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विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-11] हम उन लोगों में से नहीं है जो अपने पापों की वजह से विनाश की ओर जाते है (यूहन्ना १३:१-११)

हम उन लोगों में से नहीं है जो अपने पापों की वजह से विनाश की ओर जाते है
(यूहन्ना १३:१-११)
“फसह के पर्व से पहले, जब यीशु ने जान लिया कि मेरी वह घड़ी आ पहुँची है कि जगत छोड़कर पिता के पास जाऊँ, तो अपने लोगों से जो जगत में थे जैसा प्रेम वह रखता था, अन्त तक वैसा ही प्रेम रखता रहा। जब शैतान शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती के मन में यह डाल चुका था कि उसे पकड़वाए, तो भोजन के समय यीशु ने, यह जानकर कि पिता ने सब कुछ मेरे हाथ में कर दिया है और मैं परमेश्‍वर के पास से आया हूँ और परमेश्‍वर के पास जाता हूँ, भोजन पर से उठकर अपने ऊपरी कपड़े उतार दिये, और अँगोछा लेकर अपनी कमर बाँधी। तब बरतन में पानी भरकर चेलों के पाँव धोने और जिस अँगोछे से उसकी कमर बन्धी थी उसी से पोंछने लगा। जब वह शमौन पतरस के पास आया, तब पतरस ने उससे कहा, “हे प्रभु, क्या तू मेरे पाँव धोता है?” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “जो मैं करता हूँ, तू उसे अभी नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा।” पतरस ने उससे कहा, “तू मेरे पाँव कभी न धोने पाएगा!” यह सुनकर यीशु ने उससे कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” शमौन पतरस ने उससे कहा, “हे प्रभु, तो मेरे पाँव ही नहीं, वरन् हाथ और सिर भी धो दे।” यीशु ने उससे कहा, “जो नहा चुका है उसे पाँव के सिवाय और कुछ धोने की आवश्यकता नहीं, परन्तु वह बिलकुल शुद्ध है; और तुम शुद्ध हो, परन्तु सब के सब नहीं।” वह तो अपने पकड़वानेवाले को जानता था इसी लिये उसने कहा, “तुम सब के सब शुद्ध नहीं।”
 
 
बाइबल के सारे वचन उन झूठे शिक्षकों के लिए रहस्य है जिन्होंने अभी तक नया जन्म नहीं पाया है। इसलिए वे परमेश्वर के वचन को मनुष्यों के बनाए हुए विचारों से अपनी तरह व्याख्यायित करने की कोशिश करते है। हालाँकि, वे जो सिखा रहे है उन पर वे खुद भी विश्वास नहीं करते। परिणाम स्वरुप, जो लोग यीशु पर विश्वास करते है उनके बिच बहुत कम लोग है जिन्हें अपने उद्धार पर विश्वास है। 
ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि पानी और आत्मा के सुसमाचार को स्पष्ट रूप से जाने बिना ही वे कहते है की वे यीशु पर विश्वास करते है। ऐसे मसीही लोग सोचते है कि वे नाश नहीं होंगे क्योंकि वे यीशु पर विश्वास करते है। लेकिन उन्हें यह महसूस करने की ज़रूरत है कि जब बाइबल के नज़रिए से देखा जाता है, तो यदि वे पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास नहीं करेंगे तो वे नाश होंगे।
लोगों के लिए यह सोचना आम तौर पर माना जाता है कि यद्यपि वे सच्चाई को नहीं जानते है फिर भी उनका नाश नहीं होगा क्योंकि वे यीशु पर आँख बंद करके विश्वास करते है। हालाँकि, जैसा कि वे पवित्रशास्त्र के वचन को सही रीति से नहीं समझते, इसलिए वे वचन से यह नहीं महसूस कर सकते की वास्तव में वे गलत है, यहाँ तक की उन्होंने ठीक रीति से उद्धार भी नहीं पाया है। 
इसलिए यदि लोग बाइबल के वचन की शाब्दिक व्याख्या करते है और अपने स्वयं के विचारों के आधार पर अपने स्वयं के सिद्धांतों को बनाते है, तो ऐसे लोग, भले ही वे यीशु पर विश्वास करते हों, पाप का त्याग नहीं कर सकते है और अंततः इसके कारण वे पाप की माफ़ी नहीं पाएंगे और इन पापों की वजह से उनका अन्त नरक में होगा। जैसे, बाइबल हमारे अपने तरीके से सुलझाने वाली चीज़ नहीं है, लेकिन हमें इंतेजार करना चाहिए की परमेश्वर अपने संतों के माध्यम से हमें यह समझाए। हमें यह भी महसूस करना चाहिए कि परमेश्वर के सारे वचन को पानी और आत्मा के सुसमाचार के अंतर्गत समझाया गया है।
यीशु ने कहा, “मैं तुझसे सच सच कहता हूँ, जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता” (यूहन्ना ३:५)। जो लोग इस भाग को सही तरीके से जानते है और विश्वास है, वे वास्तव में सारे पापों से मुक्ति पा सकते है और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते है। यीशु ने कहा कि जिन लोगों के हृदय पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके शुध्ध हुए है केवल वे ही स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है। लेकिन यदि लोग प्रभु के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार को समझे बिना विश्वास करते है - अर्थात्, मिलापवाले तम्बू के नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुआ सत्य – तो वे अपने पापों की वजह से नाश होंगे।
यदि हम यीशु पर विश्वास करते है ओर फिर भी हमारे पापों की वजह से हमारा नाश हो जाए तो कितना निराश करनेवाला होगा? यह सोचकर मुझे बहुत दुःख होता है कि हालाँकि इस दुनिया में बहुत सारे लोग है जो यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते है, लेकिन फिर भी जब उनसे पूछा जाता है की क्या वास्तव में वे अपने पापों से बच गए है तब वे आत्मविश्वास के साथी उत्तर नहीं दे पाते है। यह कहने में कोई गलती नहीं है कि सारे पापी, चाहे वे यीशु पर विश्वास करने का दावा करते है या नहीं करते लेकिन फिर भी अपने पापों की वजह से वे नष्ट होंगे। यीशु पर विश्वास करने के बावजूद भी वास्तव में कितने लोग नष्ट हो जाएंगे? 
मत्ती ७ हमें कहता है कि यद्यपि बहुत सारे लोग जो प्रभु पर विश्वास करते है, वे यीशु से कहेंगे कि उन्होंने भविष्यवाणी की थी, दुष्टात्मा को निकला था, और उसके नाम से बहुत सारे चमत्कार किए थे फिर भी वे यीशु के द्वारा त्याग दिए जाएंगे। यीशु ने कहा कि वह ऐसे लोगों को घोषित करेगा, “मैं ने तुमको कभी नहीं जाना, है कुकर्म करनेवालों मेरे पास से चले जाओ!” (मत्ती ७:२३) हमारे प्रभु ने कहा कि हर कोई जो उनके नाम को पुकारता है वह स्वर्ग में प्रवेश नहीं करेगा। इस तरह, प्रभु उन लोगों को फटकार लगाएगा जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार को गलत समझा है।
फिर भी बहुत से लोगों को इस बात का अहसास भी नहीं है कि उन्होंने यीशु पर गलत तरीके से विश्वास किया है, एक ऐसी स्थिति जो हमारे प्रभु के लिए बहुत दु:खद है। ऐसे बहुत से लोग है जो इस तथ्य से बेखबर है कि प्रभु वास्तव में उनके दोषपूर्ण विश्वास के लिए उन्हें डांट रहे है और वे अपने स्वयं के विनाश की ओर बढ़ रहे है। 
यही कारण है कि आज के नामधारी मसीहियों के लिए हमारा दिल विलाप करता है। वे यीशु पर केवल अस्पष्ट रूप से विश्वास करते है, फिर भी पानी और आत्मा के सुसमाचार की एक स्पष्ट और बाइबिल की परिभाषा तक पहुंचने में असमर्थ है। यही कारण है कि यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि हम सब को लिए पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करें।
पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य को जानना और विश्वास करना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। फिर, हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य को कैसे जान सकते है? ज़ाहिर है, परमेश्वर के वचन में निहित पानी और आत्मा के सुसमाचार पर उपदेश को सुनकर। हमें वास्तव में सच्चाई के सुसमाचार को जानना और विश्वास करना चाहिए और परमेश्वर के द्वारा उनके संत के रूप में पहचाने जाने चाहिए। ऐसा इस लिए करना चाहिए ताकि हम विश्वास के द्वारा परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते है, विश्वास से पाप की माफ़ी प्राप्त कर सकते है, और विश्वास से उनकी अपनी संतान बन सकते है। 
इसी लिए मसीहियत विश्वास द्वारा प्राप्त उद्धार पर केंद्रित है। विश्व के धर्म अपने स्वयं के कार्यों का पुरस्कार देते है। लेकिन वास्तविक सच्चाई हमें बताती है कि उद्धार परमेश्वर का उपहार है, मनुष्य का कार्य नहीं है, ऐसा न हो कि कोई घमंड करे (इफिसियों २:८-९)। सच्ची मसीहियत पाप से उद्धार पाने का रास्ता बताती है और पानी और और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके ही स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है।
यूहन्ना १३ से आजका मुख्य भाग भी पानी और आत्मा के सुसमाचार के बारे में बताता है। यह जानकर कि क्रूस पर मरने का समय आ गया था, यीशु ने अपने चेलों के पैर धोने की मांग की। यह ठीक फसह के पर्व से पहले हुआ। फसह का पर्व यहूदियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था। जैसा कि वह दिन था जब इस्राएल के लोग मिस्र से निकल आए थे और अपनी गुलामी से बच गए थे, यह यहूदियों के लिए एक बड़ी छुट्टी बन गई थी। इसलिए इस्राएल के लोगों ने पुराने नियम के पर्व को याद किया और फसह की रस्मों को एक साथ निभाने का आयोजन किया। 
रात के भोजन के दौरान, यीशु ने अपने चेलों को एक साथ इकट्ठा किया और उन्हें बहुत ही महत्वपूर्ण बात बताने की कोशिश की। वह खुद क्रूस पर मरे उससे पहले वह अपने चेलों के पैर धोकर वह उन्हें सच्चाई सिखाना चाहता था जिसने उनके वास्तविक पापों को धो दिया था। फसह के पर्व के आगमन के साथ, यीशु जानता था कि वह फसह के मेमने के रूप में पकड़ लिया जाएगा, क्रूस पर चढ़ा दिया जाएगा, मर जाएगा, और मृतकों में से फिर से जी उठेगा। इसलिए यीशु अपने चेलों को सिखाना चाहता था कि बलिदान के मेमने के रूप में, उसने उनके वास्तविक पापों को भी धो दिया है। अलग तरह से देखे तो, उसने क्रूस पर मरने से पहले एक बहुत महत्वपूर्ण सिक्षा देने के लिए चेलों के पैर धोए।
 
