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उपदेश

विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-9] होमबलि की वेदी के ऊपर प्रगट हुआ विश्वास (निर्गमन २७:१-८)

होमबलि की वेदी के ऊपर प्रगट हुआ विश्वास
(निर्गमन २७:१-८)
“फिर वेदी को बबूल की लकड़ी की, पाँच हाथ लम्बी और पाँच हाथ चौड़ी बनवाना; वेदी चौकोर हो, और उसकी ऊँचाई तीन हाथ की हो। और उसके चारों कोनों पर चार सींग बनवाना; वे उस समेत एक ही टुकड़े के हों, और उसे पीतल से मढ़वाना। और उसकी राख उठाने के पात्र, और फावड़ियाँ, और कटोरे, और काँटे, और अंगीठियाँ बनवाना; उसका कुल सामान पीतल का बनवाना। उसके लिए पीतल की जाली की एक झंझरी बनवाना; और उसके चारों सिरों में पीतल के चार कड़े लगवाना। और उस झंझरी को वेदी के चारों ओर की कंगनी के नीचे ऐेसे लगवाना कि वह वेदी की ऊँचाई के मध्य तक पहुँचे। और वेदी के लिये बबूल की लकड़ी के डण्डे बनवाना, और उन्हें पीतल से मढ़वाना। और डण्डे कड़ों में डाले जाएँ कि जब जब वेदी उठाई जाए तब वे उसके दोनों किनारों पर रहें। वेदी को तख़्तों से खोखली बनवाना; जैसी वह इस पर्वत पर तुझे दिखाई गई है वैसी ही बनाई जाए।”
 
 
होमवेदी
मैं होमबलि की वेदी पर प्रगट हुए सत्य के बारे में बात करना चाहता हूँ। जब इस्राएल के लोग परमेश्वर की व्यवस्था और आज्ञा की ६१३ धाराए जो उन्हें अपने हरदिन के जीवन में पालन करना था उसमे से किसी भी एक को तोड़ते थे, और जब उन्हें अपने पापों का एहसास होता था, तब वे परमेश्वर के द्वारा तय की गई बलिदान की पध्धति के मुताबिक़ निर्दोष बलि अर्पण करते थे। जिस जगह पर वे इस बलिदान को अर्पण करते थे वह ह्प्मबलि थी। दुसरे शब्दों में, इस्राएल के लोग निर्दोष बलि के सिर पर अपने हाथ रखकर, उसके गले को काटकर उसका लहू बहाकर, उस लहू को होमबलि की वेदी के शिंगो पर छिड़ककर और बचे हुए लहू को भूमि पर बहा कर, और वेदी पर बलिदान के मांस को जलाकर अपने पापों की माफ़ी पाते थे।
 
 

होमबलि की वेदी का आत्मिक मतलब क्या है?

 
होमबलि की वेदी का नाप लम्बाई और चौड़ाई में २.२५ मीटर (७.५ फीट) था और उंचाई में १.३ मीटर (४.५ फीट) था, वह बबूल की लकड़ी से बनाई गई थी और पीतल से मढ़ा गया था। जब भी इस्राएल के लोग इस होमबलि को देखते थे, तब उन्हें एहसाह होता था की वे वो लोग थे जो न्याय से बंधे हुए थे और अपने दोष को दूर करने में असमर्थ थे। और जैसे बलिदान के प्राणी को मारा जाता था, वैसे उन्हें भी एहसाह हुआ था की उन्हें भी अपने पापों की वजह से मरना होगा। लेकिन उन्होंने यह भी विश्वास किया की मसीहा इस पृथ्वी पर आएगा और उनके पापों की वजह से दोषित होकर और बलिदान के अर्पण की तरह मर कर उनके पापों को दूर करेगा।
होमबलि की वेदी यीशु मसीह हमारे उद्धारकर्ता का प्रतिबिम्ब थी। जैसे निर्दोष पशु पर हाथ रखकर उसका बलिदान चढ़ाया जाता था और उसका लहू बहाया जता था, वैसे ही यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र बनकर हमारे पास आया और हमारे पापों का सारा दोष उसने उठाया। जैसे पुराने नियम के बलिदान को हाथ रखवाकर सारे पापों का स्वीकार करना पड़ता था और अपना लहू बहाना पड़ता था, वैसे ही उसने भी यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को अपने ऊपर स्वीकार किया, और क्रूस पर अपना लहू बहाने के द्वारा इन पापों के दोष को सहा।
इस तरह, होमबलि की वेदी हमें बताती है की यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, क्रूस पर मरा, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इसतरह हमें बचाया।
 
 
अपने पापों की माफ़ी पाने के लिए, इस्राएल के लोगों को अपने बलिदान का अर्पण होमबलि की वेदी पर करना पड़ा था
 
जब हम लैव्यव्यवस्था की किताब में अध्याय ४ देखते है, तब हम देखते है की जब भी अभिषिक्त याजक, इस्राएल के सारे लोग, शासक, या कोई भी आम इन्सान पाप करता था, तब उन्हें बलिदान के अर्पण को परमेश्वर के पास लाकर, अपने हाथ उसके सिर पर रखकर, उसे मारकर, उसके लहू को निकालकर, और उसे होमबलि के पास लाकर और परमेश्वर के लिए उसे अर्पण करके अपने पापों की माफ़ी प्राप्त करनी पड़ती थी।
वास्तव में, होमबलि की वेदी वह जगह थी जहाँ इस्राएल के लोग हरदिन पाप बलि को अर्पण करते थे, एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरता था की वह व्यस्त न हो। इस्राएल के लोग जो अपने पापों से छूटकारा पाना चाहते थे वे निर्दोष पशु को तैयार करते थे और होमबलि की वेदी पर परमेश्वर के सामने बलिदान के अर्पण के रूप में चढाते थे। पापियों को बलिदान के सिर पर अपने हाथ रखने के द्वारा अपने सारे पापों को उसके ऊपर डालना पड़ता था, और, इन पापों के न्याय के रूप में, उसके गले को काटकर उसका लहू बहाना पड़ता था। उसके बाद याजक इस बलिदान के अर्पण का लहू लेकर होमबलि की वेदी के शिंगो पर छिड़कता था, और उसके मांस और चरबी को वेदी पर जलाता था। इस तरह इस्राएल के लोग अपने पाप की माफ़ी को प्राप्त करते थे।
पाप करनेवाला चाहे जो कोई भी हो, चाहे वह इस्राएल के लोगों का अगुवा, महायाजक, साधारण याजक, पूरी सभा, या कोई भी साधारण मनुष्य हो, उन्हें बलिदान का पशु, जैसे की बैल, बकरा, या भेड़ लाकर परमेश्वर को बलिदान के अर्पण के रूप में लाना पड़ता था।
पापी या उनके प्रतिनिधि को बलिदान के सिर पर अपने हाथ रखने पड़ते थे, उसे मारना पड़ता था, उसके लहू को होमबलि की वेदी के सींगों पर छिड़कना पड़ता था, बाकी बचे हुए लहू को भूमि पर बहाना पड़ता था, और इस प्रकार अपने बलिदान के अर्पण की चरबी को जलाना पड़ता था जो उन्हें उनके पापों की माफ़ी देता था। इसलिए, कई सारे लोगों को होमबलि की वेदी के पास अपने बलिदान के अर्पण को लेकर आना पड़ता था, वे अपने हाथो को अर्पण के सिर पर रखते थे, उसके लहू को बहाते थे और उसे याजक को देते थे।
जब होमबलि की वेदी पर अर्पण चढ़ाया जाता था, तब उस बलिदान का अर्पण निर्दोष होना चाहिए था। और जब पापी अपना अर्पण परमेश्वर को देते थे, तब उन्हें यह सुनिश्चित करना था की वे निर्दोष पशु को परमेश्वर के सामने लेकर आए, और केवल निर्दोष बलिदान के अर्पण के सिर पर हाथ रखने के द्वारा उनके पाप उसके ऊपर चले जाते थे। वैसे ही, बलिदान का अर्पण करते समय इस में से कुछ भी छोड़ नहीं सकते थे। 
आम तौर पर, पाप करने वाले व्यक्ति को बलिदान के पशु के सिर अपने हाथों को रखना पड़ता था, लेकिन जब इस्राएल की पूरी प्रजा पाप कराती थी, तब उनके प्रतिनिधि बलिदान के अर्पण के सिर पर अपने हाथ रखते थे (लैव्यव्यवस्था ४:१५)। निसन्देह, जिस बलिदान के सिर पर हाथ रखा जाता था उसका गला काटकर उसे मार दिया जाता था और उसका लहू बहाया जाता था। और अंत में, इसे वेदी पर जलना पड़ता था।
जलते हुए मांस, चरबी और लकड़ी का धुआँ हमेशा होमबलि की वेदी के चारों ओर भर जाता था, और उसके सींग और उसके निचे की भूमि बलिदान के पशु के लहू से पूरी तरह भीग जाति थी। होमबलि की वेदी पाप की माफ़ी की जगह थी जहाँ इस्राएल के लोगों के पापों को साफ़ करने के लिए परमेश्वर को बलिदान अर्पण किया जाता था।
होमबलि की वेदी, जहाँ से हर समय धुआँ उठता रहता था, उसका नाप लम्बाई और चौड़ाई देनो में २.२५ मीटर (७.५ फीट), और उंचाई १.३५ मीटर (४.५ फीट) थी। इसके मध्य में पीतल की एक अंगीठी रखु हुई थी, और इस अंगीठी में जलाए जाने वाले बलिदान के अर्पण से निरंतर धुआँ उठाता रहता था। इस तरह, जिस जगह पर बलिदान को जलाया जता था और परमेश्वर को चढ़ाया जाया था वह होमबलि की वेदी थी।
 
 
होमबलि की वेदी के सारे पात्र पीतल से बने हुए थे
 
राख को हटाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले होमबलि की वेदी के पात्र पीतल से बने हुए थे। होमबलि की वेदी बबूल के लकड़ी के ऊपर पीतल से मढ़ कर बनाई गई थी, इसलिए वेदी और उसके सारे पात्र पीतल से बने हुए थे।
होमबलि की वेदी के इस पीतल का निश्चित आत्मिक मतलब है। पीतल परमेश्वर के सामने पाप के न्याय को दर्शाता है। वैसे ही, होमबलि की वेदी एक ऐसी जगह है जो हमें स्पष्ट रूप से बताती है की निश्चित रूप से पापी के पापों का न्याय होगा। परमेश्वर निश्चित रूप से लोगों को उनके पापों के दोष देगा। जिस स्थान पर पापियों के लिए बलिदान के पशु पर दोष लगाकर उसे जलाया जता था वह होमबलि की वेदी थी, और वेदी और उसके सारे आपात्र पिओतल के बने थे; इसतरह, यह चीजे हमें बताती है की निश्चित रूप से हर एक पाप का न्याय होगा।
वेदी हमें बताती है कि उनके पापों के कारण, लोगों पर दोष लगा है और उन्हें मार दिया जाता है, लेकिन होमबलि की वेदी के पास अपने बलिदान के पशु को लाकर और उसे परमेश्वर को चढ़ा कर, वे अपने पाप धो सकते है, पाप की माफ़ी पा सकते है, और फिर से जीवन जी सकते है। यहाँ, जो बलिदान होमबलि की वेदी पर चढ़ाया गया था, वह बताता है कि यीशु मसीह के बपतिस्मा और उसके बहाए हुए लहू ने विश्वासियों के पापों को माफ़ किया है। इसलिए यह विश्वास जिसने होमबलि की वेदी पर बलिदान चढ़ा था, वह नए नियम के समय में यीशु मसीह के बपतिस्मा और लहू पर विश्वास के रूप में जारी रहा है।
जब हम यीशु मसीह पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते है, तब हमें अपने विश्वास को परमेश्वर के हाथों में सोंपना चाहिए जो यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर हमारे पापों की माफ़ी के रूप में विश्वास करता है। पुराने नियम में, यह विश्वास उस विश्वास का पता लगाता है जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुने मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को खोलता है और उसमे प्रवेश करता है।
 
