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ስብከቶች፤

विषय ३ : पानी और आत्मा का सुसमाचार

[3-1] अनन्त छूटकारा (युहन्ना ८:१-१२)

अनन्त छूटकारा
(युहन्ना ८:१-१२)
परन्तु यीशु जैतून के पहाड़ पर गया। भोर को वह फिर मन्दिर में आया; सब लोग उसके पास आए और वह बैठकर उन्हें उपदेश देने लगा। तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उसको बीच में खड़ा करके यीशु से कहा, “हे गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते पकड़ी गई है। व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्त्रियों पर पथराव करें। अत: तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?” उन्होंने उसको परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएँ। परन्तु यीशु झुककर उँगली से भूमि पर लिखने लगा। जब वे उससे पूछते ही रहे, तो उसने सीधे होकर उनसे कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।” और फिर झुककर भूमि पर उँगली से लिखने लगा। परन्तु वे यह सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक, एक एक करके निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई। यीशु ने सीधे होकर उससे कहा, “हे नारी, वे कहाँ गए? क्या किसी ने तुझ पर दण्ड की आज्ञा न दी?” उसने कहा, “हे प्रभु, किसी ने नहीं।” यीशु ने कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।”] यीशु ने फिर लोगों से कहा, “जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।” 
 
 
यीशु ने कितनें पाप दूर किए?
जगत के सारे पाप

यीशु ने हमें अनन्त छूटकारा दिया है। यदि कोई यीशु पे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करे, तो संसार में ऐसा कोई भी नहीं है जो छूटकारा न पा सके। उसने हम सभी को छूडाया है। यदि कोई पापी है जो अपने पापों से पीड़ित है, तो यह यीशु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा उसके सारे पापो से कैसे छूडाया है उसकी गलतफहमी के कारण है। 
हम सभी को उद्धार के रहस्य में विश्वास करना चाहिए। यीशु ने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पाप ले लिए है और क्रूस पर मृत्यु के द्वारा हमारे पापो का न्याय ले लिया है। 
आपको पानी और आत्मा के सुसमाचार पे विश्वास करना चाहिए; सारे पापो से अनन्त छूटकारा। आपको उसके महान प्रेम पे विश्वास करना चाहिए जिसने आप को धर्मी बनाया है। यरदन में और क्रूस पर उसने आप के उद्धार के लिए जो किया उस पर विश्वास कीजिए। 
यीशु हमारे सारे छिपे पापो के बारे में जानता है। कई लोगो को पाप के विषय में गलतफहमी होती है। वो सोचते है की कुछ पापो का छूटकारा नहीं मिलता है। यीशु ने सारे पाप से छूटकारा दिया है। 
इस संसार में ऐसा एक भी पाप नहीं है जिसका मूल्य उसने ना चूकाया हो। क्योंकि उसने संसार के सारे पापो को दूर किया है, इसलिए सत्य यही है की अब कोई पाप नहीं है। क्या आप को समझ में आया की सुसमाचार ने आपको सारे पापो से छूटकारा दिया है, आपके भविष्य के पाप भी? उसमें विश्वास करे और उद्धार पाए, और सारी महिमा परमेश्वर को दो। 
 
 
एक स्त्री जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी
 
दुनिया में कितने लोग व्यभिचार करते है?
सभी लोग

युहन्ना ८ में, एक स्त्री की कहानी है जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी। और हमने देखा की किस प्रकार यीशु उसे बचाते है। उसने जो अनुग्रह प्राप्त किया वो हम बाँटना चाहते है। ऐसा कहना ज्यादा नहीं होगा की हर एक मनुष्य अपने जीवन में किसी ना किसी स्तर पर व्यभिचार करता है। सारे व्यक्ति व्यभिचार करते है। 
यदि आप सोचते है की ऐसा नहीं है, वो केवल इसलिए की हम बार बार उसे करते है इसलिए ऐसा लगता है की हम नहीं करते। क्यों? हम अपने जीवन में कई सारे व्यभिचार के साथ जी रहे है। 
युहन्ना ८ में जो स्त्री है उस पर नज़र डालूं तो, हमारे बिच में जिसने व्यभिचार न किया हो ऐसा कोई व्यक्ति है की नहीं उसके बारे में सोचता हूँ। ऐसा कोई नहीं जिसने व्यभिचार न किया हो, वह स्त्री जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी ठीक वैसे ही। हम सब ने वो पाप किया है, लेकिन हम ऐसा ढोंग करते है की हमने नहीं किया। 
क्या आप ऐसा सोच रहे है की मैं गलत हूँ? नहीं, मैं नहीं हूँ। अपने अन्दर झांकिए। गली में महिला की ओर देखते हुए, उनके विचारो और कार्यो में, किसी भी समय, किसी भी जगह वो व्यभिचार करते है। 
उनको एहसास नहीं होता की वो ये कर रहे है। कई लोग ऐसे है जिनको मरते दम तक पता नहीं चलता की उन्होंने अपने जीवन में अनगिनत व्यभिचार किए है। केवल जो पकड़ें गए है वो ही नहीं, लेकिन हम सब लोग भी जो पकड़ें नहीं गए। सारे लोग अपने विचारो में और कार्यो में यह करते है। क्या यह हमारे जीवन का हिस्सा नहीं है? 
क्या आप उदास है? यही सत्य है। हम केवल इस के बारे में सावधान है क्यों की हम शर्मिंदा है। सत्य यह है की इन दिनों में लोग हर समय व्यभिचार करते है, लेकिन ये महसूस नहीं करते की वो ये कर रहे है। 
लोग अपनी आत्मा में भी व्यभिचार करते है। हम, जो परमेश्वर के द्वारा बनाए गए है, इस पृथ्वी पर इस बात को समझे बिना जी रहे है की हम आत्मिक व्यभिचार भी करते है। दूसरे इश्वरो की आराधना करना आत्मिक व्यभिचार करने जैसा है क्योंकि परमेश्वर ही केवल पूरी मनुष्यजाति का एकमात्र पति है। 
व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री हम सभी के जैसी एक मनुष्य थी, और जैसे हमनें छूटकारा पाया है वैसे ही उसने परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्त किया। लेकिन पाखंडी फरीसियों ने उसको बीच में खड़ा किया और न्यायाधीश की तरह उस पर ऊँगली उठाई, वे उस पर पथराव करने की तैयारी में थे। वे उसे धमकाने और उसका न्याय करने की तयारी में थे जैसे की वे खुद पवित्र हो, और कभी भी व्यभिचार ना किया हो। 
साथी मसीहियों, जो लोग अपने आप को पाप का ढेर समझता है वो कभी भी किसी का न्याय नहीं करता। उसके बदले, वह जानते है की उन्होंने भी जीवनभर व्यभिचार किया है, और वे परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्त करते है जिसके द्वारा हमारा छूटकारा हुआ है। केवल वही जो इस बात को समझते है की वे पापी है जिन्होंने व्यभिचार किया है वो परमेश्वर के सन्मुख में छूटकारा पाने के लायक है। 
 
 

परमेश्वर का अनुग्रह कौन प्राप्त करता है?

