थना के बाद भजन गाते हैं, "हाल्लेलूयाह! उसकी प्रशंसा करो! मेरे भूतकाल के सभी पाप माफ़ कर दिए गए हैं! और मैं प्रभु यीशु के साथ चलता हूँ, फिर मैं जहां भी जाता हूँ वह स्वर्ग का राज्य है” लेकिन क्या यह दो या तीन दिनों तक भी चलता है? एक दिन तो दूर की बात है वे कुछ ही घंटों में फिर पाप करते हैं। वे माफ़ी के लिए प्रार्थना और उपवास कर सकते हैं, लेकिन वे अपनी देह में रहते हुए परमेश्वर के इस अपरिवर्तनीय व्यवस्था से नहीं बच सकते।
क्या भजन के यह बोल सत्य हैं? क्या केवल हमारे भूतकाल के पाप माफ़ हुए हैं? हमारे प्रभु ने हमारे सभी पापों को दूर किया है, न कि केवल हमारे भूतकाल के पापों को। हम अब उसकी स्तुति कर सकते हैं, "हाल्लेलूयाह! उसकी प्रशंसा करो! मेरे सभी पाप माफ़ कर दिए गए हैं! और मैं प्रभु यीशु के साथ चलता हूँ, फिर मैं जहां भी जाता हूँ वह स्वर्ग का राज्य है♪" 
जो बचाए गए हैं वे फिर से पाप करने के बाद भ्रमित हो सकते हैं, जब वे नहीं जानते कि उनकी देह के लिए उनके मरने तक पाप करना परमेश्वर की व्यवस्था है। जब भी वे अपनी देह की बुराई को उन लोगों की तरह पाते हैं जिनका नया जन्म नहीं हुआ है तब वे आसानी से अपने मन की शांति खो देते हैं। वे तभी शांत होते हैं जब वे पाप नहीं करते। यह वो घटना है जो हर मसीही के जीवन में पाई जा सकती है जिन्होंने अभी तक अपने पापों की माफ़ी प्राप्त नहीं की है। वे बस अपने होठों से गा सकते हैं, "मेरे सारे पाप दूर हो गए हैं। आपके भी सारे पाप दूर हुए है। हमारे सारे पाप धुल गए!♫” लेकिन यदि वे फिर से पाप करते हैं, तो उन्हें लगता है कि उन्हें एक बार फिर से माफ़ी मांगनी होगी। जितनी बार वे पाप करते हैं, उतनी ही कोमलता से वे गाते हैं, "मेरे पाप दूर हुए है, आपके पाप दूर हुए है ..." और समय बीतने के साथ वे खुद से निराश हो गए। 
हमारे प्रभु ने हमें हमारे सभी पापों से पूरी तरह से बचाया है। हमारे प्रभु ने हमें सभी पापों से बचाया है ताकि हम किसी भी समय और किसी भी स्थिति में उसकी स्तुति और धन्यवाद कर सकें। हम उसके साथ शांति का आनंद ले सकते हैं और यीशु मसीह के द्वारा हर समय सहायता के लिए परमेश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं।
 


यदि हम जानते है की देह केवल पाप की व्यवस्था का सेवन करती है, तो हम विश्वास के द्वारा पाप से भाग सकते है


आपका विश्वास का जीवन इतना कठिन क्यों है? आप विश्वास के कठिन जीवन से घिरे हुए हैं क्योंकि आप सच्चाई को नहीं जानते हैं, कि देह केवल पाप की व्यवस्था का कार्य करता है। हमें इस सत्य को जानकर आत्मिक जीवन व्यतीत करना चाहिए।
जब हम ध्यान से परमेश्वर के वचन को सुनते है और एकदूसरे के साथ संगती करते है तब हम परमेश्वर के सत्य को जान पाते है और बदल सकते है। “तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्होंने उस पर विश्‍वास किया था, कहा, “यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना ८:३१-३२)। “हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद हो।” प्रभु ने हमें हमारे सारे पाप से सम्पुर्ण रीती से बचाया है ताकि हम हर समय परमेश्वर को धन्यवाद दे सके। क्या आप इस पर विश्वास करते है? प्रभु ने हमें हमारे सरे पापों से बचाया है।