 

होमबलि की वेदी पर बलिदान किए गए सारे अर्पण यीशु मसीह का संकेत करते है

यीशु का क्रूसजब यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए तब उसने क्या किया? हम पापी थे; हमने परमेश्वर के खिलाफ पाप किया था और उसकी व्यवस्था और आज्ञाओं को तोड़ा था। लेकिन हमारे इन सारे पापों को मिटाने के लिए, यीशु मसीह ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया और जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया, और फिर क्रूस पर अपना लहू बहाया। जिस तरह सिर पर हाथ रखने के द्वारा बलिदान का पशु इस्राएलियों के पापों को अपने ऊपर उठाया था, और फिर उसे मार कर होमबलि की वेदी पर जलाया गया था, क्योंकि यीशु मसीह निर्दोष बलिदान के रूप में इस पृथ्वी पर आया, और उसने बपतिस्मा लिया, इसलिए वह क्रूस पर अपना बलिदान का लहू बहा सका और हमारी जगह वह मर सका। अपने दोनों हाथों और पैरों पर किले लगवाकर और अपना लहू बहाकर, हमारे प्रभु ने हमारे सारे पापों का दोष खुद उठाया, हमारी जगह उसका न्याय हुआ। इस प्रकार, उसने हमें हमारे सारे पापों और दोष से बचाया है।
यीशु मसीह, जो होमबलि की इस वेदी का सच्चा तत्व बना था, उसने इस पृथ्वी पर आने के बाद क्या किया? यीशु मसीह ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाकर, क्रूस पर चढ़ा और क्रूस पर मरा, और मृत्यु से फिर जीवित होकर हमें बचाया है। हमारा प्रभु इस पृथ्वी पर आया, हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया, और फिर स्वर के राज्य में उठा लिया गया।
 
 
हम जो हरदिन पाप करते है
 
होमबलि की वेदी का एक और मतलब है, जो है “आरोहण”। वास्तव में, आप और मैं हर रोज पाप करते है। इसलिए, हमें हमेशा परमेश्वर को अपना बलिदान देना पड़ता है, और इस वजह से, हमारे पापों के दोष का धुआँ हमेशा परमेश्वर की ओर चढ़ता है। क्या कोई ऐसा दिन है जब आप पाप नहीं करते है लेकिन सम्पूर्ण जीवन जीते है? इस्राएल के लोगों का बलिदान लगातार तब तक चढ़ाया गया जब तक की इस्राएलियों के पापों को माफ़ करने वाला बलिदान चढ़ाते चढ़ाते याजक थक नहीं गए और उसे अब ओर नहीं चढ़ा सके। क्योंकि इस्राएल के लोगों ने व्यवस्था को तोड़ा और हरदिन परमेश्वर के खिलाफ पाप किया, इसलिए उन्हें हर रोज अपना बलिदान देना पड़ा।
मूसा, जो इस्राएल का प्रतिनिधि था, उसने इस्राएलियों को परमेश्वर की व्यवस्था की ६१३ धाराए और आज्ञाए दी: “इसलिये अब यदि तुम निश्‍चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे; समस्त पृथ्वी तो मेरी है। और तुम मेरी दृष्‍टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे।’ जो बातें तुझे इस्राएलियों से कहनी है वे ये ही है” (निर्गमन १९:५-६)। 
तब इस्राएल के लोगों ने वादा किया था, “जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम नित करेंगे” (निर्गमन १९:८)। इसलिए इस्राएल के लोग इस परमेश्वर को पहचानना और उस पर विश्वास करना चाहते थे जो मूसा के सामने प्रगट हुआ था और और उसके जरिए उनके साथ उनके सच्चे परमेश्वर की तरह बात की थी, और वे चाहते थे की यह परमेश्वर उनकी रक्षा करे। परमेश्वर ने उनसे जो कुछ भी कहा था उसका पालन करके, वे न केवल उनका निज धन बनना चाहते थे, लेकिन परमेश्वर के याजको का राज्य और पवित्र जाति भी बनना चाहते। उसी तरह, उन्होंने परमेश्वर की सारी आज्ञाओं का पालन करने की कोशिश की जो परमेश्वर ने उन्हें दी थी।
क्या परमेश्वर पहले से ही जानता था कि इस्राएलि लोग पाप करेंगे? निसन्देह वह जानता था। इसी लिए परमेश्वर ने मूसा को सीनै पर्वत पर बुलाया, उसे दर्शन में मिलापवाला तम्बू दिखाया, इसके रूप के बारे में विस्तार से बताया, उसे बनाने के लिए कहा, और उसे हुबहू वैसे ही बनवाया। और उसने बलिदान की पध्धति को भी स्थापित किया जिसके द्वारा इस मिलापवाले तम्बू में अर्पण चढ़ाए जाते थे। 
जब इस्राएल के लोगों को परमेश्वर को पाप अर्पण चढ़ाना था, तब उन्हें निर्दोष बैल, भेड़, बकरा, पंडुक, या कबूतर लाना था; और कुछ आपति से बचने के लिए, उन्हें यह सुनिश्चित करना था की वे बलिदान के सिर पर हाथ रखने के द्वारा अपने पापों को उसके ऊपर डाले (लैव्यव्यवस्था १:१-४)। और फिर गला काटकर उसका लहू बहाया और यह लहू याजक को दिया। तब उनके याजकों ने यह लहू लिया, उसे होमबलि की वेदी के सींगो पर छिड़का, बाकी बचा लहू भूमि पर बहाया, बलिदान के अर्पण के टूकडे किए, इन टुकड़ों को वेदी पर रखा; और उसे जलाने के द्वारा उसे परमेश्वर को अर्पण किया। 
इस तरह से इस्राएलियों को उनके पापों से माफ़ी मिल सकती थी। जब अर्पण जलाया गया, तब उन्हें न केवल उसका मांस जलाना पड़ा, लेकिन उन्हें उसकी सारी चरबी और अंतड़ियों और कलेजे को भी जलाना पडा। इस तरह, परमेश्वर ने इस्राएलियों के पापों को माफ़ किया।
 
 

