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خطبات

विषय ८ : पवित्र आत्मा

[8-17] हमें पवित्र आत्मा में विश्वास और आशा होनी चाहिए (रोमियों ८:१६-२५)

हमें पवित्र आत्मा में विश्वास और आशा होनी चाहिए
(रोमियों ८:१६-२५)
“आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्‍वर की सन्तान हैं; और यदि सन्तान हैं तो वारिस भी, वरन् परमेश्‍वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, कि जब हम उसके साथ दु:ख उठाएँ तो उसके साथ महिमा भी पाएँ। क्योंकि मैं समझता हूँ कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं। क्योंकि सृष्‍टि बड़ी आशाभरी दृष्‍टि से परमेश्‍वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है। क्योंकि सृष्‍टि अपनी इच्छा से नहीं पर अधीन करनेवाले की ओर से, व्यर्थता के अधीन इस आशा से की गई कि सृष्‍टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्‍वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्‍त करेगी। क्योंकि हम जानते हैं कि सारी सृष्‍टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है; और केवल वही नहीं पर हम भी जिनके पास आत्मा का पहला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात् अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं। इस आशा के द्वारा हमारा उद्धार हुआ है; परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है, जब वह देखने में आए तो फिर आशा कहाँ रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उसकी आशा क्या करेगा? परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उसकी आशा रखते हैं, तो धीरज से उसकी बाट जोहते भी हैं”।
 


यह समय बिन आशा का समय है

 
क्यों धर्मी व्यक्ति पवित्र आत्मा में आशा पाता है?
क्योंकि हम नया जन्म पाए हुए मसीही नए स्वर्ग और नई पृथ्वी को प्राप्त करेंगे फिर भले ही नया जन्म न पाए हुए लोग इस दुनिया के साथ नाश होजाए।
 
क्या इस जगत में अब कोई सच्ची आशा है? नहीं, कोई नहीं है। यह केवल यीशु के साथ अस्तित्व रखती है। अब अनिश्चितता और निराशा का समय है। हरदिन तेजी से सब बदलता है, और लोग इस तेजी से बदलती चीजों के साथ जीने के लिए प्रयाश कर रहे है। वे ना तो आत्मिक सत्य ढूंढ पाते है और नाही आत्मिक आनन्द में उनकी कोई रूचि होती है। इसके बजाए वे विफलता को दूर रखने के लिए संघर्ष करते है और इस संसार के सेवक के रूप में जीवन जीते है।
नै नौकरी मिलती है और पुरानी चली जाति है। इसी तरह, लोग भी नाट्यात्मक रूप से बदल रहे है। इसलिए वे व्यस्त और व्यग्र जीवन जीते है। और धीरे धीरे, इस जगत के लिए उनकी आशा लुप्त हो जाति है। इस का एक कारण यह है की वे भविष्य की किसी भी तरह की निश्चितता के बिना जीवन जी रहे है। हम एक असंतुलित दुनिया में जी रहे है।
 
 

