जिन लोगों ने हमारी किताबो को पढ़ा है उन्होंने निम्नलिखित समीक्षा भेजी है। यह हमारी आशा है की उनके द्वारा, आप सब एक दूसरों के साथ परमेश्वर के अनुग्रह को बाटेंगे जिसने हमें पानी और आत्मा से नया जन्म पाने के लिए सक्षम बनाया है। आपकी पोस्ट को हमारे द्वारा स्वीकार करने के बाद ही देखा जा सकता है।
संदेश पोस्ट करेमेरा नाम दर्शक है और में इण्डिया से हूँ। वर्त्तमान समय में सारे मसीही लोग पवित्र आत्मा को प्राप्त करना चाहते है।लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की कोई व्यक्ति कैसे पवित्र आत्मा को प्राप्त कर सकता है?“आपके लिए पवित्र आत्मा पाने का सुरक्षित रास्ता” इस शीर्षक वाली किताब में लेखक ने बहुत ही सुन्दर तरीके से वर्णन किया है की हम कैसे पवित्र आत्मा को प्राप्त कर सकते है।इस किताब को पढ़ने के द्वारा मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण चीज समझा हूँ की पानी और आत्मा के सुसमाचार के ज्ञान के बिना परमेश्वर कभी भी हमें पवित्र आत्मा प्राप्त करने की अनुमति नहीं देगा।हम सब परमेश्वर के साथ बहुत ही गहरा रिश्ता रखना चाहते है और पवित्र आत्मा के द्वारा अगुवाई प्राप्त करना चाहते है, लेकिन परमेश्वर उन लोगों के साथ कोई संगत नहीं करना चाहता जिनके अन्दर पवित्र आत्मा नहीं है क्योंकि पवित्र आत्मा को प्राप्त करना दर्शाता है की हम परमेश्वर के लोग है। बहुत सारे लोग पवित्र आत्मा को प्राप्त करने के लिए अलग अलग सभाओं में जाते है और सोचते है की कोई पादरी उनके सिर पर हाथ रखेगा तब वे पवित्र आत्मा को प्राप्त करेंगे। लेकिन यह एक गलत समझ है। पवित्र आत्मा केवल तभी आता है जब व्यक्ति पानी और आत्मा के सुसमाचार के बारे में सही समझ को प्राप्त करता है।जब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है तब हमारे पाप माफ़ होते है और जब हम अपने पापों की माफ़ी प्राप्त करते है तब हम पवित्र आत्मा को प्राप्त करते है।पापों की माफ़ी के बगैर, हम पवित्र आत्मा को प्राप्त नहीं कर सकते क्योंकि परमेश्वर कभी भी पापी को पवित्र आत्मा प्राप्त करने की अनुमति नहीं देता। और पापों की माफ़ी प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना बहुत जरुरी है, वह सच्चा सुसमाचार जिसमे यीशु का बपतिस्मा और उसका क्रूस पर चढ़ाया जाना शामिल है।Darshak Patel, India
मेरा नाम दर्शक है और में इण्डिया से हूँ। मसीही होने के नाते, हम सब हमारा विश्वास का जीवन उस प्रकार जीना चाहते है की लोग उसकी सराहना करे। लेकिन में आपसे एक महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूँ जो मैंने इस किताब से सीखी है जिसका शीर्षक है, “पानी और आत्मा के सुसमाचार की ओर वापसी” वह यह है की हम मनुष्य निर्मित सिध्धांतों का अनुसरण करने के द्वारा कभी भी धर्मी नहीं बन सकते, कभी भी नहीं।यह किताब हमें सच्चे सुसमाचार की ओर वापिस मुड़ने के लिए कहती है।इस दुनिया में, हम सुसमाचार से जुड़े हुए बहुत सारे धर्मविज्ञान, शिक्षा और सिध्धान्तों को देख सकते है, लेकिन में आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ, क्या आप सच्चे सुसमाचार का अनुसरण करते है और उस पर विश्वास करते है?इस किताब में, मैंने इस सत्य को पाया की हमारे पाप केवल यीशु के लहू से ही साफ़ नहीं होते। १ यूहन्ना ५:६ स्पस्ट रूप से बताता है की यीशु मसीह न केवल पानी के द्वारा वरन पानी और लहू दोनोँ के द्वारा आया था।हम परमेश्वर के वचन को तोड़ नहीं सकते। हम सुसमाचार से यीशु के बपतिस्मा को निकाल नहीं सकते।यीशु के बपतिस्मा के बगैर, सुसमाचार अधूरा है। हमारे सारे पापों से साफ़ होने के लिए, हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना ही चाहिए जो की इस संसार में एकमात्र सच्चा सुसमाचार है और उसे छोड़ बाकी सारे सुसमाचार झूठे है।यहाँ तक की पौलुस भी गलातियों १:८ में कहता है, “परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हमने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हे सुनाए, तो शापित हो”!तथाकतित धर्मशास्त्रीओंने सुसमाचार को बदल दिया है और लोगों को विनाश की और लेकर जा रहे है।हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार की ओर वापिस मुड़ने की आवश्यकता है, वह सच्चा सुसमाचार जो हमें जगत के सारे पापों से स्वतंत्र कर सकता है।Darshak Patel, India
मेरा नाम दर्शक है और में इण्डिया से। हम सब लोग स्वर्ग में जाना चाहते है और हमारे सृष्टिकर्ता के साथ रहना चाहते है। लेकिन क्या हमारे पास यह निश्चितता है की हम स्वर्ग में जाएंगे ही?बाइबल यूहन्ना ३:५ में कहती है की, “जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।”हम मसीही हमेशा केवल यीशु के लहू पर ही ध्यान देते है जो उसने क्रूस पर बहाया, लेकिन क्या कभी हमने यह सोचा है की वह क्रूस तक कैसे पहुंचा?“क्या वास्तव में आपका पानी और आत्मा से नया जन्म हुआ है” इस शीर्षक वाली किताब इस बारे में बहुत गहराई से समझाती है की कौन स्वर्ग राज्य में प्रवेश करेगा।इस किताब का मुख्य केंद्र यीशु का बपतिस्मा है क्योंकि यदि हम पूरी किताब को पढ़ते है तो हम समझ पायेंगे की यीशु के बपतिस्मा के बगैर उसका क्रूस पर चढ़ाया जाना बेकार है। पुराने नियम में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को छूताकारे की व्यवस्था दी। उस व्यवस्था के मुताबिक़, महायाजक हारून को अपने हाथ बलि के बकरे के सिर पर रखकर इस्राएलियों के सारे पाप उसके ऊपर पारित करने पड़े थे, और इस प्रकार वे परमेश्वर की दृष्टि में पापरहित बने थे।उसी प्रकार नए नियम में हम मनुष्य इसलिए पापरहित बने क्योंकि जब यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया, तब उसने अपने हाथ यीशु के सिर पर रखे और जगत के सारे पाप यीशु के ऊपर पारित कर दी और फिर यीशु उन सारे पापों को लेकर क्रूस तक गए और हमारी जगह उस क्रूस पर बलिदान हुए।यदि हम केवल यीशु के लहू पर विश्वास करते है और उसके बपतिस्मा को नजरअंदाज करते है तो हमारा विश्वास अधूरा विश्वास है। हमें पापरहित बनने के लिए यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू दोनों पर विश्वास करना चाहिए।यह किताब हमें गहरा ज्ञान देता है और पापरहित बनने और परमेश्वर के द्वारा निर्धारित सच्चा उद्धार प्राप्त करने में हमारी मदद करती है।Darshak Patel, India
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