कभी भी अपने विचारों से अभिभूत और बंद न हों-वे आपको कहीं नहीं ले जाएंगे। हम प्रभु का अनुसरण कर सकते हैं, उनका धन्यवाद कर सकते हैं, और विश्वास का जीवन तभी जी सकते हैं जब हम पाप के जुए में न हों। यदि हमारा विश्वास हमारे कर्मों से संबंधित है, और यदि हम जानते हैं कि हम फिर से पाप करेंगे, तो हम हमेशा आनन्दित नहीं हो सकते और प्रभु का अनुसरण नहीं कर सकते। यदि प्रभु का उद्धार थोड़ा भी अपूर्ण होता, तो हम अधिक सुनिश्चितता के साथ प्रभु का अनुसरण नहीं कर पाते। 
हम प्रभु का धन्यवाद करते हैं क्योंकि उसने हमारे सभी पापों को दूर किया है। हम उसकी स्तुति करते हैं और सामर्थ के साथ उसका अनुसरण करते हैं। यदि मैं अपने पापों की समस्या का समाधान नहीं कर सकता, तो मैं दूसरों को उनके पापों से कैसे बचा सकता हूँ? मैं दूसरों को सुसमाचार का प्रचार कैसे कर सकता हूँ? एक डूबता हुआ व्यक्ति दूसरे डूबते हुए व्यक्ति को कैसे बचा सकता है? यदि हम स्वीकार करते हैं कि हमारी देह पाप के अलावा कुछ नहीं करती, तो हम पाप से बच सकते हैं। लेकिन यदि हम इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम "ईसाई धर्म" नामक धर्म के झूठे सिद्धांतों से प्रभावित होंगे।
एक मजेदार कहानी है, और आप शायद इसे जानते होंगे। एक बार, एक युवा कैथोलिक पादरी अपने कलीसिया से दो ननों के साथ एक दूर के गाँव में एक मरते हुए विश्वासी से मिलने के लिए गाड़ी पर चढ़ा। वह घोड़ों को चलाने के लिए दोनों के बीच बैठा था। सुंदर युवा नन उसके दाहिनी ओर बैठी थी और बदसूरत बूढ़ी नन उसके बाईं ओर बैठी थी। नगर की चिकनी और चौड़ी सड़क पर गाड़ी के चलने में कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन जैसे ही वे पहाड़ों में संकरी और उबड़-खाबड़ सड़क पर आए तब गाड़ी बुरी तरह से हिलने लगी। सोचो कैथोलिक पादरी अपने मन में क्या सोच रहा था। जब गाड़ी दाहिनी ओर झुकी, तो उसने प्रार्थना की "हे परमेश्वर। कृपया, जैसा आप चाहते हैं वैसा ही करें!" लेकिन जब वह विपरीत दिशा में झुका, तो वह अपने मन में जोर से चिल्लाया, "हे परमेश्वर। मुझे प्रलोभन में न डाले!” उसने दो बातों के लिए प्रार्थना की: "हे परमेश्वर। जैसा आप चाहते हैं वैसा ही करें" और "हे परमेश्वर। मुझे प्रलोभन में न डाले।” 
हम सब उसके जैसे ही हैं। हमारी देह केवल पाप की व्यवस्था का पालन करती है, लेकिन हमें प्रभु की इच्छा को जानना चाहिए और उसकी इच्छा के अनुसार विश्वास के साथ उसका अनुसरण करना चाहिए क्योंकि हमें अपने आप से कोई अपेक्षा नहीं है। हम मर चुके हैं और हमारी देह के सुधरने की कोई संभावना नहीं है।
 

हम प्रभु का अनुसरण करते है क्योंकि उसने सम्पूर्ण रीती से हमें बचाया है

यदि हम अच्छे कर्म करके स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करते हैं, या हमारा उद्धार इस बात पर निर्भर करता है कि हमने कितने अच्छे कर्म किए या पाप किए हैं, तो हमें कितना भारी लगेगा? प्रभु हम से कहता है, “तू जीवन भर पाप करता रहता है। परन्‍तु मैं ने उन सब पापोंको दूर किया है जो तू मरते दम तक करनेवाला है। मैंने तुम्हें धर्मी बनाया। मैंने तुम्हें एक धर्मी व्यक्ति बनाया है जिसमें कोई पाप नहीं है। मैंने तुम्हें पूरी तरह से बचा लिया है। क्या तुम मुझे धन्यवाद देते हो?" हमारा उत्तर क्या है? "हाँ, हम आपको धन्यवाद देते हैं, मेरे परमेश्वर!" वह फिर पूछता है, "क्या तुम मेरा अनुसरण करोगे?" हम कैसे उत्तर दें? "हाँ हम करेंगे।"