 

प्रभु ने पतरस के पैर क्यों धोए उसका कारण

 
आइए देखें कि जब यीशु ने चेलों के पैर धोने के लिए कहा और पतरस ने मना किया तब यीशु ने क्या कहा: “यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं” (यूहन्ना १३:८)। यह कहना कितना नाजुक और डरावना है? हालाँकि, यीशु वास्तव में अपने चेलों को सिखाना चाहता था कि उनके वास्तविक पापों को धोने के लिए किस प्रकार का विश्वास जरुरी था, और यह खुद के लिए और उनके चेले दोनों के लिए कितना महत्वपूर्ण था कि वह क्रूस पर मरने से पहले उनके पैर धोए। 
इसलिए यीशु ने भोजन से उठकर, अपने वस्त्रों को एक तरफ रख दिया, एक अँगोछे को लेकर अपनी कमर बाँधी, फिर एक पात्र में पानी डाला और चेलों के पैर धोने लगे। इसके बाद शमौन पतरस की बारी आई, लेकिन पतरस मना करता रहा। उसने यीशु से कहा, “हे प्रभु, क्या तू मेरे पाँव धोता है?” पतरस भयभीत था कि यीशु उसके पैर धोना चाहता है। क्योंकि उसने यीशु पर विश्वास किया था और उसकी परमेश्वर के पुत्र के रूप में सेवा की थी, इसलिए उसके लिए इस तरह की अतर्कसंगत स्थिति को स्वीकार करना कठिन था। यही कारण है कि पतरस ने पूछा कि कैसे प्रभु ने अपने पैर धोने की मांग की, यह सोचकर कि यदि किसी को पैर धोना चाहिए, तो वह पतरस को खुद ही प्रभु के पैरों को धोना चाहिए, और प्रभु को अपने पैर धोने देना न तो उचित था और न ही विनम्र। तो वास्तव में इससे चौंककर पतरस ने कहा, “हे प्रभु, क्या तू मेरे पाँव धोता है?” और धोने से इनकार कर दिया।
इसके बाद यीशु ने वचन ७ में कहा, “जो मैं करता हूँ, तू अभी उसे नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा।" इसका मतलब था, "अभी तू नहीं समझ रहा है की मैं यह क्यों कर रहा हूँ। लेकिन क्रूस पर मेरे मरने के बाद, मृतकों में से उठकर स्वर्ग में जाउंगा, तब तुझे इस कारण का एहसास होगा कि मैंने तेरे पाँव क्यों धोए।“ और फिर यीशु ने बलपूर्वक कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” जब तक यीशु पतरस के पैर नहीं धोता तब तक पतरस और यीशु का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं होता। यीशु के साथ कोई साझा न होने का मतलब है उसके साथ कोई संबंध नहीं है, और इसलिए पतरस के पास यीशु के सामने अपने पैर रखने के अलावा ओर कोई विकल्प नहीं था। यीशु ने तब पतरस के पैरों को पात्र में डाल दिया, उन्हें धोया और फिर अंगोछे से उसके पैर साफ किए।
जब प्रभु ने पतरस से कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं,” इस पर पतरस ने चौंकते हुए कहा, "तो मुझे और भी धो दो ताकि मेरे पास तुम्हारा हिस्सा हो। मेरे हाथ, मेरा सिर और मेरा पूरा शरीर धो लो!” यह सुनकर यीशु ने कहा, “जो नहा चुका है उसे केवल अपने पैर धोने की आवश्यकता है। वह पूरी तरह से साफ है। तू पूरी तरह से साफ है, लेकिन आप सभी नहीं है।”
यीशु ने अक्सर उल्लेख किया है कि लोगों ने पल भर के लिए क्या उलझन और अस्पष्टता पैदा की है। यीशु ने जो कहा, उसे समझने में असमर्थ लोग गलतफहमी, भूल करते है और कुछ विचित्र बातें करते है। जिन लोगों ने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास न करके पाप की माफ़ी प्राप्त नहीं की है वे ठीक से समझ नहीं पा रहे है कि यीशु ने यहां पतरस से क्या कहा। क्यों? क्योंकि जिनके पास पवित्र आत्मा नहीं है, वे परमेश्वर के वचन का सही अर्थ नहीं समझ सकते है। 
कोई भी व्यक्ति बाइबल में प्रगट सत्य को समझ नहीं सकता, भले ही फिर उसके पास सांसारिक प्रतिभा की भेंट हो। जब तक ऐसे लोग पानी और आत्मा के सत्य को नहीं जानते तब तक वे पवित्रशास्त्र के वचन को स्पष्ट रीति से नहीं समझते, और वे चाहे जीतनी भी कोशिश करे लेकिन वे इस बात को नहीं जान सकते की वे अपने वास्तविक पापों को कैसे साफ़ कर सकते है। 
प्रभु ने कहा, “जो नहा चुका है उसे पाँव के सिवाय और कुछ धोने की आवश्यकता नहीं, परन्तु वह बिलकुल शुद्ध है; और तुम शुद्ध हो, परन्तु सब के सब नहीं” (यूहन्ना १३:१०)। यह भाग आज कई मसीहियों के लिए समझना बहुत ही कठिन है, क्योंकि वे इस भाग से खुद को मना नहीं सकते है कि क्या वे पहले ही अपने सारे वास्तविक पापों से स्वतंत्र हो चुके है या नहीं। वास्तव में, वे इस भाग को मसीहियत में तथाकथित रूढ़िवादी सिद्धांतों में से एक, पश्चाताप की प्रार्थनाओं के सिद्धांत के आधार के रूप में रखते है।
वे इस भाग को इस तरह व्याख्या करते है: “एक बार जब हम यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में मानते है, तब हमें हमारे मूल पाप सहित सारे पापों के लिए क्षमा कर दिया जाता है। लेकिन, क्योंकि हम हर रोज पाप न करने के लिए असमर्थ है, और इस तरह फिर से पापी बन जाते है, इसलिए हमें परमेश्वर से माफ़ी माँग कर इन वास्तविक पापों से स्वतंत्र होना होगा। ऐसा करने से हम अपने पापों से स्वतंत्र हो सकते है, और अपने रिश्ते को फिर से पुन:स्थापित कर सकते है।”
बकवास! क्या आप वास्तव में पश्चाताप की प्रार्थना करके अपने वास्तविक पापों को साफ कर सकते है? उन पापों के बारे में क्या जिसके लिए लापरवाही से आपने माफ़ी नहीं मांगी? फिर इन पापों को कैसे माफ किया जा सकता है?
कलीसिया, परमेश्वर का शरीर, वास्तव में उन लोगों का इकठ्ठा होना है जो हमारे प्रभु के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है। इसलिए जब यीशु ने कहा कि शरीर पूरी तरह से शुध्ध है, लेकिन सभी चेले शुध्ध नहीं है, तब उसने यहूदा के संदर्भ में यह कहा था जो उस पर विश्वास नहीं करता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि वह जानता था कि यहूदा ने उस पर विश्वास नहीं किया है इसलिए उसने कहा, "तुम सब नहीं।"
 हमें विश्वास करना चाहिए कि प्रभु ने हमारे सारे पापों को एक ही बार हमेशा के लिए पानी और आत्मा के सुसमाचार, बाइबल के महत्वपूर्ण सत्य के साथ धो दिया है। इसलिए यदि हम वचन के मुख्य भाग को जानने में असफल होते है और परमेश्वर के वचन को अपने तरीके से समझने की कोशिश करते है, तो हम बहुत बड़े धोखे में पड़ सकते है। अब भी, बहुत से लोग, जो धोखे में गिरे हुए है, वे अपना सबकुछ छोड़ रहे है और यहां तक कि यीशु पर ठीक से विश्वास न करने के बावजूद भी शहीद हो रहे है, लेकिन अंत में, वे निश्चित ही अपने पापों के लिए नष्ट हो जाएंगे।
 
 