 
परमेश्वर का अनुग्रह कौन प्राप्त करता है?
अयोग्य लोग

जो व्यभिचार किए बिना शुध्ध जीवन जीते है वह उसका अनुग्रह प्राप्त करता है, या फिर जो अयोग्य मनुष्य इस बात का स्वीकार करता है की वह बड़ा पापी है वो परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्त करता है? जो अनुग्रह प्राप्त करता है वो वही है जो उसके छुटकारे का प्रचुर अनुग्रह प्राप्त करता है। जो लोग खुद की मदद नहीं कर सकते, जो कमज़ोर और निसहाय है। वही छूटकारा पाते है। वे वही लोग है जो उनके अनुग्रह में है।
जो लोग सोचते है की वे बीना पाप के है वह छूटकारा नहीं पा सकते। यदि छूटकारा पाने जैसा कुछ है ही नहीं तो फिर वे छूटकारा कैसे पा सकत है? 
शास्त्री और फरीसी व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री को यीशु के सामने लेकर आते है और बीच में खड़ा करके यीशु से पूछते है, “हे गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते पकड़ी गई है। व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्त्रियों पर पथराव करें। अत: तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?” क्यों वे स्त्री को यीशु के सामने लाए और उसको परखा? 
उन्होनें भी कई बार व्यभिचार किया था, लेकिन वे यीशु के द्वारा उसका न्याय करना चाहते थे और उसे मार डालना चाहते थे जिससें यीशु पर दोष लगाया जा सके। 
यीशु जानते थे की वे लोग क्या सोच रहे है और स्त्री के विषय में भी सबकुछ जानते थे। इसलिए उसने कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।”  उसके बाद वे यह सुनकर शास्त्री और फरीसी, बड़ों से लेकर छोटों तक, एक एक करके निकल गए, और यीशु और स्त्री को छोड़कर चले गए। 
जो बच गए वो शास्त्री और फरीसी थे, धार्मिक अगुए। जैसे की वे पापी नहीं थे उस रीति से, वह व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री का न्याय करने की तैयारी में थे। 
यीशु ने इस जगत में अपने प्रेम की घोषणा की है। वह प्रेम का मेज़बान था। यीशु ने लोगो को भोजन दिया, मरे हुओ को जिलाया, विधवा के बेटें को जिलाया, बैतनिय्याह के लाज़र को जिलाया, कोढ़ियो को चंगा किया, और गरीबो के लिए चमत्कार किए। उसने पापियों के सारे पाप ले लिए और उनका उद्धार किया। 
यीशु हमें प्यार करता है। वह सर्वशक्तिमान है जो कुछ भी कर सकता है, लेकिन शास्त्री और फारोसियों ने सोचा की वो उसका दुश्मन है। इसीलिए वे स्त्री को उसके सामने लेकर आए और उसको परखा। 
उन्होंने पूछा, “हे गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते पकड़ी गई है। व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्त्रियों पर पथराव करें। अत: तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?” उन्होंने सोचा कि वह उस स्त्री को पत्थर मारने के लिए कहेगा। क्यों? यदि परमेश्वर की व्यवस्था में लिखा है उस रीति से हमारा न्याय किया जाए, तो जिन्होंने व्यभिचार किया है उनको पथराव करके मार डालना चाहिए। 
सभी को पत्थर से मार डालना चाहिए और सभी नरक में जाने के लिए नियोजित है। पाप की मजदूरी तो मृत्यु है। उसके बावजूद, यीशु ने उनको पत्थर न मारने के लिए कहा। उसने कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।”  
 
क्यों परमेश्वर ने हमें व्यवस्था की ६१३ धारा दी है?
हमें एहसास कराने के लिए की हम पापी है

व्यवस्था क्रोध लाती है। परमेश्वर पवित्र है इसलिए उसकी व्यवस्था भी पवित्र है। यह पवित्र व्यवस्था ६१३ धाराओं में हमारे पास आई। परमेश्वर ने हमें व्यवस्था की ६१३ धाराए दी है क्योंकि यह हमें एहसास कराती है की हम पापी है; हम अधूरे है। वह हमें सिखाती है की हमें छूटकारा पाने के लिए परमेश्वर के अनुग्रह की इच्छा रखनी चाहिए। यदि हम ये नहीं जानते और केवल व्यवस्था में जो लिखा है उस पर ही विचार करते है, तो हमें व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री की तरह पत्थर से मार डालना चाहिए था। 
शास्त्री और फरीसी जो उसकी व्यवस्था के सत्य को नहीं जानते थे उन्होंने शायद सोचा होगा की वे स्त्री पर पत्थर फेंक सकते है, शायद हमारे ऊपर भी। लेकिन, ऐसे ही पापी काम के लिए असहाय स्त्री पर पत्थर फेंक ने की हिंमत कौन कर सकता है? यदि वो व्यभिचार में पकड़ी गई है फिर भी, इस जगत की कोई भी व्यक्ति उस पर पत्थर नहीं फेंकेगी। 
यदि स्त्री और हम सभी का न्याय व्यवस्था के मुताबिक़ किया जाए, तो हम, साथ में स्त्री भी भयानक न्याय को पाएंगे। लेकिन यीशु ने हमें जो पापी है उनको हमारे पाप से और हमारे न्याय से बचा लिया। यदि परमेश्वर की व्यवस्था हमारे सारे पापो पे लागू की जाए, तो हममें से कौन जीवित रह पाएगा? हम में से प्रत्येक का अन्त नरक में होगा। 
लेकिन शास्त्री और फरीसी जिस तरह से व्यवस्था में लिखा गया था उसी रीति से जानते थे। यदि उसकी व्यवस्था को सच्ची रीति से लागू की जाए, तो जिस तरह उन्होंने दूसरोँ का न्याय किया था ठीक उसी तरह वे भी मरते। वास्तव में, परमेश्वर की व्यवस्था मनुष्यों को दी गई ताकि उनको अपने पापो का एहसास हो, लेकिन उन्होंने सहन किया क्योंकि उन्होंने व्यवस्था को गलत तरीके से समझा था और उसका इस्तेमाल किया था। 
आज के फरीसी, बाइबल के फरीसियों जैसे ही है, केवल जैसा लिखा है वैसा ही समझते है। उनको अनुग्रह, न्याय और परमेश्वर के सत्य के बारेमें समझना चाहिए। उनको उद्धार पाने के लिए छुटकारे का सुसमाचार सीखना पडेगा। 
फरीसियों ने कहा, “व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्त्रियों पर पथराव करें। अत: तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?” उन्होंने आत्मविश्वास से पत्थरों को पकड़ के पूछा। उन्होंने जरुर सोचा होगा की इस विषय में कहने के लिए यीशु के पास कुछ नहीं होगा। वे यीशु के प्रत्युत्तर का इंतज़ार कर रहे थे। 
यदि यीशु ने व्यवस्था के मुताबिक़ न्याय किया होता तो वे उसको भी पत्थरों से मारते। उनका उद्देश्य यीशु और स्त्री दोनों को पत्थरो से मारने का था। यदि यीशु ने स्त्री को पत्थरों से मारने के लिए मना किया होता, तो उन्होंने कहा होता की यीशु ने परमेश्वर की व्यवस्था का अपमान किया है, और उसे इस निंदा के लिए मार डाला होता। यह एक भयानक साजिश थी! 
लेकिन यीशु झुककर भूमि पर ऊँगली से लिखने लगा, और उन्होनें उसे पूछना ज़ारी रखा, “तू क्या कहता है? तू भूमि पर क्या लिखता है? हमारे प्रश्न का उत्तर दे। तू क्या कहता है?” उन्होनें यीशु की और अपनी ऊँगली उठाई और उसे परेशान किया। 
फिर, यीशु ने सीधे होकर उनसे कहा, तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे। फिर झुककर भूमि पे लिखना ज़ारी रखा। जिन्होंने यह सुना, वह अपने अन्त:करण के लिए दोषी ठहरे। परन्तु वे यह सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक, एक एक करके निकल गए, और अकेले यीशु को और बीच में खड़ी स्त्री को छोड़ के चले गए। 
 
 
“तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।” 
 