सारे पापों की माफ़ी पाने का एकमात्र रास्ता

 
जब हम खुद को देखते है, तब हम वास्तव में यह समझ सकते है कि हम हर समय पाप करते है। हम अपना जीवन हमेशा पाप करते हुए जीते है। हम विभिन्न कारणों से अनगिनत पाप करते है, चाहे वह इसलिए हो क्योंकि हम कमजोर है, हमारे ऊपर बहुत सारे दोष है, हम बहुत लालची है, या हम बहुत अधिक सामर्थी है। यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करने वालों में भी ऐसा कोई नहीं है जो पाप न करता हो।
हम जो परमेश्वर पर विश्वास करने के बावजूद भी ऐसे पाप करते है उनके लिए केवल एक ही रास्ता है, यीशु मसीह के बपतिस्मा पर विश्वास करके इन सारे पापों से साफ़ होना और उद्धार पाना। वह स्वयं परमेश्वर है जो पानी और लहू से आया (१ यूहन्ना ५-६); वह नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा होमबलि की वेदी के बलिदान के अर्पण के रूप में इस पृथ्वी पर आया था। जब यह यीशु ने बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को अपने ऊपर उठाया और क्रूस पर अपना लहू बहाकर उस पर मरने के द्वारा हमारे पापों की कीमत चुकाई, तो फिर हम कैसे विश्वास करने के द्वारा पापों की माफ़ी प्राप्त नहीं कर सकते? हमारे मसीहा यीशु मसीह के उद्धार के कारण, विश्वास के द्वारा आप और मैं एक ही बार में हमारे पापों की माफ़ी प्राप्त कर सकते है।
हालाँकि हम वास्तव में हमेशा पाप करते है, इसलिए यीशु मसीह के बपतिस्मा और लहू का उद्धार जो उसने इस पृथ्वी पर आने के बाद परिपूर्ण किया था उसकी वजह से हम हमारे पापों से स्वतंत्र हो सके। हमारे प्रभु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया, जगत के पापों को क्रूस तक ले गया और उसे क्रूस पर चढ़ाया गया, और इस तरह हमें हमारे पापों से पूरी तरह छुटकारा दिलाया। हमारे पापों के लिए बपतिस्मा लेकर, अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने के द्वारा हमारे सारे पापों का दोष खुद उठाकर, उसने हमें पूरी तरह से बचाया है जो इस सत्य पर विश्वास करते है। हालाँकि, हमारे पापों की वजह से हम पर दोष लगाया गया है, क्योंकि उद्धार का प्रेम और दया जो यीशु ने हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के द्वारा दी हैऊ, इसलिए आप और मैं विश्वास के द्वारा बचाए गए है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने हमें हमारे पापों से बचाया है। यह उस पर विश्वास करने से है कि हमें हमारे सारे पापों से छूटकारा मिला है। यह वही है जो होमबलि की वेदी हमें बताती है।
आप शायद सोचते होंगे की मिलापवाले तम्बू के अन्दर सबकुछ खुबसूरत था, लेकिन यदि आपने वास्तव में इसके आँगन के अन्दर प्रवेश किया होता, तो आपको अनपेक्षित और ग्रिनित द्रश्य का सामना करना पड़ता। समकोणीय आकार की पीतल से बनी होमबलि की वेदी कभी भी धुआँ और आग उगलती थी। पीतल की वेदी पापियों का इंतज़ार कराती थी, इसकी भूमि लहू से तरबतर थी, और कोई भी यह समझ सकता था की यह पाप के दोष की जगह थी। जैसा कि यह स्थान वो जगह थी जहाँ प्रतिदिन बलिदान का अर्पण चढ़ाया जाता था, आप जलते हुए मांस और लकड़ी की बदबू से अभिभूत होते। 
होमबलि की वेदी के निचे, लहू नदी के समान बहता था। जब भी इस्राएलियों ने पाप किया, तब वे अपने बलिदान के पशु को मिलापवाले तम्बू के पास लेकर आते, अपने हाथों को रखने के द्वारा वे अपने पापों को उसके ऊपर डालते, उसके गले को काटते, उसका लहू बहाते, और इस लहू को याजक के हाथों में देते। फिर याजक इस लहू को होमबलि की वेदी के सींगो के ऊपर छिड़कता और बाकी लहू को भूमि पर उँडेलता। 
फिर वे अर्पण के टुकड़े करते, और उसके गुर्दे और चरबी के साथ इसके मांस को अंगीठी पर रखकर जलाते। जब लहू बहता है तब शुरू में यह बहुत तरल होता है, लाल रंग का बहता है। लेकिन कुछ समय के बाद, यह जम जाता है और चिपचिपा हो जाता है। यदि आपने वास्तव में कभी मिलापवाले तम्बू में प्रवेश किया होता, तो आपने इस भयानक लहू को देखा होता।
जब भी इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर की आज्ञाए तोड़ी, तब होमबलि की वेदी के द्वारा उन्हें समझ में आता की वे बलिदान के अर्पण की तरह वेदी पर मरे होते। क्यों? क्योंकि परमेश्‍वर ने लहू के द्वारा उनके साथ अपनी वाचा को बाँधा था। "यदि तुम मेरी आज्ञा मानोगे, तो तुम मेरे लोग और याजकों का राज्य बनोगे, लेकिन यदि तुम इसे पालन करने में विफल हुए, तो तुम इस बलिदान के अर्पण की तरह मरोगे।" इसतरह से परमेश्वर ने लहू से अपनी वाचा को स्थापित किया। जैसे, इस्राएल के लोगों ने इसे दिए गए तथ्य के रूप में स्वीकार किया कि यदि वे पाप करते है और व्यवस्था को तोड़ते है, तो उन्हें अपना खून बहाना पड़ता। 
वास्तव में, केवल इस्राएलियों को ही नहीं, लेकिन परमेश्वर पर विश्वास करने वाले सारे लोगों को अपने पापों के लिए बलिदान का लहू चढ़ाना चाहिए। यह हमें बताता है कि जो कोई भी परमेश्वर के सामने पाप करता है इसलिए उसके दिल में पाप है, चाहे वह कितना भी छोटा या बड़ा पाप क्यों न हो, उसे इसके परिणामस्वरूप इस पाप के दोष का सामना करना होगा। हालाँकि, न्याय की व्यवस्था – पाप की मजदूरी मृत्यु है – परमेश्वर के सामने सारे लोगों को लागू होती है, ऐसे बहुत कम लोग है जो परमेश्वर के न्याय से डरते है और परमेश्वर की बलिदान की पध्धति में प्रगट हुए परमेश्वर के उद्धार की व्यवस्था के लिए अपने अप को समर्पित करने की कोशिश करते है। 
होमबलि की वेदी हमें बताती है कि व्यवस्था के मुताबिक़ जिसने तय किया है की पाप की मजदूरी मृत्यु है, यीशु मसीह ने हमें मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में प्रगट हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा हमें हमारे पाप और दोष से बचाया है। हमारे लिए, जो हमेशा पाप करते है और जिन पर पापों की वजह से दोष लगाना चाहिए, मसीह मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर आया, यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेकर हम यानी की मनुष्यजाति के सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, जगत के इन पापों को क्रूस तक लेकर गया, क्रूस पर चढ़ा और अपना लहू बहाया, बड़ा दुःख और दर्द सहा, अपना बलिदान दिया, और इस तरह आपको और मुझे हमारे सारे पापों से बचाया।
ऐसा इसलिए है क्योंकि मसीह ने अपनी देह का बलिदान दिया और इस तरह से हमें बचाया की आप और मैं विश्वास के द्वारा हमारे सारे पापों से छूटकारा पा सके। दुसरे शब्दों में, उन लोगों के लिए जो अपने पापों के कारण मरने वाले थे, यीशु मसीह ने अपने बपतिस्मा के द्वारा उनके सारे पाप अपने ऊपर उठाए, मृत्यु के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इस तरह से उन्हें उनके सरे पाप और दोष से बचाया। 
जब हम होमबलि की इस वेदी को देखते है, तब हमें यह विश्वास होता है। यह देखकर कि हर समय वेदी पर बलिदान चढ़ाया जा रहा है, हम समझ सकते है और विश्वास कर सकते है की भले ही यह हम होते जिन्हें उनके पापों के कारण मरना है, फिर भी परमेश्वर ने हमें अपने बलिदान के अर्पण के रूप में नहीं बदला, लेकिन उसके बजाए हमारा प्रभु खुद इस पपृथ्वी पर आया और हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया। बपतिस्मा लेकर, क्रूस पर अपना लहू बहाकर, और मृत्यु से जीवित होकर, यीशु ने हमें बचाया है।
यही कारण है कि परमेश्वर पिता ने इस्राएलियों को उनके पापों की वजह से दोषित न ठहराकर उनके बलिदान के अर्पण का स्वीकार किया और उनके सारे पाप माफ किए। इस्राएल के लोगों को बलिदान के पशु के सिर पर हाथ रखने के द्वारा अपने सारे पाप उसके ऊपर डलवाकर, और उसे मार कर और उसके लहू, मांस, और चरबी को अर्पण करवाके, परमेश्वर ने इस्राएलियों के पापों को माफ़ कर दिया। इस बलिदान की पध्धति के द्वारा, उसने हमें भी हमारे सारे पापों से शुध्ध किया है। इसके अलावा ओर कुछ भी परमेश्वर का प्रेम और उसकी दया नहीं थी।
 
 
परमेश्वर ने केवल व्यवस्था के द्वारा हमारे साथ व्यवहार नहीं किया
 
यदि परमेश्वर केवल अपनी व्यवस्था के मुताबिक़ आपका और मेरा, और इस्राएल के सारे लोगों का न्याय करे, तो इस पृथ्वी पर कितने लोग जीवित रहेंगे? यदि परमेश्वर केवल अपनी व्यवस्था के आधार पर हमारा न्याय करता है, तो हम में से कोई भी एक दिन भी जीवित नहीं रहेगा। हम में से अधिकांश २४ घंटे भी जीवित नहीं रहते, लेकिन कुछ ही मिनटों में मर जाते। हममें से कुछ लोग सिर्फ एक घंटे में मर सकते है, जबकि अन्य १० घंटे तक जीवित रह सकते है, लेकिन यह मामूली अन्तर है - किसी भी तरह, हम सब लोग मरने के लिए बाध्य होते। जैसे आज लोग ६०, ७०, ८० और उससे भी ज्यादा जीवित रहते है उतना वे नहीं जी पाएंगे। किसी भी समय, सब पर दोष लगाया जाता।
सोचिये आज सुबह क्या हुआ। पूरी रात पार्टी करने के बाद, आपका बेटा अभी भी बिस्तर से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है। आपकी पत्नी उसे जगाने की कोशिश कर रही है। परिणाम स्वरुप चिल्लाहट होती, आपका बेटा अपनी माँ पर चिल्लाता क्योंकि वह उसे जगा रही है, और आपकी पत्नी उसके बेटे पर चिल्लाती क्योंकि वह उस पर चिल्ला रहा है – और इस तरह सुबह की लड़ाई शुरू होती है। अंत में, यहाँ माँ और बेटा दोनों ही परमेश्वर के सामने पाप करते है, और दोनों में से कोई भी एक दिन भी नहीं टिकेगा, क्योंकि दोनों पर पाप करने के कारण दोष लगेगा। 
लेकिन परमेश्वर ने केवल अपनी धर्मी व्यवस्था से ही हमारे साथ व्यवहार नहीं किया, “उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है” (भजन संहिता १०३:१०)। 
 
धर्मी व्यवस्था से हमारा न्याय करने से दूर, परमेश्वर ने इसके बजाए बलिदान का अर्पण तैयार किया जो इस धर्मी व्यवस्था को परिपूर्ण करने के लिए हमारी जगह लेगा। हमें बलिदान पर अपने हाथ रखकर उस पर हमारे पापों को डालने के द्वारा, और हमारे जीवन की जगह इस अर्पण का लहू परमेश्वर को चढ़ाने के द्वारा, परमेश्वर ने हमारे जीवन का बलिदान स्वीकार ने के बजाए बलिदान के अर्पण का जीवन स्वीकार किया, और हमारे और इस्राएलियों के साथ पूरी मनुष्यजाति के पापों को माफ़ किया, हमें उससे बचाया, और हमें फिरसे जीवित किया। और विश्वासियों को उनके पापों से बचाकर, परमेश्वर ने उन्हें अपनी प्रजा बनाया है। इसी तरह से परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को परमेश्वर के राज्य के याजक बनाया।
यहाँ बलिदान का अर्पण यीशु मसीह के अलावा ओर किसी को नहीं दर्शाता। हमारे पापों के कारण, यीशु मसीह यह बलिदान का अर्पण बना, और हमें जिन पर पाप का दोष लगा था बचाने के लिए, बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को अपने ऊपर लिया, अपना लहू बहाया और क्रूस पर मरा। हमें हमारे पापों से बचाने के लिए, परमेश्वर का एकलौता बेटा मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर आया और पिता की इच्छा पूरी करने के लिए अपने बपतिस्मा के द्वारा बलिदान का अर्पण बना। यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर मनुष्यजाति के सारे पापों को अपने ऊपर उठा ने के द्वारा, जगत के इन पापों को क्रूस तक लेजा कर, क्रूस पर चढ़कर, अपना लहू बहाकर, और फिर खुद का बलिदान देकर, और मारकर और मृत्यु से जीवित होने के द्वारा, यीशु ने आपको और मुझे सम्पूर्ण तरीके से बचाया है। 
जब हम उद्धार के वचन को यह कहते हुए सुनते है कि यीशु ने हमारी जगह बपतिस्मा लिया, क्रूस पर चढ़ा, और तिन दिनों में मृत्यु से जीवित हुआ, तब हमारा हृदय प्रेरित होता है। क्योंकि हमारी जगह जो पापरहित था उसने बपतिस्मा लिया जिससे सारे पाप उसके ऊपर चले गए, और इन पापों की कीमत के रूप में, उसने सारे प्रकार के सताव, अत्याचार, दर्द, यातना, और मृत्यु को सहा, जो वास्तव में हमें सहना था। जब मसीह ने हमें हमारे पापों से बचाया है, तो इस सत्य पर विश्वास न करने से अधिक बुरा ओर कुछ भी नहीं हो सकता है।
 