हमें पवित्र आत्मा में अनत जीवन की आशा होनी चाहिए

 
हम सच्ची आशा कैसे पा सकते है? हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके इसे पा सकते है। जिन्होंने पवित्र आत्मा पाया है उनकी आशा इस पृथ्वी पर की नहीं है, लेकिन स्वर्ग की है। प्रेरित पौलुस ने स्वर्ग की सच्ची आशा के बारे में कहा है। हम जिन्होंने पहले से ही पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाया है उन्हें स्वर्गीय चीजों में आशा रखते है। हम ऐसा करते है क्योंकि हम विश्वास करते है की यीशु यूहन्ना से अपने बपतिस्मा और क्रोस पर अपने लहू के द्वारा हमारे सारे पापों को उठाने के लिए और हमें बचाने के लिए आया। प्रभु उन लोगों को स्वर्गीय आशा की निश्चितता देता है जो पापों की माफ़ी के सुसमाचार पर विश्वास करते है।
रोमियों ८:१९-२१ कहता है, “क्योंकि सृष्‍टि बड़ी आशाभरी दृष्‍टि से परमेश्‍वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है। क्योंकि सृष्‍टि अपनी इच्छा से नहीं पर अधीन करनेवाले की ओर से, व्यर्थता के अधीन इस आशा से की गई कि सृष्‍टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्‍वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्‍त करेगी”। सारी सृष्टि के पास भ्रष्टाचार और मृत्यु के बंधन से छूटकारा पाने की आशा है।
इस संसार की सारी चीजे अपूर्ण है, इसलिए वे परमेश्वर के पुत्रों का इंतज़ार कराती है और तड़पती है। इसके अतिरिक्त, वे भ्रष्टाचार के बंधन से भी स्वतंत्र होना और अनन्त जीवन जीना चाहते है। सारी सृष्टि उस दिन का इंतज़ार कर रही है जब वे ना तो मुरझाएंगे और ना ही फीके पड़ेंगे लेकिन उसके बदले वे हमेशा के लिए जीवन जिएंगे। 
एक दिन परमेश्वर के द्वारा बनाई गई सारी सृष्टि नै की जाएगी। हालाँकि इस जगत में फूल मुरझा जाते है, लेकिन नै दुनिया में वह हमेशा के लिए खिले रहेंगे। हम जिनके पास पवित्र आत्मा का अंतर्निवास है वे भी इस नई दुनिया को देखेंगे।
यीशु मसीह ने वादा किया है की वह वापिस आएगा, जिन्होंने पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाया है उनको फिर से जिलाएगा, उन सबको नया शरीर देगा जो शुध्ध और अविनाशी होगा और उनको अनन्त जीवन देगा। उसने उन्हें यह वादा भी किया है की वे हमेशा के लिए स्वर्ग में परमेश्वर के साथ रहेंगे। इस संसार की सारी सृष्टि उस दिन का इंतज़ार कर रही है। जब वह दिन आएगा तब वे भी हमारे यानी की परमेश्वर के पुत्रों के साथ हमेशा के लिए जिएंगे।
 