पाप कहा दर्ज होते है?
हमारे हृदय पट पर और कर्मो की किताब में

यीशु ने उनसें कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।” और उसने भूमि पर लिखना ज़ारी रखा। कुछ लोगों वहाँ से निकल गए, फरीसियों जिन्होंने पाप किया था उनको पहले जाने की ज़रूरत थी। छोटें भी वहाँ से चले गए। मान लीजिए की यीशु हमारे बीच खड़ा होता, और हम स्त्री के इर्दगिर्द खड़े होते। यदि यीशु ने हमसें कहा होता कि हममें से कोई एक पहला पत्थर फेंके, तो आप ने क्या किया होता? 
यीशु भूमि पर क्या लिख रहा था? परमेश्वर, जिसने हमें बनाया है, वह हमारे पापों को दो अलग अलग जगह लिखता है। 
पहेला, वह हमारें पापो को हमारे हृदय पट पर लिखता है। “यहूदा का पाप लोहे की टाँकी और हीरे की नोक से लिखा हुआ है; वह उनकी हृदयरूपी पटिया और उनकी वेदियों के सींगों पर भी खुदा हुआ है” (यर्मियाह १७:१)।
परमेश्वर यहूदा के द्वारा हमसें बात करता है, जो हमारा प्रतिनिधि है। मनुष्य के पाप लोहे की टाँकी और हीरे की नोक से लिखे हुए है। वह हमारे हृदय पट पर लिखे हुए है। यीशु झुका और भूमि पर लिखने लगा की सभी लोग पापी है। 
परमेश्वर जानते है की हम पाप करते है और वह हमारे पाप को हमारे हृदय पट पर लिखता है। सबसे पहले, वो हमारे कर्मो, हमने किए हुए पापों को दर्ज करता है, क्योंकि हम व्यवस्था के सामने कमज़ोर है। जैसे पाप हमारे हृदय पट लिखे हुए है, इसलिए जब भी हम व्यवस्था की ओर देखते है तब हमें एहसास होता है की हम पापी है। जब से उसने हमारें हृदय और अन्त:करण में उसे लिखे है, तब से हम जानते है की उसके सामने हम पापी है। 
यीशु भूमि पर लिखने के लिए फिर से झुका। पवित्रशास्त्र ऐसा भी बताता है की परमेश्वर के सामने हमारे सारे पाप कर्मो की पुस्तक में दर्ज किए गए है (प्रकाशितवाक्य २०:१२)। सभी पापियों के नाम और उनकें पाप पुस्तक में लिखे हुए है। वह व्यक्ति के हृदय पट पर भी लिखे हुए है। हमारें पाप कर्मो की पुस्तक और हमारें हृदय पट दोनों जगह लिखे हुए है। 
जवान हो या वृध्ध, पापों को प्रत्येक व्यक्ति के हृदय पट पर लिखा गया है। इसलिए यीशु के सन्मुख में उसके पाप के विषय में कहने के लिए उनके पास कुछ नहीं था। वो, जिन्होंने स्त्री पर पत्थर मारने की कोशिश की थी, वे परमेश्वर के वचनों के आगे असहाय थे। 
 
हमारे पाप जो दो जगहों पर दर्ज किए गए है वो कब मिटेंगे?
जब हम अपने हृदय में यीशु के पानी और लहू के छुटकारे का स्वीकार करेंगे तब।

हालाकि, जब आप उसका उद्धार प्राप्त करते है, तब कर्मो की पुस्तक में लिखे आपके सारे पाप मिट ताजे है और आपका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा जाता है। जिनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे है वे स्वर्ग में जाएंगे। उनकें अच्छे काम, परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता के लिए किए हुए उसके कार्य को भी जीवन की पुस्तक में दर्ज किया जाएगा। उन्हें स्वर्ग में स्वीकार किया जाएगा। जिन लोगो को अपने पापों से छूटकारा मिला है वे अनन्तकाल के स्थान में प्रवेश करेंगे। 
याद रखिए की सभी लोगो के पाप दो जगहों पर दर्ज किए जाते है, इस लिए कोई भी परमेश्वर को धोख़ा नहीं दे सकता। ऐसा कोई भी नहीं है जिसने अपने हृदय में पाप या व्यभिचार न किया हो। सभी लोग पापी और अपूर्ण है। 
जिन्होंने अपने हृदय में यीशु के छुटकारे को स्वीकार नहीं किया वे अपने पापो के बारेमें चिंता करेंगे। वे विश्वस्त नहीं है। वे अपने पापो के करण परमेश्वर और दूसरों से डरते है। लेकिन जिस पल वे अपने हृदय में पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करेंगे, तब उनके हृदय पट और कर्मो की पुस्तक में लिखे हुए सारे पाप मिट जाएंगे। वे अपने सारे पापों से बच गए है। 
स्वर्ग में जीवन की पुस्तक है। जो लोग पानी और आत्मा से छुटकारे के सुसमाचार पर विश्वास करते है उनके नाम उस पुस्तक में लिखे गए है, इसलिए वे स्वर्ग में प्रवेश कर पाएंगे। वे स्वर्ग में इसलिए प्रवेश नहीं कर पाएंगे की उन्होंने इस जगत में कोई पाप नहीं किया है, लेकिन पानी और आत्मा के छुटकारे पर उनके विश्वास के द्वारा उनका छूटकारा हुआ है इसलिए प्रवेश कर पाएंगे। यह ‘विश्वास की व्यवस्था’ है (रोमियों ३:२७)। 
साथी मसीहियों, शास्त्री और फरीसियों व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री के जैसे पापी थे। 
वास्तव में, उन्होंने शायद ज्यादा पाप किए होंगे क्योंकि वे पापी नहीं है इस बात पर विश्वास करने के द्वारा उन्होंने खुद को और लोगो को धोख़ा दिया था। धार्मिक अगुए औपचारिक अनुमति वाले चोर थे। वे आत्मा के चोर थे, दुसरे शब्दों में, जीवन के चोर थे। वे खुद छूटकारा पाए हुए नहीं थे फिर भी दुसरों को आधिकारिक तौर पर सिखाने की हिंमत करते थे। 
कोई भी ऐसा नहीं है जिसने व्यवस्था के मुताबिक़ पाप ना किया हो, लेकिन फिर भी इंसान धर्मी बन सकता है, इसलिए नहीं की उसने पाप नहीं क्या, लेकिन इसलिए की उसे सारे पापों से छूटकारा मिल गया है। ऐसे व्यक्तिका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ है। महत्वपूर्ण बात यह है की व्यक्तिका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा है की नहीं। लीग जीवनभर बीना पाप किए नहीं रह सकते, इसलिए पुस्तक में नाम लिखवाने के लिए उन्हें अनन्त छूटकारा पाना चाहिए।
स्वर्ग में आपका स्वीकार होगा की नहीं ये इस बात पर निर्भर है की आप सच्चे सुसमाचार पे विश्वास करते है की नहीं। आप यीशु के उद्धार को स्वीकार करते हो या नहीं इस बात पर आप परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्त करेंगे। जो स्त्री पकड़ी गई थी उसका क्या हुआ? शायद उसने अपने घुटनों पर आके अपनी आँखे बंद करली होगी क्योंकि उसे मालूम था की वो मरने वाली है। वो शायद डर और पछतावे के कारण रो रही होंगी। लोग जब मौत का सामना करते है तब खुद के साथ ईमानदार बन जाते है। 
“अरे, परमेश्वर, मुझे मरना है ये ठीक ही है। कृपया करके मेरी आत्मा को तेरे हाथोमें स्वीकार कर, और मुझ पर दया कर। कृपया करके मुझ पर दया कर यीशु।” वह छुटकारे के प्रेम के लिए यीशु से बिनती करती है। “परमेश्वर, यदि तू मेरा न्याय करेगा, तो मेरा न्याय होगा, और जो तू कहेगा की मैं पापरहित हूँ, तो मेरे पाप मिट जाएंगे, ये तुझ पर निर्भर करता है।” उसने शायद ये सभी बातें कही होंगी। उसने शायद अंगीकार किया होगा की सब कुछ यीशु पर निर्भर है। 
जिस स्त्री को यीशु के सामने लाया गया था उसने ऐसा नहीं कहा की, “मैंने बुरा किया है, कृपया करके मेरे व्यभिचार को माफ़ करदो।” उसने कहा, “कृपया करकें मेरे पापो से मेरा उद्धार कर। यदि तू मेरे पापो से छूटकारा देगा, तो मैं बच जाऊँगी। यदि तू नहीं करेगा, तो मैं नरक में जाऊँगी। मुझे तेरे छुटकारे की जरुरत है। मुझे परमेश्वर के प्रेम की जरुरत है, और मुझे परमेश्वर की दया की जरुरत है।” उसने अपनी आँखे बंद की और अपने पापो का अंगीकार किया।
और यीशु ने उससे पूछा, “हे नारी, वे कहाँ गए? क्या किसी ने तुझ पर दण्ड की आज्ञा न दी?” उसने कहा, “हे प्रभु, किसी ने नहीं”। 
यीशु ने कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता।” यीशु ने उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं दी क्योंकि यीशु ने यरदन में अपने बापतिस्मा के द्वारा पहलेसे ही उसके सारे पाप ले लिए थे, और वह पहले से ही छूटकारा पाई हुई थी। अब, उस स्त्री को नहीं लेकिन यीशु को उसके पापो के लिए न्याय का सामना करना था। 
 