क्या आप परमेश्वर का अनुसरण करना चाहते हैं? बेशक हम प्रभु का अनुसरण करना चाहते हैं, क्योंकि उसने हमारे सभी पापों को उठा लिया है। यदि प्रभु ने आपके केवल ९०% पापों को दूर कर दिया होता, तो आप उसका अनुसरण नहीं कर पाते। आप परमेश्वर से यह कहते हुए शिकायत कर सकते हैं, “आपको मेरे पापों का बचा हुआ १०% भाग भी ले लेना चाहिए था! मैं इन पापों की समस्या का समाधान स्वयं कैसे कर सकता हूँ? मैं आपका अनुसरण कैसे कर सकता हूँ जबकि मुझे खुद अपनी गन्दगी को साफ़ करना है?" फिर, इन पापों के कारण, हम परमेश्वर का अनुसरण करना छोड़ देंगे। 
हालाँकि, अब हम स्वेच्छा से प्रभु का अनुसरण करना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने हमें हमारे सभी पापों से पूरी तरह से बचाया है। "हाँ, आपने मुझे पूरी तरह से बचा लिया है। मैं अब से आपका अनुसरण कर सकता हूँ! धन्यवाद प्रभु! मैं आपकी स्तुति करता हूँ। मैं आपकी महिमा करता हूँ। मुझे आपसे प्रेम है!" हम प्रभु की सेवा करने के लिए स्वयं को समर्पित करते हैं क्योंकि हम उनसे प्रेम करते हैं और हम उनका अनुसरण करना चाहते हैं। हम अपने ह्रदय की गहराई से प्रभु का अनुसरण करना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने हमें हमारे सभी पापों से बचाया है, और क्योंकि हम उनके प्रेम से प्रभावित हुए हैं।
वही कलीसिया में हिस्सा लेने के लिए इस्तेमाल होता है। यदि हम उपस्थित होने की इच्छा रखते हैं तो रविवार की सेवाओं में उपस्थित होना असीम रूप से आसान है; यदि किसी कारण से हमारा मन नहीं लगता है, तो सप्ताह में एक बार कलीसिया जाना भी हमारे लिए एक रोज़ाना काम बन जाता है। यदि आपको प्रत्येक आराधना सेवा के दौरान एक ही दु:खद शब्द सुनना है - "देवियों और सज्जनों, पिछले सप्ताह के दौरान किए गए सभी पापों का पश्चाताप करें," – तो आप कुछ वर्षों के बाद कलीसिया जाना छोड़ देंगे। जिनके पास दृढ़ इच्छाशक्ति है वे अधिक समय तक टिक सकते हैं, शायद एक या दो दशक, लेकिन वे भी अंततः छोड़ देंगे। कई झूठे भविष्यद्वक्ता अपने पापों से पीड़ित लोगों को पश्चाताप करने के लिए मजबूर करते हैं। यही कारण है कि बहुत से लोगों ने कलीसिया जाना छोड़ दिया, क्योंकि उन्हें लगता है कि यीशु पर विश्वास करना बहुत विकट और कठिन है।
हम प्रभु के प्रेम से प्रभावित होकर उनका अनुसरण करते हैं। हम यह गाते हुए प्रभु की स्तुति करते है, "मैं यीशु से प्रेम करता हूँ! मैं यीशु को दुनिया की किसी और चीज़ से नहीं बदल सकता♪” हम यीशु का अनुसरण करते हैं क्योंकि हम वास्तव में उससे प्रेम करते हैं।
परमेश्वर का उद्धार कितना अदभुत है। परमेश्वर ने हमें सारे पापों से दूर करके अपनी सेवा के लिए योग्य बनाया। “अत: अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं। [क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं।] क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया” (रोमियों ८:१-२)। हम हमेशा परमेश्वर को धन्यवाद दे और उसकी स्तुति करे इसलिए वह हमें आशीष देता है। वह चाहता है की हम हमेशा आनंदित रहे और उसका अनुसरण करे। उसने हमें उद्धार दिया है। क्या आप इस पर विश्वास करते है?
