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मिलापवाले तम्बू का अभ्यास

सोने की दीवट

 
सोने की दीवट शुध्ध सोने से बनाई गई थी। इसकी टहनी को शुध्ध सोने के एक ही टुकड़े से बने हुए थे, उसके दोनों बाजू से थीं तिन टहनी निकलती है, और सात दीवट को पुष्पकोश के ऊपर और उसकी छह टहनियों के ऊपर रखा गया था। जैसे की सोने की दीवट शुध्ध सोने के एक तुकडे से बनाई गई थी, इसलिए वह देखने में बहुत ही मोहक और खुबसूरत थी।
सोने की दीवट के सबसे ऊपर, तेल रखने के लिए सात दिए बनाए गे थे, जो पवित्र स्थान को प्रकाशित रखने के लिए हमेशा जलाता रहता था।
जैसे की पवित्र स्थान के अन्दर की दीवट हमेशा अपना प्रकाश फैलाती थी, उसी तरह पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके जो परमेश्वर की संतान बने उन्हें भी उद्धार के प्रकाश से जगत को प्रकाशित करना है जो लोगों को उनके पापों से बचाए। दुसरे शब्दों में, जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा पाप की माफ़ी पाई है केवल वे लोग ही दीवट के पात्र को परिपूर्ण कर सकते है जो उद्धार का प्रकाश देता है, ताकि दुसरे लोग भी इस सत्य को जाने और उनके पापों की माफ़ी पाए।
सोने की दीवट में फूल, गाँठ और पुष्पकोश थे। जैसे परमेश्वर ने आदेश दिया था की साथ दिए को दीवट के ऊपर रखा जाए, ताकि जब दीवट को जलाया जाए, तब पवित्र स्थान में हमेशा के लिए उजियाला रहे। इसका मतलब है की धर्मी जन जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके अपने पापों को साफ़ किया है वे एक साथ इकठ्ठा होकर, परमेश्वर की कलीसिया बनाए, और इस जगत को प्रकाशित करे। पवित्र स्थान में जो दीवट का उजियाला था वह पानी और आत्मा का सुसमाचार है, जो इस जगत के अन्धकार को दूर करता है।