 
उसने कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता।”
 
क्या उसने यीशु से दण्ड की आज्ञा पाई?
नहीं

यह स्त्री यीशु में उद्धार से आशीषित थी। वह अपने सारे पापों से छूटकारा पा चुकी थी। हमारे प्रभु यीशु हमें कहतें है की उसने हमारे सारे पापो का छूटकारा दिया है और इसलिए हम सब धर्मी है। 
वह बाइबल में भी हमें यही कहता है। हमारे पाप जो उसने यरदन में ले लिए थे उसका मूल्य चुकाने के लिए वो क्रूस पर मरा। वो हमसे स्पष्टरूप से कहता है की जो कोई उसके बपतिस्मा के छुटकारे और क्रूस के न्याय पर विश्वास करता है उन सभी लोगो को वो छूटकारा देता है। हम सभी को यीशु के लिखित वचन की और वचन पे बने रहने की जरुरत है। फिर, हम सभी को छुटकारे का आशीष मिलेगा। 
“परमेश्वर, आपके सन्मुख मेरी कोई योग्यता नहीं है। मुझमें कुछ भी अच्छा नहीं है। मरे पास आपको दिखाने के लिए पाप के अलावा और कुछ भी नहीं है। लेकिन मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु मेरे छुटकारे का प्रभु है। उसने यरदन में मेर सारे पापों को ले लिया और क्रूस पर उसका प्रायश्चित किया। उसने अपने बपतिस्मा और अपने लहू के द्वारा मेरे सारे पाप ले लिए। मैं तुझ पर विश्वास करता हूँ प्रभु।” 
इस तरह आपको उद्धार मिला है। यीशु ‘हमें दोषी नहीं ठहराता’। उसने हमें परमेश्वर के बच्चे बनने का अधिकार दिया था: जो पानी और आत्मा के छुटकारे पर विश्वास करते है, उसने उनके सारे पाप ले लिए है और उनको धर्मी बनाया है। 
प्रिय मित्र, स्त्री को छूटकारा मिला। जो स्त्री व्यभिचार में पकड़ी गई थी वो हमारे प्रभु यीशु के छुटकारे से आशीषित हुई थी। हम भी उसके समान आशीषित हो सकते है। जो कोई अपने पाप को जानते है और परमेश्वर से अपने लिए दया माँगते है, और जो कोई भी यीशु के पानी और आत्मा के छुटकारे पे विश्वास करते है वे लोग परमेश्वर की ओर से छुटकारे का आशीष प्राप्त करेंगे। जो लोग अपने पाप परमेश्वर के आगे अंगीकार करते है वे छूटकारा पाएंगे, लेकिन जिनको खुद के ही पापों का एहसास नहीं है वे छुटकारे से आशीषित नहीं हो पाएंगे। 
यीशु जगत के पापो को उठा लेता है (युहन्ना १:२९)। जगत का कोई भी व्यक्ति यीशु पर विश्वास करके छूटकारा पा सकता है। यीशु ने स्त्री से कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता।” उसने कहा की वह उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता क्योंकि यीशु के बपतिस्मा के द्वारा पहले से ही उसके सारे पाप यीशु ने ले लिए थे। उसने हमारे सारे पाप अपने ऊपर उठा लिए, और हमारे बदले उसका न्याय किया गया।
 
 
हमें यीशु के सन्मुख में छूटकारा पाना है
 
क्या बड़ा है, परमेश्वर का प्रेम या परमेश्वर का न्याय?
परमेश्वर का प्रेम

जिनके हाथों में पत्थर थे वो फरीसी, और आजक़े धार्मिक अगुए, व्यवस्था का शाब्दिक रीति से व्याख्या करते है। वह मानते है की व्यवस्था हमें कहती है की व्यभिचार मत कर, और यदि जो कोई भी ऐसा पाप करे तो उसे पत्थर से मार डालो। जब वे व्यभिचार न करने का ढोंग करते थे तब वे चोरी छूपी से स्त्रीओं पे नज़र डालते थे। वे नाहीं तो छूटकारा पा सकते है और नाहीं तो उद्धार पा सकते है। फरीसियों और शास्त्री इस जगत के नैतिकतावादी थे। वह वे नहीं थे जिनको यीशु ने बुलाया था। इन लोगो ने कभी भी यीशु से नहीं सुना जी “मैं तुझे दंड की आज्ञा नहीं देता।”
केवल वह स्त्री जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी उसने उस आनंददायक शब्दों को सुना था। यदि आप उसके प्रति ईमानदार है, तो आप भी उसके समान आशीषित हो सकते है। “परमेश्वर, मैं जीवनभर व्यभिचार करता हूँ। मुझे इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि में बार बार वह करता हूँ। मैं इसे पाप हरदिन कई बार करता हूँ।” 
जब हम व्यवस्था और वास्तविकता का स्वीकार करते है की हम पापी है और हमें मरना ही चाहिए और ईमानदारी से परमेश्वर का सामना करके कहते है, “परमेश्वर, मैं ऐसा ही हूँ। कृपया करके मुझे बचाइए।” तब परमेश्वर हमें अपने छुटकारे से आशीषित करेगा। 
यीशु के प्रेम, पानी और आत्मा के सुसमाचार ने परमेश्वर के न्याय के ऊपर जित हांसिल की है। “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता”। वो हमें दोषी नहीं ठहराता। वो हाकता है, “तू छूटकारा पा चूका है।” हमारा प्रभु यीशु मसीह करुणा का परमेश्वर है। उसने हमें जगत के सारे पापो से छूडाया है। 
हमारा परमेश्वर न्याय का परमेश्वर है और प्रेम का परमेश्वर है। पानी और आत्मा का प्रेम उसके न्याय से भी अधिक है। 
 
 

उसका प्रेम उसके न्याय से भी अधिक हैं 

 
क्यों वह हम सबको छूटकारा देता है?
क्योंकि उसका प्रेम उसके न्याय से भी अधिक है।

यदि परमेश्वर ने अपने न्याय को पूरा करने के लिए अपने निर्णय को लागू किया होता तो, उसने सारे पापियों का न्याय किया होता और उनको नरक में भेज दिया होता। लेकिन यीशु के प्रेम के कारण, जो हमें सारे न्याय से बचाता है, वह अधिक है, परमेश्वर ने अपने इकलौते बेटे, यीशु को भेज दिया। यीशु ने हमारे सारे पाप अपने ऊपर उठा लिए और हमारे लिए उसने न्याय को प्राप्त किया। अब, जो कोई यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करेगा वह उसका संतान और धर्मी बनेगा। उसका प्रेम उसके न्याय से अधिक है, इसीलिए उसने हम सब को छुड़ाया है। 
हमें परमेश्वर का धन्यवाद करना ही चाहिए की उसने अपने न्याय से हमारा फ़ैसला नहीं किया। एकबार यीशु ने शास्त्री, फरीसियों और उनके चेलो को कहा, “इसलिये तुम जाकर इसका अर्थ सीख लो : ‘मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूँ।’ क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ” (मत्ती ९:१३)। कुछ लोग अभी भी गाय और बकरे को मारते होंगे, और परमेश्वर को अर्पण करते हुए प्रार्थना करते होंगे, “परमेश्वर, हरदिन मेरे पाप माफ़ कीजिए।” परमेश्वर बलिदान नहीं चाहता, लेकिन वो पानी और आत्मा के छुटकारे पर विश्वास को चाहता है। वो इच्छा रखता है की हम छूटकारा पाए और मुक्त हो जाए। वो हमें अपना प्रेम देना चाहता है और हमारे विश्वास का स्वीकार करना चाहता है। क्या आप सब यह देख सकते है? यीशु ने हमें अपना संपूर्ण उद्धार दिया है। 
यीशु पाप को धिक्कारता है, लेकिन मनुष्य जो परमेश्वर के स्वरुप में बनाए गए है उनसे बहोत प्रेम करता है। सृष्टि की रचना करने से पहले ही उसने हमें अपनी संतान बनाने का और बपतिस्मा और लहू के द्वारा हमारे सारे पापो को मिटाने का फ़ैसला कर लिया था। परमेश्वर ने हमें छूटकारा देने, यीशु में वस्त्र पहिनाने के लिए, और अपनी संतान बनाने के लिए हमारी सृष्टि की है। यह हमारे लिए, उसकी सृष्टि के लिए उनका प्रेम है। 
यदि परमेश्वर केवल अपनी व्यवस्था के मुताबिक़ हमारा न्याय करे, तो हम, पापियों को मरना पडेगा। लेकिन उसने हमें बपतिस्मा और क्रूस पर उसके बेटे के न्याय के द्वारा हमारा छूटकारा किया है। क्या आप विश्वास करते है? आइए पुराने नियम में इसकी पुष्टि करते है। 
 