अपनी खुद की कमजोरियों से परेशान न हों। प्रभु ने उन लोगों के सभी पापों को दूर कर दिया जिनके क्रोध बेकाबू हैं। उसने दुष्ट और बुरे लोगों के सभी पापों को भी दूर किया। अब, क्या यह केवल आपको प्रभु का अनुसरण करने के लिए प्रेरित नहीं करता है? इसलिए हम अपने प्रभु से प्रेम करते हैं। हमारे परमेश्वर हमें उनका अनुसरण करने के लिए मजबूर नहीं करते हैं या हमें उनकी आराधना करने के लिए मजबूर नहीं करते हैं। परमेश्वर ने हमें आशीष दी है। वह हमारा पिता बन गया, और हम उसकी संतान बन गए, और परमेश्वर हमें उसका अनुसरण करने के लिए कहता है। वह अपने सेवकों को उसकी सेवा करने के लिए कहता है।
वे सभी जिन्हें परमेश्वर ने बचाया है, वे उनके सेवक हैं। परमेश्वर अपने सभी कार्यकर्ताओं को आशीष देता हैं और उन्हें उसका अनुसरण करने के लिए कहता हैं। प्रभु हमें हमारे कर्मो के कारण नहीं बुलाता। प्रभु हमें कहता है, "मैंने तुम्हें सभी पापों से पूरी तरह से बचाया है। तुम्हारा स्वभाव असहनीय है। तुम्हारे भीतर कुटिलता है। तुम वर्णन से परे हो। तुम मूर्ख हो। तुम्हारे पूर्वजो के कारण तुम्हे शापित होना था। लेकिन मैंने तुम्हें बचा लिया और मुझे दूसरी चीजों की कोई परवाह नहीं है। तुम जीवन भर पाप करते हो, फिर भी मैंने तुम्हारे सभी पापों को दूर कर दिया। मैंने तुम्हारे लिए दुख उठाया था और तुम्हारे सभी पापों को मिटाने के लिए मृतकों में से जी उठा था। मैंने ये काम इसलिए किया क्योंकि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ। मैं तुमसे प्रेम करता हूँ। क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो?" हमारा जवाब क्या है? "हाँ, मैं आपसे प्रेम करता हूँ, मेरे परमेश्वर। आप जानते है कि मैं भी आपसे प्रेम करता हूँ। धन्यवाद प्रभु!"
प्रभु कहता है, “मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा।” “मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो मुझ पर विश्‍वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूँ वह भी करेगा, वरन् इनसे भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ।” क्या आप इस पर विश्वास करते है? हम कितने बुरे है! हमने परमेश्वर के सामने कितने पाप किए है? पाप न करने का दिखावा न करे।
हम जीवन भर अनगिनत बार पाप करते हैं। लेकिन प्रभु ने हमारे सभी पापों को हमेशा के लिए दूर कर दिया है फिर भले ही हमारे पाप आसमान के सितारों के समान हों। प्रभु यीशु ने हमारे सभी पापों को पूरी तरह और पर्याप्त रूप से दूर कर दिया है।
 

परमेश्वर ने हमें अपनी धार्मिकता देने के द्वारा अपना कार्यकर्ता बनाया है

कभी-कभी हम सोच सकते हैं कि जब हम स्वयं को जांचते हैं तो हम परमेश्वर का अनुसरण नहीं कर सकते। हमारे ह्रदय कभी-कभी धूप के दिनों की तरह प्रकाशित लगते हैं, लेकिन बादमे काफी उदास। और समय-समय पर, हम नया जन्म लेने के बाद प्रभु का अनुसरण करते हुए खुद को अंधेरे में पाते हैं। हम ऐसे बदलते हैं जैसे हम चार मौसमों से गुजर रहे हों। जब नूह जहाज से निकला तो परमेश्वर ने नूह को आठ प्रकार के मौसम दिए। परमेश्वर ने कहा, “अब से जब तक पृथ्वी बनी रहेगी, तब तक बोने और काटने के समय, ठण्ड और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दिन और रात, निरन्तर होते चले जाएँगे” (उत्पत्ति ८:२२)।
हमारे विश्वास का उतार-चढ़ाव भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हम कुछ दिनों में खुशी-खुशी यीशु की स्तुति करते हैं, लेकिन कुछ ही समय में जब हम कठिनाइयों का सामना करते हैं तो क्रोधित हो जाते हैं।
“फिर वह यह कहता है, “मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूँगा।” और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।” यह वाही है जो प्रभु कहता है (इब्रानियों १०:१७-१८)। 
देह जब तक मरती नहीं तब तक पाप करती है। यह देह की व्यवस्था है। देह पाप की व्यवस्था का सेवन करता है। इसका मतलब है कि देह केवल पाप कर सकता है। परन्तु परमेश्वर ने उनको अपना सेवक बनाया जो केवल पाप कर सकते हैं। परमेश्वर हमें अपना सेवक कैसे बनाता है? निश्चय ही वह पाप करनेवालों को अपना दास नहीं बना सकता।
परमेश्वर ने उन सभी पापों को दूर करने के द्वारा आपको अपना सेवक बनाया है जो आपकी देह आपके अंतिम दिन तक करती है और आपको सम्पूर्ण बनाने के लिए आपके पापों की सब कीमत चुकाई है। उसने आपको अपना पवित्र कार्यकर्ता बनने के लिए आपको पवित्र किया और चुना। उसने हमें अपना सेवक बनाया। हालाँकि हम कमजोर हैं, लेकिन अब हमारे पास सामर्थ है। आप पूछ सकते है "कैसी सामर्थ?"। हमारे पास उसकी धार्मिकता की सामर्थ है। प्रभु की धार्मिकता को पहिनकर हमारे पास सिद्ध सामर्थ है। दूसरे शब्दों में, हमें सिद्ध बनाया गया है। यद्यपि हम शरीर में कमजोर हैं, हम आत्मा में मजबूत हैं।
 

कौन प्रभु की सेवा कर सकता है?