क्यों यीशु को हमारे पैर धोने पड़े उसका कारण

 
यदि यीशु ने पतरस के पैर धोए होते तो ही उसका यीशु के साथ साझा होता ऐसा क्यों? इसका कारण यह था कि यीशु पतरस का सच्चा उद्धारकर्ता तभी बन सकता था जब वह उसके पूरे जीवनकाल के सारे पापों को मिटाता। यीशु इस पृथ्वी पर आए, उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर सारी मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठाया, क्रूस पर मरा, मृत्यु से जीवित हुआ, और इस तरह एक ही बार में हमेशा के लिए पतरस और बाकी चेलों के सारे पापों को साफ़ किया। यीशु इस सच्चाई को उनके मन में रख छोड़ना चाहता था। लेकिन क्योंकि चेलों ने अपने पैरों को दोना केवल नैतिकता के रूप में सोचा था, इसलिए उन्हें इस कारण का पता नहीं था कि यीशु ने अपने पैर क्यों धोए।
उन्हें यह महसूस करना था कि न केवल उनके वर्तमान के पाप, बल्कि भविष्य के पाप जो वे बाद में करेंगे वह उन्हें आत्मिक रूप से मार सकता था। इसलिए उन्हें यह समझना पड़ा कि भविष्य में भी वे जो पाप करेंगे, वे सारे पहले से ही विश्वास से यीशु के ऊपर डाल दिए गए थे। क्योंकि जब तक पतरस ऐसा नहीं करता तब तक उसका यीशु के साथ कुछ भी साझा नहीं होता, इसलिए पतरस को यह समझना पडा की यीशु ने उसके और बाकि चेलों के पैर धोए। यीशु को पतरस को यह सच्चाई सिखानी थी कि बपतिस्मा लेकर, उसने पतरस की कमी और कमजोरियों के कारण किए हुए “हर एक पाप” को साफ़ किया है। यही कारण है कि यीशु को पतरस के पैरों को धोना पड़ा, और पतरस को यीशु द्वारा अपने पैरों को धुलवाना पड़ा। पतरस का यीशु के साथ साझा तभी हो सकता था जब वह यह विश्वास करता कि उसकी कमजोरी और कमी के कारण उसने जीवनकाल में किए हुए सारे पाप भी एक ही बार हमेशा के लिए साफ़ हीओ गए जब यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया।
हम परमेश्वर के वचन को सुनकर पानी और आत्मा की सच्चाई को समझ सकते है। यह पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन को जानकर और विश्वास करने के द्वारा है जिसने हमारे सारे पापों को मिटा दिया है और हम हमारे वास्तविक पापों से भी शुध्ध हुए है। यीशु ने कहा, "जो नहा चुका हुआ है उसे केवल अपने पाँव धोने की आवश्यकता है।" क्योंकि यीशु ने पहले ही हमारे सारे पापों को धो दिया है और हमें साफ कर दिया है, इसलिए जो लोग इस बात पर विश्वास करते है वे वह लोग है जिनके सारे पाप मिटा दिए गए है। 
यीशु मसीह ने वास्तव में यरदन नदी में बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे सारे पापों को खुद पर ले कर सारे पापों को साफ़ किया है। और क्रूस के पास जाकर, क्रूस पर चढ़ा, अपना लहू बहाया, मर गया, और मृतकों में से फिर से जी उठ कर, वह हमारा अनन्त उद्धारकर्ता बन गया है। बपतिस्मा के द्वारा जो उसने प्राप्त किया और क्रूस के लहू के द्वारा, प्रभु हमारा सम्पूर्ण उद्धारकर्ता बन गया है। इसी तरह, पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा, हमारे प्रभु ने विश्वास करनेवाले सारे लोगों को विश्वास के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए अपने पापों को साफ़ करने के लिए सक्षम बनाया है। 
जो लोग इस सच्चाई को जानते है और विश्वास है कि वे अपने वास्तविक पापों से भी पूरी तरह से स्वतंत्र हो सकते है। परमेश्वर के दृष्टिकोण से देखे तो, यह सच है कि यीशु के धर्मी कृत्यों से सारी मनुष्यजाति अपने सारे पापों से शुध्ध हुई है। वास्तव में हमें अपने सारे पापों से शुध्ध होने के लिए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके अनुग्रह प्राप्त करना है। क्या ऐसा नही है? निश्चित रूप से ऐसा ही है! इस सत्य को मानने वाले हमारे विश्वास के द्वारा, हम वे लोग बन गए है जो पहले ही नहा चुके है।
यीशु ने कहा कि जो लोग नहा चुके है उन्हें केवल पैरों को धोने की आवश्यकता है, क्योंकि यद्यपि हम हर रोज पाप करते है, फिर भी यीशु ने जब बपतिस्मा लिया तब पहले ही यीशु ने हमारे सारे पापों को ले लिया है और हमें पूरी तरह से बचाया है। बपतिस्मा लेने के द्वारा, यीशु ने हमारे पूरे जीवन के सारे पापों को धो दिया है, और यह हमारी ओर से हर रोज इस बात की पुष्टि करता है कि हम अपने वास्तविक पापों का समाधान कर सकते है। 
यही बात है जो यह भाग हमें बता रहा है। वास्तविकता यह है कि जिन लोगों ने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके पाप की माफ़ी को प्राप्त किया है - अर्थात्, यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा सारे पापों का स्वीकार किया है, जगत के इन पापों को अपने कंधे पर उठाकर वह मर गया, और मृत्यु से फिर जीवित हुआ - फिर भी पाप करते हुए अपना जीवन जीते है, क्योंकि उनके पास भी देह है। हालाँकि, परमेश्वर ने पहले से ही उन सभी वास्तविक पापों को ले लिया है जो लोग यीशु पर विश्वास करने के बाद भी दिन भर करते है, क्योंकि वह सर्वसामर्थी है।
अनंत काल से अनंत काल तक का समय पार करते हुए, परमेश्वर ने एक बार इस काम को पूरा किया है जिसने मनुष्यजाति के सारे पापों को मिटा दिया है। इसी तरह, यीशु ने युहन्ना से बपतिस्मा लेने के बाद हमारे पूरे जीवनकाल के सभी पापों को स्वीकार कर लिया, उन सभी पापों को उठाते क्रूस पर उसकी मृत्यु हुई, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इस तरह हमारे सारे पापों को साफ़ किया। फिर भी, इसके बावजूद, हम कैसे विश्वास करे? इस सच्चाई पर विश्वास करने के बावजूद, हम हर रोज जो पाप करते है उससे और अपनी कमी के कारण परेशान है। यही कारण है कि हर रोज हमें अपने इस विश्वास की पुन:पुष्टि करनी चाहिए कि हमने अपने इस पृथ्वी के जीवनभर में किए हुए सारे पापों को यीशु ने अपने ऊपर उठाया। बपतिस्मा लेने के द्वारा, यीशु ने दुनिया के पापों को एक ही बार में हमेशा के लिए साफ लिया, लेकिन हमें इस सच्चाई को दिन-प्रतिदिन, बार बार अपने विश्वास के साथ पुष्टि करना चाहिए।
पतरस के जैसे, विश्वास से यीशु के साथ एकजुट रहने के लिए, यह याद रखना चाहिए कि यीशु ने उसके पैरों को धोया था, हमारे लिए उसके उद्धार के अंतर्गत रहने के लिए, हमें भी, हर रोज उस सत्य की पुष्टि करनी चाहिए की उसने पहले ही अपने बपतिस्मा और क्रूस के लहू से हमारे सभी पापों को अपने मिटा दिया है। लेकिन जो लोग इस सत्य पर विश्वास नहीं करते वे अपने किसी भी पाप को हमेशा के लिए नहीं धो सकते। जिन लोगों ने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास न करके अपने सारे पापों को नहीं धोया है वे वह लोग है जिनका यीशु के साथ कोई साझा नहीं है। हालाँकि हर रोज़ वे अपने पापों को धोने की कोशिश करते है, फिर भी उनके पाप धोए नहीं जाते, क्योंकि जिन पापों को वे पश्चाताप की प्रार्थना करते हुए धोने की कोशिश करते है वे ऐसे मामूली पाप नहीं है। हर पाप के बाद परमेश्वर का भयावह न्याय होता है। 
इस तरह, जो लोग अपने पापों को पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके धोने के बजाए पश्चाताप की अपनी प्रार्थना के द्वारा धोने की कोशिश करते है, वे अनुभव करेंगे और महसूस करेंगे की उनका एक भी पाप धोया नहीं गया है। क्या हम प्रतिदिन पश्चाताप की ऐसी प्रार्थना करके अपने पापों को धो सकते है? यहां तक कि अगर हम खुद विश्वास करते है कि हमने अपने पापों को पश्चाताप की प्रार्थना के द्वारा धोया है, तो यह पाप वास्तव में अभी भी बना हुआ है। 
केवल वे लोग जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके अपने पूरे शरीर को साफ किया है केवल वे ही अपने पैरों को धोने के लिए योग्य है, और केवल वे लोग ही अनुग्रह को भी पाएंगे जिससे वे हर रोज अपने पाप धो सकते है और हमेशा शुध्ध रहा सकते है।
बपतिस्मा लेने के द्वारा, यीशु ने हमारे सारे वास्तविक पापों को एक ही बार में हमेशा के लिए उठा लिया। इसलिए हम विश्वास करते है कि अपने बपतिस्मे के द्वारा, यीशु ने उन सभी पापों को भी ले लिया जो हम अपनी कमजोरी के करण से करते है, और उसने उन पापों का न्याय भी सहा। दुसरे शब्दों में, यीशु ने हमें कहा कि हमारी खुद की कमजोरियों की वजह से ठोकर खिलाने वाली कोई चीज नहीं होनी चाहिए।
यीशु ने चेलों के पैर धोए उसके बाद, अब उसे जो करना था वह था, क्रूस पर मरना, मृत्यु से फिर जीवित होना, और स्वर्ग में चढ़ना। यीशु अब चेलों के पक्ष में नहीं होगा, लेकिन लिखित वचन के अनुसार, वह परमेश्वर पिता के सिंहासन के दाहिनी ओर होगा। और वह फिर से आएगा। 
लेकिन यदि यीशु अपने चेलों को यह सिखाए बिना ही क्रूस पर मर जाता, तो फिर कैसे वे इस पृथ्वी पर रहते और पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार करते? यीशु के चेले वास्तविक पाप करते हुए अपना जीवन जीते थे, क्योंकि वे कमजोर और अपर्याप्त थे, और वे यह नहीं जानते थे कि जब वे ईर्ष्या, लालच या घृणा के पाप करते है, तो उन्हें क्या करना है, वे विश्वास के साथ नहीं जी पाते। तो फिर वे दूसरों को सुसमाचार कैसे फैला सकते थे वे ऐसा नहीं कर सकते थे। यही कारण है कि यीशु ने निश्चित रूप से अपने चेलों को बताया था कि उसने पहले ही इन सभी पापों को साफ कर दिया है, और इसी लिए उसने उनके पैरों को धोया।
 