 
हारून अपने दोनों हाथ बकरे के सिर पर रखता है
 
कौन उनके प्रतिनिधि के रूप में इस्राएल के पापो को जीवित बकरे पर धरता है? 
महाजायक
 
इस जगत के सारे पापो का पुराने नियम की स्थापित व्यवस्था पर विश्वास के द्वारा और नए नियम के बपतिस्मा के द्वारा प्रायश्चित किया गया था। पुराने नियम में, इस्राएल के सारे वार्षिक पापो का महायाजक के द्वारा प्रायश्चित किया जाता था, जो निर्दोष बकरे के सिर पर हाथ रखता था। 
“और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों, अर्थात् उनके सारे पापों को अंगीकार करे, और उनको बकरे के सिर पर धरकर उसको किसी मनुष्य के हाथ जो इस काम के लिये तैयार हो जंगल में भेजके छुड़वा दे” (लैव्यव्यवस्था १६:२१)। 
इस रीति से पुराने नियम में वे प्रायश्चित करते थे। हरदिन के पापों से छूटकारा पाने के लिए, व्यक्ति निर्दोष भेड़ या बकरा तम्बू के पास लाता था और वेदी पर उसको चढ़ाता था। वह बलि के सिर पर अपने हाथ रखता, और उसके पाप बलि के ऊपर चले जाते। उसके बाद, उस बलिदान को मारते थे और याजक उसके लहू को वेदी के सींगो पर छिड़कता। 
वेदी के चारो कोने पे सींग थे। सींग कर्मो की पुस्तक को दर्शाते है जो प्रकाशितवाक्य २०:१२ में लिखा गया है। बलिदान के बचे हुए लहू को भूमि पर भी छिड़का जाता था। भूमि मनुष्य के हृदय को दर्शाती है क्यों की मनुष्य को मिट्टी से बनाया गया था। इस रीति से लोग अपने हरदिन के पापो का प्रायश्चित करते थे। 
हालाँकि, वे हरदिन पापबलि को नहीं चढ़ा सकते थे, इसलिए, परमेश्वर ने उनके वार्षिक पापों के लिए साल में एक बार प्रायश्चित करने की अनुमति दी थी। यह सातवें महीने के दसवें दिन किया जाता था, प्रायश्चित के दिन। उस दिन, महायाजक, सारे इस्राएली लोगो का प्रतिनिधि, दो बकरों को लाता था और लोगो के सारे पाप उस पर डालने के लिए वह अपने हाथों को उसके ऊपर रखता और इस्राएल के लोगो के प्रायश्चित के लिए परमेश्वर के आगे उसकी बलि चढ़ाता था। 
“और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों, अर्थात् उनके सारे पापों को अंगीकार करे, और उनको बकरे के सिर पर डाले” (लैव्यव्यवस्था १६:२१)।
परमेश्वर ने प्रतिनिधि बनने के लिए, महायाजक के रूप में हारून को चुना था। प्रत्येक मनुष्य को व्यक्तिगत तौर पर बलि के ऊपर हाथ रखने के बजाए, सारे लोगो का प्रतिनिधि, महायाजक, पूरे साल के पापो के प्रायश्चित के लिए जीवित बकरे के ऊपर अपने दोनों हाथ रखता था। 
वो परमेश्वर के आगे इस्राएल के सारे पापों का वर्णन करता था, “ओ परमेश्वर, इस्राएल के तेरे संतानों ने पाप किया है। हमने मूर्तियों की आराधना की है, आपकी व्यवस्था को तोड़ा है, तेरा नाम व्यर्थ में लिया है, दूसरी मूर्तियाँ बनाई और आपसे ज्यादा उसे प्रेम किया। हमने विश्रामदिन को पवित्र नहीं माना, हमारे माता-पिता का आदर नहीं किया, हत्या की है, व्यभिचार किया और चोरी की...हम इर्ष्या और झगड़े में लिप्त रहे।” 
उसने सारे पाप सुने। “परमेश्वर, इस्राएल के लोग या मैं, हम में से कोई भी तेरी व्यवस्था का पालन नहीं कर पाए। इन सारे पापो से छूटकारा पाने के लिए, मैं इस बकरे के ऊपर अपने हाथ रखता हूँ और उन सारे पापो को इस पर डाल देता हूँ।” महायाजक सभी लोगो के लिए बलि के ऊपर अपने हाथ रखता है और सारे पाप बलि के सिर पर डाल देता है। स्थापित व्यवस्था, या हाथ रखने का मतलब है ‘स्थानांतरित करना’ (लैव्यव्यवस्था १:१-४, १६:२०-२१)। 
 
पुराने नियम में प्रायश्चित कैसे किया जाता था?
पापबलि के सिर पर दोनों हाथ रखने के द्वारा

परमेश्वर ने इस्राएल के लोगो को बलिदान की पध्धति दी थी जिस से वे अपने सारे पापो को बलि के सिर पे डाल कर छूटकारा पाते थे। परमेश्वर ने स्पष्ट किया था की पापबलि निर्दोष होनी चाहिए और मनुष्य की जगह पे पापबलि को मरना होगा। पापियों का व्यक्तिगत तौर पर छूटकारा इस रीति से होता था।
हालाँकि, प्रायश्चित के दिन, पापबलि को मारा जाता था और उसका लहू पवित्र स्थान में लेजाया जाता था और सात बार उसे दयासन पर छिड़का जाता था। इस प्रकार, इस्राएल के लोग सातवें महीने के दसवें दिन पूरे साल का प्रायश्चित करते थे।
महायाजक पवित्र स्थान में बलिदान को अर्पण करने के लिए अकेला जाता था, लेकिन लोग बहार इकठ्ठे होते और महायाजक के एपोद के बागा की कोर में बंधी सोने की घंटियों की आवाज़ सुनते थे। जब दयासन पर लहू का छिड़काव किया जाता तब सातबार घंटियाँ बजती थी। फिर, लोग आनंद मनाते की उनके पापो का प्रायश्चित हो गया है। घंटियों की आवाज आनंदित सुसमाचार के आवाज को सूचित करती है। 
यह सत्य नहीं है की यीशु केवल चुनिन्दा लोगो को ही प्रेम करता है और उनको ही छूटकारा देता है। यीशु ने एक ही बार में अपने बपतिस्मा से पूरे जगत के पापो को उठा लिया था। वो हमें एक ही बार में हंमेशा के लिए छूटकारा देना चाहता था। हरदिन हमारे पापों का छूटकारा नहीं हो सकता, इसलिए एक ही बार में उनको दूर कर दिया गया। 
पुराने नियम में, स्थापित व्यवस्था और पापबलि द्वारा प्रायश्चित किया जाता था। सभी लोगो के सामने हारून अपने दोनों हाथ जीवित बकरे के सिर पर रखता और उस साल के दौरान लोगो ने किए पापों को सूचीबद्ध करता। वह इस्राएल के लोगो के सामने बकरे के ऊपर पापों को डालता था। जब महायाजक बकरे के सिर पर अपने दोनों हाथ रखता है फिर पाप कहा जाते है? वह सारे पाप बकरे के ऊपर चले जाते है। 
फिर, ‘नियुक किए हुए व्यक्ति’ के द्वारा बकरे को भेज दिया जाता था। बकरे को, उस के ऊपर इस्राएल से सारे पापो को लेके, जंगल में लेजाया जाता था जहा पानी या घास नहीं होती थी। फिर बकरे को कड़ी धूप में भटकना पड़ता था और अन्त में वो मर जाता था। बकरा इस्राएल के पापों के कारण मरता था।
यह परमेश्वर का प्रेम है, छुटकारे का प्रेम। उन दिनों में इस रीति से वे पापों का प्रायश्चित करते थे। लेकिन हम नए नियम के समय में जी रहे है। यीशु इस दुनिया में आया उसे तक़रीबन २,००० साल हो गए है। वह आया और उसने पुराने नियम के सारे वायदों को पूरा किया। वह आया और हमें अपने सारे पापों से छूटकारा दिया। 
 