 
इस दुनिया को उम्मीद से देखा
 
धर्मी व्यक्ति के लिए यह स्वप्न कब सच होगा? यह तब सच होगा जब हमारा प्रभु लौट कर आएगा। जब हम इस संसार की ओर देखते है तो हमें उम्मीद के साथ देखना चाहिए। यीशु ने कहा की अकाल पड़ेंगे, महामारी होंगी, भूकम्प होंगे, और जगह जगह युध्ध होंगे (मत्ती २४:७)। लेकिन अन्त अभी आया नहीं है। इस दुनिया के आखिरी दिन, हमारा प्रभु फिर से आएगा, सारी सांसारिक चीजों को नया करेगा और हमें अविनाशी आत्मिक शरीर देगा। इसका मतलब है की पौधे और जानवर भी अमरता प्राप्त करेंगे। इस पर विश्वास करने के द्वारा, हमें दुनिया को नई उम्मीद के साथ देखना चाहिए।
इस दुनिया में, जिन्होंने पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाया है वे भी सारी सृष्टि के साथ पीड़ा सहेंगे, और उनकी संतान होने के नाते हमारे शरीर के छुटकारे के लिए महिमा का इंतज़ार करेंगे। हम दुनिया को उम्मीद के साथ देख सकते है क्योंकि प्रभु हमें उनकी संतान बनाएगा, जो उनके दुबारा लौटने पर कभी भी मुरझाएंगे नहीं और मरेंगे नहीं।
हालाँकि एक दिन इस दुनिया का अन्त होने वाला है, इसलिए जब प्रभु दुबारा आएगा तब सारी चीजे बदल दी जाएगी। हमें उस पर विश्वास करके उम्मीद के साथ जीवन जीना चाहिए। नवीनीकरण की हुई दुनिया उतनी ही अद्भुत और शानदार होंगी जैसे आप काल्पनिक कहानियों में पढ़ते थे। ऐसी दुनिया में हजार साल जीने के बारे में सोचिए। और जब हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे तब हमारे पास उसकी संतान होने के नाते अनन्त जीवन होगा। हमें ऐसी उम्मीद के साथ जीवन जीना चाहिए।
क्या आप इस दुनिया में कोई आशा देखते है? नहीं। लोग खुशहाल- भाग्यशाली तरीके शे जीवन जीते है, क्योंकि उनके पास इस जगत के लिए कोई उम्मीद नहीं है। लेकिन हमारे प्रभु ने उनको स्वर्ग की आशा दी है जिनके पाप माफ़ किए गए है और जो धर्मी बन गए है। “इस आशा के द्वारा हमारा उद्धार हुआ है; परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है, जब वह देखने में आए तो फिर आशा कहाँ रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उसकी आशा क्या करेगा? परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उसकी आशा रखते हैं, तो धीरज से उसकी बाट जोहते भी हैं”। इसका मतलब है की हमें यीशु के लौटने का धीरज से इंतज़ार करना चाहिए क्योंकि हम परमेश्वर के वचन में अपने विश्वास के द्वारा बचाए गए है।
हमारी आत्मा में पवित्र आत्मा का अंतर्निवास है क्योंकि हम अपने पापों से बचाए गए है। इसलिए जो यीशु के द्वारा बचाए गए है उनके हृदय में पाप की जगह पवित्र आत्मा बसता है। तो फिर हमारे शरीर का क्या? हमारा कमज़ोर शरीर भी पुनरुत्थित होगा, नया जीवन और अमरता प्राप्त करेंगे। जब यीशु दुबारा लौटेगा तब हम परमेश्वर के साथ हमेशा के लिए जीवित रहेंगे। केवल जो लोग नया जन्म पाए हुए है वही इस उम्मीद का अधिकार प्राप्त करेंगे, और इसलिए हमारी आत्मा और शरीर सम्पूर्ण बनेंगे। हमारा शरीर अनन्त बनेगा और हम कभी भी बीमार नहीं बनेंगे। हमारा सांसारिक शरीर कमज़ोर है, इसलिए, हमारे लिए सम्पूर्ण जीवन जीना असंभव है। लेकिन बाद में हम सम्पूर्ण जीवन जी सकते है। आइए हम प्रभु के दुसरे आगमन की ओर देखे। जिन्होंने पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाया है केवल वे ही उस तरह की उम्मीद और जीवन पा सकते है।
धर्मी व्यक्ति की आशा केवल स्वर्ग में ही नहीं लेकिन इस संसार में भी पूरी होगी। बाइबल कहती है की भारी कलेश के बाद जब दुनिया का अन्त होगा तब हमारे प्रभु का दूसरा आगमन होगा। वह निश्चित ही आएगा। जब वह पहली बार आया था, तब उसने पापियों के लिए बपतिस्मा लिया था, उनको धर्मी बनाने के लिए क्रूस पर मरा था, और अन्त में स्वर्ग में उठा लिया गया था। अब यह समय है की प्रभु फिर से आनेवाला है।
उस समय, वह यीशु पर विश्वास करने वाले और जिन्होंने पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाया था उन सभी संतों को फिर से जिलाएगा और उन्हें भ्रष्टाचार के बंधन से मुक्त करेगा। वह उन्हें नया स्वर्गीय शरीर देगा जो ना कभी तो मुरझायेगा ओर ना ही बीमार पडेगा। उसके अतिरिक्त, वे उससे मिलाने के लिए बादलों पर उठाए जाएंगे और वह सारी चीजों को नया कर देगा।
उसके बाद, हम, हमारे प्रभु यीशु के साथ, नई दुनिया में सुसमाचार के पुरस्कार के लिए हजार साल तक राज करेंगे। यह उन लोगों के लिए अभ्यास है जो स्वर्ग में जाने वाले है। यह स्वर्ग की आशा और वास्तविकता है। उस समय, सारी अपूर्ण चीजे सम्पूर्ण हो जाएगी, और जो चीजे मुरझाती है वे कभी भी नहीं मुरझाएगी। वचन, “शरीर नाशवान दशा में बोया जाता है और अविनाशी रूप में जी उठता है” (१ कुरिन्थियों १५:४२), यीशु मसीह के द्वारा उस समय परिपूर्ण किया जाएगा।
आइए हम जिनके पास पवित्र आत्मा का अंतर्निवास है वे उम्मीद रखे! आपको याद रखना चाहिए की भलेही सारी चीजे कमज़ोर पड़े और मर जाए, लेकिन यह अन्त नहीं है। हमें आशा का विश्वास होना चाहिए की हमारा प्रभु सारी दुनिया को नया बनाएगा। हमें नए स्वर्ग और नई पृथ्वी की आशा में जीवन जीना चाहिए। इस उम्मीद के साथ, हम सुसमाचार प्रचार करने के लिए सक्षम है।
हमारे पास पवित्र आत्मा का अंतर्निवास है क्योंकि हम जगत के पापों से बचाए गए है। इसी तरह, हमारे अन्दर जी पवित्र आत्मा है वह प्रभु के दुसरे आगमन की ओर देखता है। वह हमारे लिए पिता परमेश्वर से मध्यस्थता करता है ताकि हम आशा और हमारे दिल में बिना निराशा के जीवन जी सके।
 