 

जैसे पापों की माफ़ी मिलापवाले तम्बू में प्रगट हुई

 
जब हम मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को खोलते है और अन्दर प्रवेश करते है, तब हम सबसे पहले होमबलि की वेदी और पीतल की हौदी को देखेंगे। हमारे विश्वास के जीवन के लिए पहला पाठ जो मिलापवाला तम्बू हमें सिखाता है वह यह है कि यदि हम परमेश्वर के सामने पाप करते है, तो पाप का दोष हमारी प्रतीक्षा करता है। जैसे होमबलि की वेदी ने दर्शाया है वैसे हमारा विश्वास का जीवन भी मौलिक रूप से पाप और मृत्यु के दोष से शुरू होता है। हमारे पापों की वजह से परमेश्वर के सामने हमारी निंदा होनी चाहिए, लेकिन हमारे पापों को उठाने के लिए प्रभु इस पृथ्वी पर आए थे। 
जैसा कि पुराने नियम के बलिदान का अर्पण हाथ रखने की रीति से पापियों के अपराधों को स्वीकार करता था, अपना लहू बहाता था और मरता था, और उसकी देह को होमबलि की वेदी पर रखा जाता था और आग से जलाया जाता था, उसके कारण आग के न्याय के द्वारा पापियों के अपराधों के दोष को सहा, इसलिए यीशु ने भी हमारे लिए ऐसा किया। हम मरे उसके बजाए, यीशु ने यूहन्ना से अपने ऊपर हाथ रखवाए, अपना लहू बहाया और क्रूस पर मरा, और इस तरह अपनी मृत्यु के द्वारा हमारे पापों की कीमत चुकाई।
हम रोज पाप करते है, और जब तक हम मर नहीं जाते, तब तक हम पाप करते रहेंगे। आप और मैं ऐसे थे जो हमारे पापों के लिए मरने वाले थे। लेकिन हमारे जैसे लोगों को हमारे पापों और दोषों से बचाने के लिए, प्रभु ने स्वर्ग की महिमा का सिंहासन त्याग दिया और इस पृथ्वी पर आए, यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को खुद की देह पर उठाया, क्रूस के अपने आप को दे दिया, क्रूस पर चढ़ाया गया, और अपना कीमती लहू बहाया, मृत्यु से जीवित हुआ, और इस तरह हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बना। मृत्यु के नियम को महसूस करना और पहचानना, कि हमारे ऊपर हमारे पापों का दोष लगना चाहिए और हमें मरना चाहिए, यह विश्वास का प्रारम्भिक बिंदु है। 
जो लोग जानते है और विश्वास है कि उन्हें अपने पापों के लिए मरना चाहिए केवल वे ही पाप को धोने का स्नान कर सकते है और अपने सारे पाप यीशु पर डालकर पापों की माफ़ी पा सकते है। ऐसा मानने से सच्चा विश्वास शुरू होता है। और हम जिन्होंने इस विश्वास के साथ शुरू किया है वह इस बात की पुष्टि करते हुए सम्पूर्ण हो गए है कि यीशु मसीह ने उन सभी पापों को मिटा दिया है जो हम हर रोज करते है और उन पापों को भी मिटा दिया है जिन्हें हम भविष्य में करनेवाले है। 
यहाँ तक कि महायाजक और उनके बेटों ने जैसे मिलापवाले तम्बू में दिखाया गया था, हर सुबह और शाम को होमबलि अर्पण करते थे। वे नियमित रूप से अपने बलिदान का अर्पण लेट थे, उसके सिर पर हाथ रखते थे, उसका लहू बहाते थे, और उसे परमेश्वर को अर्पण करते थे। यही कारण है कि मिलापवाले तम्बू में कोई कुर्सी नहीं थी। दूसरे शब्दों में, वे हर समय बलिदान अर्पण करते थे की उनके पास बैठने के लिए समय नहीं था। इसी तरह, हम ऐसे लोग थे जिन्होंने बिना रुके पाप किया था और उन पापों के लिए न्याय से बच नहीं सकते थे, लेकिन यीशु मसीह ने अपने बपतिस्मा और लहू बहाकर हमें हमारे सारे पापों से बहाया है। 
हमें यह मानते हुए अपने विश्वास की शुरुआत करनी चाहिए कि हम अपने पापों के लिए मरने वाले है। हमारे जैसे लोगों के लिए, यीशु इस पृथ्वी पर आए और बपतिस्मा लेकर हमारे सारे पापों को एक ही बार में हमेशा के लिए अपने ऊपर उठा लिए। अपने बपतिस्मा से हमारे पापों को उठाने के बाद, यीशु मसीह इन सारे पापों को लेकर क्रूस तक गया और खुद का जीवन देकर और लहू बहाकर इन पापों की कीमत चुकाई। और मरे हुओं में से उठकर, वह हमारा अनंतकाल का उद्धारकर्ता बन गया है।
रोमियों ६:२३ में कहा गया है, “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, लेकिन परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।” हम वास्तव में ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें अपने पापों के लिए मरना था, लेकिन यीशु मसीह ने हमें सम्पूर्ण रीति से बचा लिया है। दूसरे शब्दों में, बपतिस्मा लेकर, क्रूस पर मर कर, और मृतकों में से फिर से उठकर, हमारे प्रभु ने हमें पापों की माफ़ी और अनन्त जीवन दिया है। क्या आप इस पर विश्वास करते है? यहीं से विश्वास की शुरुआत होती है।
किसी भी तरह से, क्या आपको नहीं लगता है, "मैं यीशु का अनुसरण नहीं कर सकता क्योंकि मेरे अन्दर बहुत कमियाँ है?” क्या आप शायद ऐसा सोचते है कि आप बहुत निरर्थक और बहुत बेकार है, और फिर भी आप पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है, तो आपके लिए आगे बढ़ना बहुत कठिन है? यह ऐसा विश्वास है जो विनाश को टालता है।
आइए हम इब्रानियों १०:३६-३९ की ओर मुड़े: “क्योंकि तुम्हें धीरज धरना आवश्यक है, ताकि परमेश्‍वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ। “क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है, जब कि आनेवाला आएगा और देर न करेगा। पर मेरा धर्मी जन विश्‍वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।” पर हम हटनेवाले नहीं कि नाश हो जाएँ पर विश्‍वास करनेवाले हैं कि प्राणों को बचाएँ।” कहा गया है की हम ऐसे लोग है जो विनाश की ओर वापिस नहीं लौटेंगे। जो लोग इस सच्चाई पर विश्वास करते है, वे बहुत सताए जाते है, तिरस्कृत होते है और कई कठिनाइयों का सामना करते है। लेकिन स्वर्ग की विरासत, जो हमेशा के लिए नहीं घटती, हमारी प्रतीक्षा रही है। स्वर्ग की सभी चीजें हमारी प्रतीक्षा कर रही है।
इब्रानियों १०:३४-३५ कहता है, “क्योंकि तुम कैदियों के दु:ख में भी दु:खी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जानकर कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरनेवाली संपत्ति है। इसलिये अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।” यह सही है। आपके लिए और मेरे लिए जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है, स्वर्ग की स्थायी विरासत हमारा इंतजार कर रही है। परमेश्वर ने स्वर्ग की विरासत को उपहार के रूप में उनको दी है जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है। 
यही कारण है कि उन्होंने हमें अपने वायदे पर भरोसा करने के लिए कहा। यह जानते हुए कि हमें अपने विश्वास के लिए बहुत बड़ा पुरस्कार प्राप्त करना है, इसलिए हमें विनाश की ओर वापस नहीं लौटना चाहिए, लेकिन हमें अपने विश्वास को और भी अधिक दृढ़ करना चाहिए और संदेह नहीं करना चाहिए। हमारे पास ऐसा विश्वास होना चाहिए जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता हो जो वास्तविक सत्य है, अंत तक हमारी आत्मिक लड़ाई लड़नी है, आत्माओं को बचाना है और जीत प्राप्त करे।
हम संतों को निश्चित रूप से इस विश्वास का अधिकारी होना चाहिए जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता है। हमारे पास ऐसा विश्वास होना चाहिए, कि भले ही हम जब तक इस पृथ्वी पर है तब तक कमज़ोर होने की वजह से हर रोज पाप करे, लेकिन फिर भी प्रभु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर और क्रूस पर लहू बहाकर हमें सम्पूर्ण रीति से बचाया है। इस विश्वास के कारण हमारे पास आत्मविश्वास है और हम अन्त तक ईमानदारी से अपना जीवन जी सकते है। हमें विश्वास से परमेश्वर के सामने आना चाहिए, इस सच्चे सुसमाचार के साथ विश्वास की दौड़ को दौड़ना चाहिए, सुसमाचार का प्रसार करना चाहिए, और सुसमाचार की सेवा करते हुए अपना जीवन जीना है। इसी लिए बाइबल हमें बताती है, “क्योंकि तुम्हें धीरज धरना आवश्यक है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ” (इब्रानियों १०:३६)।