 
हम सब को छुडाने के लिए 
 
यीशु का अर्थ क्या है?
उद्धारकर्ता जो अपने लोगो को पाप से बचाएगा

आइए मत्ती १:२०-२१ पढ़े, जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा, “हे यूसुफ! दाऊद की संतान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा” (मत्ती १:२०-२१)।
स्वर्ग के हमारें पिता ने हमारे सारे पापों को साफ़ करने के लिए अपने बेटें को इस दुनिया में भेजने के लिए कुमारी मरियम का शरीर उधार लिया। उसने मरियम के पास स्वर्गदूत भेजा और उसे कहा, “तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना”। उसका मतलब है की मरियम जिस बेटें को जन्म देगी वह उद्धारकर्ता बनेगा। यीशु मसीह का मतलब है की वह जो अपने लोगो का उद्धार करेगा, दुसरे शब्दों में, उद्धारकर्ता। 
तो फिर, यीशु हमें सारे पापो से किस प्रकार बचाएगा? यरदन में बपतिस्मा लेने के द्वारा यीशु ने जगत के सारे पाप उठा लिए है। जब युहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने उसे बपतिस्मा दिया, तब जगत के सारे पाप उस पर चले गए। आइए मत्ती ३:१३-१७ पढ़े। 
“उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया। परन्तु यूहन्ना यह कह कर उसे रोकने लगा, “मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?” यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” तब उसने उसकी बात मान ली। और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्‍वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई : “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
हम सभी को पापों से छूटकारा देने के लिए यीशु युहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के पास गया। वह पानी में गया और अपने सिर को युहन्ना के आगे रखा। “युहन्ना, अब मुझे बपतिस्मा दे। अब हमें सारी धार्मिकता को पूरा करना उचित है। मुझे जगत के सारे पापों को उठाना है और सारे पापियों को उनके पापों से छुड़ाना है, मुझे उनके पापों को बपतिस्मा के द्वारा उठाना जरुरी है। अब मुझे बपतिस्मा दे! अनुमति दे! 
इस रीति से धार्मिकता को पूरा करना उचित है। यीशु ने यरदन में युहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया उसी पल, हमारें पापो से जो छूटकारा देती है वह परमेश्वर की धार्मिकता पूरी हुई। इस रीति से उसने हमारें सारे पापों को उठा लिया। आपके सारे पाप यीशु पर डाल दिए गए है। क्या आप ये समझते है? 
यीशु के बपतिस्मा और आत्मा के छुटकारे पर विश्वास करो और उद्धार प्राप्त करो। 
 
कैसे सारी धार्मिकता पूरी हुई?
यीशु के बपतिस्मा के द्वारा

परमेश्वर ने पहले इस्राएल को वायदा किया था की पापबलि के ऊपर दोनों हाथ रखने के द्वारा जगत के सारे पाप दूर हो जाएंगे। हालाँकि, सारे लोगो का बकरे के सिर पर हाथ रखना असंभव था, इसलिए परमेश्वर ने हारून को महायाजक बनने के लिए पवित्र किया ताकि वह सारे लोगो के लिए बलि चढ़ा शके। इस तरह, वह एक ही बार में सारे वार्षिक पापों को पापबलि पर डाल देता था। यह उनकी बुध्धि और छुटकारे का सामर्थ्य है। परमेश्वर बुध्धिमान और अद्भुत है।
पूरे जगत को बचाने के लिए उसने अपने बेटें यीशु को भेजा। इसलिए पापबलि तैयार थी। अब, सारी मनुष्यजाति के प्रतिनिधि के रूप में किसीका होना जरुरी था, जो यीशु के सिर पर अपने हाथ रख सके और जगत के सारे पाप उस पर डाल सके। वह प्रतिनिधि युहन्ना बपतिस्मा देनेवाला था। बाइबल में लिखा है की परमेश्वर ने यीशु को भेजा उससे पहले पूरी मनुष्यजाति के प्रतिनिधि को भेजा। 
वह यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला था, मनुष्यों का महायाजक। जैसे मत्ती ११:११ में लिखा है, “जो स्त्रियों से जन्मे है, उनमें से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ।” केवल वही मनुष्यजाति का प्रतिनिधि था। उसने युहन्ना को मनुष्यजाति के प्रतिनिधि के रूप में भेजा ताकि वह यीशु को बपतिस्मा दे सके और जगत के सारे पापों को उस पर डाल सके। 
यदि पृथ्वी के छः अरब लोग अभी यीशु के पास जाए और सभी लोगो को अपने पाप यीशु के ऊपर डालने के लिए यीशु के सिर पर हाथ रखना पड़े, तो यीशु के सिर की क्या हालत होगी? यदि इस पृथ्वी के छः अरब लोगो को अपने हाथ यीशु के सिर पर रखने पड़े, तो वह द्रश्य अच्छा नहीं होगा। कुछ उत्साही लोग इतनी ज़ोर से दबाएंगे की उसके सारे बाल निकल जाएंगे। इस प्रकार, परमेश्वर ने बुध्धि से अपने प्रतिनिधि के रूप में युहन्ना को चुना और जगत के सारे पापों को यीशु पर डाला, एक ही बार हंमेशा के लिए। 
मत्ती ३:१३ में लिखा है की, “उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया।” तब यीशु ३० साल का था। यीशु के जन्म के ८ दिन बाद उसका खतना किया गया, और उस समय से वह ३० साल का हुआ तब तक उसकी बहुत ही कम जानकारी है। 
यीशु ३० साल का हो तब तक इंतज़ार करने के पीछे का मक़सद यह था की पुराने नियम के मुताबिक़ उसे न्यायोचित स्वर्गीय महायाजक बनना था। व्यवस्थाविवरण में, परमेश्वर ने मूसा से कहा था की महायाजक के पद पर सेवा करने के लिए महायाजक कम से कम ३० साल का होना चाहिए। यीशु स्वर्गीय महायाजक था। क्या अप यह विश्वास करते है। 
नए नियम में, मत्ती ३:१३-१४ में लिखा है, “उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया। परन्तु यूहन्ना यह कह कर उसे रोकने लगा, “मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?” मनुष्यजाती का प्रतिनिधि कौन है? युहन्ना बपतिस्मा देनेवाला। तो फिर, स्वर्ग का प्रतिनिधि कौन है? यीशु मसीह। प्रतिनिधि आपस में मिले। तो फिर बड़ा कौन? अवश्य, स्वर्ग का प्रतिनिधि बड़ा है। 
युहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, जो बहुत ही निडर था, उन दिनों में उसने धार्मिक अगुओ को पुकार कर कहा, “हे सांप के बच्चो! मन फिराओ!” और तुरंत ही यीशु के आगे नम्र बन जाता है। “मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?”
इस समय, यीशु ने कहा, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” यीशु इस दुनिया में परमेश्वर की धार्मिकता को पूरा करने के लिए आया, और जब युहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने उसे बपतिस्मा दिया तब वह पूरा हुआ। 
“तब उसने उसकी बात मान ली। और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्‍वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई : “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
जब उसने बपतिस्मा लिया तब यह हुआ। जब उसने युहन्ना बपतिस्मा के द्वारा बपतिस्मा लिया तब स्वर्ग के दरवाजें खुल गए और जगत के सारे पाप उठा लिए। 
“यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के दिनों से अब तक स्वर्ग के राज्य में बलपूर्वक प्रवेश होता रहा है, और बलवान उसे छीन लेते हैं” (मत्ती ११:१२)। 
सारे प्रबोधक और परमेश्वर की व्यवस्था ने युहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के लिए भविष्यवाणी की है। “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के दिनों से अब तक स्वर्ग के राज्य में बलपूर्वक प्रवेश होता रहा है, और बलवान उसे छीन लेते हैं”। जो कोई भी उसके बपतिस्मा पर विश्वास करता है वह बिना अपवाद के स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर पाएगा। 
 