“शोक करनेवालों के समान हैं, परन्तु सर्वदा आनन्द करते हैं; कंगालों के समान हैं, परन्तु बहुतों को धनवान बना देते हैं; ऐसे हैं जैसे हमारे पास कुछ नहीं तौभी सब कुछ रखते हैं” (२ कुरिन्थियों ६:१०)। हम पापी दिखते हुए भी पापी नहीं हैं। हम पाप नहीं करते, यद्यपि हम पाप करते हैं। इसलिए, हम बहुत से लोगों को पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा बचाए जाने में मदद कर सकते हैं। यह मसीह का रहस्य और स्वर्ग के राज्य का रहस्य है।
मैं प्रभु की स्तुति करता हूँ, जिसने हमें पूरी तरह से बचाया है। प्रभु की सेवा कौन कर सकता है? जो लोग पाप न करने की कोशिश करके प्रभु की सेवा करना चाहते हैं, या जो यह मानते हैं कि प्रभु ने उनके सभी पापों को दूर कर दिया जो उनके जीवनकाल में किए गए थे? केवल दूसरी बात वाले ही प्रभु की सेवा कर सकता है और उसे प्रसन्न कर सकता है। केवल वे जो मानते हैं कि प्रभु ने उनके सभी पापों को पूरी तरह से धो दिया, वे ही उनकी सेवा कर सकते हैं। वे स्वेच्छा से खुद को परमेश्वर को समर्पित करते हैं और अपनी साड़ी चीज उसके कार्यों में लगाते हैं। प्रभु के लिए कुछ भी करने में सक्षम होने के कारण, वे उसके कार्यकर्ता होने पर गर्व महसूस करते हैं फिर चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो। 
कुछ लोगों को अपनी खुद की धार्मिकता के टूटने का डर होता है, इसलिए जब वे ऐसी स्थिति में होते है जहां उन्हें क्रोधित होना चाहिए फिर भी वे क्रोधित नहीं होते। उनका स्वाभिमान टूटना चाहिए। हमें अपनी धार्मिकता को कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए ठीक वैसे जैसे हम कचरा फेंकते है। हमारी धार्मिकता टूटनी चाहिए। हमें उस पर मुहर लगानी चाहिए और उसे काटकर कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए। हम प्रभु को धन्यवाद दे सकते हैं और उनकी धार्मिकता को तभी ऊंचा कर सकते हैं जब हम अपनी धार्मिकता को त्याग दें।
ऐसे लोग यह गाते हुए प्रभु की स्तुति और धन्यवाद कर सकते हैं, “उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आँगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो, उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो!” (भजन संहिता १००:४)। जिनके पास अपनी धार्मिकता है, भले ही उन्होंने उद्धार पाया हो, लेकिन वे अंत तक प्रभु की सेवा या प्रेम नहीं कर सकते। जो लोग जानते हैं कि देह जीवन भर केवल पाप का कार्य करता है और यह विश्वास करते हैं कि प्रभु ने उनके सभी पापों को दूर कर दिया है जिनमे भविष्य के पाप भी शामिल है, वे धैर्यपूर्वक प्रभु से प्रेम और सेवा करना चाहते हैं। उनके हृदय में प्रभु से प्रेम करने की तीव्र इच्छा पाई जाती है।
क्या आपके पास ऐसा हृदय है जो प्रभु से प्रेम करता है और उसकी सेवा करना चाहता है? क्या आपके पास वह हृदय है जो उसका धन्यवाद करता है?