पर मेरा धर्मी जन विश्‍वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।” पर हम हटनेवाले नहीं कि नाश हो जाएँ पर विश्‍वास करनेवाले हैं कि प्राणों को बचाएँ” (इब्रानियों १०:३८-३९)। हम जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास के साथ जीवन जीते है, वे वो लोग है जो दूसरों को भी उनके पापों से बचा सकते है। यदि ऐसा है, विश्वास होने के बावजूद जो दूसरों को सभी पापों से बचा सकता है, तो हम कैसे विनाश की ओर वापिस जा सकते है? यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार की ओर नहीं देखते है, तो हमारा विश्वास घट जाएगा और हम पूरी तरह से मरने के लिए मौत के दलदल में गिरेंगे। पाप की माफ़ी प्राप्त करने के बाद, अब हमारा काम परमेश्वर की इच्छा का पालन करते हुए अपने विश्वास के साथ दौड़ ज़ारी रखना है, न कि अपनी कमजोरियों में गिरना, हम जहाँ है वहीं रहना और मर जाना।
हम लोग जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते है, वे उन लोगों में से नहीं है, जो विनाश की ओर वापस लौटते है। हम ऐसे लोग है, जिनके पास ऐसा विश्वास है जो अन्य लोगों की आत्माओं को भी बचा सकता है। जब हम ऐसे लोग है, तो फिर हम अपनी कमज़ोरियों की वजह से कैसे मर सकते है? हम ऐसा कभी नहीं कर सके। जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते है, वे कभी भी विनाश की ओर वापिस नहीं लौट सकते। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप और मैं कितने अपर्याप्त और कमजोर है, हम धर्मी लोग है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके जीवन जीते है। 
आपको और मुझे यह सोचना चाहिए कि हमारा विश्वास कहाँ से शुरू हुआ था, विनाश से मुड़ना चाहिए और विश्वास से जीवन जीना चाहिए। मौलिक रूप से, हम ऐसे व्यक्ति थे जो हमारे पापों के लिए मर सकते थे, लेकिन पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा, उस सुसमाचार के माध्यम से जिसके द्वारा हमारे प्रभु ने आपको और मुझे सारे पापों से बचाया है, हमने अपना अनन्त उद्धार प्राप्त किया है। 
दूसरे शब्दों में, क्योंकि हमने अपनी सभी कमजोरियों, अपर्याप्तताओं, अक्षमता और बुराई को पूरी तरह से १०० प्रतिशत स्वीकार करते हुए अपना विश्वास शुरू किया, जब हम पाप की माफ़ी प्राप्त करते है, पाप करते हुए इस पृथ्वी पर जीते है, इसलिए हम तब तक जित हांसिल नहीं कर सकते जब तक हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके और उसके बपतिस्मा पर विश्वास करके हमारे पापों को यीशु पर डाले। यही कारण है कि हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि हम उन लोगों में से नहीं है, जो विनाश की ओर लौटते है, और वास्तव में विश्वास से अपना जीवन जीते है।
कभी-कभी, अपने हालत और परिस्थितियों से बंधकर, हम विभिन्न परीक्षणों और कठिनाइयों में पड़ सकते है, और जैसे की हम कमजोर है, इसलिए हमारे विश्वास का जीवन भी गिर सकता है, और आगे बढ़ने में असमर्थ हो सकते है। लेकिन हम मरने वाले नहीं है। पतरस को यह सिखाने के लिए उसने उससे कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” यीशु ने पतरस के सारे पापों को मिटा दिया। जिस तरह प्रभु ने बपतिस्मा लेकर पतरस के द्वारा उसके जीवनभर किए हुए सारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया, क्रूस पर मरा, मृत्यु से जीवित हुआ, और इस तरह से उसे बचाया, वैसे प्रभु ने आपको और मुझे हमारे पापों और दोषों से बचाया है। 
जब तक उसने ऐसा नहीं किया, तब तक आपका और मेरा यीशु के साथ क्या लेना देना हो सकता है? यदि यह पानी और आत्मा के सुसमाचार के लिए नहीं था, तो फिर हम कैसे अपने सारे पापों से बच सकते थे और दूसरों को भी बचा सकते थे? यदि यह पानी और आत्मा के सुसमाचार के लिए नहीं होता तो हम ऐसा नहीं कर सकते थे। यह सच्चाई वही है जो यीशु पतरस को सिखाना चाहता था। 
आपने और मैंने इस शिक्षण को सुना और समझा है, लेकिन हम वास्तव में कैसे है? क्या हम अक्सर अपनी अपर्याप्तताओं के कारण आत्मा में उदास महसूस नहीं करते है? फिर क्या हम अपनी कमजोरियों के कारण गिरते है या नहीं? क्योंकि हम देखते है कि हम इतने अपर्याप्त और कमजोर है, इसलिए हम आसानी से आत्म-अवमानना में पड़ जाते है। आप खुद से भी बात कर सकते है, “मैं अंत तक यीशु का अनुसरण कैसे कर सकता हूँ? बेहतर होगा की मैं इस मोड़ पर उसका अनुसरण करना बंद करूँ! मुझे यकीन है कि प्रभु भी यही सोच रहे होंगे की मेरे लिए उनकी कलीसिया को छोड़ना ही बहेतर होगा।” यदि यह यीशु द्वारा प्राप्त बपतिस्मा के सुसमाचार के लिए नहीं होता, तो हम अनन्त विनाश में गिर सकते थे।
इस सच्चाई पर विश्वास करे कि, भले ही आपके और मेरे पास अपने पापों की वजह से मरने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था, फिर भी हमारे प्रभु ने पहले ही हमें हमारे पापों और निंदा से छूटकारा दिया है। यहां तक कि भले ही हमारी देह कमज़ोर है और हम पापों की माफ़ी पाने के बाद भी पाप करते है, फिर भी हमें यीशु नि जो बपतिस्मा प्राप्त किया था और अपना लहू बहाया था उसके द्वारा परिपूर्ण किए हुए उद्धार का स्वीकार करना चाहिए। 
आपको और मुझे अपने विश्वास को स्वीकार करना चाहिए, “मौलिक रूप से कहूँ तो, मैं अपने पापों के लिए मर सकता था। यह सही है। लेकिन क्या प्रभु मेरे लिए इस पृथ्वी पर नहीं आए और बपतिस्मा लेकर मेरे सारे पापों को नहीं उठाया? क्या यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा मेरे सारे पापों को खुद के ऊपर स्वीकार नहीं किया? और क्या वह क्रॉस पर नहीं मरा? क्या वह फिर से मरे हुओं में से नहीं उठा, और क्या वह अब जीवित नहीं है? चूंकि मेरे पाप यीशु मसीह पर डाल दिए गए थे, फिर चाहे मैं कितना भी अपर्याप्त क्यों न हो, और मेरी अपर्याप्तता प्रगट क्यों न हो, मैं अभी भी पापरहित हूँ। इसलिए मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जो विनाश की ओर जाते है और मर जाते है।” इस प्रकार इस तरह से विश्वास करते हुए, हमें अपनी कमजोरियों को अलग करना चाहिए।
भले ही हम कल फिर से अपर्याप्त होते है, लेकिन पानी और आत्मा के सुसमाचार में यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था उसके ऊपर विश्वास करके, हम हमेशा हमारी कमजोरी को दूर कर सकते है। अपने विश्वास के द्वारा, हमें आत्मिक मृत्यु को और श्राप को दूर करना चाहिए जो हमारी कमजोरियों के कारण आते है।
हमें इस सत्य पर जितनी बार हो सके उतनी बार विचार करना चाइए, और कहना चाहिए “प्रभु ने मुझे बचाया है। चूँकि मेरे सारे पाप प्रभु पर डाल दिए गए थे, तो क्या अभी भी मेरे अन्दर पाप है या नहीं? बेशक नहीं है!” इस प्रकार विश्वास करने से, हम अपनी कमजोरियों और पापों को एक तरफ कर सकते है, पानी और आत्मा के सुसमाचार की एक बार फिर से पुष्टि कर सकते है, और इस तथ्य को मान्य कर सकते है कि हम पूरी तरह से विश्वास से बच गए है। इस तरह हम रोज परमेश्वर की ओर दौड़ सकते है।
 
 