 
“मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता।”
 
यीशु का क्रूस पर न्याय क्यों किया गया?
क्योंकि उसने हमारे सारे पाप ले लिए थे।

यीशु ने युहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया और जगत के सारे पापों को उठा लिया। बाद में, व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री को उसने कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता”। उसने स्त्री को दोषी नहीं ठहराया क्योंकि उसने यरदन में जगत के सारे पापों को उठा लिया था और उस पापों के लिए स्त्री का नहीं लेकिन यीशु का न्याय हुआ। 
यीशु ने जगत के सारे पापों को मिटा दिया है। हम देख सकते है की क्रूस पर जो पीड़ा उसे सहन करनी थी उससे वह काफी डरा हुआ था क्योंकि ‘पाप की मजदूरी तो मृत्यु है’ (रोमियों ६:२३) इस न्याय को अपने पास से वापिस ले लेने के लिए उसने जैतून के पर्वत पर परमेश्वर को तिन बार प्रार्थना की। यीशु देह और लहू में था, इसलिए समझ में आता है की वह पीड़ा से डरता था। न्याय को पूरा करने के लिए यीशु को अपना लहू बहाने की जरुरत थी। 
जैसे पुराने नियम में पापों का मूल्य चुकाने के लिए पापबलि को लहू बहाने की जरुरत थी, वैसे उसे भी क्रूस पर बलि चढ़ना था। उसने पहले ही जगत के सारे पाप उठा लिए थे और अब हमारें छुटकारे के लिए उसे अपनी जान देनी थी। वह जानता था की परमेश्वर के आगे उसका न्याय होना था। 
यीशु के दिल में कोई पाप नहीं था, लेकिन बपतिस्मा के द्वारा सारे पाप उस पर डाले गए, इसलिए परमेश्वर को अब अपने बेटे का न्याय करना था। इस प्रकार, पहले, परमेश्वर का न्याय पूरा हुआ और दूसरा, हमारे उद्धार के लिए उसने अपना प्रेम हम पर उंडेल दिया। इस लिए, क्रूस पर यीशु का न्याय हुआ। 
“ना तो मैं तुम्हें दोषी नहीं ठहराता हूँ, ना तो मैं तुम्हारा न्याय करता हूँ”। हामरे सारे पाप, जाने और अनजाने में किए हुए, पहचाना गया या ना पहचाना गया, सारे पापों का परमेश्वर के सामने न्याय होगा। 
हालाँकि, परमेश्वर हमारा न्याय नहीं करता। परमेश्वर ने यीशु का न्याय किया, जिसने बपतिस्मा के द्वारा हमारें सारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया था। उसके प्रेम और करुणा के लिए परमेश्वर पापियों का न्याय नहीं करना चाहता था। बपतिस्मा और क्रूस का लहू हमारे लिए उसका छुटकारे का प्रेम था। “क्योंकि परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे वह नष्‍ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए” (युहन्ना ३:१६)। 
इस रीति से हम उसके प्रेम को जानते है। व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री को यीशु ने दोषी नहीं ठहराया था। 
वह जानती थी की वो पापी थी क्योंकि वो व्यभिचार करते पकड़ी गई थी। उसके केवल दिल में ही नहीं लेकिन देह में भी पाप था। वह अपने पापों से इनकार करे ऐसा कोई मार्ग नहीं था। हालाँकि, यीशु ने उसके सारे पाप उठा लिए थे ऐसा विश्वास करने से उसको उद्धार मिला था। यदि हम यीशु के छुटकारे पे विश्वास करे, तो हम भी उद्धार पा सकते है। विश्वास कीजिए! वह केवल हमारे भले के लिए ही है। 
 
सबसे अधिक धन्य कौन है? 
वे जिनमें कोई पाप नहीं है

सभी लोग पाप करते है। सभी लोग व्यभिचार करते है। लेकिन सभी का उनके पापों की वजह से न्याय नहीं किया जाता। हम सभी ने पाप किया है, लेकिन जो यीशु के छुटकारे पे विश्वास करता है उनके दिल में पाप नहीं है। जो यीशु के उद्धार में विश्वास करता है वह सबसे आनंदित व्यक्ति है। जिनको अपने सारे पापों से छूटकारा मिला है वे सबसे आशीषित लोग है। दुसरे शब्दों में, वे अब यीशु में धर्मी है। 
परमेश्वर रोमियों ४:७ में हमें सुख के बारेमें बताता है, “धन्य हैं वे जिनके अधर्म क्षमा हुए, और जिनके पाप ढाँपे गए।“ हम मरते दम तक पाप करते है। हम परमेश्वर के सन्मुख व्यवस्था का पालन न करने वाले और अपूर्ण है। हम उसकी व्यवस्था को जानने के बावजूद भी पाप करते है। हम कितने कमज़ोर है। 
लेकिन परमेश्वर ने अपने इकलौते बेटे के बपतिस्मा और लहू के द्वारा हमें छुड़ाया है और हमें कहता है, की आप और में अब पापी नहीं है, और अब हम परमेश्वर के सन्मुख में धर्मी है। वह हमसे कहता है की हम उसकी संतान है। 
पानी और आत्मा का सुसमाचार अनन्त छुटकारे का सुसमाचार है। क्या आप ये विश्वास करते है? जो विश्वास करते है, उसको परमेश्वर धर्मी, छूटकारा पाए हुए और अपनी संतान कहते है। इस संसार में सब से खुश व्यक्ति कौन है? वह जो सच्चे सुसमाचार पर विश्वास करता है और सच्चे सुसमाचार पे विश्वास के द्वारा जिसको छूटकारा मिला है। क्या आपने छूटकारा पाया है? 
क्या यीशु आपके पापों को लेना भूल गया है? नहीं, उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा आपके सारे पापों को उठा लिया है। ऐसा विश्वास कीजिए। विश्वास करे और अपने सारे पापों से छूटकारा पाए। आइए युहन्ना १:२९ पढ़िए। 
 