 

प्रभु ने हमें बिना पाप के आनंदित जीवन जीने के योग्य बनाया है

हम, परमेश्वर के सेवक, संपन्नता में रहते हैं और उन लोगों की तुलना में अधिक खुश हैं जो एक वर्ष में एक मिलियन डॉलर कमाते हैं। हम गर्मियों में तरबूज खाते हैं और दूसरे मौसम में आड़ू और अंगूर खाते हैं। हम जो चाहें खा सकते हैं। हम गरीब नहीं हैं। छुटकारे के बाद क्या आपने कभी खराब जीवन व्यतीत किया है? हम संपन्नता में रहते हैं।
यदि हम प्रभु के साथ चलें तो हम संपन्नता में जी सकते हैं। जो प्रभु के साथ चलता है उसे कोई घटी नहीं होगी। क्या आप इस पर विश्वास करते हैं? भले ही हम सांसारिक स्तर से अमीर नहीं है लेकिन हम बिना घटी के जीवन जीते हैं। क्या आप इस पर विश्वास करते हैं? क्या आपके पास प्रभु से मिलने के बाद भी अधूरी जरूरतें और चीजों की इच्छा है? हमारे पास किसी चीज की कमी नहीं है। हम अब पहले की तुलना में अधिक समृद्ध रूप से जीते हैं। मैं, अब पहले की तुलना में बहेतर तारीकी से जीवन जीता हूँ। 
हमारे परमेश्वर ने हमें सम्पूर्ण तरीके से बचाया है। इस आशीष को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। हमारे परमेश्वर ने हमें पूरी तरह से बचाया है, और आपको और मुझे उसके द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करने में सक्षम बनाया है। परमेश्वर की कृपा कितनी महान है!
“मैं कैसा अभागा मनुष्य हूँ! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?” हम जीवन भर पाप करते हैं। हमें उन सभी पापों से किसने बचाया जो हम शरीर के साथ करते हैं? प्रभु यीशु मसीह ने हमें बचाया है। जैसे पौलुस ने किया, वैसे ही मैं भी अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ। धन्यवाद, मेरे प्रभु। हमारे सभी पापों को दूर करने के लिए धन्यवाद।
परमेश्वर की धार्मिकता प्राप्त करने के बाद प्रेरित पौलुस अपनी धार्मिकता के साथ जीवन नहीं जिया। उसने कई बार अंगीकार किया कि उसकी देह पाप के तहत बेचीं गई थी। कुछ लोग दावा करते हैं कि पौलुस ने उद्धार पाने से पहले अध्याय ७ और उद्धार पाने के बाद अध्याय ८ लिखा था। यह सही नहीं है।
परमेश्वर का वचन उन दोनों पर लागू होता है जिन्होंने उद्धार पाया है और जिन्होंने उद्धार नहीं पाया। यह सब लोगों पर लागू होता है। अधिकांश धर्मशास्त्री, परमेश्वर के वचन को न जानते हुए, अध्याय ७ को अध्याय ८ से अलग करते हैं, और पहले अध्याय को उन लोगों पर लागू करते हैं जिन्होंने उद्धार नहीं पाया हैं और बाद के अध्याय को उन लोगों पर लागू करते हैं जिन्होंने उद्धार पाया हैं। वे मनमाने ढंग से परमेश्वर के वचन को अनुच्छेदों में विभाजित करते हैं, भले ही वे यह नहीं जानते कि अनुच्छेदों को कैसे अलग किया जाए। इस क्षेत्र में कई चतुर लेकिन धोखेबाज लोग हैं।
प्रभु ने हमारे सभी पापों को पूरी तरह से और सम्पूर्ण रीती से दूर कर दिया है। मैं चाहता हूँ कि आप परमेश्वर को धन्यवाद देकर विश्वास से जिएं। मैं चाहता हूँ कि आप अपने चेहरे की झुर्रियों को दूर करें। यहोवा ने आपके हृदय से सारे काले पापों को दूर कर दिया है। मैं प्रभु का धन्यवाद करता हूँ, जिसने हमें देह के सब पापों से बचाया है।