 
हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के द्वारा परिपूर्ण हुए उद्धार पर विश्वास करना चाहिए
हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के द्वारा परिपूर्ण हुए उद्धार पर विश्वास करना चाहिएजब यीशु मसीह ने हमारे लिए अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को और इन पापों के न्याय को सहा, और जब उसने हमारी जगह खुद का बलिदान देकर आपको और मुझे बचाया, तब हमारे पास उस प्रकार का विश्वास होना चाहिए जो कहता हो, “धन्यवाद, प्रभु!” हालाँकि बहुत से लोग प्रेम कहानियों को, जीवन की कहानियों को, या किसी भी प्रकार की दिल को छू जाने वाली कहानियों को सुनकर आसानी से प्रेरित हो जाते है, जब यह उनके हृदय में परमेश्वर के बिना शर्त के प्रेम की बात आती है, तब वे बर्फ़ के समान ठन्डे बन जाते है। जब हमारे परमेश्वर का अनुग्रह इतना महान है कि उसने हमारे लिए बपतिस्मा लिया और क्रूस पर मरा, फिर भी ऐसे जानवर जैसे लोग है जो इस अनुग्रह को नहीं समझते है और इसके लिए उसे धन्यवाद नहीं देते। 
यीशु मसीह, परमेश्वर का पुत्र, इस पृथ्वी पर आया और हमारे लिए बलिदान का अर्पण बना। उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा अपने शरीर के ऊपर हमारे सारे पापों को उठाया और क्रूस पर अपने शरीर को देकर खुद का बलिदान दिया। हम सब के लिए उसे थप्पड़ मारा गया, नंगा किया गया, सताव और अत्याचार किया गया। इस तरह उसने हमें बचाया है। यह इस सत्य पर विश्वास करने से है कि हम परमेश्वर की संतान बन गए है। यह सब से बड़ी प्रेरणा है, परमेश्वर का महान अनुग्रह जो शब्दों से बयाँ नहीं किया जा सकता है। जब इस तरह से मसीह ने हमें बचाया है, तब यह देखकर मुझे बहुत दुःख होता है की बहुत सारे लोग अभी भी इसे सुनकर विश्वास नहीं करते और उसे धन्यवाद नहीं देते।
यह इस लिए है क्योंकि यीशु इस पृथ्वी पर आया, अपना बपतिस्मा लिया, और खुद को बलिदान किया ताकि आप और मैं हमारे सारे पापों से बच सके। इसलिए, यशायाह ५३:५ कहता है, “परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी, कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएँ।” 
हम हमारे जीवन भर पाप करते है। हमें जिन पर अपने पापों के कारण दोष लगा था, हमारे सारे पाप, दोष, नाश और शाप से बचाने के लिए, हमारा प्रभु स्वर्ग राज्य के सिंहासन को पीछे छोड़कर, इस पृथ्वी पर आया। उसने यूहन्ना के सामने अपना सिर झुकाया और बपतिस्मा लिया, इन पापों को क्रूस तक लेकर गया और बहुत यातनाए सही, अपने हृदय के सारे लहू को भूमि पर बहाया, मृत्यु से जीवित हुआ, हमारे लिए बलिदान का अर्पण बना, और हमारे उद्धार का सच्चा परमेश्वर बना।
क्या आप इस तथ्य के बारे में सोचते है और इसे अपने हृदय की गहराई में रखते है? जब आप वचन सुनते है, तब केवल यह उचित है कि आपको विश्वास करना चाहिए और अपने हृदय में प्रेरित होना चाहिए की वास्तव में यीशु मसीह मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आया, और यह की उसने बपतिस्मा लिया, मृत्यु के लिए क्रूस पर चढ़ा, और अपने लोगों को उनके पापों से बचाने के लिए पुनरुत्थित हुआ। यदि हम समझे की हम सब नरक में बंधे हुए थे, तब हम हमारे हृदय में गहराई से समझ सकते है की यश उद्धार कितना प्रेरणादायक और धन्य है। हालाँकि हम परमेश्वर पर विश्वास करना चाहते थे और उनके लोग बनना चाहते थे, लेकिन यह हासिल करने के लिए हमारे पास कोई रास्ता नहीं था। लेकिन आपके और मेरे लिए, जो वास्तव में पाप की माफ़ी को चाहते थे, उसने हमारी मुलाक़ात सत्य के वचन से करवाई की मसीह इस पृथ्वी पर आया, बपतिस्मा लिया, क्रूस पर मरा, और तिन दिनों के अन्दर मृत्यु से जीवित हुआ।
अगर यह यीशु का बलिदान नहीं होता, तो हम सब कैसे अपना उद्धार प्राप्त करते? हम कभी नहीं कर सकते थे! अगर यह यीशु का बपतिस्मा और क्रूस का लहू नहीं होता, अगर यह मिलापवाले तम्बू के नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए उद्धार के लिए नहीं होता, तो हमारे लिए उद्धार केवल सपने के समान होता। अगर यह उसके उद्धार के लिए नहीं होता, तो हम कभी हमारे पाप और उसके दण्ड से स्वतंत्र नहीं हो पाते, लेकिन नरक की अनन्त आग में हमेशा के लिए डाल दिए जाते। फिर भी मसीह ने हमें पुराने नियम के बलिदान की तरह, हमारे लिए खुद को बलिदान करके हमें बचाया है।
 
 

नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े का उद्धार नए नियम में परिपूर्ण हुआ

 
मेरे प्रिय पाठक, आपको मिलापवाले तम्बू के लिए इस्तेमाल किए गए नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े को कभी भी भूलना नहीं चाहिए। बटी हुई सनी का कपड़ा पुराने और नए नियम के वचन है, वह वचन जो परमेश्वर ने बहुत पहले वायदा किया था की वह खुद हमारा उद्धारकर्ता बनाकर हमारे पास आएगा, और इस वचन के मुताबिक़, यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए। नीला कपड़ा हमें बताता है कि इस धरती पर आने वाले मसीह ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया। दुसरे शब्दों में, वायदे के मुताबिक़ की वह हमें हमारे पापों से बचाएगा और हमारे दोषों से छूडाएगा, उसने बपतिस्मा लिया। हमारे और इस जगत के सारे पापों को अपने ऊपर लेने के लिए, उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया, और वास्तव में जगत के सारे पापों को सहा। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि यदि हम यह भूल जाते है कि यीशु हमारे बलिदान के अर्पण के रूप में आया और अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को उठाया, तो कोई उद्धार होगा।
ज्यादातर, हम इस दुनिया में खुद को ज्यादा महत्त्व देते हुए जीवन जीते है। लोगों के दिल ऐसे है कि वे किसी और को बड़ाई करते नहीं देख सकते, वे खुद बड़ाई करना पसंद करते है। लेकिन एक निश्चित समय आया जब मैंने खुद के बारे में नहीं, लेकिन किसी ओर के बारे में बड़ाई की, और यह तब हुआ जब मैं यीशु के प्रति आभारी हुआ क्योंकि उसने मुझे नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बचाया था। दूसरे शब्दों में, मैं यीशु की बड़ाई करने लगा। अब, मैं जितना होता है उतना ज्यादा बड़ाई करता हूँ की यीशु इस पृथ्वी पर आया; हमारे पापों को दूर करने के लिए, उसने बपतिस्मा लेकर हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया; और इस तरह प्रभु ने हमें बचाया। मैं इस सत्य की बड़ाई करने, इसका प्रचार करने, और सारी महिमा परमेश्वर को देने में विफल नहीं हुआ।
फिर भी बहुत से लोग ऐसे है जो यीशु पर विश्वास करने का दावा करते है फिर भी उसके बपतिस्मा को निकाल कर वचन का प्रचार करते है, और यीशु का नाम लेकर खुद की बड़ाई करते है। एक झूठा सेवक था जो दावा करता था कि वह जीवन निर्वाह के लिए महीने में केवल $३०० खर्च करता है। जैसे कि यह एक बड़ी उपलब्धि थी, वह दावा करता था कि उसे प्रति माह केवल $३०० मिलते है, और जब वह यात्रा कर रहा होता है तो उसे कोई पैसा नहीं देना पड़ता क्योंकि उसके अनुयायी उसके सभी खर्चों का भुगतान करते है। लेकिन क्या विश्वासियों का पैसा, पैसा नहीं है? जब केवल उसके पैसे की बात आती है तो क्या यह पैसा कोई मायने नहीं रखता? यह मसीही अगुवे ने दावा किया की उसे जब किसी व्हिज की जरुरत पड़ती है तब उसे केवल प्रार्थना करनी होती है। “परमेश्वर, मेरी यात्रा के खर्च को पूरा करो! मैं आप पर विश्वास करता हूँ, प्रभु!” उसने गवाही दी, इस प्रार्थना के साथ, कुछ संत बाहर आए और उसे बहुत सारा धन दिया। ऐसे लोगों को देखते हुए जो ये बातें ऐसे कहते है जैसे यह घमंड करने वाली बात हो, तब आपके मन में क्या विचार आते है?
मत्ती ३:१३-१७ में लिखा है, “उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया। परन्तु यूहन्ना यह कह कर उसे रोकने लगा, “मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?” यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” तब उसने उसकी बात मान ली। और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्‍वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई : “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।” जब यीशु ने बपतिस्मा लिया तब क्या हुआ था ये बात यह भाग बता रहा है। जब यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से यरदन नदी में बपतिस्मा लिया और बहार आया, तब स्वर्ग के दरवाजे खुल गए और परमेश्वर पिता की आवाज सुनाई दी: “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यंत प्रसन्ना हूँ।” यूहन्ना बपतिस्मा उस समय हैरान था।
यूहन्ना बपतिस्मा देनावाला इस यरदन नदी के पास दो बार हैरान हुआ था। वह पहली बार हैरान तब हुआ जब उसने देखा की यीशु उसके पास बपतिस्मा लेने के लिए आया था, और फिर दूसरी बार वह हैरान तब हुआ जब उब उसने यीशु को बपतिस्मा देने के बाद देखा की स्वर्ग के दरवाजे खुल गए और परमेश्वर पिता की आवाज सुनाई दी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ।”
ऐसा कौनसा कारण है की यीशु को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेना पडा? यहाँ मत्ती ३:१५ हमें उत्तर देता है। आइए वचन १५ और १६ फिर से पढ़ते है: “यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” तब उसने उसकी बात मान ली। और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्‍वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा।” 
मत्ती ३:१५ हमें बताता है कि क्यों यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया था। भले ही यीशु स्वर्ग के राज्य का महायाजक और परमेश्वर का एकलौता पुत्र था, फिर भी वह हमें बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आया। दूसरे शब्दों में, यीशु इस पृथ्वी पर बलिदान का अर्पण बनाकर आया जिसने हमारे पापों को अपने ऊपर उठा कर और हमारी जगह बलिदान होकर हमारे पापों की कीमत चुकाई है। यही कारण है कि यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया।
लेकिन क्यों यीशु ने किसी ओर से नहीं लेकिन यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से ही बपतिस्मा लिया? क्योंकि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला मनुष्यजाति का प्रतिनिधि था, क्योंकि वह स्त्री के पेट से जन्मे हुओ में सबसे बड़ा था। मत्ती ११:११ कहता है, “जो स्त्रियों से जन्मे है, उनमें से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ।” यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला परमेश्वर का सेवक था जिसके बारे में पुराने नियम की मलाकी की किताब में भविष्यवाणी की गई थी: “देखो, यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूँगा” (मलाकी ४:५)। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला यही एलिय्याह था जिसे भेजने के बारे में परमेश्वर ने वायदा किया था।
परमेश्वर ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को एलिय्याह क्यों कहा? एलिय्याह एक भविष्यवक्ता था जिसने इस्राएलियों के दिलों को परमेश्वर की ओर मोड़ा था। उस समय में, इस्राएल के लोग बाल को अपने परमेश्वर के रूप में आराधना करते थे, लेकिन एलिय्याह ने उन्हें स्पष्ट रूप से दिखाया कि असली परमेश्वर कौन है, बाल या यहोवा परमेश्वर। वह भविष्यवक्ता था जिन्होंने अपने विश्वास के साथ और बलिदान के माध्यम से, इस्राएल के लोगों के सामने प्रगट किया की ज़िंदा परमेश्वर कौन था, और फिर मूर्तिपूजा करनेवालों को परमेश्वर की ओर वापस लेकर गया। इसी लिए पुराने नियम के अंत में, परमेश्वर ने वादा किया, "मैं तुम्हारे लिए एलिय्याह को भेजूंगा।" क्योंकि सारी मनुष्यजाति जिसे परमेश्वर के स्वरुप में बनाया गया था, वे मूर्तिपूजा और दुष्टात्मा की आराधना के गलत रास्ते पर थे, इसलिए परमेश्वर ने कहा की वह उनके पास अपने सेवक को भेजेगा जो उन्हें परमेश्वर की ओर वापस लेकर आएगा। इस प्रकार जो आएगा वह यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला होगा।
मत्ती ११:१३-१४ में लिखा है, “यूहन्ना तक सारे भविष्यद्वक्‍ता और व्यवस्था भविष्यद्वाणी करते रहे। और चाहो तो मानो कि एलिय्याह जो आनेवाला था, वह यही है।” यह आनेवाला एलिय्याह ओर कोई नहीं लेकिन यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला था। वचन ११-१२ में लिखा है की, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि जो स्त्रियों से जन्मे है, उनमें से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ; पर जो स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है वह उससे बड़ा है। 12यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के दिनों से अब तक स्वर्ग के राज्य में बलपूर्वक प्रवेश होता रहा है, और बलवान उसे छीन लेते है।” 
इसलिए जब यहाँ कहा जाता है कि “जो स्त्रियों से जन्मे है, उनमें से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ,” इसका मतलब है की परमेश्वर ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को मनुष्यजाति के प्रतिनिधि के रूप में खड़ा किया था। परमेश्वर ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को यीशु के जन्म से छह महीने पहले इस पृथ्वी पर जन्म दिया था। और परमेश्वर ने उसे पुराने नियम के अंतिम भविष्यवक्ता और याजक के रूप में तैयार किया। इसलिए, पृथ्वी के महायाजक के रूप में, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु मसीह को बपतिस्मा दिया और मनुष्यजाति के सारे पाप उसके ऊपर डाले। दूसरे शब्दों में, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को बपतिस्मा इसलिए दिया ताकि वह जगत के सारे पापों को उसके ऊपर डाल सके। यीशु मसीह ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले सेव बपतिस्मा इसलिए लिया ताकि वह अपने बपतिस्मा के द्वारा मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठा सके।
इसी लिए यीशु ने मत्ती ३:१५ कहा है, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” क्योंकि सब धार्मिकता केवल तभी पूरी हो सकती थी जब यीशु जगत के सारे पापों को स्वीकार करने के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा ले, यीशु ने कहा कि यह उचित था।
 