जब यीशु को बपतिस्मा दिया गया तब सारे पाप दूर हो गए

 
भाइयों और बहनों, यह वचन कितना महत्वपूर्ण था जो यीशु ने पतरस और उसके चेलों से कहा? उसने उनके पैरों को धोया ताकि उनकी मृत्यु के बाद भी वे पानी और आत्मा के सुसमाचार पर स्थिर रहें, खासकर जब वे अपनी कमजोरियों में गिरे। यदि यीशु ने पतरस और अन्य चेलों के पैर नहीं धोए होते, तो यीशु जब क्रूस पर मरा उसके बाद, तिन दिनों में मृत्यु से जीवित हुआ उसके बाद, और परमेश्वर के राज्य में उठा लिया गया उसके बाद चेलों के साथ क्या होता? जब उनके चेलों की कमजोरियाँ परागु होती तो वे कैसे उन्हें सुलझाते? यीशु ने जो बपतिस्मा प्राप्त किया था, उस विश्वास के द्वारा उन्हें उसे हल करना था, और यदि वे ऐसा विश्वास नहीं करते, तो उनके लिए अपनी कमजोरियों को हल करना मुश्किल हो जाता।
हमें विश्वास के साथ अपनी कमजोरियों और वास्तविक पापों की समस्या को हल करना चाहिए जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े जो यीशु की सेवकाई है उसमे प्रगट हुए सत्य को जनता हो और उस पर विश्वास करता हो। यदि यीशु ने अपने चेलों को उस बपतिस्मा की शक्ति के बारे में नहीं सिखाया होता उसने प्राप्त किया था, तो उनके चेलें भी निराश होते और आत्मिक रीति से मर जाते। उनके पास अपने पूरे जीवनभर सुसमाचार को समर्पित करने, दूसरों की आत्मा को बचाने के लिए अपना जीवन व्यतीत करने, और अंत में, यहां तक कि शहीद होने के लिए भी अपने जीवन को समर्पित करने की सामर्थ्य नहीं होती, और इसलिए वे अपने विश्वास का बचाव करने में विफल होते और निराश होते। 
लेकिन हमें सौंपी गई मौखिक परंपरा के अनुसार, यह कहा जाता है कि यीशु के सभी बारह चेलों ने सुसमाचार का प्रचार किया और वे सभी शहीद हो गए। यीशु के बारह चेलों में, जिस चेले का नाम सबसे अधिक संदिग्ध था, वह था थोमा। लेकिन यह थोमा भी भारत चला गया और वहां शहीद हो गया।
तो फिर यह विश्वास कहा था जिसने यीशु के सारे चेलों को शहीद होने के लिए सक्षम बनाया? यह विश्वास आत्मविश्वास से भरा हुआ था, कि यीशु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा उनके जीवन भर के सारे पापों को उठा लिया, और उनके सारे पाप यीशु पर डाल दिए गए इसलिए वे सम्पूर्ण शुध्ध हो गए, और वे सम्पूर्ण रीति से परमेश्वर की संतान बन गए और राज्य के वारिस बने - यह ठीक था क्योंकि उनका यह विश्वास था कि वे पानी और आत्मा के सुसमाचार को इस पृथ्वी पर फैला सकते है और जब परमेश्वर उन्हें बुलाए तो वे उनके पास जा सकते है। दूसरे शब्दों में, जब परमेश्वर की इच्छा हो तो हम सब भी इस तरह से शहीद हो सकते है।
जब पतरस ने महायाजक के आँगन में तिन बार यीशु का इनकार कर दिया, तब उसे ओर भी ज्यादा समझ में आया की जब यीशु ने कहा था की “यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं” उसका मतलब क्या था। यीशु के स्वर्ग जाने के बाद, पतरस और यीशु के अन्य चेलों को समझ में आया कि यीशु ने उनके पैरों को क्यों धोया था, और पानी और आत्मा के सुसमाचार को बड़े विश्वास के साथ प्रचार किया। 
आज के मसीही, यदि वे यीशु के बपतिस्मा में जो सत्य है उसे नहीं जानते है, तो उनके लिए अपने विश्वास के जीवन को जीना मुश्किल होगा और अंततः उस पर विश्वास करना छोड़ देंगे। यदि हम अपनी खुद की कमजोरियों से बंधे हुए है, तो हमारा विवेक इस समस्या को हल करने में असमर्थता से दूषित हो जाएगा, और हमारे भ्रष्ट विवेक के कारण, हम अब चर्च में नहीं आ पाएंगे। यह उसकी कलीसिया के प्रत्येक सदस्य के लिए सच है, यहाँ तक की हमारे बच्चों के लिए भी सच है। 
भाइयों और बहनों, यदि आप पाप से बंधे होते, तो क्या आप परमेश्वर की आराधना कर पाते? आज, जो लोग नया जन्म नहीं पाए है वे भी कलीसिया में जा रहे है, अपने पापों के लिए पश्चाताप की प्रार्थना करते है, और परमेश्वर की आराधना करते है, और वे यह इसलिए करते है क्योंकि वे यीशु पर केवल धर्म की रीति से विश्वास करते है।
लेकिन जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते है, यदि उन्हें लगता है कि उनकी आत्माएं उनकी कमजोरियों के कारण पाप करती है और उनके द्वारा बंधी हुई है, तो वे परमेश्वर के सामने नहीं आ सकते है और उसकी आराधना नहीं कर सकते है। इस तरह के समय में, हमें यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था उसके सामर्थ्य पर विश्वास करके हमारी आत्माओं को शुध्ध करना चाहिए, यह विश्वास करते हुए की यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को खुद पर उठा लिया। 
वे नामधारी मसीही जो पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई से अनभिज्ञ है, वे विश्वास के मार्ग को नहीं जानते है, इसलिए वे अपनी पश्चाताप की प्रार्थनाओं के द्वारा अपने पापों की माफ़ी पाने का प्रयास करते है। ठीक उनके समान जो संसार के धर्मों का आँख बंद करके अनुसरण करते है और अपने देवताओं को विनती करते है, और कहते है, “मैं भीख मांगता हूँ, कृपया मेरे पापों को क्षमा करे और मुझे और मेरे परिवार को आशीष दीजिए। मैं कुछ भी करुंगा; मैं तुझे और भी ज्यादा अर्पण दूँगा, मैं अच्छे कर्म करूंगा; कृपया मेरे पापों को क्षमा करे,” ऐसे नामधारी मसीही केवल अपने स्वयं के धर्म का पालन कर रहे है। 
यीशु ने पतरस से कहा, “जो मैं करता हूँ, तू उसे अभी नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा। यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” यदि यीशु के चेलों को इसके बाद भी इस वचन में छिपे हुए सत्य का एहसास नहीं होता, तो वे यीशु के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार में नया जन्म नहीं ले पाते और वे कार्य नहीं कर पाते जो दुसरे लोगों को भी पाप से बचाता है। यदि यीशु ने पतरस के पैरों को धोते समय उसने लिए हुए बपतिस्मा की सामर्थ्य के द्वारा पतरस के अन्दर विश्वास को नहीं बोया होता, तो पतरस कभी शहीद नहीं हो पाता और परमेश्वर की कलीसिया के अगुवे के रूप में अपना कार्य पूरा नहीं कर पाता।
यदि यह पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई के लिए नहीं होता, तो हम न तो परमेश्वर के सामने आ सकते थे और पाप के कारण न ही उसकी आराधना कर सकते थे, क्योंकि हम पाप करना जरी रखते। जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास के कारण पापों की माफ़ी पाई है वे परमेश्वर की कलीसिया में आ सकते है। और वे जहां भी है, विश्वास से अपने पापों को धोने में सक्षम है। जिस तरह प्रभु ने कहा था कि जिसका पूरा शरीर साफ़ है उन्हें केवल अपने पैर धोने की आवश्यकता है, जब भी हम अपनी कमजोरियों की वजह से पाप करते है, तब हमें याद रखना चाहिए और विश्वास करना चाहिए की जब यीशु ने बपतिस्मा लिया तब हमारे ऐसे पाप भी उसके ऊपर डाल दिए गए थे।
जब यीशु का बपतिस्मा (मत्ती ३:१५) हुआ तब हमारे सारे पाप उसके ऊपर डाले गए थे। यदि हमारे दिल में जो पाप है वे यीशु पर डाल दिए गए थे, तो फिर क्या हमारे अन्दर पाप है या नहीं? हमारे अन्दर कोई पाप नहीं है। क्योंकि यीशु के बपतिस्मा के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पाप उसके ऊपर डाल दिए गए थे इसलिए हम शुध्ध हो गए है क्योंकि हमारे पापों को मिटा दिया गया है, और क्योंकि हम शुध्ध है इसलिए हम चाहे कितने भी कमज़ोर क्यों न हो, फिर भी हम परमेश्वर के सामने याजक है। यही कारण है कि जो लोग पानी और आत्मा की सच्चाई के सुसमाचार पर विश्वास करते है वे तेजी से अपनी कमजोरी से बाहर आ सकते है और विश्वास से परमेश्वर के पास जा सकते है, विश्वास से अपने काम कर सकते है, उस उद्धार के लिए धन्यवाद कर सकते है जो उसने उन्हें दिया है, उसकी स्तुति कर सकते है, और दूसरों को भी पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार कर सकते है।