 
जैसे झाड़ू लगाते है वैसे ही
 
यीशु ने कितने पाप ले लिए?
जगत के सारे पाप

“दुसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देख कहा, “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है” (युहन्ना १:२९)।
“देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है”  
युहन्ना ने जगत के सारे पापों को यीशु पर डाल दिया था। अगले दिन, वह गवाही देता है की यीशु परमेश्वर का मेम्ना था जिसने जगत ने सारे पापों को उठा लिया था। उसने जगत के सारे पापों को अपने कंधे पर उठा लिया था। 
जगत के सारे पाप मनुष्यजाति ने इस संसार में किए सारे पापों को दर्शाता है, उत्पत्ति से उसके अन्त तक। तक़रीबन २००० साल पहले, यीशु ने जगत के सारे पापों को उठा लिया था और हमें छूटकारा दिया था। परमेश्वर के मेम्ने के जैसे, उसने हमारें सारे पाप उठा लिए और हमारे लिए उसका न्याय किया गया। 
हम मनुष्य जो भी पाप करते है वह यीशु पर डाला जाता है। वह परमेश्वर का मेम्ना बना जो जगत के सारे पापों को उठा लेता है। 
यीशु इस जगत में मनुष्य बनके आया, एक ऐसा व्यक्ति जो जगत के सारे लोगो को बचाने वाला था। हम पाप करते है क्योंकि हम कमज़ोर, दुष्ट, अज्ञानी, मूर्ख और अपूर्ण है। दुसरे शब्दों में, हम पाप करते है क्यों की हमें वह हमारे पूर्वज आदम से विरासत में मिला है। यह सारे पाप यरदन में यीशु के बपतिस्मा के द्वारा उसके सिर पर डाले गए थे। उसने क्रूस पर अपने मृत्यु द्वारा इन सबका अन्त किया। उसे गाड़ा गया, लेकिन परमेश्वर ने उसे तीसरे दिन मृत्यु में से जीवित किया। 
सारे पापियों के उद्धारकर्ता के रूप में, विजेता के रूप में, न्यायाधीश के रूप में, अब वो पेमेश्वर के दाहिने हाथ बैठा हुआ है। उसे अब हमें बार बार छूटकारा देने की आवश्यकता नहीं है। जो विश्वास करते है उसके लिए अब अनन्त जीवन इंतज़ार कर रहा है, और जो विश्वास नहीं करते उनके लिए विनाश इंतज़ार कर रहा है। दूसरा कोई विकल्प नहीं है। 
यीशु ने आप सभी को छूडाया है। आप पृथ्वी पर के सबसे खुश व्यक्ति है। अपनी कमजोरी के कारण आप भविष्य में निश्चित रूप से पाप करेंगे, लेकिन उसने उन सभी पापों को भी ले लिया है।
क्या आपके दिल में कोई पाप बचा है?---नहीं---
क्या यीशु ने सारे पाप उठा लिए है?---हाँ! उसने उठा लिए है।---
सारे लोग एक जैसे ही है। कोई भी व्यक्ति अपने पड़ोसी से ज्यादा पवित्र नहीं है। लेकिन उसी तरह कई लोग पाखंडी भी है, वे मानते है की वो पापी नहीं है, लेकिन वास्तव में वे भी पापी ही है। यह संसार ग्रीनहाउस है जिसमें पाप को पाला जाता है। 
जब स्त्री अपने घर से बहार निकलती है, तब लाल रंग की लिपस्टिक लगाती है, अपने चेहरें पर पाउडर लगाती है, अपने बालों को घुंघराले बनाती है, अच्छे कपड़े पहनती है, ऊँची एड़ी के सेंडल पहनती है...पुरुष भी अपने बाल कटवाने के लिए नाई के पास जाता है, अच्छी तरह तैयार होते है, साफ़ शर्ट और अच्छी टाई पहनता है, और अपने जूतों को चमकाता है। 
वे शायद बहार से राजकुमार या राजकुमारी जैसे दिखते होंगे, लेकिन अंदर से बहुत गंदे है। 
क्या पैसा मनुष्य को खुश कर सकता है? क्या तंदुरस्ती मनुष्य को खुश कर सकती है? नहीं। केवल अनन्त छूटकारा, सारे पापो का छूटकारा, मनुष्य को सही अर्थ में खुश करता है। मनुष्य बहार से चाहे जितना खुश दिखता हो, लेकिन यदि उसके दिल में पाप है तो वह दुखी है। ऐसे व्यक्ति न्याय के डर से जीवन जीते है। 
छूटकारा पाया हुआ व्यक्ति शेर के जैसा निडर होता है। उसके दिल में कोई पाप नहीं होता। “धन्यवाद प्रभु, तूने मुझ जैसे पापी को बचाया। तूने मेरे सारे पापों को फेंक दिया है। मैं जानता हूं की मैं तेरा प्रेम पाने के योग्य नहीं हूँ, लेकिन मुझे बचाने के लिए मैं तेरी स्तुति करता हूँ। मैंने मेरे सारे पापो से अनन्तकाल के लिए छूटकारा पाया है। परमेश्वर की महिमा हो!” 
जिस व्यक्ति को छूटकारा मिला है वह खरे अर्थ में खुश व्यक्ति है। जो व्यक्ति उसके छुटकारे के अनुग्रह से आशीषित हुआ है वह खरे अर्थ में खुश व्यक्ति है। 
क्योंकि यीशु, “परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” उसने हमारे सारे पापों को उठा लिया है, हम पापरहित है। उसने हमारे लिए क्रूस पर उद्धार को ‘पूरा’ किया है। हमारे सारे पाप, आपके और मेरे पापों का समावेश ‘जगत के पापों’ में होता है और इसलिए, हम सभी उद्धार पाए हुए है। 
 
 

परमेश्वर की इच्छा से 

 
क्या यीशु में होने के बाद भी हमारे दिलों में पाप है?
नहीं, बिलकुल नहीं।

प्रिय मित्रोँ, व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री ने यीशु के वचन पर विश्वास किया और उद्धार पाया। उसकी कहानी बाइबल में दर्ज की गई है क्योंकि वह परमेश्वर के छुटकारे से आशीषित हुई थी। हालाँकि, पाखंडी शास्त्री और फरीसी यीशु से सामने से भाग गए थे। 
यदि आप यीशु पर विश्वास करेंगे, तो स्वर्ग आपका इंतज़ार कर रहा है, लेकिन यदि आप यीशु को छोड़ देंगे, तो आप नरक में जाएंगे। यदि आप उसके धर्मी कार्य पर विश्वास करेंगे, तो वह स्वर्ग जैसा है, लेकिन यदि आप उसके कार्य पर विश्वास नहीं करेंगे, तो वह नरक जैसा है। छूटकारा मनुष्य के कोशिश पर निर्भर नहीं है, लेकिन यीशु के उद्धार पर निर्भर है। 
आइए इब्रानियों १० पढ़ते है, क्योंकि व्यवस्था, जिसमें आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है पर उनका असली स्वरूप नहीं, इसलिये उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा जो प्रतिवर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आनेवालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकती। नहीं तो उनका चढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता? इसलिये जब सेवा करनेवाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उनका विवेक उन्हें पापी न ठहराता। परन्तु उनके द्वारा प्रति वर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है। क्योंकि यह अनहोना है कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे। इसी कारण वह जगत में आते समय कहता है, “बलिदान और भेंट तू ने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार की।होमबलियों और पापबलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ। तब मैं ने कहा, ‘देख, मैं आ गया हूँ, पवित्रशास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है, ताकि हे परमेश्‍वर, तेरी इच्छा पूरी करूँ’।” ऊपर तो वह कहता है, “न तू ने बलिदान और भेंट और होमबलियों और पापबलियों को चाहा, और न उनसे प्रसन्न हुआ,” यद्यपि ये बलिदान तो व्यवस्था के अनुसार चढ़ाए जाते हैं। फिर यह भी कहता है, “देख, मैं आ गया हूँ, ताकि तेरी इच्छा पूरी करूँ,” अत: वह पहले को उठा देता है, ताकि दूसरे को नियुक्‍त करे। उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं” (इब्रानियों १०:१-१०)।
“परमेश्वर की इच्छा” के द्वारा यीशु ने हमारे पापों को एक ही बार में लेने के लिए अपना शरीर अर्पण किया, और एक ही बार उसका न्याय हुआ और पुनरुत्थान भी एक ही बार हुआ।
इसलिए, हमें पवित्र किया गया है। “पवित्र किया गया” (इब्रानियों १०:१०) यह पूर्ण वर्तमान काल में लिखा हुआ है। उसका मतलब होता है की संपूर्ण रीति से हमारा छूटकारा हो चुका है, और दूसरी बार उसका जिक्र करने की जरुरत नहीं है। आप को पवित्र किया गया है। 
“हर एक याजक तो खड़े होकर प्रतिदिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते, बार-बार चढ़ाता है। परन्तु यह व्यक्‍ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्‍वर के दाहिने जा बैठा, और उसी समय से इसकी बाट जोह रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की पीढ़ी बनें। क्योंकि उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है” (इब्रानियों १०:११-१४)।
आपको हंमेशा के लिए पवित्र किया गया है। यदि आप कल पाप करेंगे, तो क्या आप फिरसे पापी बन जाओगे? क्या यीशु ने वह पापों को भी नहीं उठा लिया? उसने उठा लिए है। उसने भविष्य के पापों को भी उठा लिया है। 
“और पवित्र आत्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्योंकि उसने पहले कहा था, “प्रभु कहता है कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा वह यह है कि मैं अपने नियमों को उनके हृदय पर लिखूँगा और मैं उनके विवेक में डालूँगा।” फिर वह यह कहता है, “मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूँगा।” और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा” (इब्रानियों १०:१५-१८)।
‘इसलिए माफ़ी’ इसका मतलब होता है की उसने जगत के सारे पापों की किंमत चुकाई है। यीशु हमारा उद्धारकर्ता है, आपका और मेरा हम दोनों का उद्धारकर्ता है। यीशु पर हमारे विश्वास ने हमें बचाया है। यह यीशु में छूटकारा और महान अनुग्रह और परमेश्वर की ओर से भेंट है। आप और मै, जिनको सारे पापो से छूटकारा प्राप्त हुआ है, वे सबसे आशीषित है!