 
हमारे प्रभु ने इस प्रणाली से पापियों को बचाया
यीशु का बपतिस्मायह बपतिस्मा जो यीशु ने यूहन्ना से लिया था वह पुराने नियम के हाथ रखने के समान था। दुसरे शब्दों में, पुराने नियम में व्यक्ति के पापों बलिदान के अर्पण के ऊपर डालने के लिए होमबलि की वेदी के सामने बलिदान के ऊपर हाथ रखने पड़ते थे। इस पृथ्वी पर आकर और बपतिस्मा लेकर, यीशु मसीह ने हाथ राक्खाने के वायदे को परिपूर्ण किया – वायदा किया गया था की जब भी दैनिक अर्पण चढ़ाया जाए जहाँ पापी बलिदान के सिर पर हाथ रखकर अपने पापों को उस पर डाले, और जब भी सातवे महीने के १० वे दिन, पश्च्याताप के दिन वार्षिक बलिदान चढ़ाया जाए, जिसके द्वारा महायाजक बलिदान के सिर पर हाथ रखकर इस्राएलियों के पापों को उसके सिर पर डाले। 
पुराने नियम के हाथों को रखने की तरह, क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा लेकर जगत के पापों को पुराने नियम के हाथों को रखने की तरह स्वीकार किया था, उसने इन सारे पापों को साफ़ किया, और क्योंकि उसने मनुष्यजाति के सारे पापों को खुद पर उठाया था, इसलिए उसने हमारी जगह इन पापों के दोष को सहा और बलिदान हुआ। इसी तरह यीशु मसीह हमारे उद्धार का सच्चा परमेश्वर बन सका।
इस तरह, हमें वास्तव में यह स्वीकार करना चाहिए कि हमारे पापों के कारण, हम अपनी मृत्यु का दण्ड का सामना करने वाले थे। हमें यह जानना चाहिए और इसे महसूस करना चाहिए। और हमें यह एहसास होना चाहिए कि यीशु मसीह हमारे उद्धारकर्ता ने इस आकर और हमारी खातिर बलिदान बनके हमें बचाया है - अर्थात्, अपने बपतिस्मा, क्रूस, और पुनरुत्थान के साथ उद्धार के अपने कार्यों के द्वारा, यीशु मसीह ने हमारे सारे पापों को शुध्ध किया है और हमें सम्पूर्ण रीति से बचाया। हमें यह भी विशवास चाहिए कि यीशु ने हमें उद्धार का उपहार दिया है, कि उसने हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया है और अपने उपहार के रूप में हमें यह सम्पूर्ण उद्धार दिया है। यीशु ने सब धार्मिकता को पूरा किया, और यदि कोई केवल इसे स्वीकार करता है तो वह निश्चित रूप से बच जाएगा। 
हमें इस बात का अहसास कराने के लिए, मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना गया था। यही कारण है कि जब हम तम्बू के द्वार को खोलते है और उसमे प्रवेश करते है तो सबसे फले होमबलि की वेदी को देखते है। होमबलि की वेदी पर जो अर्पण चढ़ाया जाता था, वह उद्धार की पध्धति का प्रतिबिम्ब था जिसके जरिए यीशु मसीह ने हमें बचाया है। होमबलि की वेदी पर जो अर्पण चढ़ाया जाता था, उसे अपने ऊपर हाथ रकने के द्वारा पापियों के अधर्म का स्वीकार करना पडा था और पापी की जगह लहू बहाकर मरना पडा था। फिर बलिदान के लहू को होमबलि की वेदी के सींगो पर छिड़का जाता था और बाकी बचे हुए लहू को भूमि पर छिड़का जाता था। फिर, वे पशु के मांस और चरबी को वेदी पर होमबलि के रूप में चढाते थे। ये वह विधि थी जिसके द्वारा परमेश्वर को बलिदान का अर्पण चढ़ाया जाता था। बलिदान के अर्पण की ये सभी विशेषताएँ ठीक उसी प्रकार है जिस विधि से यीशु मसीह हमारे उद्धारकर्ता बने है। दुसरे शबो में, बलिदान अर्पण के द्वारा परमेश्वर ने हमें दिखाया है की यीशु मसीह इस तरीके से पृथ्वी पर आएगा और हमें बचाएगा।
निसन्देह, पापियों के हाथों को होमबलि की वेदी पर चढ़ाए गए बलिदान पर रखने पड़ते थे। इसी लिए मिलापवाला तम्बू हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार के बारे में बताता है। इस धरती पर आते ही, यीशु मसीह ने मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर लेने के लिए बपतिस्मा लिया। बपतिस्मा उद्धार का प्रतिबिम्ब है जो मसीह ने परमेश्वर पिता के सामने जगत के सारे पापियों के लिए बलिदान का अर्पण बनने के लिए लिया था। 
इस मिलापवाले तम्बू के माध्यम से, हमारे पास अब स्पष्ट विश्वास है। जैसे बलिदान का अर्पण प्रायश्चित के दिन महायाजक के हाथ रखने के द्वारा इस्राएल के लोगों के पापों का स्वीकार करता था, और जैसे उनके सारे पाप अब खुद पर आ गए इसलिए उनकी जगह उसे बलिदान होना पड़ता था (लैव्यव्यवस्था १६), वैसे ही यीशु मसीह हमारे पापों को अपने ऊपर उठाने और इन पापों के लिए हमारे बलिदान का अर्पण बनने इस पृथ्वी पर आया, और इस तरह उसने हमें हमारे सारे पाप और दोष से बचाया। अब हम प्रेम के इस उद्धार पर पूर्ण विश्वास कर सकते है। इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा हम इस उद्धार के प्रेम के बदले जो परमेश्वर ने हमें दिया है हम धन्यवाद कर सकते है और हमारा कर्ज चुका सकते है।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि व्यक्ति मिलापवाले तम्बू का कितना ज्ञान रखता है, यदि वह विश्वास नहीं करता, तो यह सारा ज्ञान व्यर्थ है। इस तरह, हमें एहसास होना चाहिए, साथ ही साथ विश्वास करना चाहिए की वास्तव में यीशु का बपतिस्मा कितना महत्वपूर्ण है। मिलापवाले तम्बू के तीन द्वार थे, जिनमें से सारे नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुमे गए थे। लोग अपनी अज्ञानता के कारण अलग-अलग रूप से मिलापवाले तम्बू के प्रत्येक द्वार का वर्णन कर सकते है। 
कपड़े के क्रम में, सबसे पहले नीले कपड़े को बुना गया था, उसके बाद बैंजनी, लाल और बटी हुई सनी के कपड़े को बुना गया था। द्वार को केवल इस रीति से बनाकर उसे वास्तविक तौर पर मिलापवाले तम्बू के द्वार के रूप में वर्णन किया जा सकता है, क्योंकि यह ठीक उसी रीति से था जैसा परमेश्वर ने पुराने नियम में इस्राएलियों को बनाने का आदेश दिया था।
इस तरह से द्वार को बनाने के पीछे के कारण था। भले ही यीशु मसीह मनुष्यजाति के उद्धारकर्ता के रूप में मानव देह में और कुँवारी के पेट से इस पृथ्वी पर पैदा हुआ था, लेकिन यदि उसने हमारे पापों को उठाने के लिए बपतिस्मा नहीं लिया होता, तो वह हमारा सच्चा उद्धारकर्ता नहीं बन पाया होता। यदि उसने बपतिस्मा नहीं लिया होता, तो वह ना तो क्रूस पर चढ़ पाया होता और ना ही क्रूस पर मरा होता। उसी रूप से, नीले कपड़े को पहले बुना जाना था, और इसका सापेक्ष महत्व भी महत्वपूर्ण था।
 
 
हमें किस पर विश्वास करना चाहिए?
 