“जो मैं करता हूँ, तू उसे अभी नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा।" जब आपने पहली बार पापों की माफ़ी पाई थी तब क्या आप इस सत्य को जानते थे? शायद आप नहीं जानते थे। हालाँकि, हम सब ने इस शिक्षण को सुना है और इसे जानते है। यद्यपि आप और मैं रोज पाप करते है और हमारी अपर्याप्तताएं सामने आती है, ठीक उसी तरह जैसे यीशु ने पतरस के पैर धोए थे, उसने हमारे पैरों को भी हर रोज धोया है। 
शुरुआत में, हमें खुशी हुई जब हमने पहली बार यह विश्वास किया कि जो पाप हमारे हृदय में बहुत पहले से थे और जो पाप हमने अभी अभी किए है वे सारे यीशु पर डाल दिए गए थे, लेकिन हमने देखा है की पाप की माफ़ी मिलाने के बाद भी कैसे हमारी कमजोरियाँ प्रगट हुई और कैसे हम अपनी कमजोरियों के कारण बंधे हुए थे। ऐसे समय में, यह जानना और विश्वास करना है कि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा ऐसे पापों को भी उठाया था और हम वास्तव में भविष्य में करनेवाले पापों को भी उसके ऊपर डाल सकते है।
क्या इस वजह से धर्मी स्वतंत्र रूप से पाप करते है? वे ऐसा कभी नहीं करते। रोमियों १:१७ कहता है, “विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।” कुछ लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार के विरुध्ध में खड़े है, और बेतुकी रीति से कहते है, “हम क्यों बुराई न करे की भलाई निकले” (रोमियों ३:८)। क्या नया जन्म पाया हुआ व्यक्ति पापों की माफ़ी पाने के बाद ज्यादा स्वतंत्रता से पाप कर सकता है? बिलकुल नहीं! 
भाइयों और बहनों जब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा सोचत है तब हम पाप करते है या नहीं? बिलकुल नहीं करते! इसके अलावा, यदि हमारे पास अपर्याप्तता हो, तो क्या हम विश्वास से अपूर्ण या सम्पूर्ण है? हम सम्पूर्ण है। जब यीशु ने हमें कहा की हमारा पूरा शरीर शुध्ध है, तब उसके कहने का मतलब था की उसके बपतिस्मा, लहू और पुनरुत्थान के द्वारा उसने हमें सम्पूर्ण शुध्ध किया है।
हम भी, यीशु पर विश्वास करने के बाद पानी और आत्मा के सुसमाचार के सामर्थ्य को जान पाए है। हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार की इस सामर्थ्य को हमारे है दिन के जीवन में लागू करना चाहिए। जैसा कि हम इस विश्वास को रोज़ाना लागू करते है, तो शायद हम बाद में इससे थक जाते है, यह सोचते है कि हमें ऐसा कब तक करना पडेगा। लेकिन, इस समय, हमें एक बार फिर कहाँ लौटना चाहिए? हमें यह विश्वास करके प्रभु के पास लौटना चाहिए कि यद्यपि हम मूल रूप से केवल अपने पापों के लिए मर सकते है, प्रभु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को अपने ऊपर उठाया, क्रूस पर मरा, और मृत्यु से फिर जीवित हुआ।
याद रखें कि याजकों को हर रोज मिलापवाले तम्बू के आँगन में होमबलि अर्पण करना पड़ता था और जब भी वे वहाँ से गुजरते तब उन्हें हौदी में अपने पैर और हाथों को साफ़ करना पड़ता था। उनकी तरह, हमें प्रभु के पहले प्रेम के बारे में सोचना चाहिए और अपने विश्वास के साथ उस पर चिंतन करना चाहिए। हम मौलिक रूप से मर सकते थे, लेकिन प्रभु ने हमारे पापों को ले लिया और उन्हें धो दिया, और क्रूस पर हमारे पापों के लिए दोषों को सहन करके, उसने पापों के दोषों का अन्त किया। इस तरह, प्रभु के बपतिस्मा और लहू के साथ, उसने हमें हमारे सारे पापों और दोषों से पूरी तरह से बचा लिया है। 
हर दिन, हमें अपने दिलों में इस प्यार को खोदना चाहिए, जिसने हमें पूरी तरह से बचा लिया है, जो केवल मरने वाले थे, और विश्वास से परमेश्वर के सामने आते है। हमारे पास मरने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन प्रभु के कारण, हम पूरी तरह से बच गए है और सम्पूर्ण रीति से परमेश्वर की धर्मी संतान बन गए है। जब प्रभु ने हमें ऐसा विश्वास दिया है, तो क्या हमें हमेशा ऐसा विश्वास नहीं करना चाहिए?
हम वे यात्री है जो कुछ समय के लिए इस पृथ्वी पर रहते है और फिर चले जाते है। `यात्री` शब्द का मतलब है मुसाफिर। मुसाफिर का मतलब है वे लोग जो एक जगह से दूसरी जगह जाते है। हम वे यात्री है जो थोड़ी देर के लिए एक जगह पर रुकते है और फिर जब हम अपना मिशन पूरा कर लेते है तो दूसरी जगह के लिए निकल जाते है। हम ऐसे यात्री है जो केवल कुछ समय के लिए इस दुनिया में रहने के बाद स्वर्ग के राज्य में लौट रहे है। जब हम यात्रियों के रूप में इस धरती से गुजरने और स्वर्ग के राज्य में जाने के लिए अपना जीवन जीते है, तब ऐसा समय भी आता है जब हम हार जाते है और जमीं पर गिर पड़ते है। ऐसे समय होंगे जब आप भी, दैहिक और आत्मिक दोनों तरह से थक कर बैठना चाहेंगे। इस तरह के समय आ सकते है क्योंकि जब आप खुद सम्पूर्ण होते है, तो आपकी परिस्थितियां इतनी अनुकूल नहीं होती है, या जब आपकी परिस्थितियां ठीक होती है, तो आपके देह के बुरे विचार बढ़ते रहते है। 
हमारे लिए जो इस तरह के है, हमारे परमेश्वर ने वह वचन दिया है जो हमारे लिए बहुत आवश्यक है। “तू उसे अभी नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा।" हाँ, अब हम जानते है। जब हम यात्रियों के रूप में अपना जीवन जीते है, तब जब भी हमारी कई अपर्याप्तताएं सामने आती है, और जब भी हम अपनी कमजोरियों से बंधे होते है और अपनी परिस्थितियों में फंसते है, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि हमने यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू पर विश्वास करके पाप की माफ़ी को पूरी तरह से प्राप्त कर लिया है। इन चीजों को भी देखा, और क्रॉस के खून में। पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके, हमने पाप की माफ़ी को पूरी तरह से प्राप्त किया है।
जब हम मिलापवाले तम्बू को देखते है, तो हमें पता चलता है कि यह कितना विस्तृत है। जैसे ही होमबलि की वेदी में भी प्रकट हुआ है, पाप की मजदूरी मृत्यु है। क्योंकि हम हर रोज पाप करते है, इसलिए हमें हमारे इन पापों की वजह से हर रोज मृत्यु मिलनी चाहिए। होमबलि की वेदी में यह सच्चाई प्रकट होती है कि यीशु मसीह बलि के मेमने के रूप में आया था, उसने अपने ऊपर हाथों को रखवाया और हमारी जगह वह मर गया। होमबलि की वेदी को पार करते हुए, पीतल की हौदी दिखती है, जहाँ हम हमारे हरदिन के पापों को शुध्ध करने के लिए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर चिंतन कर सकते है। पानी और आत्मा का यह सुसमाचार पूर्ण सत्य है जिसने हमें हमारे मूल और वास्तविक पापों से बचाया है।
हमारे प्रभु यीशु मसीह में हमारे परमेश्वर का उपहार क्या है? क्या यह पाप की माफ़ी और अनन्त जीवन नहीं है? प्रभु ने हमें सम्पूर्ण रीती से बचाया है। उसने हमें पूरी तरह से बचा लिया है, हमें जो किसी भी समय हमारे पापों के लिए मर सकते थे। हम अपने पूरे जीवनकाल में जो भी पाप करते है, वे पानी और लहू में हमारे विश्वास से शुध्ध हो गए है, और इस वचन से, प्रभु ने हमारे पैरों को भी धोया है। क्योंकि प्रभु ने अपना बपतिस्मा लिया तब हमारे सारे पापों को उठा लिया था और हमारे पूरे जीवन में हम जो भी पाप करते है उन्हें भी उसके ऊपर डाल दिया गया था, यीशु मसीह, हमारे पापों को उठाकर, क्रूस पर उनके कारण उस पर दोष लगा और वह मर गया, मृत्यु से जीवित हुआ, और इस तरह हमारा सम्पूर्ण उद्धारकर्ता बना। जब हम इस यीशु मसीह पर पूर्ण विश्वास करते है तब हम सम्पूर्ण हो जाते है। और यद्यपि हमारी देह अपर्याप्त हो सकती है, लेकिन हमारे पास पूर्ण विश्वास है, इसलिए हम आत्मिक रूप से आशीषित जीवन जिएंगे और परमेश्वर के अनन्त राज्य में प्रवेश करेंगे।
 