 
हमें पवित्र आत्मा में आशा के साथ जीवन जीना चाहिए
 
धर्मी की जगह कहा है? वह 5हजार साल में है जो प्रभु अपने दुसरे आगमन के समय पृथ्वी को नवीनीकरण के द्वारा फिरसे बनाएगा और स्वर्ग का राज्य भी। इसलिए, हमें धीरज के साथ आनेवाले दिन की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हमें यह विश्वास करना चाहिए की इस जगत के अन्त के बाद हमारा प्रभु हमारे शरीर को नया बनाएगा। हमारे पास उत्तम कल की आशा होनी चाहिए।
 
5 जब यीशु अपने वायदे के अनुसार दुबारा आगमन में इस पृथ्वी पर आएगा, वह स्वर्ग से निचे आएगा, और पहले मसीह में मरे हुओ को जिलाएगा। इसके बाद, वह सारे संतो को, ज़िंदा करके उठाएगा, उन्हें अनन्त शुध्ध और अविनाशी शरीर देगा, और वह सारे संतो से बादलों पर मिलेगा (१ थिस्सलुनीकियो ४:१६-१७, १ कुरिन्थियों १५:५१-५३)।
उसके बाद वह बाकी बचे हुए पापियों पर अपने क्रोध के साथ सात कटोरों को उन्देलाने के बाद सारी चीजों को नया कर देगा। वह नई पृथ्वी पर अपने राज्य की स्थापना करेगा, और जिन्होंने पहले पुनरुत्थान में हिस्सा लिया था उनके साथ हजार साल तक राज करेगा (प्रकाशितवाक्य २०:४-५)। हजार साल के बाद, वह सारे मरे हों का न्याय करेगा और उन्हें आग की झील में डालेगा (प्रकाशितवाक्य २०:११-१५)। फिर वह अपने लोगों को स्वर्गीय शहर में अगुवाई करेगा, नया यरुशालेम, और उनके साथ हमेशा के लिए रहेगा (प्रकाशितवाक्य २१:१-४)।  
 
पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाने के बाद, पौलुस के पास भी वाही आशा थी जो हमारे पास है। हम अपने मन में समान आशा को लेकर जी रहे है, हजार वर्ष का और स्वर्ग के राज्य का इंतज़ार कर रहे है। जिन्होंने नया जन्म नहीं पाया है वे इस जगत के अन्त के साथ नाश होंगे, लेकिन हम नया जन्म पाए हुए मसीही नया स्वर्ग और नै पृथ्वी के अधिकारी होंगे। यह आशा वास्तव में पूरी होगी। हमारा शरीर सम्पूर्ण बनेगा और नयी दुनिया में यीशु के साथ हजार सालों तक राज करेगा। उस दिन की प्रतीक्षा करते हुए, हमारे पास आशा है और हम इस दुनिया में निडरता से जी सकते है।
आइए हम धीरज धरे और इंतज़ार करे। भले ही हमारा जीवन थक गया है, लेकिन हमारी आशा पूरी होगी क्योंकि हम परमेश्वर में विश्वास करते है। जिनके पास आशा नहीं है वे अभी से केवल मरे हुए व्यक्ति से बढ़कर कुछ भी नहीं है। कृपया करके परमेश्वर के वचन पर विश्वास करके आशा रखिए और अपने सपने को बनाए रखे।
जैसे हमारी माफ़ी सच्ची थी, वैसे ही हमारे शरीर में बदलाव सच्चा होगा और यह सारी सृष्टि के लिए सच्चा है की वे अनन्त जीवन पाएंगे। हमारी आशा भी सच्ची है। आप जो विश्वास करते है उसमे आशा रखे। जिनके अन्दर आशा है वे खुबसूरत और आनन्दित है। यदि लोगों के पास आशा नहीं है तो वे निराश हो जाएंगे। जिनके पास कोई सपना नहीं है उनके पास कोई आनन्द नहीं है। हम खुशहाल जीवन जी सकते है क्योंकि हमारे पास हजार साल और स्वर्ग के राज्य की आशा है, नया स्वर्ग और नई पृथ्वी।
धर्मी के पास आशा होनी चाहिए और पवित्र आत्मा में इस आशा का प्रचार करना चाहिए। हमें आशा रखनी चाहिए की हमारा सुसमाचार पूरी दुनिया में फैलेगा। यदि आपके पास अटल विश्वास है, तो आपको यह एहसास होगा की दुनिया उतनी बड़ी नहीं है। हालाँकि हमारी शुरुआत तुच्छ थी, लेकिन यदि हम आशा बनाए रखे तो हम पूरी दुनिया में सुसमाचार प्रचार करने में सक्षम बनेंगे। जैसे पौलुस ने किया था, हमें भी विश्वास करना चाहिए।
जिनके अन्दर आशा है खुबसूरत सुसमाचार के प्रचार के अपने कार्य में विश्वासयोग्य है। हमें निराश युग में सुसमाचार प्रचार करने की आशा रखनी चाहिए। हम थके, निराश, गरीब और नम्र सब को खुबसूरत सुसमाचार प्रचार करना चाहिए। हमें स्वर्ग के राज्य की आशा का प्रचार करके उनको अन्धकार से छुडाना चाहिए, जिसमे केवल वही प्रवेश कर सकते है जिनके पाप पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके माफ़ हुए है। हमें उन्हें आशा रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए की इस कठिन समय के बाद परमेश्वर का राज्य चोर की नाई आएगा।
सेवक और संत जिन्होंने नया जन्म पाया है, कृपया इस सुसमाचार को जगत के अन्त तक प्रचार करे, और स्वर्ग के लिए अपनी आशा को अटल रीति से बनाए रखे। ये मायने नहीं रखता की कितनी जल्दी यह संसार नाश होता है, जिनके अन्दर आशा है वे कभी नाश नहीं होंगे क्योंकि उनके पास इस पृथ्वी के जीवन से परे कुछ अनन्त है। निश्चित रूप से उनके पास प्रभु का दिया हुआ दूसरा जीवन होगा।