इसलिए, हमें यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहिए जिसने हमें हमारे पापों से बचाया है। हम वास्तव में नया जन्म केवल तभी पा सकते है जब हम उद्धार पर विश्वास करते है जो की हमें इस परमेश्वर के पुत्र, हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह ने दिया है। जब हम परमेश्वर के पुत्र पर अपने उद्धार के परमेश्वर के रूप में विश्वास करते है, और जब हम सत्य पर विश्वास करते है की वह इस पृथ्वी पर आया, हमारे लिए बपतिस्मा लिया और एक ही बार में हमारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया, और क्रूस पर हमारा दोष सका, तब हम हमारा सच्चा उद्धार प्राप्त कर सकते है। 
क्योंकि यीशु मसीह अपने बपतिस्मा के अलावा किसी अन्य तरीके से हमारे पापों को खुद पर नहीं ले सकते थे, इस चौकस रीति से हमारे पापों को सहने के लिए वह क्रूस पर चढ़ा, अपना लहू बहाया और मर गया। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह परमेश्वर का पुत्र कैसे है और वह हमारे उद्धारकर्ता के रूप में इस धरती पर कैसे आया, यदि उसने हमारे पापों को अपने बपतिस्मे के माध्यम से खुद पर नहीं लिया होता, तो हमारा उद्धार इस दुनिया में कभी नहीं हो सकता था।
इसलिए, आपके लिए यह आवश्यक है कि आप बाइबल की गवाही के बारे में विस्तार से पुष्टि कर लें कि आपके पापों को पहले ही मिटा दिया गया है। 
एक पल के लिए मान लें कि आप पर काफी कर्ज बकाया है। फिर कोई आपसे कहता है, “चिंता मत करो; मैं आपके लिए इसे चुकाऊँगा। चिंता करने की कोई जरूरत नहीं; मैं इस समस्या को हल कर दूंगा।” जब भी आप उनसे मिलते है, तो यह आदमी आपसे कहता रहता है, “क्या मैंने आपको नहीं कहा था की चिंता मत करो? मैंने तुमसे कहा था कि मैं इसे संभाल लूँगा!" आइए आगे मान लेते है की यह व्यक्ति आपसे यह कहते हुए गुस्से हो जाता है की क्यों तुमने मुझ पर विश्वास नहीं किया। जब वास्तव में इस व्यक्ति ने इसका भुगतान नहीं किया है लेकिन फिर भी यदि यह व्यक्ति आपको हर रोज कहे, “मैंने इसका पूरा भुगतान कर दिया है; केवल मुझ पर भरोषा रखो,” तो क्या आप केवल विश्वास करने से इस कर्जे से स्वतंत्र होंगे? बिलकुल नहीं! 
कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितने आत्मविश्वास से आपको बताता है, "यदि आप मुझ पर भरोसा करते है, तो आपका सारा कर्ज हल हो जाता है," यदि वह वास्तव में इसका भुगतान नहीं करता है, तो आपका कर्ज वैसे ही बना रहता है, और यह व्यक्ति केवल आपको धोखा दे रहा है। इसलिए आप उससे बार-बार पूछते है, "तो क्या आपने मेरा कर्ज चुका दिया?" फिर वह आपको बार-बार कहता है, “आप इतना संदेह क्यों करते है? केवल बिना शर्त मुझ पर भरोसा करो! मैंने तुमसे कहा था कि मैंने तुम्हारा सारा कर्ज चुका दिया है। आपको बस इतना करना है कि मुझ पर विश्वास करो, और फिर भी आप इतना संदेह करते है! ऐसा मत करो!” उसी तरह, आइए फिर से मान लेते है, आपने पूरे दिल से उस पर भरोसा किया। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उस पर कितना विश्वास करते है, यदि वास्तव में वह आपके कर्ज का भुगतान नहीं करता है, तो उसके सारे वचन झूठे है।
 
 
यह है आज के मसीहियों विश्वास
 
आज के मसीही कहते है, “यीशु ने क्रूस पर अपना बहुमूल्य लहू बहाकर आपको बचाया है। उसने वहाँ पाप के सारे दोष को सहा। इस तरह उसने आपको बचाया है।” कई पादरी अपनी मंडली को इस तरह का उपदेश देते है। जब मण्डली के बीच में कोई उठता है और उनसे कहता है, "लेकिन मैं अभी भी पापी हूँ," तब वे कहते है, "ऐसा इसलिए है क्योंकि आप थोड़ा विश्वास करते है। केवल विश्वास करें! आपके अविश्वास के अलावा कोई और आपका पाप नहीं है!” “मैं भी सच में विश्वास करना चाहता हूँ, श्रीमान। लेकिन मुझे नहीं पता कि मैं क्यों विश्वास नहीं कर पा रहा हूँ।” "मैं नहीं जानता कि विश्वास करने के बावजूद भी मैं अभी भी पापी क्यों हूँ।" मैं सच में विश्वास करता हूँ।” "आपके पास पर्याप्त विश्वास नहीं है। आपको और अधिक विश्वास करने की आवश्यकता है। पहाड़ पर चढ़ो और उपवास करने की कोशिश करो। अपने भोजन को छोड़ते समय विश्वास करो।” "क्या मैं भोजन को छोड़े बिना विश्वास नहीं कर सकता?” “नहीं, आपको उपवास करते समय विश्वास करने की कोशिश करनी चाहिए।"
आज के कई पादरी आपको विश्वास करने के लिए कहते है, फिर भी वे आपके पापों की समस्या को हल नहीं करते है, और वे केवल आपको विश्वास न करने के लिए फटकारते है। अपनी ओर से, आप विश्वास करने की कोशिश करते है और फिर भी विश्वास करना बहुत कठिन होता है, या आप वास्तव में आँख बंद करके विश्वास करते है लेकिन आपके पापों की समस्या अभी भी बनी हुई है। यहाँ गलत क्या है? कौन इसका वर्णन कर सकता है? लोगों के पास सच्चा और दृढ़ विश्वास नहीं हो सकता क्योंकि वे नहीं जानते कि यीशु मसीह ने बपतिस्मा लेकर उनके सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे भ्रम में विश्वास करते है जिससे वे अपने पापों की समस्या को नहीं सुलझा सकते भले ही फिर वे कितना भी विश्वास क्यों ना करते हो। 
क्या विश्वास बिना किसी निश्चित प्रमाण के बिनशर्त विश्वास करने से आता है? बिलकूल नही! संपूर्ण विश्वास एक ही बार में आता है जब आप जानते है कि कैसे पाप की समस्या वास्तव में हल हुई थी और उस पर विश्वास करते है। "हालांकि मुझे आप पर शक था, यह बहुत स्पष्ट है कि आपने पहले ही मेरे पापों की समस्या को हल कर दिया है। भले ही मैं विश्वास न करने का कितना भी प्रयत्न क्यों न करू, फिर भी मैं आपके उद्धार पर विश्वास करता हूँ, क्यों की यह उद्धार निश्चित है। मेरी समस्या हल करने के लिए धन्यवाद।” दुसरे शब्दों में, हालाँकि हम संदेह करते थे लेकिन अब हमारे उद्धार का प्रमाण इतना निश्चित है कि अब हम और संदेह नहीं कर सकते। हमारे उद्धार और उसके सबूतों के निशान के रूप में, यीशु ने हमें पानी और आत्मा का उद्धार कही जाने वाली रसीद दिखाई है। "मैंने इस तरह से तुम्हारे लिए तुम्हारा कर्ज चुकाया है।" जब हम इस रसीद को देखते है जो बताती है की हमारा कर्ज चुका दिया गया है केवल तभी सच्चा विश्वास हमारे पास आ सकता है।
हम परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करने के बावजूद भी विश्वास नहीं कर सकते है, और कहते है की यीशु मसीह, स्वयं परमेश्वर हमारा उद्धारकर्ता है, और इस उद्धारकर्ता पर विश्वास करने का दवा करते है, जब की हमारे पास उसका कोई प्रमाण नहीं है की उसने हमें कैसे बचाया और हमारे पाप कैसे दूर हुए। दूसरे शब्दों में, जब तक हम उस रसीद को ना देखे जो बताती है की हमारे पापों की कीमत चुकाई गई है तब तक हम विश्वास नहीं कर सकते। जो लोग इस रसीद को देखे बिना विश्वास करते है उन्हें शुरू में लगता है की वे मजबूत विश्वास करते है, लेकिन वास्तव में, उनका विश्वास अंधा है। यह कट्टर विश्वास से अधिक ओर कुछ नहीं है।
 
 
क्या आप कट्टर विश्वास को अच्छा विश्वास मानते है?
 
यदि एक पादरी कट्टर विश्वास के साथ दूसरों से भी वैसा ही कट्टर विश्वास की माँग करे तो आपको कैसा लगेगा? “विश्वास करे! आग को प्राप्त करे! आग, आग, आग! पवित्र आत्मा जो आग के समान है, हमें आग से भारी! मैं विश्वास करता हूँ की परमेश्वर आप सब को आशीष देगा! मैं विश्वास करता हूँ की वह आपको चंगा करेगा! जब इस तरह के पादरी इस तरह का प्रदर्शन करते है, तो दर्शकों के कान बजने लगते है और उनके दिल उछालने लगते है। उच्चतम गुणवत्ता के एक साउंड सिस्टम के माध्यम से, जब वह चिल्लाना शुरू करता है, "आग, आग, आग,” तब दर्शकों के दिल उसकी आवाज की मधुर ध्वनि पर उछलना शुरू करते है। फिर वे भावनात्मक रूप से अभिभूत हो जाते है, जैसे कि एक मजबूत विश्वास वास्तव में उनके पास आया था, और विलाप करते है, "आओ, प्रभु यीशु! हे, आओ, पवित्र आत्मा!" 
इस समय, पादरी यह कहकर दर्शकों की भावना को और अधिक भड़काता है, “आइए हम प्रार्थना करे। मैं विश्वास करता हूँ की अब पवित्र आत्मा उतरेगा और हम सब को भर देगा।” इसके पीछे प्रेरणादायक गीत बजेगा, अजुर लोग अपने हाथो को ऊँचा उठाएंगे, अनियंत्रित रूप से उत्साह से भर जाते है, और उनकी भावना चरम सीमा तक पहुच जाति है। संकेत के साथ, जब पादरी कहता है, “आइए हम अपनी भेंट दे। विशेष रूप से, इस शाम, परमेश्वर आपसे विशेष भेंट प्राप्त करना चाहता है। आइए हम सब परमेश्वर को यह विशेष भेंट दे।” 
अपनी भावनाओं से अभिभूत हुए लोग अपनी जेबें खाली करते है। इस झूठे पादरी ने पहले से ही मंच को तैयार कर लिया है जो एकत्र किए गए सारे पैसो को रखने के लिए काफी बड़ा है, और इसके सामने दर्जनों तितली पकड़ने वाली जाल (चंदे के कटोरे) राखी है। जब बैंड गाना बजाना शुरू करता है और लोगों के दिल उनकी उत्तेजना से अभिभूत हो जाते है, तो वह दर्शकों के बीच तितली पकड़ने वालों (चंदे के कटोरे का वहन करनेवाले स्वयंसेवक) को भेजता है।
झूठ बोलना की ज्यादा भेंट तो ज्यादा आशीष, और लोगों की भावनाओं को उकसाने के द्वारा, ऐसे झूठे पादरी लोगों को अपने आँसू बहाने और अपनी जेब खोलने के लिए प्रेरित करते है। यह उन पर हावी होने के बजाए उनकी भावनाओं पर काबू करके उनसे उनके पैसे दिलवाना है। यह न तो परमेश्वर के वचन पर आधारित है, और न ही किसी प्रकार के उपदेश पर आधारित है, लेकिन एक कट्टर और अंधा कार्य है जो धोखाधड़ी तक पहुँचाता है। इस तरह, पादरी जिनका विश्वास कट्टर है अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए लोगों की भावनाओं को उकसाते है।
यदि हम जानते है कि हमारे प्रभु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया, और यदि हम इस यीशु मसीह पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते है, तो हम डगमगाते नहीं लेकिन शान्ति में बने रहते है। केवल एक चीज जो हमें प्रेरित करती है, वह यह है कि यीशु ने अपने बपतिस्मा से हमारे पाप अपने कंधो पर उठाए और और क्रूस पर चढ़कर वह मर गया। जब हम इस बारे में सोचते है, कि यीशु, स्वयं परमेश्वर ने, अपने बपतिस्मा से हमारे पापों को अपने ऊपर उठाया और इन पापों की कीमत चुकाने के लिए मर गया, तब हम बहुत आभारी बन जाते है, और हमारे हृदय बड़े आनन्द से भर जाते है। हालाँकि, हमारे दिलों में यह शांत प्रेरणा इस दुनिया की किसी भी चीज़ से कहीं अधिक है; न तो प्रेम की कोई अद्भुत स्वीकृति, और न तो इस संसार के सबसे कीमती हीरो का कोई उपहार इससे ज्यादा हमें प्रेरित कर सकता है।
इसके विपरीत, कट्टरपंथियों की भावनात्मक रूप से की प्रेरणा लंबे समय तक नहीं रहती है। हालाँकि वे इस प्रेरणा में थोड़ी देर के लिए रह सकते है, तब वे शर्म से केवल अपना चहेरा छिपा सकते है। "जब यीशु ने हमारे दोषों को सहा और हमारे लिए क्रूस पर मरा, तो मैं अब भी हर रोज पाप क्यों करता हूँ?" इसलिए वे अपनी इज्जत खो देते है और जैसे समय बीतता है वैसे उन्हें प्रेरित नहीं किया जा सकता; शर्म के मारे वे परमेश्वर के पास भी नहीं जा सकते। 
इसी लिए परमेश्वर ने हमें होमबलि की वेदी दिखाई है। बलिदान की प्रथा के मुताबिक इस होमबलि की वेदी पर जो बलिदान चढ़ाया जाता था, वह कोई ओर नहीं, लेकिन यीशु मसीह हमारा उद्धारकर्ता था। उसी रूप से, होमबलि की वेदी यह प्रकट करती है कि यीशु इस धरती पर आया था और वास्तव में हम सब को एक ही बार में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से हमें बचाया है। परमेश्वर ने हमें होमबलि की वेदी दिखाई है, और वह चाहता है कि हम उस पर विश्वास करके बच जाएं। 
 