 
क्या आप अब पतरस जैसे नहीं है?
 
जैसे यीशु ने पतरस के पैर धोए थे, क्या उसने आपके भी पैर नहीं धोए है? यह सही है कि यीशु ने हमारे पैरों को भी रोज धोया है। यही कारण है कि यीशु ने बपतिस्मा लेकर हमारे सारे पापों को ले लिया और इन पापों के लिए, वह हमारे स्थान पर क्रूस पर मर गया। और वह तीन दिनों में फिर से मरे हुओं में से जी उठा। इस तरह, उसके बपतिस्मा, क्रूस परा के लहू और उसके पुमरुत्थान के द्वारा यीशु हमारा सम्पूर्ण उद्धारकर्ता बन गया है। हम इस यीशु मसीह पर पूर्ण विश्वास करते है।
यह विश्वास के द्वारा है कि हम सम्पूर्ण रीती से परमेश्वर की आराधना करते है, और यह विश्वास के द्वारा है कि हम सम्पूर्ण रीति से उसका काम करते है। हमारे कार्य सही नहीं हो सकते। यह हमारा विश्वास है जो हमें परिपूर्ण बनाता है। यही कारण है कि हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके यीशु के चेलों के रूप में रहना चाहिए। हम वे लोग नहीं है जो विनाश की ओर वापस लौटते है। यद्यपि हम अपर्याप्त हो सकते है, लेकिन हम विश्वास से चल सकते है, और हमें वास्तव में विश्वास से और भी अधिक चलना चाहिए। “विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।” “पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो।” इस तथ्य को देखते हुए कि हम विश्वास से धर्मी हो गए है, और इस तरह हम वे लोग बन गए है जो दूसरे लोगों की आत्मा को बचाते है, यदि हम खुद को दूसरों को बचाने के परमेश्वर द्वारा दिए गए मिशन के लिए समर्पित नहीं करते है, तो हम निराशा के दलदल में पड़ जाएंगे और समाप्त हो जाएंगे और हमारे पापों में मर जाएंगे।
पापरहित व्यक्ति धर्मी कार्यों को करते हुए आनन्दित होते है। वे परमेश्वर के सुसमाचार को फैलाने के लिए आनन्दित है जो अन्य आत्माओं को बचाता है। लेकिन पापी व्यक्ति जो सही है उसे करने के लिए पापी नहीं होते है। जिन लोगों को पाप की माफ़ी पाई है, उनके लिए जो सही है वही करना उनकी आत्मिक रोटी है। पूरे विश्व में सुसमाचार का प्रसार करना सही काम है जो अन्य आत्माओं को बचाता है, लेकिन साथ ही, यह हमारे जीवन की रोटी भी है। जो सही है उसे करने से, हमारे दिल आत्मा से भर जाते है, और हमारे अन्दर नई सामर्थ्य आती है। जैसे-जैसे हमारी आत्माएँ बढ़ती है और परिपक्व होती है, तब हम बहादुर बनते है। इसलिए अब्राहम की तरह जीवन जीने के लिए, परमेश्वर के द्वारा आशीषित होने के लिए और इन आशीषों को दूसरों के साथ बाँटने के लिए, हमें धार्मिकता से प्रेम करना चाहिए, जो सही है उसे प्रेम करना चाहिए, और सुसमाचार का प्रसार करना चाहिए। यदि हम उसके धर्मी मिशन को करना बंद करेंगे तो निश्चित रूप से हम धर्मी आत्मिक रूप से मर जाएंगे। इसी लिए यीशु ने कहा, “धन्य है वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे है, क्योंकि वे तृप्त किए जाएंगे” (मत्ती ५:६)।
यीशु ने यह भी कहा, “धन्य है वे, जिनके मन शुध्ध है, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे” (मत्ती ५:८)। जिन लोगों ने पाप की माफ़ी प्राप्त की है और विश्वास करते है की प्रभु ने हमारे सारे पापों को सम्पूर्ण रीति से साफ़ किया है वे परमेश्वर को देखेंगे। और वे परमेश्वर पर विश्वास करेंगे, उसका अनुसरण करेंगे, और पूरी दुनिया में स्वर्गीय आशीषों को फैलाएंगे।
हम विश्वास से परिपूर्ण हुए है। हम अपने पापों के लिए मरने वाले थे, लेकिन प्रभु इस पृथ्वी पर आए, बपतिस्मा लिया, और हमारी जगह खुद क्रूस पर मरे, और इस तरह हमें सम्पूर्ण रीति से बचाया। यह सच्चाई है, और स्वर्ग के राज्य का मार्ग भी है। इसे समझना विश्वास के मार्ग को समझना है। इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है। हम अपने अच्छे कामों से स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकते। केवल प्रभु ने हमारे किए जो किया है उसे समझकर और विश्वास करके हम स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है।
यदि हम लोगों को दो प्रकारों में विभाजित करना हो, तो ऐसे लोग है जो सही करते है, और दुसरे ऐसे लोग है जो बुरा करते है। जो लोग बुराई करते है वे ऐसे लोग नहीं है जिन्होंने ठीक रीति से पाप की माफ़ी पाई है। प्रभु ने हमारे लिए जो किया है, उस पर विश्वास करके हम धार्मिकता के पात्र बन गए है, लेकिन जिन लोगों ने पाप की माफ़ी नहीं पाई है, वे अपनी इच्छा की परवाह किए बिना अभी भी शैतान के पात्र बने हुए है। 
वर्त्तमान समय में, मैं आपको विश्वास के साथ कहता हूँ की परमेश्वर ने हमें अपना सम्पूर्ण उद्धार, सम्पूर्ण विश्वास, और पापों की सम्पूर्ण माफ़ी दी है। क्या सुसमाचार विश्वास करने के बावजूद भी आपके कर्म अपर्याप्त है, और क्या इस बात को लेकर किसी भी तरह से आपके हृदय निराश है? ऐसा करने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीते है। क्या वह प्रभु नहीं है, जो संभवतः हमारी अपर्याप्तता और कमजोरियों से अनभिज्ञ नहीं हो सकता है, जिसने पहले से ही इन सभी चीजों को अपने बपतिस्मे के साथ ले लिया है?
मैं आपको एक दैनिक उदाहरण देता हूँ कि हम कितने अपर्याप्त है। हम कभी-कभी एक साथ फुटबॉल खेलते है। जब मेरी टीम मुश्किल में थी, तब गेंद हमारे गोलपोस्ट की ओर ऊपर से नीचे आ रही थी, मैंने अक्सर इसे मेरे हाथों से धकेल देता था या पकड़ लेता था। क्या मैं गोलकीपर था? बिलकूल नही। मैं सिर्फ जीतना चाहता था। ऐसी स्थिति पर, हम सब, सेवक, संत, और परमेश्वर के कार्यकर्ता जीतने की कोशिश करने के लिए हर संभव प्रयास करते है। आप आसान होने के बारे में भूल सकते है; जीतने के लिए, हम सब नियम विरुध्ध खेलते है। यह खेल इतना भयंकर रूप से खेला गया है कि हर कोई सिर्फ जीतने के लिए हर संभव कोशिश करता है, इतना ही नहीं ऐसा कोई अन्य खेल नहीं है जो फुटबॉल के मुकाबले मानव व्यवहार के नग्न, आवश्यक आत्म-चित्रण को उजागर करता हो। यदि हमारी टीम मुश्किल में है, तो हम नियम विरुध्ध जाने में, चालें चलाने और अपने तरीकों पर जोर देने में संकोच नहीं करते। 
ये सभी चीजें हमारे लिए स्वीकार्य है, लेकिन अगर दूसरी टीम हमारे साथ गलत करती है, तो हम नियम विरुध्ध जाने की वजह से उन पर चिल्लाते है और रेफरी को एक पीला कार्ड जारी करने की मांग करते है, लेकिन यहां तक कि रेफरी के सत्तारूढ़ से भी कोई प्रभाव होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। हम वास्तव में ऐसे है। हम हमेशा वही चाहते है जो हमारे लिए, हमारी टीम के लिए और खुद के लिए फायदेमंद है, और हम केवल वही चाहते है जो हमें फायदा पहुंचाता है। फिर भी परमेश्वर ने हम जैसे लोगों को बचाया है। यद्यपि हम अभी भी दोषहीनता से भरे हुए है और अधर्म से भरे हुए है, जहाँ तक हमारे विश्वास का सवाल है, हम वही है जो बिना दोष के नया जन्म पाए हुए है। 
प्रभु ने हमें हमारे सारे पापों से पूरी तरह से बचा लिया है। यही कारण है कि हम प्रभु को उद्धार का परमेश्वर कहते है, और उद्धार के परमेश्वर को प्रभु कहते है। पतरस ने कबूल किया, “तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है” (मत्ती १६:१६)। और प्रभु ने उसके विश्वास को परमेश्वर की ओर से मिले विश्वास के रूप में मंजूरी दी। यहाँ मसीह शब्द का मतलब है वह जिसने हमारे पापों को खुद के शरीर पर ले लिया और उन्हें मिटा दिया। यीशु मसीह जीवित परमेश्वर का पुत्र है। परमेश्वर के पुत्र और हमारे उद्धारकर्ता के रूप में, उसने हमें पूरी तरह से बचाया है। इसलिए, भाल ही आप सुसमाचार की सेवा के लिए अपर्याप्त और कमज़ोर महसूस करे फिर भी अपने दिल में निर्भीक रहें।
आपकी आत्मा, हृदय और शरीर को पीछे मुड़ना और झुकना नहीं चाहिए; इसके बजे विश्वास से उसे सामर्थी बनाए और निडर बनी, धार्मिकता के महान व्यक्ति बनी जो दूर दूर तक परमेश्वर के द्वारा दिया गया विश्वास फैलाते है। मेरी ओर देखे। मेरी देह में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन क्या मैं दुनिया भर में सुसमाचार नहीं फैला रहा हूं? क्या आप भी ऐसे नहीं है? ऐसा मत सोचो कि जो बिना कमियों के दिखते है उनके अन्दर कोई कमियाँ नहीं होती। पापी केवल पाखंडी होते है। पाखंडी भी आपके समान ही एक इंसान है, तो कैसे उनकी देह अच्छी, प्रतिष्ठित, और शुध्ध हो सकती है? जो चीज हमेशा अपर्याप्त होती है वह है मनुष्य की देह। आपको यह महसूस करना चाहिए कि जो लोग अपने गुणों को दिखा रहे है, विशेष रूप से मसीही समुदायों में, वे केवल अपने पाखंडी और धोखेबाज स्वभाव को दिखा रहे है। 
हमारे परमेश्वर ने हमें सम्पूर्ण रीति से बचाया है। इसलिए, हम परमेश्वर के इस पूर्ण धार्मिकता के द्वारा सशक्त किए गए हमारे विश्वास से पानी और आत्मा के सुसमाचार की सेवा कर सकते है। हमें विश्वास के द्वारा उद्धार पाने के लिए सक्षम बनाने के लिए हम परमेश्वर का धन्यवाद करते है, उद्धार के सत्य के द्वारा जिसकी योजना उसने जगत की सृष्टि से पहले बनाई थी। जब यीशु ने बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपना लहू बहाया तब आपके सारे पाप पहले ही धुल चुके थे। मुझे उम्मीद है कि आप सब इस सच्चाई पर विश्वास करेंगे।