 
वह क्या है जो हमें इस युग में करना चाहिए?
 
ऐसी कई चीजें है जो हम नए जन्म पाए हुए लोगों को इस युग में करनी चाहिए। सबसे पहले, हमें दुनिया भर में पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए। हमें उन लोगों तक इस सच्चाई को फैलानी चाहिए जो नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के अनजान है, और फिर हमें उन्हें नरक की आग के दोष से बचने के लिए उनकी मदद करनी चाहिए। क्यों? क्योंकि बहुत से ऐसे लोग है जो मिलापवाले तम्बू में प्रगट हुए पानी और आत्मा के सुसमाचार कोप समझे बिना और विश्वास किए बिना यीशु का अनुसरण करते है। 
इस सच्चाई को उन तक फैलाने के लिए, हमें और भी बहुत से काम करने है। हमें अपनी पुस्तकों को प्रकाशित करना होगा जो पूरी दुनिया में भेजी जाती है; इन पुस्तकों को अनुवाद करने, प्रूफरीडिंग और संपादन करने से लेकर उन्हें छापने और दुनिया भर के देशों में भेजने के लिए आवश्यक धन प्राप्त करने के लिए, वास्तव में ऐसे कई काम है जिन्हें करने की आवश्यकता है।
इसलिए जब हम अपने साथी कर्मचारी और सेवकों को देखते है, तो हम देखते है कि वे सभी कितने व्यस्त है। क्योंकि परमेश्वर की कलीसिया के सारे संत और कर्मचारी इस तरह से व्यस्त है, इसलिए वे शारीरिक रूप से कुछ कठिन समय से गुजर रहे है। यह कहा जाता है कि मेरेथोन दौड़ को दौड़ाने वाले अपने ४२.१९५ किलोमीटर की दौड़ में एक निश्चित बिंदु पर पहुंचाते है जब वे इतने थक जाते है कि उन्हें यकीन भी नहीं होता कि वे भाग रहे है या कुछ और कर रहे है। संक्षेप में, अत्यधिक थकावट उन्हें मानसिक रूप से शून्य बना देगी। शायद अब हम भी सुसमाचार की दौड़ में इस मुकाम पर पहुँच गए है। सुसमाचार के लिए हमारा जीवन जीना बिना रुके हमारे लक्ष्य की ओर एक लंबी दूरी तय करने जैसा है, जैसा कि मेरेथोन दौड़ को दौड़ाने वाले करते है। क्योंकि हमारे प्रभु के आने तक हमें सुसमाचार की हमारी दौड़ चलनी चाहिए, इसलिए हम कठिनाई का सामना करते है।
क्योंकि हमारा प्रभु हमारे अन्दर है, क्योंकि हमारे पास पानी और आत्मा का सुसमाचार है, क्योंकि हमारा विश्वास यह मानता है कि प्रभु ने हमें नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बचाया है, और क्योंकि हम सबसे सुनिश्चित सत्य पर विश्वास करते है, इसलिए हम सब नयी सामर्थ्य पा सकते है। यह इसलिए है क्योंकि यीशु ने हमें उद्धार का उपहार दिया है इसलिए आपको और मुझे यह उपहार मिला है। इसलिए हमारे शरीर का कष्ट हमें परेशान नहीं कर सकता। इसके विपरीत, यह जितना मुश्किल होता है, धर्मी उतनी ही ज्यादा सामर्थ्य पाता है। मैं सच में प्रभु का धन्यवाद करता हूँ।
आत्मिक रूप से, हमारे दिलों में, हमारे विचारों में और हमारे आसपास, हम नई सामर्थ महसूस कर सकते है जो हमारे प्रभु ने हमें दी है, और वह हमारे साथ है। क्योंकि हम महसूस कर सकते है कि वह हमारी मदद कर रहा है और हमें थामा है, और वह हमारे साथ है, इसलिए हम उसे और भी धन्यवाद देते है। इसलिए, प्रेरित पॉल ने भी कहा, “जो मुझे सामर्थ्य देता है उससे मैं सबकुछ कर सकता हूँ” (फिलिप्पियों ४:१३)। इसलिए हम हर रोज अंगीकार करते है कि यदि प्रभु हमें सामर्थ्य न दे तो हम कुछ भी नहीं कर सकते। न केवल यीशु मसीह ने हमारे लिए बपतिस्मा लिया, लेकिन वह क्रूस पर चढ़कर हमारे लिए बलिदान भी हुआ था, खुद की मौत का सामना किया, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इस प्रकार हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बना। जब भी हम होमबलि की वेदी को देखते है, तो हम खुद को इस सच्चाई की याद दिलाते है।
होमबलि की वेदी बबूल की लकड़ी से बनी थी, और इसे अन्दर और बहार की और पीतल की मोती परत से मढ़ा गया था। इसकी ऊँचाई लगभग १.३५ मीटर थी, और इसकी अंगीठी, उसके बिच में राखी गई थी, जो करीब ६८ सेंटीमीटर ऊँची थी। अर्पण का मांस इस अंगीठी पर रखा जाता था और जलाया जाता था। 
जब भी हम होमबलि की वेदी को देखते है, तो हमें अपने आप को वैसा ही देखना चाहिए जैसा हम है। हमें यह भी देखने में सक्षम होना चाहिए कि यीशु मसीह ने अपने शरीर में बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया, और यह कि उसने क्रूस पर अपने लहू को बहाकर हमारे सारे पापों का दोष ले लिया। आप और मैं वास्तव में हमारे पाप और दोष के कारण परमेश्वर के सामने मरने से बच नहीं सकते थे। हमारे पाप और दोष के कारण, आप और मैं मरने से और हमेशा के लिए शापित होने से बच नहीं सकते थे। लेकिन यीशु मसीह के कारण, जो पुराने नियम के बलिदान के अर्पण की तरह हाँ सब के लिए प्रायश्चित के अनन्त अर्पण के रूप में इस पृथ्वी पर आया, बपतिस्मा लिया और मर गया, इस लिए हम बच पाए है। 
जब बलिदान का पशु जीवित होता है तब देखने में बहुत प्यारा लग सकता है, लेकिन जब वह हाथ रखे जाने की वजह से पापों का स्वीकार करता है और उसके बाद जब उसके गले को काटकर लहू बहाया जता है तब कितना भयानक होता होगा? हम, जो इस भयानक तरीके से मरने के लायक थे, हमारे दोष से बच गए यह कितनी बड़ी आशीष है। यह आशीष संभव हो पाई क्योंकि प्रभु ने हमें उद्धार का उपहार दिया है। जिस तरह नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े औत बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुआ है, उसी तरह यीशु मसीह मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आए, आपको और मुझे अपने बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए हुए लहू से बचाया, और इस तरह हमें उद्धार का उपहार दिया। इस प्रकार परमेश्वर ने आपको और मुझे उद्धार का उपहार दिया है - क्या आप इसे अपने दिल में विश्वास करते है? क्या आप उद्धार के इस उपहार में विश्वास करते है, जो यीशु का प्यार है? हम सब के पास यह विश्वास होना चाहिए।
जब हम होमबलि की वेदी को देखते है, तब हमें यह महसूस करना चाहिए कि यीशु मसीह ने हमें इस तरह बचाया है। हमें उद्धार का उपहार देने के लिए वह इस तरह बलिदान हुआ था। जैसे बलिदान के अर्पण पर हाथ रेक जाते थे, और जैसे इस बलिदान के अर्पण का लहू बहाया जाता था, उसी प्रकार यीशु ने यातनाए सहन करके हमें हमारा उद्धार दिया है। इस तरह उसने हमें हमारे पापों से बचाया है। हमें इसका एहसास होना चाहिए, परमेश्वर के सामने हमारे दिलों में विश्वास करना चाहिए, और हमारे पूरे हृदय से उसे धन्यवाद देना चाहिए।
परमेश्वर चाहता है कि हम उद्धार का उपहार और प्रेम जो उसने हमें दिया है वो विश्वास से प्राप्त करे। वह चाहता है कि हमहमारे हृदय में बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए लहू के उद्धार पर विश्वास करे जो उसने पानी और आत्मा के द्वारा आकर परिपूर्ण किया था। यह मेरी आशा है कि आप सब अपने हृदय में प्रभु के प्रेम पर विश्वास करेंगे और सच में उसके उद्धार के उपहार का स्वीकार करेंगे। क्या आप वास्तव में इसे अपने दिल में स्वीकार करते है?
 
 
आपके लिए इस तरह कौन बलिदान हुआ था?
 
मैंने एक बार एक गवाही का परचा, जिसमें लिखा था, “तुम्हारे लिए कौन मरेगा? आज आप किससे मिले जिसने आपको सांत्वना मिली? यीशु मसीह आपके लिए बलिदान हो गया। क्या इससे आपके दिल को सांत्वना नहीं मिली?” कौन वास्तव में बपतिस्मा लेकर आपके पापों को सहन करेगा और कौन आपके पापों को मिटाने के लिए आपकी जगह क्रूस पर मरेगा? कौन अपना लहू बहाकर आपको अपना प्रेम देने के लिए मरेगा? आपके लिए इस बलिदान का सामना करने के लिए कौन तैयार होगा? क्या यह आपके रिश्तेदार है? आपके बच्चे? आपके मातापिता? 
इनमें से कोई भी नहीं! यह स्वयं परमेश्वर है जिसने आपको बनाया है। आपको अपने पापों से बचाने के लिए, यह परमेश्वर मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आया, आपके पापों को अपने ऊपर लेने के लिए बपतिस्मा लिया, आपके पापों का दोष उठाने के लिए वह क्रूस पर चढ़ा और अपना लहू बहाया, मृत्यु से जीवित हुआ, वह आज भी जीवित है, और उसने आपको अपना उद्धार और प्रेम उपहार में दिए है। क्या आप सच में अपने हृदय में इस प्रेम के उद्धार को स्वीकार करना चाहता है? क्या आप सच में अपने हृदय में विश्वास करते है?
जो कोई विश्वास करता है वह प्रभु को प्राप्त करेगा, और जो भी उसे प्राप्त करेगा वह बच जाएगा। उसे प्राप्त करने का मतलब है कि उद्धार और प्रेम को स्वीकार करना जो मसीह ने आपको दिए है। हमारे हृदय में प्रेम, पापों की माफ़ी, पापों को सहना, और पापों के दोष पर विश्वास करने से हम बचे है। यह वह विश्वास है जो उद्धार का उपहार प्राप्त करता है।
मिलापवाले तम्बू की हर चीज यीशु मसीह को दर्शाती है। परमेश्वर हमसे कोई बलिदान नहीं मांगता। वह केवल हमसे यही चाहता है की हम उद्धार के उपहार पर विश्वास करे जो उसने हमारे हृदय में दिया है। “आपको उद्धार का उपहार देने के लिए, मैं इस धरती पर आया। पुराने नियम के बलिदान के अर्पण की तरह, मैंने आपके सारे पापों का स्वीकार किया जो हाथ रखने के द्वारा मुझ पर डाले गए थे, और बलिद्सान के इस अर्पण की तरह, मैंने आपके लिए आपके पाप के भयानक दोष को सहा। इसी तरह मैंने आपको बचाया है।” यह वह बात है जो परमेश्वर हमें मिलपवाले तम्बू के द्वारा हमें बता रहा है।
यदि हम विश्वास नहीं करते तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि परमेश्वर ने हमें कैसे बचाया है, उसने हमें कितना प्रेम किया, और इस तरह हमें उद्धार का सम्पूर्ण उपहार दिया है, सब व्यर्थ है। आपके सूप को नमकीन बनाने के लिए सबसे पहले आपकी अलमारी में पड़े नमक को सूप में डालना चाहिए; इसी तरह, यदि आप और मैं अपने हृदय में विश्वास नहीं करते, तो उसका सम्पूर्ण उद्धार व्यर्थ है। यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के लिए अपने हृदय में धन्यवाद नहीं देते है और इसे अपने हृदय में स्वीकार करते है, तो यीशु का बलिदान बेकार हो जाता है। 
आपका उद्धार केवल तब हो सकता है जब आप जानते हो की बलिदान और प्रेम क्या है जो यीशु, उद्धारकर्ता परमेश्वर ने आपको दिया है, उसे आपके हृदय में स्वीकार करे और इसके लिए उसे धन्यवाद दे। यदि आप मसीह के सम्पूर्ण उद्धार के उपहार को अपने हृदय में स्वीकार नहीं करते और केवल अपने विचार से उसे समझते है, तो यह बिलकुल व्यर्थ है। 
 
 
आपको केवल सत्य को ग्रहण करना है
 
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका सूप चूल्हे पर कितना उबल रहा है; यदि आप सूप में नमक डालने के बारे में केवल सोच ही रहे है और वास्तव में ऐसा नहीं करते है, तो आपका सोप कभी भी नमकीन नहीं हो सकता। आप केवल तभी बच सकते है जब आप अपने हृदय में स्वीकार करते है और विश्वास है कि हमारे प्रभु ने बपतिस्मा लेकर और आपके लिए बलिदान होकर आपको अपने पापों से बचाया है, ठीक वैसे जैसी बलिदान के अर्पण को होमबलि की वेदी पर चढ़ाया जाता था। जब परमेश्वर आपको उद्धार का उपहार दे रहा है, तो धन्यवाद के साथ इसका स्वीकार करे। जब हमारा प्रभु हमें कहता है की उसने हमें सम्पूर्ण रीति से बचाया है, तो हमारे लिए सही बात यही है की हम विश्वास करे।
क्या परमेश्वर का प्रेम जो उसने आपको दिया है वह अधूरा है? बिलकूल नही! हमारे प्रभु का प्रेम सम्पूर्ण है। दुसरे शब्दों में, हमारे प्रभु ने आपको और मुझे सम्पूर्ण रीति से बचाया है। क्योंकि उसने अपने बपतिस्मा से सम्पूर्ण रीति से हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और क्रूस पर मर गया, हम इस प्रेम के बारे में कोई संदेह नहीं कर सकते। उसने हमें पूरी तरह से बचाया है और हमें उद्धार का उपहार दिया है। हम सभी को उद्धार के इस उपहार को स्वीकार करना चाहिए जो परमेश्वर ने हमें दिया है।
एक पल के लिए मान लें कि मेरे पास सबसे कीमती रत्नों से बना एक बहुत मूल्यवान गहना है। यदि मैं इसे आपको एक उपहार के रूप में देता हूँ, तो आपको बस इतना करना है कि इसे सहज रूप से स्वीकार करें। क्या ऐसा नही है? आपके लिए इसे अपना बनाना कितना सरल और आसान है? इस गहने को अपना बनाने के लिए, आपको बस इतना करना है कि अपना हाथ बढाए और इसे थामे। बस।
यदि आप बस अपना दिल खोलते है और अपने सभी पापों को यीशु पर उसके बपतिस्मा के द्वारा डाल देते है, तो आप सब आसानी से अपने पापों की माफ़ी प्राप्त कर सकते है और अपने खाली दिलों को सच्चाई से भर सकते है। इस प्रकार प्रभु ने कहा है कि वह हमें एक मुफ्त उपहार के रूप में उद्धार देगा। हाथ आगे बढ़ाकर थामने से उद्धार आपका हो सकता है।
हमने अपने उद्धार को एक उपहार के रूप में प्राप्त किया है, इसके लिए एक पैसा भी खर्च किए बिना। और क्योंकि जो कोई भी इस उपहार को पाना चाहता है उसे यह उपहार देने के लिए परमेश्वर प्रसन्न है, धन्य है वे लोग जिन्होंने आभार के साथ इसे प्राप्त किया है। जो लोग आनन्द से परमेश्वर के प्रेम को स्वीकार करते है, वे उनके प्रेम से घिरे रहते है, और वे ही है जो इस दाता से प्रेम करते है, इसे स्वीकार करने से, उन्होंने असके हृदय को प्रसन्न किया है। इस उपहार को स्वीकार करना सही कार्य है। जब आप सम्पूर्ण उद्धार के इस उपहार का स्वीकार करते है जो परमेश्वर ने आपको दिया है केवल उद्धार का यह सच्चा उपहार आपका हो सकता है। यदि आप इसे अपने हृदय में स्वीकार नहीं करते है, तो उद्धार का उपहार कभी भी आपका नहीं हो सकता है, भले ही आप कितनी भी कोशिश क्यों न करे।
मैंने भी उद्धार का यह उपहार पाया है। “आह! मेरे लिए प्रभु ने इस तरह बपतिस्मा लिया था। इस प्रकार बपतिस्मा लेने से, उसने मेरे सारे पापों के दोष उठाए। वास्तव में उसने मेरे लिए बपतिस्मा लिया था। धन्यवाद प्रभु!" मैं यही विश्वास करता हूँ। इसलिए मैं अब पापरहित हूँ। मैंने पाप की सम्पूर्ण माफ़ी पाई है। यदि आप भी पाप की माफ़ी को पाना चाहते है और उद्धार पाना चाहते है, तो अभी इसका स्वीकार करे।
मैंने तब से हर समय उद्धार के इस उपहार के बारे में सोचा है। अब भी, जब मैं इसके बारे में फिर से सोचता हूँ, तब मुझे एहसास होता है कि मेरे उद्धार के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देने के अलावा मैं ओर कुछ नहीं कर सकता। क्योंकि उद्धार का यह प्रेम मेरे दिल में है, मैं इसे कभी नहीं भूल सकता। जब मैंने पहली बार पानी और आत्मा के सुसमाचार को स्वीकार करके और विश्वास करके अपने पाप की माफ़ी पाई जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुआ, तब मैं परमेश्वर के प्रति धन्यवादित था। और अब भी, कई साल बीतने के बाद भी, मेरे पास अभी भी वही आभारी हृदय है, और मैं हर रोज नवीनीकृत होता हूँ। 
यीशु निश्चित रूप से मुझे बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आए, मेरे सारे पापों को अपने ऊपर लेने के लिए उसने बपतिस्मा लिया, और मेरे पापों का दोष सहने के लिए क्रूस पर मरा। जब मुझे महसूस हुआ कि ये सभी चीजें मेरे लिए की गई थी, तो मैंने तुरंत उन्हें स्वीकार कर लिया और उन्हें अपना बना लिया। मुझे हर समय यह एहसास होता है कि यह सबसे अच्छी चीज थी जो मैंने अपने पूरे जीवन में की है, सबसे बुद्धिमान और समझदार कार्य। इसलिए मैं विश्वास करता हूँ कि प्रभु वास्तव में मुझसे प्रेम करते है और मेरी परवाह करते है, और मैं यह भी विश्वास करता हूँ और अंगीकार करता हूँ कि उसने यह सब इसलिए किया क्योंकि वह मुझसे प्रेम करता है। “प्रभु, मैं अपना सारा धन्यवाद आपको देता हूँ। जैसे आपने मुझे प्रेम किया है, वैसे मैं भी आपसे प्रेम करता हूँ।” इस प्रकार का अंगीकार करना नया जन्म पाए हुए लोगों के लिए बड़े आनन्द की बात है।
हमारे प्रभु का प्रेम कभी ना बदलने वाला प्रेम है। जिस तरह हमारे लिए उसका प्रेम कभी नहीं बदलता है, उसी तरह उसके प्रति हमारा प्रेम भी कभी नहीं बदल सकता। कभी-कभी, जब हम पीड़ित होते है और कष्टों का सामना करते है, तो हमारा हृदय भटक सकता है और हम इस प्रेम को भूल जाने और धोखा देने की इच्छा भी कर सकते है। लेकिन जब हम अपने दर्द से अभिभूत होते है और हमारा विवेक हमें विफल कर देता है, और जब हम केवल अपने दर्द के बारे में सोचते है, तब भी परमेश्वर हमें विश्वासयोग्यता से थामे रहता है ताकि हमारा हृदय उसके प्रेम को कभी भी ना भूले। 
परमेश्वर हमेशा हमसे प्रेम करता है। हमारा परमेश्वर हमारे लिए इस पृथ्वी पर एक सृष्टि बनाकर आया क्योंकि उसने अपनी मृत्यु तक हमसे प्रेम किया। अब, मैं आपसे विनती करता हूँ की आप अपने लिए परमेश्वर के इस प्रेम पर विश्वास करे। और इसे अपने हृदय में स्वीकार करें। क्या अब आप विश्वास करते है? 
हमें इस प्रेम के साथ हमारे पापों से सम्पूर्ण रीति से बचने के लिए मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ।